क़à¥à¤¤à¥à¤¬ मीनार से हम लोग माठकातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ मंदिर छतरपà¥à¤° पहà¥à¤‚चे. यह मंदिर क़à¥à¤¤à¥à¤¬ से २.५ कीलोमीटर दूर हैं. और गà¥à¤¡à¤—ाव, मेहरोली मारà¥à¤— पर पड़ता है.  यह मंदिर दरअसल मंदिरों का समूह हैं. और माठकातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. यह मंदिर समूह अपने आप में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सबसे बड़े मंदिर समूहों में से à¤à¤• हैं. इस मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ संत नागपाल जी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ १९à¥à¥ª में की गयी थी. उनकी समाधी इस मंदिर में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बनाया गया हैं, और संगमरमर का  का काम देखने लायक हैं. ये पूरा परिसर ६० à¤à¤•ड में फैला हà¥à¤† हैं. जिसमे छोटे बड़े करीब २० मंदिर हैं. उसमे मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर माठआदि शकà¥à¤¤à¤¿ कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ देवी का है. माठकातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ माठआदि शकà¥à¤¤à¤¿ का अवतार हैं. और ९ देवियों में से à¤à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ मानी गयी हैं.  इस के अलावा  इस मंदिर समूह में शà¥à¤°à¥€ राम, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, शà¥à¤°à¥€ गणेश, हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी, à¤à¤—वान  शिव आदि के मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं.
माठकातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ मंदिर
बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤—वानॠकी मूरà¥à¤¤à¥€ होते हैं (राघव)
मंदिर बाहर से
अनà¥à¤¦à¤° का नज़ारा
छतरपà¥à¤° मंदिर से होकर के हम , चूà¤à¤•ि काफी देर हो चà¥à¤•ी थी, रात होने वाली थी, सीधे वैशाली रवि के घर पहà¥à¤à¤š गà¤, और खा पी कर सो गà¤. अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ फिर सैर के लिठनिकल पड़े. सबसे पहले इंडिया गेट पर पहà¥à¤‚चे. आपको à¤à¤• बात याद दिला दूठकी इस पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में मैं à¤à¤• गाइड का à¤à¥€ काम कर रहा था. दिलà¥à¤²à¥€ का à¤à¤• नकà¥à¤¶à¤¾ हाथ में लेकर के बैठा था. और डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को गाइड कर रहा था.
इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ गेट (à¤à¤¾à¤°à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°) नई दिलà¥à¤²à¥€Â के राजपथ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ४३ मीटर ऊà¤à¤šà¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤° है। इस दà¥à¤µà¤¾à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§Â और अफ़ग़ान यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ में शहीद हà¥à¤ सैनिकों की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में किया गया था। सैनिकों की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में यहाठà¤à¤• राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी सजाई गई है जिसके चार कोनों पर सदैव अमर जवान जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿Â जलती रहती है। इसकी दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खà¥à¤¦à¥‡ हैं। इसके सबसे ऊपर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में लिखा हैः
To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War.
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेनाओं के शहीदों के लिà¤, जोÂ
फà¥à¤°à¤¾à¤‚सऔर फà¥à¤²à¥ˆà¤‚डरà¥à¤¸Â मेसोपोटामिया फारस पूरà¥à¤µà¥€à¤…फà¥à¤°à¥€à¤•ा गैलीपोली और निकटपूरà¥à¤µÂ à¤à¤µà¤‚सà¥à¤¦à¥‚रपूरà¥à¤µÂ की अनà¥à¤¯ जगहों पर शहीद हà¥à¤, और उनकी पवितà¥à¤° सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में à¤à¥€ जिनके नाम दरà¥à¤œà¤¼ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान यà¥à¤¦à¥à¤§Â में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में या उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ सीमा पर मृतक हà¥à¤à¥¤(साà¤à¤¾à¤° विकिपीडिया)
इंडिया गेट
इंडिया गेट पर उस समय मारà¥à¤š पासà¥à¤Ÿ चल रहा था. वंहा पर सेना का बैंड, तथा वायॠसेना के जवान मनोहारी परेड कर रहे थे. देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की धà¥à¤¨ बज रही थी. अपने जवानो को देख कर सीना गरà¥à¤µ से चौड़ा हो गया.
