बाइक से यातà¥à¤°à¤¾ करना हमेशा से मà¥à¤à¥‡ रोमांचित करता है, मà¥à¤à¥‡ जब à¤à¥€ मौका मिलता है मैं कही न कही, कà¤à¥€ अकेले तो कà¤à¥€ किसी साथ घूमने के लिठनिकल जाता हूà¤à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• दिन मई के महीने में ऑफिस मे बैठा था। दिलà¥à¤²à¥€ में गरà¥à¤®à¥€ खूब जोरो की पड़ रही थी और मेरा मन कही घूमने जाने के लिठबà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो रहा था। मेरी पिछली बाइक यातà¥à¤°à¤¾, दिलà¥à¤²à¥€ से हाटॠपीक नारकंडा की मारà¥à¤š के महीने में हà¥à¤ˆ थी उसके बाद ऑफिस में बà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ रहने के कारण कही जा नहीं पाया था।
मई महीने के शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में मेरे ऑफिस में à¤à¤• दोसà¥à¤¤ ने नई बजाज की à¤à¤µà¥‡à¤‚जर 150 बाइक ख़रीदी। मैंने उसे बधाई दिया और बोला की तà¥à¤® बाइक को कम से काम 500 किलोमीटर चला लो फिर पहली सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ कराके कही घूमने चलेंगे।
मेरे दोसà¥à¤¤ ने à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में ही 500किलोमीटर चला के बाइक की सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¤¿à¤‚ग करा लिया। मेरे पास à¤à¥€ बजाज की पलà¥à¤¸à¤° 150 है और उसकी à¤à¥€
सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¤¿à¤‚ग मैंने पहले ही करा लिया था। अब दो बाइक पर हम चार लोग घूमने जाने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤
मेरी बाइक पर मेरे साथ अज़ीम अहमद और फ़ारूक़ की बाइक पर उसके साथ अनिल कà¥à¤®à¤¾à¤° जोकि साथ में ही काम करते है, घूमने जाने के लिठबिचार बनाये।
बाइक से घूमने जाने में दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ का थोड़ा डर तो लगा रहता है इसलिठमेरे घरवाले à¤à¥€ मना करते है लेकिन बाइक से घूमने के फायदे à¤à¥€ बहà¥à¤à¤¤ है। जब जहाठमन किया रà¥à¤• गà¤, जब मन किया चल दिà¤, बाइक पर बड़े आराम से हर कचà¥à¤šà¥‡-पकà¥à¤•े रासà¥à¤¤à¥‡ के ऊपर आसानी से चला जा सकता है। जहा कार नहीं जा सकती वहां à¤à¥€ बाइक आसानी से चली जाती है, खरà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ कम आता है और पहाड़ी जगहों पर तो घूमने के लिठबाइक उतà¥à¤¤à¤® साधन है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि टैकà¥à¤¸à¥€ काफी महंगी पड़ती है और बस की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हर जगह समय पर उपलबà¥à¤§ नहीं होती है।
पहले हमने नैनीताल जाने के लिठसोचा लेकिन छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ सिरà¥à¤« दो दिनों की थी तो फिर यह तय हà¥à¤† की धनोलà¥à¤Ÿà¥€ घूमने चलते है।
शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° 13 मई 2016 को शाम के 7:30PM हमने अपनी यातà¥à¤°à¤¾ मोहन à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ मथà¥à¤°à¤¾ रोड जोकि हमारा ऑफिस है, से शà¥à¤°à¥ किया। थोड़ा सा आगे बढ़ते ही सरिता विहार के परटà¥à¤°à¥‹à¤² पंप पर हमने अपनी बाइक की टंकी फà¥à¤² करवा के नोà¤à¤¡à¤¾ से होते हà¥à¤ गाज़ियाबाद के लिठनिकले।
