माँ सुरकंडा देवी और धनौल्टी की यात्रा

माता सुरकंडा देवी मंदिर हम दो साल से लगातार जा रहे थे. पिछली बार एक मनौती मांगी थी, जो मैय्या ने पूरी कर दी थी, इसलिए  पुरे परिवार के साथ माता के दर्शन के लिए चलने का कार्यक्रम बन गया. दस अप्रैल के दिन जाने का कार्यक्रम तय हुआ, एक अपनी बड़ी गाड़ी बलेरो और एक किराए की गाड़ी इंडिका विस्टा तय करली. मैं मुज़फ्फरनगर से सुबह चार बजे विस्टा को लेकर बच्चो के साथ अपने कस्बा चरथावल पहुँच गया. वंहा से बाकी परिवार के लोग बोलेरो गाड़ी लेकर के तैयार थे.

वंहा से रोहाना, देवबंद, लखनौती चौराहा, इकबालपुर होते हुए पहला स्टे हमने बिहारी गढ़ में  लिया. बिहारी गढ़ की चाय व मुंग की डाल के पकोडे बहुत मशहूर हैं. हर सरकारी बस व आने जाने वाली गाड़ी वंहा जरुर रूकती हैं, और यात्री गण लज़ीज़ पकोडो का आनंद लेते हैं. यंहा से चल कर  हम डाट वाले मंदिर पर रुकते हैं और माता के दर्शन करते हैं. सुरंग को पार करके हम लोग दून घाटी मैं प्रवेश कर जाते हैं. और देहरादून नगर को पार कर के सीधे मसूरी मार्ग को पकड़ लेते हैं. चढाई शुरू होने से पहले मुख्य मार्ग पर ही प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर पड़ता हैं. यह मंदिर बहुत ही शानदार बना हुआ हैं. यंहा पर चोबीस घंटे भंडारा चलता रहता हैं. हमने भी यंहा  पर रूककर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया. यंहा पर कुछ भी दान चढाना बिलकुल मना हैं. और यह भंडारा कई साल से लगातार चल रहा हैं, सब प्रभु की कृपा है.

श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर



मंदिर से हम लोग आगे की यात्रा पर निकल पड़े. मसूरी के रास्ते मैं सुन्दर पहाडिया व घाटिया पड़नी शुरू हो गयी थी. मसूरी से पांच किलोमीटर पहले नगरपालिका चेकपोस्ट पर हमारा झगड़ा पुलिस वालो से होते होते बचा. हम टैक्स की पर्ची कटवाने के लिए अपनी गाड़ी को रोक ही रहे थे की एक पुलिस वाले ने बोलेरो पर डंडा मार दिया. फिर क्या था सभी लोग गाड़ी से उतर कर उस पुलिस वाले से भिड गए. पुलिसवालों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने फिर माफ़ी मांगी. पुलिस सब जगह एक सी होती हैं, उनमे मानवता नाम की कोई चीज नहीं होती हैं. खैर टैक्स जमा करने के बाद हम वंहा से निकले. मसूरी से चार किलोमीटर पहले एक रास्ता बांये को सीधे मसूरी चला जाता हैं, और दाई और से धनौल्टी, सुरकंडा देवी व चम्बा की और चले  जाते हैं. यंहा से धनौल्टी २९ किलोमीटर व सुरकंडा देवी ३४ किलामीटर पड़ता हैं. मसूरी तक डबल रोड बनी हुई हैं, लेकिन यंहा से सिंगल रोड शुरू हो जाती हैं, लेकिन सड़क बहुत अच्छी बनी हुई हैं.

सुन्दर पहाडिया

सुन्दर  पहाडियों का व सफर का आनंद लेते हुए हम लोग आगे बढते रहे. आगे चलने पर एक छोटा सा होटल नज़र आया, यंह पर रूककर थोडा विश्राम किया, क्योंकि बच्चो को चक्कर आने लगे थे. यंह पर थोड़ी देर रुक कर चाय, ठंडा पीकर के हम लोग आगे चल पड़े.

