काशà¥à¤®à¥€à¤° के बारे में अकà¥à¤¸à¤° कहा जाता है कि धरती पर सà¥à¤µà¤°à¥à¤— कही है तो यही है,किनà¥à¤¤à¥ जिस à¤à¥€ मà¥à¤—़ल बादशाह ने ये कहा उसने लदà¥à¤¦à¤¾à¤– की यातà¥à¤°à¤¾ नही की थी शायद इसीलिठलदà¥à¤¦à¤¾à¤– को कशà¥à¤®à¥€à¤° राजà¥à¤¯ का हिसà¥à¤¸à¤¾ बना दिया गया है ।
लदà¥à¤¦à¤¾à¤– तक पहà¥à¤šà¤¨à¤¾ ही अपने आप में लोमहरà¥à¤·à¤• वॠरोमांचक है या यॠकहे कि ये यातà¥à¤°à¤¾ ही मंजिल है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि लेह सिरà¥à¤« à¤à¤• पड़ाव है इस यातà¥à¤°à¤¾ का ।
बहà¥à¤¤ बार व बहà¥à¤¤ कà¥à¤› सà¥à¤¨ रखा था रासà¥à¤¤à¥‡ की कठिनाइयो à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ के बारे में छोटे à¤à¤¾à¤ˆ मनोज के मà¥à¤¹ से जो कई वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ मोटरसाइकिल से लदà¥à¤¦à¤¾à¤– और खारदà¥à¤¨à¥à¤—ला तक यातà¥à¤°à¤¾ कर चूका था अत: à¤à¤• दिन तय हà¥à¤† की हम à¤à¥€ जायेंगे किनà¥à¤¤à¥ कठिनाइयो को देखते हà¥à¤ निरà¥à¤£à¤¯ लिया कि पतà¥à¤¨à¥€ बचà¥à¤šà¥‹ को फिलहाल साथ न लिया जाà¤à¥¤
हम पांच à¤à¤¾à¤ˆ हमारे मामाजी (जो उसी साल रिटायर हà¥à¤ थे व हमारे लिठमितà¥à¤°à¤µà¤¤ ही थे)व पà¥à¤²à¤¿à¤¸ में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मितà¥à¤° à¤à¤¸à¥‡ सात लोगो का समूह (जिसे मेरे बचà¥à¤šà¥‹ ने बाद मेंThe Megnificient seven का नाम दिया है)

