इंदौर दरà¥à¤¶à¤¨ की इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली कड़ी में मैंने आपलोगों का इंदौर शहर से à¤à¤• छोटा सा परिचय करवाया था. टà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¤° आईलेंड मॉल में कà¥à¤› पांच छः घंटे बिताने, कà¥à¤› शॉपिंग करने à¤à¤µà¤‚ फिलà¥à¤® देखने के बाद अब हमने रà¥à¤– किया इंदौर की सबसे बड़ी पहचान यानी राजवाड़ा की ओर.
राजवाड़ा को इंदौर की आन बान और शान कहना अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं होगा. इंदौर शहर के इतिहास को अपनी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में संजोये करीब ढाई सौ सालों से à¤à¤• इतिहास पà¥à¤°à¥à¤· की तरह खड़ा राजवाड़ा, इंदौर के गौरवशाली इतिहास का परिचायक है.
राजवाड़ा को इंदौर का शॉपिंग हब कहा जा सकता है, इसके चारों तरफ हर तरह की खरीददारी के लिठसैकड़ों दà¥à¤•ाने फैली हà¥à¤ˆ हैं. राजवाड़ा से ही लगी हैं इंदौर की à¤à¤• और à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• विरासत कृषà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¾ की छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚. वैसे तो हर बार जब à¤à¥€ इंदौर आते हैं तो बस जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ अपना काम निबटा कर घर लौट जाते हैं और इंदौर के दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को देखने के लिठकà¤à¥€ समय ही नहीं निकाल पाते हैं अतः आज हम सोचकर ही आये थे की इंदौर के कà¥à¤› दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की सैर आज कर ही ली जाठअतः सबसे पहले हम पहà¥à¤‚चे कृषà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¾ की छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर और वहां कà¥à¤› समय बिताया, आइये आपलोगों को à¤à¥€ बताती हूठइन सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•ों के बारे में.
कृषà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¾ की छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ (Cenotaphs), इंदौर के होलकर राजवंश के पूरà¥à¤µ शासकों की समाधियाठहैं. ये छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ इंदौर की खान नदी के किनारे पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं तथा वासà¥à¤¤à¥à¤•ला की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¤• उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हैं. सैकड़ों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ ये छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होलकर मराठा राजवंश के गौरवशाली ईतिहास की दà¥à¤¯à¥Œà¤¤à¤• हैं. मराठा वासà¥à¤¤à¥à¤•ला शैली में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ ये छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को बहà¥à¤¤ लà¥à¤à¤¾à¤¤à¥€ हैं तथा आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करती हैं. ये छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मालवा की शासिका महारानी कृषà¥à¤£à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ, महाराजा तà¥à¤•ोजीराव तथा महाराजा शिवाजीराव की समाधियों पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं तथा इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शासकों को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. इन छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¤à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ तथा गरà¥à¤à¤—ृह हैं, गरà¥à¤à¤—ृह में इन शासकों की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ अब हिनà¥à¤¦à¥‚ देवी देवताओं की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दी गई हैं.
इन छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बारे में अधिक जानकारी के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ के इस बोरà¥à¤¡ का चितà¥à¤° लगा रही हूठआप खà¥à¤¦ ही पढ़ लीजिये.
कà¥à¤› देर यहाठबिताने तथा पास ही में सà¥à¤¥à¤¿à¤• पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² में कार पारà¥à¤• करने के बाद हम लोग पैदल ही राजवाड़ा की ओर चल पड़े, वैसे राजवाड़ा यहाठसे पैदल दà¥à¤°à¥€ पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और जैसे मैंने बताया की राजवाड़ा के आसपास का बाज़ार इंदौर में शॉपिंग के लिठसबसे मशहूर जगह है अतः यहाठà¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रहती है.
वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से इंदौर तथा इसके आसपास रहने तथा अनगिनत बार राजवाड़ा के मारà¥à¤•ेट में शॉपिंग के लिठआते रहने के बावजूद हमने आज तक कà¤à¥€ राजवाड़ा को à¤à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से नहीं देखा था, वो कहते हैं ना दीया तले अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾……लेकिन आज हम घर से सोच कर ही निकले थे की आज इंदौर के कà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¥‡ को ही सही लेकिन à¤à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• की नज़र से देखना है, तो बस कृषà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¾ की छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देखने के बाद अब हमारा अगला पड़ाव था राजवाड़ा को देखना तथा यहाठके इतिहास  को समà¤à¤¨à¤¾.