सुन्दर दृश्य होटल का


इसी होटल के पास पहाड़ी पर एक सुन्दर मंदिर नज़र आया, हमने होटल वाले से उस मंदिर के बारे मैं पूछा तो उसने बताया की यह मंदिर छोटा सुरकंडा देवी का मंदिर हैं. हमने इस मंदिर को नीचे से ही शीश झुकाया.

छोटा सुरकंडा देवी मंदिर

इस स्थान से आगे निकलते ही घने बुरांश के और देव दार के जंगल शुरू हो जाते हैं. और गढ़वाल की ऊँची चोटियों के भी दर्शन हो सकते थे पर  उस ओर कोहरा छाया हुआ था. यह क्षेत्र बुरांशखंडा के नाम से भी मशहूर हैं. बुरांश के पेड़ यंहा पर बहुतायत पाए जाते हैं. बुरांश का फूल उत्तराखंड का राजकीय फूल हैं. इससे  जैम, जैली, शरबत, व विभिन्न आयुर्वेदिक दवाए बनायी जाती हैं. इन दिनों उत्तरखंड की पहाडिया इन फूलो से भरी रहती हैं.

बुरांश का वृक्ष

धनौल्टी होते हुए हमारी गाडिया कद्दु खाल पहुँच जाती हैं. कद्दु -खाल  सुरकंडा देवी जाने के लिए बेस हैं. यंही से ही पैदल या घोड़े पर २ किलोमीटर की कड़ी चढाई होती हैं. गाडिया पार्क करके हम लोग चढाई शुरू कर देते हैं. मौसम बहुत ही सुहावना था, ना तो गर्मी थी ना ही ठंडा.
माँ सुरकंडा देवी 
माँ सुरकंडा देवी का धाम जनपद टिहरी में स्थित हैं. यह स्थान धनौल्टी से आठ  किलोमीटर हैं. चम्बा से बाईस किलोमीटर पड़ता हैं. इस धाम की समुद्र तल से ऊंचाई 2757 मीटर है. माता का धाम इस स्थान की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित हैं. यह स्थान चारों ओर से देवदार के जंगलो से घिरा हुआ हैं. माता के मंदिर से चारो तरफ सुन्दर और हसींन  वादियों का बड़ा सुन्दर दृश्य दिखाई देता हैं. यदि मौसम साफ़ हो तो हरिद्वार, देहरादून, मसूरी, और बर्फ से ढंकी हिमालया की चोटिया साफ़ दिखाई देती हैं. यंहा के बारे मैं ये कहा जाता हैं की जब माता सती, दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे देती हैं. और भगवान शिव उनकी पार्थिव देह को उठा कर ब्रहमांड में घूमते हैं, तो भगवान विष्णु अपने सुदर्शन के द्वारा माता सती के ५१ अंश कर देते हैं,  ये अंश हमारे आर्यावर्त में जंहा जंहा पर गिरे वंही पर शक्ति पीठ की स्थापना भगवान शिव ने की थी. यंहा पर माता का शीश गिरा था. हर शक्ति पीठ में माँ शक्ति के साथ साथ, भगवान शिव के अवतार भैरव भी स्थापित हैं. इन शक्ति पीठो के बारे में कहा जाता हैं की माता अपने भक्तो की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं. बोलो जय माता की.

सुरकंडा देवी की चढाई

और ये मैं


हमारी माताजी


हमारे पिताश्री


मंदिर तक पहुँचने तक आखिर की कठिन चढाई थका देती हैं. पर जैसे ही मंदिर के पास पहुँचते हैं मंदिर के दर्शन करके सारी थकान दूर हो जाती हैं.

मंदिर से पहले की कड़ी चढाई

जय माता की

मंदिर परिसर में हमारे साथ एक अद्भुत वाकया हुआ, जब हम मंदिर पहुंचे तो उस समय मंदिर के कपाट बंद थे. करीब एक घंटे बाद द्वार खुलने थे. हमने पुजारी जी से दर्शन के लिए कहा, पुजारी जी बोले दर्शन तो अभी थोड़ी देर बाद हो पायेगे, आप लोग मेरे साथ यज्ञ कर लीजिए. पुजारी जी ने केवल हमारे परिवार को मंदिर में माता की मूर्ती के सामने बैठाया, और दरवाजे बंद करके यज्ञ शुरू कर दिया. कितना अद्भुत था माँ की शक्ति पीठ में माता के चरणों में बैठ कर हम लोग यज्ञ कर रहे थे और आहुति डाल रहे थे. यज्ञ पूरा होने के बाद हमने अपनी मनौती पूरी होने के उपलक्ष में माता को जोड़ा चढाया  और भेंट चढाई. माता की मूर्ति का फोटो लेने नहीं देते हैं, इसलिए माता का चित्र मै यंहा पर नहीं दे पा रहा  हूँ.

