सà¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साथियों को कविता की ओर से नमसà¥à¤•ार. à¤à¤• छोटे से अंतराल के बाद आज फिर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हूठमैं आप लोगों के बीच अपनी अगली यातà¥à¤°à¤¾ की कहानी के साथ. आज मैं आपलोगों को लेकर चलती हूठमाठरेवा (नरà¥à¤®à¤¦à¤¾) के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• नगरी “महेशà¥à¤µà¤°” जो अतीत में पà¥à¤£à¥à¤¯ शà¥à¤²à¥‹à¤• मातà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर की राजधानी के रूप में तथा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में अपने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाटों, मंदिरों, देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ के सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ चिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ तथा महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साडी के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है.

महेशà¥à¤µà¤° के अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾.
पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के शौक ने कà¥à¤› इस तरह से जकड़ा है की हर दो तीन महीने के बाद दिमाग में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का कीड़ा कà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगता है, और फिर कवायद शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है इसे शांत करने की. सबसे पहले केलेंडर खंगालना, फिर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के वारà¥à¤·à¤¿à¤• केलेंडर देखना की कहाठसे और कैसे छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤—ाड़ हो सकता है और फिर अंततः सारे जोड़ à¤à¤¾à¤— करके कहीं न कहीं जाने का à¤à¤• टूर पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बन ही जाता है.
वैसे हमें महेशà¥à¤µà¤° जाने के लिठये सब à¤à¤•à¥à¤¸à¤°à¤¸à¤¾à¤‡à¤œà¤¼ करने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं पड़ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि महेशà¥à¤µà¤° हमारे घर के करीब ही है और बड़े आराम से हम à¤à¤• ही दिन में महेशà¥à¤µà¤° घूम कर वापस à¤à¥€ आ सकते हैं. वासà¥à¤¤à¤µ में यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हमारे सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ खरगोन के रासà¥à¤¤à¥‡ में ही पड़ता है अतः हम  मेन रोड (à¤. बी. रोड – NH 3) से मातà¥à¤° 13 किलोमीटर अनà¥à¤¦à¤° जाकर महेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚च सकते हैं.
वैसे तो हम पहले à¤à¥€ à¤à¤• दो बार महेशà¥à¤µà¤° जा चà¥à¤•े हैं लेकिन केमरा लेकर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की दृषà¥à¤Ÿà¤¿Â से कà¤à¥€ नहीं गठथे अतः अबकी बार हमने यह सोचकर रखा था की जब कà¤à¥€ à¤à¥€ समय मिलेगा तो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिà¤Â महेशà¥à¤µà¤° जरूर जायेंगे और फिर पिछले महीने के à¤à¤• शनिवार को मà¥à¤•ेश ने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा की कल यानी सनà¥à¤¡à¥‡ को महेशà¥à¤µà¤° चलते हैं, अब à¤à¤²à¤¾ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के मामले में मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ आपतà¥à¤¤à¤¿ हो सकती थी अतः मैंने ख़à¥à¤¶à¥€ ख़à¥à¤¶à¥€ उनके इस पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ पर अपनी सà¥à¤µà¥€à¤•ृति की मोहर लगा दी और आननॠफानन में अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ ही महेशà¥à¤µà¤° की à¤à¤• लघॠयातà¥à¤°à¤¾ योजना तैयार कर ली गई.
चूà¤à¤•ि हमने अपनी कार से ही जाना था अतः टिकिट रिज़रà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ आदि की कोई à¤à¤‚à¤à¤Ÿ थी ही नहीं. रात में ही मैंने दोनों मोबाइल, केमरा आदि चारà¥à¤œ करने के लिठरख दिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤¬à¤¹ हमारे पास जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नहीं था, शाम तक वापस जो आना था. शाम को ही बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बता दिया गया की सà¥à¤¬à¤¹ उठने में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नखरे न करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम लोग कल सà¥à¤¬à¤¹ महेशà¥à¤µà¤° जा रहे हैं. यहाठमैं यह बता देना उचित समà¤à¤¤à¥€ हूठकी अब हमारे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ घà¥à¤®à¤¨à¥‡ फिरने में मज़ा आने लगा है, जिस दिन हमने टूर पर जाना होता है दोनों बचà¥à¤šà¥‡ बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ रहते हैं और सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ à¤à¥€ उठजाते हैं. और फिर यहाठहमने शाम से ही बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बोटिंग का लालच दे दिया था अतः दोनों सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही उठगठऔर तैयार हो गà¤.
