पहली बार बाइक पे जाना था तो रूट à¤à¥€ कà¥à¤šà¥à¤› अलग चà¥à¤¨à¤¾ – फरीदाबाद >> देलà¥à¤²à¥€ >> गाजिआबाद >> मेरठ>> मवाना बाई-पास >> मीरापà¥à¤° >> बिजनौर >> नजीबाबाद >> कोटदà¥à¤µà¤¾à¤°
कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° >> नजीबाबाद >> चांदपà¥à¤° >> गजà¥à¤°à¥Œà¤²à¥à¤²à¤¾ >> गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° >> पिलखà¥à¤† >> देलà¥à¤²à¥€ >> फरीदाबाद
ऑफिस से हाफ डे लिया, और गाजिआबाद आधे घंटे में पहà¥à¤š गया! मेरे पास CB Twister है, 110 CC, अचà¥à¤›à¥€ pick-up, दो पहिये वाहन को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तेज़ चलाना मैं पसंद नहीं करता, सो 70 की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° काफी थी, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ टà¥à¤°à¤¾à¤«à¤¿à¤• नहीं था सो देलà¥à¤²à¥€ से डेढ़ घंटे में मैं मेरठके बाई-पास पहà¥à¤š गया! रासà¥à¤¤à¥‡ में मोदीनगर के आस पास सड़क कही कही खराब मिली, बाकि तो ठीक ही थी! मवाना की तरफ जाने के लिठमेरठशहर से न होते हà¥à¤ मैंने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठबाई-पास वाली रोड पकड़ी और तीसरे फà¥à¤²à¤¾à¤ˆÂ ओवर के निचे से सीधे हाथ को मेरठकेंट की ओर मà¥à¤¡ गया, फिर मेरठके गंगा नगर इलाके से होते हà¥à¤ मवाना रोड पे पहà¥à¤š गया! इस रसà¥à¤¤à¥‡ से मà¥à¤à¥‡Â मेरठबस अडà¥à¤¡à¥‡ और बेघà¥à¤® पà¥à¤² जाने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं पड़ी जोकि à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ वाला इलाका है, सो समय à¤à¥€ काफी बच गया! मवाना रोड पे पहà¥à¤š कर मैंने पहला सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª लिया और à¤à¤• Thumbs-up पी!5 मिनट से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं रà¥à¤•ा होऊंगा, फिर बाइक उठाई और कà¥à¤šà¥à¤› ही मिनटों में मवाना बाई-पास रोड पे था, फिर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आया à¤à¤• फोटो लेने का, यहाठसे बिजनौर 48 किलो मीटर था!
मवाना बाई-पास ख़तम होने तक यह 41 km ही शेष बचा था!
बिजनौर जाते हà¥à¤ रसà¥à¤¤à¥‡ में मीरापà¥à¤° पड़ता है! यहाठकà¥à¤šà¥à¤› होटल/ढाबे हैं, जहाठखाने पिने के लिठबसà¥à¤¸à¥‡à¤‚ रूकती हैं! à¤à¤• तीरह आता है, सीदà¥à¤§à¥‡ रोड मà¥à¤œà¥à¤œà¤¼à¤«à¤° नगर को जाती है जो की 31 km है वहां से, और अगर दायें हाथ को मà¥à¤¡ जाओ तो 26 km चलके बिजनौर आ जायेगा! मैं दायें मà¥à¤¡ गया!
दायें मà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ ही à¤à¤• होटल दीखता है नाम है Monti millions, यहाठरà¥à¤•ा à¤à¤• फ़ोन करना था, होटल में बागीचा बड़ा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लगा!
बिजनौर की तरफ चलते ही मौसम और हवा में फरà¥à¤• महसूस होने लगा! गंगा जी के जो दरà¥à¤¶à¤¨ होने वाले थे! बिजनौर में दाखिल होने से पहले गंगा जी का बैराज पà¥à¤² पड़ता है! यहाठसे बिजनौर 11 km और नजीबाबाद 46 km रह जाता है! इस गंगा सेतॠका नाम है चौधरी  चरण सिंह मधà¥à¤¯ गंगा बैराज! लगà¤à¤— 2 मिनट यहाठरà¥à¤• कर गंगा जी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया! फिर आगे बढ़ गया बिजनौर को!