मिलिटरी बैंड के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨
वायॠसेना के जवानो के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मारà¥à¤š पासà¥à¤Ÿ
इसका नाम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महा दà¥à¤µà¤¾à¤° होना चाहिà¤
समठमें नहीं आता हैं की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के लिठविशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ में अपने जवानों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ क़à¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ पर गरà¥à¤µ करू या इसे गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की निशानी मानà¥.
हमारा परिवार
इंडिया गेट से होकर के हम सीधे बिरला मंदिर पहà¥à¤‚चे. यह मंदिर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ नारायण मंदिर के नाम से à¤à¥€ जाना जाता हैं. à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥Â और देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€Â को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ यह मंदिर दिलà¥à¤²à¥€ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंदिरों में से à¤à¤• है। इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 1938 में हà¥à¤† था और इसका उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾Â महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने किया था। बिड़ला मंदिर अपने यहाठमनाई जाने वाली जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€Â के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है।
बढ़िया विवरण क्या खूब यात्रा रही फोटो व् लेख दोनों ने मिलकर समां बाँध दिया, आपकी बतायी लगभग सभी स्थलों को देख चुका हूँ, सोच रहा था कुछ एक दो पॉइंट नए मिले जायेगे एक मिल गया अब वहाँ दुबारा जाउंगा, शिवाजी की मूर्ति पर मेरा ध्यान नहीं गया था, अब ये सभी स्थल दुबारा देखने होंगे क्योंकि अब नई पीढ़ी को भी दिखाने होंगे,
राम राम संदीप जी, सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आप लोग हमारे आदर्श हो, आप लोगो से ही प्रेरणा लेकर के ही कुछ लिख पा रहा हूँ. लेखन से ज्यादा मेरा जोर फोटो पर रहता हैं. क्योंकि फोटो से उस स्थान के बारे में बिना लिखे काफी कुछ मालुम पड़ जाता हैं. धन्यवाद….
हमारी दिल्ली के सुंदर फोटो के लिए धन्यवाद
सराहना के लिए धन्यवाद सर्वेश जी..
सुंदर वर्णन के साथ बहुत बढ़िया और साफ़ चित्र यह पोस्ट कि शोभा को ४ चंद लगा रहे है. मैंने थोड़ी सी दिल्ली देखी है. और मुहे देखने कि इच्छा भी है.
विशाल जी बहुत बहुत धन्यवाद.
लेख उत्तम , फोटो अत्ती उत्तम ! दिल्ली दिखाने के लिए आप का शुकरियाँ.
महेश जी धन्यवाद
प्रवीण जी,
उम्दा विवरण एवं सुन्दर चित्र.
आपको एक सलाह देना चाहूँगा की आप जानकारी विकिपीडिया से सीधे कट करके पेस्ट करने के बजाय मैटर को पहले कहीं वर्ड में टाइप करके फिर पोस्ट में डाला करें, क्योकि आप विकिपीडिया से सीधा कट पेस्ट करते हैं तो बहुत सारे ऐसे शब्द लिंक बन कर गोल्डन कलर में अंडरलाइन के साथ आ जाते हैं जिनकी पोस्ट के सन्दर्भ में कोई आवश्यकता नहीं होती है, और स्पष्ट रूप से सभी को दीखता भी है की कहीं से कट पेस्ट किया गया है, जो की प्रथम द्रष्टया गलत प्रभाव छोड़ता है.
धन्यवाद.
