आज हमारा छोटा सा काफिला करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— संगम दरà¥à¤¶à¤¨ करके जोशिमठ, विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— होते हà¥à¤ à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरबार मे हाज़िरी लगाने वाला था. हम लोग आज सà¥à¤¬à¤¹ के सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ अनà¥à¤à¤µ (जिसकी बà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾ आप पिछले लेख मे पढ़ चà¥à¤•े हैं) की आपस मे चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ बाज़ार के रासà¥à¤¤à¥‡ संगम की ओर बढ़ रहे थे जिसके दरà¥à¤¶à¤¨ हमने कल अंधेरे मे किठथे. वैसे तो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की यातà¥à¤°à¤¾ करने वाले हर साथी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ को करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के बारे मे पता होगा पर जो लोग ये यातà¥à¤°à¤¾ अà¤à¥€ तक नही कर पाठहैं उनके लिठसंगम दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की थोड़ी सी जानकारी. à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से आने वाले हर यातà¥à¤°à¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡ मे माठअलकनंदा के पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— आते हैं जहाठमाठअलकनंदा का संगम à¤à¤¾à¤—ीरथी (देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), मंदाकिनी (रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), पिंडर (करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), नंदाकिनी (नंदपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—) और धौलीगंगा (विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—) से होता है. इनà¥à¤¹à¥€ पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—ों मे से à¤à¤• करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— दो पावन नदियों का मनमोहक संगम सà¥à¤¥à¤² होने के अलावा उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के दो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ (गढ़वाल और कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊ) का à¤à¤• बड़ा जंकà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ है. यहीं से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ जोशिमठहोते हà¥à¤ à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¤¿à¤¶ के दरबार की ओर जबकि दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤¦à¤® होते हà¥à¤ बागेशà¥à¤µà¤° व कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊ के अनà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की ओर जाता है. यहाठसे रानीखेत की दूरी लगà¤à¤— उतनी ही बताई जाती है जितनी की यहाठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की, है ना रोचक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨! करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— का ये नाम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• वीर और दानी योदà¥à¤§à¤¾ करà¥à¤£ के नाम पर पड़ा है, à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— दानवीर करà¥à¤£ की तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ थी जहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपने तप से सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करके उनसे अमोघ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कवच पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था. यहाठसंगम के किनारे करà¥à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• मंदिर à¤à¥€ है जहाठपिछली रात हम लोग खà¥à¤²à¥‡ मे सोने आठथे.

अलकनंदा (बाà¤à¤¯à¥€ ओर) और पिंडर (दाà¤à¤¯à¥€ ओर) का लà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ संगम दृशà¥à¤¯

शानदार घाटियों को चीरते हà¥à¤ बदà¥à¤°à¤¿à¤§à¤¾à¤® से आती हà¥à¤ˆ माठअलकनंदा

संगम को इंगित करते हà¥à¤ पà¥à¤¨à¥€à¤¤ (पिंडर) और मैं (अलकनंदा)

संगम पर मसà¥à¤¤à¥€ करते 3 ईडियटà¥à¤¸ (बाà¤à¤¯à¥‡ से दीपक, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और मैं)

