आज अपना पहला यातà¥à¤°à¤¾ अनà¥à¤à¤µ आप लोगे से साà¤à¤¾ करने जा रहा हूठहिंदी लिखे हà¥à¤ वैसे à¤à¥€ अरसा हो गया! इस बà¥à¤²à¥‰à¤— को शà¥à¤°à¥‚ करने से पहले याद à¤à¥€ नहीं पड़ता की अंतिम बार कब हिंदी में लिखा होगा! नौकरी के à¤à¤®à¥‡à¤²à¥‡ और आज कल की जिंदगी हो ही à¤à¤¸à¥€ गयी है….चलिठखैर मेरे हिंदी लेखन में होने वाली गलतियों/तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर आप सब से पहली और अंतिम बार कà¥à¤·à¤®à¤¾ माग लेता हूठ….आशा है आप सब मेरा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ कर तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न दे यातà¥à¤°à¤¾ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का मजा लेंगे!!
2011 दिवाली से कà¥à¤› दिन पहले मेरे खासम ख़ास दोसà¥à¤¤ अनà¥à¤œ उरà¥à¤«à¤¼ अनà¥à¤¨à¥‚ का फोन आया जॉब के कारण वो आज कल बंगलौर में रहता है ! अनà¥à¤¨à¥‚ को हम यार दोसà¥à¤¤ कीड़ा à¤à¥€ कहते है आप लोग समठही गठहोंगे के कीड़ा मतलब….बोला à¤à¤¾à¤ˆ इस बार दिवाली की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में घर आऊंगा तो कही घà¥à¤®à¤¨à¥‡ चलेंगे! हमारी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की वजह से हम वैसे ही बदनाम रहते है सो उसे à¤à¥€ मैं ही याद आया, बोला पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® à¤à¤¸à¤¾ हो के बस हमेशा याद रहे, à¤à¤• दम à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर से à¤à¤°à¤ªà¥‚र! चलो खैर काफी कà¥à¤› दिन विचार विमरà¥à¤¶ के बाद आखिर हमारे कहे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बना मेरे सबसे पसंदीदा पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में चकराता और लाखामंडल का, साथ में हमारे à¤à¤• छोटे à¤à¤¾à¤ˆ साहब(मौसेरे à¤à¤¾à¤ˆ) पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ à¤à¥€ तैयार हो लिà¤, इन दिनों उनकी à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ अनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ जागने लगी थी! समय की बाधà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को देखते हà¥à¤ दो रातें और दिन दिन का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बना, कà¥à¤¯à¥‚ंकि à¤à¤¾à¤ˆ साहब की बंगलौर वापसी तय थी और हमारी à¤à¥€ ऑफिस की मज़बूरी ……सो सोचा à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ दूज वाले दिन तडके तड़क निकल शाम 3-4 बजे तक चकराता पहà¥à¤šà¥‡à¤—े बाकी बाद में देखेंगे …..
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| हमारे कीड़े à¤à¤¾à¤ˆÂ साहब अनà¥à¤œÂ जैन जी |
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| घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के नठसूरमा  पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£Â कोशिक जी |
आखिर कार हंसी ख़à¥à¤¶à¥€ दिवाली मनाकर मैं और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ दोनों लोग à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ दूज के दिन सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ गाजियाबाद से चल दिठहमारे कीड़े à¤à¤¾à¤ˆ साहब को यमà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤—र से हमे मिलना था और à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ दूज के कारण हमे शामली अपनी बहन के यहाठसे होकर जाना था! सो यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤† के वो हमे सहारनपà¥à¤° से आगे छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° मिलेंगे! कà¥à¤¯à¥‚ंकि वो बस से आने वाला था और हम अपने शवरले बीट कार से निकल पड़े! à¤à¤¾à¤ˆ साहब कà¥à¤¯à¤¾ बताये बहन जी के यà¥à¤ªà¥€ के रासà¥à¤¤à¥‹ का हाल…. जिनकी मेहरबानी की बदोलत यातà¥à¤°à¤¾ में पहले से लेट हो गà¤, दोपहर लघà¤à¤— ढाई बजे हम छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° पहà¥à¤‚चे, साल à¤à¤° बाद अपने कीड़े à¤à¤¾à¤ˆ से गले मिलने का मजा ही अलग था!
