कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— – हिमाचल की हसीन वादियों के गरà¥à¤¤ में छà¥à¤ªà¤¾ à¤à¤• अनमोल रतà¥à¤¨. शानदार घने जंगल के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤, सहसा ही à¤à¤• छोटे से खà¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में इस à¤à¥€à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨ करना अपने आप में à¤à¤• अलौकिक अनà¥à¤à¤µ है. तो मैं और मेरा दोसà¥à¤¤ बाली निकल पड़े इस छà¥à¤ªà¥‡ हà¥à¤ खजाने की तलाश में. मंडी बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर आते ही, थोड़ी देर में रोहांडा के लिठबस मिल गयी. रोहांडा, सà¥à¤‚दर नगर – करसोग मारà¥à¤— पर बसा à¤à¤• छोटा सा गाà¤à¤µ है जहाठसे कमरूनाग तक 6 किलोमीटर की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ से पहà¥à¤à¤šà¤¾ जा सकता है.
सà¥à¤‚दर नगर से रोहांडा तक का मारà¥à¤— कà¥à¤› अदà¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक नज़ारे पेश करता है जो मैंने अपनी पहाड़ी यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में पहले कà¤à¥€ नहीं देखे थे. à¤à¤¸à¥‡ में मà¥à¤à¥‡ कई बार बस से उतरकर पैदल सफ़र करने का मन करता था, पर समय à¤à¤• बड़ी बाधा थी. वैसे कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के नज़ारों का à¤à¤°à¤ªà¥‚र आनंद लेने का जो मज़ा पैदल सफ़र करने में है वो किसी और चीज़ में नहीं, और ये मैं मजाक में नहीं बलà¥à¤•ि अपनी कà¥à¤› पिछली छोटी – छोटी पैदल यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤à¤µ से कह सकता हूà¤.
पैदल चलते वकà¥à¤¤ हम न सिरà¥à¤« कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के विराट सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª का आनंद लेते हैं, बलà¥à¤•ि यह हमारा परिचय पà¥à¤°à¤•ृति के उस अनमोल रूप से à¤à¥€ करवाता है जिसका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ हम अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं चख पाते, जैसे की राह में दिखने वाले पशॠ/ पकà¥à¤·à¥€ / कीट और उनके मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤°, मीठे पानी के कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ / नदियाठ/ à¤à¥€à¤²à¥‡à¤‚ / à¤à¤°à¤¨à¥‡, अचंà¤à¤¿à¤¤ कर देने वाले पेड़ / पौधे और उन पर लगे मनमोहक फूल और मीठे फल जो आपको à¤à¤• पल रà¥à¤•ने पर मजबूर कर देते हैं, à¤à¥‹à¤²à¥‡ – à¤à¤¾à¤²à¥‡ पहाड़ी लोग और उनका रहन – सहन, छोटे – छोटे पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ जिन पर चलकर शरीर में à¤à¤• नई उरà¥à¤œà¤¾ का संचार होता है और अंत में इन सà¤à¥€ यादों को सहेजे रखने के लिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैमरे में कैद करने की लालसा. ये सब न सिरà¥à¤« कà¥à¤¦à¤°à¤¤ की इस अदà¤à¥à¤¤ रचना को नजदीक से जानने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होती है, बलà¥à¤•ि पà¥à¤°à¤•ृति और अपने बीच के रिशà¥à¤¤à¥‡ को समà¤à¤¨à¥‡ और अनà¥à¤à¤µ करने का à¤à¥€ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ अवसर होता है.
मंडी से निकलते समय à¤à¥à¤¯à¥à¤²à¥€ पà¥à¤² के पास à¤à¥€à¤®à¤•ाली मंदिर
सीढी़नà¥à¤®à¤¾ खेत
कà¥à¤› पल आराम के
दो शांत आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚, ना जाने आपस में कà¥à¤¯à¤¾ बतियाती होंगी?