Amid no where
à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² से 5 अगसà¥à¤¤ को तमिलनाडॠà¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में सवार होके 6 अगसà¥à¤¤ की सà¥à¤¬à¤¹ निजामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ उतरे,हमने पहले ही à¤à¤• टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤² à¤à¤œà¥‡à¤‚ट से सात सीटर टवेरा बà¥à¤• कर रखी थी जो सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर तैयार खड़ी थी -डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° था आर पी सिंह नाम का à¤à¤• यà¥à¤µà¤¾ जिसके कंधो पर अगले कà¥à¤› दिनों तक हमारे जीवन का à¤à¤¾à¤° था,तय किया था कि à¤à¤²à¥‡ ही हम सात निषà¥à¤£à¤¾à¤¤ वाहन चालक थे किनà¥à¤¤à¥ कोई à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤:गाडी नही चलाà¤à¤—ा व डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को किसी तरह का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ नही देगा,खैर हम सब अपनी सीट पर बैठगये सामान छत पे और तà¥à¤°à¤‚त ही निकल पड़े ताकि दिलà¥à¤²à¥€ के टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• के शà¥à¤°à¥‚ होने के पहले दिलà¥à¤²à¥€ से बाहर हो जाà¤,लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ थी और सà¤à¥€ को घर से ढेर ढेर खाने का सामान मिला था जो à¤à¤• बैग में रख दिया था पर जब गाडी चलने पर उसे ढूà¤à¤¢à¤¾ गया तो गायब,याद आया कि टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की बरà¥à¤¥ के पास हà¥à¤• पर लटका दिया था पर उतारना à¤à¥‚ल गये,कà¥à¤¯à¤¾ कर सकते थे ,पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में बार बार उस खाने के बैग की याद आने वाली थी ।
आधे घंटे में दिलà¥à¤²à¥€ से बाहर निकल गये और रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• ढाबे पे रà¥à¤• कर नितà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹ से निवृत हो नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और मनाली का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ा ,मनाली लेह हाईवे से जाना तय हà¥à¤† था ,ये रासà¥à¤¤à¤¾ बॉरà¥à¤¡à¤° रोड आरà¥à¤—ेनाईजेशन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लेह तक पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• मारà¥à¤— के रूप में तैयार किया गया है पहले शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र सोनमरà¥à¤— कारगिल होते हà¥à¤ à¤à¤•लौता रासà¥à¤¤à¤¾ था । लेह तक के रासà¥à¤¤à¥‡ पे आनेवाले छोटे बड़े गाव :-
दिलà¥à¤²à¥€ से बिलासपà¥à¤°
मनाली – रोहतांग — कोकसर – टाणà¥à¤¡à¥€ – केलांग – जिसà¥à¤ªà¤¾ – दारचा – जिंगजिंगबार – बारालाचा ला – सरचू – गाटा लूप – नकीला – लाचà¥à¤²à¥à¤‚ग ला – पांग – मोरे मैदान – तंगलंग ला – उपà¥à¤¶à¥€ – कारॠ– लेह
चंडीगढ़ से थोडा पहले रासà¥à¤¤à¤¾ मनाली के लिठशà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† और हाईवे की गति को तिलांजलि देना पड़ी,पहाड़ी रासà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हो चूका था जो की खतरनाक à¤à¥€ था और लà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¥€à¥¤
अब मà¥à¤¶à¥à¤•िलों का दौर शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जिसके लिठमानसिक रूप से पूरी तरह सातो तैयार थे,गाडी का à¤à¤• पहिया पंकà¥à¤šà¤° हो गया और उसे बदल कर अगले उपलबà¥à¤§ जगह उसे ठीक करवा के आगे बढ़ने में लगà¤à¤— आधा घंटा लग गया ,बिना सà¥à¤Ÿà¥‡à¤ªà¤¨à¥€ के आगे बढ़ना मूरà¥à¤–ता होती।
शà¥à¤°à¥‚आती हिमालय देख के आनंद आ रहा था हलà¥à¤•ी ठंडी हवा चल रही थी और बातचीत व जोकà¥à¤¸ का दौर à¤à¥€ ,जैसे जैसे ऊचाई बढ़ रही थी वैसे ही हलà¥à¤•ी से तेज ठणà¥à¤¡ का दौर à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† और कार की खिडकिया बंद हो गयी,अब तक डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° à¤à¥€ हमसे खà¥à¤² चूका था और हमारा आठवा साथी हो गया था ।
देवदार और चीड के वृकà¥à¤· दिखने लगे थे, à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सी जगह पर पहाड़ी के किनारे बसे हà¥à¤ à¤à¤• ढाबे में पनीर की सबà¥à¤œà¥€ दाल फà¥à¤°à¤¾à¤ˆ जीरा राइस लसà¥à¤¸à¥€ आदि लंच किया और दोपहर समापà¥à¤¤ होते मंडी तक पहà¥à¤š गये थे पर काफी उजाला था तो और आगे कही अचà¥à¤›à¥€ सी जगह रà¥à¤• के नाईट हालà¥à¤Ÿ का निशà¥à¤šà¤¯ किया, बिलासपà¥à¤° (हि.पà¥à¤°.) पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ बादल छाने लगे थे और बिजली की चमक व गडगडाहट दिखाई/सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दे रही थी तब रासà¥à¤¤à¥‡ के किनारे à¤à¤• गेसà¥à¤Ÿ हाउस दिखा ,ऑफ सीजन था इसलिठपूरा खाली था अत:बेहद ससà¥à¤¤à¥‡ में रात बिताने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होने से सब पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे।
कà¥à¤› ही आगे à¤à¤• ढाबा à¤à¥€ था तो पैदल ही पहà¥à¤šà¥‡ खूब à¤à¥‚ख लगी थी तो फटाफट खाने का आरà¥à¤¡à¤° दिया और तà¤à¥€ मूसलाधार बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी और लाइट चली गयी ,घà¥à¤ªà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ ,ठणà¥à¤¡,पहाड़ी और घनघोर बारिश ,हॉलीवà¥à¤¡ की सारी हॉरर फिलà¥à¤®à¥‹ के डरावने सीन याद आ गये लगा की अà¤à¥€ कही से कोई वैमà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¤° आà¤à¤—ी सफ़ेद कपड़ो में या कही से गीत सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देगा “कही दीप जले कही दिल” या गà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤® है कोई”।
