26 सितम्बर, 2016
पार्वती घाटी के अनेक मनोहारी स्थलों के भ्रमण के बाद अब कुल्लू घाटी के प्रसिद्द बिजली महादेव मंदिर जाने का निर्णय किया. कसोल बस स्टैंड से भुंतर के रास्ते कुल्लू जाने वाली बस द्वारा कुल्लू बस स्टैंड पहुँच गया. कसोल से कुल्लू बस स्टैंड लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है जहाँ बस से पहुँचने में डेढ़ घंटे का समय लगा. कुल्लू बस स्टैंड से बिजली महादेव मंदिर जाने के लिए चंसारी गांव तक बस उपलब्ध है.
चंसारी से ही बिजली महादेव मंदिर के लिए पदयात्रा आरम्भ होती है. बिजली महादेव मंदिर जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए इस बस पर गन्तव्य स्थान “बिजली महादेव” लिखा हुआ है.
कुल्लू बस स्टैंड से ब्यास नदी को पार करने के बाद मुख्य मार्ग से एक संकरे रास्ते पर चढ़ते हुए बस चंसारी की ओर बढ़ने लगती है. कुल्लू बस स्टैंड से चंसारी 23 किलोमीटर की दूरी पर है जहाँ तक पहुँचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगा. चंसारी से बिजली महादेव मंदिर की दूरी 3 किलोमीटर है. चंसारी से बिजली महादेव मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों द्वारा खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है. इस रास्ते में छोटे-छोटे गांव भी पड़ते हैं.
इस रास्ते में लगभग 1 किलोमीटर तक गांव के घर दिखाई देते हैं इसके बाद रास्ता थोड़ा दुर्गम और सघन जंगल के बीच से होकर जाता है. बिजली महादेव मंदिर के मार्ग से कुल्लू घाटी के मनोहारी दृश्य को स्पष्ट देखा जा सकता है.
लगभग ढाई किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़ने के बाद घास का विशाल खुला मैदान दिखाई देता है. विस्तृत मैदान में दूर तक फैली हरियाली और सिर के ऊपर खुला स्वच्छ आकाश मनोहारी दृश्य की रचना करते हैं. मैदान में एक ओर बड़ा सा जल-कुंड बना हुआ है जो शायद बारिश के पानी का संचय करके पानी से सम्बंधित आवश्यकताओं को पूर्ण करता है. इस जगह विश्राम एवं जलपान के लिए कुछ छोटे ढाबे और दुकानें भी है.
इस जगह से बिजली महादेव मंदिर के भवन और आस-पास का क्षेत्र दिखाई देना लगता है. बिजली महादेव मंदिर यहाँ से आधा किलोमीटर की दूरी पर है. यहाँ तक आने में शारीरिक परिश्रम से हुई थकान कुछ देर रुक कर विश्राम करने और आस पास के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने को विवश करती है. साथ ही दूर दिखाई देता बिजली महादेव मंदिर का भवन अपनी ओर आकर्षित करता है. कुछ देर इस स्थान पर विश्राम करने के बाद बिजली महादेव मंदिर की ओर चल दिया. अपने गन्तव्य की ओर चलते-चलते कुछ बातें बिजली महादेव मंदिर के विषय में भी.
