उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ देवास यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली कड़ी में मैंने आपको देवास में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कैला माता मंदिर, तà¥à¤²à¤œà¤¾ à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ तथा चामà¥à¤‚डा माता टेकरी के बारे में बताया था. आइये अब इस कड़ी में हम चलते हैं महातीरà¥à¤¥ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ तथा जानते हैं महाकाल की महिमा के बारे में और करते हैं दरà¥à¤¶à¤¨ महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤—वानॠमहाकाल के शà¥à¤°à¥€ चरणों में मेरा कोटि कोटि वंदन.
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के बारे में: उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मालवा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नगर है जो की कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ नदी के पूरà¥à¤µà¥€ किनारे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में इसे उजà¥à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¥€ कहा जाता था. जैसा की महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है उजà¥à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¤¿à¤‚ नगर अवनà¥à¤¤à¥€ राजà¥à¤¯ की राजधानी था. उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की सात पवितà¥à¤° तथा मोकà¥à¤·à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ नगरियों में से à¤à¤• है (अनà¥à¤¯ छः मोकà¥à¤·à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ नगरियाठहैं – अयोधà¥à¤¯à¤¾, वाराणसी, मथà¥à¤°à¤¾, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा à¤à¤µà¤‚ कांचीपà¥à¤°à¤®). यहाठहिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का पवितà¥à¤° उतà¥à¤¸à¤µ कà¥à¤®à¥à¤ मेला 12 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में à¤à¤• बार लगता है.
उजà¥à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¥€, शिकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€ था जहाठगà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ में कला à¤à¤µà¤‚ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया जाता था. à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने अपने à¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ बलराम तथा सखा सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ के साथ यहाठके संदीपनी आशà¥à¤°à¤® गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था. यह हिनà¥à¤¦à¥‚ समय-निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ का केंदà¥à¤° à¤à¥€ है. उतà¥à¤¤à¤° में 23 डिगà¥à¤°à¥€ 11 मिनट तथा पूरà¥à¤µ में 73 डिगà¥à¤°à¥€ 45 मिनट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होने के कारण हिनà¥à¤¦à¥‚ खगोलीय गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मधà¥à¤¯ रेखा अथवा शà¥à¤¨à¥à¤¯ देशांतर रेखा उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ है, इसलिठसमय की गणना उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की जाती है और तदनà¥à¤¸à¤¾à¤°, कैलेणà¥à¤¡à¤° वरà¥à¤· के आरंठ‘मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति’ तथा यà¥à¤— के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकी गणना इससे की जाती है.
यहीं पर à¤à¤—वानॠशिव के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में से à¤à¤• तथा अति पावन शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है. इस नगरी का पौराणिक तथा धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ सरà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ है. जहाठमहाकाल सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है वहीठपर पà¥à¤°à¤¥à¥à¤µà¥€ का नाà¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, बताया जाता है की वही धरा का केंदà¥à¤° है. उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ की पावन धरा पर ही माठशकà¥à¤¤à¤¿ के 51 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों में से à¤à¤• मां हरसिदà¥à¤§à¤¿ का मंदिर à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.
सामानà¥à¤¯ तौर पर à¤à¤• नगर के लिठमंदिर बनाया जाता है लेकिन मंदिरों की वजह से नगर का बसाया जाना विरल ही होता है लेकिन उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में मंदिरों की संखà¥à¤¯à¤¾ को देखते हà¥à¤ यही कहा जा सकता है की इस नगर को मंदिरों के लिठही बसाया गया है. यहाठके सैकड़ों मंदिरों की सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ चोटियों को देखकर इस नगर को पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में सà¥à¤µà¤°à¥à¤¨à¤¶à¥à¤°à¤‚गा à¤à¥€ कहा जाता था.
मोकà¥à¤·à¤¦à¤¾à¤¯à¤• सपà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• इस उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ नगर में 7 सागर तीरà¥à¤¥, 28 तीरà¥à¤¥, 84 सिदà¥à¤§à¤²à¤¿à¤‚ग, 30 शिवलिंग, अषà¥à¤Ÿ (8)à¤à¥ˆà¤°à¤µ, à¤à¤•ादश (11) रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨, सैकड़ों देवताओं के मंदिर, जलकà¥à¤‚ड तथा सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• है. à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है की 33 करोड़ देवी देवताओं की इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ इस उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ नगर में बसी हà¥à¤ˆ है.