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| यूंपी के रासà¥à¤¤à¥‡….. |
यहाà¤Â से हमने देहरादून -मसूरी होते हà¥à¤Â चकराता जाना था यहाठसे चकराता जाना काफी सरल है. जाने के दो तरीके हैं, à¤à¤• देहरादून से मसूरी और यमà¥à¤¨à¤¾ बà¥à¤°à¤¿à¤œ (155kms)  होते हà¥à¤ à¤à¤• दम पहाड़ी रासà¥à¤¤à¤¾ और दूसरा  à¤à¤• पारंपरिक  रासà¥à¤¤à¤¾ देहरादून से विकासनगर और कलसी (130kms) होते हà¥à¤ जो की कम पहाड़ी है लेकिन हम à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡ पकà¥à¤•े खिलाडी बन (वैसे à¤à¥€ अब तो तीनो ही वाहन चालक थे ) मसूरी वाला रासà¥à¤¤à¤¾ चà¥à¤¨ लिया!
रासà¥à¤¤à¥‹ पर चलने के लिठà¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ जिसे नकà¥à¤¶à¤¾  कहते हैंÂ
लेकिन किसी ने कहा है समय बड़ा बलवान हम देहरादूà¤à¤¨Â पहà¥à¤šà¤¨à¥‡Â वाले थे ही लगà¤à¤— 10-12 किलोमीटर पहले हम जाम में फंस गà¤! रासà¥à¤¤à¤¾Â थोडा पहाड़ी था, सोचा हो गया होगा कà¥à¤› …..लेकिन à¤à¤¾à¤ˆÂ साहब 10-15 मिनट बाद हमारे अनà¥à¤œ à¤à¤¾à¤ˆ का कीड़ा जाग गया, बोला कà¥à¤›Â जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾Â ही समय लग रहां है देख कर आता हà¥Â कà¥à¤¯à¤¾Â बात है , वो चला गया! मैं और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£Â अपना गाने सà¥à¤¨à¤¨à¥‡Â में मसà¥à¤¤Â हो गà¤Â जब काफी देर बाद à¤à¥€Â अनà¥à¤œÂ नहीं आया तो मैं उसे देखने के बहाने पैदल ही चल पड़ा à¤à¤¾à¤ˆÂ साहà¥à¤¹à¥à¤¹à¤¹à¥à¤¹à¥à¤¹à¥à¤¬ ….कà¥à¤¯à¤¾Â लमà¥à¤¬à¤¾Â जाम था लगà¤à¤— दो किलोमीटर आगे जाकर देखता कà¥à¤¯à¤¾Â हूठके सड़क में बीचो बीच à¤à¤•  à¤à¤²Â पी जी गैस सिलेंडर का टà¥à¤°à¤• उलट गया था पहाड़ी रोड होने की वजह न आ सकते थे न जा सकते थे…लकिन हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ मोटरसाइकिल वाले कहीं रà¥à¤•ते है उनकी तो शान में फरà¥à¤• आ जाता…..घà¥à¤¸à¥‡Â चले जा रहे थे …
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| कार से देखने पर  जाम का दृशà¥à¤¯Â |
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| पैदल चलते हà¥à¤ लोग और उनके पीछे हम …. |
कà¥à¤›Â देर बाद आरà¥à¤®à¥€Â वाले पहà¥à¤šà¥‡Â लकिन बिनो साजो सामान यानी बिना कà¥à¤°à¥à¤°à¥‡à¤¨Â के सब वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥Â था! गाडी लोक कर मेरे पीछे पीछे पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£Â à¤à¥€Â आ पहà¥à¤‚चा! अब हम तीनो को आगे जाने की जलà¥à¤¦à¥€ लगी थी… हमने वहाà¤Â अपनी मजोरटी का फायदा देख कà¥à¤›Â और नेता टाइप करà¥à¤®à¤  लोगो के साथ मिल रासà¥à¤¤à¤¾Â खोलने की जà¥à¤—त लगाई! सà¤à¥€ मोटर साइकिल वालो को पीछे रोक, लोगो को तितर बितर कर à¤à¤• बस में रसà¥à¤¸à¤¾Â ड़ाल टà¥à¤°à¤• को खीच कर रोड से हटाने का à¤à¤• और वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥Â पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸Â किया!