हमारे घर से महेशà¥à¤µà¤° कà¥à¤› 80 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर है तथा आसानी से अपने वाहन से 2 घंटे में पहà¥à¤‚चा जा सकता है. सà¥à¤¬à¤¹ उठते ही मैं अपने हिसà¥à¤¸à¥‡ के कामों जैसेबचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को तैयार करना, नाशà¥à¤¤à¤¾ वगैरह बनाना आदि में लग गई और मà¥à¤•ेश उनके हिसà¥à¤¸à¥‡ के काम जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उबाऊ लगता है यानी कर की सफाई में लग गठऔर करीब आठबजे हम लोग अपने घर से अपनी सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤• में सवार होकर महेशà¥à¤µà¤° के लिठनिकल पड़े.

देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ की नगरी में आपका सà¥à¤µà¤¾à¤—त है
आगे बढ़ने से पहले आइये आपको à¤à¤• संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय करवा दूठमहेशà¥à¤µà¤° नगरी से. वैसे महेशà¥à¤µà¤° किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है फिर à¤à¥€ पाठकों  की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठथोड़ी सी जानकारी नितांत आवशà¥à¤¯à¤• है.
महेशà¥à¤µà¤° – à¤à¤• परिचय:
महेशà¥à¤µà¤° शहर मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के खरगोन जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯Â राजमारà¥à¤— नं. 3 (आगरा-मà¥à¤‚बई हाइवे) से पूरà¥à¤µ में 13  किलोमीटर अनà¥à¤¦à¤° की ओर बसा हà¥à¤† है तथा मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• राजधानी इंदौर से 91 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह नगर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह शहर आज़ादी से पहले होलकर मराठा शासकों के इंदौर राजà¥à¤¯ की राजधानी था. इस शहर का नाम महेशà¥à¤µà¤° à¤à¤—वानॠशिव के नाम  महेश के आधार पर पड़ा है अतः महेशà¥à¤µà¤° का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ है à¤à¤—वानॠशिव का घर.
पौराणिक लेखों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° महेशà¥à¤µà¤° शहर हैहयवंशिय राजा सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤œà¥à¤¨, जिसने रावण को पराजित किया था की राजधानी रहा है. ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ को पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¤ करने के कारण उनके पà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤œà¥à¤¨ का वध किया था. कालांतर में यह शहर होलकर वंश की महान महारानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर की राजधानी à¤à¥€ रहा है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के किनारे बसा यह शहर अपने बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° व à¤à¤µà¥à¤¯ घाट तथा महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ी के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है. घाट पर अतà¥à¤¯à¤‚त कलातà¥à¤®à¤• मंदिर हैं जिनमें राजराजेशà¥à¤µà¤° मंदिर पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है. आदि गà¥à¤° शंकराचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ पंडित मंडन मिशà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ यहीं संपनà¥à¤¨ हà¥à¤† था.
इस शहर को महिषà¥à¤®à¤¤à¤¿ नाम से à¤à¥€ जाना जाता है. महेशà¥à¤µà¤° का रामायण तथा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है. देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर के कालखंड में बनाये गठयहाठके घाट बहà¥à¤¤Â सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° हैं और इनका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के जल में बहà¥à¤¤ ख़ूबसूरत दिखाई देता है. महेशà¥à¤µà¤° इंदौर से ही सबसे नजदीक है.
इंदौर से 90  किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के किनारे बसा यह ख़ूबसूरत परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ शासन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ “पवितà¥à¤° नगरी” का दरà¥à¤œà¤¼à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है. अपने आप में कला, धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सांसà¥à¤•ृतिक à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ समेटे यह शहर लगà¤à¤— 2500 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. मूलतः यह देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के कà¥à¤¶à¤² शासनकाल और उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के कारà¥à¤¯à¤•ाल (1764 – 1795) में हैदराबादी बà¥à¤¨à¤•रों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाना शà¥à¤°à¥‚ की गई “महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ी” के लिठआज देश विदेश में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है.

महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठ– देश विदेश में खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤
अपने धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ में यह शहर काशी के सामान à¤à¤—वानॠशिव की नगरी है. मंदिरों और शिवालयों की निरà¥à¤®à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¤‚खला के लिठइसे “गà¥à¤ªà¥à¤¤ काशी” कहा गया है. अपने पौराणिक महतà¥à¤¤à¥à¤µ में सà¥à¤•ंध पà¥à¤°à¤¾à¤£, रेवा खंड तथा वायॠपà¥à¤°à¤¾à¤£ आदि के नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ रहसà¥à¤¯ में  इसका “महिषà¥à¤®à¤¤à¤¿” नाम से उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है. à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ में यह शहर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•ृति में विशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ रखने वाले राजा महिषà¥à¤®à¤¾à¤¨, राजा सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¹à¥‚ (जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रावण को बंदी बना लिया था) जैसे राजाओं तथा वर पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की राजधानी रहा है. बाद में होलकर वंश के कारà¥à¤¯à¤•ाल में à¤à¥€ इसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ.