नाà¤à¤¿à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹ महाकालà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¨à¤¾à¤®à¤¨à¤¾ ततà¥à¤° वै हर – वराह पà¥à¤°à¤¾à¤£ के इस वरà¥à¤£à¤¨ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚, गà¥à¤°à¤‚थों, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ का वरà¥à¤£à¤¨ है. समसà¥à¤¤ मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ और काल गणना के अधिपति शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ होने की वजह इस तीरà¥à¤¥ का महतà¥à¤µ औरों से अधिक है.
कैसे पहà¥à¤‚चें:
1 . सड़क मारà¥à¤— – इंदौर, सूरत, गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤°, पà¥à¤£à¥‡, मà¥à¤‚बई, अहमदाबाद, जयपà¥à¤°, उदयपà¥à¤°
, नासिक मथà¥à¤°à¤¾ आदि शहरों से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ सड़क मारà¥à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤¡à¤¾ है.
2 . रेल मारà¥à¤— – अहमदाबाद, राजकोट, मà¥à¤‚बई, लखनऊ, देहरादून, दिलà¥à¤²à¥€, वाराणसी, चेनà¥à¤¨à¤ˆ, बंगलà¥à¤°à¥, हैदराबाद,जयपà¥à¤°,हावड़ा आदि शहरों से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ रेलमारà¥à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है.
3 . वायॠमारà¥à¤—: निकटतम हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ इंदौर (53 km ) है जहाठसे मà¥à¤‚बई, दिलà¥à¤²à¥€, गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° आदि
शहरों के लिठविमान सेवाà¤à¤ उपलबà¥à¤§ हैं.
ठहरने के लिठधरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ तथा अनà¥à¤¯ जानकारी के लिठसंपरà¥à¤• किया जा सकता है:
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨
admin@mahakaaleshwar .nic .in
www.mahakaleshwar.nic.in
फ़ोन: 0734 – 2550563
धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾: 0734 – 2551714
तो यह था à¤à¤• संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय पावन नगरी उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से, अब हम चलते हैं अपने यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की ओर.
दिनांक 10.11.11 को देवास से शाम करीब 6 :30 बजे हमने उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया तथा लगà¤à¤— 8 बजे हम उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ पहà¥à¤à¤š गà¤. उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ पहà¥à¤à¤š कर हमने अपनी गाड़ी मंदिर के समीप ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पारà¥à¤•िंग में पारà¥à¤• की तथा अब हमारी पहली पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता थी रहने के लिया à¤à¤• अदद कमरे की तलाश.

पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² से महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर की à¤à¤• à¤à¤²à¤•
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित अतिथि विशà¥à¤°à¤¾à¤® गृह में फ़ोन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संपरà¥à¤• किया (0734 -2551714) तो पता चला की वहां कोई कमरा खाली नहीं है. कà¥à¤› देर की मशकà¥à¤•त के बाद अंततः हमने अपने रहने के लिठमंदिर के à¤à¤•दम नजदीक ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ गेसà¥à¤Ÿ हाउस में à¤à¤• कमरा दो दिनों के लिठबà¥à¤• करा लिया. कमरा लेने के बाद हमने हाथ मà¥à¤‚ह धोकर थोड़ी देर आराम किया तथा à¤à¥‹à¤œà¤¨ की तलाश में निकल गà¤. महाकाल मंदिर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के सामने वाली वाली गली में कà¥à¤› à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ हैं जहाठखाना उपलबà¥à¤§ है लेकिन खाने में निराशा ही हाथ लगी, खाना सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ नहीं था.
अपनी कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾ शांत करने के बाद हम लोग वापस अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस में आ गà¤. कà¥à¤› देर बाद बाहर जा कर पता किया तो मालूम हà¥à¤† की रात 10 बजे à¤à¤—वानॠमहाकाल की शयन आरती होती है, तो हम बिना देर किये मंदिर की ओर चल पड़े कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की हम जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ à¤à¤—वन के पà¥à¤°à¤¥à¤® दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेना चाहते थे, लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ हम गरà¥à¤à¤—ृह में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं कर पाठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे जाने के कà¥à¤› देर पहले ही गरà¥à¤à¤—ृह के कपाट बंद हो चà¥à¤•े थे. हम गरà¥à¤à¤—ृह के सामने हॉल में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बेरीकेटà¥à¤¸ में खड़े होकर शयन आरती में शामिल हà¥à¤, वहां से à¤à¥€ हमें à¤à¤—वानॠमहाकालेशà¥à¤µà¤° के बड़े अचà¥à¤›à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤. हॉल में कई सारे LCD टीवी à¤à¥€ लगे थे जिनसे गरà¥à¤à¤—ृह से आरती का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ किया जा रहा था.
मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर देने वाली शयन आरती के दौरान मंदिर का माहौल पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ शिवमय हो गया था तथा मानसिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤› शिखर पर पहà¥à¤à¤š गयी थी. सचमà¥à¤š वह अनà¥à¤à¤µ अविसà¥à¤®à¤°à¤¨à¥€à¤¯ था. शयन आरती के इस अदà¥à¤à¥à¤¤ तथा अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अनà¥à¤à¤µ के बाद हम गेसà¥à¤Ÿ हाउस की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो गठइस आशा में की सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ आकर गरà¥à¤à¤—ृह में à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨ तथा सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का मौका मिलेगा.
अगली सà¥à¤¬à¤¹ हम फिर 6 :00 बजे उठकर नहा धोकर करीब 7 बजे मंदिर पहà¥à¤à¤š गà¤, सà¥à¤¬à¤¹ की आरती में शामिल हà¥à¤ लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ वश इस बार à¤à¥€ हमें गरà¥à¤à¤—ृह में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ का मौका नहीं मिला तथा बाहर से ही à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ करके संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ होना पड़ा, लेकिन हम à¤à¥€ à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठबहà¥à¤¤ जिदà¥à¤¦à¥€ हो जाते हैं, मैंने तथा कविता (मेरी जीवनसाथी) ने ठान लिया था की हम गरà¥à¤à¤—ृह से à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨ कर के ही रहेंगे. à¤à¤—वानॠके नजदीक से दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की अपनी इस लालसा को पूरा करने की गरज से हम फिर रात को 9 :00 बजे मंदिर पहà¥à¤à¤š गठतथा शयन आरती में शामिल हो गठ(चूà¤à¤•ि हमारा गेसà¥à¤Ÿ हाउस मंदिर से कà¥à¤› ही कदमों की दà¥à¤°à¥€ पर था अतः हम मंदिर आसानी से कà¥à¤› मिनटों में ही पहà¥à¤à¤š जाते थे, मेरी हमेश यही कोशिश होती है की जहाठà¤à¥€ हम धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ के लिठजाते हैं, अपने ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ मंदिर के जितना करीब हो सके करते है तथा साथी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ मेरी यही सलाह है). आज ईशà¥à¤µà¤° हम पर मेहरबान थे तथा शयन आरती के तà¥à¤°à¤‚त बाद ही गरà¥à¤à¤—ृह के पट खà¥à¤²à¥‡ और हमें वो सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® अवसर मिल गया जिसकी हमें तलाश थी, और हम गरà¥à¤à¤—ृह में पहà¥à¤à¤š कर अपने à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करके, नमन करके अपना माथा उनके चरणों में रखकर आशीष लेकर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ मन से मंदिर से बाहर आ गठऔर विशेष बात यह थी की ये तारीख 11 .11 .11 थी.
वैसे हम घर से à¤à¤¸à¥à¤® आरती में शामिल होने के लिठमन बना कर ही आये थे, और यह बात निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है की अगर आपको à¤à¤¸à¥à¤® आरती में शामिल होने के लिठमंदिर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° (पास) पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है तो गरà¥à¤à¤—ृह में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ तथा महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग पर जल अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• तथा सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करने का अवसर शत पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हो जाता है. अतः हमें अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ 4 :30 बजे à¤à¤¸à¥à¤® आरती के दौरान गरà¥à¤à¤—ृह में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶, नजदीक से दरà¥à¤¶à¤¨ तथा सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® अवसर दूसरी बार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गया.

महाकाल दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठकतार à¤à¤µà¤‚ पारà¥à¤¶à¥à¤µ में मंदिर
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के बारे में
दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग à¤à¤¸à¥‡ बारह पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² हैं जिनका उलà¥à¤²à¥‡à¤– शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£ में मिलता है, इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग कहा जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बताया गया है की à¤à¤—वानॠशिव ने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ के रूप में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤•ट किया था. आज à¤à¥€ यह कहा जाता है की à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को उनके दरà¥à¤¶à¤¨ इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ के रूप में हà¥à¤.
