कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अपने आप में ही à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› समेटे हà¥à¤¯à¥‡ होते है कि आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नज़रंदाज़ नही कर सकते, à¤à¤²à¥‡ ही वो परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिहाज़ से बिलकà¥à¤² मà¥à¤«à¤¼à¥€à¤¦ ना हों, सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का घोर अà¤à¤¾à¤µ हो अथवा मà¥à¤•़मà¥à¤®à¤² तौर पर ही नदारद हों, पर उनकी फि़ज़ा में ही कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ घà¥à¤²à¤¾-मिला सा होता है कि देश-विदेश से लोग अपने आप ही उनकी तरफ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होते रहें हैं | पà¥à¤°à¤à¤¾à¤®à¤‚डल (aura), केवल देवतायों या मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की ही मिलà¥à¤•ियत नही, à¤à¤• à¤à¤°à¤¾ पूरा शहर à¤à¥€, अपने आवरण के चारों तरफ उसे समेट सकता है, ये बात पà¥à¤·à¥à¤•र में जा कर ही मालूम होती है, कि कैसे इसके मोहपाश में वशीà¤à¥‚त हà¥à¤¯à¥‡ लोग चारों दिशायों से इसकी और खिंचे चले आते हैं | आप कहेंगे, ये तो धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता है जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यूठखींच ले आती है और लोग अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤¸à¥€ जगहों की कमियों को à¤à¥€ इसी वज़ह से नज़रंदाज़ कर जाते हैं, जिससे उनकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को चोट ना पहà¥à¤‚चे | आप आंशिक तौर पर सही à¤à¥€ हो सकते हैं, मगर यह पूरा सतà¥à¤¯ नही | कà¥à¤› तो है धरती के इस टà¥à¤•ड़े और इसकी आबो़-हवा में, जो इसे महज़ à¤à¤• तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ना बनाकर तीरà¥à¤¥à¤°à¤¾à¤œ का दरà¥à¤œà¤¾ दिलवाती है | शायद, कà¥à¤› जगहों का अपने दौर में रà¥à¤•े रहना ही उनकी नियति है, आधà¥à¤¨à¤¿à¤•ता और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता में छतà¥à¤¤à¥€à¤¸ का आà¤à¤•ड़ा है, इसलिये अकारण नही कि तमाम सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को छोड़कर यूरोप और अमेरिका, जैसे विकसित देशों से आये हà¥à¤¯à¥‡ यायावर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•, यहाठà¤à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¥€ जगहों पर महीनों पड़े रहते हैं, यहाठउनके हाशिये पर रह रहे समाज के नागरिक à¤à¥€ रहना गवारा ना करें |
जी हाà¤, कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही जलवा है तीरà¥à¤¥à¤°à¤¾à¤œ पà¥à¤·à¥à¤•र का ! कà¥à¤¯à¤¾ गज़ब का शहर है ! ऊपरी तौर पर तो हो सकता है, इस शहर से सामना होते ही आप नाक-मà¥à¤à¤¹ सिकोड़ लें, छी…!!! इतनी गंदगी !, जगह जगह जानवर घूम रहें है, पहली नज़र में ही पà¥à¤·à¥à¤•र कà¥à¤› उनà¥à¤¨à¥€à¤‚दा और अलसाया सा शहर नज़र आता है और आप पूरे अधिकार से कह सकते हैं कि, कोई सिविक सेनà¥à¤¸ नही है लोगों में, टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¼à¤¿à¤• free for all है, आपसे आगे वाला आपको साइड दे या ना दे, ये उसकी मरà¥à¤œà¥€ पर मय़सà¥à¤¸à¤° है, यदि कोई सड़क पार कर रहा है तो अपनी ही धà¥à¤¨ में चलेगा, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पूरे इतà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¾à¤¨ से और अपना पूरा समय लेता हà¥à¤†, कहीं कोई जलà¥à¤¦à¥€ नही ! आखिर जितना हक़ आपका इस सड़क पर है उतना तो उसका और सड़क पर खà¥à¤²à¥‡ घूम रहे अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•ार के जानवरों का à¤à¥€ है, आप तो आज आयें है, आज नही तो कल चले जायेंगे पर ये सब तो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ है, à¤à¤• आपके कहने à¤à¤° से या आपकी कà¥à¤› पलों की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठये शहर अपने मिज़ाज़ को à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‚ठबदलें !