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| जय जवान ….जनता के साथ ये à¤à¥€ परेशान |
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| ये जो पबà¥à¤²à¤¿à¤• है ….ये कहा मानती है |
थक हार कर कà¥à¤› और सोच हम वापिस अपनी कार की तरफ चल दिठयही विचार विमरà¥à¤¶ करते हà¥à¤ के कà¥à¤¯à¤¾ किया जाà¤? शाम के पांच बजने वाले थे पà¥à¤°à¤•ृति ने à¤à¥€ अपनी धà¥à¤‚दली सी चादर ओढ़ ली थी! कà¥à¤¯à¤¾ करे कहाठजाà¤? कà¤à¥€ सोचते, à¤à¤• कचà¥à¤šà¥‡ पकà¥à¤•े अनजान रासà¥à¤¤à¥‡ बेहट होते हà¥à¤ जहा तक हो सके कम से कम विकास नगर पंहà¥à¤šà¤¾ जाà¤, या फिर यहाठसे वापिस जाकर रूडकी होते हà¥à¤ आज रात हरीदà¥à¤µà¤¾à¤° पंहà¥à¤šà¤¾ जाअ आगे तो जाम था ही जब तक हम अपनी कार पर पहà¥à¤šà¥‡ हमारे पीछे à¤à¥€ गाड़ियों की à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ क़तार लग चà¥à¤•ी थी ! ये लो… आसमान से टपके, खजूर में अटके… आपको कà¥à¤¯à¤¾ लगता है कà¥à¤¯à¤¾ किया होगा हमने और कà¥à¤¯à¤¾ हमें करना चाहिये था ? आप लोग कà¥à¤› सà¥à¤à¤¾à¤µ दीजिये, ताकि हम जैसे अनà¥à¤¯ लोग जब à¤à¤¸à¥‡ फंसे तो कà¥à¤¯à¤¾ करना चाहिये!
आखिरकार कà¥à¤› देर उठाक पटक के बाद हमने अपनी गाडी वापिस छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° की और दौड़ा दी! सी बी आई की तरह पूछताछ कर, छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° से पहले ही हमने à¤à¤• अनजान सा रासà¥à¤¤à¤¾ (जसà¥à¤®à¥‹à¤°- बिहारीगढ़) पकड़ लिया, जो कहीं आगे जाकर मिरà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤ªà¥à¤° पर निकलता था! मिरà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤ªà¥à¤° सहारनपà¥à¤° से विकासनगर वाले हाईवे पर था!हमारी देखा देखी à¤à¤• दो गाड़ियां और हमारे पीछे लग गयी! निहायत ही देसी और गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाको से होते हà¥à¤ हम मिरà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤ªà¥à¤° पहà¥à¤‚चे!
यहाठसे हरबेरà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤° होते हà¥à¤ विकास नगर लगà¤à¤— 35-36 कि.मी. है! रासà¥à¤¤à¤¾ लगà¤à¤— साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ है! हरबेरà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤° नॅशनल हाईवे न. 7 पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है! जो देहरादून से आसन बैराज पकà¥à¤·à¥€ विहार और पोंटा साहिब (हिमाचल) को जाता है! और यहाठसे 5 कि. मी. आगे विकासनगर है! जो के à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ बडा टाउन है! खाने पीने के लिठवेज और नॉन वेज ढाबे, पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पमà¥à¤ª और ठटी म आदि की सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤ यहाठउपलबà¥à¤§ है! यही से 3 कि. मी. बाà¤à¤‚ जाने पर पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ डाक पतà¥à¤¥à¤° है जो यमà¥à¤¨à¤¾ नदी पर बने अपने हà¥à¤¯à¤¡à¤°à¥‹ पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के लिठजाना जाता है, परिवार के लिठà¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² है ! विकासनगर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡- पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमे लगà¤à¤— 8 बज चà¥à¤•े थे! आखिर मन में थोडा चैन पड़ा, के चलो कहीं सही सी जगह तो पहà¥à¤‚चे!