पौराणिक कथाओं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दूषण नामक à¤à¤• दानव ने अवनà¥à¤¤à¥€ के निवासियों को परेशान किया और à¤à¤—वानॠशिव धरती से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दानव को परासà¥à¤¤ कर दिया. तब अवनà¥à¤¤à¥€ के निवासियों के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठमहाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के रूप में अपना सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ निवास बना लिया.
महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ माना जाता है, जो अपने à¤à¥€à¤¤à¤° से शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है जबकि अनà¥à¤¯ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा लिंगों को सांसà¥à¤•ारिक तौर पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया गया है
जैसा की पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में कहा गया है-
आकाशे तारकं लिंगम, पाताले हाटकेशà¥à¤µà¤°à¤®A
à¤à¥‚लोके च महाकाल, लिंगतà¥à¤°à¤¯ नमोसà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡AA
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤, आकाश में तारक लिंग है, पाताल में हाटकेशà¥à¤µà¤° लिंग हैं तथा पà¥à¤°à¤¥à¥à¤µà¥€ पर महाकाल लिंग है यह तीनो लिंग ही अति पावन तथा मानà¥à¤¯ हैं अतः तीनों लिंगों को नमन.
कहा जाता है:
अकाल मृतà¥à¤¯à¥ वो मरे जो करà¥à¤® करे चांडाल काA
काल उसका कà¥à¤¯à¤¾ करे जो à¤à¤•à¥à¤¤ हो महाकाल काAA
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤°, à¤à¤—वान शिव के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में à¤à¤• तथा सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ का जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग है. महाकालेशà¥à¤µà¤° की ही वजह से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤®à¤‚ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• माना जाता है. महाकालेशà¥à¤µà¤° विशà¥à¤µ का à¤à¤•मातà¥à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤®à¥à¤–ी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤— है. यह à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ विशेषता है जिसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में से केवल महाकालेशà¥à¤µà¤° में पाई जाने वाली तांतà¥à¤°à¤¿à¤• परंपरा से होती है. महाकालेशà¥à¤µà¤° को उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के विशिषà¥à¤Ÿ अधिषà¥à¤ ाता देवता के रूप में माना जाता है.
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर के बारे में :
महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर की महिमा का विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में सजीवता से वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है. महाकाल मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 11 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में किया गया था, 140 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद इलà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¿à¤¶ ने इसे तोड़ दिया था तथा वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर मराठा कालीन माना जाता है जिसे लगà¤à¤— 250 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ बाबा रामचंदà¥à¤° शेनà¥à¤µà¥€ ने बनवाया था. मंदिर के गरà¥à¤à¤—ृह के पशà¥à¤šà¤¿à¤®, उतà¥à¤¤à¤° तथा पूरà¥à¤µ में कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ गणेश, माठपारवती तथा कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में नंदी की मूरà¥à¤¤à¤¿ है. यह मंदिर तीन खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में विà¤à¤•à¥à¤¤ है। निचले खणà¥à¤¡ में महाकालेशà¥à¤µà¤° बीच के खणà¥à¤¡ में ओंकारेशà¥à¤µà¤° तथा सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š खणà¥à¤¡ में नागचनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के शिवलिंग पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हैं। नागचनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ केवल नागपंचमी को ही होते हैं। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के परिसर में जो विशाल कà¥à¤£à¥à¤¡ है, वही पावन कोटि तीरà¥à¤¥ है। इसके तीनों ओर लघॠशैव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं। कà¥à¤£à¥à¤¡ सोपानों से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ मारà¥à¤— पर अनेक दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ परमारकालीन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ देखी जा सकती हैं जो उस समय निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के कलातà¥à¤®à¤• वैà¤à¤µ का परिचय कराती है। कà¥à¤£à¥à¤¡ के पूरà¥à¤µ में जो विशाल बरामदा है, वहाठसे महाकालेशà¥à¤µà¤° के गरà¥à¤à¤—ृह में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया जाता है। इसी बरामदे के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ छोर पर à¤à¤—वानà¥â€Œ राम à¤à¤µà¤‚ देवी अवनà¥à¤¤à¤¿à¤•ा की आकरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ पूजà¥à¤¯ हैं।

परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर

परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ सिदà¥à¤§à¤¿ विनायक मंदिर