“कबीरा कà¥à¤†à¤ à¤à¤• है, पानी à¤à¤°à¥‡à¤‚ अनेक |
à¤à¤¾à¤‚डे में ही à¤à¥‡à¤¦ है, पानी सबमे à¤à¤• ||”
जयपà¥à¤° से करीब 140 किमी तथा अजमेर से लगà¤à¤— 12-13 किमी दूर, धरा के इस à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— पर à¤à¤• अलग ही रंग का हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ बसता है, à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ जिसे केवल देखने नही, बलà¥à¤•ि महसूस करने, इसे जीने और इसकी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता में डूबने, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° से लोग इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं | हो सकता है, आप इसे सिरà¥à¤« इस वज़ह से जानते हों कि यहाठबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है जो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में इकलौता ही है, वैसे मैंने सà¥à¤¨à¤¾ है कि à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बाली (इंडोनेशिया) में à¤à¥€ है, मगर आम हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ लोगों की पहà¥à¤à¤š में तो यह ही à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है, सो उनका आना तो लाजिमी है और समठमें à¤à¥€ आता है, मगर किस कारण से और किसकी तलाश में, इतने रंग-बिरंगे, विदेसी लोग जाने कहाà¤-कहाठसे यहाठआते हैं और फिर, आते हैं तो ठहर ही जाते हैं, महीनों-महीनों à¤à¤° ! और फिर जिन जगहों पर ठहरते हैं वहाठकà¥à¤› अपनी à¤à¤¸à¥€ यादें छोड़ जाते हैं कि जब उनका कोई और करीबी यहाठआता है तो उसी होटल, गेसà¥à¤Ÿà¤¹à¤¾à¤‰à¤¸ या धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ का वही कमरा माà¤à¤—ता हैं, जिसमे उसका कोई संगी, कोई साथी या देशवासी कà¥à¤› समय गà¥à¤œà¤¾à¤° कर गया था | शहर तो आप ने अनेकों देखे होंगे, अनेकों जगहों पर कà¥à¤› दिन गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‡ à¤à¥€ होंगे, पर कà¥à¤¯à¤¾ कà¤à¥€ आपने किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ आसकà¥à¤¤à¤¿ दिखाई कि जिस जगह को मेरा परिचित जिस हाल में छोड़ कर गया था, मà¥à¤à¥‡ वही कमरा, उसी हालत में चाहिये, उसी रंग में पà¥à¤¤à¥€ दीवालें, वो उघड़ा हà¥à¤¯à¤¾ दीवाल का पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤°, वही टूटे हà¥à¤ कांच वाली खिड़की, वो पंखें का तिरछा बà¥à¤²à¥‡à¤¡, जो उसके किसी पूरà¥à¤µà¤µà¤°à¥à¤¤à¤¿ साथी ने अपने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के कà¥à¤› अदà¤à¥à¤¤ कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में किसी à¤à¤• खास दिशा में मोड़ दिया था, वो दीवाल पर लिखी इबारत, और अगले आने वाले के लिठà¤à¤• संदेशा, जिस वजह से जगह का मालिक सालों-साल चाह कर à¤à¥€ सफेदी नही करवा पाता, कि कब इसका कोई दूसरा मितà¥à¤° आयेगा और मà¥à¤à¤¸à¥‡ वही दरों-दीवार मांगेगा, तो फिर, मैं कैसे वो उसे ला कर दे पाऊंगा ! मालिक, मालिक ना हो कर केवल à¤à¤• रखवाला (केयर टेकर) बन जाये, वो à¤à¥€ किसी दबाव या जबरदसà¥à¤¤à¥€ से नही, अपनी ही ख़à¥à¤¶à¥€ से… ये इस शहर के मिज़ाज़ का à¤à¤• ज़़ायका है !