मौसम बहà¥à¤¤ ही गरà¥à¤® था और ऑफिस से छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ होने का समय होने के कारण हर तरफ जाम लगा हà¥à¤† था। किसी तरह जाम से निकल के अà¤à¥€ हम गाज़ियाबाद के थोड़ा पहले ही पहà¥à¤šà¥‡ थे की मेरी बाइक की हेडलाइट जलना बंद हो गयी।
चारो तरफ अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था, फ़ारूक़ और अनिल à¤à¤µà¥‡à¤‚जर बाइक पर कही पीछे थे और मैं, अज़ीम के साथ बाइक रोड के किनारे खड़ी करके उन दोनों के आने का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर बाद जब वो दोनों आ गठतो फ़ारूक़ की बाइक के हेडलाइट की रौशनी के सहारे हमने फिर से अपनी यातà¥à¤°à¤¾ आरमà¥à¤ किया।
फ़ारूक़ मेरी परेशानी का पूरा फायदा उठा रहा था और कà¤à¥€ कà¤à¥€ वो अपनी बाइक की लाइट बंद कर देता जिससे मैं पूरी तरह से अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में डूब जाता।
कà¥à¤› दूर चलने के बाद à¤à¤• जगह रासà¥à¤¤à¥‡ पर सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤Ÿ लाइट जल रही थी तो मैंने बाइक की हेडलाइट की जाà¤à¤š करने के लिठरोका। हेडलाइट की जाà¤à¤š करने से पता चला की à¤à¤• तार उसका ढीला था तो मैंने उसे सही किया और फिर हम अपनी मंजिल की तरफ चल दिये।
रात में मà¥à¤œà¥à¤œà¤«à¤°à¤¨à¤—र के पास चीतल गà¥à¤°à¥ˆà¤‚ड रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में हमने रà¥à¤• कर खाना खाया और थोड़ी देर आराम किया फिर देहरादून के लिठचल दिà¤à¥¤ अà¤à¥€ हम थोड़ा ही दूर चले थे की अचानक बारिश की बà¥à¤à¤¦à¥‡ गिरने लगी, à¤à¤• तो गरà¥à¤®à¥€ का समय ऊपर से ये बारिश की बà¥à¤à¤¦à¥‡, à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे गरà¥à¤® पानी ऊपर से गिर रहा हो।
तà¤à¥€ सड़क के किनारे हमे à¤à¤• बंद दà¥à¤•ान दिखी तो हमने बाइक को किनारे लगाके के उस दà¥à¤•ान के बरामदे में चले गà¤. थोड़ी देर बाद जब बारिश बंद हो गयी तो फिर हमने अपनी यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया. रात के 1 बज रहे थे जब हम छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° पहà¥à¤šà¥‡ और सड़क के किनारे à¤à¤• चाय की दà¥à¤•ान पर रà¥à¤•े. हमने चार चाय का आरà¥à¤¡à¤° दिया और आपस में बात करने लगे तà¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ की गाड़ी वहाठसे गà¥à¤œà¤°à¥€à¥¤ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले गाड़ी से उतरके हमारे पास आये और हमसे पूछना शà¥à¤°à¥‚ किया की कौन हो, रात में कहा घूम रहे हो आदि। हमने बताया की हम दिलà¥à¤²à¥€ से घूमने के लिठनिकले है और देहरादून जा रहे है तब वो हमारे पास से चले गà¤.
थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने देहरादून के लिठपà¥à¤°à¤¶à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया. सà¥à¤¬à¤¹ के 4 बज रहे थे जब हम देहरादून पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ वहाठपर हमनें à¤à¤• होटल में 800 रूपये में कमरा लिया और फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होके थोड़ी देर के लिठसो गà¤.