महेशà¥à¤µà¤° के किले के अनà¥à¤¦à¤° रानी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की राजगदà¥à¤¦à¥€ पर बैठी à¤à¤• मनोहारी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ राखी गई है. महेशà¥à¤µà¤° में घाट के पास ही कालेशà¥à¤µà¤°, राजराजेशà¥à¤µà¤°, विटà¥à¤ लेशà¥à¤µà¤°, और अहिलà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर हैं.
ये तो था à¤à¤• संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय महेशà¥à¤µà¤° से और अब हम चलते हैं अपने यातà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ की ओर. बारिश का मौसम, सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ का समय, अपना वाहन और इस सबसे बढ़कर सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ मौसम सब कà¥à¤› बड़ा ही अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था. रासà¥à¤¤à¥‡ में बाहर जहाठजहाठतक निगाह जा रही थी सब दूर हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही थी. हम सà¤à¥€ को बारिश का मौसम बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद है, खासकर मà¥à¤•ेश को. जैसे ही मानसून आता है, à¤à¤• दो बार बारिश होती है बस इनका मन घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जाने के लिठमचल उठता है, और हमारे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° टूर बारिश के मौसम में ही पà¥à¤²à¤¾à¤¨ किये जाते हैं. मन में बहà¥à¤¤ सारा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बहà¥à¤¤ सारी उमंगें लिठहम बढे जा रहे थे अपनी मंजिल की ओर की तà¤à¥€ ऊपर आसमान में बादलों का मिजाज़ बिगड़ने लगा, काले काले बादल घिर आये थे और बिजली की कडकडाहट के साथ तेज बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई. मौसम की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ बारिश का आनंद हम कार में बैठकर तो à¤à¤°à¤ªà¥‚र उठा रहे थे लेकिन अब हमें चिंता होने लगी थी की यदि बारिश बंद नहीं हà¥à¤ˆ तो हम महेशà¥à¤µà¤° में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी तथा फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ का आनंद नहीं उठा पायेंगे और मन ही मन à¤à¤—वानॠसे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने लगे की हमें महेशà¥à¤µà¤° में बारिश न मिले.
ईशà¥à¤µà¤° ने हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर ली थी और कà¥à¤› ही देर में मौसम खà¥à¤² गया और पहले से और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खà¥à¤¶à¤—वार हो गया. सड़क के दोनों ओर कà¥à¤› देर के अंतराल पर à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ सेंकनेवालों की छोटी छोटी दà¥à¤•ाने मिल रही थी, à¤à¤• जगह से हमने à¤à¥€ à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ ख़रीदे जो की बड़े ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ थे. बीच बीच में हमें जहाठà¤à¥€ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ के लिठअचà¥à¤›à¤¾ बेकगà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड दिखाई देता वहाठउतर कर हम चितà¥à¤° à¤à¥€ खिंचते जा रहे थे. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने सà¥à¤¬à¤¹ से कà¥à¤› खाया नहीं था अतः वे खाने की जिद करने लगे तो हमें à¤à¥€ à¤à¥‚ख का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† और रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• होटल से हमने गरमागरम पà¥à¤¯à¤¾à¤œ के पकौड़े और खमण खाया और फिर से चल पड़े अपने सफ़र पर. रोड के किनारे पर लगे माईलसà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ हमें बता रहे थे बस अब कà¥à¤› ही किलोमीटरà¥à¤¸ के बाद हमारी मंजिल याने महेशà¥à¤µà¤° आनेवाला है. कार के सà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ में मनपसंद गाने सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हà¥à¤ और मौसम का आनंद उठाते हà¥à¤ हम कब महेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤à¤š गठहमें पता ही नहीं चला. करीब दो घंटे का सफ़र तय करके अब हम महेशà¥à¤µà¤° नगर की सीमा में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•े थे.
महेशà¥à¤µà¤° कसà¥à¤¬à¥‡ के मà¥à¤–à¥à¤¯ बाज़ार à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤› तंग गलियों को पार करते हà¥à¤ आखिर हम अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट के पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² तक पहà¥à¤à¤š गà¤. कार पारà¥à¤•िंग की कà¥à¤› औपचारिकताà¤à¤‚ पूरी करने के बाद और कà¥à¤› ज़रूरी सामान à¤à¤• छोटे बैग में डालने के बाद हम पैदल ही अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट की ओर बढ़ चले. कà¥à¤› ही कदमों के पैदल सफ़र के बाद अब हम महेशà¥à¤µà¤° के मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ यानी अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर पहà¥à¤à¤š गठथे. इस बार हम काफी लमà¥à¤¬à¥‡ समय के बाद महेशà¥à¤µà¤° आये थे अतः सबकà¥à¤› नया नया सा ही लग रहा था. बारिश के मौसम तथा लगातार वरà¥à¤·à¤¾ की वजह से नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का जल मटमैला सा हो गया था और चाय की तरह दिखाई दे रहा था. नदी का जलसà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ काफी बढ़ा हà¥à¤† था.

अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨Â शिव मंदिर

कहते हैं की गंगा नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से तथा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के सिरà¥à¤« दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से कई जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल जाती है - आप à¤à¥€ कर लीजिये

घाट से दिखाई देता महेशà¥à¤µà¤° का किला - किले पर ऊपर à¤à¤• सफ़ेद  à¤à¤µà¤¨ जो आप देख रहे हैं वही देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था जिसे आजकल होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ का रूप दे दिया गया है
आम तौर पर लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं पर जाने के लिठहमें बहà¥à¤¤ सारा सामान, कपडे, कई बेगà¥à¤¸ आदि रखने पड़ते हैं लेकिन यहाठहम इस परेशानी से पूरी तरह से मà¥à¤•à¥à¤¤ थे, बस à¤à¤• छोटे पोली बेग में टॉवेल वगैरह रख लिया था, और अब हम महेशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर थे. सबसे पहले हम लोग घाट की निचली सीढ़ी पर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी में पैर लटका कर बैठगठऔर नदी की लहरों का आनंद लेने के साथ आगे का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ à¤à¥€ कर रहे थे. चूà¤à¤•ि मौसम पहले से ही बारिश की वजह से ठंडा हो गया था और हम घर से नहा कर à¤à¥€ चले थे अतः नहाने का तो किसी का मन नहीं था, तो हमने सोचा की पहले घाट के मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लिठजाà¤à¤ उसके बाद किला, किले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मंदिर और देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की गदà¥à¤¦à¥€, उनका पूजन सà¥à¤¥à¤², रेवा सोसाइटी के हथकरघे जहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ महिलायें महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठबà¥à¤¨à¤¤à¥€ हैं आदि जगहों के दरà¥à¤¶à¤¨ करके अंत में बोट में बैठकर मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का à¤à¤• चकà¥à¤•र लगाया जाय. लेकिन हमारे लिटिल चेमà¥à¤ª शिवमॠको हमारा यह पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® नहीं जमा, उसका कहना था की सबसे पहले बोट में घà¥à¤®à¤¾à¤“ उसके बाद ही बाकी जगह जायेंगे. हम दोनों उसको समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश कर रहे थे की पहले किला घूम कर आते हैं फिर आराम से बोटिंग करेंगे, लेकिन वो बिलकà¥à¤² à¤à¥€ मानने को तैयार नहीं था और घाट की सीढियों पर मà¥à¤‚ह फà¥à¤²à¤¾ कर बैठगया, उसका यूठगà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ में मà¥à¤‚ह फà¥à¤²à¤¾ कर बैठना हमें इतना अचà¥à¤›à¤¾ लगा की मà¥à¤•ेश ने उसी पोजीशन में उसके दो चार फोटो खिंच लिà¤. और अंततः हमें उसकी बात माननी पड़ी और सबसे पहले बोटिंग करने का फैसला किया गया.

मà¥à¤‚ह फà¥à¤²à¤¾ कर बैठा शिवमॠ– उसे सबसे पहले बोटिंग करनी थी
अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट से कà¥à¤› ही दà¥à¤°à¥€ पर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के बीचोबीच à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा शिवालय है, नाव वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को उस मंदिर तक ले कर जाते हैं और वापस अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर छोड़ देते हैं. आज चूà¤à¤•ि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ नहीं थी अतः कà¥à¤› नाव वाले गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ों की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में ही बैठे थे. हमने à¤à¤• नाविक से चारà¥à¤œ पूछा तो उसने बताया की शिव मंदिर तक जाकर लौटने के 300 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लगेंगे और आधी दà¥à¤°à¥€ से वापस आने के 150 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡. मà¥à¤•ेश को यह रेट कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगा, और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नाव वाले को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की तो वह समठगया की हम बाहर के नहीं हैं यहीं के रहने वाले हैं और यह हमारा ही गृह जिला है |

बड़े शिवालयों के अलावा महेशà¥à¤µà¤° के घाटों पर इस तरह के अनगिनत शिव लिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किये गठहैं

महान शिवà¤à¤•à¥à¤¤ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई होलकर तथा साथ में खड़ी à¤à¤•à¥à¤¤ की à¤à¤•à¥à¤¤

घाट से किले तथा किले के अनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राजराजेशà¥à¤µà¤° मंदिर जिसमें देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥€à¤¨ पूजन अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया करती थीं का विहंगम दृशà¥à¤¯
खैर वह नाव वाला तो à¤à¤¾à¤µ ताव करने में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रà¥à¤šà¥€ नहीं ले रहा था लेकिन पास ही खड़ा दूसरा नाव वाला हमें मातà¥à¤° 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में मंदिर तक का चकà¥à¤•र लगवाने के लिठराजी हो गया, हम तो खà¥à¤¶ हो गठकहाठ300 रà¥. की बात हो रही थी और कहाठ100 रà¥. में सौदा पकà¥à¤•ा हो गया. और हम सब बिना देर किये नाव में सवार हो गà¤, अब हमारे छोटे उसà¥à¤¤à¤¾à¤¦ के चेहरे पर लालिमा दौड़ गई थी और वो बड़ा खà¥à¤¶ दिखाई दे रहा था. आज के इस à¤à¤¾à¤— में बस इतना ही अब अगले à¤à¤¾à¤— में महेशà¥à¤µà¤° के अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट के आसपास नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी में नाव की सवारी, तथा महेशà¥à¤µà¤° के किले के दरà¥à¤¶à¤¨ करवाउंगी.
