किसी ने सच ही कहा है की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी à¤à¤• नशा है, और जो इसके मोहपाश में बांध जाता है उसके दिमाग में हर समय घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का कीड़ा कà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ रहता है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी à¤à¤• à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ है… हà¥à¤°à¤¦à¤¯ में दबी जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं को शांत करने का, हमारी à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथा सांसà¥à¤•ृतिक धरोहरों को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने का, जीवन को गतिशीलता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने का, सरà¥à¤µà¤§à¤°à¥à¤® समà¤à¤¾à¤µ का, वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•म की नीति का, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ का, नवसृजनातà¥à¤®à¤• विचारों का,सामाजिक तथा नैतिक उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¤µà¤‚ उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ का.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾ को शांत करने के लिठहर समय पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ रहते हैं. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी जब दिल ओ दिमाग पर हावी होती है तो मौसम का मिजाज, जेब के हालात, वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ आदि चीजें गौण हो जाती हैं. à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› हाल हमारा à¤à¥€ है, कहीं घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जाने के ख़याल à¤à¤° से मन मयूर नाच उठता है, और अगर ये घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी हमें à¤à¤—वान के दà¥à¤µà¤¾à¤° तक ले जाती है तो इससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¥€ चीज और कोई हो ही नहीं सकती, à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ ख़तà¥à¤® हà¥à¤ˆ नहीं की दूसरी की तैयारी चालॠहो जाती है, हमारे बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ अब घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के आदि हो गठहैं, हर समय पूछते रहते हैं ममà¥à¤®à¤¾ अब कहाठजायेंगे?
इस पोसà¥à¤Ÿ के माधà¥à¤¯à¤® से मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हà¥à¤‚ अपनी लेटेसà¥à¤Ÿ टà¥à¤°à¤¿à¤ª से जà¥à¤¡à¥€ कà¥à¤› यादें जो हमें जीवन à¤à¤° याद रहेंगी. हर à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ हमें कà¥à¤› न कà¥à¤› नया सिखा जाती है, à¤à¤¸à¥€ ही कà¥à¤› यादें हमारी इस यातà¥à¤°à¤¾ से à¤à¥€ जà¥à¤¡à¥€ हैं…………………….
जैसे की आपने मà¥à¤•ेश जी की पिछली तीन पोसà¥à¤Ÿà¥à¤¸ में पढ़ा, हमारी यह धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ २६ जनवरी से २९ जनवरी के बिच चली, इन चार दिनों में हमने महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के मराठवाडा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को बहà¥à¤¤ करीब से देखा. वहां का खान पान, संसà¥à¤•ृति, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आदि में जैसे हम रम गठथे. हमारी इस यातà¥à¤°à¤¾ में हमने हिंगोली, नांदेड, परà¤à¤£à¥€, औंढा, बसमथ, परली आदि जगहों का अवलोकन किया जो हमारे लिठà¤à¤• अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ अनà¥à¤à¤µ रहा.
जैसा की आप जानते हैं की हर यातà¥à¤°à¤¾ में हमें कà¥à¤› खटà¥à¤Ÿà¥‡ और कà¥à¤› मीठे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ से सामना होता है, इन अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ से हमारे साथ कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ यादें जà¥à¤¡à¤¼ जाती हैं जो हमारा जीवन जीने का तरीका और सोचने का नजरिया ही बदल देती हैं, à¤à¤¸à¥€ ही कà¥à¤› यादें हमारे साथ à¤à¥€ इस यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान जà¥à¤¡à¤¼ गईं.
1. टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का छà¥à¤Ÿ जाना– à¤à¤• बड़ी तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€:
सबसे पहले मैं आपलोगों को बताना चाहूंगी की 26 तारीख को हमने अकोला से नांदेड के लिठकाचिगà¥à¤¡à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में आरकà¥à¤·à¤£ करवा के रखा था. महू से अकोला के लिठजो हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थी उसका अकोला पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का समय सà¥à¤¬à¤¹ नौ बजे का था और अकोला से काचिगà¥à¤¡à¤¼à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ का निकलने का समय साढ़े नौ बजे का था, थोड़ी सी रिसà¥à¤• तो दोनों टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ के समय को देखकर लग ही रही थी लेकिन हमारी कोलोनी में रहने वाले कà¥à¤› लोगों ने (जो कई सालों से इसी कोमà¥à¤¬à¤¿à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨ से अपने घर यानी नांदेड जाते हैं) हमें बताया की नांदेड जाने वाली टà¥à¤°à¥‡à¤¨ तà¤à¥€ छूटेगी जब महू वाली टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अकोला पहà¥à¤‚चेगी, यानी कनेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग टà¥à¤°à¥‡à¤¨ है, लेकिन कहते हैं न की à¤à¤—वान à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ की परीकà¥à¤·à¤¾ लिठबिना दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं देते हैं, अंततः वही हà¥à¤† जो होना था, जब हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अकोला रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर पहà¥à¤‚ची तब तक हमारी अगली टà¥à¤°à¥‡à¤¨ निकल चà¥à¤•ी थी.