बिजनौर में दाखिल होते ही लगा की पहà¥à¤š गà¤! यहाठकाफी कà¥à¤šà¥à¤› बदल गया है पहले से! अब तो à¤à¤• srs multiplex à¤à¥€ खà¥à¤² गया है यहाà¤! नजीबाबाद के लिठsrs के सामने से ही बायीं तरह मà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¤¾ पड़ता है! Valentine day था उस दिन पर इन शहरों में इस दिन का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं दिखता, न हाथो में हाथ डाले जोड़े और नाही फूलो से सजी दà¥à¤•ानें ही दिखी! वैसे में खà¥à¤¦ इस दिन में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸Â नहीं रखता, मेरे तो सब दिन मेरे अपनों के लिठहैं न की कोई à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ दिन!
नजीबाबाद से पहले किरतपà¥à¤° पड़ता है! नजीबाबाद में दाखिल होने से पहले दायीं तरह के छोटी सी नहर दिखती है, à¤à¤• पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पमà¥à¤ª à¤à¥€ है, यहाठसे कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° 27 km रह जाता है! इस नहर के साथ और पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पà¥à¤®à¤ª की बगल से à¤à¤• सड़क गयी है, यह कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठबाई-पास है! मैं इसी पे हो लिया!
डेढ़ बजे दिलà¥à¤²à¥€ से चला साढ़े पाà¤à¤š बजे नजीबाबाद पंहà¥à¤šà¤¾!. यहाठमेरा ददिहाल à¤à¥€ है और मेरी ससà¥à¤°à¤¾à¤² à¤à¥€! मैं घर पंहà¥à¤šà¤¾, थका नहीं था, पर नहाकर ताज़ा होने का मन किया! बाइक पे धà¥à¤² मिटटी से नहीं बच पते हैं, पर कà¥à¤šà¥à¤› à¤à¥€ कहो मजा पूरा आता है! मेरा इस तरह अचानक पहà¥à¤šà¤¨à¤¾ बीवी के लिठअचà¥à¤›à¤¾Â surprise था! फिर उस दिन की समापà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ से रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾ में à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ से dinner के साथ की!
अगले दिन मेरे साले साब के साले साब आये हà¥à¤ थे! बस हम तीनो ने पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° पिकनिक का! A Boyz day out. पिचà¥à¤›à¤²à¥€ बार मैं जब आया था तो अपनी कार यहीं छोड़ गया था, जिसके आà¤à¤¾à¤µ में मà¥à¤à¥‡ इस बार बाइक पे आना पड़ा था! मैंने अपनी कार ( ritz) उठाई और तीनो निकल पड़े कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° की ओर! कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही हमने खाने के लिठसामन लिया और à¤à¤• बड़ी कोलà¥à¤¡à¥à¤°à¤¿à¤‚क के साथ निकल पड़े पहाड़ो की तरफ!
कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° जाओ और सिधà¥à¤¬à¤²à¥€ और दà¥à¤°à¥à¤—ा देवी मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ न करो तो कà¥à¤¯à¤¾ कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° गà¤! हमने à¤à¥€ पहले दà¥à¤°à¥à¤—ा देवी मंदिर की और गाडी ले ली, और माता के दरà¥à¤¶à¤¨ किये!
फिर लौटते हà¥à¤ सिदà¥à¤§à¤¬à¤²à¥€ मंदिर गà¤!