à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• इमारतों को देखना तथा इनके इतिहास को समà¤à¤¨à¤¾ हम लोगों के लिठतो रà¥à¤šà¤¿à¤•र होता है लेकिन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को ये सब उबाऊ ही लगता है, खासकर शिवमॠकी उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को. जैसे ही हम छतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के इन सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•ों को देखने के बाद यहाठसे निकले शिवमॠने चैन की सांस ली. बहà¥à¤¤ देर से महाशय के पेट में कà¥à¤› गया नहीं था अतः जैसे ही सामने à¤à¤• नारियल पानी वाला दिखाई दिया, साहब दौड़ पड़े उस तरफ और उसके पीछे पीछे हम à¤à¥€ चल दिà¤. नारियल पानी उदरसà¥à¤¥ करने के बाद अब छोटे साहब थोडा कमà¥à¤«à¤°à¥à¤Ÿà¥‡à¤¬à¤² महसूस कर रहे थे.
पहले कà¤à¥€ राजवाड़ा को अनà¥à¤¦à¤° से देखना निःशà¥à¤²à¥à¤• हà¥à¤† करता था लेकिन अब यहाठà¤.à¤à¤¸.आई. के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾Â 5/- पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• लगा दिया गया है, और फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ या विडियो गà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करनी हो तो बीस रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ अलग से. हमें चूà¤à¤•ि यहाठतसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ खींचनी थीं अतः हमने फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ का चारà¥à¤œ à¤à¥€ जमा करवा दिया, मà¥à¤•ेश का कहना था की शायद हमने इससे पहले कà¤à¥€ किसी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² पर फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ के लिठशà¥à¤²à¥à¤• नहीं जमा करवाया अतः आज हम बिना किसी के डर के खà¥à¤²à¥‡ हाथों से और मसà¥à¤¤à¥€ में खूब फ़ोटोज़ खिंच रहे थे.
जिस तरह से चारमिनार हैदराबाद की, गेटवे ऑफ़ इंडिया तथा ताज महल होटल मà¥à¤‚बई की तथा इंडिया गेट दिलà¥à¤²à¥€ की पहचान हैं उसी तरह राजवाड़ा इंदौर का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करता है.राजवाड़ा होलकर शासकों का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महल तथा निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था तथा इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1747 में होलकर वंश के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤‚त मलà¥à¤¹à¤¾à¤° राव होलकर ने करवाया था. वे इस महल का उपयोग अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रूप में करते थे तथा सन 1880 तक वे यहीं रहे थे. यह विशालकाय तथा दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सात मंजिला à¤à¤µà¤¨ शहर के बीचोंबीच तथा शहर के à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤® à¤à¤¾à¤— खजूरी बाज़ार में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. इंदौर का यह à¤à¤¾à¤— आजकल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ इंदौर (जà¥à¤¨à¥€ इंदौर) कहलाता है. इसके ठीक सामने à¤à¤• सà¥à¤‚दर सा बगीचा है जिसके बिच में महारानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ होलकर की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° की ओर से देखें तो यह à¤à¤µà¤¨ किसी मायावी जादूगर के निषिदà¥à¤§ दà¥à¤°à¥à¤— के दà¥à¤µà¤¾à¤° के सामान दिखाई देता है. यह राजवाड़ा होलकर वंश के गौरव का जीता जगता उदाहरण है.
इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में मराठा, मà¥à¤—़ल तथा फà¥à¤°à¥‡à¤‚च वासà¥à¤¤à¥à¤•ला शैली का मिला जà¥à¤²à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª दिखाई देता है. राजवाड़ा के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के अधिकतर à¤à¤¾à¤— में लकड़ी का उपयोग किये जाने की वजह से अपने इतिहास में यह अब तक तीन बार जल चूका है. आखरी बार यह सन 1984 में आग की लपटों की à¤à¥‡à¤‚ट चढ़ा था जिसमें राजवाड़ा को अब तक का सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नà¥à¤•सान हà¥à¤† था, तथा अब इसे à¤à¤• गारà¥à¤¡à¤¨ का रूप दे दिया गया था. सन 2006 में इंदौर की ततà¥à¤•ालीन महारानी उषादेवी होलकर ने इसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ करवाने की योजना बनाई तथा उनके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से सन 2007 में यह फिर से बन कर खड़ा हो गया. यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ का पहला à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨ है जिसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ उसी सामगà¥à¤°à¥€, उसी शैली तथा उसी पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से किया गया है जिससे वह अपने वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª में पहली बार बनाया गया था.