खाना तो खा लिया पर अब वापस कैसे जाठ? कपडे गीले हो गये तो सूखेंगे कब और कैसे ?तà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° बोला की मैं अकेले जाके गाडी ले आता हॠताकि सिरà¥à¤« मेरे ही कपडे à¤à¥€à¤—ेंगे तो उसे ढेर सारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और हम सब वापस आके दिनà¤à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ के थके मांदे सà¥à¤¬à¤¹ ठीक 7 बजे आगे की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ करने के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ लेके सो गये इस तरह पहला दिन ख़तà¥à¤® हà¥à¤† ।
दूसरा दिन – बिलासपà¥à¤° से केलोंग
अगले दिन ठीक सात बजे (बिना नहाये)सब समय से निकले और चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ करते हà¥à¤ आगे बढे । यहाठसे मनाली तक का रासà¥à¤¤à¤¾ बेहद ऊà¤à¤šà¤¾ नीचा और घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° किनà¥à¤¤à¥ अतà¥à¤¯à¤‚त खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत था,घने जंगल, गहरी घाटियाà¤,नीचे बल खाती कल कल बहती तेज़ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी à¤à¤• तरफ तो दूसरी तरफ सेवफल के बाग़ जिनमे छोटे सेब à¤à¥€ लगे थे ,कमाल की खूबसूरती चारो और बिखरी हà¥à¤ˆ थी बीच बीच में सूरज à¤à¥€ अपनी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ दरà¥à¤œ कर रहा था,हम लोग à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• जगह नदी किनारे रà¥à¤• गये और थोड़ी देर माहौल का आनंद लिया ।
अपनी गाडी होने से ये अतिरिकà¥à¤¤ फायदा था,खैर à¤à¤¸à¥€ जगह से मन तो कà¤à¥€ à¤à¤°à¥‡à¤—ा नही पर पहाड़ो में कब मौसम बिगड़ जाठकहा नही जा सकता तो सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रासà¥à¤¤à¤¾ तय करते रहना ही अकलमंदी होती है।
दोपहर होते वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पर बने à¤à¤• डैम को पार कर à¤à¥à¤‚तर पहà¥à¤šà¥‡,यहाठमनाली के लिठà¤à¤…रपोरà¥à¤Ÿ है और यही से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के किनारे बसे खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत कसोल और धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगह मणिकरà¥à¤£ की तरफ जाता है,इसी जगह पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी और वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ (Beas) का संगम होता है,अलग रंग की दो धाराठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखती है जो आगे à¤à¤• ही रंग में आ जाती है।
थोड़ी देर यहाठà¤à¥€ रà¥à¤•े और फिर कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ पार करके मनाली का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ा, पूरà¥à¤µ में परिवार के साथ दो बार और टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग के लिठà¤à¤• बार मनाली कसोल मणिकरà¥à¤£ आ चूका हॠपर इस जगह का आकरà¥à¤·à¤£ कà¤à¥€ समापà¥à¤¤ नही होता,देवदार के जंगल से आगे बढे तो ऊंचाई बढ़ना शà¥à¤°à¥‚ हो गयी थी,कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ 1280 मीटर (4000 फीट) की ऊंचाई पर है à¤à¤µà¤‚ मनाली 2050 (6700 फीट) पर , ऊंचाई के साथ हवा पतली हो जाती है à¤à¤µà¤‚ सूरà¥à¤¯ की गरà¥à¤®à¥€ को सोखने की उसकी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कम हो जाती है तो ठणà¥à¤¡ बढ़ने लगती है ,जैसे आगे बढ़ते गये ठंडक à¤à¥€ बढ़ने लगी।
कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से 40 किमी दूर मनाली पहà¥à¤šà¥‡ तब वहा हलà¥à¤•ी बारिश हो रही थी,लोहे का पà¥à¤² पार कर रोहतांग के रासà¥à¤¤à¥‡ पे नदी किनारे के à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° से ढाबे पे रà¥à¤•े और पंजाबी सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² का लंच लिया….इसके बाद रोहतांग पास का लोमहरà¥à¤·à¤• सफ़र शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤
रोहतांग दरà¥à¤°à¤¾– 13,050 फीट/समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ तल से 4111 मीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है ‘रोहतांग दरà¥à¤°à¤¾ ‘हिमालय का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– दरà¥à¤°à¤¾ है। रोहतांग इस जगह का नया नाम है। यह दरà¥à¤°à¤¾ मौसम में अचानक अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• बदलावों के कारण à¤à¥€ जाना जाता है। उतà¥à¤¤à¤° में मनाली से 51 किलोमीटर दूर यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मनाली-लेह के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— में पड़ता है। इसे लाहोल और सà¥à¤ªà¥€à¤¤à¤¿ जिलों का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ कहा जाता है। पूरा वरà¥à¤· यहां बरà¥à¤« की चादर बिछी रहती है। वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी का उदगम à¤à¥€ यही से है।रोहतांग दरà¥à¤°à¥‡ में सà¥à¤•ीइंग और टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग करने की अपार सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हैं।