यह पता चलने के बाद हम बहà¥à¤¤ हताश और निराश हो गà¤, फिर किसी तरह महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° परिवहन की बसों में दो जगह बसें बदलकर, थककर चूर हो जाने के बाद शाम को साढ़े छः बजे नांदेड पहà¥à¤‚चे (अगर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ मिस न होती तो दो बजे पहà¥à¤à¤š जाते).

                                                                                                                                                                       Akola Railway Station

                                                                                                                                             In train, waiting for Akola to arrive
2. औंढा नागनाथ मंदिर में पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी का आतà¥à¤®à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°:
आम तौर पर हमारी यह राय होती है की मंदिरों के पणà¥à¤¡à¥‡ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ हमेशा à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से मोटी दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठलालायित रहते हैं और बड़े ही मतलबपरसà¥à¤¤ होते हैं, मैं à¤à¥€ इस बात से इनकार नहीं करती हà¥à¤‚, à¤à¤¸à¤¾ होता है लेकिन हर बार और हर जगह नहीं. कà¤à¥€ कà¤à¥€ इसका उलà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¥€ होता है, à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› हमारे साथ à¤à¥€ हà¥à¤† जब हम औंढा नागनाथ मंदिर में गà¤.
हम जब à¤à¥€ अपनी धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ पर जाते हैं (जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° शिवालयों पर ही जाते हैं) तो यहाठà¤à¤—वान का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करना नहीं à¤à¥‚लते, बलà¥à¤•ि यह कहà¥à¤‚ की हमारा मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ही अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करना होता है तो अतिशयोकà¥à¤¤à¤¿ नहीं होगी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम दोनों के यह विचार हैं की जब हम हज़ारों रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ तथा समय खरà¥à¤š करके à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजाते हैं और बिना à¤à¤—वान को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ किये कà¥à¤› सेकंडों के लिठदरà¥à¤¶à¤¨ कर के वापस आ जाà¤à¤ तो फिर यातà¥à¤°à¤¾ का मतलब ही कà¥à¤¯à¤¾ है? और वैसे à¤à¥€ à¤à¤—वान शिव की लिंगमà¥à¤°à¥à¤¤à¥€Â को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करने का ही महतà¥à¤µ है.
मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के बाद हमारा पहला काम होता है, किसी अचà¥à¤›à¥‡ पंडित को ढूंढ़ कर अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के लिठबात करना अतः हमने मंदिर के à¤à¤• पंडित दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जी जिनका जिकà¥à¤° मà¥à¤•ेश जी ने अपनी पोसà¥à¤Ÿ में किया है, से अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के लिठबात कर ली. पंडित जी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करवाया गया हमारा वह अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• हमें हमेशा याद रहेगा, उनका पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, मृदॠतथा सहयोगी सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ हमारे मानसपटल पर अंकित हो गया है, यहाठतक की हमारे बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ आज तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद करते हैं.