जय कारा वीर बजरंगे


मै और तरु

हर हर महादेव

पहाडो पर बने ख़ूबसूरत खेत और देवदार के जंगल


गढवाल की सुन्दर वादियां

आप इस ऊपर वाले  चित्र को ध्यान से देखिये, नीचे दूर कद्दु खाल दिखाई दे रहा हैं, और साथ में पार्क की  हुई गाडिया कितनी छोटी छोटी दिख रही हैं.

बच्चे मस्ती में

मंदिर का एक और दृश्य

मंदिर परिसर में करीब दो घंटे बिताने के बाद हम लोग वापिस चल पड़े.

हमारा परिवार

माता का मंदिर का चित्र नीचे कद्दू खाल से

कद्दू खाल में एक अच्छा रेस्टोरेंट बना हुआ हैं, उसमे खाना स्वादिस्ट बनता हैं. हम लोगो ने वंही पर खाने का आनंद लिया.
खाना खाकर हम लोग धनौल्टी की और निकल पड़े.

धनौल्टी
धनौल्टी एक छोटा सा खूबसूरत, देवदार के जंगलो से घिरा हुआ हिल स्टेशन हैं. शांत, सुरम्य, मन को मोहने वाला, यंहा  से दिखाई देने वाली हिमालय की बर्फीली चोटिया, बहुत ही सुन्दर दिखती हैं. यह स्थान भीड़ भाड से दूर, मन को सकून देने वाला स्थान हैं. मसूरी की भीड़ भाड़ से घबराकर जब पर्यटक यंहा पहुँचते हैं. तो उनका दिल खुश हो जाता हैं. यह स्थान मसूरी से काफी सस्ता भी हैं. यंहा के मुख्य आकर्षण यंहा पर स्थित दो इको पार्क हैं. यह पार्क पिकनिक के  लिए एक आइडियल स्थान हैं. इस पार्क में घुसने से पहले टिकट लेना पड़ता हैं. एक ओर एक रेस्टोरेंट भी बना हुआ हैं, जिसमे खाने पीने का आनंद लिया जा सकता हैं. इस पार्क में बच्चो के लिए झूले, ओर राईडिंग बनी हुई हैं. जिस पर बच्चे अपना मनोरंजन कर सकते हैं.

इको पार्क, धनौल्टी का मुख्य गेट

इको पार्क


<पार्क के अंदर बच्चे[/caption]

शानदार देवदार का जंगल

पार्क में खूबसूरत पगडण्डी

पार्क में झूला


वन हमारे साथी

देवदार के वृक्षों की गोद में एक होटल का सुन्दर दृश्य

खूबसूरत कोहरे से ढंकी पहाडिया

धनौल्टी करीब दो ढाई घंटे घूमने के बाद हम लोग वंहा से चल दिए, मसूरी के बाहरो बाहर निकल कर हम लोग  सीधे महादेव मंदिर पर आकार रुके, जंहा पर एक बार फिर भंडारे के प्रसाद, चाय और खिचड़ी का आनंद लिया.    देहरादून से  बाई पास होते हुए हम लोग हरिद्वार की और निकल गए. हरीद्वार में कुम्भ का मेला चल रहा था.    सोचा इस बहाने कुम्भ में भी स्नान कर लिया जाए. हरिद्वार दुल्हन की तरह सजा हुआ था.हरिद्वार की मैं केवल एक तस्वीर डाल रहा हूँ. क्योंकि हरिद्वार ऋषिकेश यात्रा के बारे में में पहले अपनी पोस्ट में  लिख चुका हूँ.