हर साल यहाठहजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• इन आकरà¥à¤·à¤• नजारों का लà¥à¤¤à¥à¤« लेने और साहसिक खेल खेलने आते हैं। परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों की बढ़ती संखà¥à¤¯à¤¾ के कारण इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में गाड़ियों की आवाजाही à¤à¥€ बढ़ रही है। यह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण बढ़ाने में à¤à¤• कारक सिदà¥à¤§ हो रही हैं ।

बारिश में सड़क पर à¤à¤°à¤¾ पानी
खैर,आगे उंचाई बढ़ रही थी ठणà¥à¤¡ बढ़ रही थी बारिश à¤à¥€ हो रही थी फिसलन बहà¥à¤¤ थी सड़क पर,डर à¤à¥€ लग रहा था पर धीरे धीरे ऊपर तक पहà¥à¤š के पार किया और खोकसर पहà¥à¤šà¥‡,यहाठपहला चेक पॉइंट है जहा आपको गाड़ी न.रजिसà¥à¤Ÿà¤° करनी होती है ताकि वाहनों पर निगाह रखी जा सके यहाठके आगे हर जगह हिमालय की औसत ऊंचाई 11000 फीट (3300 मीटर) है à¤à¤µà¤‚ बेहद खतरनाक रासà¥à¤¤à¥‡ है अत:कौन पहà¥à¤š गया कौन नही इस बात की जानकारी के लिठये आवशà¥à¤¯à¤• है।
2 बज चà¥à¤•े थे और अगला रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤¥à¤² केलोंग अà¤à¥€ à¤à¥€ 50 किमी दूर था पर अब तेज गति से गाडी चलाना न तो उचित था ना ही संà¤à¤µ था,बेहद उबड़ खाबड़ सड़क कही कही तो ना के बराबर पार करते शाम 6 बजे केलोंग पहà¥à¤šà¥‡ । लाहौल सà¥à¤ªà¥€à¤¤à¥€ का जिला मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सिरà¥à¤« पहाड़ो को काट के बसाया नगर लगा,खूब नीचे से चंदà¥à¤°à¤à¤¾à¤—ा नदी का शोर सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दे रहा था ,यही के à¤à¤• होटल में 3 कमरे किराये पे लिठऔर खाना खा के रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया। कल से लगà¤à¤— पकà¥à¤•ी सड़क रहित रासà¥à¤¤à¥‹ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ होगा तो मानसिक तैयारी जरूरी थी।
तीसरा दिन – केलोंग से पांग
आज से लदà¥à¤¦à¤¾à¤– कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ का आरंठथा और दिन à¤à¤° पहाड़ो की यातà¥à¤°à¤¾ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अतà¥à¤¯à¤‚त नà¥à¤¯à¥‚न बसाहट वाले सà¥à¤¥à¤² से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ था |
केलोंग से लेह का रासà¥à¤¤à¤¾ जिसे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे दà¥à¤°à¥à¤—म रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में à¤à¤• माना जाता है, मनाली से केलोंग होते हà¥à¤ जब हम हिमाचल की सीमा के पास पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो सरचू का पठारी à¤à¤¾à¤— आ गया।
पतली सी सड़क का ये सफर तब रोंगटे खड़ा कर देने वाला हो जाता है जब सामने से अचानक बस या लॉरी आपके सामने आ जाà¤à¥¤à¤¯à¤¹à¤¾à¤ पूरे समय सेना के लमà¥à¤¬à¥‡ लंबे काफिले चलते रहते है जो सिआचीन तक सामान और सैनिको को लाने ले जाने का काम करते है
सरचू से थोड़ा आगे जाने पर सारप नदी मिलती है। इस नदी को पार करते ही अचानक ही à¤à¤•दम से चढ़ाई आ जाती है और मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¼à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ का सामना होता है 21 चकà¥à¤•रों वाले इस हेयरपिन बेंड से ,जिसे गाटा लूपà¥à¤¸ (Gata Loops) के नाम से जाना जाता है। सात किमी लंबे इस लूप के चकà¥à¤•र काटने में डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° के पसीने छूट जाते हैं।
गाटा लूपà¥à¤¸ को शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से अंत तक पूरा करते ही आप दो हजार फीट ऊपर आ जाते हैं और पांग की ओर निकल जाते हैं।
इससे पहले हमें तीन अतà¥à¤¯à¤‚त ऊंचाई वाले दरà¥à¤°à¥‡ को पार करना था जिसके लिठहम डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ पर निरà¥à¤à¤° थे
बरलाचा ला (4890 मी 16040 फी)
नकी ला (4769 मी 15650 फी)
लाचà¥à¤‚ग ला(5059 मी 16616 फी)
तीनो ही दरà¥à¤°à¥‡ खतरनाक रासà¥à¤¤à¥‹ से पार किये जाते है इसी बीच 21 बेंड वाला गाटा लूप