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर में आयोजित होनेवाली दैनिक आरतियों की समय सारणी:
à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¤à¥€
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 4 बजे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास में पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 3 बजे महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 2-30 बजे।
दधà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¨ आरती
चैतà¥à¤° से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ तक पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 7 से 7-45 तक, कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨ तक पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 7-30 से 8-15 तक
महाà¤à¥‹à¤— आरती
चैतà¥à¤° से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ तक पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 10 से 10-45 तक कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨ तक पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 10-30 से 11-15 तक
सांधà¥à¤¯ आरती
चैतà¥à¤° से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ तक संधà¥à¤¯à¤¾ 5 से 5-45 तक कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨ तक संधà¥à¤¯à¤¾ 5-30 से 6-15 तक
पà¥à¤¨: सांधà¥à¤¯ आरती
चैतà¥à¤° से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ तक संधà¥à¤¯à¤¾ 7 से 7-45 तक कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨ तक संधà¥à¤¯à¤¾ 6-30 से 7-15 तक
शयन आरती
चैतà¥à¤° से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ तक रातà¥à¤°à¤¿ 10:30 बजे कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨ तक रातà¥à¤°à¤¿ 11-00 बजे
à¤à¤¸à¥à¤® आरती : à¤à¤• अनोखी परंपरा
à¤à¤—वानॠमहाकाल की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पूजाओं तथा आरतियों में à¤à¤¸à¥à¤® आरती का अपना अलग महतà¥à¤µ है. यह अपने तरह की à¤à¤•मातà¥à¤° आरती है जो विशà¥à¤µ में सिरà¥à¤« महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में ही की जाती है. हर शिवà¤à¤•à¥à¤¤ को अपने जीवन में कम से कम à¤à¤• बार à¤à¤—वान महाकालेशà¥à¤µà¤° की à¤à¤¸à¥à¤® आरती में जरà¥à¤° शामिल होना चाहिà¤.
महाकाल मंदिर में आयोजित होने वाले विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दैनिक अनà¥à¤·à¥à¤ ानों में दिन का पहला अनà¥à¤·à¥à¤ ान होता है à¤à¤¸à¥à¤® आरती जो की à¤à¤—वान शिव को जगाने, उनका शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार करने तथा उनकी पà¥à¤°à¤¥à¤® आरती करने के लिठकिया जाता है, इस आरती के बारे में विशेष यह है की यह आरती पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे, शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ घाट से लायी गयी ताजी चिता की राख से महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग पर छिड़काव करके की जाती है. सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे à¤à¤—वानॠका जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया जाता है , ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार तथा उसके बाद जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को चिता à¤à¤¸à¥à¤® से सराबोर कर दिया जाता है. शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में चिता à¤à¤¸à¥à¤® अशà¥à¤¦à¥à¤§ माना गया है. चिता à¤à¤¸à¥à¤® का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ हो जाये तो सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना पड़ता है परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤—वान शिव के सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ से à¤à¤¸à¥à¤® पवितà¥à¤° होता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि शिव निषà¥à¤•ाम है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ काम का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ नहीं है.
शिवमहिमà¥à¤¨à¤¸à¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°:
चिताà¤à¤¸à¥à¤®à¥‹à¤²à¥‡à¤ª सà¥à¤¤à¥à¤°à¤—ापी नà¥à¤°à¤• रोतिपरीक: अमगालà¥à¤¯à¤¾ शिव तव à¤à¤µà¤¤à¥ नामैवमखिल तथापि सà¥à¤®à¤°à¥à¤¤à¤¨à¤¾ वरद परम मंगलà¥à¤®à¤¸à¥€ ।
हालाà¤à¤•ि चिता à¤à¤¸à¥à¤® की बात कहाठतक सतà¥à¤¯ है कोई नहीं जानता, मंदिर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ का वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है की पूरà¥à¤µ में यह आरती ताज़ी चिता की राख से ही होती थी लेकिन वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में चिता की राख की जगह कंडे की राख का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होता है. जबकि उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासियों मानना है की आज à¤à¥€ à¤à¤¸à¥à¤® आरती ताज़ी चिता की राख से ही समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है.
यह à¤à¤• रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€, असà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• तथा सामानà¥à¤¯ अनà¥à¤·à¥à¤ ान है तथा पà¥à¤°à¥‡ विशà¥à¤µ में केवल उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ महाकाल मंदिर में ही किया जाता है.