वैसे तो बारिश का मौसम था, लेकिन अà¤à¥€ इधर मानसून का आगमन नहीं हà¥à¤† था और आज तो सà¥à¤¬à¤¹ से जब हम घर से निकले थे तब à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› लग नहीं रहा था की बारिश à¤à¥€ हो सकती है अतः हम बारिश से बचने के किसी à¤à¥€ साधन जैसे छाता या रेनकोट आदि साथ लेकर नहीं आये थे, लेकिन आज हमें यहीं राजवाड़ा के करीब के मारà¥à¤•ेट से ये सब चीजें खरीदनी ही थीं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज नहीं तो कल बारिश तो आनी ही थी अतः हमने राजवाड़ा में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ से पहले ही दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठरेनकोट à¤à¤µà¤‚ हमारे लिठछाते आदि ख़रीदे थे लेकिन हमें ये कतई पता नहीं था की आज ही इन चीजों की ज़रूरत पड़ने वाली है.
राजवाड़ा के बहार ही खड़े थे à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ की टिकिट खरीद रहे थे की तà¤à¥€ मौसम में अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ बदलाव होने लगे, आकाश में बादल छाने लगे à¤à¤µà¤‚ फिजां में ठंडी ठंडी हवाà¤à¤‚ à¤à¤¸à¥‡ चलने लगी जैसे ये मेघों का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ लेकर आई हों. अचानक बूंदाबांदी शà¥à¤°à¥‚ हो गई और थोड़ी ही देर में तेज बारिश होने लगी. हम बारिश तथा ठणà¥à¤¡ से बचने के लिठइधर उधर छà¥à¤ªà¤¨à¥‡ लगे तà¤à¥€ हमें खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया की हमने तो अà¤à¥€ अà¤à¥€ नठछाते à¤à¤µà¤‚ रेनकोट ख़रीदे हैं, बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ था आनन फानन में बैग खोला और नया छाता और रेनकोट निकाले. बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लगा की नई नई चीजों का मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ घर ले जाने से पहले ही हो गया.
कà¥à¤› देर राजवाड़ा के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¥‚तल पर घà¥à¤®à¤¨à¥‡, देखने तथा तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ लेने के बाद हम सीढियाठचढ़ कर पà¥à¤°à¤¥à¤® तल पर पहà¥à¤‚चे जहां पर लमà¥à¤¬à¥‡ चौड़े गलियारे तथा कई सारे à¤à¤°à¥‹à¤–े थे. राजवाड़ा के ठीक पीछे की तरफ इसी à¤à¤µà¤¨ से लगा, मलà¥à¤¹à¤¾à¤° राव होलकर तथा उनके परिवार का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था, तथा यहीं पर इसी परिसर में होलकर राजवंश के कà¥à¤²à¤¦à¥‡à¤µà¤¤à¤¾ मलà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मारà¥à¤¤à¤‚ड का मंदिर à¤à¥€ है. राजवाड़ा के उपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ का अवलोकन करने के बाद हमने उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सीढियों से निचे उतर कर पीछे की ओर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° से मà¥à¤–à¥à¤¯ महल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. इस महल को आजकल à¤à¤• छोटे से संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ का रूप दे दिया गया है जहाठइंदौर की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ महारानी पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¶à¥à¤²à¥‹à¤•ा देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ होलकर के जीवन से समà¥à¤¬à¤‚धित जानकारी देते विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤• विशाल पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ लगी हà¥à¤ˆ है.
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के बारे में बताये बिना इंदौर के बारे में कà¥à¤› लिखना अधà¥à¤°à¤¾ ही होगा. देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई इंदौर के सारे शासकों में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦, समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ तथा पूजनीय थीं, आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• इंदौर में à¤à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª यहाठके अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ विमान तल का नाम देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर इंटरà¥à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨à¤² à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ (DABHI) रखा गया है, तथा यहाठके विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का नाम à¤à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ (DAVV) इंदौर है.
