अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे उठकर नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® से निवृतà¥à¤¤ होकर और तपà¥à¤¤à¤•à¥à¤‚ड में à¤à¤• बार फिर से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया और फिर जलà¥à¤¦à¥€ से तैयार होकर à¤à¤• दà¥à¤•ान में चाय पीने के बाद सबने अपना-2 सामान उठाया और बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड की ओर चल पड़े। गाड़ी पारà¥à¤•िंग, बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से 600-700 मीटर दूर है लेकिन हमारी टांगे चलने को बिलà¥à¤•à¥à¤² तैयार नहीं थी और हम सब इस इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° में थे कि कोई गाड़ी सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤— की ओर जाती हà¥à¤ˆ मिल जाये और हम उसमें बैठजाये। तà¤à¥€ हमें à¤à¤• खाली बस सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤— की ओर जाती हà¥à¤ˆ मिल गयी और हम सब उस में सवार हो गये। बस डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को 50 का à¤à¤• नोट देकर गाड़ी पारà¥à¤•िंग पर उतर गये। सारा सामान गाड़ी के उपर रखकर तिरपाल से ढक दिया और फिर अचà¥à¤›à¥€ तरह से रसà¥à¤¸à¥€ से बाà¤à¤§ दिया।अब हमारी मंज़िल बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम थी। यहाठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठदो रासà¥à¤¤à¥‡ थे पहला उखीमठ, चोपटा होते हà¥à¤, दूसरा वापस रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से । हम चोपटा होकर जाना चाहते थे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि चोपटा की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता के बारे मे काफ़ी कà¥à¤› पढ़ रखा था और यह रासà¥à¤¤à¤¾ छोटा à¤à¥€ था। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को चोपटा होते हà¥à¤ चलने को कह दिया।
सà¥à¤¬à¤¹-2 सड़क पर यातायात काफ़ी कम था और हम जलà¥à¤¦à¥€ से सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤—, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी होते हà¥à¤ उखीमठपहà¥à¤à¤š गये। उखीमठसे आगे चोपटा के मारà¥à¤— पर बढ़ते ही दोनो ओर हरे- à¤à¤°à¥‡ पेड़ो का जंगल नज़र आने लगा। यहाठसड़क काफ़ी अचà¥à¤›à¥€ बनी हà¥à¤ˆ थी। सड़क के किनारे बनी à¤à¤• छोटी सी चाय की दà¥à¤•ान पर गाड़ी रोकी और चाय का आरà¥à¤¡à¤° दिया । सà¥à¤¬à¤¹ सब ने हलà¥à¤•ा नाशà¥à¤¤à¤¾ किया था और à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी इसलिठगाड़ी से बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और मठà¥à¤ ी à¤à¥€ खाने के लिये निकाल लिये। चाय की दà¥à¤•ान पर हमारी गाड़ीं खड़ी देखकर दो-तीन और गाड़ियाठवहाठचाय के लिये आकर रà¥à¤•ी। चाय की दà¥à¤•ान के साथ ही नीचे की ओर à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¤¾ बह रहा था और कà¥à¤› लोग वहाठनहा रहे थे । चाय वाले ने हमें बताया कि सिरà¥à¤«à¤¼ चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान ही वो अपनी दà¥à¤•ान खोलता है और बाकी समय उसकी यह दà¥à¤•ान बनà¥à¤¦ रहती है।
यहाठसे थोड़ी देर के बाद हम आगे के लिठचल दिà¤à¥¤ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ तेज़ी से गाड़ी चला रहा था। इस रासà¥à¤¤à¥‡ से जाते हà¥à¤ दो और काफ़ी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सà¥à¤¥à¤² रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ते हैं जिनकी जानकारी मà¥à¤à¥‡ उस समय नही थी लेकिन बाद में जब मà¥à¤à¥‡ यातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤²à¤¾à¤— पड़ने का चसà¥à¤•ा पड़ा तो इनकी जानकारी मिलीं । ये महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤² हैं देवरिया ताल तथा तà¥à¤‚गनाथ मंदिर व चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ । इनके बारे में थोडी सी जानकारी मैं यहाठअवशय दूà¤à¤—ा ।