3. à¤à¤• अनà¥à¤¯ अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ घटना (खटà¥à¤Ÿà¤¾ नहीं कटॠअनà¥à¤à¤µ):
यहीं हमारे साथ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ घटना घटी जिसे याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं यहाठतक की इस घटना से बचà¥à¤šà¥‡ तक à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤. à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ नहीं हà¥à¤† की किसी ने हमारा परà¥à¤¸ चà¥à¤°à¤¾ लिया या हमारा सामन चोरी हो गया, या किसी को चोट लग गयी, या कोई बीमार हो गया à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं हà¥à¤†……….फिर आखिर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† जिसे याद कर के हमारी रूह काà¤à¤ª उठती है? कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ घटना थी जो हमारी साथ इतने सालों में पहली बार घटी, अपनी à¤à¤• छोटी सी लापरवाही या गलती की वजह से हमने तीन घंटे मानसिक यंतà¥à¤°à¤£à¤¾ à¤à¥‡à¤²à¥€……….हम इतने मजबूर हो गठथे की हमें अपने आप पर तरस आ रहा था, हम अपने आप को कोस रहे थे……शायद आप में से किसी के साथ à¤à¤¸à¥€ घटना न घटी हो………लेकिन सावधान, घट सकती है, मेरी इस आपबीती से हमने तो सबक लिया ही आपलोग à¤à¥€ ले लीजिये……….. खैर मैं तो अपने à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा से यही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करती हà¥à¤‚ की à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से किसी का सामना न हो………… चलिठअब आपको और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रहसà¥à¤¯ में न रखकर बताती हà¥à¤‚……….
सबसे पहले मैं आपको यह बता दूठकी हम दोनों इस बात पर à¤à¤•मत हैं की सफ़र में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नकद पैसे (कैश) साथ में लेकर नहीं चलना चाहिà¤, पैसे गà¥à¤® होने या चोरी होने का जोखिम रहता है, साथ में à¤.टी.à¤à¤®. कारà¥à¤¡ तो होता ही है जब à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•ता हà¥à¤ˆ पैसे निकले जा सकते हैं. बस अपने इसी विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ हमने घर से कà¥à¤› हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ साथ रखे थे जो की धीरे धीरे खरà¥à¤š होते चले जा रहे थे, जब हम नांदेड से औंढा के लिठनिकले तब तक हमारे पास कैश काफी कम हो गया था, लेकिन हमें लग रहा था की पास में à¤.टी.à¤à¤®. कारà¥à¤¡ है कà¤à¥€ à¤à¥€ निकाल लेंगे. औंढा में हमसे अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसे खरà¥à¤š हो गà¤, और अंततः हमारी जेब पूरी तरह से खाली हो गई, लेकिन हमें पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था की तहसील पà¥à¤²à¥‡à¤¸ है, इतना बड़ा तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, रोजाना देश के कोने कोने से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• आते हैं à¤à¤•ाध à¤.टी.à¤à¤®. तो होगा ही….लेकिन जब हम बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पर आये और हमने à¤.टी.à¤à¤®. का पता किया तो हमारे होश फाखà¥à¤¤à¤¾ हो गठपता चला की औंढा में à¤à¤• à¤à¥€ à¤.टी.à¤à¤®. नहीं है, हमें औंढा से परली जाना था जो की लगà¤à¤— साढ़े तीन घंटे का रासà¥à¤¤à¤¾ था, हमारे पास सिरà¥à¤« दो सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ थे और बस का किराया था 300 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लेकिन हम हिमà¥à¤®à¤¤ करके बस में बैठगठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि फिर परली के लिठबस कà¥à¤› घंटों के बाद ही थी.
हम इसी परेशानी में आपस में à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से बात कर रहे थे, मैं बार बार अपना परà¥à¤¸ टटोल रही थी और मà¥à¤•ेश बारी बारी से अपनी सारी जेबें टटोल रहे थे, हमारे चेहरों से परेशानी सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ à¤à¤²à¤• रही थी, पास की ही सिट पर à¤à¤• महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ परिवार बैठा था जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परली तक जाना था, आखिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमसे पूछ ही लिया की कà¥à¤¯à¤¾ परेशानी है, हमने थोडा संकोच करते हà¥à¤ अपनी परेशानी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बता दी, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें कहा की आप चिंता मत करो और हमें सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का नोट दे दिया हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ थैंकà¥à¤¸ कहा और कहा की परली में उतरते ही à¤.टी.à¤à¤®. से पैसे निकाल कर आपको दे देंगे, अब हमारे पास बस का किराया तो हो गया लेकिन कंडकà¥à¤Ÿà¤° को किराया देने के बाद हम फिर खाली हो गठऔर परली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ तक हमें बिना पैसों के ही काम चलाना था. हमारे पास à¤.टी.à¤à¤®. कारà¥à¤¡ था जिसमें परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पैसा था, हमारे पास पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤® मासà¥à¤Ÿà¤° कà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤¿à¤Ÿ कारà¥à¤¡ था, मेरे पास परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤µà¥‡à¤²à¤°à¥€ थी लिकिन उस समय ये सब धरे के धरे ही रह गà¤.