à¤à¤• बेहद छोटा सा शहर, जिसे à¤à¤• छोर से दूसरे छोर तक आप पैदल ही माप सकते हैं, मगर अपने आप में पूरी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का रहसà¥à¤¯ समेटे, à¤à¤• निहायत ही अलग सी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ! कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ दैवीय शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, कà¥à¤› आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता, और निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से बहà¥à¤¤ सा पà¥à¤°à¤•ृति का वरदहसà¥à¤¤ अपने ऊपर लिये हà¥à¤¯à¥‡, नाग पहाड़ी, पà¥à¤°à¤•ृति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अजमेर और पà¥à¤·à¥à¤•र के बीच खींची गयी à¤à¤• à¤à¥Œà¤—ोलिक सीमा रेखा है | ये शहर तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हà¥à¤† है, और इनके मधà¥à¤¯ है, कà¥à¤›-कà¥à¤› वलयाकार सी आकृति लिठहà¥à¤¯à¥‡ यह बेतरतीब सा सरोवर, जो इसकी समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता और दरà¥à¤¶à¤¨ का आधार है | कितने हाथ गहरा है, ये तो हम नही जानते मगर इसका होना ही अपने आप में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है | पà¥à¤·à¥à¤•र के साथ जो à¤à¥€ दà¤à¤¤-किवà¤à¤¦à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾, कहानियाठऔर चमतà¥à¤•ार जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ हैं, यूठलगता है जैसे इसी सरोवर की कोख से ही उपजें हों | इस सरोवर की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के साथ जो मिथक जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं, वो à¤à¥€ कà¥à¤› कम दिलचसà¥à¤ª नही, कहते हैं, जब दानव वजà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी की संतानों का वध कर दिया तो उसे मारने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना असà¥à¤¤à¥à¤°, जो कि कमल है, चलाया | उस कमल के फूल की à¤à¤• पंखà¥à¤¡à¤¼à¥€ छिटक कर इस रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ धरती पर गिरी, जिससे इस धरती पर पानी का शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤° फूट पड़ा, जिसने à¤à¤• à¤à¥€à¤² का रूप ले लिया और आज, यह à¤à¤• सरोवर के रूप में हमारे सामने है | बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के नाम का सरोवर, बीच à¤à¥€à¤² में à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° नà¥à¤®à¤¾ इमारत है, पर उसमे कहीं कोई मूरà¥à¤¤à¥€ नही, कà¤à¥€ देखा सà¥à¤¨à¤¾ नही कोई à¤à¤¸à¤¾ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जिसमे उसके देवता की मूरà¥à¤¤à¥€ ही ना हो ! सà¥à¤¨à¤¾ है, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी ने इस जगह पर यजà¥à¤ž करवाया परनà¥à¤¤à¥ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ सावितà¥à¤°à¥€ ने हार-शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार में बहà¥à¤¤ अधिक समय लगा दिया और इधर आहà¥à¤¤à¤¿ का समय निकला जा रहा था तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहीं की à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ महिला ‘गायतà¥à¤°à¥€â€™ को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ की जगह बिठा, सà¤à¥€ विधियाठपूरी कर ली, पर जैसे ही सावितà¥à¤°à¥€ उस जगह पहà¥à¤‚ची और अपनी जगह किसी और महिला को पतà¥à¤¨à¥€ के आसन पर बैठे देखा तो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी को शà¥à¤°à¤¾à¤ª दिया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पास ही के रतà¥à¤¨à¤¾à¤—िरी के जंगल में चली गयी जिस वजह से इस जगह पर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तो है पर इस मंदिर में उनकी कोई मूरत नही, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• शà¥à¤°à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ देवता की मूरà¥à¤¤à¥€ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤° समà¥à¤®à¤¤ नही |
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर में मनà¥à¤¦à¤¿, जिसमे कोई मूरà¥à¤¤à¥€ नही
पà¥à¤·à¥à¤•र, जिसका इतिहास ईसा पूरà¥à¤µ दूसरी से चौथी शताबà¥à¤¦à¥€ तक जाता है, इतना विलकà¥à¤·à¤£ और समरà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, कि जो कालिदास के अà¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¶à¤¾à¤•à¥à¤¨à¥à¤¤à¤²à¤® में à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पा गया, जिसका जिकà¥à¤° रामायण और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में आदि तीरà¥à¤¥ के तौर पर हà¥à¤†, बà¥à¤¦à¥à¤§ के सà¥à¤¤à¥‚पों में, चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ यà¥à¤— के समय के पाये गये सिकà¥à¤•ों में à¤à¥€, और जिस जगह पर हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤ इतिहास के सबसे बड़े घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ गà¥à¤°à¥ नानक के साथ-साथ गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी à¤à¥€ आये, आप उसे यूठखारिज नही कर सकते | कà¤à¥€ सोच कर देखो तो हैरानी होती है कि चारो तरफ रेत के विशाल रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से घिरा यह छोटा सा टापू नà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, और इसके मधà¥à¤¯ में बनी यह à¤à¥€à¤², जिसे हम और आप बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर के नाम से जानते हैं, कैसे अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बचा कर रख पाया होगा ! वाकई, जिस पà¥à¤°à¤•ार इस सृषà¥à¤Ÿà¥€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ और विलकà¥à¤·à¤£ घटना है, उसी पà¥à¤°à¤•ार से इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का, इतनी विकट परीसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ अपने आप को जीवित रख पाना à¤à¥€ असाधारण ही रहा होगा !