मंज़िल की और इशारा करता साइनबोरà¥à¤¡, कà¤à¥€ नीचे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर à¤à¥€ जाà¤à¤à¤—े!
चूà¤à¤•ि आज हमे सिरà¥à¤«à¤¼ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ ही पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था (जो की यहाठसे मातà¥à¤° 125 किमी ही है), इसलिठहम संगम पर काफ़ी देर बैठे मसà¥à¤¤à¥€ करते रहे. संगम का आनंद लेकर और दोनो नदियों के जल से विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व उरà¥à¤œà¤¾ पाकर हम लोग आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलने को तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° थे. ढाबे पर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद, हम लोग सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की बस लेने आ पहà¥à¤à¤šà¥‡. थोड़ी देर इंतेज़ार के बाद, à¤à¤•ाध बसें आई पर सब खचाखच à¤à¤¾à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ, पाà¤à¤µ रखने तक की जगह नही थी, यातà¥à¤°à¤¾ सीज़न मे ये à¤à¤• आम नज़ारा है. काफ़ी देर तक à¤à¤¸à¤¾ होने से कà¥à¤› बैचेनी सी होने लगी और अंत मे ये निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया की अब जो à¤à¥€ बस आठअगर उसमे खड़े होने की à¤à¥€ जगह हो तो चल पड़ेंगे. इस बैचेनी की मà¥à¤–à¥à¤¯ वजह थी जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के मारà¥à¤— पर यातायात को सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ रखने वाली ‘गेट पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€â€™. अब ये कà¥à¤¯à¤¾ बला है, अरे à¤à¤ˆ बला नही à¤à¤²à¤¾ है! जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के बीच के रासà¥à¤¤à¥‡ कà¥à¤› जगहों पर ख़तरनाक व संकरे हैं जिस कारण इस मारà¥à¤— पर दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं को नà¥à¤¯à¥‚नतम करने व यातायात को काबू मे रखने के लिठ‘गेट पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€’ अपनाई जाती है. इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस मारà¥à¤— पर यातायात को à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर दोनो और से (जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से जोशिमठ) à¤à¤• तरफ़ा करके बारी बारी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ रूप से छोड़ा जाता है. इसका मतलब जब à¤à¤• तरफ से गेट खोला जाता है और गाड़ियों की आवाजाही शà¥à¤°à¥‚ होती है तो दूसरी और गेट बंद करके यातायात को कà¥à¤› देर के लिठरोक लिया जाता है ताकि दूसरी ओर से आ रही गाड़ियाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रूप से रासà¥à¤¤à¤¾ तय कर सकें. जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के लिठपहला गेट लगà¤à¤— सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे और फिर कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ 9 बजे, 11:30 बजे, 2 बजे और अंतिम गेट लगà¤à¤— 4 बजे (कृपया इस जानकारी को जाने से पूरà¥à¤µ à¤à¤• बार सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लें) खोला जाता है और लगà¤à¤— à¤à¤¸à¤¾ ही बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से जोशिमठआते समय à¤à¥€ होता है.
थोड़ी देर मे हमे à¤à¤• बस आती दिखाई दी, लेकिन ये कà¥à¤¯à¤¾ ये तो केवल जोशिमठतक ही थी. हमने सोचा चलो जोशिमठतक ही सही वहाठसे तो कोई जीप आदि à¤à¥€ मिल जाà¤à¤—ी लेकिन अगर गेट बंद हो गया तो रात जोशिमठमे ही बितानी पड़ेगी. खà¥à¤¶à¤•िसà¥à¤®à¤¤à¥€ से चढ़ते ही थोड़ी देर मे बैठने की सीट à¤à¥€ मिल गयी और हमारे रोमांचक सफ़र के पहिठफिर दौड़ने लगे. शानदार हरे à¤à¤°à¥‡ पहाड़, घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° मोड़, माठअलकनंदा का साथ और उस पर बस मे बज रहे मधà¥à¤° पहाड़ी गीतों का तड़का सब मिलकर इसे à¤à¤• रूहानी सफ़र बना रहे थे, लगता था मानो ये सफ़र बस यूठही चलता रहे. वाकई मंज़िल से खूबसूरत तो ये सफ़र लग रहा था, à¤à¤¸à¤¾ सोचते हà¥à¤ हम लोग चले ही जा रहे थे कि अचानक बस रà¥à¤•ने सी लगी, पूछा तो पता चला की दूसरी तरफ से वाहनों की आवाजाही की वजह से इस तरफ का यातायात रोक दिया गया था. जिस जगह पर हमारी बस रà¥à¤•ी थी, ये जगह थी बिरही जो की चमोली और पीपलकोटी के बीच à¤à¤• छोटा सा दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है और यहीं पर अलकनंदा का संगम बिरही गंगा से होता है. यहाठहमारी बस लगà¤à¤— 1 घंटे खड़ी रही और इस बीच हम आसपास की खूबसूरती का मज़ा लेते रहे.