धन्यवाद मुकेश जी, ये थोडा जल्द्ब्बजी में हुआ था, दरअसल किसी भी स्थान का इतिहास दिखाने के लिए विकिपीडिया आदि की कुछ सहायता लेनी पड़ती हैं. आगे से ध्यान रखूँगा. धन्यवाद
प्रवीन जी…
बहुत अच्छा विवरण दिल्ली के प्रयटक स्थलों बारे….चित्र भी बहुत अच्छे और सुन्दर लगे …|
दिल्ली कई बार जा चुका हूँ…पर आज आपके द्वारा दर्शाये के स्थलों में से केवल इंडिया गेट ही घूमा हैं….| वैसे दिल्ली घूमने का मजा सर्दियों में ही आता हैं….|
धन्यवाद रितेश जी, वाकई दिल्ली घूमने का मज़ा सर्दियों में आता हैं, मैं सर्दियों में ही गया था. वैसे भी दिल्ली का जाडा मशहूर हैं.
बहुत बढ़िया प्रवीण जी | थोडा जल्दी में घुमाया पर ठीक है | बिरला मंदिर १५-२० साल से जाना नहीं हो पाया है, उससे पहले तो कई बार गए पर गत समय में बस इसके आगे से निकल जातें हैं | अन्दर के फोटोस देख कर सोचता हूँ की यहाँ का प्रोग्राम रखा जाए |
फोटोस के संख्या और संयोजन बिलकुल संतुलित है | विकिपीडिया की जानकारी आपने साभार लिखी है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है पर जैसा की मुकेश जी ने कहा, की पहले किसी और टेक्स्ट एडिटर ( notepad, Word ) में लिखने से आपके ज्यादा नियंत्रण में रहेगा |
जय हिंद |
धन्यवाद नंदन जी, मैं इसे तीन पार्ट में रख सकता था, पर वो थोड़ा लंबा हो जाता. विकिपीडिया आदि से थोड़ा सा सहयोग लेना पड़ जाता हैं. क्योंकि इतिहास की जानकारी वंही से मिलती हैं. बस ये जरा जल्दी में हुआ हैं, आप तो जानते ही हो आजकल बिजली की समस्या चल रही हैं. इसलिए थोड़ा सा जल्दी करनी पड़ती हैं.
प्रवीण जी
बहुत बार दिल्ली को देखा, पढ़ा , पर यह पहली बार है, माँ कात्यायिनी मंदिर के बारे में आप के माध्यम से जानकारी हुई. अब जब भी मौका लगा जरुर वहां दर्शन के लिए जायेंगे . अपने जवानों के द्वारा क़ुरबानी पर गर्व…… यह काफी बहस का विषय है. आजाद हिंद फ़ौज के सेनिक, भारतीय सेना की Pension या वेतन की बात थी , पर उन्हें सवतंत्रता सेनानी की Pension मिली थी. भारतीय सेना के जवान हमेशा आदरनिय रहे है. देश को उन पर गर्व है .
लाल किला, चांदनी चौक वहां जाने का हमेशा मन रहता है पर दिल्ली वाले ट्राफ्फिक की दुहाई देकर हर
बार प्रोग्राम बदल देते हैं. लोकल ट्रेन शायद जाने का अच्छा माध्यम है . बिरला मंदिर में भगवान कृशन की बहुत सुंदर मूर्ति दखी थी. is it same.
धन्यवाद
धन्यवाद शर्मा जी, सर जी ये वो सैनिक थे जो की अंग्रेजो के लिए विश्वयुद्ध में लड़े थे. येही सैनिक अंग्रेजो के लिए भारतीय लोगो पर और राज्यों पर अत्याचार करते थे. ये तो आप भी जानते होगे, की अफसर अँगरेज़ होते थे, और सैनिक भारतीय होते थे. एक जिले में D.M., S.P. ,D.J., ये अँगरेज़ होते थे और बाकी सब कर्मचारी भारतीय हिंदू. अंग्रेजो ने हम हिन्दुओ के बल पर ही इस देश में राज किया हैं…..
प्रवीण जी,
क्षमा चाहूँगा आप को कमेन्ट ठीक नहीं लगा. जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.