सà¥à¤¬à¤¹ के 8 बज रहे थे जब हमने होटल का रूम छोड़ा और सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के लिठनिकले।
“सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• खूबसूरत और लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, जो देहरादून से लगà¤à¤— 11 किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ ‘हजार गà¥à¤¨à¤¾ वसंत’ है। सà¥à¤‚दर à¤à¤°à¤¨à¤¾ लगà¤à¤— 9 मीटर गहरा है। बालà¥à¤¦à¥€ नदी और उसके आसपास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤«à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, इस जगह की सà¥à¤‚दरता को जोड़ती हैं, और इसे à¤à¤• आदरà¥à¤¶ पिकनिक सà¥à¤¥à¤² बनाती हैं। जगह की अदà¥à¤à¥à¤¤ आà¤à¤¾ मानसून के दौरान कई गà¥à¤¨à¤¾ बढ़ जाती है, यहां बहता हà¥à¤ पानी की धारा जीवन शकà¥à¤¤à¤¿ और ऊरà¥à¤œà¤¾ के साथ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¤ होती है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि, सलà¥à¤«à¤° की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के कारण इस à¤à¤°à¤¨à¥‡ के पानी में औषधीय गà¥à¤£ हैं। तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोगों से पीड़ित लोग इस जगह पर जाà¤à¤, अपने रोगों के इलाज के लिठà¤à¤°à¤¨à¥‡ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करें। सलà¥à¤«à¤° के अलावा, पानी में चूना à¤à¥€ शामिल है, जिसकी वजह से गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚ बन जाती हैं।” साà¤à¤¾à¤° इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ.
सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ में अंदर घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही 10 रूपये/बाइक à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ फीस लगती है जो हमने दिया और अंदर चले गà¤. वहाठजाकर हमने बाइक को à¤à¤• दà¥à¤•ान के आगे खड़ा किया और दà¥à¤•ान वाले से दो लॉकर किराये पर लिया (50 रूपये à¤à¤• लाकर ). अपना बैग और सामान लाकर के अंदर रखने के बाद हमने दà¥à¤•ान वाले को चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ के लिठबोला और पानी में नहाने के लिठचले गà¤.
अंदर पानी बहà¥à¤¤ ही ठंडा था और वहाठपर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो ने जगह-जगह दिवार बनायी थी इसलिठवह किसी सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल की तरह दिख रहा था.
थोड़ी देर नहाने के बाद हम लोगो ने सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ किनारे बैठके चाय और परांठे खाये। वहाठकरीब à¤à¤• घंटे और नहाने के बाद हमलोग वहाठसे गà¥à¤šà¥à¤šà¥‚पानी जोकि रॉबरà¥à¤¸ केव के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है, के लिठनिकले।
गà¥à¤šà¥à¤šà¥‚पानी पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के बाद हमने अपनी बाइक को पारà¥à¤•िंग में खड़ा किया और अंदर की तरफ चल दिà¤à¥¤ आगे à¤à¤• दà¥à¤•ान पर लॉकर और चपà¥à¤ªà¤² (चपà¥à¤ªà¤² पानी के अंदर पहन कर जाने के लिà¤, लाकर 50 रूपये और चपà¥à¤ªà¤² 10 रूपये) किराये पर लिया और अपना सारा सामान उसके अंदर रख कर दà¥à¤•ान के सामने की तरफ चल दिà¤à¥¤
गà¥à¤šà¥à¤šà¥‚पानी पानी से à¤à¤•दम ठंडा पानी बहता हà¥à¤† बाहर की तरफ निकल रहा था और उसमे दà¥à¤•ानदारो ने कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ और मेज डाला हà¥à¤† था. हम à¤à¥€ जाकर à¤à¤• जगह कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बैठगठऔर दà¥à¤•ानदार को मैगà¥à¤—ी बनाने को बोल दिया।

Maggie at Guchupani
हम कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बैठे थे, और निचे घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹ तक ठंडा पानी बह रहा था, ऊपर से गरमा-गरम मैगà¥à¤—ी खाने का आनंद को शबà¥à¤¦à¥‹ में बताना बहà¥à¤¤ ही मà¥à¤¶à¥à¤•िल है, उसे सिरà¥à¤« महसूस ही किया जा सकता है. थोड़ा समय वहाठबिताने के बाद हम लोग अंदर गà¥à¤«à¤¾ की तरफ चलने लगे. जैसे-जैसे हम अंदर जा रहे थे à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे हम अपनी शहरोठकी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को छोड़ के à¤à¤•दम वीराने में आ गठहो. अंतिम में जाकर हमे à¤à¤• साफ पानी का à¤à¤°à¤¨à¤¾ मिला जो की बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° था.