मैं शà¥à¤°à¥‚ से ही अपने जीवन का आदरà¥à¤¶ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ होलकर को ही मानती हूà¤. उनमें कई सारे à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤£ थे जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• अलग पहचान देते हैं. वे à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ी शिव à¤à¤•à¥à¤¤ होने के साथ ही à¤à¤• कà¥à¤¶à¤² शासक à¤à¥€ थीं. आइये जानते हैं देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के बारे में.
महारानी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ इतिहास-पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सूबेदार मलà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤°à¤¾à¤µ होलकर के पà¥à¤¤à¥à¤° खंडेराव की पतà¥à¤¨à¥€ थीं. जनà¥à¤® इनका सनॠ1725 में हà¥à¤† था और देहांत 13 अगसà¥à¤¤ 1795 को; तिथि उस दिन à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ कृषà¥à¤£à¤¾ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ थ. अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ किसी बड़े à¤à¤¾à¤°à¥€ राजà¥à¤¯ की रानी नहीं थीं, उनका कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत सीमित था फिर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो कà¥à¤› किया, उससे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है.
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के जीवन के बारे में अधिक जानकारी के लिठइस लिंक को कà¥à¤²à¤¿à¤• करें – http://en.wikipedia.org/wiki/Ahilyabai_Holkar
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जनहित में किये गठकारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ तथा धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ मदिरों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° की संपूरà¥à¤£ जानकारी के लिठयहाठकà¥à¤²à¤¿à¤• करें – http://en.wikipedia.org/wiki/Ahilyabai_Holkar#Works_throughout_India
दस-बारह वरà¥à¤· की आयॠमें उनका विवाह हà¥à¤†, उनतीस वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में विधवा हो गईं. पति का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ चंचल और उगà¥à¤° था, वह सब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सहा. फिर जब बयालीस-तैंतालीस वरà¥à¤· की थीं, पà¥à¤¤à¥à¤° मालेराव का देहांत हो गया. जब अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ की आयॠबासठवरà¥à¤· के लगà¤à¤— थी, उनका à¤à¤•मातà¥à¤° वारिस दौहितà¥à¤° नतà¥à¤¥à¥‚ चल बसा. चार वरà¥à¤· बाद दामाद यशवंतराव फणसे न रहा और इनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ सती हो गई. दूर के संबंधी तà¥à¤•ोजीराव के पà¥à¤¤à¥à¤° मलà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤°à¤¾à¤µ पर उनका सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ था; सोचती थीं कि आगे चलकर यही शासन, वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ औऱ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤°à¤‚जन की डोर सà¤à¤à¤¾à¤²à¥‡à¤—ा; पर वह अंत-अंत तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दà¥à¤ƒà¤– देता रहा.
अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ ने अपने राजà¥à¤¯ की सीमाओं के बाहर à¤à¤¾à¤°à¤¤-à¤à¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में मंदिर बनवाà¤, घाट बà¤à¤§à¤µà¤¾à¤, कà¥à¤“ं और बावड़ियों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया, मारà¥à¤— बनवाà¤-सà¥à¤§à¤°à¤µà¤¾à¤, à¤à¥‚खों के लिठअनà¥à¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤° (अनà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°) खोले, पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के लिठपà¥à¤¯à¤¾à¤Š बनवाईं, मंदिरों में विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के मनन-चिंतन और पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ हेतॠकी। और, आतà¥à¤®-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा के à¤à¥‚ठे मोह का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करके सदा नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करती रहीं-मरते दम तक.
अपने जीवनकाल में ही इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जनता ‘देवी’ समà¤à¤¨à¥‡ और कहने लगी थी. इतना बड़ा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ जनता ने अपनी आà¤à¤–ों देखा ही कहाठथा. जब चारों ओर गड़बड़ मची हà¥à¤ˆ थी, शासन और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के नाम पर घोर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° हो रहे थे, पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤œà¤¨-साधारण गृहसà¥à¤¥, किसान मजदूर-अतà¥à¤¯à¤‚त हीन अवसà¥à¤¥à¤¾ में सिसक रहे थे उनका à¤à¤•मातà¥à¤° सहारा-धरà¥à¤®-अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, à¤à¤¯ तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ और रूढि़यों की जकड़ में कसा जा रहा था, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ में न शकà¥à¤¤à¤¿ रही थी, न विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤¸à¥‡ काल की उन विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ ने जो कà¥à¤› किया-और बहà¥à¤¤ किया वह चिरसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ है. इंदौर में पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ कृषà¥à¤£à¤¾ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ के दिन अहिलà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µÂ होता चला आता है।
अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ के संबंध में दो पà¥à¤°à¤•ार की विचारधाराà¤à¤ रही हैं à¤à¤• में उनको देवी के अवतार की पदवी दी गई है, दूसरी में उनके अति उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के साथ अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ और रूढ़ियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ट किया है. वह अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में पà¥à¤°à¤•ाश-किरण के समान थीं, जिसे अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ बार-बार गà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥‡ की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ करता रहा. अपने उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ विचारों à¤à¤µà¤‚ नैतिक आचरण के चलते ही समाज में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देवी का दरà¥à¤œà¤¾ मिला.