इन दो मंदिरों के बारे में और पढने के लिठमेरे पिछले पोसà¥à¤Ÿ को पढ़े:- कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° के दà¥à¤°à¥à¤—ा देवी और सिधà¥à¤¬à¤²à¥€ मंदिर
सिदà¥à¤§à¤¬à¤²à¥€ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हमने अपने पिकनिक के लिठकोई जगह तलाशनी शà¥à¤°à¥‚ की! कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° में सड़क के साथ नदी चलती है! और कहीं à¤à¥€ सड़क से निचे उतर के आप नदी किनारे पिकनिक कर सकते हैं. हमारा à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही पà¥à¤²à¤¾à¤¨ था! मगर गाडी पारà¥à¤• करने के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ धà¥à¤¨à¥à¤¡à¤¼à¤¨à¤¾ जरà¥à¤°à¥€ था, जो हमें शीघà¥à¤° ही मिल गया! और हम गाड़ी पारà¥à¤• करके सड़क से निचे उतरकर नदी की और चल दिà¤!
इसी पà¥à¤² के नीचे हमें पिकनिक के लिठबढ़िया जगह à¤à¥€ मिल गयी! हम नदी के किनारे पहà¥à¤šà¥‡ ही थे की हमें हाथी की पोटी दिखाई दी! यहाठहाथी कà¤à¥€ कà¤à¥€ दिख जाते हैं, पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं!
पानी साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ ही था, काफी ठंडा à¤à¥€ था! à¤à¤• बड़े से पतà¥à¤¥à¤° को हमने अपना डाइनिंग टेबल बनाया और खाने का सामन खोलके सब कà¥à¤šà¥à¤› निपटा दिया!
पेट पूजा के बाद नदी के ही पानी से हाथ धोकर, कà¥à¤šà¥à¤› आस पास के फोटो लिठऔर कà¥à¤› बड़े पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर चढ़ने की कौशिश की! अचà¥à¤›à¤¾ खासा समय बिता चà¥à¤•े थे हम, कोई ढाई या तीन ही बजे होंगे! सोचा वापस चला जाये! सो निकल पड़े वापस नजीबाबाद की ओर! वापसी में मैं सोच रहा था की कà¤à¥€ बाइक से कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° से आगे जाऊंगा! आपको बता दू की कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° से आगे पौड़ी होते हà¥à¤ यह रासà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€ नगर से मिलता है जो की चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ है! सो आप चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ के लिठकोटदà¥à¤µà¤¾à¤° होते हà¥à¤ à¤à¥€ जा सकते हैं! जब हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रूट पे कावड़ियों का आना जाना रहता है तब लोग अकà¥à¤¸à¤° यह रूट पकड़ते हैं!
कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° से नजीबाबाद आते आते हमारा पà¥à¤²à¤¾à¤¨ सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू का किला देखने का बन चूका था सो गाड़ी उसी तरफ ले ली!
यह किला मैं पहले à¤à¥€ à¤à¤• बार कई साल पहले देख चूका था! इस शहर के आस पास काफी मशहूर है यह किला सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू की वजह से! मैंने अपने बचपन में सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू की काफी कहानिया सà¥à¤¨à¥€ थी! सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤• बहादà¥à¤° डाकू था जिसे पकड़ना उस समय नामà¥à¤®à¤•िन था! उस समय की पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने उसे पकड़ने की लगातार कौशिशे की थी! मैं इस किले को दोबारा देखना चाहता था! काफी कम लोग जानते हैं इस किले के बारे में! हलाकि सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू का अपना à¤à¤• इतिहास है, यहाठतक की à¤à¤• फिलà¥à¤® à¤à¥€ बनी है सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू पे, जिसमें सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू का किरदार दारा सिंह जी ने निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ था!