हम थोडा थके और à¤à¥‚खे थे! साथ साथ हमारी गाडी à¤à¥€ बेचारी सà¥à¤¬à¤¹ से हमे ढोकर थक चà¥à¤•ी थी और à¤à¥‚खी à¤à¥€ थी! यानी उसे à¤à¥€ तो पेटà¥à¤°à¥‹à¤² चाहिये था! वैसे à¤à¥€ आगे à¤à¤• दम पहाड़ी सफ़र जो करना था और हमे पता नही था के आगे पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पमà¥à¤ª कब और कहाठमिलेगा! गाडी साइड लगा कर इधर उधर जांच पड़ताल चालू की! ढाबे तो कई दिखाई दिठपरनà¥à¤¤à¥ हम ठहरे पकà¥à¤•े शाकाहारी और हमारे कीड़े à¤à¤¾à¤ˆ पकà¥à¤•े जैनी….. तो पता चला की आगे मेन रोड पर ही जो चकराता जाता है, वहां का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤•ाश वैषà¥à¤£à¤µ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है! हम आगे के सफ़र के लिठबाकी का खाने पीने का सामान खरीद, पà¥à¤°à¤•ाश वैषà¥à¤£à¤µ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ जा पहà¥à¤‚चे! जो à¤à¤• दम साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ माहोल लिठजैसे हमारे ही इंतज़ार में था! यहाठपर ऊपर ठहरने की उचित वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ मौजूद थी! पà¥à¤°à¤•ाश वैषà¥à¤£à¤µ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¤µà¤‚ लोज के मालिक à¤à¤• बà¥à¤œà¤°à¥à¤— लेकिन बहà¥à¤¤ ही सोमà¥à¤¯ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचारो के वà¥à¤¯à¤¤à¤¿ थे! जो की à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में लगी à¤à¤—वानो की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹ को देखकर पता चलता है! चलो जी खैर उस पà¥à¤°à¤à¥ की कृपा से हमे बड़ा ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ और गरमा गरम खाना खाने को मिला! वाकई में सिरà¥à¤« लिखने के लिठनहीं कह रहा अपितॠखाना था ही बहà¥à¤¤ शानदार और हमे खाना खिलाने वाले उस गढ़वाली लड़के की सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ à¤à¥€! दाम की à¤à¤• दम वाजिब थे!
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| चमचमाता पà¥à¤°à¤•ाश वैषà¥à¤£à¤µÂ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯Â à¤à¤µà¤‚ लोज |
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| साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾Â पारिवारिक माहोल |
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| ये  बेचारा à¤à¥‚ख का मारा , हमारे  कीड़े  à¤à¤¾à¤ˆ साहब |
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| नपà¥à¤•िन और पानी नहीं खाना लाओ बस जलà¥à¤¦à¥€ ! |
मैं और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£à¤°à¤¾à¤¤ के लगà¤à¤— 9 बज चà¥à¤•े थे और हम खाना खाकर à¤à¤• पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ चाय के इंतज़ार में वहीठटेबल को संसंद में बदल चà¥à¤•े थे! संसद से मेरा मतलब फिर वही बहस चालू हो गयी थी के अब कà¥à¤¯à¤¾ किया जाठ! आगे चकराता चला जाठया नहीं ? कà¥à¤¯à¥‚ंकि à¤à¤• तो आगे आरà¥à¤®à¥€ à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होने की वजह से रासà¥à¤¤à¥‡ में गेट सिसà¥à¤Ÿà¤® रहता था सो वो रात में आगे जाने नहीं देंगे, दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ पता नहीं कैसा होगा ? फिर सोचा यही पà¥à¤°à¤•ाश लोज में रà¥à¤•ा जाठया फिर 3 कि.मी. जाकर डाक पतà¥à¤¥à¤° में रात बिता कर वही पतà¥à¤¥à¤° तोड़े जाअ.और सà¥à¤¬à¤¹ सवेरे चकराता निकला जाà¤! इसी शोर शराबे में हमे उन बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—वार से पता चला के अब गेट सिसà¥à¤Ÿà¤® ख़तम हो गया है और इतनी रात में à¤à¥€ आगे जाने में कोई दिकà¥à¤•त नहीं! हमने à¤à¥€ चाय ख़तम करी और पैसे देकर उन साहब का ढेरो शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा कर अपनी गाडी की और चल पड़े! कà¥à¤¯à¤¾ सजà¥à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था… चाहता तो हमें गलत बता कर अपनी लोज में ठहरने के लिठउकसा सकता था लेकिन नहीं ……. यहीं तो पता चलता के ये कहीं न कहीं लोग अà¤à¥€ à¤à¥€ पूरी तरह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ है…. आजकल के इंडियन नहीं बने!