खतरनाक घाटा लूप
इस सब जगहों का वरà¥à¤£à¤¨ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में संà¤à¤µ नही है,ये आप इस यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान अनà¥à¤à¤µ करके ही जान सकते है।विमान से 4 दिन में लदà¥à¤¦à¤¾à¤– à¤à¥à¤°à¤®à¤£ आपको जगह देख लेने का संतोष तो दे सकता है किनà¥à¤¤à¥ वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• खूबसूरती का आनंद लेना हो तो सड़क मारà¥à¤— से ही जाईये।
केलोंग से धीरे धीरे सरचॠपहà¥à¤šà¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर और दिन काफी बचा था तो सोचा रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® पांग में करेंगे,आगे विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंग के पहाड़ हरे ,नीले ,पीले,à¤à¥‚रे ,लाल सà¤à¥€ रंगों में रंगे, अवरà¥à¤£à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ चारो और बिखरी पड़ी है और देखने वाले गिने चà¥à¤¨à¥‡ यातà¥à¤°à¥€ बस।

विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंगों के परà¥à¤µà¤¤

विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंगों के परà¥à¤µà¤¤

विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंगों के परà¥à¤µà¤¤

विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंगों के परà¥à¤µà¤¤
हवा के वजह से पहाड़ो में हà¥à¤ कटाव à¤à¤¸à¥‡ लगते है मानो किसी मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•ार ने छेनी हतोड़ी से मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया हो

पà¥à¤°à¤•ृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾

पà¥à¤°à¤•ृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾

पà¥à¤°à¤•ृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾

पà¥à¤°à¤•ृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾

पà¥à¤°à¤•ृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾
à¤à¤• जगह हवा के कटाव से पहाड़ के मधà¥à¤¯ दरवाजे जैसी आकृति निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हो गयी और इंजिनियरो ने उसी में से सड़क निकाल कर उसका खूबसूरती से उपयोग कर लिया है..आप अवाक रह जाते है,मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• विचार मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है,आप बस विधाता के बनाये चितà¥à¤° में मगà¥à¤¨ हो जाते हो,कितना à¤à¥€ लिखू फिर à¤à¥€ पांच दस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक नही हो पायेगा और कितने à¤à¥€ फोटो लॠवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से कोसो दूर होंगे,हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सड़क मारà¥à¤— से ही जाना चाहिठ|
ये हम सात लोग कई बार कहते रहे।रासà¥à¤¤à¥‡ के खतरों को देखते हà¥à¤ बॉरà¥à¤¡à¤° रोड आरà¥à¤—ेनाईजेशन ने रोचक साइन बोरà¥à¤¡ लगा रखे है।