इस पोसà¥à¤Ÿ के बारे में अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¯à¤¾ अवशà¥à¤¯ दीजियेगा.













अपने काम से भोपाल व इंदौर तो काफ़ी बार जाना हुआ पर इस नागरी के बारे में नही सुना | बहुत सुंदर लेख , फोटो भी उत्तम हैं |
इस बार मुकेश से कोई नाराज़गी , उनकी एक भी फोटो नही है :-) मज़ाक कर रहा हूँ |
महेश जी,
पोस्ट पढने तथा उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. मुकेश जी तो बेचारे हमेशा हम लोगों की तस्वीरें खिंचने में लगे रहते हैं इसलिए उनके फोटो आ ही नहीं पाते हैं. अगले भाग में मुकेश जी को भी दिखाने की कोशिश करुँगी.
24.06.2013 ko Maheswar hum bhi gye the per group me jo ki lagbhag 15-16 log the bahut hi sundar ghat tha per hum pura maza nahi le sake pure qile ka kyoki aur vaha ki sundarta ka bahut log hone ki vajah se aapki post padhi aur photo dekhe aur samajh me aya ki ki kish tarah kish tarah photo khichna hai aur vaha kish tarah sundarta parkhi jati hai ghumakkari ka muje bhi bahut shok hai me bhi kafi zagah gya hu agli bhar hamara plan rameswaram jane ka hai joki hum June 2014 ko jayege
Thanks
बहुत ही सुन्दर शहर है महेश्वर , अहिल्या महारानी की जय हो , न जाने उनकी वजह से कितने शिवालय के दर्शन कर पा रहे है हम सभी लोग खास करके बहुत मुख्य मंदिर और ज्योतिर्लिंग. मैं आज फिर से इस कमेन्ट द्वारा उनको कोटी कोटी प्रणाम करता हूँ और उनका जी भर के आभार प्रकट करता हूँ.
नर्मदा मैय्या की जय हो. माँ नर्मदा भोलेनाथ की पुत्री है ऐसा कई पुराणों में लिखा है . गंगा मैया के स्नान से सारे पाप धुल जाते है लेकिन नर्मदा मैया के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते है . लोग गंगा में अपने पाप धोने जाते है लेकिन शिव पुराण में लिखा है की स्वयं गंगा मैया अपने आप को पाप मुक्त करने नर्मदा मैया में नहाने आती है वैशाख महीने के शुक्लपक्ष के पंचमी के दिन. यह दिन में नर्मदा मैया में नहाने से आपको गंगा जी में नहाने का पुण्य मिल जाता है. नर्मदा मैय्या की जय हो.
महेश्वर के दर्शन कराने के लिए धन्यवाद.
सही कह रहे हो विशाल. मैने तो पढ़ा था कि नर्मदा मे एक बार स्नान गंगा मे एक हज़ार स्नान के बराबर होता है. और नर्मदा जल का हर पत्थर शिवलिंग है. जम्मू मे रघुनाथ मंदिर मे स्थापित शिवलिंग भी नर्मदा से निकला हुआ है.
कमलांश जी,
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने अपनी इस कमेन्ट के माध्यम से, शुक्रिया.
रस्तोगी जी ,
एक और बात याद आई आपकी कमेन्ट पढके. नर्मदा मैया के पत्थर पत्थर नहीं शिवलिंग है , इसे विधी – विधान से स्थापित करने की कोई जरूरत नहीं . बस घर ले आओ और दर्शन – पूजा , भाव – भक्ति शुरु कर दो.
ओम नमः शिवाय.
@ विशाल जी
पोस्ट पढने तथा प्रतिक्रिया भेजने के लिए आभार. बिलकुल सही कहा आपने, देवी अहिल्या बाई एक कुशल शासक होने के साथ साथ एक महान शिवभक्त थीं. शिव मंदिरों के निर्माण तथा पुनरोद्धार की उनकी एक लम्बी फेहरिस्त है, फिर भी अगर कोई एक बार महेश्वर आकर उनके स्मृतिचिन्हों के दर्शन करे तो उसे अनायास देवी अहिल्या बाई की शिव भक्ति का एहसास हो जायेगा. माँ नर्मदा के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद.