बिरही मे यातायात खà¥à¤²à¤¨à¥‡ का इंतेज़ार करते हà¥à¤
हम लोग पैदल घूमते घूमते कà¥à¤› आगे तक निकल आठथे कि यातायात खà¥à¤²à¤¤à¤¾ दिखाई दिया और हम लोग अपनी बस का इंतेज़ार करने लगे. जैसे ही बस नज़दीक आई, हम लोगों ने अपनी अपनी सीटों पर वापिस क़बà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर लिया. यहाठसे जोशिमठकी दूरी लगà¤à¤— 37 किमी थी जिसका मतलब हमे अà¤à¥€ 2 घंटे और बस का सफ़र करना था जोशिमठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिà¤. खैर हम लोग सही समय पर जोशिमठपहà¥à¤à¤š गये और यहाठउपर जाने वाली गाड़ी का इंतेज़ार करने लगे जो संयोगवश हमे थोड़ी ही देर मे मिल गयी. हमारी जीप मे दो विदेशी यà¥à¤—ल à¤à¥€ मौजूद थे जो पà¥à¤¨à¥€à¤¤ के लिठà¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ टाइम पास साबित हà¥à¤†. पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ वह उन लोगों से हà¤à¤¸à¥€ मज़ाक करता रहा, यहाठतक की उसने यà¥à¤µà¤¤à¥€ से हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤® का गाना तक गवा डाला. इन दोनो विदेशियों की à¤à¤• रोचक कहानी हमे अगले दिन बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मे पता चली जिसका बà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¾ अगले लेख मे दिया जाà¤à¤—ा. जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के खूबसूरत रासà¥à¤¤à¥‡ मे हमे पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—ों मे अंतिम विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं जो जोशिमठसे लगà¤à¤— 12 किमी की दूरी पर है और अलकनंदा व धौलीगंगा का सà¥à¤‚दर संगम सà¥à¤¥à¤² है. संगम से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ हैरान कर देने वाली खूबसूरत उà¤à¤šà¥€ उà¤à¤šà¥€ पहाड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से होता हà¥à¤† जाता है और अलकनंदा à¤à¥€ यहाठइन विशाल चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤• छोटी सी धारा के समान पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है.

धौलीगंगा (बाà¤à¤¯à¥‡) और अलकनंदा (दाà¤à¤¯à¥‡) का सà¥à¤‚दर संगम सà¥à¤¥à¤² – विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— (किसी अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लिया गया फोटो)

उà¤à¤šà¥€ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच से बहती अलकनंदा की अविरल धारा (किसी अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लिया गया फोटो)

सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ सफ़र की गवाही देते सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡
इन खूबसूरत रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से पहले अगला दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है गोविनà¥à¤¦à¤˜à¤¾à¤Ÿ जहाठसे अलकनंदा को पार करके सिखों के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बसे गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ शà¥à¤°à¥€ हेमकà¥à¤‚ड साहिब जी और मनमोहक फूलों की घाटी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है. हमारे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® मे वैसे ये दोनो खूबसूरत सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€ शामिल थे लेकिन यहाठआने पर पता चला की इन जगहों की यातà¥à¤°à¤¾ तब तक खà¥à¤²à¥€ नही थी, इसलिठइन जगहों को किसी और यातà¥à¤°à¤¾ के लिठछोड़ दिया गया (इन दोनों जगहों की रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾ इस साल पूरी कर ली गयी है जिसका लेखा जोखा किसी और दिन पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया जाà¤à¤—ा). बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से कà¥à¤› पहले हमारी जीप रासà¥à¤¤à¥‡ मे 2/3 बार थोड़ी थोड़ी देर के लिठरà¥à¤•ी जिसकी वजह थी रासà¥à¤¤à¥‡ मे पड़ी बरफ. पहले बार जीप काफ़ी देर तक खड़ी रहे तो मैने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ तक पैदल चलने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जिसे खारिज कर दिया गया. हम वहीं खड़े खड़े बरà¥à¤« का मज़ा लेने लगे और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होते रहे.  खैर सांठढलने से कà¥à¤› पहले हम लोग बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š गये.