कीलें में घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही दाई तरफ हमने गाड़ी पारà¥à¤• की और किले की सीडियां चढ़ गà¤! बड़ी और मोटी दीवारों के बीच à¤à¤• बड़ा सा मैदान हैं जो अब बचà¥à¤šà¥‹ के कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट खेलने के काम आता है! यह किला नजीबाबाद के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤— में है! इस किले को अपने वक़à¥à¤¤ के नवाब, नवाब नाजीबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾ ने बनवाया था, जिनके नाम पर इस शहर का नाम à¤à¥€ नजीबाबाद पड़ा था! सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ डाकू ने यह किला अपने छà¥à¤ªà¤¨à¥‡ की जगह के तोर पे इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया! सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ अपने समय का माना हà¥à¤† डाकू था जोकि 1920 के आस पास उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में मिलने वाले à¤à¤¾à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ काबिले का था! हलाकि à¤à¤¾à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ कबीला लूट खसोट और खून खराबे के लिठकà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ था, मगर सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ जहा तक हो सके खून खराबी से बचता था! कहा जाता है वोह अपने घोडे चेतक और कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ जिसका नाम वीर बहादà¥à¤° था, से बड़ा लगाव रखता था! डाकà¥à¤“ के कबीले में पैदा होने के कारण वोह डाकू बना था! आजादी से पहले का 1920 à¤à¤• अलग ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ थी! à¤à¤¾à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ अपने आप को महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª का वंशज मानते थे मगर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सरकार ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ डाकà¥à¤“ का कबीला ही करार दिया!
à¤à¤¾à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ में जो सबसे बड़ा बदमाश होता था वोह सबसे अचà¥à¤›à¥€ दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ ले जाता था! चोरी के गà¥à¤°à¥à¤° तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचपन में ही सिखा दिठजाते थे! à¤à¤• à¤à¤¾à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ अपने मà¥à¤¹ में चाकू, चाबी और चà¥à¤°à¤¾à¤ हà¥à¤ माल जैसे गहने आदि को सालो छà¥à¤ªà¤¾ सकता था! à¤à¤• पंचायत होती थी जो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के हाथो मारे गठडकैतों के परिवारों को देखती थी, हर à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ अपनी लूट का कà¥à¤šà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¤¾ इस पंचायत को देता था! à¤à¤¸à¥‡ लोगो के बीच सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ पैदा हà¥à¤† था! उसकी गरीबी उसे नजीबाबाद के किले में ले आई थी!
फà¥à¤°à¥‡à¤¡à¥€ यंग ने सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ को नैनीताल के पास के जंगलो में पकड़ा! जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 1924 में जब सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ मरा तो अपनी उमà¥à¤° के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दशक का दूसरे चरण में था! उसने खà¥à¤¦à¤•ो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को सौपा और उनà¥à¤¹à¥€ के हक में सारा बयान दिया! à¤à¤¸à¤¾ उसने अपने लड़के के लिठकिया, जिसकी परवरिश का जिमà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤°à¥‡à¤¡à¥€ यंग ने लिया, उसे अपना नाम देकर! सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ नहीं चाहता था की उसके बाद उसकी औलाद उसके नक़à¥à¤¶à¥‡ कदम पे चले!
कहानी पूरी फ़िलà¥à¤®à¥€ है, पर तà¤à¥€ तो इसपे फिलà¥à¤® बनी! शाम होने को थी, हमने चलना मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤¬ समà¤à¤¾!