रोहांडा पहà¥à¤à¤šà¤•र सबसे पहला काम था, खाली टंकर (पेट) में पेटà¥à¤°à¥‹à¤² (खाना) à¤à¤°à¤¨à¤¾ ताकि लगà¤à¤— 12 से 13 किलोमीटर का सफ़र बिना किसी अवरोध के पूरा किया जा सके. हालाà¤à¤•ि बाली के मन में शंका थी की कà¤à¤¹à¥€ पेटà¥à¤°à¥‹à¤² (खाना) ख़तà¥à¤® न हो जाये, इसलिठथोडा साथ रखकर à¤à¥€ ले चले. यहाठसे शà¥à¤°à¥‚ होता है पैदल यातà¥à¤°à¤¾ का असली रोमांच. शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ सफ़र थोडा थकाने वाला जरà¥à¤° था, जिसकी पहली वजह थी रोहांडा में खाया गया à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ और दूसरा कारण थी अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ खड़ी चढाई. खैर जैसे – जैसे आगे बढते गà¤, पà¥à¤°à¤•ृति का घूà¤à¤˜à¤Ÿ उठता गया और कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के कà¥à¤› शानदार नज़ारों नें थकान को छूमंतर कर दिया. इस पर बीच में कहीं – कहीं पर हलà¥à¤•ी – फà¥à¤²à¥à¤•ी बिखरी बरà¥à¤« के निशान इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करते पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहे थे कि हो ना हो à¤à¥€à¤² पर थोड़ी बहà¥à¤¤ बरà¥à¤« तो देखने को जरà¥à¤° मिलेगी, जिससे हमारा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और जोश दोगà¥à¤¨à¤¾ हो गया. बीच – बीच में दूर कहीं चोटियों पर पड़ी ताज़ा बरà¥à¤« और वो हसीं वादियाठहमारी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं को पà¤à¤– दे रही थी, à¤à¤¸à¥‡ में किस तरह हमने आधे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूरी मजे – मजे में तय कर ली थी, पता ही नहीं चला. à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤• बात अचंà¤à¤¿à¤¤ करने वाली यह थी कि अà¤à¥€ तक के पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ में हमें किसी आदमजात के दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं हà¥à¤ थे, जबकि देव कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— को पूरे मंडी जिले का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आराधà¥à¤¯ देव माना जाता है.
à¤à¤¸à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ हम चले ही जा रहे थे के अचानक, शांत घने जंगले के बीचों – बीच किसी जानवर के दौड़ने कि आवाज़ ने पलà¤à¤° के लिठरोंगटे खड़े कर दिà¤, पर तीखी ढलान होने कि वजह से उसे देख पाना थोडा मà¥à¤¶à¥à¤•िल था. हो ना हो ये कोई जानवर ही था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¥‡ तीखी ढलान पर किसी इंसान के लिठइस गति से नीचे उतरना थोडा मà¥à¤¶à¥à¤•िल सा लगता था. कà¥à¤› ही पलों में अपने सामने à¤à¤• à¤à¤¯à¤‚कर रौबीले पहाड़ी कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ को देखकर हमारे कदम अचानक ठहर गठऔर à¤à¤• पल के लिठसाà¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ थम गयी. à¤à¤¸à¥‡ में हमारी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ हमें पलà¤à¤° में हसीं वादियों से निकालकर जंगली जानवरों के बीच ले गयी. à¤à¤• तो सामने खड़े à¤à¤¯à¤‚कर कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ का à¤à¤¯, ऊपर से धीमे – धीमे आती हà¥à¤¯à¥€ क़दमों की आवाज़, à¤à¤¸à¤¾ लगा मानो उस कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ का पीछा कोई अनà¥à¤¯ à¤à¤¯à¤‚कर जानवर कर रहा हो. पर हमारी जान में जान आयी जब हमने कà¥à¤› छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पीछे से दौड़ते हà¥à¤ आते देखा. पूछने पर पता चला की पास ही के गाà¤à¤µ के बचà¥à¤šà¥‡ थे और घूमते – घामते जंगल में चले आये थे.