देवरिया ताल: देवरिया ताल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में ऊखीमठ– चोपटा मारà¥à¤— पर सारी गाà¤à¤µ के पास à¤à¤• पहाडी पर छोटा सा ताल है। इसके चारों तरफ जंगल हैं। यह समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 2387 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। देवरिया ताल आने वाले परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को 150 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤²à¥à¤• देना होता है। यह शà¥à¤²à¥à¤• उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का वन विà¤à¤¾à¤— लेता है। लेकिन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के निवासियों के लिये कोई शà¥à¤²à¥à¤• नहीं है। ऊखीमठसे मसà¥à¤¤à¥‚रा गांव तक नियमित जीपें है। मसà¥à¤¤à¥‚रा गांव मà¥à¤–à¥à¤¯ ऊखीमठ– चोपटा मारà¥à¤— पर ही है और इस गांव से कà¥à¤› किलोमीटर दूर मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— से हटकर सारी गाà¤à¤µ पड़ता है और à¤à¤• सडक सारी गांव तक à¤à¥€ आती है। यानी सारी तक अपनी गाडी से आया जा सकता है। सारी गांव तक लोकल जीपें à¤à¥€ आती है लेकिन ये नियमित नहीं हैं ।
देवरिया ताल अपने सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी के लिये पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। यहॉ खाने-पीने के इंतजाम लिये à¤à¤• दो दà¥à¤•ान à¤à¥€ है। देवरिया ताल इसकी विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ 300 ° चितà¥à¤°à¤®à¤¾à¤²à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। किंवदंती है कि देवता इस à¤à¥€à¤² में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते थे इसलिठइसका नाम देवरिया ताल है। यह à¤à¥€ माना जाता है कि यह वही जगह है जहां पराकà¥à¤°à¤®à¥€ पांडवों को यकà¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूछे गये पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का जबाब देना पड़ा।
तà¥à¤‚गनाथ मंदिर व चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ : तà¥à¤‚गनाथ मंदिर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में सबसे अधिक ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिव मंदिर है। इसकी समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ऊंचाई 3680 मीटर है। यह पंचकेदारों में दूसरे नंबर का केदार है। यह रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में तà¥à¤‚गनाथ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। मंदिर 1000 साल से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ माना जाता है और à¤à¤• किंवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ महाकावà¥à¤¯ के नायक पांडवों से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। चोपटा से तà¥à¤‚गनाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की दूरी चार किलोमीटर है। पकà¥à¤•ा पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ बना हà¥à¤† है। सà¤à¥€ पंच केदार यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— में से तà¥à¤‚गनाथ के लिठमारà¥à¤— सबसे कम है। चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ तà¥à¤‚गनाथ से डेढ किलोमीटर दूर तà¥à¤‚गनाथ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में à¤à¤• चोटी है यह समà¥à¤¦à¥à¤° के सà¥à¤¤à¤° से 4,000 मीटर (13,000 फीट) की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। à¤à¤• कथा का कहना है कि à¤à¤—वान चनà¥à¤¦à¥à¤° ने तपसà¥à¤¯à¤¾ में यहाठकाफ़ी समय बिताया. यह शिखर हिमालय की à¤à¤• शानदार तसà¥à¤µà¥€à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है, विशेष रूप से नंदा देवी, तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल, केदार पीक, बनà¥à¤¦à¤°-पूà¤à¤› और चौखमà¥à¤¬à¤¾ चोटियों की।â€