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| गढ़वाली लड़का और सजà¥à¤œà¤¨Â बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—वार लोज के मालिक |
लड़ते à¤à¤—ड़ते आखिर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी जीत गयी और हमने आगे चकराता बढ़ते हà¥à¤Â गाडी पेटà¥à¤°à¥‹à¤²Â पमà¥à¤ªÂ की और दौड़ा दी! यहाà¤Â से चकराता, कलसी होते हà¥à¤ 52-53 कि.मी. है! कलसी अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सोंदरà¥à¤¯Â और वहां सà¥à¤¥à¤¿à¤¤Â समà¥à¤°à¤¾à¤ŸÂ अशोक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾Â सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करायी गयी शिलालेख के लिà¤Â जाना जाता है! रात होने की वजह से अब शिलालेख तो देखना मà¥à¤¶à¥à¤•िल था! जैसे जैसे अनà¥à¤œÂ गाडी को वहां पहाड़ियों की गोद में ऊपर की और बढाà¤Â जा रहा था! वैसे वैसे ही ना जाने कौन सी सà¥à¤–द à¤à¤µà¤‚ अनजानी ख़à¥à¤¶à¥€Â का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸Â à¤à¥€ हमारे मन में बढ़ता जा रहा था! रात के अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡Â में ना तो कोई खाई दिखाई दे रही थी बस कार से पड़ने वाली रौशनी में पहाड़ी घूम और पेड़ पोधे दिखाई दे जाते थे! लगता था के मानो हमसे पà¥à¤› रहे के à¤à¤¾à¤ˆ साहब इतनी रात में कहाà¤? बाते करते करते हमे à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸Â हà¥à¤†Â के आसमान के चमचमाते लाखो तारे और सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨Â सी पहाड़ी सडक जैसे हमे कà¥à¤›Â कह रही है! हमने à¤à¥€Â उनसे दो चार बाते करने की सोच घोर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡Â में गाडी साइड में लगा, सब लाइट ऑफ कर दी! गाडी से बहार निकल शरीर की अकडाहट कम करने लगे!  कà¥à¤¯à¤¾ शांति थी उस सरà¥à¤¦Â रात में, चà¥à¤¯à¥‚ंटी काटती बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€Â हवाà¤à¤‚ , जंगल के जिनà¥à¤—à¥à¤°à¥‹ की आवाज़ …………आहहà¥à¤¹à¥à¤¹à¥à¤¹à¤¹à¤¹à¥à¤¹à¥à¤¹à¥à¤¹Â का सा à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸Â निकला हमारे मन से!
|  गाडी की रौशनी से लà¥à¤•ा छिपी खेलते पहाड़ी रसà¥à¤¤à¥‡ के घूम |
| पहाड़ो की ख़ामोशी और तारों से बाते करते  हम |
फिर कà¥à¤› देर उन टीमटीमाते तारों को देखने के बाद हमे लगा के वहाठचकराता में कोई हमारा इंतज़ार नहीं कर रह होगो वो à¤à¥€ सरà¥à¤¦à¥€ à¤à¤°à¥€ रात में के बाउजी आयेंगे और कमरा तैयार….. जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ चकराता पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में हम उस à¤à¤• दम पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ से फिर उलठपड़े! आखिर 11:40 पर हम अपनी मंजिल का पà¥à¤°à¤¥à¤® दरà¥à¤¶à¤¨ कर रहे थे जो के à¤à¤• तिराहा सा था! à¤à¤• दम सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ , न कोई आदमी, न कोई सà¥à¤šà¤¨à¤¾ बोरà¥à¤¡, किधर जाअ……..? लगा à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ फिर फंस गà¤, चकराता à¤à¤• टिपिकल आरà¥à¤®à¥€ à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है! यहाठविदेशी सैलानीओं का आना मना है! खैर जी à¤à¤• फोजी जो की न तो हिंदी ही जानता था न इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶, लेकिन उसे इतनी ठणà¥à¤¡ में डà¥à¤¯à¥‚टी पर तैनात देखकर हमें ये पता चल गया था के ये देशà¤à¤—à¥à¤¤à¤¿ जरà¥à¤° जानता है! हमने à¤à¥€ उसकी देशà¤à¤—à¥à¤¤à¤¿ को सलाम कर! à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होटल सà¥à¤¨à¥‹ विऊ के बारे में पूछा, लेकिन वो कà¥à¤› न बता कर à¤à¤• साइड में हाथ से इशारा कर बस à¤à¤• शबà¥à¤¦ बोला होतà¥à¤²à¥‚ …होतà¥à¤²à¥‚ …