BRO के रोचक साइन बोरà¥à¤¡

BRO के रोचक साइन बोरà¥à¤¡

BRO के रोचक साइन बोरà¥à¤¡

BRO के रोचक साइन बोरà¥à¤¡
खैर समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही चलते हà¥à¤ कब पांग पहà¥à¤šà¥‡ पता नहीं लगा,à¤à¤• 10 बिसà¥à¤¤à¤°à¥‹ वाले टेंट में हम लोग मातà¥à¤° 50 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ बिसà¥à¤¤à¤° के खरà¥à¤š में रà¥à¤•े और सारे ही 10 बà¥à¤• कर लिठताकि पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤¸à¥€ बनी रहे,यातà¥à¤°à¤¾ में तो हम अति पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहे पर शरीर पर होने वाले ऊंचाई के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से मà¥à¤•à¥à¤¤ नही हो पाये थे, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दरà¥à¤°à¥‹ की ऊंचाई फिर नीचे बारा हज़ार तक उतरना फिर अगले दरà¥à¤°à¥‡ पर 15/16 हज़ार चढ़ना इसको शरीर à¤à¤¡à¤œà¤¸à¥à¤Ÿ नही कर पाया।
पांग में पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ जब होश आया तो हमारे पांच साथी सरà¥à¤¦à¥€ सरदरà¥à¤¦ और उलटी से परेशान थे और सबसे बà¥à¤°à¥€ हालत डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° की थी,लगा की à¤à¤¸à¥€ हालत में आगे की यातà¥à¤°à¤¾ कैसे होगी। सिरà¥à¤« मै और छोटा à¤à¤¾à¤ˆ मनोज इन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अà¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे अत:हमारे ऊपर इन ऊंचाईयो का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नही के बराबर हà¥à¤†à¥¤ सबकी हालत देख कर हम दोनों ने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की à¤à¤• दिन अतिरिकà¥à¤¤ पांग में बिताà¤à¤‚गे ताकि सब सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ हो सके किनà¥à¤¤à¥ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ रातà¤à¤° के विशà¥à¤°à¤¾à¤® ने शरीर को ऊंचाई के अनà¥à¤•ूल कर लिया था और सà¥à¤¬à¤¹ सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ थे,à¤à¤• नठउतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से सब आगे की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठउतà¥à¤¸à¥à¤• थे सो बिना समय गवाठनिकल पड़े ताकि शाम तक लेह पहà¥à¤š सके ।