कुम्भ मेले में रात के समय सजा हुआ हर की पौड़ी, हरिद्वार हर की पैडी पर स्नान करने के बाद, थोडा देर बाजार आदि में घूमने के बाद हम लोग करीब १२ बजे अपने क़स्बा चरथावल पहुँच गए.
धन्यवाद  – वन्देमातरम

39 Comments

  • Surinder Sharma says:

    प्रवीण जी,
    बहुत सुंदर वर्णन किया है. माता के दर्शन साथ में प्रकृति का आनंद, भारत में ही यह संभव है.
    बहुत बहुत धन्यवाद
    वन्देमातरम

  • Umesh joshi says:

    5 star

  • vinaymusafir says:

    Khubsoorat chitro se saja hua achche post.
    maa Surkanda isi tarah aapki manokamna puri karti rahein

  • rajesh priya says:

    jahan jana chahta hun wahin ke baare me itni achchhi jankari aapne di hai.wakai maza aa gaya.ye post padhne ke baad ab to tay kar lia hai maa ke darshan karne hi hain.dhanywaad aapko sundar viwarav ke liye.

  • Mahesh Semwal says:

    धनौल्टी और सुरकंडा देवी मंदिर काफ़ी बार गया हूँ , पूरा बेल्ट (देहरादून , मसूरी ,धनौल्टी, सुरकंडा देवी, चम्बा , न्यू टेहरी) ही काफ़ी सुंदर है|

    छोटा सुरकंडा देवी कभी नही देखा , ये किधर है ?

    बुरांस का शरबत सब थकान उतार देता है |

    • महेश जी छोटा सुरकंडा देवी मंदिर धनौल्टी से पांच छह किलोमीटर पहले पड़ता हैं.

  • Mukesh Bhalse says:

    प्रवीण जी,
    सुबह सुबह आपकी पोस्ट के माध्यम से देवी माँ के दर्शन करके हम तो धन्य हो गए. आपको धन्यवाद. सुन्दर लेखन तथा अतिसुन्दर छायाचित्र. “कद्दू खाल” (Pumpkin Skin ) जगह का नाम बड़ा ही मनोरंजक लगा…………..लगे रहिये……….

  • Deepak says:

    Short, sweet and invigorating …

  • Anand Bharti says:

    प्रवीन जी, एक दिन की यात्रा का इतना अच्छा यात्रा वृतांत, बहुत खूब, क्या सुरकंडा मंदिर के पास ठहरनें की कोई व्यवस्था है. २ किलोमीटर की चढाई में लगभग कितना समय लगता है?. माता रानी आपकी हर मनोकामना पूरी करे. जय माता दी.

    • आनंद जी बहुत बहुत धन्यवाद. सुरकंडा देवी के पास ही धनौल्टी पांच किलोमीटर पड़ता हैं. जंहा पर कई सारे होटल और गेस्ट हाउस हैं. इस दो किलोमीटर की चढाई में करीब एक घंटा लगता हैं. जय माता की, वन्देमातरम..

  • गुप्ता जी माता सुरकंडा देवी तथा धनोल्टी की यात्रा करवाने के लिए धन्यवाद, चित्र बहुत सुन्दर हैं अप्रैल-जुलाई,2010 में ईको पार्क में बंदरों का बड़ा आतंक था मगर चित्रों में एक भी बंदर दिखाई नहीं दे रहा. माता-पिता को तीर्थ कराने में एक अलग ही आनंद व शांति कि प्राप्ति होती है.

    • धन्यवाद त्रिदेव जी, हमें इको पार्क में कोई भी बन्दर नहीं दिखाई पड़ा था. आप ने ठीक कहा हैं, माता पिता की सेवा तो भगवान से भी बढ़कर है.

  • SilentSoul says:

    3 baar jana hua kaddu khal se par Mata Surkanda ke darshan nahin ho paye.