आगे चलने पर कà¥à¤› और लोगों से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात हà¥à¤ˆ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि मंदिर अब बस पास ही था. चेहरे पर ख़à¥à¤¶à¥€ व रोमांच लेकर थोडा ही आगे बढे थे कि रासà¥à¤¤à¥‡ पर बिछी बरà¥à¤« की à¤à¤• सफ़ेद चादर को देखकर मन जैसे सातवें आसमान पर पहà¥à¤à¤š गया. इस तरह यकायक बरà¥à¤« देखकर कदम सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही रà¥à¤• गà¤, मन किया कि कà¥à¤› पल यहाठपर बिताये जाà¤à¤, फिर कà¥à¤¯à¤¾ था शà¥à¤°à¥‚ हो गया फोटो सैशन. थोड़ी देर में समय का आà¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤†, तो आगे बढ़ना दोबारा शà¥à¤°à¥‚ कर दिया.  बीच – बीच मैं मिलने वाली सफ़ेद बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चादरें हमारी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता और रोमांच को बढ़ाये जा रही थी. अचानक लगा कि हम किसी खà¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे और देखते ही देखते हमारी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ साकार हो गयी. देवदार के खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत पेड़ों के à¤à¥à¤°à¤®à¥à¤Ÿ के बीच, खà¥à¤²à¥‡ गगन के तले अदà¤à¥à¤¤ बरà¥à¤« से जमी हà¥à¤¯à¥€ à¤à¥€à¤² और उसके किनारे देव कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— का मंदिर सब मिलकर मानो हम पर समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ कर रहे हो. कà¥à¤› पल तो मैं और बाली बिना कà¥à¤› बोले कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के इस सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को निहारते रहे. देव कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— के दरà¥à¤¶à¤¨ और à¤à¥€à¤² की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करने के बाद, शà¥à¤°à¥‚ हो गयी बरà¥à¤« में मसà¥à¤¤à¥€. हालाà¤à¤•ि बरà¥à¤« बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं थी, पर हमारी अपेकà¥à¤·à¤¾ से कहीं अधिक थी.
थोडा फोटू खिचवा लें !
बाली चढा़ई दिखाते हà¥à¤
वैली वà¥à¤¯à¥‚ !
सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ सफ़र और ये मौसम हसीं....
à¤à¤¸à¥‡ खà¥à¤¶ है जैसे पहले कà¤à¥€ बरà¥à¤« देखी ही नहीं
देव कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— को जो की पूरे मंडी जिले के आराधà¥à¤¯ देव हैं, वरà¥à¤·à¤¾ का देव माना जाता है. यह मंदिर व à¤à¥€à¤² समà¥à¤¦à¥à¤° तल से करीब 9100 फीट की ऊंचाई पर कमरू घाटी में सà¥à¤¤à¤¿à¤¥ है. à¤à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, देव कमरू को सोने-चाà¤à¤¦à¥€ व करेंसी चढाने का रिवाज है जो की आमतौर पर à¤à¥€à¤² में चढ़ाया जाता है. इस कारण à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि इस à¤à¥€à¤² के गरà¥à¤¤ में करोड़ों की करेंसी व सोना – चाà¤à¤¦à¥€ छà¥à¤ªà¤¾ पड़ा है, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों को à¤à¥€à¤² में सोने – चाà¤à¤¦à¥€ के आà¤à¥‚षण और करेंसी चढाते हà¥à¤ यहाठहोने वाले वारà¥à¤·à¤¿à¤• मेले (14 – 15 जून) के दौरान देखा जा सकता है. à¤à¤• अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, देव कमरू को देव बरà¥à¤¬à¤°à¥€à¤• (घटोतà¥à¤•च का पà¥à¤¤à¥à¤° और à¤à¥€à¤® का पोता) à¤à¥€ माना जाता है जो à¤à¤• महान व अविजय योदà¥à¤§à¤¾ थे और जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤• निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• à¤à¥‚मिका अदा की थी. अपनी माता को दिठवचन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में कमजोर पकà¥à¤· का साथ देना था. इस पर सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤°, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤£ के वेश में लीला खेली और बरà¥à¤¬à¤°à¥€à¤• को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ दी कि वो à¤à¤• वृकà¥à¤· के सà¤à¥€ पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को à¤à¤• साथ à¤à¤• बाण से à¤à¥‡à¤§à¤•र दिखाà¤. बरà¥à¤¬à¤°à¥€à¤• के अà¤à¥‡à¤¦à¥à¤¯ बाण कि परीकà¥à¤·à¤¾ लेने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• पतà¥à¤¤à¤¾ अपने पैर के नीचे à¤à¥€ छà¥à¤ªà¤¾ लिया, लेकिन उनके बाण ने उसे à¤à¥€ ढूंढ़ निकाला. यह सोचकर कि यह योदà¥à¤§à¤¾ यà¥à¤¦à¥à¤§ में हर हारते हà¥à¤ पकà¥à¤· की ओर से लड़ते हà¥à¤ अंततः सà¤à¥€ को समापà¥à¤¤ कर देगा, à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने बरà¥à¤¬à¤°à¥€à¤• को अपने विराट सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª के दरà¥à¤¶à¤¨ देकर, उनसे गà¥à¤°à¥à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ के रूप में उनका शीश माà¤à¤— लिया. दानी बरà¥à¤¬à¤°à¥€à¤• थोडा अचंà¤à¤¿à¤¤ होकर, अपना शीश देने को राजी हो गà¤. पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ यà¥à¤¦à¥à¤§ देखने की इचà¥à¤›à¤¾ जताई. इस पर à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने उनका शीश कमरू चोटी पर रख दिया जहाठसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का पूरा यà¥à¤¦à¥à¤§ देखा. उनकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वरदान दिया कि कलयà¥à¤— में तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ मेरे नाम (शà¥à¤¯à¤¾à¤®) से जाना जायेगा और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही आज राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के खाटू नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर खाटू शà¥à¤¯à¤¾à¤® जी के नाम से जाना जाता है.