पांग में हमारा रहवास
पांग से लेह
पांग में सà¥à¤¬à¤¹ काफी ठंडी और गीली थी ,रात बारिश हà¥à¤ˆ थी और वहा माइनस में तापमान अकà¥à¤¸à¤° होता है पर बावजूद इसके सà¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤¸à¥‡ फà¥à¤°à¥‡à¤¶ थे जैसे रात में किसी को बà¥à¤–ार आदि कोई समसà¥à¤¯à¤¾ थी ही नही,ये à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ बात थी जिसमे à¤à¤• पूरा दिन बच गया था,नाशà¥à¤¤à¥‡ में बà¥à¤°à¥‡à¤¡ ऑमलेट और चाय ही उपलबà¥à¤§ थी ,हमारे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले मितà¥à¤° अशोक à¤à¤¾à¤ˆ शà¥à¤¦à¥à¤§ शाकाहारी निकले और बà¥à¤°à¥‡à¤¡ से काम चलाया, पता चला की लेह से पहले अब कोई गाà¤à¤µ या कैंप नही जहा कà¥à¤› खाने को मिल सके।
डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° à¤à¥€ चाक चौबंद था और उसका विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ देख के हमने उसे à¤à¥€ चलाने का कà¥à¤²à¥‡à¤…रेंस दे दिया था।
वहा से चले फिर से उसी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जिसने कल मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर दिया था,
पांग 4600 मीटर ( 15100 फीट)की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और लगà¤à¤— 10 किमी बाद चढ़ते हà¥à¤ हम moore plains पहà¥à¤šà¥‡ जहा (4730 मी15520 फी) पर à¤à¤• और आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ सामने था,लगà¤à¤— 40 किलोमीटर लमà¥à¤¬à¤¾ सपाट मैदान वो à¤à¥€ हिमालय में 15500 फà¥à¤Ÿ की ऊंचाई पर,अचà¥à¤›à¥€ हालत में सड़क और साथ में à¤à¤• छोटी सी नदी,सड़क के दोनों और à¤à¤• या दो किलोमीटर दà¥à¤°à¥€ पर रंग बिरंगे परà¥à¤µà¤¤ और हवाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाई कटावदार मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बनावट…पढ़ के आप कितनी à¤à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करे वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• दृशà¥à¤¯ नही सोच पायेंगे,अचà¥à¤›à¥€ गति से चलते हà¥à¤ हम à¤à¤• और दरà¥à¤°à¥‡ की तरफ बढ़ रहे थे टंगलंग ला 5328 मीटर याने 17480 फà¥à¤Ÿ की ऊंचाई पर (यहाठबनी सड़क विशà¥à¤µ की दूसरी सबसे ऊà¤à¤šà¥€ motorable रोड है )
जैसे जैसे ऊपर की और बढे बारिश कीचड और आगे ऊंचाई पर बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ जिससे खून जमा देनेवाली या हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ कंपकपा देने वाली ठणà¥à¤¡ थी। हम सब दम साधे सिकà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ बैठे थे ,किसी के मà¥à¤¹ से आवाज़ नही निकल रही थी,सिरà¥à¤« हमारा यà¥à¤µà¤¾ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° रूदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह ख़ामोशी से गाडी चला रहा था पूरी तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ,à¤à¤•दम ऊपर पहà¥à¤š कर गाडी रà¥à¤•वाई और फोटो लिठपर ठणà¥à¤¡ बरà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤¤ के बाहर हो रही थी तो फ़टाफ़ट कार में बैठगये वहा से सब कà¥à¤› नीचे था दूर दूर तक फैले सैकड़ो हजारो पहाड़,हमारे à¤à¤• साथी आशीष ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहाड़ो का जंगल नाम दे दिया।
यहाठसे लेह सिरà¥à¤« 80 किमी रह गया था और अब नीचे (3500 मी 11482 फी) उतरना था…फिसलन à¤à¤°à¥€ संकरी सड़क दोनों और बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ परà¥à¤µà¤¤ à¤à¤¸à¥‡ में अचानक कोई बड़ी सी गाडी आ जाये तो मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤,पूरे ही मारà¥à¤— पर गाडियों की कà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¿à¤‚ग à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही कलातà¥à¤®à¤• डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤¿à¤‚ग का नज़ारा पेश करती है और इतने कोने से निकलती है की दिल जोरो से धकॠधकॠकरता है ,रासà¥à¤¤à¥‡ में कई खाई में गिरे हà¥à¤ वाहनों के अवशेष à¤à¥€ हमारे लिठआतंक निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किये हà¥à¤ थे।
इसी रोमांच की खोज में मनà¥à¤·à¥à¤¯ खतरों की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलता है और मनाली लेह मारà¥à¤— उनके इसी रोमांच की पूरà¥à¤¤à¥€ करता है,किसी à¤à¥€ कà¥à¤·à¤£ गाडी दो चार हज़ार फà¥à¤Ÿ नीचे खाई में गिर सकती है और सब ख़तम,अगले दिन अखबारों में 4 लाइन की नà¥à¤¯à¥‚ज़ बस जिसे अपने घरो में हम रोज़ ही पढ़ते है और à¤à¥‚ल जाते है पर यहाठहम सबो के रोंगटे खड़े हो गये थे नीचे देख देख के।
रà¥à¤®à¤¸à¥‡ (4260)पार करते हà¥à¤ आगे बढे अब मौसम à¤à¥€ साफ़ था और सड़क à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤® थी तà¤à¥€ à¤à¤• मोड़ पे बोरà¥à¤¡ दिखा जिसपे लिखा था “पà¥à¤°à¤¥à¤® सिनà¥à¤§à¥ दरà¥à¤¶à¤¨”और जैसे ही अगला मोड़ आया सामने पूरी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से बहती हà¥à¤ˆ सिनà¥à¤§à¥ नदी के दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤à¥¤
ये वही नदी है जिसके अपà¤à¥à¤°à¤‚श से हिनà¥à¤¦à¥‚ शबà¥à¤¦ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤†..अरबी जगत में स का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ ह होता है इसी से सिनà¥à¤§à¥ हिनà¥à¤¦à¥‚ हो गया और हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ कहलाने लगे