मथà¥à¤°à¤¾ के बाद ये दूसरा शहर है, जिसमे घूमने का à¤à¤• अलग ही मज़ा है, हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के सारे रंग, अपने सदाबहार à¤à¤¿à¤–ारियों और मदारियों से लेकर, औघड़ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक, सब इस सरोवर के अलग-अलग घाटों पर आप पा जायेंगे, कहीं कोई टोकरी में साà¤à¤ª रखे घूम रहा है, कहीं कोई सर पर बड़ा सा थाल सजाये, और उसमे बेहद करीने और नफ़ासत से मिटà¥à¤Ÿà¥€ के छोटे-छोटे कà¥à¤²à¥à¤¹à¤¡à¤¼ लगाये, चलता फिरता चाय वाला मिल जायेगा, तो कहीं, केवल अपनी गरà¥à¤¦à¤¨ à¤à¤° हिला कर, हामी à¤à¤° देने à¤à¤° से, आपकी सà¤à¥€ लौकिक और परालौकिक इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ पूरी कर देने वाली गाय माता, कोई à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤, जो केवल आपके ललाट पर तिलक ही लगाने à¤à¤° से अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ अपनी आजीविका में पूरà¥à¤£ आनंद कमा लेता है, तो पास ही बैठा कोई सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ आपकी पूरी जनà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤°à¥€ ही मिनटों में बना कर बाà¤à¤š à¤à¥€ देगा | जीवन और मोकà¥à¤· के वो सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚त, मौत के वो रहसà¥à¤¯, जिसे नचिकेता ने, पिता की आजà¥à¤žà¤¾ समठअपने जीवन तà¥à¤¯à¤¾à¤— को ही ततà¥à¤ªà¤° हो, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ यम से सीखा, आप उसे यूठही राह किनारे खड़े किसी सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ से दस मिनट की चरà¥à¤šà¤¾ से जान सकते हो ! किसी पिनक में कोई साधू घूमता बीच सडक पर पकड़ लेता है आपको, और फिर जो आप पर उसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की घटा घनघोर वरà¥à¤·à¤¾ होती है कि आप तपते सूरज की तपिश में à¤à¥€ यूठà¤à¥€à¤— जाते हो जैसे सावन की à¤à¤¡à¤¼à¥€ से सामना हà¥à¤† हो | कà¥à¤¯à¤¾ बात है à¤à¤¾à¤ˆ ! आप कà¥à¤¯à¤¾ सोचते हैं, à¤à¤¸à¥‡ थोड़े ही इतने अà¤à¤—रेज़ पà¥à¤·à¥à¤•र में डेरा डाले बैठे रहते हैं, ये बाबा लोग, उनके आशà¥à¤°à¤®, और फिर ऊपर से चिलम का सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ !Â
2. कà¤à¥€-कà¤à¥€ विकलांगता à¤à¥€ धन अरà¥à¤œà¤¨ का साधन बन जाती है
पà¥à¤·à¥à¤•र की गलियों में घà¥à¤®à¤¤à¥‡ सपेरे संग नाग देवता
गà¥à¤œà¤°à¥‡ ज़माने के सारंगी वादक के साथ कà¥à¤› बतकही के लमà¥à¤¹à¥‡
कहते हैं सन साठ-सतà¥à¤¤à¤° में अमरीका का नौजवान वरà¥à¤— हिपà¥à¤ªà¥€ विचारधारा से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ था, बस कà¥à¤› दरà¥à¤¶à¤¨, कà¥à¤› समाज से बगावत का à¤à¤¾à¤µ, कà¥à¤› डà¥à¤°à¤—à¥à¤¸ ! और बस, फिर à¤à¥‚मते गाते, हरे रामा हरे कृषà¥à¤£à¤¾ करते रहना, इसी नाम और इसी विषय पर देवानंद ने à¤à¤• फ़िलà¥à¤® à¤à¥€ बनाई थी, और यहाठघूमते ही लगता है मानो उसी दौर में पहà¥à¤à¤š गये हों, à¤à¤¸à¥‡ ही शहरों में आकर लगता है जैसे समय का पहिया कà¥à¤› थम सा गया है, मगर इस सबका अनà¥à¤à¤µ है मजेदार !