दीपक (बाà¤à¤¯à¥‡) और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ (दाà¤à¤¯à¥‡) बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर

दीपक à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को दिखाते साइनबोरà¥à¤¡ के साथ
चूà¤à¤•ि आज सिरà¥à¤«à¤¼ मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ से रहने का ठिकाना ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ लगे जिसमे काफ़ी देर लग गयी. आज की रात हम लोग डौरमैटà¥à¤°à¥€ मे गà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤° रहे थे, यहीं अपना सारा सामान छोड़कर हम लोग दरà¥à¤¶à¤¨ करने से पहले सलà¥à¤«à¤° यà¥à¤•à¥à¤¤ तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के जल मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने निकल पड़े. सबसे पहले हम तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के पास गये पर उसका जल इतना गरà¥à¤® था की हम लोगों की उसमे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने की हिमà¥à¤®à¤¤ नही पड़ी इसलिठहम लोग à¤à¤• दूसरे कà¥à¤‚ड नारद कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने लगे जो की खà¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मे था और कम गरà¥à¤® था. नारद कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना उस ठंडे माहौल मे इतना ताज़गी देने वाला और सà¥à¤–द अहसास था कि कà¥à¤‚ड से बाहर आने का मन ही नही कर रहा था.

तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के पास रंग बिरंगा पà¥à¤² और पीछे बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियाà¤
जैसे जैसे सूरज ढल रहा था ठंड बढ़ती जा रही थी à¤à¤¸à¥‡ मे पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और दीपक ने अपने गरà¥à¤® कपड़े निकाल लिà¤, पर ये कà¥à¤¯à¤¾ जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¤¼à¥€ मे मैं तो अपनी जैकेट लाना ही à¤à¥‚ल गया था. सोचा चलो कोई बात नही यहीं बाज़ार से गरम कपड़े ले लेंगे, पर जैसे ही सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद हम लोग रंग बिरंगे बाज़ार से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजा रहे थे तो ठंड ने अपना असर दिखना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और शरीर मे कà¤à¤ªà¤•पी होने लगी. à¤à¤¸à¥‡ मे तो राहत तब ही मिली जब हमने बाज़ार से कà¥à¤› गरम कपड़े लिà¤. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ (3133 मी.) उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के चारधामों मे से à¤à¤• है जहाठà¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ à¤à¤• रंग बिरंगे आकरà¥à¤·à¤• मंदिर के अंदर विराजमान हैं. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ आकर वकà¥à¤¤ जैसे रà¥à¤• सा जाता है और यहाठकी बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ हसीन वादियाठआप को इन वादियों मे खो जाने पर मजबूर कर देती हैं.
हम लोग मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपहà¥à¤à¤šà¥‡ तो à¤à¤• लंबी कतार देखकर पहले तो लगा कि आज दरà¥à¤¶à¤¨ हो पाना लगà¤à¤— मà¥à¤¶à¥à¤•िल ही है लेकिन ये सोचकर लाइन मे लगे रहे कि हो सकता है कि कल à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¥€à¤¡à¤¼ हो और अगले दिन हमे काफ़ी कà¥à¤› देखना था और वापस जोशिमठà¤à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था. खैर मंदिर बंद होने से कà¥à¤› पहले ही हमे मंदिर मे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने और à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†. दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम लोग à¤à¥‚ख से आतà¥à¤° à¤à¤• ढाबे मे लज़ीज़ खाने का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेने पहà¥à¤à¤šà¥‡ और फिर घूमते घामते अपने रात के ठिकाने पर पहà¥à¤à¤šà¥‡. आज ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ना चलने के बावजूद à¤à¥€ थकान से हम सà¤à¥€ बेहाल थे इसलिठडौरमैटà¥à¤°à¥€ मे आते ही कल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठने के वादे के साथ बिसà¥à¤¤à¤° पर लमलोट हो गये और ना जाने कब आà¤à¤– लग गयी पता ही नही चला. आज के लिठइतना ही लेकिन ये रोमांचक सफ़र आगे à¤à¥€ जारी रहेगा अगले लेख मे…