Guchupani Cave

A Small Waterfall in End inside Guchupani
थोड़ी देर गà¥à¤šà¥à¤šà¥‚पानी में रà¥à¤•ने के बाद हम लोग मंसूरी के लिठनिकल पड़े. बाइक से पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‹ पर चलने में बहà¥à¤¤ ही आनद आ रहा था, रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• जगह बहà¥à¤¤ ही à¤à¤¯à¤‚कर जाम लगा हà¥à¤† था लेकिन बाइक पर होने के नाते हमे कोई दिकà¥à¤•त नहीं हà¥à¤ और हम उसे आराम से पार कर गà¤. बीच में ही à¤à¤• जगह और रà¥à¤• के हमने कà¥à¤› खाया-पिया और बाइक में परटà¥à¤°à¥‹à¤² डलवाया.
मंसूरी पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के बाद हम सीधे कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फालà¥à¤¸ की तरफ चले गà¤. चारो तरफ जाम ही जाम लगा हà¥à¤† था लेकिन बाइक पर होने की वजह से हम आसानी से कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फालà¥à¤¸ पहà¥à¤šà¥‡. वहाठहमने बाइक को रोड के किनारे पारà¥à¤•िंग में खड़ा किया और कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फालà¥à¤¸ की तरफ जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ देखने लगे.
मà¥à¤–à¥à¤¯ रासà¥à¤¤à¥‡ से कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फालà¥à¤¸ जाने के लिठदो तरीके है, पहला ऊपर रोड से लेकर फालà¥à¤¸ तक सीढिंया बनी हà¥à¤ˆ है और दूसरा रोपवे से जाया जा सकता है.

Kampty Fall
हम लोगो ने सीढ़ियों वाला रासà¥à¤¤à¤¾ लिया और कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फालà¥à¤¸ जा पहà¥à¤šà¥‡. वहाठका नजारा तो बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ था लेकिन चारो तरफ गंदगी फैली हà¥à¤ थी, पानी à¤à¥€ बहà¥à¤¤ गनà¥à¤¦à¤¾ हो रखा था इसलिठहमलोग नहाने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं कर पाठऔर थोड़ी देर घूमने के बाद वापस अपनी बाइक के पास आ गà¤.
ऊपर आकर हमने देखा की यहां फिर से बहà¥à¤¤ ही à¤à¤¾à¤°à¥€ जाम लगा हà¥à¤† है, चारो तरफ सिरà¥à¤« गाड़ियों के इंजन और हॉरà¥à¤¨ की आवाजे आ रही थी. हम लोग à¤à¥€ वहाठकरीब à¤à¤• घंटे तक फॅसे रहे फिर किसी तरह वहाठसे बाहर निकल पायें. वापस मंसूरी शहर में आने के बाद, हमने कà¥à¤› और जगहो को घूमा।
अब शाम हो चà¥à¤•ी थी और समय था रात में कही रà¥à¤•ने के लिठहोटल खोजने का. à¤à¤• तो गरà¥à¤®à¥€ का समय ऊपर से लंबा सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¾à¤‚त होने के कारण, या तो होटल à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ थे या फिर किराया बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था. फिर हमने कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो से पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमे à¤à¤• जगह होटल बताया. जब हम वहाठपहà¥à¤šà¥‡ तो à¤à¤• बड़ा कमरा खाली था जिसमे दो डबल बेड लगे हà¥à¤ थे. हमने 1200 रूपये में वो कमरा किराये पर ले लिया और अंदर जाकर आराम करने के लिठथोड़ी देर बिसà¥à¤¤à¤° पर लेट गà¤à¥¤

View from Hotel to Mussoorie
रात के 9 बज रहे थे जब वेटर ने दरवाजा खटखटाया और रात के à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठपूछा, चूà¤à¤•ि होटल में नॉन-वेज नहीं बनता था इसलिठहमने होटल में खाना खाने के लिया मना कर दिया और सोचा की बाहर खाना खायà¤à¤—े।
दिन à¤à¤° घूमने और बाइक चलाने के कारण हम सà¤à¥€ थक गठथे इसलिठअज़ीम और फ़ारूक़ ने बाहर जाने से मना कर दिया इसलिठमैं और अनिल माल रोड पर खाना लेने के लिठचले गà¤. माल रोड पर हर समय बहà¥à¤¤ ही चहल -पहल रहती है इसलिठहमलोग à¤à¥€ थोड़ी देर वहाठपर घूमे फिर à¤à¤• खाने की दà¥à¤•ान से हमने नॉन-वेज खाना पैक करवाया और होटल चले आये.