तंग और संकरी सड़क, दोनों तरफ लगी दà¥à¤•ाने, बीच में से आप का गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾, हैरानी और विसà¥à¤®à¤¯ के à¤à¤¾à¤µ लिये, आप जैसे किसी मोहिनी के मोहपाश में बंधे, à¤à¤• के पीछे à¤à¤• होकर, यूठबढ़ते जा रहें है, जैसे जंगल में à¤à¤• मृगशावक के पीछे दूसरा मृगशावक हो लेता है, ठीक उसी पà¥à¤°à¤•ार से इक अनजानी सी मृगतृषà¥à¤£à¤¾ के मोहपाश में खिंचे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर की तरफ अपने कदम बढायें जा रहें हैं | बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर के करीब पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही, à¤à¤• पंडे नà¥à¤®à¤¾ गाइड से बात हो जाती है जो 50 रà¥à¤ªà¥ˆà¤¯à¤¾ लेगा, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर की कथा बाà¤à¤šà¥‡à¤—ा और फिर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¥€ ले कर जायेगा | कथा तो वही है, जो मैंने ऊपर उचरी, पर ये सरोवर तो अपने पà¥à¤°à¤–ों की मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के यतà¥à¤¨ का à¤à¤• साधन à¤à¥€ है | बस आप जेब ढीली कीजिये, शà¥à¤°à¤®, साधà¥à¤¯ और साधक मिल कर उस फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का आपके अंतरà¥à¤®à¤¨ को अहसास करवाने का बीड़ा उठा लेते हैं, बस शरà¥à¤¤ यही है आप वो सब करते जाà¤à¤ जो आपसे करवाया जा रहा है, कà¥à¤¯à¥‚ंकि डर तो अनदेखे अनजाने का है और उसी से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का यहाठवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° है, तथा धरà¥à¤® हमारी इसी मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥€ को समà¤à¤¨à¥‡ और छलने का औजार ! जीते जी जिन माà¤-बाप के लिठना तो समय निकल पाया, ना पैसा और ना ही कà¥à¤› करने की नीयत, बस उनके नारायण वाहन होते ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मोकà¥à¤· दिलवाने का कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ लोठकि घाट पर तरà¥à¤ªà¤£ करवाने वालों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ बड़ती जा रही है, और इधर सूरà¥à¤¯ देवता à¤à¥€ मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ हो जैसे अपनी जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ इस सरोवर में उड़ेलते जा रहें हों | धरà¥à¤®, आसà¥à¤¥à¤¾, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, अविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ सब यहाठआकर गडमड हो जाते हैं, जग रचना मिथà¥à¤¯à¤¾ है, हम सब जानते हैं पर यहाठतो उसका अवलमà¥à¤¬à¤¨ करना ही है | दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ की परà¥à¤šà¥€ कटवाते हà¥à¤¯à¥‡ फिर से पकà¥à¤•ा कर लिया, à¤à¤¾à¤ˆ कà¥à¤› कमी तो नही रह गयी ! 50 रà¥à¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ में आपको बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर का इतिहास, पूजा विधि बताने के साथ-साथ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के अलावा कà¥à¤› और मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तथा घाट वगैरह à¤à¥€ दिखला देने का सौदा कà¥à¤› बà¥à¤°à¤¾ नही ! बाकी यदि दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ की परà¥à¤šà¥€ में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कमीशन मिलती हो, तो वो हमारी जानकारी में नही ! कà¤à¥€ यहाठगà¥à¤°à¥ नानक à¤à¥€ आये थे और गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह à¤à¥€ और यहाठसरोवर के à¤à¤• घाट का नाम à¤à¥€ गोविनà¥à¤¦ घाट है जिसे कà¥à¤› लोग अब गाà¤à¤§à¥€ घाट à¤à¥€ कहने लगे हैं…. समय-समय की बात है !