Welcome
उपशी(3480) पहà¥à¤šà¥‡ तब दोपहर 3 बजे थे ,नदी किनारे à¤à¤• जगह चाय पीने रà¥à¤•े ।उपशी से ही à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र और जमà¥à¤®à¥‚ तरह जाता है दूसरा मनाली की तरफ जिससे हम आ रहे थे,लगà¤à¤— 4 बजे लेह पहà¥à¤šà¥‡ और à¤à¤• होटल में कमरे बà¥à¤• कर सà¤à¥€ बिसà¥à¤¤à¤°à¥‹ के हवाले हो गये। अब अगले 5/6 दिन लेह ही हमारा हेड कà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° था। यहाठहोटल रूम महंगे नही लगे हमे जबकि सà¤à¥€ टूरिसà¥à¤Ÿ सेणà¥à¤Ÿà¤° में रहना सबसे महंगा पड़ता है ,केलोंग या बिलासपà¥à¤° में à¤à¥€ à¤à¤• रातà¥à¤°à¤¿ के तीन सौ ही लगे à¤à¤• कमरे के । शहर से पहले या आगे कही रà¥à¤•ना चाहिठये सीखा हमने।
Namaste Sanjeev Ji, what a beautiful and elaborated post you have written and shared with us.
road review from Manali to Leh along with all other small small details are really helpful. I am mesmerized by the beauty of the places as how you have described them.
I had seen a travel show on journey to Leh & Laddak on this beautiful yet dangerous roads and pass en route. Hope you had a great time enjoying and experience the raw beauty of Leh.
Thanks for sharing!
Thanks ms.pooja Ji,Ladakh by road is altogether a different experience.second part also published please read and share your views.
बहà¥à¤¤ रोचक। आपकी यातà¥à¤°à¤¾ के साथ साथ हम à¤à¥€ हिमालय के ऊंचे नीचे….टेढे मेà¥à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ रहें। कडाके की ठंड à¤à¥€ महसूस किया…रासà¥à¤¤à¥‡ की खूबसूरतिको देखा .. और डूबते गये कि अचानक ये वृतांत खतम हो गया…
हमें और पà¥à¤¨à¤¾ है। इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° रहेगा।
बहà¥à¤¤ रोचक। आपकी यातà¥à¤°à¤¾ के साथ साथ हम à¤à¥€ हिमालय के ऊंचे नीचे….टेढे मेà¥à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ रहें। कडाके की ठंड à¤à¥€ महसूस किया…रासà¥à¤¤à¥‡ की खूबसूरती को देखा .. और डूबते गये . कि अचानक ये वृतांत खतम हो गया…
हमें और आगे à¤à¥€ पà¥à¤¨à¤¾ है। इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° रहेगा।
That is indeed a ‘Magnificent 7’ story. To plan and then execute a ride like this with not so young (age wise, spirit wise they seem too young) people. Kudos Joshi Sir.
I hope someday I am able to drive down too on this road and experience it for myself. I would have read at least 100s of stories of this route :-)
Thanks sir,you will be having a wonderful experience if you can drive yourself in your own vehicle.
बहà¥à¤¤ ही बढि़या वरà¥à¤£à¤¨ लिखाहै आपने,हिनà¥â€à¤¦à¥€ में लिखने से और à¤à¥€ सरस और रोचक हो गया है। बधाई….. लिखते रहिà¤à¥¤
लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– का अतà¥à¤¯à¤‚त मनोरम à¤à¤µà¤‚ रोमांचक वरà¥à¤£à¤¨ किया है आपने। पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ à¤à¤‚सा लगा कि हम à¤à¥€ साथ-साथ यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे हैं।
बेहतरीन याञा लेखन । à¤à¤•दम सजीव । वाकई कमाल का लिखा है आपने । साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ ।
धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ बिषà¥à¤Ÿ साहेब….लोगो की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा मेरा हौसला बढाती है…मेरे अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ पà¥à¥‡…आशा है पसंद आयेंगे।
SHAANDAR MERE PAS FORD ENDEVEOUR HAI ;5V FRIENDS JAANE KA VICHAAR KAR RAHE HAI JUNE .2021 ME