à¤à¤¸à¥à¤® आरती सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे से छः बजे के बिच में की जाती है तथा इसमें शामिल होने के लिठà¤à¤• दिन पूरà¥à¤µ मंदिर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ को आवेदन पतà¥à¤° देकर अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° हासिल किया जाता है उसके बाद ही आप à¤à¤¸à¥à¤® आरती में शामिल हो सकते हैं.
अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° तà¤à¥€ हासिल किया जा सकता है जब आपके पास अपने फोटो परिचय पतà¥à¤° की मूल पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हो. आरती के à¤à¤• दिन पूरà¥à¤µ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के बाद सà¥à¤¬à¤¹ 2 से 3 बजे के बिच à¤à¤¸à¥à¤® आरती की लाइन में लगना होता है तब करीब चार बजे à¤à¤•à¥à¤¤ को मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिया जाता है. मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के वकà¥à¤¤ à¤à¤• बार फिर फोटो परिचय पतà¥à¤° दिखाना होता है
इस आरती में शामिल होने के लिठपà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को सिरà¥à¤« धोती और महिलाओं को साड़ी में ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिया जाता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ पतà¥à¤° सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही निरसà¥à¤¤ हो जाता है.

à¤à¤¸à¥à¤® आरती के लिठसà¥à¤¬à¤¹ 2 .30 बजे à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की कतार
à¤à¤¸à¥à¤® आरती के दौरान जब जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग पर à¤à¤¸à¥à¤® नà¥à¤¯à¥Œà¤›à¤¾à¤µà¤° की जाती है उस दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ को देखना महिलाओं के लिठवरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है अतः उस समय महिलाओं को घूà¤à¤˜à¤Ÿ करना अनिवारà¥à¤¯ होता है (कà¥à¤› मिनटों के लिà¤). à¤à¤¸à¥à¤® आरती से समà¥à¤¬à¤‚धित सूचनाà¤à¤‚ तथा नियम निचे निचे दिठगठचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं.
तो यह थी à¤à¤• संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ जानकारी उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ शहर, à¤à¤—वानॠमहाकाल, महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग मंदिर तथा à¤à¤¸à¥à¤® आरती के बारे में. अब मैं अपनी इस पोसà¥à¤Ÿ को यहीं विराम देता हूठतथा अगली कड़ी में आपलोगों को रबरू करूà¤à¤—ा उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ शहर के अनà¥à¤¯ मंदिरों से. तब तक के लिठ…..हैपà¥à¤ªà¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी.















वाह आज आपने महाकाल के दर्शन भी करा दिये है और साथ ही विस्तृत व्यौरा भी पढने को प्राप्त हो रहा है। जय महाकाल……. भस्म आरती तो देखनी ही पडेगी।
Dhanyavaad…Aap ka lekh atyant suchnaprad hai aur ise aapne vidhivat aur suvyavasthit tareeke se hum ghumakkaron tak pahuchaya hai…isse hamara margdarshan hoga va Mahakaal Jee ka darshan karne me atyant sahayak hoga….punah bahut bahut dhanyavaad….
संदीप भाई,
आपके द्वारा इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपको ह्रदय से धन्यवाद. जैसा की मैंने पोस्ट में लिखा है, हर हिन्दू को भगवान् महाकाल की भस्म आरती जीवन में एक बार अवश्य देखनी चाहिए. सचमुच बड़ी ही अलौकिक एवं अदभुत आरती होती है, ऐसा लगता है इस द्रश्य को जीवन भर के लिए आँखों में बसा लें.
धन्यवाद.
sach main subha ki yeh bhasm aarti rongte khade kr deti hi, us waqt aisa lagta hi jaise sakshat Mahadev baithe ho or koi unko apne pure bhav se saja raha ho , jaise ek maa apne kisi bache ko tyar karti hi…………………………, Mukesh ji aapki is yatra ne meri ujjain yatra ko fir se taro taja kr diya.
गीता जी,
इस भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद. आप भी यहाँ पर अपने यात्रा संस्मरण लिख सकती हैं, यह बहुत आसान है. अपने यात्रा वृत्तान्त घुमक्कड़ पर लिख कर हम सबसे शेयर करने की कोशिश कीजिये.
धन्यवाद.
मुकेश जी,
जय राम जी की.