घाट से गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साहिब का नज़र आता गà¥à¤¬à¤‚द
पà¥à¤·à¥à¤•र सरोवर में पितरों के मोकà¥à¤· निमित पूजा
वैसे, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर की आमदनी अचà¥à¤›à¥€ है, मगर यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ की दरकार है, अत: à¤à¤¸à¥‡ में यदि यहाठकी संसà¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ अपनी आय का कà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¤¾ कà¥à¤› बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ पर खरà¥à¤š कर दें तो बढ़िया हो जाये ! खैर, चलिये अब यहाठसे कà¥à¤› आगे बढ़ते हैं, सरोवर से कà¥à¤› दूरी पर ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का काफी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है, वैसे आपको बताता चलूं कि मथà¥à¤°à¤¾, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के बाद पà¥à¤·à¥à¤•र à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ शहर है जिसके चपà¥à¤ªà¥‡-चपà¥à¤ªà¥‡ पर आपको मनà¥à¤¦à¤¿à¤° मिलेंगे और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® ! हर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° अपने में à¤à¤• अलग इतिहास समेटे हà¥à¤¯à¥‡ है, मगर इतनी जगहों पर à¤à¤• साथ ना तो जाना समà¥à¤à¤µ हो पाता है और ना ही उन पर ईमानदारी से लिखा जा सकता है इसलिठहम अपने आप को सिरà¥à¤« बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक ही सीमित रखेंगे | कà¥à¤› ऊंचे से चबूतरे पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ ये मनà¥à¤¦à¤¿à¤° अपने आप में विलकà¥à¤·à¤£ इस वजह से à¤à¥€ है कि इस के फ़रà¥à¤¶ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हिसà¥à¤¸à¥‡ और सीढ़ी पर सिकà¥à¤•े गà¥à¤¦à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ हैं, कहते हैं कà¥à¤› तो चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ के यà¥à¤— के à¤à¥€ हैं, पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के समीप à¤à¤• कछà¥à¤ की आकृति है, जिसका मà¥à¤–, मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के गरà¥à¤-गà¥à¤°à¤¹ की तरफ है, अब चूंकि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ का वाहन मोर है, सो अकारण नही कि आप को मोर के अनेकों à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की दीवारों पर à¤à¥€ नज़र आयें और सबसे बड़ी बात पूरे मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का परिदृशà¥à¤¯ ही नीला है, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी की चार मà¥à¤– वाली à¤à¤• मूरà¥à¤¤à¥€ à¤à¥€, जिसे चौमूरà¥à¤¤à¤¿ कहा जाता है, यहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है | कà¥à¤² मिलाकर, à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के मामले में यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° यूठतो साधारण है पर इस शहर के मिजाज से पूरी तरह मेल खाता है, इसी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤à¤—ण में कà¥à¤› और à¤à¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हैं, जिनमे से à¤à¤• बेसमेंट में शिवालय था, और जैसा कि हमे बताया गया कि यह शिवलिंग कई हजार वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है, इस जगह के इतिहास और इसकी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ को देखते हà¥à¤¯à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¥€ हो जाता है कि शायद वासà¥à¤¤à¤µ में ही रहा होगा |Â
हजार वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾, शिवलिंग, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से बाहर आ जायो तो ये शहर वही है, जिसका तिलिसà¥à¤® आपको चà¥à¤®à¥à¤¬à¤• की तरह से अपनी और आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता है | शहर की आबो-हवा मसà¥à¤¤, गलियाठमसà¥à¤¤, जगह-जगह आवारा घूमती गायें मसà¥à¤¤ और सबसे मसà¥à¤¤ और फकà¥à¤•ड़ तबियत लिये हैं इस शहर के आम जन और साधू | हर मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के साधू आपको पà¥à¤·à¥à¤•र की गलियों में मिल जायेंगे, हाà¤, ये बात अलग है कि