बड़े लम्बे अंतराल के बाद आपका लेख पढ़ा, व एक नये शहर के बारे में जानकारी हुई। लेख प्रफैक्ट है व चित्र अनुपम खास कर रुठे हुए शिवम का। अहिल्या बाई का तो मै वैसे ही काफी फैन हूं, अतः और आनंद आया
(लेखनी में कुछ त्रुटियां व मात्राओं की गलतियां हैं, कृपया सुधार लीजियेगा .)
आपको अपना मित्र मान ये आलोचना की है वरना मै किसी पोस्ट में आलोचना नही करता । बुरा लगा हो तो कमैण्ट हटा देना जी
साइलेंट जी,
पोस्ट की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद. रूठे हुए शिवम का फोटो हमें भी बहुत पसंद आया था. त्रुटियों की और ध्यान आकर्षित करवाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. एक दो जगह मात्राओं की गलतियाँ थीं जो सुधार दी गईं हैं.
कविता जी, आपने इन्दौर, महेश्वर आदि नगरों का विशद परिचय दे – देकर मेरे अन्दर बेचैनी बढ़ा दी है। बेचैनी की दूसरी वज़ह ये भी है कि पिछले शनिवार यानि १ सितंबर से इंदौर में जवाहर मार्ग (सियागंज के निकट) हमारे शिवालिक बैंक की शाखा कार्य करना आरंभ कर चुकी है। मैं इस चक्कर में हूं कि शाखा की विज़िट भी हो जाये और घुमक्कड़ी भी ! :) घूमने जाओ तो आपके लेख का प्रिंट आउट साथ में लेकर चलना चाहिये, किसी टूरिस्ट गाइड की जरूरत शेष ही नहीं रह जाती है! धन्यवाद, मेहरबानी, शुक्रिया, थैंक यू, उपकारम् !! (बस और भाषाओं में क्या-क्या कहते हैं, मुझे नहीं पता!)
सुशान्त सिंहल
सुशांत जी,
सबसे पहले तो मैं इस कमेन्ट के माध्यम से यह शिकायत करना चाहती हूँ की आपने अपनी इतनी सुन्दर पोस्ट्स का सिलसिला यूँ अचानक क्यों बंद कर दिया. हम तो बस टकटकी लगाये आपके लेख का इंतज़ार करते रहते थे.
आप जैसे महान लेखक की ओर से अपनी तारीफ़ पढ़कर हम ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे हैं. और आपका इंदौर में स्वागत है, जब भी इंदौर आयें हम लोगों को इत्तिला जरुर कीजियेगा.
धन्यवाद.
महेश्वर के बारे में पहली बार इतने विस्तार में पढ़ा हैं और देखा हैं, धन्यवाद बहुत बहुत , वन्देमातरम…
प्रवीण जी,
प्रतिक्रया के लिए धन्यवाद. आप लोगों की ओर से इसी तरह प्रोत्साहन मिलता रहा तो ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा.
धन्यवाद.
Dear Kavita jee,
First of all, I have to thank you for such an excellent post on Ahilya Bai. I am from Himachal and interested in seeing these posts for travel.
Thanks and Regards,
Baldev Swami
बलदेव स्वामी जी,
पोस्ट को पढने, पसंद करने तथा प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद. आपका हिन्दुस्तान के दिल (मध्य प्रदेश) में स्वागत है.
kavita ji
बहुत ही सुंदर नर्मदा जी के दर्शन करवाए. बचपन मे अहिल्या बाई के बारे मे पढ़ा था. वह शिव जी की भक्त थी. आज आपने वहाँ के दर्शन करा दिए. उन्होने कई मंदिरो का जीर्णोधार करवाया था. केदारनाथ मंदिर भी उसमे से एक है.सुंदर और अतिसुंदर .
कमलांश जी,
मेरे लिए यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है की आपने इस जगह और यहाँ के वर्णन को पसंद किया. देवी अहिल्या बाई के बारे में कुछ कहने के लिए सर्वदा शब्दों की कमी हो जाती है. वे सचमुच एक महान महिला थीं.
धन्यवाद.
कविता जी , महेश्वर के घाट के फोटो देख कर पुरानी यादें ताज़ा हो गयी | हम लोग यहाँ २०१० में गए थे | दिसम्बर में बड़े दिन के छुट्टियों में | जिस दिन हम लोग यहाँ पहुंचे , उस दिन ताज़िये निकल रहे थे और पूरा उल्लास का माहौल था | पूरे घाट पर खाने पीने वालों की दुकाने और वो जो प्राचीन शिव मंदिर का आपने फोटो डाला है, उसी मंदिर के अन्दर लाउडस्पीकर पर ताजिये वाली नज्में बज रही थी, एक हिन्दू मंदिर में ऐसा होता देख कर और गर्व से सीना फूल गया |
हम लोगों ने कई घंटे गुज़ारे यहाँ पर और अभी भी मन करता है की जल्द के एक बार फिर से जाया जाए, थोडा जायदा समय निकाल कर |
नंदन जी,
कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आपने बिलकुल सही कहा यहाँ का धार्मिक सौहार्द सचमुच काबिले तारीफ़ है. महेश्वर में मुस्लिमों की भी जनसँख्या बहुत है, और हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग बड़े ही भाईचारे तथा सामंजस्य से रहते हैं.