शकà¥à¤²à¥‹ सूरत, हाव à¤à¤¾à¤µ, रहन सहन, बात वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से हम संà¤à¥à¤°à¤¾à¤‚त लग रहे थे लेकिन हम ही जानते थे की उस समय हमसे गरीब कोई नहीं था. हमने संसà¥à¤•ृति को तो समà¤à¤¾ दिया था की बेटा सफ़र में कà¥à¤› मांगना मत, परली पहà¥à¤‚चकर आपको जो चाहिठदिला देंगे, लेकिन हमें शिवमॠका डर था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो वो छोटा है और थोडा जिदà¥à¤¦à¥€ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का है, और उसकी फरमाइशों की फेहरिशà¥à¤¤ कà¤à¥€ ख़तà¥à¤® नहीं होती है, अगर उसने कà¥à¤› मांग लिया और वह बिगड़ गया तो समà¥à¤¹à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जायेगा.

                                                                                                                                                                Shivam, The naughty boy
बस में अगर कोई à¤à¤¿à¤–ारी à¤à¥€ आता तो मैं सर निचे कर लेती, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि देना चाहती थी लेकिन परà¥à¤¸ में à¤à¤• रूपया à¤à¥€ नहीं था, बस में कोई बचà¥à¤šà¤¾ कà¥à¤› खाता तो मैं शिवमॠको समà¤à¤¾à¤¤à¥€ की बेटा कà¥à¤› मांगना मत हमारे पास पैसे ख़तà¥à¤® हो गठहैं, तो वह कहता की कà¥à¤¯à¤¾ आप मà¥à¤à¥‡ इतने इतना चटोरा समà¤à¤¤à¥€ हो, यह à¤à¤—वान का ही चमतà¥à¤•ार था की हमारा जिदà¥à¤¦à¥€ बेटा उस समय इतना समà¤à¤¦à¤¾à¤° हो गया था. मà¥à¤•ेश इस सफ़र की शीघà¥à¤° समापà¥à¤¤à¤¿ के लिठबार बार à¤à¤—वान से दà¥à¤† मांग रहे थे.
अंततः तीन घंटे की à¤à¤¯à¤‚कर मानसिक यंतà¥à¤°à¤£à¤¾ के बाद हम परली पहà¥à¤à¤š गà¤, à¤.टी.à¤à¤®. बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के करीब ही था अतः सबसे पहले à¤.टी.à¤à¤®. से पैसे निकाल कर उस सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥à¤· को उनके पैसे तथा ढेर सारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया तब हमारी जान में जान आई, और ईशà¥à¤µà¤° से यह वादा किया की हमें कà¤à¥€ मौका मिला तो इस तरह से मज़बूरी में फंसे लोगों की हरसंà¤à¤µ मदद करेंगे.
आज तक हम इस घटना से हतपà¥à¤°à¤ हैं, हमें समठमें नहीं आता à¤à¤¸à¥‡ कैसे हà¥à¤†. मैं इसे लापरवाही नहीं कहूà¤à¤—ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह हमारा पहला टूर नहीं था, कई बार कई दिनों के लिठपहले à¤à¥€ जाते रहे हैं लेकिन यह सब हमारे साथ जीवन में पहली बार हà¥à¤†, मà¥à¤•ेश इन सब मामलों में बहà¥à¤¤ सावधान रहते हैं तथा हर काम बड़ी पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग से करते हैं, फिर अचानक हमसे इतनी बड़ी à¤à¥‚ल कैसे हो गई……….हम आज तक नहीं समठपा रहे हैं.

                                                                                                                                                                           A.T.M. - Laid us down
4 . महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° परिवहन की बसों में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤£ तथा सहयोगातà¥à¤®à¤• रवैया:
à¤à¤• और बात महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के इस टूर में हमारे दिल को छू गई, और वो था महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° परिवहन की बसों में हमारे साथ सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°. बस में जैसे ही लोगों को पता चलता की हम à¤à¤®. पी. से महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° घà¥à¤®à¤¨à¥‡ आठहैं, तो लोग अपनी सीट से खड़े होकर हमें सीट दे देते थे, जब हम मना करते तो उनका वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ होता ” आप हमारे मेहमान हैं और हमारा फ़रà¥à¤œà¤¼ है आपकी सहायता करना”. à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤• जगह नहीं पà¥à¤°à¥‡ टूर के दौरान लगà¤à¤— हर जगह हà¥à¤†.