असली कौन है और फरà¥à¤œà¥€ कौन इसकी परख आसान नही | मोटे तौर पर सबकी निगाह फिरंगियों पर होती है और फिर फिरंगी à¤à¥€ बड़े मसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µ से महीनो इनके साथ ही घूमते रहते हैं, पता नही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के बारे में कितना वो जान पाते होंगे या कितना ये बाबा लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾ पाते होंगे पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर तो पहली नज़र में कà¥à¤› यूठलगता है जैसे गà¥à¤°à¥ और à¤à¤•à¥à¤¤ दोनों ही à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के किसी à¤à¤¸à¥‡ रस में लींन हैं जिसकी थाह पाना आसान नही, जी हाठपà¥à¤·à¥à¤•र इस के लिठà¤à¥€ जाना जाता है | वैसे, ये बाबा लोग अपने इन फिरंगी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर अपना पूरा अधिकार रखते हैं और आपको इन से घà¥à¤²à¤¨à¥‡-मिलने नही देते |
इस शहर की धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता, और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता के इस बेà¤à¥‹à¤¡à¤¼ और आलौकिक रस में डूबे-डूबे से आप आगे बढ़तें हैं तो घाट के दूसरी तरफ ही गà¥à¤°à¥ नानक और गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी की पà¥à¤·à¥à¤•र यातà¥à¤°à¤¾ की याद में बना ये शानदार गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ है, पà¥à¤·à¥à¤•र में आकर इस गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ ! और ऊपर से लंगर का समय ! लगता है ऊपर जरà¥à¤° कोई मà¥à¤¸à¥à¤•रा कर अपना आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ हम पर बरसा रहा है…ज़हे नसीब !!! Â
गà¥à¤°à¥ नानक देव जी की याद में बना इतिहासिक गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾
यदि बात पà¥à¤·à¥à¤•र की हो रही हो तो, यहाठà¤à¤• बात का जिकà¥à¤° और कर लें कि यहाठबनà¥à¤¦à¤° बहà¥à¤¤ है और उनमे à¤à¥€ ख़ास तौर पर उनकी à¤à¤• पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ लंगूर का तो वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ है, पà¥à¤·à¥à¤•र आने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से लेकर घाट तक, हर जगह आप इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पा सकते हैं और हमारे जैसे तो अपने घर से निकलते ही अपने सामान के साथ-साथ गà¥à¤¡ और चना जरूर रखते हैं इनके लिये, बीच राह कहीं कार किनारे पर लगा, इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› खिलाने पर à¤à¤• अजब सी संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ मिलती है | चलिà¤, अब लगे हाथ     यहाठकारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास में लगने वाले उन दो मेलों का जिकà¥à¤° à¤à¥€ कर लें जिनके कारण पà¥à¤·à¥à¤•र देश विदेश में जाना जाता है, पहला मेला पूरे तौर पर धारà¥à¤®à¤¿à¤• है जो 5 दिन चलता है और इस दौरान आने वाले शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर के मोकà¥à¤· की कामना करते हैं और दूसरा पà¥à¤·à¥à¤•र के ही बाहरी à¤à¤¾à¤— में लगने वाला पशॠमेला है, जिसमे पूरे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और आस-पास के राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से लोग अपने जानवरों जैसे ऊà¤à¤Ÿ, गाय, à¤à¥ˆà¤‚स, बकरी, गधा, à¤à¥‡à¤¡à¤¼ आदि बेचने-खरीदने आते है और अब तो यह मेले अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¥€ अपनी पहचान बना चà¥à¤•े हैं, और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखने हजारों विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• à¤à¥€ आते हैं | आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता और धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता के इस अनूठे मेल में रंगे हà¥à¤¯à¥‡ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का ये à¤à¥€ à¤à¤• अनूथा ही रंग है | धारà¥à¤®à¤¿à¤•ता से थोड़ा इतर मगर हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ की परंपरागत कृषि आधारित अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और उसमे पशॠधन के महतà¥à¤µ को रेखांकित करता हà¥à¤† à¤à¤• परà¥à¤µ !
