
लेह – पैंगोंग – लेह…………… à¤à¤¾à¤—6
धà¥à¤ª ना होने की वजह से यहाठपर ज़बरदसà¥à¤¤ ठंड लग रही थी। मà¥à¤à¥‡ छोड़ कर सब नीचे उतर गà¤à¥¤ मेरी तो पहले से ही लगी पड़ी थी और गरम सीट को छोड़ कर बाहर ठंड मे जाने का मेरा कोई विचार नहीं था। तà¤à¥€ हरी ने कहा की चाय बनवा ली है और यहीं पर कà¥à¤› खा à¤à¥€ लेते हैं। मैंने मन मे सोचा यहाठतो पतà¥à¤¥à¤° ही मिलेंगे खाने को। मरा हà¥à¤† मन लेकर मैं हरी के साथ चल दिया। अरे वाह कà¥à¤¯à¤¾ बात है यहाठतो मà¥à¤«à¥à¤¤ का à¤à¤• डिसपेंसरी थी, “चांग ला” बाबा का मंदिर और à¤à¤• रेसà¥à¤¤à¥à¤°à¥Œà¤‚त था। गाड़ी से बाहर निकल कर अचà¥à¤›à¤¾ लगा और हरी के साथ मैं रेसà¥à¤¤à¥à¤°à¥Œà¤‚त मे घà¥à¤¸ गया। यहाठà¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर लिखा था “1st Highest Cafeteria in the world”.
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