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केदारनाथ यात्रा 2014 – गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – भाग 2

आज तारीख मई 4 हो गई थी। मेरी नींद खुली। लगता है मैंने अलार्म मिस कर दिया। टाइम देखा तो अभी 4 भी नहीं बजे थे। लेकिन बाहर गाड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि सामान से लदे हुए ट्रक थे शोर कुछ ज्यादा ही था। मैंने फिर से सोने की कोशिश की पर मेरी कोशिश नाकाम रही। कुछ देर के बाद मैं उठा और ब्रश किया,फ्रेश हुआ। इतनी सुबह कुछ खाने का मन नहीं कर रहा था घर पर तो मैं 10 बजे तक नाश्ता करता हूँ। मैंने लेट कर आराम करने की सूची और फिर मेरी आँख सीधा 10 बजे खुली। मस्त नींद आई थी। मैंने फिर से मुँह धोया और नए कपड़े पहन कर बाकी का सामान पैक किया और फिर से गाड़ी की डिक्की मे डाल दिया। मेरी गाड़ी के आगे पुलिस वालों की बोलेरो खड़ी थी क्यूँकि उसकी जगह तो मैंने हतिया रखी थी। मैं सामान रखने के बाद चुप-चाप नाश्ता करने चल दिया। तस्सली से समोसा-छोले खाए और एक माज़ा पी और जानदार सुट्टा लगाया।

लॉज की टेरेस से सुबह का एक फ़ोटो।


11 बज गए थे मैंने बोलेरो के ड्राईवर से निवेदन किया और गाड़ी को सोनप्रयाग की और दौड़ा दिया। गुप्तकाशी से आगे निकलने के बाद ट्रैफिक बिलकुल भी नहीं था। गुप्तकाशी मे बाज़ार और बस स्टैंड होने की वजह से अच्छी खासी चहल-पहल थी। मैं अकेले ही सोनप्रयाग की और चले जा रहा था। सोनप्रयाग जाने वाला रास्ता बहुत ख़राब था। बारिश होने की वज़ह से पूरी सड़क खराब हो गई थी। सड़क पर चारकोल बिलकुल भी नहीं था। मैं अकेले ही था और ट्रैफिक भी नहीं था इसीलिए चलती गाड़ी से ही कुछ फ़ोटो लेने का जोखिम उठा लिया।

सोनप्रयाग की और जाते हुए।

फाटा आने ही वाला था। फाटा से केदारनाथ जाने के लिए helicopter सेवा उपलब्ध है। मैंने भी सोचा हुआ था की एक तरफ तो helicopter से जाऊँगा। लेकिन गुप्तकाशी रजिस्ट्रेशन के वक़्त पता चला कि मौसम ठीक ना होने की वज़ह से अभी helicopter सेवा शुरू नहीं हुई है। उनकी जानकारी के हिसाब से मई 10 तारीख के बाद ही अगर मौसम सही रहा तब जाकर कहीं शुरू हो पाएगी। रास्ता और ज्यादा ख़राब हो गया था एक बार मे एक ही गाड़ी निकल पा रही थी। दो ही तरह की गाड़ियाँ दिख रही थी एक पुलिस और दूसरी सामन इधर-उधर   ले जाने वाली। गाड़ी चलाते वक्त ऐसा महसूस हो रहा था कि ड्राइवर साइड का पिछला टायर उबड़-खाबड़ रास्ते पर कम उछाल ले रहा था। मानो जैसा हवा कम हो गई हो। मुझे लग रहा था की पंचर है। मैंने गाड़ी साइड मे रोकी और गियर लॉक निकाल कर सभी टायर पर मार कर देखा। उसी टायर मे दिक्कत लग रही थी। गाड़ी मे टायर ट्यूब हैं तो मैंने सोचा कि अगर गाड़ी चलती रहे तो कोई दिक्कत नहीं होगी और सोनप्रयाग पहुँच कर पंचर लगवा लूँगा। किसमत ने साथ दिया और 2 कि.मी. आगे मुझे एक पंचर की दुकान मिल गई। मैंने गाड़ी साइड मे लगा कर पंचर लगवा लिया।

पंचर लगते हुए।


 

लग गया पंचर।

जो दिक्कत थी अब दूर हो गई थी और मैं बिना किसी संकोच के आगे बढ़ते हुए सोनप्रयाग पहुँच कर गाड़ी पार्किंग मे लगा दी।

फोर्ड फीगो DL7 CN 6732.