विपिन जी बहुत अच्छा यात्रा विवरण हैं…धन्यवाद….
Once again a marvel from your side . One of most prolific writers and photographers I have ever seen in both the languages . Keep it up Vipin. I hope so you are recovering well …
Kafee acha laga hindi main padna… chama chatha hoon kee mujeh hindi main type karna nahin aata. Is leeye english main type kar raha hoon. In teerthsthanon ke bare main padh kar bahul acha laga. Prabhu icha hui to ek din main bhee avashya jaoonga.
Kafee sunder chayachitra hain
आपकी इस कड़ी में जेम्स बोंड कम थे , हे हे | बद्रीनाथ की इतनी यात्राएं पढ़ कर अब लगता है की बहुत हो गया और निकल लो इस ओर | बिना जल्दबाजी की यात्रा का सुख साफ़ झलकता है आपके इस लेख में | अगले अध्याय के इंतज़ार में | जय हिन्द |
@ प्रवीण जी, लेख पसंद करने के लिए शुक्रिया.
@ Vishal bhai, thank you very much for your encouraging words. Yes, i am healing well…
@ देसी ट्रैवलर जी, मुझे ख़ुशी है कि आपको लेख पसंद आया. आप तो वैसे ही घुमक्कड़ प्रजाति से हैं…तो आपका यहाँ आना तो बनता है…:)…
@ शुक्रिया नंदन टिप्पणी के लिए. जेम्स बांड 007 से 000 हो गए थे…:)…दुआ करते हैं आपको जल्द ही इस मनोरम जगह के दर्शन हों…
विपिन जी….
सुन्दर यात्रा वृतान्त के साथ मनोरम चित्रों से सजा लेख मुझे बहुत अच्छा लगा…..उसके के लिये आपको धन्यवाद….|
आपकी यात्रा से हमने एक बार फिर से अपनी बद्रीनाथ की यात्रा को याद किया…..| लिखते रहिये…..
जय हो बद्री विशाल की…..
रीतेश….
Vipin,
A very interesting and informative post with beautiful pictures. Gone through the post thoroughly and enjoyed each word and picture. Did you not gone to Mana village?
Thanks.
@ रितेश भाई, उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार! जय बद्री विशाल…
@ Mukesh ji, thank you for your kind words. Shall take you not only till Mana but 5 km further till Vasudhara Falls in the next story…hope you like it as well…:)…
बहुत ही बढ़िया विवरण है और फोटो का तो कहना ही क्या. नंदन की बद्रीनाथ के बारे में कमेन्ट से पूर्णतया सहमत हूँ, अनगिनत बार पढ़ चुके हैं लगता है जाना ही होगा.
दीपेन्द्र जी, लेख और फोटोज पसंद करने के लिए धन्यवाद। आपके लिए भी ईश्वर से कामना है कि आपको जल्द ही इस पावन स्थल के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हो!
Very good post. Like the carefree manner in which this post has been penned.
RRG
Rishi Ji, I am glad that you liked the post…
प्रिय विपिन,
बद्रीनाथ धाम की हज़ारों फोटो देखी हैं पर रात्रि में लिया गया ये चित्र पहली बार ही देखने को मिला है। मैं मूलतः देहरादून का वासी हूं और जब 18 साल का भी नहीं हुआ था तो अपने पड़ोसी की एंबेसेडर कार में मुहल्ले के दस-बारह बच्चों को भर कर बिना किसी को बताये, चुपके से मसूरी तक घुमा कर लाया था। वापस लौट कर आया तो पिताजी ने पिटाई भी की थी ! अपनी ये शर्मनाक कहानी सुनाने की वज़ह यह उत्सुकता है कि क्या मेरे जैसे किसी अव्यावसायिक ड्राइवर को बद्रीनाथ धाम तक खुद कार ड्राइव करके ले जानी चाहिये?
तारीफ के पुल बाद में बांधूंगा, फिलहाल सिर्फ आशीर्वाद !
सुशान्त सिंहल
सुशान्त जी, जब आप मसूरी तक जा सकते हैं तो निःसंदेह बदरीधाम तक भी जा सकते हैं, बस थोड़ी सतर्कता और सावधानी की जरुरत है…हम जल्द ही आपके कैमरे से बदरीधाम के दर्शन करना चाहेंगे…
Very Nice narration…& very lively pics.
Really enjoyed reading it.. Keep it up.
Very nice description..!!
I myself, is a resident of this mountain region. The way you have narrated your journey is quite astonishing. ;-)