नंदन जी,
इस पोस्ट पर भी FOG का तमगा लगा दीजिये. घुमक्कड़ पर महेश्वर की यह पहली पोस्ट है.
Yes, indeed Mukesh.
This is a ‘FOG’ (first on Ghumakkar). :-)
May be we should highlight all the ‘FOG’s in some way.
आपकी लेखनी दिन ब दिन निखरती जा रही है , ऐसा नही है कि पहले आप अच्छा नही लिखती थी पर आजकल तो प्रोफेशनल लेखको जैसा लिखती हैं और महेश जी को भी आप फोटो में तो पीछे हटा ही चुके हो अब लिखने में भी छोड दोगे
इस जगह के बारे मे मैने तो पहली बार सुना है धन्यवाद
मनुजी ,
आपको मेरी लेखन शैली पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया .रही बात मुकेशजी की तो वो मुझसे काफी अच्छा लिखते है और वे पोस्ट कम्प्लीट करने में मेरी भरपूर सहायता करते है .
और पति पत्नी में कोई प्रतियोगिता नहीं होती है. कोई भी लिखे .वे भी अपनी नई पोस्ट के साथ जल्द ही उपस्थित होगे .मुकेशजी को फोटो खिचवाने से ज्यादा फोटोग्राफी का शौक है .
धन्यवाद
कविता जी……
बहुत बढ़िया लेखन …..बहुत अच्छे फोटो……खासकर शिवम का….चलो वो मुँह फुलाकर चुपचाप से तो बैठा पर आजकल के बच्चे बाप से बाप ….|
महेश्वर और अहिल्या बाई के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला …इससे पहले इस जगह का नाम नही सुना था..परिचय कराने के लिए धन्यवाद ……..
नर्मदा नदी के किनारे घाट, किला मंदिर आदि के फोटो बहुत अच्छे लगे….|
धन्यवाद !
रितेश जी ,
फोटो पसंद करने के लिए शुक्रिया.महेश्वर को घुमक्कड़ पर बहुत कम लोग जानते है, परन्तु मध्यप्रदेश पर्यटन की यह एक विशेष धरोहर है.महेश्वर का बॉलीवुड से भी बहुत गहरा सम्बन्ध है, आये दिन यहाँ हिंदी फिल्मों एवं टीवी सीरियल्स की शूटिंग होती रहती है. महेश्वर के बॉलीवुड कनेक्शन के बारे में मैं अपनी इसी श्रंखला की आनेवाली पोस्ट में विस्तार से बतानेवाली हूँ, अवश्य पढियेगा. महेश्वर के बारे में और अधीक जानकारी के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग की वेबसाइट की इस लिंक पर क्लीक करें. http://www.mptourism.com/web/explore/destinations/maheshwar.aspx
और हमारा शिवम् भी कम नहीं है जिद्द करने में, लेकिन अक्सर वह ऐसे ही मुंह फुला लेता है और वो इस रूप में हमें बड़ा प्यारा लगता है. .
एक बार फिर से धन्यवाद .
Reply
maheshwar par sundar aalekh ke liye aapko bahut bahut badhi……………………………………………..
ghumkkad par abhi 2- 4 dinpurv hi juda hu .jankar bahut accha lag raha ha.
aapko maheshwar ke pas mandleshwar me jalud me jakar dekhna ki jalud sa narmda kis prakar pahado par
chad kar yaha indore me hamari pyas ko buzati ha.
shubhkamnaye sahit
o p tiwari indore
तिवारी जी,
सबसे पहले तो लेख पसंद करने के लिए आपको आभार. जानकर बड़ी ख़ुशी हुई की इंदौर से किसी ने कमेन्ट की है, और इंदौर के लोग भी अब घुमक्कड़ पर आने लगे हैं, वरना हमारा परिवार ही अब तक घुमक्कड़ पर मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता आया है. आपने जो मंडलेश्वर के पास जलूद के बारे में जानकारी दी, बड़ी अच्छी लगी कोशिश करेंगे कभी यहाँ जाकर देखने की. घुमक्कड़ से जुड़े रहिएगा.
धन्यवाद.