पार्किंग मे गाड़ी खड़ी करने के बाद सोनप्रयाग का नज़ारा देख कर मेरे होश उड़ गए। प्रकृति ने इतनी जबरदस्त मार मारी थी कि सब कुछ तबाह हो गया था। मैं तो उस पानी के जलजले की कल्पना करता तो मेरे रोंगटे से खड़े हो जाते। मैं बार-बार यही सोच रहा था कि कितना पानी और कितनी तेजी से आया होगा। इतने बड़े चट्टान जैसे पत्थर भी साथ मे लेकर आया होगा।

मैंने सबसे पहले रूम लिया। यहाँ पर रूम 400/- का मिला। मैंने बिना मोलभाव किये चुपचाप रूम ले लिया। यहाँ पर रूम कम ही थे। अगर ज्यादा यात्री होते तो रूम की कमी हो जाती। वैसे पहले भी सोनप्रयाग से ज्यादा ठहरने की व्यवस्था गौरीकुण्ड मे थी। और इस बार तो कोई भी बिना आज्ञा के सोनप्रयाग से आगे नहीं जा सकता था। रूम मे सामान पटक कर मैं बाहर का नज़ारा देखने चला गया। पार्किंग भी खत्म हो गई थी प्रशासन ने साफ़ सफाई करके कुछ ठीक की थी। पूरे के पूरे पहाड़ टूटे हुए थे। इतने बड़े-बड़े पत्थर पानी के साथ नीचे आये हुए थे। नदी के तरफ वाले मकानों के भी अवशेष बाकी थे।

पार्किंग सोनप्रयाग।

पत्थर और मालवा।

पहाड़ का एक हिस्सा ही ढह गया।

पार्किंग मे जाकर पता चला कि सड़क नई बनी है। लगता है ये भी खत्म हो गई थी।

मैं क़रीब दो घंटों तक यहीं घूमता रहा। आरे हाँ एक बात मैं आप लोगों को बताना ही भूल गया कि जब मैं सोनप्रयाग पहुँचा था तो वहाँ भी यात्रियों को सूचित कर दिया गया था की मौसम ख़राब होने कि वजह से और यात्री आगे गौरीकुण्ड के लिए नहीं जा सकते। जब तक अगली सूचना नहीं आएगी तब तक सोनप्रयाग से आगे कोई नहीं जा सकता। ये सूचना सुनने के बाद मैंने व्यक्तिगत होकर एक पुलिस वाले से पूछा तो उसने मुझे जल्दी से रूम लेने की सलाह दी थी। इसीलिए सबसे पहला काम मैंने यही किया था। शाम के करीब 5 बजे होंगे मैंने कुछ नाश्ता करना ठीक समझा। पार्किंग के पास ही चाय-नाश्ते की एक दुकान मे घुस गया।

आहा गरमा-गरम वेज मैगी।

मैगी खाते-खाते व्हाट्सऐप पर दोस्तों को फ़ोटो शेयर करने लगा। यहाँ पर 3G तो नहीं पर 2G आ रहा था। बोले तो अपना काम चल रहा था। तभी याद आया कि मई 5 तारीख को तो HDFC standard life का मासिक किस्त देय है। अभी 2G भी सही चल रहा था बाद मे न जाने क्या हाल हो। तो लगे हाथ मैंने किस्त भी दे डाली।

मैगी खाते वक्त “Beast” का एक फ़ोटो।

चलो जी पेट पूजा हो गई अब रूम पर जाकर कुछ आराम करने का मन हुआ। जैसे ही दुकान से बाहर निकला फिर से कुछ सुनाई दिया। लाउड स्पीकर पर सूचित किया जा रहा था कि सभी यात्री अपने  रजिस्ट्रेशन का सत्यापन(verification) करवा लें। बिना सत्यापन के यात्री आगे नहीं जा सकते। मैं काउंटर की और गया तो देखा कि खाली पड़ा है। फटाफट खिड़की पर पहुँच कर सत्यापन करवा लिया।

Verification Counter.

अब मैं रूम पर चला गया और फ्रेश होकर कुछ देर लेट गया। नींद तो नहीं आ रही थी पर थकान सी महसूस हो रही थी। 5-10 मिनट लेटा पर बोरियत हो रही थी। मैं रूम के बाहर कुर्सी लगा कर बैठ गया। आज मई 4 तारीख थी आज से ही यात्रा शुरू हुई थी इसीलिए आज DM भी दौरे पर आया हुआ था। व्यवस्था देखने के बाद वो चला गया। मैं BHATT Guest House & Restaurent मैं रुका था।

BHATT Guest House ; Restaurant

वहीँ कुछ लोगों से बात-चीत चल रही थी तो पता चला की अभी तो मैंने अपना स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं करवाया है। मैंने जल्दी से अपना रूम लॉक किया और सवास्थ्य परीक्षण केंद्र की ओर चला गया। यहाँ पर लाइन लगी हुई थी मेरे आगे करीब 20-30 लोग रहे होंगे।

Waiting for health check-up.