राजà¥à¤¯ की चिंता का à¤à¤¾à¤° और उस पर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ लोगों का वियोग, इस सारे शोक-à¤à¤¾à¤° को अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ का शरीर अधिक नहीं संà¤à¤¾à¤² सका और 13 अगसà¥à¤¤ सनॠ1795 को उनकी जीवन-लीला समापà¥à¤¤ हो गई. अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ के निधन के बाद तà¥à¤•ोजी इनà¥à¤¦à¥Œà¤° की गदà¥à¤¦à¥€ पर बैठा.
इंदौर राजवाड़ा की इस यादगार सैर के बाद शाम करीब छः बजे हम लोग इंदौर से अपने घर के लिठरवाना हो गà¤. आज के लिठबस इतना ही. अगली पोसà¥à¤Ÿ में आपको लेकर चलूंगी इंदौर के कà¥à¤› और दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की सैर पर………….आपकी अमूलà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ रहेगी.


































इस इमारत के बाहर से कई बार आना जाना हुआ है लेकिन अंदर जाकर तसल्ली से अभी तक देखा नहीं है,
आज काफी कुछ देख लिया है बेहतरीन लेख, सब कुछ समेटे हुए, इस सिटी के और भी स्थल देखने की अभिलाषा है दिखाते रहे
संदीप जी,
अगली बार जब भी जाएँ तो राजवाड़ा अन्दर से जरुर देखिएगा, सचमुच देखने लायक है. अब इस श्रंखला के माध्यम से समय समय पर इंदौर के महत्वपूर्ण स्थानों की सैर कराती रहूंगी.
धन्यवाद.
कविता जी बहुत सुंदर रजवाड़े के चित्र छत्रियां (यह तो गुम्बद लगते हैं इन्हें छत्री क्यों कहते हैं )
आईसीआईसीआई बैंक की दो तस्वीर क्या बात है पूर्ण विज्ञापन .
अहिल्याबाई होलकर के बारे में आपने एक बार पहले भी लिंक दिया था अच्छा लगा . इनको देवी या अवतारी जरूरी है
अब तो इंदौर जरूर देखना पड़ेगा
सर्वेश जी,
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. इन गुम्बदों को छत्रियां क्यों कहा जाता है यह तो अब तक मुझे भी नहीं पता है, जब मुझे पता चल जाएगा तो आपको भी ज़रूर बता दूंगी….वादा रहा.
रही बात विज्ञापन की, तो अब ऐसा लगता है की फोटो खींचने से पहले आसपास देखना पड़ेगा की फोटो में कोई शॉप, बैंक, होटल या रेस्टोरेंट तो नहीं आ रहा है. क्योंकि आजकल घुमक्कड़ पर विवाद खड़े करने वालों की कोई कमी नहीं है.
In Islamic Architecture we use the term, ‘Gumbad’ where as in Indian temple archi. ‘Chhatri’ (umbrella) is used. They are essentially in the same domain, so as to say.
मज़ा आ गया कविता जी, इंदौर के इतिहास के बारे में पढ़कर. अहिल्यादेवी तो एक महान महिला थीं ही इसमे कोई शक नही है.
विवरण भी आप ने बड़ी मेहनत से तैयार किया है, किसी प्रश्न की गुंजाइश ही नही बची
फोटोस बहुत अच्छे आये है… लगता है नये कैमरे का कमाल है ।
एस.एस. जी,
इस अनोखे अंदाज़ में तारीफ़ का शुक्रिया. आपके कमेन्ट के बिना हमारी पोस्ट अधूरी ही रहती है. आगे भी इसी तरह हौंसला अफजाई की गुज़ारिश है.