यहाठअज़ीम और फ़ारूक़ सोये हà¥à¤ थे तो हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उठाया और हाथ-मà¥à¤à¤¹ धोके सब लोग खाने के लिठबैठगà¤. खाना बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था और इतनी थकावट के बाद खाना खाने का मजा आ गया।
थोड़ी देर आपस में बातचीत करने के बाद सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठने का सोच के हम लोग सो गà¤.
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ के 6 बजे हमने होटल छोड़ दिया और धनोलà¥à¤Ÿà¥€ के लिठनिकल गà¤. मंसूरी शहर को पार करने के बाद à¤à¤• जगह सड़क के किनारे हम नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिठरà¥à¤•े. हमने दà¥à¤•ानदार को परांठे और चाय बनाने के लिठबोला और ढाबे के छत पर चले नज़ारे देखने के लिठगà¤. ढाबे की छत से बाहर का दृशà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° था, चारो तरफ तक दूर दूर तक फैली हà¥à¤ˆ पहाड़िया थी और हमारा मन तो यही कर रहा था की यही रà¥à¤• जाये। थोड़ी देर बाद जब परांठे तैयार हो गठतो हम नीचे आठऔर परांठे का नाशà¥à¤¤à¤¾ किया. परांठा बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था और साथ में दही और अचार के साथ तो मजा ही आ गया.

On the way to Dhanaulti
मंसूरी से धनोलà¥à¤Ÿà¥€ गाड़ी चलना बहà¥à¤¤ ही रोमांचक था, टेढ़ी-मेढ़ी पहाड़ियों के बीच बाइक को सरपट चलना हमे रोमांच से à¤à¤° देता था, रासà¥à¤¤à¥‡ के नज़ारे हर कदम पर बदल रहे थे और हम हर दो – चार किलोमीटर चलने के बाद रà¥à¤•कर नजारो का दीदार कर रहे थे. इसी के बीच में à¤à¤• जगह रà¥à¤• कर हमने थोड़ी दूर तक टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग à¤à¥€ किया.

Small Trekking Near Dhanaulti
इस तरह से चलते-चलते सà¥à¤¬à¤¹ के 9:00AM हम लोग धनोलà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤šà¥‡. मौसम वहाठका बहà¥à¤¤ ही खूबसूरत था. थोड़ी देर इधर-उधर घूमने के बाद हमलोग इको पारà¥à¤• पहà¥à¤šà¥‡. बाइक हमने पारà¥à¤• के सामने खड़ा किया और टिकट लेकर अंदर चले गà¤.

ECO Park
पारà¥à¤• के अंदर घूमने के लिठकà¥à¤› खास नहीं था लेकिन वहाठसे धनोलà¥à¤Ÿà¥€ के नज़ारे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ दिख रहे थे. चारो तरफ हरियाली थी और ठंडी हवा गरà¥à¤®à¥€ के मौसम में अमृत की तरह लग रही थी.

View from ECO Park

Way to Tapovan
पारà¥à¤• में हम लोगो ने करीब 2 घंटे गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‡, दिन के 11 बज रहे थे और अब हमे दिलà¥à¤²à¥€ के लिठनिकलना था. पहले सोचा की चमà¥à¤¬à¤¾ – नरेंदà¥à¤°à¤¨à¤—र – ऋषिकेश होते चलते है लेकिन समय का अà¤à¤¾à¤µ होने के नाते हमने देहरादून – सहारनपà¥à¤°- शामली – बागपत- दिलà¥à¤²à¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ा.
देहरादून से निकलते ही à¤à¤• जगह रासà¥à¤¤à¥‡ में सà¥à¤°à¤‚ग के दोनों तरफ बहà¥à¤¤ ही लंबा जाम लगा हà¥à¤† था, 5 -6 किलोमीटर तक दोनों तरफ गाड़िया रà¥à¤•ी हà¥à¤ थी लेकिन बाइक पर होने के नाते हम लोग वहाठसे आसानी से बाहर निकल आये.