    Dhanyavad darshan karane ke liye

  • Ritesh Gupta says:

    प्रवीन जी…..राम राम…! जय माँ सुरकंडा देवी की….!
    आपकी माँ सुरकंडा देवी और धनौल्टी की यात्रा वर्णन और फोटो बहुत अच्छी लगी…|माँ सुरकुंडा देवी के बारे में हमारी कोई जानकारी नहीं आज आपके लेख के माध्यम एक अच्छे और पवित्र स्थान का पता चला |
    धनौल्टी का इको पार्क अच्छा लगा ऐसा ही एक पार्क अब कौसानी में बन रहा हैं | जब हम कौसानी की यात्रा पर थे उस समय हमने अनाशक्ति आश्रम से ऊपर एक गेट और उस पर एक बोर्ड लगा देखा था और इसकी आधारशिला भी १६जून२०१२ को रखी गयी थी…|
    बहुत बढ़िया लेख ….
    धन्यवाद!

    • रितेश जी बहुत बहुत धन्यवाद..जय माता की ..ऐसे इको पार्क तो सभी हिल स्टेशन पर होने चाहिए..

  • Nandan Jha says:

    बढ़िया लेख प्रवीण जी | हालांकि पुलिस के मामले में आपकी राय ठीक है पर मेरा व्यक्तिगत अनुभव ये रहा है की उत्तराखंड की पुलिस बहुत सभ्य और सुलभ है | दिल्ली, ऊ. प. , हरियाणा , पंजाब से तो बहुत बेहतर, ऐसा मेरा मानना है |

    फोटोस बहुत अच्छे बन आये हैं | धन्वायद दर्शन और यात्रा के लिए | माता पिता के साथ देख कर अच्छा लगता है :-) | आपकी अगली पोस्ट के प्रतीक्षा में |

  • ashok sharma says:

    nice post , good pics.

  • हम लोग अभी मसूरी और धनौल्टी की यात्रा कर के आये हैं. आपकी पोस्ट पढ़ कर सब कुछ एक बार फिर आखों के सामने से गुजर गया. धन्यवाद.

  • Harish Bhatt says:

    Praveen Ji…Mazaa aa gaya aapka post pad ke. Mera gaon Chamba ke paas hai isliye Mata Surkanda Devi ke mandir bahut baar jana hua hai… Aapne purani yaaden taaza kar di… Poho bhi bahut achche hai… Thank you for sharing…

    • हरीश जी जय माता की. पोस्ट की सराहना करने के लिए धन्यवाद, वन्देमातरम.

  • D.L.Narayan says:

    सुन्दर वर्णन और बेहतरीन तस्वीरें, प्रवीन भाई, मज़ा आ गया.

    कहीं पर लिखा था “वन हमारे सच्चे साथी हैं” वन हमारे साथी ही नहीं, बल्कि हमारे हिफाज़त करते हैं, इसीलिए हमारे माता-पिता के समान हैं.

    सबसे अच्छा यह बात लगा की आपने अपने मतजी और पिताजी को साथ लेके चले थे इस यात्रा पर. माता पिता के आदर करना हरेक व्यक्ति का कर्त्तव्य है.

    • जय माता की नारायण जी, बहुत बहुत धन्यवाद. नारायण जी माता पिता के चरणों में तो भगवान का वास होता हैं. वन्देमातरम..

    • नारायण जी किसी ने ठीक कहा हैं, वन है तो जीवन हैं, जैसे हमारे माता पिता हमें जीवन देते हैं, वैसे ही पेड़ पौधे, जंगल से हमें प्राण वायु मिलती हैं.

  • JATDEVTA says:

    जय सुरकंडा माता की

  • krishan says:

    गुप्ता जी आपका लेख व फोटो बहुत अच्छे लगे। एक बात का दुःख है कि आप पुलिस को चावल के दाने के समान तोलते हो। अगर एक पुलिस वाला गलत है तो सभी गलत। अगर पुलिस वालों में मानवता न होती तो लाखों जानें जो दुर्घटनाओं में पुलिस वाले बचाते हैं वह न बचती। आम आदमी घायल को हाथ नहीं लगातेृ वहां पुलिस ही काम आती है। यदि मेरे विचार से सहमत न हों तो उपरोक्त ई-मेल आई0डी0 पर अपने विचार भेजें।

  • Praveen Wadhwa says:

    A good post and a complete travel guide to this region.

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