फोजी à¤à¤¾à¤ˆ को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ कर हमने à¤à¥€ अपनी गाडी उसी और चढ़ा दी! थोडा आगे जाकर और चढाई चढ़ घूमते ही सामने कà¥à¤› गाडिया पारà¥à¤• थी और à¤à¤• गेट लगा था! गाडी खड़ी कर हम बहार निकले तो पता चला के ठणà¥à¤¡ ने à¤à¥€ पूरा जोर लगा रखा था उस सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ को बढाने में! तà¤à¥€ हमारी गाड़ी की आवाज़ सà¥à¤¨ गेट के बगल में ही à¤à¤• टिकटघर नà¥à¤®à¤¾ कमरे से à¤à¤• छोटे से कद का (हिंदी फिलà¥à¤®à¥‹ का राजपाल यादव टाइप ) à¤à¤• पहाड़ी आदमी निकला, देखते ही लगा के यही तो टिपिकल जौनसारी है, आपकी जानकारी के लिठबता दूठके उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤: तीन इलाके और लोग पाठजाते है à¤à¤• है गढ़वाल के गढ़वाली, दà¥à¤¸à¤°à¥‡ कà¥à¤®à¤¾à¤‰ के कà¥à¤®à¤¾à¤à¤‰à¤¨à¥€, और तीसरे जौनसार के जौनसारी! सो चकराता उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के जौनसार कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पड़ता है! वह जौनसारी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमसे बोला के यहाठयही à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ बाज़ार है और यह उसी का गेट है जो की रात के समय बंद रहता है! गाडी आगे लेजाने के लिठमà¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤² कमेटी की परà¥à¤šà¥€ कटवानी होगी! वही अनà¥à¤¦à¤° आपको कोई लोज मिल जायेगी! लेकिन हम à¤à¥€ होटल सà¥à¤¨à¥‹ वीऊ के लिठअड़े थे! और वो à¤à¤¾à¤ˆ अपनी परà¥à¤šà¥€ पर…. कà¥à¤› न बताकर हमारी परà¥à¤šà¥€ काटने में लगा था! हमने à¤à¥€ उसे अà¤à¥€ लोटकर आने की बोल वापिस गाडी दौड़ा दी! होटल सà¥à¤¨à¥‹ वीऊ की तलाश में! उसका कारण यह था की यह होटल अपने आप में à¤à¤• देखने और रहने के जगह है! हमने सà¥à¤¨à¤¾ था के वो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ ने 1836 में बनवाया था जो की सà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ की खूबसूरती निहारने के लिठउतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की बेहतरीन जगहों में से à¤à¤• था! आधा घंटा à¤à¤Ÿà¤•ने के बाद आखिर हम होटल सà¥à¤¨à¥‹ वीऊ पहà¥à¤šà¥‡! जो की उसी सबसे पहले तिराहे से सीधे आगे जाकर थोडा दाहिने हाथ पर à¤à¤• निचे उतरते बहà¥à¤¤ ही संकरे से रासà¥à¤¤à¥‡ पर था! जो सिरà¥à¤« उसी पर जाकर ख़तम होता था! वह सचमà¥à¤š ही à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ सी बà¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग थी! जो कà¤à¥€ किसी जमाने में रहिसियत ही गवाह रही होगी! अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में आवाज़ सà¥à¤¨ कर दो पहाड़ी लड़के बहार आये, पूछने पर बड़े अकड़े से लहजे में बोले, कमरा तो खाली है लेकिन किराया 1200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ होगा तीनो का! हमने कहा à¤à¤¾à¤ˆ, वेब साईट पर तो तà¥à¤®à¤¨à¥‡ डबल बेड का किराया 800 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लिखा है! तो वो बोला ये सà¥à¤‡à¤Ÿ है और बाकी सब कमरे लगे है कोई खाली नहीं! हमने कहा à¤à¤• बार दिखा तो दो कैसा है! देखा तो कमरा कà¥à¤¯à¤¾ पूरा का पूरा 2 बी à¤à¤š के फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿ था! पहले à¤à¤• कमरा जिसमे डबल बेड और à¤à¤• कोने में चिमनी थी! दूसरा à¤à¥€ वैसा ही पर उससे à¤à¥€ बड़ा, à¤à¤• कोने में सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° रूम जो की बंद पड़ा था और दूसरी कोने में सबसे बाद में à¤à¤• बाथरूम था जिसका à¤à¤• दरवाज़ा होटल में पिछवाड़े में खà¥à¤²à¤¤à¤¾ था! पिछवाड़े की हालत देखकर वहां फैले कूड़े कबाड़े को देखकर बडा दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† के हम जैसे ही लोग आकर इस पà¥à¤°à¤•ृति और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ का अनदेखा कर जाते है!