उसके बाद हमने सहारनपà¥à¤°- शामली – बागपत- दिलà¥à¤²à¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ा, à¤à¤•-दो जगहों को छोड़ के सड़क बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ थी और गाड़ियों की आवा-जाही à¤à¥€ कम थी. हम लोग आराम से 80-90 KMPH के रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चल रहे थे. रासà¥à¤¤à¥‡ में हर थोड़ी देर पर 15 मिनट के रà¥à¤•ते और निरà¥à¤œà¤²à¥€à¤•रण (Dehydration) से बचने के लिठसमय-समय पर पानी पी रहे थे.
शाम होते-होते हम लोग बागपत पहà¥à¤à¤šà¥‡, अब थोड़ी-थोड़ी à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी लेकिन कà¥à¤› खाने का मन नहीं कर रहा था. तà¤à¥€ हमे सड़क के किनारे à¤à¤• जगह तरबूज बिकता दिखा. हमने गाड़ी रोकी और à¤à¤• 5 किलो का तरबूज खरीद लिया. थोड़ा और आगे चलने पर à¤à¤• जगह बाग में पानी का टà¥à¤¯à¥‚बेल चल रहा था तो हमने गाड़ी फिर रोका, हाथ-मà¥à¤à¤¹ धोये और बाग़ के किनारे बैठके तरबूज खाया. उस गरà¥à¤®à¥€ में तरबूज ने हमे बहà¥à¤¤ ही आराम पहà¥à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ और उसके बाद सीधे बिना कही रà¥à¤•े हम दिलà¥à¤²à¥€ के लिठचल दिà¤.
रात के 8 बजे के आस-पास हम सब अपने-अपने घर पहà¥à¤š गà¤. इस पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में à¤à¤•-à¤à¤• बà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दिलà¥à¤²à¥€ से दिलà¥à¤²à¥€ तक 2 हजार रूपये खरà¥à¤šà¤¾ हà¥à¤†.
संगम जी
इस बार तो आपका पोस्ट पिछले पोस्ट से भी ज्यादा सुन्दर और विस्तृत है. मोटरसाइकिल ले कर आपका अचानक घूमने का अंदाज़ भी बड़ा निराला है. परन्तु मोटरसाइकिल चलाते वक़्त ध्यान रखने की ख़ासी जरूरत है. रात्रि के अँधेरे में बिना हेडलाइट के चलाना एडवेंचर-पूर्ण तो है, परन्तु उचित नहीं. धीरे-धीरे आप देखेंगे कि दूर-गामी गाड़ियाँ ज्यादा निश्चिंतता से चलतीं हैं. इसीलिए मैं तो यही गुज़ारिश करूंगा कि एक दूर-गामी पथिक के रूप में सोचिये.
आपकी यात्राओं के बारे में भविष्य में और भी पढ़ने को मिले यही कामना करता हूँ.
धन्यवाद
उत्साह वर्धन के लिये धन्यवाद उदय जी, मैं रात में गाड़ी बड़े आराम से ही चलता हु. जब मेरी बाइक की लाइट बंद हो गयी तो मैंने गाड़ी रोक दिया और अपने दूसरे साथी की इंतजार करने लगा. जब वो आ गया तब उसके लाइट के सहारे मुश्किल से 1 किलोमीटर चला तभी एक जगह स्ट्रीट लाइट जल रही थी और वहां बाइक रोक कर लाइट सही कर लिया.
मैंने घूमना अभी इसी साल जनवरी से ही शुरू किया है, इसलिए अभी ज्यादा तो नहीं घूम पाया लेकिन जहां भी गया हु उसका भी विवरण जल्दी ही पोस्ट करूँगा.
I had similar thoughts as Uday. One should take additional precaution when one is on a two wheeler.
Seems like you and your friends had good fun. Wishing you many more travels.
Thank You Nandan Sir…
We’ve really enjoyed each and every bit of this trip…