5. हमने कà¥à¤¯à¤¾ सिखा?
मैं अपना यह कड़वा अनà¥à¤à¤µ लेकर आपके सामने इसलिठआई, की इस तरह की परेशानी और किसी के साथ न आये. हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं की आजकल तो हर जगह à¤.टी.à¤à¤®. उपलबà¥à¤§ है, और इसी à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ की वजह से हम लापरवाह हो जाते हैं. जब à¤à¤¸à¥€ जगह जो की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ तथा वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² है तथा जिसे à¤à¤• तहसील का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है वहां à¤.टी.à¤à¤®. नहीं है तो फिर à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ रहने से कà¥à¤¯à¤¾ मतलब? यह सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हमें कà¤à¥€ दिन में तारे à¤à¥€ दिखा सकती है. उस दिन और उसी पल से हमने ये सबक लिया की आज के बाद कà¤à¥€ à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान à¤.टी.à¤à¤®. पर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ नहीं रहेंगे.
लेकिन चà¥à¤‚कि हम à¤à¤• धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठगठथे और यह सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है की à¤à¤—वान हमेशा अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेते हैं, अतः जो à¤à¥€ हà¥à¤† ठीक ही हà¥à¤†, हम दोनों उस विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में à¤à¥€ संयमित रहे और à¤à¤—वान से किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार की कोई शिकायत नहीं की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारी यह परेशानी लमà¥à¤¬à¥€ न होकर कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• थी, सो कà¥à¤› देर में ही बेडा पार हो गया.
6.अंत à¤à¤²à¤¾ तो सब à¤à¤²à¤¾:
इस सफ़र में हमें कà¤à¥€ ख़à¥à¤¶à¥€ मिली तो कà¤à¥€ गम लेकिन à¤à¤• सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह है की सारी परेशानियों के बावजूद हम जिस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से गठथे उसमें हम जरà¥à¤° सफल हà¥à¤, यानी तीनों धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ नांदेड गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, औंढा नागनाथ और परली वैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ में हमें बड़े अचà¥à¤›à¥‡ से दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पूजन करने का मौका मिला. à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• से हमारी सारी थकान चà¥à¤Ÿà¤•ियों में दूर हो गई. वैसे à¤à¥€ महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ ने कहा है – Worship is a sin without sacrifice यानि तà¥à¤¯à¤¾à¤— के बिना पूजा à¤à¤• पाप है.

                                                                                                                                                           Phir Milenge.........................
अपनी इस आपबीती के साथ ही अब इस लेख को यहीं समापà¥à¤¤ करती हूअ……..फिर से उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होउंगी आप लोगों के समकà¥à¤· अपनी अगली पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के साथ.

कविताजी सबसे पहले तो बधाई आपका पहला लेख प्रकाशित होने पर. बड़ी जरूरी यादें है. खास तौर पर पैसे कम होने वाली… आजकल लोग इतनी धोखा-धड़ी करते हैं कि वास्तविक जरूरतमंदो को भी लोग बेईमान समझ लेते हैं…. खैर अच्छा हुआ आपको ईश्वर ने मुसीबत से बचा लिया
कविता जी…..नमस्कार
आपका ghumakkar.com स्वागत हैं .
आपकी यात्रा के अनुभवों को पढ़ा…बहुत अच्छा लगा..
यात्रा के समय ऐसा सब कुछ तो होता ही रहता हैं …हर बार कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता हैं .. और वही हमारे अनुभव बन जाते हैं.
लेख पढ़कर हमें भी अपने साथ घटी घटनाये भी याद हो आई….ट्रेन छूटने वाला मामला हमारे संग भी हो चुका हैं….
सही कहा ! यात्रा : कभी खुशी कभी गम …यात्रा के समय हम लोगो को खुशी और गम दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए..
माफ करना! एक छोटी सी सलाह देना चाहूँगा की आपको अपने लेख में थोड़ा सा मात्राओ पर ध्यान देने की जरुरुत हैं…
धन्यवाद
Welcome to Ghumakkar.com Kavita jee……………………………
On the debut , This one is a excellent innovation.superb…………………..
All the parts were nice especially that third one where your money got exhausted…………………
I want to tell with 100 % conviction and faith that the person who gave you 100 rupee note was himself God or his messenger. People say that they can’t see God, but they don’t understand his LEELA ans always raise doubts whether he is present there or not ??????
