अकà¥à¤¸à¤° कशà¥à¤®à¥€à¤° सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही हमें शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गà¥à¤²à¤®à¤°à¥à¤— पहलगांव की याद आती है। कोई शक नही की ये सारी जगह बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है लेकिन कशà¥à¤®à¥€à¤° सिरà¥à¤« ये चार छ जगहों का ही नाम नही है। यहाठपà¥à¤°à¤•ृति ने कदम कदम पर खूबसूरती बिखेर रखी है ।सामानà¥à¤¯ जन अकà¥à¤¸à¤° इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अनदेखा कर देते है,इनà¥à¤¹à¥€ अनदेखी या कम देखी जगहों में à¤à¤• है पटनीटॉप…
सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में यूथ हॉसà¥à¤Ÿà¤² à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤¶à¤¨ का सानासर कैंप यही से आयोजित होता है अतः यही जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया(14 फर.) और à¤à¤• à¤à¤• कर दस लोगो का समूह तैयार हो गया.। मालवा à¤à¤•à¥à¤¸.से रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करा के अगले दिन रात 10 बजे उधमपà¥à¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ (जो की सिरà¥à¤« 45 किमी की दà¥à¤°à¥€ पर है) उतरे।रात वही à¤à¤• होटल में बिताई ।
दूसरा दिन (16 फर.)
सà¥à¤¬à¤¹ नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद à¤à¤• वैन बà¥à¤• की (1800/-) और 8 बजे निकल पड़े। जमà¥à¤®à¥‚ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— को फोर लेन बनाने का काम जोरो पर था तो वैन की गति धीमी हो रही थी। लगà¤à¤— 20 किमी पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ बनिहाल टनल आती है जो शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र के लिठजाती है।किनà¥à¤¤à¥ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मारà¥à¤— से ही जाना था और जैसे जैसे ऊपर की ओर बढ़ने लगे ठंडक à¤à¥€ बढ़ने लगी थी। रासà¥à¤¤à¤¾ देवदार के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से ढकने लगा था। और अब बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियाठदिखाई देने लगी थी।
डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने बताया की वही पटनीटॉप à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है,सà¥à¤¨à¤•र सà¤à¥€ आनंदित और रोमांचित हो गये थे। आगे बढ़ने के साथ ही रासà¥à¤¤à¥‡ के चारो ओर बरà¥à¤« à¤à¥€ बढती जा रही थी। खिडकिया बंद थी अतः अनà¥à¤¦à¤° ठंडक का अहसास नही हो रहा था पर अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ था की बाहर à¤à¥€à¤·à¤£ ठणà¥à¤¡ होगी। जब पटनीटॉप मातà¥à¤° 4 किमी रह गया तब तक बरà¥à¤« ने सड़को पर à¤à¥€ कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर रखा था,अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जो सोच कर आये थे वही नज़ारा बाहर हर तरफ बिखरा पड़ा था। हमारे होटल रोज़ वैली पहà¥à¤š के जब गाडी से बाहर आये तब लगा जैसे डीप फà¥à¤°à¥€à¤œà¤° में आ गये। बाहर का तापमान -4°था और रगों में खून जम जायेगा à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था। हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤ कंपकंपाने लगी थी। पहला काम सब ने अपने अपने जैकेटà¥à¤¸ पहनने का किया। सर/माथे/कान ढंकने का इनà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¾à¤® किया। थोड़ी देर में पà¥à¤°à¤•ृतीसà¥à¤¥ हà¥à¤ तब आसपास नज़र दौड़ाई और बस वाह निकल पड़ी सब के मà¥à¤¹ से,होटल के चारो ओर लॉन पे या पेड़ो पर या छत पर और सीढियों पर हर तरफ बरफ ही बरफ गिरी हà¥à¤ˆ थी।

हमारे होसà¥à¤Ÿ शà¥à¤°à¥€ आशीष ने (जो pye resorts sanasar के सरà¥à¤µà¥‡à¤¸à¤°à¥à¤µà¤¾ है )हमारी अगवानी की और सब से पहले गरà¥à¤®à¤¾ गरà¥à¤® चाय से सà¥à¤µà¤¾à¤—त हà¥à¤† जो इतनी ठणà¥à¤¡ में हमें अमृत समान जान पड़ी। यहाठयह बताना आवशà¥à¤¯à¤• होगा की उधमपà¥à¤° (2000 फीट) में तब तापमान 20/22° था और मातà¥à¤° 45 किमी के अंतर में इतना जबरदसà¥à¤¤ अंतर उंचाई के कारण हà¥à¤† था पटनी टॉप लगà¤à¤— 6800 फीट की उंचाई पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद गà¥à¤°à¥à¤ª के अनà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचय का दौर हà¥à¤† जो मà¥à¤‚बई हैदराबाद दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² सिलवासा और थाईलैंड से à¤à¥€ à¤à¤• महिला सदसà¥à¤¯..