पेडों के बीच में कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— à¤à¥€à¤² !!!
मंदिर की छत पर जमी हलà¥à¤•ी बरà¥à¤«
देव कमरà¥à¤¨à¤¾à¤— का लकडी़ से बना मंदिर
बरà¥à¤« से जमी कमरू à¤à¥€à¤² !!!
ये कूदा
और ये गिरा !!!
फूलों के à¤à¤°à¥‹à¤–े से !!!
लीविंग नथिंग बट फà¥à¤Ÿ-पà¥à¤°à¤¿à¤‚टà¥à¤¸ !!!
इस समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ से थोडा बाहर निकले तो अचानक घडी पर नज़र पड़ी, अरे ये कà¥à¤¯à¤¾! 4 बज गà¤, 2 घंटे कैसे गà¥à¤œà¤°à¥‡ पता ही नहीं चला, लगता था मानो अà¤à¥€ थोड़ी देर पहले ही तो आये थे. खैर आज ही घर वापसी का इरादा था, इसलिठआखिरी बार इस करिशà¥à¤®à¤¾à¤ˆ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को जी à¤à¤°à¤•र देखकर और फिर आने का वादा करके, नीचे उतरना शà¥à¤°à¥‚ किया. उतरते वकà¥à¤¤, कà¥à¤¦à¤°à¤¤ का à¤à¤• और रूप देखने को मिला. डूबते सूरज की किरणों का पà¥à¤°à¤•ाश à¤à¤¸à¥‡ फ़ैल रहा था की मानो जैसे कोई पूरी घाटी को सोने से पहले लाल चादर ओढ़ा रहा हो. हालाà¤à¤•ि समय कम था, लेकिन सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के इस अदà¥à¤à¥à¤¤ नज़ारे ने हमें रà¥à¤•ने पर मजबूर कर ही दिया. हमने à¤à¤¸à¥€ जगह रूककर इस पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक घटना का आनंद लिया जहाठसे सड़क की दà¥à¤°à¥€ कà¥à¤› 1 या 2 किलोमीटर रही होगी. सड़क तक आते – आते अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ पसर चà¥à¤•ा था. चढाई करते समय हरबार की तरह इस बार à¤à¥€ आखिरी बस का समय पूछना à¤à¥‚ल गठथे. खैर देर आये दà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤ आये. दिसमà¥à¤¬à¤° माह की ठणà¥à¤¡ में अलाव जलाकर बैठे हà¥à¤ कà¥à¤› लोगों से पूछा तो पता चला कि आखिरी बस तो कबकी जा चà¥à¤•ी थी. हमेशा की तरह यातà¥à¤°à¤¾ का अंत à¤à¥€ रोमांचक मोड़ ले रहा था.
नीचे उतरता हà¥à¤† बाली
सूरज की लालिमा को ओढती मनमोहक घाटी
सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ से पहले परत दर परत फैली खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत चोटियाठ!!!
डूबते सूरज को रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾ के लिठशà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कहते हà¥à¤ !!!