People sometimes feel that God does not have pity on themselves, but they don’t understand that pity is already there , you need to recognise it………………………………
Anyway congratulations on this good one and keep posting……………………..
travelling without cash and with debit/credit card but no ATM is very much possible in our country.i had once been in the same situation and it was really a very-very bad situation.you reminded me of that day.your post is quite good and pics are good too.
साइलेंट सोल जी,
मेरी पहली पोस्ट पर सबसे पहले कमेन्ट करने तथा इसे पसंद करने के लिए आभार. ईश्वर की कृपा से हमारी परेशानी कुछ घंटों में हल हो गई थी, लेकिन उससे जुडी कड़वी यादें हमें हमेशा याद रहेंगी. उस समय हमारे पास सबकुछ था जैसे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड वगैरह पर नकद नारायण नदारद थे, और इस घटना से हमें नकद नारायण का मूल्य समझ में आ गया.
धन्यवाद.
रितेश जी,
घुमक्कड़ पर लिखने का यह मेरा पहला प्रयास है, और आपने इसे सराहा, आपको ह्रदय से धन्यवाद. आपकी सलाह के लिए भी धन्यवाद, अगली पोस्ट से मात्राओं पर विशेष ध्यान रखूंगी.
हिन्दी लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएट होने के नाते मेरे लेखन में मात्राओं की गलती कभी नहीं होती है लेकिन चूँकि मजबूरीवश हिन्दी टायपिंग के लिए गूगल ट्रांसलिटरेट महोदय की मदद लेनी होती है, जहाँ से सारी गलतियों का जन्म होता है.
धन्यवाद.
कविता जी …..
आप ने अपना लेख बहुत ही अच्छी तरह से लिखा हैं …कभी कभी सोफ्टवेयर गलती से त्रुटि हो जाती हैं ..
ऐसे ही परेशानी का सामना मुझे अपने पहले लेख में करना पड़ा था, पर अब मुझे इस समस्या का हल मिल गया हैं.
गूगल ट्रांसलिटर साफ्टवेयर मैंने अपने कंप्यूटर की लेंगुएजे में इंस्टाल कर लिया..अब इस साफ्टवेयर की साहयता से मैं कंप्यूटर पर कही भी सीधे रोमन में टाइप करते हुए हिंदी लिख सकता हू और इस साफ्टवेयर में मौजूद सब्द्कोश से सही शब्द का चुनाव भी हो जाता हैं… आप भी ऐसा कर का देखे शायद आप की भी समस्या का हल हो जाये. यह सोफ्टवेयर कंप्यूटर चाहे ओनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही दिशा में कार्य करता हैं …..
शायद यह जानकारी आपके और अन्य हिंदी लेखक काम आये…
धन्यवाद
विशाल जी,
आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. मैं आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ की हमारी मदद के लिए आगे आने वाला व्यक्ति कोई देवदूत ही होगा. वैसे भी भगवान् अपने भक्तों की सहायता के लिए हर युग में अवतार लेते रहते हैं पर हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं.
अशोक शर्मा साहब,
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. आपने ठीक ही कहा, इस तरह की स्थिति से दो चार होना हमारे देश में संभव है लेकिन हमने कभी सोचा नहीं था की ऐसा भी हो सकता है, खैर इस घटना से हमें अच्छा सबक मिला है.
धन्यवाद.
सभी घुमक्कड़ साथियों,
अपनी इस पोस्ट के माध्यम से मैं अपने सभी घुमक्कड़ साथियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनायें प्रेषित करना चाहती हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ की सभी घुमक्कड़ साथियों को यात्रा के रूप में अपने शिवालयों पर बुलाते रहें.
हैप्पी घुमक्कड़ी.
महाशिवरात्रि की आप सबको बधाई…
लगता है मुकेश जी ने मेरा बदरीनाथ यात्रा विवरण नहीं पढ़ा.. उनकी टिप्पणी का इंतजार है
प्रिय कविता,
घुमक्कड़ पर आपकी पहली पोस्ट प्रकाशित होने पर मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनायें. इस यात्रा में हमारे साथ हुई उस ए.टी.एम. वाली त्रासदी में आपने भी बहुत हिम्मत और धैर्य का परिचय दिया इसके लिए आपको धन्यवाद. चुंकि इस घटना को जन्म देने में थोड़ी सी लापरवाही मेरी भी थी, अतः मैं क्षमा प्रार्थी भी हुं. घुमक्कड़ पर आपकी शुरुआत बड़े ही अच्छे ढंग से हुई है, ईश्वर से प्रार्थना है की आप इस मंच की हर उंचाई को छुएँ.
