दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚,
à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ अंतराल के बाद आज फिर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤‚ आप लोगों के सामने। आप सà¤à¥€ जानते ही हैं की मेरी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का केनà¥à¤¦à¥à¤° अकà¥à¤¸à¤° धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² ही हà¥à¤† करते हैं, और आज à¤à¥€ मैं आपलोगों को à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² की ही सैर पर ले जा रहा हà¥à¤‚। चलिये आज हम चलते हैं à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के मनोहारी दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिये ……नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¥¤
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के बारे में हम लोगों ने पहले से ही कई बार सà¥à¤¨ रखा था और अब यहां जाने की इचà¥à¤›à¤¾ बलवती होती पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¤ हो रही थी, फ़िर à¤à¤• बार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी की नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की पोसà¥à¤Ÿ पढकर इस इचà¥à¤›à¤¾ को और हवा मिल गई।
मथà¥à¤°à¤¾, वà¥à¤°à¤‚दावन à¤à¤µà¤‚ वाराणसी कि यातà¥à¤°à¤¾ को समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ कà¥à¤› ही समय हà¥à¤† था कि मन में फिर कहीं जाने की लालसा होने लगी। हमारे पड़ोस में à¤à¤• परिवार है जो पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—िय वैषà¥à¤£à¤µ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से हैं और अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£Â के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिये नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जाते रहते हैं और वहां के बारे में बताते à¤à¥€ रहते हैं। अब चà¥à¤‚कि हमें à¤à¥€ अपने अगले डेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨ के लिये कà¥à¤› निरà¥à¤£à¤¯ लेना ही था तो हमने सोचा कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न इस बार नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ का ही रà¥à¤– किया जाà¤, और वैसे à¤à¥€ नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हमारे घर से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दà¥à¤° नहीं है। बस à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› मन में चल ही रहा था, और फिर मैने गौर किया की कविता ने à¤à¤• हफ़à¥à¤¤à¥‡ में दो बार नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जाने की इचà¥à¤›à¤¾ जताई और बस ……..फिर कà¥à¤¯à¤¾ था मैनें फटाफ़ट दो घंटे में यातà¥à¤°à¤¾ योजना à¤à¥€ बना ली और आरकà¥à¤·à¤£ à¤à¥€ करवा लिया।
हमारे घर के सामने वाली सड़क से ही सीधे उदयपà¥à¤° के लिये बस मिल जाती है और आगे नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के लिये उदयपà¥à¤° से बस मिलती है। लेकिन हम लोग चà¥à¤‚कि टà¥à¤°à¥ˆà¤¨-लवर हैं और टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से ही सफ़र करना पसंद करते हैं अत: मैनॆं रतलाम से मावली (नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ का नज़दीकि सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨) के लिये तथा वापसी में उदयपà¥à¤° से रतलाम के लिये आरकà¥à¤·à¤£ करवा लिये, और यातà¥à¤°à¤¾ कि दिनांक का बेसबà¥à¤°à¥€ से इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° करने लगे।
13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2013, शनिवार को दोपहर 12.30 पर रतलाम से हमारी हमें टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ थी अत: हमलोग सà¥à¤¬à¤¹ 9 बजे अपनी कार से रतलाम के लिये निकल गये और लगà¤à¤— 11.30 बजे रतलाम पहà¥à¤‚च गये। रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के पारà¥à¤•िंग में कार पारà¥à¤• करने के बाद हमने नाशà¥à¤¤à¤¾ वगैरह किया और करीब बारह बजे हमलोगों ने अपनी अपनी बरà¥à¤¥ पर कबà¥à¤œà¤¾ जमा लिया।
मधà¥à¤¯ अपà¥à¤°à¥ˆà¤² का महिना था और अचà¥à¤›à¥€ खासी गरà¥à¤®à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी। आम तौर पर हम लोग गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में टूर नहीं करते हैं, और फिर ये तो गरà¥à¤®à¥€ की à¤à¤°à¥€ दोपहर थी और टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¼à¤¾à¤°à¥à¤® पर रà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ थी, बड़े असहज महà¥à¤¸à¥à¤¸ करते हà¥à¤ हम टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ के चलने का इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° कर रहे थे कà¥à¤› देर के इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° के बाद टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ चल पड़ी और à¤à¤• सà¥à¤•à¥à¤¨ à¤à¤°à¥‡ हवा के à¤à¥‹à¤‚के ने टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया तब जाकर हमने राहत की सांस ली। टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ के सफ़र का आनंद लेते हà¥à¤ तथा खिड़की से बाहर के नज़ारों का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ उठाते हà¥à¤ हम शाम करिब छह बजे मावली पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤
मावली रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरने के बाद करीब ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पहà¥à¤‚च कर कà¥à¤› देर इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° करने के बाद हमें नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के लिये राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ परिवहन की बस मिल गई और कà¥à¤› à¤à¤• घंटे के सफ़र के बाद हमने उस अति पवितà¥à¤° धरती पर अपने कदम रखे जिसके बारे में कहा जाता है कि à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कà¥à¤°à¤·à¥à¤£ आज à¤à¥€ यहां विराजमान हैं। आइये अब कà¥à¤› जानते हैं नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के बारे में –
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के राजसमनà¥à¤¦ ज़िले में उदयपà¥à¤° जाने वाले मारà¥à¤— पर बनास नदी के ठीक दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में à¤à¤• हिंदू तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² है। यहाठवलà¥à¤²à¤ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के वैषà¥à¤£à¤µà¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯ पीठहै। नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सड़क दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उदयपà¥à¤° से 48 किमी दूर है तथा उदयपà¥à¤° से यहाठके लिठबसें चलती हैं। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के मंदिर की मूरà¥à¤¤à¤¿ पहले गोवरà¥à¤§à¤¨ (बà¥à¤°à¤œ) में थी। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ के आकà¥à¤°à¤®à¤£ के समय इस मूरà¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से नाथदà¥à¤µà¤¾à¤° ले आये थे। नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के निकट मावली रेल जंकà¥à¤¶à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सिंहाड़ गà¥à¤°à¤¾à¤® के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बसा हà¥à¤† है। कहा जाता है कि मà¥à¤—़ल बादशाह औरंगज़ेब के शासन काल में मथà¥à¤°à¤¾-वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में à¤à¤¯à¤‚कर तबाही रहा करती थी। इस तबाही से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ को बचाने के लिये शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की मूरà¥à¤¤à¤¿ नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लायी गई थी। मूरà¥à¤¤à¤¿ को नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाने का काम मेवाड़ के राजा राजसिंह ने किया। जिस बैलगाडी में शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ लाये जा रहे थे, उस बैलगाड़ी के पहिये नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ में आकर ही मिटà¥à¤Ÿà¥€ में धंस गये और लाख कोशिशों के बाद à¤à¥€ पहियों को निकाला नहीं जा सका। तब पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ को यहीं सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया।
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ में 17वीं सदी का वैषà¥à¤£à¤µ मंदिर है, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिरों में से à¤à¤• है। मंदिर में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की à¤à¤• पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿ है, जो सामानà¥à¤¯à¤¤: 12वीं सदी ई.पू. की मानी जाती है। यह मूरà¥à¤¤à¤¿ काले पतà¥â€à¤¥à¤° की बनी हà¥à¤ˆ है। इस मूरà¥à¤¤à¤¿ को औरंगज़ेब के कहर से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखने के लिठ1669 ई. में मथà¥à¤°à¤¾ से लाया गया था। मंदिर का गरà¥à¤à¤—ृह शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिठदिन में आठ बार खोला जाता है, लेकिन हर बार सिरà¥à¤«à¤¼ आधे घणà¥â€à¤Ÿà¥‡ के लिà¤à¥¤
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पर उतर कर हमने ऑटो लिया तथा शाम करीब सवा सात बजे हम लोग शà¥à¤°à¥€ नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के गेसà¥à¤Ÿ हॉउस “नà¥à¤¯à¥ कॉटेज” पहà¥à¤‚च गठजहां मैने पहले से ही टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ कि वेबसाइट http://www.nathdwaratemple.org/ से à¤à¤• रà¥à¤® की ऑनलाइन बूकिंग करवा रखी थी, जिससे हमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ परेशानी नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ गेसà¥à¤Ÿ हॉउस की सारी औपचारिकताà¤à¤‚ पà¥à¤°à¥€ करने के बाद हम अपना सामान उठाकर अपने रà¥à¤® की ओर चल दिà¤à¥¤
गेसà¥à¤Ÿ हॉउस (नà¥à¤¯à¥‚ कॉटेज) के बाल उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में….