वैसे तो आपके लेखन का जबाब नही कविता जी पर आपके इस लेख का भी जबाब नही । आपने आज फोटोज और वर्णन दोनेा में बडी मेहनत से इंदौर की आन बान शान को दिखाया है और आपकी अब तक की पोस्टो में मुझे सबसे अच्छी ये लगी है । नये कैमरे ने भी अपना रोल जमकर निभाया है । बारिश भी साथ दे रही थी और रेनकोट ने भी अपना मूहूर्त शाट बढिया दिया । मै पहले ही कह चुका हूं कि मै इंदौर से सिर्फ निकलकर गया था तो आज आपने दोबारा जाने की इच्छा पैदा करा दी इस लेख के माध्यम से
मनु जी,
आपने तो इनती तारीफ़ कर दी की बस हम फुले नहीं सामान रहे हैं. जानकार बहुत प्रसन्नता हुई की आपको यह पोस्ट मेरी अब तक की पोस्ट्स में सबसे अच्छी लगी. अगली बार इंदौर से गुजरें तो कुछ वक़्त यहाँ भी बिताइए, छोटा लेकिन बड़ा सुन्दर शहर है.
Enjoyed the virtual tour of Rajwada, the palace of the Holkars of Indore. Maharani Ahilya Devi is one the greatest female rulers our country has ever had in its long history and it felt great to see pictures of places and things associated with her such as her unostentatious throne and the shrine where she must have offered her daily prayers to Lord Shiva. The pictures were also superb. Thanks a lot, Kavitajee.
डी. एल. जी,
इसमें दो राय नहीं है की देवी अहिल्या एक महान शासीका थीं, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है की वे बहुत धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. पुरे भारतवर्ष में तीर्थ स्थलों पर उनके द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य उल्लेखनीय हैं. एक बार वे बहुत बीमार पड़ी, वैद्य ने उन्हें दवाई गोलियां दीं, लेकिन उपवास (fast) होने के कारण उन्होंने वे गोलियां नहीं लीं, बल्कि शारीरिक कष्ट झेलना स्वीकार किया.
आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
Wonderful description, very nice photos. Will wait for your next post.
Thanks and regards
शर्मा जी,
मुक्तकंठ से की गई प्रशंसा के लिए आपकी आभारी हूँ. आपके कमेंट्स आजकल घुमक्कड़ पर लेखकों में नई उर्जा भरने का कार्य कर रहे हैं. उत्तम………
bahut hi achcha varnan hain. indor ke bare men achchi vistaar purvak aitihasik jankari di hain. photos men rajwara ki sundarta or aitihasikta dikh rahi hain. dhanyawaad, vandematram.
प्रवीण जी,
पोस्ट को पढने तथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
कविता जी….
इंदौर के बारे में अतिश्रम विस्तार से लिखा गया लेख मुझे बहुत पसंद आया |
लेख के माध्यम से इंदौर के बारे काफी कुछ जानने और देखने को मिला …..जैसे कृष्णपुरा कि छत्रिया , इंदौर की शान राजवाड़ा और इंदौर की शासक अहिल्यादेवी के बारे में…..| फोटो बहुत कमाल के और सुन्दर लगे….|
लिखते रहिये…..
धन्यवाद….|
रितेश जी,
आपकी इस विस्तृत तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
ये हुई दमदार पोस्ट , विवरण और विचारों से भरपूर | आपने इससे पहली के पोस्ट का कमी ज़रुरत से ज्यादा पूरी करी इसके लिए आपको १० बटा १० (लगता है रीलिटी शो ज्यादा देख रहा हूँ मैं) | बस एक बार इंदौर से निकल कर जाना हुआ था , इंतज़ार रहेगा इंदौर से बारे में और जानने का |
नंदन जी,
पोस्ट पढने तथा पसंद करने के लिए आभार. और रियलिटी शो देख रहे हैं तो 10 /10 से काम नहीं चलेगा, स्टेंडिंग ओवेशन देनी पड़ेगी. हा…हा…हा…
धन्यवाद.
lekhan sundar,photos atisundar,aur kya kahun kul milakar indour ghumna achchha laga,baki ghumakkaro ki tarah aap bhi apne varnan se mujhe indour ka live darshan karwa di.dhanywad.ek baat aur aapke nanhe natraj ke photo bare achchhe aaye hain.
राजेश जी,
सुन्दर शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. और आपको नन्हे नटराज के फोटो पसंद आये, मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है.
धन्यवाद.