Dear kavita jee,
Thanks for your warm response, it is my first mail to this site, but I am regular reader of this site, It is very much interesting to read about traveling experience which every writer explain with worth of words, So waiting for part-2,
Thanks ,
Baldev swami
कविता जी, इतनी विस्तृत जानकारी, माता अहिल्या के बारे में हमारी जानकारी प्राया: शून्य ही थी परन्तु आपके पुराने तथा वर्तमान लेख के बाद उनके बारे में शायद हम कुछ तो जान ही गए हैं ? नर्मदा के दर्शन कराकर आपने हमारे पाप भी कम करा दिए और आपके साथ साथ ह्म भी पुण्य के भागी हो गए, चित्रों का जवाब नहीं. एक बात और हमारे शिवम् को नाराज मत किया करो वैसे नाराज होकर ज्यादा क्यूट लगाता है.
त्रिदेव चरण जी ,
यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है की आपको देवी अहिल्या एवं महेश्वर जैसी पावन जगह के बारे में जानकारी प्रदान करने का माध्यम मैं बनी. पोस्ट की प्रशंसा के लिए तथा इतने मधुर शब्दों में प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
Maheshwer ki nvintam photo dekhkr bahut achchha laga bhag 2 ka intjar rahega
होलकर जी,
प्रतिक्रिया तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद. भाग दो तो अब तक आप पढ़ ही चुके होंगे.
halaki aapka aage ka lekh bhi post ho gaya hai,kintu main ye wala post nahi padh paya tha to bina deri kiye ye post padh dala.bahut hi sundar lag raha hai maheshwar.ghat to bahut hi sundar hai,ina sundar ki mera man bhi isi ghat par nahane ka hone laga. barish ke mousam me ghumne ka anand hi kutchh aur hai,main to barish shuru hui ki nahi ,beti jo 6 saal ki hai uske saath chhat par jarur nahane jata hun.aapko hriday se dhanyawad dena chahunga kyuki aapne likha hai ki ganga me nahane aur narmada ke darshan matr se hi sare paap dhul jate hain,to main bata dun ki main chhora ganga kinare wala,patna ka rehne wala hun.aur ganga snan karta rehta hun aapka bahut shukria ki narmada ji ke dasrshan kara diye.apka naam kavita aur kavita jaisa likha–bhakt ke aage bhakt bara pasand aaya.shivam babu ko mera pyar.aur haan ek jankari aur de to behtar,ye maheshwar rail route par hai ya nahi?
राजेश प्रिया जी,
पोस्ट को पसंद करने तथा प्रतिक्रिया भेजने के लिए हार्दिक आभार. आपका यहाँ आने का जब भी प्लान हो तो कोशिश कीजियेगा की बारिश में ही आना हो. महेश्वर पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन तथा हवाई अड्डा इंदौर में ही है, वैसे खंडवा से भी यहाँ पहुंचा जा सकता है.
थैंक्स.
sahi me MP deserve to be call as heart of India..
and you guys are exploring it..
thnx for share Mrs.Kavita Ji..
अभिषेक जी,
आपने सही कहा मध्य प्रदेश अतुल्य भारत का ह्रदय कहलाने के योग्य है. पोस्ट पढने तथा कमेन्ट भेजने के लिए धन्यवाद.
एक बिल्कुल नये स्थान से परिचय कराने के लिए धन्यवाद. बहुत ही अच्छा विवरण है. कई बार रेल से आते जाते पवित्र नर्मदा के दर्शन हुए हैं, नाव वाला फोटो बहुत ही सुंदर है.
Hello Kavita ji,
Thanks for such a wonderful article. I was not aware of this place…But thanfully after reading your article I just thought when ever I get chance I will definetly visit this place.Aur shayad bhagwaan ne humari sun li…My Husband gave me a surprise trip to Maheswar , Omkareshwar and Ujjain Mahakaleshwar on my birthday last week…Since I already read your article , It looked like to me as if I was visiting this place for second time…Thanks again…
अभीरुची,
आपसे ज्यादा ख़ुशी मुझे हो रही है आपकी कमेन्ट पढ़कर, बड़ा ही दैवीय लग रहा है यह सम्पूर्ण घटनाक्रम, आपने पोस्ट पढ़ी और आपके मन में यहाँ जाने की इच्छा जागृत हुई और बड़े ही आश्चर्यजनक ढंग से आपके पतिदेव ने आपके जन्मदिन के तोहफे के रूप में उज्जैन – ओंकारेश्वर- महेश्वर की यात्रा की सौगात दी.
मेरी ओर से आपको तथा आपके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं इस यात्रा के लिए.
धन्यवाद.
jay jay shreenath ji kavita ji. Ghani Ghani Khamma Sa Thane. bahut hi sundar pics he maheshvar ghat ke aur maa narmada ji kee.. Aur bahut hi Sundar varnan kiya he Aaape Apni maheshwar tour ke bare…… Maheshwarr ke mandir aur kile bahut hi amajinggg heeeeee……. me bhi 2 baaar omkareshvar ji aaya tha. lekin maheshvar nahi gaye . omkareshvar ji se maheshwar aur khargon kitna dur padta he..
Ghani Khamaa
Tarun From Udaipur City (Mewad) Rajasthan.
Kadar nath