बिजली महादेव मंदिर
हिमाचल का कुल्लू अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है. भगवान महादेव को समर्पित कुल्लू का बिजली महादेव मंदिर अपने चमत्कारी घटना के लिए जगप्रसिद्ध है. कुल्लू का यह मंदिर स्थानीय निवासियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर जब कभी कोई संकट आने वाला होता है तो बिजली महादेव मंदिर पर आकाश से बिजली गिरती है. जिसका अर्थ है कि पृथ्वी पर आने वाली आपदा या संकट को भगवान् मादेव अपने ऊपर लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते है. इसी कारण इसका नाम बिजली महादेव मंदिर है. जिस पर्वत पर यह मंदिर स्थित है उसका नाम और आस पास का क्षेत्र भी बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार आकाश से गिरने वाली जोरदार बिजली भगवान महादेव के इस मंदिर में विराजमान पवित्र शिवलिंग पर गिरती है, जो इस पवित्र शिवलिंग को टुकड़ों में बिखेर देती है। बिजली से खंडित हुए शिवलिंग के आसपास गिरे टुकड़ों को एकत्रित करके मंदिर के पुजारी मक्खन की सहायता से शिवलिंग के टुकड़ों को फिर से शिवलिंग के आकर में जोड़ देते है. कुछ समय के पश्चात् चमत्कारी रूप से शिवलिंग अपने आप पहले की तरह पूर्ण रूप में परिवर्तित हो जाता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार इस घाटी में कुलान्त नामक एक विशाल अजगर जैसा दैत्य रहता था। इसी कुलान्त दैत्य के नाम पर इस घाटी का नाम कुल्लू घाटी पड़ा. यह दैत्य कुल्लू के पास बहने वाली व्यास नदी के जल प्रवाह को रोककर घाटी के जीव-जंतुओं को जलमग्न कर नष्ट कर देना चाहता था. भगवान् महादेव ने जीव जंतुओं की रक्षा के लिए कुलान्तक दैत्य का वध किया. कुलान्तक दैत्य के वध के पश्चात् भगवान् महादेव ने देवराज इंद्र को इस स्थान पर बिजली गिराने का आदेश दिया तभी से समय-समय पर इस स्थान पर आकाश से जोरदार बिजली गिरती है.
घास के मैदान से आगे का मार्ग थोड़ा सरल है. यहाँ से कुछ दूर आगे बढ़ने पर बिजली महादेव पर्वत के शिखर पर पहुँचते हैं. उन्नत पर्वत के शिखर पर खुले स्वछ आकाश के नीचे पहुँचने पर मन और मस्तिष्क में एक नए उत्साह का अनुभव होता है. इस जगह पर भी कुछ ढाबे और जलपान की दुकानें हैं. थोड़ा आगे चलने पर बिजली महादेव परिसर में प्रवेश करने के लिए एक बड़ा सा द्वार दिखाई देता है. इस द्वार में प्रवेश करने के बाद एक छोटा द्वार बिजली महादेव मंदिर में प्रवेश के लिए बना है. इस द्वार पर बड़े-बड़े अक्षरों में “जय बिजली महादेव” लिखा है. इस स्थान पर पहुँच कर भगवान् महादेव के सानिध्य का अनुभव होता है. इस द्वार में प्रवेश करने के बाद सुन्दर पैदल पथ बना है जो बिजली महादेव के मुख्य मंदिर तक जाता है.
कुल्लू की पारंपरिक शैली में लकड़ी से बना बिजली महादेव मंदिर के भवन की सुंदरता मन को हर लेती है.
मंदिर में प्रवेश करने के बाद भगवान महादेव के दर्शन करके आध्यात्मिक तृप्ति का अनुभव होता है. भगवान महादेव के चमत्कारी शिवलिंग को देखकर दर्शनार्थी आस्था से नतमस्तक हो जाते है.
मंदिर भवन के सामने परिसर में शिव-परिवार से सम्बंधित कुछ अति प्राचीन मूर्तियां हैं. खुले आकाश के नीचे प्राचीन समय से स्थित ये मूर्तियां इस स्थान के प्राचीन धार्मिक महत्त्व को दर्शाती हैं.
बिजली महादेव परिसर में पर्वत के शिखर पर खड़े होकर पार्वती घाटी और कुल्लू घाटी के मनोहारी स्वरुप को देखा जा सकता है. इस स्थान से चारों ओर देखने पर आकाश का क्षितिज दिखाई देता है. आस पास ऊँचे पर्वत न होने के कारण दूर-दूर तक के प्राकृतिक दृश्यों का आनदं इस स्थान से लिया जा सकता है. बिजली महादेव के चारों ओर के सुन्दर स्वरुप का अनुमान नीचे दिए गए विडियो से लगाया जा सकता है.
बिजली महादेव परिसर में कुछ देर विश्राम करने के बाद वापिस चांसरी की ओर चल दिया. चांसरी से बस द्वारा कुल्लू पहुँचने पर रात्रि के 8 बज चुके थे. कुल्लू से बस द्वारा वापिस दिल्ली पहुँच गया. इस प्रकार सदा स्मरण रहने वाली मनोहारी एकल (solo) घुमक्कड़ी का समापन हुआ.
Dear Munesh ji, very nice post with beautiful pictures.
Thanks for letting us have darshan of Bijli Mahadev.
Thanks for sharing and keep posting more.
Pooja