कोई और साधन ना होने की वजह से यहाँ लिख रहा हूँ, मुझे आपका phone no. चाहिए. असल मैं हम कुछ शिव भक्त अगस्त मैं महाकेश्वर और ओंकारेश्वर के दर्शनों के इच्छुक हैं, और मैं नहीं समझता आपसे और विशाल जी से बढ़िया इस विषय मैं कोई मार्गदर्शन कर पायेगा. मेरा मोबाइल no. 98681-86290 है और ईमेल “kaushiksanju@yahoo.com” है, आप जितनी जल्दी संपर्क करें उतनी अधिक बार धन्यवाद करूँगा क्योंकि अभी हमें ट्रेन का टिकेट भी करवाना है…. विशाल जी का भी contact दे दें ताकि मैं उनसे भी एक बार बात कर सकूं….
ओम नमः शियाव……
वेद प्रकाश जी,
प्रशंसा एवं उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद. आप भी बड़ा अच्छा लिखते हैं, आपकी पद्मनाभस्वामी का यात्रा वृत्तान्त तथा आसमान से खींचे गए छाया चित्र बड़े ही मनोहारी थे, मुझे बड़े पसंद आये.
धन्यवाद.
Very elaborate description Mukesh. It is going to be extremely useful for anyone planning a trip.
Jai Mahakaal.
Nice pics nice description ,I think this only temple which allow people fully to reach god.
Easily you get access for bhasm aarti. Thanks for sharing.
Jai Mahakaal.
Thanks for sharing this highly informative post on Shri Mahakaal Mandir. Your description of the rituals is simply amazing.
Looking forward to the next part of your write up on the other temples of Ujjain.
Nandan,
Thanks for your encouraging comments.
Thanks.
Virag,
Thanks for your beautiful words. Yes Mahakaal temple management facilitates every devotee to have good darshan and be a part of the temple rituals, like in case of Bhasm Aarti 100% applicants are given the entry pass and that too without charging a single penny.
Thanks.
Ram Sir,
Thank you very much for your encouraging comments. Next part of this series is in process and will reach to you very soon.
Thanks.
Jai Mahakaal……………………………
Again yaad tarotaaza ho gay……………………………………
Very nice descritption of Mahakaal nice pics. Thanks for uploading Bhasma Aarti info………………….
I missed last time. Next time it will be helpful…………………………….
And Mr. Virag Sharma Kashi Vishwanath and Bhimashankar are another jyotirlingas where you are allowed to reach ( touch) even without doing abhishekh…………………………
Vishal,
Thanks for your comments. You had missed Bhasm Aarti last time…. It means lord mahakaal wants you to visit there again. I hope next time we’ll attend Bhasm aarti togather.
As far as reaching in sanctum and touching the lord is concerned, Ghrishneshwar is also very good temple and you are allowed to do Abhishek in sanctum very leisurely (depending upon the crowd).
Thanks.
महाकाल के दर्शन के लिए आपका धन्यवाद. भस्म आरती का विवरण बेहद अच्छा था.
हमारी आध्यात्मिक आस्थाओं के प्रति आपकी विस्तृत जानकारी व लगाव के लिये आपको अनेक शुभकामनाएं।
अमित,
आपको पोस्ट पसंद आई, यह जान मुझे हर्ष हुआ. महाकाल भस्म आरती का विवरण भी आपको पसंद आया यह मेरे लिए बड़ी ख़ुशी की बात है.
धन्यवाद.
श्रीनिवास शर्मा साहब,
आपकी मनमोहक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद. हमारा सनातन धर्म तथा आस्थाएं हैं ही ऐसा की बरबस ही उनसे लगाव हो जाता है, और लगाव है तो जानकारियां प्राप्त करने की चेष्टा भी अनायास ही उत्पन्न हो जाती है.
धन्यवाद.
aap ka lekh bahut hi badhia laga.dhanyavaad
I strongly support Mukesh for Ghumakkar of the year 2011 , for his dedicated devotion in travelling , posting ,his pics ,description and command in both the languages…………………..
Secondly Nowadays his family is also involved in posting comments on this website. They too are nominees for Ghumakkar of the year 2011, since it is with them the author Mukesh is always going…………………
Also My personal view is that Ghumakkar of the year should not be given to the person who has already got this award before.If he has done well this year he should be credited with different award or should be promoted on this website or something. Everyone should get chance……………….
Thanks………………
Vishal,
Thank you for your kind support and appreciation.
Thanks.