कविता जी वाह !! आज अर्जुन ने गंडीव पर प्रत्यंचा चड़ा दी है जो कि किसी भी विवाद/विशाद/प्रमाद पर ज्ञान/संज्ञान रुपी प्रहार होगा. जिनवाह के विचार से आपका लेख ट्रैजर आईलैंड को प्रोमोट करना था उनका यह शक़-शुभा दूर् हो गया होगा. राकेश गोयलजी तथा सर्वेश विशिष्टजी कि भ्रांति दूर् हो गयी होगी ऐसी मैं आशा करता हूँ. अति उत्तम जानकारी तथा चित्रों का जवाब नहीं मानो 3-डी चित्र हों, खासकर कृष्णा हाल तथा राजवारा हाल. धन्यवाद व शुभ आशीर्वाद.
त्रिदेव जी ,
आपका तारीफ करने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा .ये मेरे लिए हर्ष का विषय हैं की आप को मेरी पोस्ट पसंद आई .आपने समय निकलकर पढ़ा उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
कविताजी ,
इंदौर राजवाड़ा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद्.
अहिल्याबाई के बारे में अच्छी जानकारी थी. उनको रूढ़िवादिता के साथ युक्त करने वालो को, मेरे विचार से यह समझना चाहिए कि उनका कार्यकाल सोलहवी शताब्दी में था और तब की विचारधाराओ का हम ३०० वर्ष के पार बैठकर सठीक आंकलन कतई नहीं कर सकते है. हम आज जिसे अन्धविश्वाश कहते है उन दिनों यही विश्वास का एक पहलू था. मेरे मत से उनकी महानता, उनकी निःस्वार्थ जनसेवा की भावना के लिए हम उन्हें हमेशा याद रखेंगे.
सभाग्रह की तस्वीर उम्दा है.
Auro.
औरोजित ,
आपने सही कहा की वह पुराने समय की बात हैं आज हर जगह परिवर्तन हुआ हैं तो विचारो में बदलाव तो आना ही था .
आपने पोस्ट को पढ़ा और अपने विचार रखे . उसके लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया .
पहली बार इंदौर के बारे में कुछ नया जानने को मिला. रजवाड़े के फोटो बहुत ही अच्छे लग रहे हैं.
कविता जी,
मुझे आश्चर्य है कि मुझसे यह पोस्ट कैसे छूट गई। मैने ट्रेज़र आइलैंड, वैष्णोदेवी मंदिर वाली पोस्ट तो कई महीने पहले पढ़ी थीं। आज जब इंदौर के लिये रिज़र्वेशन कराया तो फिर आपकी इस श्रृंखला की याद आई और आ बैठा। इंदौर पहुंचने में अभी पूरा एक महीना है पर आपकी स्पार्क में मैं भी सब घूम आया हूं आज ही ! यह पोस्ट निश्चय ही बहुत महत्वपूर्ण है। सच कहूं तो मैं ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक स्थल देखने की आशा में यहां आया था। मॉल वगैरा तो हर शहर में मिल ही जाते हैं, उनको देखने का इतना अधिक आकर्षण नहीं है। कुछ ऐसे स्थल जो इंदौर की आत्मा का परिचय दे सकें – जैसे राजवाड़ा, छप्पन दुकान, छतरियां आदि के बारे में जानकारी चाहता था, सो मिल गई । आपका हार्दिक आभार । वैसे आजकल आप घुमक्कड़ से गायब क्यों हैं? पारिवारिक व्यस्तता या ये तूफान लाने से पहले की शांति है? :)
mam , seriously pic. kamal k hai aur apne jo jankare de wo bhe . ap kidi gye esh jankari k bad mai indore jrur ghumna chahuge
शिवा,
पोस्ट को पसंद करने तथा इतनी सुन्दर टिप्पंणी के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। अतुल्य भारत के ह्रदय स्थल मध्य प्रदेश की शान इन्दौर में आपका स्वागत है।
आभार…
and mam thank uuuuuuuuuuuuuuuuu soooooo much
कविता जी मैं इंदौर से ही हूà¤à¥¤à¤†à¤ªà¤•ा बà¥à¤²à¥‰à¤— बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ हैं।
Hi,
Very interesting post actually….!!
Bahut hi sundar location aur pictures hain.
Regards
Sakshi
Wow this is amazing location, Thank you for sharing it.
i love your post, i visit Indore 5 month ago, also i visit mahakaleshwar temple mp is a great state of india
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