पता चला कि सिर्फ ब्लड प्रेशर की जाँच हो रही है। मेरा नंबर आया डॉक्टर ने मेरे BP की जाँच की तो मशीन ने 110/140 दिखाया। डॉक्टर ने कहा इस इसाब से तुम आगे यात्रा पर नहीं जा सकते। मैंने मायूस होकर डॉक्टर से बोला इतनी दूर से वापस जाने के लिए नहीं आया हूँ। उसने कहा टेंशन मत ले यार। मैंने फिर से बोला कि अकेले ही ड्राइव करके आया हूँ इतनी दूर क्या यह वजह हो सकती है वो हँसने लगा बोला तुम थोड़ी देर बैठ जाओ 30 मिनट बाद फिर से आना। मुझे टेंशन हो गई थी मैं बाहर गया और सुट्टे पर सुट्टा लगाने लगा। 30 मिनट बाद फिर से मैं जाँच के लिए गया तब भी मशीन ने 110/140 ही दिखाया। डॉक्टर बोला भाई ये तो गड़बड़ है मैं अनुमति नहीं दे सकता। आखिर मे डॉक्टर ने मेरा शुगर की जाँच की शुगर 135 निकली। शुगर ठीक थी। उसने जाँच केंद्र बंद करने से पहले 6 बार मेरे BP की जाँच की थी पर मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा। उन्होंने अपना सामान समेटा और चल दिए। डॉक्टर के एक सहयोगी ने मुझ से पुछा गुसाईं जी आप तो पहाड़ी ही हो तो ये क्या चक्कर है। मैंने बोला मैं तो समय-समय पर रक्त दान भी करता रहता हूँ कभी भी मुझे दिक्कत नहीं आई क्यूँकि रक्त लेने से पहले भी हमेशा BP की जाँच होती है तभी मैंने उसको बोला आज मैंने सुबह से सिगरेट बहुत पी ली है। वो एक दम से चौंक कर बोला भाई यही तो दिक्कत है यही कारण है कि BP ठीक नहीं है। उसने बोला अब और सिगरेट मत पीना और खाना खाकर सो जाना। मैंने खाना मे दाल, रोटी, सब्ज़ी, सलाद लिया और अगली सुबह पाँच बजे का अलार्म लगा कर सो गया।

Medical Check-Up Center at Sonprayag.

मुझे रात भर ठीक से नींद नहीं आई थी बार-बार टूट रही थी। ये समझ लो कि मैं बस अलार्म बजने का इंतज़ार कर रहा था। अलार्म बजा और मैंने बिस्तर छोड़ दिया। उठकर मैं फ्रेश हुआ साफ़ कपड़े पहने और रूम को लॉक करके स्वास्थ्य परीक्षण केंद्र मे जा पहुँचा। लाइन लगी हुई थी पर डॉक्टर ने मुझे बुलाया और अपने सहकर्मी को बोला कि पहले गुसाईं जी की जाँच करो। डॉक्टर को मेरा नाम याद हो गया है।  जाँच करने पर परिणाम 80/130 आया। डॉक्टर बोला अरे वाह एक दम फिट है भेजो इनको आगे। कल क्या हो गया था मैंने कहा कल smoking ज्यादा कर ली थी। डॉक्टर ने कुछ नहीं बोला और बिना सर उठाए मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुस्करा दिया। मैंने डॉक्टर और उनके सहयोगी को धन्यवाद किया और रूम की ओर चल दिया। मैंने एक छोटे बैग मे रेनकोट, एक जोड़ी कपडे, अतिरिक्त मोज़े, रुमाल, टूथ पेस्ट और ब्रुश रख लिए। बाकी सामान मैंने बड़े बैग मे डाल दिया और गाड़ी की डिक्की मे लॉक कर दिया। रूम वाले को ताल-चाबी थमाई और पुलिस चेक-पोस्ट की और चल दिया।

केदारनाथ यात्रा 2014 – गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – भाग 2 was last modified: August 19th, 2025 by Anoop Gusain
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