| दà¥à¤¸à¤°à¥‡Â कमरे में आराम फरमाता मैं साथ में हमारे जूते à¤à¥€Â थक गà¤Â थे |
| बाथरूम और सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°Â रूम की पहरेदारी करता अनà¥à¤¨à¥‚  à¤à¤¾à¤ˆ |
| ठणà¥à¤¡Â  दूर करने का अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€Â तरीका |
| हाल जैसे कमरे की  छत à¤à¥€Â अजीब ही थी |
खैर जी हमने उस से कà¥à¤›Â रियायत करने को कहा, के à¤à¤¾à¤ˆÂ हम इतने बड़े कमरे का कà¥à¤¯à¤¾Â करेंगे? हम तो à¤à¤• रूम में ही सेटेल हो जायेंगे और सà¥à¤¬à¤¹Â जलà¥à¤¦à¥€Â निकलेंगे, सो कà¥à¤›Â तो कम करो! उसने ना, à¤à¤• रà¥à¤ªà¥ˆà¤¯à¤¾Â à¤à¥€Â कम किया! जानता था इतनी रात और ठणà¥à¤¡Â में कहाà¤Â जायेंगे! लेकिन तà¤à¥€Â हमारी कीड़े à¤à¤¾à¤ˆÂ साहब बोल पड़े अगर नहीं कम करता तो रहने दो कहीं और चलते है!
और इतना कह हम तीनो वापिस अपनी गाडी की और चल दिà¤! गाडी पर पहà¥à¤šÂ कर देखा के उन लडको ने à¤à¥€Â दरवजà¥à¤œà¤¾ बंद  कर लिया! मैंने और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£Â  ने कहा यार अनà¥à¤¨à¥‚  इतनी रात में अब और कहाठजायेंगे? तो अनà¥à¤œ बोला यार मैंने तो à¤à¤¸à¥‡Â ही हूल देने को कह दिया था! के जब हम वापिस जाने लगेंगे, तब तो कà¥à¤›Â कम कर ही लेगा! लेकिन यहाà¤Â तो पासा उलà¥à¤Ÿà¤¾Â ही पड गया था! अब रात के सवा बारह बज चà¥à¤•े थे और सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨Â अनजान चकराता की सरà¥à¤¦Â हवा हमे उस बंद दरवजà¥à¤œà¥‡Â की और जाने को कह रही थी! सो हमने उसकी बात मान वापिस दरवाजे पर दà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• दे, अपने हथियार डाल दिà¤!
चाय पीने की बड़ी तलब लगी थी! लेकिन उन पटà¥à¤ ो ने à¤à¥€Â à¤à¤• जग पानी का देकर हाथ à¤à¤¾à¤¡Â दिà¤! चलो जी, पानी पिकर ही सही हम तीनो à¤à¤• ही बिसà¥à¤¤à¤°Â पर लमलेट हो लिà¤! आखिर हम चकराता के सबसे बेहतरीन होटल के सà¥à¤‡à¤ŸÂ में आराम जो फरमा रहे थे! यही सोच कर के सà¥à¤¬à¤¹Â जलà¥à¤¦à¥€Â उठकर हम à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹Â के बनाये इस होटल से कल के खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯Â का मजा आज छà¥à¤ŸÂ गयी चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ी के साथ कल तो लेंगे ही! और लाइट बंद कर पता नहीं कब इसी इंतज़ार आà¤à¤– लग गयी! आगे कà¥à¤¯à¤¾Â कà¥à¤¯à¤¾Â हà¥à¤†? चाय मिली या नहीं? सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯Â देखा या नहीं? ये सब à¤à¥€Â जलà¥à¤¦Â ही बताऊंगा अपनी अगली पोसà¥à¤ŸÂ में जाईयेगा नहीं ……. तब तक मैं अपने हाथो को विशà¥à¤°à¤¾à¤®Â दे ऑफिस का कà¥à¤›Â कारà¥à¤¯Â निपटा कर, आगे की कहानी के लिà¤Â जलà¥à¤¦à¥€Â ही वापिस आता हूà¤! जाइयेगा नहीं अपनी सà¥à¤à¤¾à¤µÂ देते रहिये…… (कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ)












Wow Man! Very enjoyful reading. When it comes to finding a room in Chakrata, everybody gets frustrated.
Thanks Praveen Ji, people like you & your stories are a energy sources for me.
Well rightly said its very frustrated to get Room in Chakrata as no much options are available.. except rudimentary 2-3 lodges there are only two good hotels one is Hotel snow view (my suggestion to every one) 2nd one is hotel Himalyan paradise which aprox 5-6 km ahead from main town on towards Tigar fall -lakhamandal road & they are not giving rooms to boys only
very well narrarted !!!