लगà¤à¤— 25 लोगो के समूह को गà¥à¤°à¥à¤ª लीडर शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤°à¤¾à¤¦ के हवाले कर के आशीष जी अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ के लिठनिकल गये। अब चेक इन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ लगà¤à¤— 10 किमी दूर नाथाटॉप पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था। अब रासà¥à¤¤à¥‡ के साथ बरà¥à¤« का गीलापन और ठणà¥à¤¡ दोनों का अनà¥à¤à¤µ हो रहा था।

गà¥à¤°à¥à¤ª में दà¥à¤°à¥€ या थकान का अनà¥à¤à¤µ नही होता ये कई बार अनà¥à¤à¤µ में आ चूका था अतः 2 घंटे में पहà¥à¤š गये।रासà¥à¤¤à¥‡ में देवदार और चिनार के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का जंगल था और बीच में बरà¥à¤« से ढके मैदान खूबसूरती की मनमोहक छटा फैला रहे थे।

लगà¤à¤— 2 घंटे वहा बिताà¤à¥¤à¤¸à¥à¤²à¥‡à¤œ पे सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने फिसलने का आनंद à¤à¥€ लिया। फिर सब ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤‚डा फहराया। अब सायंकाल होते ठणà¥à¤¡ à¤à¥€ बढ़ रही थी तो मन ना होते हà¥à¤ à¤à¥€ लौटना ही पड़ा। रात à¤à¥‹à¤œà¤¨ पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ कैंप फायर का आयोजन था पर ठणà¥à¤¡ और थकान के कारण अधिकांश सदसà¥à¤¯ नींद के आगोश में चले गये थे अतः सà¥à¤¥à¤—ित किया गया।
तीसरा दिन (17 फर)
अगले दिन सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ किया ही था की हमारे दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से à¤à¤• खबर आयी की à¤à¥€à¤·à¤£ हिमपात के कारण सनासर का रासà¥à¤¤à¤¾ बंद हो गया है à¤à¤µà¤‚ वहा छः से आठफीट बरà¥à¤« जमी हà¥à¤ˆ है। सब निराश हताश हो गये। अब सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿà¥à¤¸ देखने के अलावा कोई चारा नही था। पà¥à¤¨à¤ƒ बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‹ पे चलते हà¥à¤ वही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• नाग मंदिर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया। कà¥à¤› लोगो ने घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°à¥€ का आनंद लिया। आगे à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ पारà¥à¤• विकसित किया गया था जिसमे सà¥à¤•ीइंग सà¥à¤²à¥‡à¤œ और ज़िपलाइन की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ थी। यहाठà¤à¥€ हर ओर बरà¥à¤« का ही सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ था। बेहद ठणà¥à¤¡ में सà¤à¥€ ने अपने रूचि अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ खेलो का आनंद लिया। लगà¤à¤— 4 घंटे बिता के होटल लौटे पर सà¥à¤¬à¤¹ की हताशा आनंद में बदल चà¥à¤•ी थी। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे खेल कर।

2 दिन हो गये थे और सब को इंतज़ार था सà¥à¤¨à¥‹ फॉल का जो की अब à¤à¥€ सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ ही था। कल आखरी दिन था कैंप का पर उमà¥à¤®à¥€à¤¦ कायम थी ।
चौथा दिन (18 फर)
सà¥à¤¬à¤¹ 3 बजे बाहर शोर सà¥à¤¨à¤•र सब लोग अपने कमरों से निकले और पता चला बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी है और अब कà¤à¥€ à¤à¥€ सà¥à¤¨à¥‹ फॉल हो सकता है, सब की उतà¥à¤¸à¥à¤• आà¤à¤–ों से नींद गायब हो चà¥à¤•ी थी और इंतज़ार शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ लगता है पà¥à¤°à¤•ृति को à¤à¥€ हम पर दया आ गयी थी और बारिश के 10/15 मि.बाद बहà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ सà¥à¤¨à¥‹ फॉल शà¥à¤°à¥‚ हो गया। रà¥à¤ˆ के फोहे जैसा बरफ का गिरना सà¤à¥€ की अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प लगà¤à¤— 3 घंटे तक गिरता रहा और अब सà¥à¤¬à¤¹ चारो ओर सफेदी की चादर के सिवा और कà¥à¤› à¤à¥€ दिखाई नही दे रहा था। सड़को पर,पेड़ पौधे,घास फूस सब लà¥à¤ªà¥à¤¤....सिरà¥à¤« सफेदी...चहॠओर... आà¤à¤–े और मन तो कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ लगा आतà¥à¤®à¤¾ तक तृपà¥à¤¤ हो गयी थी। सनासर का मलाल ख़तà¥à¤® हो चूका था। सब तरह की(रोड बà¥à¤²à¤¾à¤• आदि) समसà¥à¤¯à¤¾ मंजूर थी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि सà¥à¤¨à¥‹ फॉल देखने का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ अब वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•ता में बदल चूका था। बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ अंततः रà¥à¤•ी और हमारी वापसी यातà¥à¤°à¤¾ का आरंठहà¥à¤†à¥¤ हम 7 लोग वैषà¥à¤£à¥‹ देवी जाने वाले थे बाकी अपने अपने घर। à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से बिदाई और फोन न.के आदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ का दौर शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ बड़ी सी टà¥à¤°à¥‡à¤µà¥‡à¤²à¤° में चलते हà¥à¤ गाते हà¥à¤ आधे लोग उधमपà¥à¤° उतर गये बाकी हम लोग कटरा के लिठरवाना हà¥à¤à¥¤à¤‡à¤¸ बार हेलीकापà¥à¤Ÿà¤° से वैषà¥à¤£à¥‹ देवी जाने के अतिरिकà¥à¤¤ आकरà¥à¤·à¤£ के साथ। इस तरह à¤à¤• अनछà¥à¤ कशà¥à¤®à¥€à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤–द समापन हà¥à¤†à¥¤
संजीव जोशी
It was really a ‘dream tour’ for all 10 of us. Enjoyed every moment to its fullest.
Sanjeevji narrated the experience so lovely , as usual, .
Only he has the capability of doing this. Hats upto him
Wonderful post with brilliant pictures en-route. Enjoyed every word of the writeup.
Hi Mister Joshi…I am Warisa I was on your Fantastic Kashmir Snow Trekked ..I Missed all that beautiful places and people I wish to visit again..see you again in India
You are always welcome….visit again to have more memorable journeys