प्रिय ,मुकेश जी
आपको तो सबसे पहले धन्यवाद देती हूँ क्योकि पोस्ट लिखने के लिए आपने प्रेरित किया तो ही में लिख पाई और आपका सहयोग समय समय पर मिलता रहा इस कारण मेरी यह पोस्ट पूर्ण हो सकी.
घुमक्कड़ पर स्वागत नहीं करूंगा , क्योंकि आपका परिवार पूरे तौर पर घुमक्कड़ से जुड़ा हुआ है पर आपका पहला लेख के प्रकाशन पर तो बधाई बनती है , आशा है की मुकेश ने पोहा जलेबी से इसे मनाया होगा :-)
व्यग्तिगत, विशुद्ध अनुभवों का ही समुद्र है घुमक्कड़ और इन अनुभवों से निकलती है व्यावहारिक सुझाव जो हम लोग आपस में बाँट लेतें हैं | यही दुआ करूंगा की भविष्य में आपके और किसी भी और घुमक्कड़ के साथ पैसे ख़तम होने वाली घटना न घटे.
एक बार फिर से बधाई कविता जी.
नंदन जी,
आपकी प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतज़ार था. आपकी यह बात “घुमक्कड़ पर स्वागत नहीं करूंगा” मेरे दिल को छू गई. आपके इन शब्दों में मुझे जो आत्मीयता और अपनत्व महसूस हुआ उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती. बधाई के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
होता है जीवन में ऐसा ऊँट-पटाँग वाक्या भी हो ही जाता है, जब हम किथे हाथ किथे टाँगा फ़ैंक ले कोई फ़र्क नहीं पडता है। हम सब ऐसी गलती से ही तो सीखते है, यही बात लिखने में भी लागू होती है। यह आपकी पहली यानि शुरुआती पोस्ट है अब लगे रहिये, लेकिन एक गडबड होने वाली है आप दोनों मियाँ बीबी एक साथ एक जगह पर जाओगे तो पोस्ट अलग-अलग कैसे लिखोगे। अब मजा आयेगा, एक परिवार लेखक दो, वैसे आने वाले समय में गुडिया भी जल्द ही लिखने लगेगी। फ़िर मैं कहूँगा लो जी आज जाकर शिव के त्रिशूल के दर्शन हुए, जय भोले नाथ।
संदीप जी ,
सबसे पहले तो आप को धन्यवाद देती हूँ पोस्ट को पढने के लिए. आपने अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर मेरी पोस्ट पर कमेन्ट किया. आपने सही कहा की दोनों एक जगह पर जाते हैं तो पोस्ट कौन लिखेगा? मैं इस बारे में यह कहना चाहूंगी की हमारे टूर की पोस्ट तो मुकेश जी ही लिखेंगे, उनका लेखन मुझे बहुत पसंद है. मैं तो बस बीच बीच में अपने लेख (घुमक्कड़ इनसाईट के अंतर्गत) तथा अपने यात्रा के अनुभवों को कभी ख़ुशी कभी गम शीर्षक के अंतर्गत लिखती रहूंगी और आपलोगों से शेयर करती रहूंगी.
थैंक्स.
Kavita ji,
Very good writing and travelling without money very tough. My daughter was in India and we always worried here what happend if she not have money. She had credit card, debit card and some time she told us she not have cards with her and she need money. Then Western Union it deliver money any part of world in minutes. But ID proof required to obtain money. In future if anytime this problem exists just relax, Western Union or Money Gram can solve problem.
Thanks and Regards,
सुरिंदर शर्मा जी,
आपने लेख को पढ़ा तथा पसंद किया, आपका बहुत बहुत शुक्रिया. हमारी समस्या यह थी की हमारे पास भी डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड सब कुछ था लेकिन उस एरिया में ATM उपलब्ध नहीं होने के कारण यह समस्या आई थी, अब जहाँ ATM भी नहीं हो वहां वेस्टर्न यूनियन या मनीग्राम का ऑफिस होने की तो उम्मीद ही नहीं की जा सकती. खैर, आपकी सलाह बहुत बहुमूल्य है, उसके लिए धन्यवाद.
Kavita ji, your style of narration is superb. Hope to read from your pen.