मैं किसी à¤à¥€ हाल में रोहांडा नहीं रà¥à¤• सकता था. हालांकि बाली को इसमें कोई परेशानी नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह मंडी में ही काम करता है और सà¥à¤¬à¤¹ आसानी से बस पकड़कर मंडी पहà¥à¤à¤š सकता था. हमारे पास किसी निजी वाहन का इंतज़ार करने का अलावा कोई दूसरा विकलà¥à¤ª नहीं था. लगà¤à¤— आधा घंटा हो गया था उन ठंडी हवाओं के बीच खà¥à¤²à¥€ सड़क में ठिठà¥à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤, लेकिन सिवाय à¤à¤• छोटी बैलगाड़ी के कोई वाहन सà¥à¤‚दर नगर की तरफ नहीं जाता पाया गया. जबकि सड़क के उसपार करसोग जाने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर से इस बीच कई वाहन गà¥à¤œà¤° गठथे. इसी बीच à¤à¤• छोटा सा कोयलों से à¤à¤°à¤¾ टेमà¥à¤ªà¥‹ पास वाली दूकान पर रà¥à¤•ा. पूछने पर पता चला कि वो तो सà¥à¤‚दर नगर ही जा रहा था, सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही मानो खà¥à¤¶à¥€ की à¤à¤• लहर सी दौड़ गई.
चालक से बात की तो उसने ये कहकर मना कर दिया कि जगह नहीं है. हालाà¤à¤•ि उसी टेमà¥à¤ªà¥‹ में बैठे दूसरे सजà¥à¤œà¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की तो वो शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ पूछताछ के बाद राजी हो गà¤. लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि टेमà¥à¤ªà¥‹ में इतनी जगह नहीं है कि 4 लोग सीट में बैठसकें, इसलिठबाली और मैं बिना समय गवाà¤à¤‚ टेमà¥à¤ªà¥‹ के पीछे कोयले से à¤à¤°à¥€ बोरियों के ऊपर जा बैठे. पहाड़ों में खà¥à¤²à¥‡ आसमान के नीचे, अनगिनत तारों को टिमटिमाते हà¥à¤ देखना à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ अनà¥à¤à¤µ होता है, जो शहरों कि चमचमाती रौशनी और à¤à¤¾à¤°à¥€Â पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ के बीच कहीं खो जाता है. तारों को घूरते – घूरते, थकान के कारण न जाने कब आà¤à¤– लग गयी, पता ही नहीं चला. थोड़ी देर बाद à¤à¤Ÿà¤•ा लगने से नीद खà¥à¤²à¥€ तो बाली को à¤à¥€ à¤à¤• कोने में ठिठà¥à¤°à¤¤à¤¾ पाया. बैग में रखी चादर निकालकर, ओढ़कर फिर सो गà¤.
टेमà¥à¤ªà¥‹ बीच में कहीं रà¥à¤•ा तो लगा मानो पहà¥à¤à¤š गà¤, पर वो तो रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• दà¥à¤•ानदार को कोयले की कà¥à¤› बोरियां देने रà¥à¤•ा था. हालांकि सà¥à¤‚दर नगर अब यहाठसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं था. लगà¤à¤— 15 मिनट में सà¥à¤‚दर नगर पहà¥à¤à¤šà¤•र, टेमà¥à¤ªà¥‹ वालों को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देकर, बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की तरफ बड़े ही थे कि चाà¤à¤¦à¤¨à¥€ में नहाई सà¥à¤‚दर नगर कि मनमोहक à¤à¥€à¤² को देखकर कदम यकायक ही थम गà¤. लेकिन यहाठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय न बिताते हà¥à¤, बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की तरफ चल पड़े. संयोगवश दिलà¥à¤²à¥€ जाने वाली बस रवानगी के लिठतैयार ही खड़ी थी कि लपककर पकड़ लिया और सीट à¤à¥€ मिल गयी. हालांकि इस जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ में मेरा कà¥à¤› सामान बाली के पास और उसका कà¥à¤› सामान मेरे पास रह गया और बाली को फ़ोन पर ही अलविदा कहना पड़ा. वाकई शà¥à¤°à¥‚ से अंत तक रोमांच ही रोमांच था इस यातà¥à¤°à¤¾ में, ये कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ मà¥à¤à¥‡ जीवनà¤à¤° याद रहेगा !!!