कà¥à¤› तो इतनी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ गांठलेते हैं कि कार पर ही सवार हो जाते हैं
पà¥à¤·à¥à¤•र में घूमते हà¥à¤¯à¥‡ महसूस होता है कि समय की यहाठकोई बंदिश नही, जितना à¤à¥€ समय हो, यहाठकम पढ़ जाता है, कà¥à¤¯à¥‚ंकि यह शहर तो हर बदलते पल के साथ à¤à¤• नये रंग के साथ आपके सामने आता है, यदि मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क से घाट तक आप गये तो à¤à¤• रंग, वापिस लौटे तो बिलकà¥à¤² बदला हà¥à¤† रंग, दिन में दस बार गà¥à¤œà¤°à¤¿à¤¯à¥‡, दस à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के रंगो से आपका सामना होगा, इतनी विलकà¥à¤·à¤£à¤¤à¤¾ ! परनà¥à¤¤à¥ समनà¥à¤µà¤¯ à¤à¥€ इतना कि हर रंग दूजे में गà¥à¤‚ठा ही मिलेगा, हर बार !
यहाठसे निकलने की इचà¥à¤›à¤¾ तो नही, परनà¥à¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•ता, दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•ता पर हावी हो जाती है और फिर हम इस शहर के तिलिसà¥à¤® और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता से बाहर निकल, à¤à¤• बार फिर से जयपà¥à¤° का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ लेते है, यूठही बीच राह à¤à¤• खà¥à¤¯à¤¾à¤² आता है जब à¤à¥€ आप à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में कà¥à¤› समय गà¥à¤œà¤¾à¤° कर जाते हो तो फिर अकेले वापिस नही जा पाते ! या कम से कम उन à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के साथ नही जा पाते, जिनके साथ आये थे ! वो शहर, उसकी दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•ता, उसके वासी, सब सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बनकर जà¥à¤¡à¤¼ जाती हैं आपके अंतरà¥à¤®à¤¨ में, और फिर वो आपके अवचेतन का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ बनकर आपके साथ वापिस जाता है | कोई à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ अकारण नही होती, हर यातà¥à¤°à¤¾ का à¤à¤• मनोरथ और à¤à¤• उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ होता है, कà¥à¤› परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ तथा बहà¥à¤¤ सा अपरिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤, और आपकी नियति आपकी यातà¥à¤°à¤¾ की निरनà¥à¤¤à¤°à¤¤à¤¾ में ही समाहित है | अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ ये सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ असमà¥à¤à¤µ है कि आप घर बैठे-बैठे, यूठही अचानक किसी रोज़, घर पर ताला डाल, सैंकड़ों किमी दूर किसी अंजान से शहर में निकल आयें… à¤à¤²à¥‡ ही हम अपनी तà¥à¤šà¥à¤› बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वश तातà¥à¤•ालिक रूप से उन कारणों को जान नही पाते, मगर कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही होता है, जो समय और समठके बोध से परे होता है | बहरहाल, यहाठसे जाते हà¥à¤¯à¥‡ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तौर पर इस बात का संतोष है कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में अपनी तरह के सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ इकलौते बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सरोवर और बहम मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के हमें दरà¥à¤¶à¤¨ का अवसर मिला, साथ ही उस जगह की चरण धूली तथा उस माटी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करने का मौका à¤à¥€ मिला, जिसकी रज़-रज़ को आदि काल से ना जाने कितने ही महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की चरण पादà¥à¤•ायों के सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का दà¥à¤°à¥à¤²à¤ अवसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† होगा. और अब, यहाठसे जाते हà¥à¤¯à¥‡ इस बात की संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के साथ जा रहें हैं कि हम à¤à¥€ इस परंपरा के वाहक बन सके कि इस सरोवर के माधà¥à¤¯à¤® से ही सही, à¤à¤• बार फिर से अपने पà¥à¤°à¤–ों और पितरों को सà¥à¤®à¤°à¤£ कर के उनके लिये मोकà¥à¤· की कामना कर सकें | à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और उनकी माया, चेतन को चैतनà¥à¤¯ की तरफ कà¥à¤› यूठपरिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ कर देती है, जिसके लिये कबीर ने कà¤à¥€ कहा होगा-
” कबीरा मन निरà¥à¤®à¤² à¤à¤¯à¤¾, जैसे गंगा तीर |
पीछे लागा हरी फिरे, कहत कबीर कबीर || “
और बस यूठही विचारों की इस à¤à¤à¤à¤¾à¤µà¤¤ के बीच à¤à¤• बार फिर से हमारी कार जयपà¥à¤° की तरफ बढ़ी चली जा रही है |