चोपटा पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमे अपने बाई ओर वरà¥à¤«à¤¼ से आचà¥à¤šà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¤–लाà¤à¤ दिखने लगी. जà¥à¤¯à¥‹-जà¥à¤¯à¥‹ गाड़ी आगे बढ़ रही थी परà¥à¤µà¤¤à¥‹ की चोटियाठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होती जा रही थी। बहà¥à¤¤ ही मोहक दà¥à¤°à¥à¤¶à¥à¤¯ था। चोपटा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर गाड़ी डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी रोक दी। सामने ही तà¥à¤‚गनाथ मंदिर जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ था। सड़क के दोनो ओर वरà¥à¤«à¤¼ से ढकी चोटियाठनज़र आ रही थी । चोपटा के बारे मे पढ़ा था , सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤¼à¤°à¤²à¥ˆà¤‚ड ऑफ इंडिया है। कोई शक नही हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ मे चोपटा की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता नायाब है। कोसानी के बारे मे महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ ने सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤¼à¤°à¤²à¥ˆà¤‚ड ऑफ इंडिया कहा था। वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपना आशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ बनाया परनà¥à¤¤à¥ चोपटा की सà¥à¤‚दरता के आगे कोसानी कहीं नही टिकता है। जो à¤à¥€ चोपटा आता है वह यहाठकी खूबसूरती को à¤à¥‚ल नही सकता। यहाठपर हम लोग लगà¤à¤— आधा घंटा रà¥à¤• कर आस पास के नज़ारे देखते रहे। यहाठकी सà¥à¤‚दरता देख कर बार-बार सब कहने लगे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ किया जो हम इस रासà¥à¤¤à¥‡ से आठवरना हमे पता ही नही चलता कि कितनी खूबसूरत यह जगह है।
चोपटा से चमोली का रासà¥à¤¤à¤¾ हरे-à¤à¤°à¥‡ जंगलो से घिरा हà¥à¤† है। इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वाहन नही चल रहे थे। हमलोग दोपहर तीन बजे चमोली पहà¥à¤à¤š गये। हमे उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी कि अगर हम 5 बजे तक जोशीमठपहà¥à¤à¤š जाठतो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ मिल जाà¤à¤—ा। फिर हमे रासà¥à¤¤à¥‡ मे कहीं ना रà¥à¤• कर सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤à¤—े। चमोली से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का मारà¥à¤— काफ़ी चौड़ा था और डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ तेज़ी से गाड़ी चला रहा था। रासà¥à¤¤à¥‡ मे टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम की थोड़ी बाधा के बावजूद हम लोग 5 बजे जोशीमठपहà¥à¤à¤š गये। अà¤à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ था. हमारी गाड़ी के निकलने बाद ही बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ बंद कर दिया गया। जोशीमठसे आगे का मारà¥à¤— संकरा है इस कारण दो –दो घंटे के इंटरवल से जोशीमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खोला जाता है.
चमोली से कà¥à¤› आगे ही सड़क के किनारे अलकनंदा पर कà¥à¤› अनà¥à¤¯ विधà¥à¤§à¥à¤¤ परियोजनाओ पर काम चल रहा था। जोशीमठसे आगे बढ़ते ही हमे सड़क के किनारे लगे हà¥à¤ J.P. के सैकड़ो बोरà¥à¤¡ नज़र आने लगे. हर à¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर बड़ा-बड़ा .†NO DREAM TOO BIG†लिखा हà¥à¤† था। à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था, अब हम किसी की पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ मे से होकर गà¥à¤œà¤° रहे है। जà¥à¤¯à¥‹-जà¥à¤¯à¥‹ हम विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की ओर बढ़ रहे थे अलकनंदा मे जल कम होता जा रहा था। विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के पास तो अलकनंदा मे जल ही नही नज़र आ रहा था. बाद में विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर पता लगा की यहाठपर Jaypee ने अपनी विधà¥à¤§à¥à¤¤ परियोजना लगाई हà¥à¤ˆ है और इस कारण अलकनंदा का जल विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे रà¥à¤•ा हà¥à¤† है । विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से पहले जब हम गोबिनà¥à¤¦ धाम पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो वहाठटà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम लगा हà¥à¤† था। गोबिनà¥à¤¦ धाम से ही हेमकà¥à¤£à¥à¤¡ साहिब की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है जहाठहमारा वापसी में जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था। सड़क से नीचे की ओर गाड़ियों के लिये पारà¥à¤•िंग बनी हà¥à¤ˆ है जो पà¥à¤°à¥€ तरह से à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ थी। मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क के दाà¤à¤ और बायें की खाली जगह को à¤à¥€ पारà¥à¤•िंग के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाया हà¥à¤† था लेकिन फिर à¤à¥€ हेमकà¥à¤£à¥à¤¡ साहिब के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण गाड़ियों की संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी जो टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम का कारण बनी हà¥à¤ˆ थी । कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ लोगों के कारण, जो थोडी सी जगह मिलते ही अपनी गाड़ी तेज़ी से चलाकर आगे ले जाकर आगे खड़ी गाड़ी के बराबर लगा रहे थे, समसà¥à¤¯à¤¾ बद से बदतर होती गयी। à¤à¤¸à¥‡ महà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ की मौजूदगी ना के बराबर थी जो हमें काफ़ी हैरान कर रही थी।
जब लोगों का धैरà¥à¤¯ ज़बाब देने लगा तो बहà¥à¤¤ से लोगों ने à¤à¤•ठà¥à¤ ा होकर टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• को खà¥à¤¦ सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया और काफ़ी मशà¥à¤•à¥à¤•त के बाद टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ हो सका। हम लोग शाम के 5:30 बजे जाम में फ़से थे और निकलते -2 रात के दस बज गये और हमारा आज शाम/रात को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम दरà¥à¤¶à¤¨ करने का पहले से तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® फ़ेल हो गया। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चटà¥à¤Ÿà¥€ से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ काफ़ी खतरनाक था और रात में à¤à¤¸à¥‡ लैंड सà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से निकलते हà¥à¤ काफ़ी डर à¤à¥€ लग रहा था । हम लोग à¤à¤—वान को याद करते-2, रात 11:30 बजे के करीब बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम पहà¥à¤à¤š गये। इतनी कठिन और दà¥à¤°à¥à¤—म चढाई के बाद à¤à¤• विशाल नगर बसा देखकर खà¥à¤¶à¥€ à¤à¥€ हà¥à¤ˆ और हैरानी à¤à¥€à¥¤ वहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद ठà¥à¤¹à¤°à¤¨à¥‡ के लिये कमरो की तलाश शà¥à¤°à¥ कर दी। मैं और हरिश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ बाकी सà¤à¥€ लोगों को गाड़ी पर छोड़कर कमरे ढूढ़ने लगे । यातà¥à¤°à¤¾ सीजन शबाब पर होने के कारण यहाठà¤à¥€ कमरा मिलने में काफ़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रही थी, 15-20 मिनट के बाद 5 बेड का à¤à¤• कमरा 1800 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन के हिसाब से ले लिया और सामान कमरे मे रख दिया। à¤à¤• तो कल केदारनाथ की à¤à¤• ही दिन में 28 किलोमीटर कि चढाई / उतराई और आज लगातार 16 घंटे गाड़ी में, उस पर आज दोपहर का खाना à¤à¥€ नही खाया था और रात का खाना à¤à¥€ मिलने की कोई उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं थी कयोंकि इस समय खाने की कोई à¤à¥€ दà¥à¤•ान खà¥à¤²à¥€ नही थी, लगता था à¤à¤—वान हमारी परीकà¥à¤·à¤¾ ले रहा था। सबके शरीर की à¤à¤¸à¥€ की तैसी हो रखी थी और सब को à¤à¥à¤– लग रही थी इसलिये हाथ-मà¥à¤à¤¹ धोकर, आपातकालीन सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिये बैग में मौजà¥à¤¦ बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और मठà¥à¤ ी खाये और सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठà¥à¤¨à¥‡ का आलरà¥à¤® लगा कर हम सब सो गये ।