गेसà¥à¤Ÿ हॉउस से दिखाई देता नये मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤¾à¤§à¥€à¤¨ à¤à¤µà¤¨
कà¥à¤› देर आराम करने के बाद अपने साथ लाई गई मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की समय सारणी में में देखा तो पता चला की यह समय à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की शयन आरती का है जो की अब तक शà¥à¤°à¥ हो गई होगी। यहां यह जानकारी देना पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है की इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की विशेषता है की मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ दिन में आठबार होते हैं (मंगला, शà¥à¤°à¤‚गार, गà¥à¤µà¤¾à¤², राजà¤à¥‹à¤—, उतà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨, à¤à¥‹à¤—, आरती तथा शयन) तथा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पट, हर दरà¥à¤¶à¤¨ के समय सिरà¥à¤«à¤¼ आधे घंटे के लिये ही खà¥à¤²à¤¤à¥‡ हैं, और इन दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की समय सारणी परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ तथा दिवसों के अनà¥à¤°à¥à¤ª बदलती रहती हैं, अत: यहां दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये समय सारणी देखकर ही जाना चहिये। चà¥à¤‚कि अब अब इस समय दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये जाने से कोई मतलब नहीं है अत:हमने सोचा की अब मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सà¥à¤¬à¤¹ ही जाà¤à¤‚गे और फिर रात का खाना वगैरह खा कर हम जलà¥à¤¦à¥€ ही सो गà¤à¥¤
सà¥à¤¬à¤¹ के पहले दरà¥à¤¶à¤¨ (मंगला दरà¥à¤¶à¤¨) का समय ५ बजे का है, चà¥à¤‚कि हम लोग रात के थके हà¥à¤ थे और बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ साथ थे अत: मंगला आरती में शामील होने के लिये सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे जाग नहीं पाये, और जब नींद खà¥à¤²à¥€ तो देखा की ६ बज रहे थे। अगले दरà¥à¤¶à¤¨ ॠबजे (उतà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨) होने थे अत: हम सà¤à¥€ आराम से नहा धो कर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जाने के लिये तैयार हो गà¤à¥¤ हमारे गेसà¥à¤Ÿ हॉउस से मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पैदल दà¥à¤°à¥€ पर ही था अत: हम पैदल ही मंदिर की ओर चल पड़े।
जब हम मंदिर के करीब पहà¥à¤‚चे तो देखा की मंदिर के बाहर बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी, यहां इतनी à¤à¥€à¤¡à¤¼ हमेशा रहà¥à¤¤à¥€ है और इस à¤à¥€à¤¡à¤¼ का कारण होता है मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का हर दो घंटे के बाद सिरà¥à¤«à¤¼ आधे घणà¥à¤Ÿà¥‡ के लिये खà¥à¤²à¤¨à¤¾à¥¤ यहां à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ को बाल रà¥à¤ª में पà¥à¤œà¤¾ जाता है और उनकी समà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤£ सेवा à¤à¤• बालक के रà¥à¤ª में की जाती है, और हमारे सनातन संसà¥à¤•ारों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बचà¥à¤šà¥‡ को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर देखते रहने से उसे नज़र लगने का डर होता है इसीलिये मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पट खà¥à¤²à¤¨à¥‡ के आधे घंटे के बाद ही बंद कर दिये जाते हैं।
जय शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ से सजी दà¥à¤•ान
मंदिर के सामने मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कà¥à¤²à¥à¤¹à¤¡à¤¼ में रबड़ी (पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦) बेचते महाशय