My father almost spent his childhood time in Chakrata only as my grandfather was posted their in forest department. I have been to Chakrata almost 2 years back , beautiful place.
If you get time go through the below three post on Chakrat / Lakhamandal :——-
https://www.ghumakkar.com/2011/06/28/the-hidden-places-of-uttrakhand-%E2%80%93-chakrata-lakhamandal-day-1/
https://www.ghumakkar.com/2011/07/01/the-hidden-places-of-uttrakhand-%E2%80%93-chakrata-lakhamandal-day-2/
https://www.ghumakkar.com/2011/07/05/the-hidden-places-of-uttrakhand-%E2%80%93-chakrata-lakhamandal-day-3/
Looking farward to your next post…………….
Thanks Mahesh Ji,
Well i have already gone through your chakrata lakhamandal post …really nice & very much informative for me too even though after visiting chakrta thrice .
kutchh dino k gap par aane se kutchh jyada hi intresting post mil raha hai .mast post hai pankaj bhai.jaam me ghum kar wapis kaise hue?sach puchho to ghumne ka maza apni hi vehicle se hai.last durga puja ki chhutti me main bhi apni car se patna se nainital pahunch gaya tha ghumte hue. ek baat jo maine mehsoos ki hai ghumne me ki kira bhai ki tarah hotel me maine bhi hool di hai aur kai jagah bargain karne me safal bhi hua hun.wo jo tata sky ka ad hai, puchhne me kya jaata hai ,to bargain karna hi chahiye.jald dusra post daalo ,break achchha nahi lagta hai
Rajesh Ji bahut bahut shukriya!!!
Well hul dene wali barging to jyadatar success full hi rahi hai , parantu us raat haalat hamare paksh me nahi rahe…..
waise jaam se haum kaise nikle wo to maine upar post& fotos me sapast kiya hai baaki ek video linak hai jo ki humhe wahan se nikalte huye apne phon se banayi thi , aap se share karan cahunga….
http://www.youtube.com/watch?v=jTD2tuCmehs
Welcome aboard Pankaj.
Very pacy narration and you do have a unique style with enough condiments spread all over. Loved it. I have been to the roads you have mentioned. Salute to spirit of Ghumakkari that you managed to reach your destinations. We also stayed at the same hotel many years back and it is indeed located at a super place. During that time, the way to the hotel was pretty adventurous. I dont know whether now , there is a better road or not. Also when we went, the gate system was there.
Look forward to next part. Wishes.
धन्य हो गया नंदन जी , आप जैसे घुमक्कड़ो की टिप्पिनिया पाकर ! वाकई आपने सही कहा, होटल स्नो व्यू बहुत ही सुंदर लोकेशन पर है! लेकिन आज भी मेन रोंड से होटल तक जाने वाली छोटी और संकरी रोड किसी अड्वेंचर से कम नहीं और भी रात को १२ बजे :) , हाँ गेट सिस्टम तो अब बिलकुल खतम हो चुका है ! अब तो मुझे अपनी अगली पोस्ट जल्दी ही डालनी होगी ……ताकि आप सब का साथ कहीं छुट न जाए….
Very nice Pankaj. Seems like your adventure started in the plains itself. After an eventful first day, I look forward to the sunrise next morning!
Thank you dear for your comments
Ya of-course on that day even after so much adventure we were also looking forward to the beautiful sunrise….by tomorrow you ll be able to see my next post
Thanks Pankaj for the informative Post.
Chakrata is a new place to me and has been added to the wish list.
नरेश जी मेरे लिए तो ये आश्चर्य की बात है की आप जैसे घुमक्कड़ के लिए चकराता अभी तक नया है, आप तो वैसे भी चकराता के पड़ोस में रहते हैं, मैंने भी अपना काफी समय जगाधरी यमुनानगर में बिताया है!
बाकी अब चकराता तो भूल मत जाना अबही भी बहुत सी जगह है वहां जो आप जैसे घुमाक्कर जाकर खोज सकते हैं
अंततः आपका बहुत बहुत धन्यवाद , पोस्ट को पढ़ उत्साहवर्धन करने के लिए
पंकज,
बहुत बढ़िया और मस्ती भरे लहजे में आपका चकराता के सफ़र का यह लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा….| फोटो भी अच्छे लगे….धन्यवाद…..
शुक्रिया रितेश जी, आपकी टिप्पणिया भी कम रोचक नहीं होती….काफी ख़ुशी देजाती है, अपना सहयोग एवं प्रेम ऐसे ही जारी रखियेगा!