अगली सà¥à¤¬à¤¹ देलà¥à¤²à¥€ के लिठनिकलना था, और रूट पहले ही निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हो चूका था – चांदपà¥à¤°, गजरोला और गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° होते हà¥à¤!cजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ नहीं निकल पाया जैसा की सोचा था, फिर à¤à¥€ करीब 6 बजे सà¥à¤¬à¤¹ बाइक उठाई, और चल पड़ा नजीबाबाद से! हलकी सी ठणà¥à¤¡ थी सà¥à¤¬à¤¹, और बाइक पे तो और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगती है! मगर मज़ा आ रहा था, खà¥à¤²à¥€ सड़क, सड़क किनारे हरे à¤à¤°à¥‡ लहलहाते खेत! वाह! मà¥à¤à¥‡ बाइक पे ही घूमना चाहिà¤! संदीप à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ की टोली में शामिल होना ही पड़ेगा! जो लोग संदीप à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ से वाकिफ नहीं हैं उनके लिठhttp://jatdevta.blogspot.in/
बिजनौर में घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही सेंट मरीज़ सà¥à¤•ूल के सामने à¤à¤• सड़क बायीं और मà¥à¤¡à¤¤à¥€ है, इससे चांदपà¥à¤° सीधे पहà¥à¤š जा सकता है, बिना किसी टà¥à¤°à¤¾à¤«à¤¿à¤• में फसे! मैं बाà¤à¤ मà¥à¤¡à¤¼à¤¾ और जलà¥à¤¦à¥€ ही चाà¤à¤¦à¤ªà¥à¤° पहà¥à¤š गया! कà¥à¤› à¤à¥‚ख सी लगी तो à¤à¤• लेस के चिपà¥à¤¸ का हरे वाला पेकेट खरीद लिया, यह मà¥à¤à¥‡ काफी पसंद है, हलकी फà¥à¤²à¤•ी à¤à¥‚ख में! मैं सफ़र में खà¥à¤²à¥‡ खाने से अचà¥à¤›à¤¾ पेकेट बंद खाना पसंद करता हूà¤, हाठकोई मशहूर खाने की जगह हो या फिर मà¥à¤à¥‡ यकीन हो की यहाठका खाना मà¥à¤à¥‡ बीमार नहीं करेगा, तो मैं जरà¥à¤° खाता हूà¤! सफ़र में खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखना अचà¥à¤›à¥€ बात है, अगर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का पूरा मजा लेना है तो!
खेर जलà¥à¤¦à¥€ ही मैं चांदपà¥à¤° पार कर चूका था! चांदपà¥à¤° तक सड़क ठीक थक ही थी! मगर चांदपà¥à¤° से आगे गजरोला तक कही जगह सड़क बन रही थी या उसकी मरमà¥à¤®à¤¤ चल रही थी, जिसके चलते मà¥à¤à¥‡ ख़राब रासà¥à¤¤à¤¾ मिला और कà¥à¤› समय à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगा! पर कà¥à¤› किलोमीटर के बाद रासà¥à¤¤à¤¾ सही हो गया था! गजरोला से देलà¥à¤²à¥€ के लिठमैं शहर के बिच से दाई ओर मà¥à¤¡à¤¼à¤¾, तो देखा मसà¥à¤¤ हाईवे था, जिसे देखते ही मैं पीछे निकला ख़राब रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥‚ल गया! गजरोला से ये सीधी सड़क डेलà¥à¤¹à¥€ के अकà¥à¤·à¤°à¤§à¤¾à¤® मंदिर के सामने तक आती है! इस हाईवे के बारे में नैनीताल ओर मोरादाबाद जाने वाले तो परिचित होंगे ही! रेड लाइट न की बराबर ओर नॉनसà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª! चांदपà¥à¤° के बाद मैं सीधा गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° रà¥à¤•ा!
नेशनल हाईवे 24 पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गंगा के यहाठसे गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ के कारण पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं! यहाठपर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· कारà¥à¤¤à¤¿à¤• महीने की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को मेला लगता हाई जिसमे लगà¤à¤— 8 लाख शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ आकर गंगा-सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते हैं! दशà¥à¤¹à¥‡à¤°à¤¾ पे à¤à¥€ यहाठà¤à¤• बड़ा मेला लगता हैं!
गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° का नाम मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव के मंदिर के कारण पड़ा, जोकि गंगा मैया को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं, जिनकी पूजा यहाठपे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ 4 मंदिरों में होती हैं! यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अपने 80 सती सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं, जो की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• किसी हिनà¥à¤¦à¥‚ विधवा के सती होने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं! इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पे जाने का समाय नहीं निकाल पाया पर जलà¥à¤¦à¥€ ही जाना चाहूà¤à¤—ा!
कà¥à¤› देर गढ़ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° रà¥à¤• कर, गंगा जी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके, बढ़ गया देलà¥à¤²à¥€ की ओर! सड़क बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ होने के कारण जलà¥à¤¦à¥€ ही फरीदाबाद पहà¥à¤š गया! अब आपके सामने जलà¥à¤¦à¥€ ही किसी और यातà¥à¤°à¤¾ विवरण के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ होता हूà¤! तब तक घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी जिंदाबाद!