@ Vishal – Very well said about Mukesh.
We have set a Jury and it consists of some of the best known names at Ghumakkar.
The jury is still out though on the ‘Ghumakkars of the Year’ award and I hope they are reading all the comments and observations. :-)
Wishing Mukesh the very best.
वाह !!!!
पोस्ट की सुंदरता ने मन मोह लिया , मुझे इस बात की और खुशी हुई कि आप ने यह पोस्ट हिन्दी में लिखी है.
बाबा महाकाल मंदिर के बारे में आपने बहोत ही अच्छी जानकारी दी है. मै भी बाबा की कृपा से इस वर्ष मार्च में महाकाल मंदिर उज्जैन गया था , पर पास पहले से ना बने होने के कारण भस्म आरती में गर्भगृह में नहीं जा सका, लेकिन खुशी इस बात की थी कि उस दौरान मै मंदिर परिसर में ही था. सचमुच वहाँ का पूरा माहौल शिवमय था.
जय बाबा महाकाल
ढेरों शुभकामनाओं साहित धन्यवाद
श्रीमान जी
आपका नाम किसी तकनिकी कारण से पढने में नहीं आ रहा है. लेकिन आपने पोस्ट को पसंद किया और इतने इतने सुन्दर शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की उसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हुं. यह बात सही है की नियमों की पूर्व जानकारी के अभाव में कई शिवभक्त तीव्र इच्छा होने के बावजूद भस्म आरती में शामिल नहीं हो पाते हैं, इसी लिए मैंने अपनी पोस्ट में भस्म आरती के बारे में बहुत विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है, ताकि किसी की यह इच्छा अधूरी न रह जाए.
धन्यवाद.
अंकल जी पिछली टिप्पणी मेरी थी , मैंने अपना नाम हिन्दी में लिखा था , लेकिन तकनीकी त्रुटिवश यह नाम नहीं दिख पा रहा है.
मैंने आपका ब्लॉग भी देखा बहोत ही अच्छा लगा , खुशी हुई की अब आप भी एक हिन्दी ब्लोगर है .
इतने सुन्दर पोस्ट के लिए एक बार पुनः आभार
आशीष जी,
आपके मधुर शब्दों के लिए धन्यवाद. आंग्ल भाषा का तुल्य ज्ञान होने के उपरांत भी ह्रदय पर तो हिंदी ही शासन करती है. अपनी मात्रभाषा का स्थान तो कोई और भाषा ले ही नहीं सकती.
धन्यवाद.
Mukeshji, your narration was very good & informative .We 2 are leaving for Ujjain on 28/2/12. Mahakaal Dharmshala is full due to some discourse programme. Pl. give details of a hotel/guest house . Thanks.
Rakesh ji,
Thanks for liking the post and commenting. In case accommodation in Dharmshala is not available, nothing to be worried, there are lots of private hotels exactly in front of the temple that too at a very reasonable prices.
Thanks.
Mukeshji thanks, your comments have eliminated my worry.
मुकेशजी , नमस्कार.. आपके घुमकड़ कढ़ी के व्रंतांत व क्रमवार जानकारी प्रस्तुत करने की कला के हम कायल हो गए …ऐसा लगता है , जैसे आप अभी हमारे साथ चलते जा रहें हैं और कमेंट्री करते हुवे जानकारी देते जा रहे हैं है …बहुत सुन्दर .. आपनेबहुत विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है, ताकि किसी की यह इच्छा अधूरी न रह जाए….बहुत बहुत धन्यवाद………………………………………….जयदेव गुरसहानी
जयदेव जी,
आपको पोस्ट पसंद आई, ये मेरे लिए हर्ष का विषय है। आप जैसे सुधी पाठकों के उत्साहवर्धन से प्रेरित होकर ही हम ये प्रयास कर पाते हैं। इस मंच पर आते रहिए और इसी तरह लेखकों का उत्साहवर्धन करते रहिए।
धन्यवाद।
मुकेश जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद,आपके पोस्ट से जो जानकारी प्राप्त हुई उसके फलस्वरूप मैंने अपने माता जी ओर पिता जी को भस्म आरती में शामिल होने भेजा ओर दिशानिर्देश दिये ! उन्हे वह कोई परेशानी नहीं हुई ओर फोन पर आरती के बाद मुझे धन्यवाद के साथ आशीर्वाद दिया, पर उसके असली हकदार तो आप हैं !