यह मंदिर परंपरागत मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की तरह न होकर à¤à¤• हवेली (पेलेस) के रà¥à¤ª में है, इसीलिये इसे “शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की हवेली” कहा जाता है। इस हवेलीनà¥à¤®à¤¾ मंदिर के अंदर सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, फ़लों à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤§ के छोटे छोटे बाज़ार लगे हà¥à¤ होते हैं जहां से आप ये चीजें खरीद कर मंदिर में दान सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर सकते हैं, जिसे मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की रसोई जो की 11 बजे राजà¤à¥‹à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ के समय बनती है, में उपयोग किया जाता है। हमने à¤à¥€ इस बाज़ार से à¤à¤• लीटर दà¥à¤§ लेकर काउनà¥à¤Ÿà¤° पर जमा करवा दिया और दरà¥à¤¶à¤¨ की लंबी लाईन में लग गà¤à¥¤
महिलाओं तथा पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की कतारें अलग अलग थीं अत:लिंग के आधार पर हमारे परिवार का à¤à¥€ कà¥à¤› देर के लियॆ बंटवारा हो गया। अà¤à¥€ कपाट बंद थे तथा कà¥à¤› देर में खà¥à¤²à¤¨à¥‡ वाले थे, कà¥à¤› देर के इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° के बाद पट खà¥à¤²à¥‡, पहले पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की पंकà¥à¤¤à¥€ को दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये छोड़ा गया और फिर महिलाओं को …………….अनà¥à¤¤à¤¤: कà¥à¤› देर की मशकà¥à¤•त के बाद अब शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी हमारे सामने थे, à¤à¤—वान का इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, सलोना और मोहक रà¥à¤ª देखकर मैं तो कà¥à¤› देर के लिये जैसे समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ में बंध गया था। बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ तो मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया।
आज का पà¥à¤°à¤¾ दिन तथा रात हमें नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ में ही रà¥à¤•ना था अत: हमने सोच रखा था की जितने अधिक बार समà¥à¤à¤µ होगा उतनी बार à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ करेंगे। अब अगले दरà¥à¤¶à¤¨ का समय करीब डेढ घंटे के बाद था और हमें à¤à¥à¤– à¤à¥€ लग रही थी तो हम सब मंदिर से बाहर आ गà¤, नाशà¥à¤¤à¥‡ की खोज में। बाहर निकलते ही हमें à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² पर पोहे तथा खमण दिखाई दिया अत: हम यहीं रà¥à¤• गठऔर नाशà¥à¤¤à¤¾ किया, नाशà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था। अब हमने सोचा की अगले दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ के कà¥à¤› और दरà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤¯ सà¥à¤¥à¤² जैसे शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की गौशाला और लाल बाग गारà¥à¤¡à¤¨ à¤à¥€ देख लिया जाये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगले दिन हमें सà¥à¤¬à¤¹ से ही à¤à¤•लिंग जी दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤ उदयपà¥à¤° जाना था। अत: हमने ये दोनों जगहें घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिये 150 रà¥. में à¤à¤• ऑटो कर लिया।
इस à¤à¤¾à¤— में इतना ही, इस शà¥à¤°à¤‚खला के अगले à¤à¤¾à¤— में शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की गौशाला, लाल बाग और शà¥à¤°à¥€ à¤à¤•लिंग à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ …………….जलà¥à¤¦ ही.