इससे पहले की मैं अपना यातà¥à¤°à¤¾ वृतांत पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ करूà¤, आप सà¤à¥€ पाठकों को मेरा सादर नमसà¥à¤•ार।
पिछले कà¥à¤› दिनों से à¤à¤• अति महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ करने की हमने सोच रखी थी और वो कारà¥à¤¯ था अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का मà¥à¤‚डन। दिलà¥à¤²à¥€ वासी होने के नाते कà¥à¤› लोगों ने मà¥à¤‚डन कालकाजी मंदिर में करने का विकलà¥à¤ª दिया तो तो कà¥à¤› ने कहा की अपने घर के समीप सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मलय मंदिर में ही करवा लो। किनà¥à¤¤à¥ मन में बारमà¥à¤¬à¤¾à¤° केवल à¤à¤• ही जगह का नाम आ रहा था और वो था हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤
मारà¥à¤š का महीना मौसम की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से थोड़ा अनà¥à¤•ूल लग रहा था किनà¥à¤¤à¥ अगले डेढ़ माह तक कोई मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ न होने (खरमास चल रहा था) के कारण हमने अपनी योजना को थोड़ा आगे खिसका दिया और यह तय किया की अगले माह 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² (वैसाखी) के दिन हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठनिकलेंगे और 14 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² (सकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति) के दिन मà¥à¤‚डन संसà¥à¤•ार करवा लेंगे। सबकà¥à¤› सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लेने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अब बारी थी ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करने की।  थोड़ा गूगल किया तो à¤à¤• नवनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होटल ‘हयात पà¥à¤²à¥‡à¤¸’ का पता चला जो की हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से लगà¤à¤— 14 किलोमीटर पहले बहादराबाद नाम की जगह पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।  हमने सोचा की अपनी गाडी से जा रहे है तो थोड़ा पहले रà¥à¤•ना ठीक रहेगा और फिर आराम से गाड़ी निकालकर अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° चले जायेंगे।  बाकी होटल में किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार कोई कमी तो नजर नहीं आयी और यह हमें पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¥€ लगा। Â
होटल सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लेने के बाद अब बारी थी किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ पंडित जी से बात करने की जो तय समय और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हमे मिल जाये और हमारा काम सही ढंग से पूरा कर दे। à¤à¤• बार फिर से गूगल की सहायता ली और à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ वेबसाइट का पता चला जो मातà¥à¤° 3500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में ही पंडित, पूजा सामगà¥à¤°à¥€ और नाई की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करवा देते है। हमें लगा की इससे बेहतर और कà¥à¤¯à¤¾ होगा की सब कà¥à¤› हमें रेडीमेड मिल जायेगा और आराम से सारी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ पूरी हो जायेगी। बिना समय गंवाठहमने 501 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ वेबसाइट के बताये हà¥à¤ अकाउंट में ऑनलाइन टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर कर दिठऔर शीघà¥à¤° ही हमे हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के à¤à¤• पंडित जी का फ़ोन नंबर वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸à¤…प के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥€ हो गया। दिये गये नंबर पर संपरà¥à¤• साधने के बाद हमने पंडित जी से 14 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को सà¥à¤¬à¤¹ 10:30 बजे हर की पौढ़ी पर बचà¥à¤šà¥€ के मà¥à¤‚डन संसà¥à¤•ार हेतॠमिलने के लिये कहा जो की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से सà¥à¤µà¥€à¤•ार à¤à¥€ कर लिया।
तो पाठकों 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², वैशाखी के दिन, सà¥à¤¬à¤¹ 6:30 बजे हम तीन लोग (पति, पतà¥à¤¨à¥€ और सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤°à¥€) अपनी विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ मारà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤«à¥à¤Ÿ में सवार होकर निकल पड़े दिलà¥à¤²à¥€ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की तीन दिवसीय यातà¥à¤°à¤¾ पर। योजना के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हमे 11 बजे तक या उससे पहले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š जाना चाहिठथा ताकि होटल में चेक इन करने के बाद थोड़ा आराम करके हम लोग शाम को गंगा मैया की आरती में शामिल हो सकते। किनà¥à¤¤à¥ हमे बिलकà¥à¤² à¤à¥€ यह अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं था की आज तो वैशाखी का परà¥à¤µ है और लाखों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ लोग सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के लिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की तरफ जायेंगे।और फिर सरकारी अवकाश à¤à¥€ तो बहà¥à¤¤ सारे पड़ रहे थे इस सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में जिसका फायदा हर कोई उठाना चाहता था। दिलà¥à¤²à¥€ से मेरठतक हमने बिना किसी रूकावट के अपनी यातà¥à¤°à¤¾ तय की और थोड़ी देर ‘चीतल गà¥à¤°à¥ˆà¤‚ड’ में रूककर नाशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ हम लोग अपनी आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल पड़े किनà¥à¤¤à¥ कहानी में अà¤à¥€ पहला टà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ आना बाकि था।
तो हà¥à¤† यूठकी हम लोग अà¤à¥€ आधी दूरी तय कर चà¥à¤•े थे और लगà¤à¤— आधा रासà¥à¤¤à¤¾ अà¤à¥€ बाकी था जो कि अगले 2 घंटे में पूरा हो जाता किनà¥à¤¤à¥ यहाठतो हाईवे पर à¤à¤¯à¤‚कर जाम लगा हà¥à¤† था जिसका कारण था अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾, जो सà¤à¥€ पावन सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिये हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की तरफ निकले थे। जहां हम लोग दोपहर 12 बजे तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे वहां हमें जाम से जूà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दोपहर का 1 बज गया। धीरे धीरे कछà¥à¤ की चाल से गाडी चलते हà¥à¤ लकà¥à¤¸à¤° की तरफ जाने वाले मारà¥à¤— पर पहà¥à¤à¤š गयी और टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने हमे उसी मारà¥à¤— से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने की लिठकहा। यहाठपर हम दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ में पड़ गये की हमारा हयात पà¥à¤²à¥‡à¤¸ होटल तो बहादराबाद मारà¥à¤— पर है और यदि हम लकà¥à¤¸à¤° की तरफ से जायेंगे तो हम सीधे हर की पौढ़ी पर पहà¥à¤‚चेंगे, जिसकी वजह से हमे अपनी होटल बà¥à¤•िंग कैंसिल करवानी पड़ेगी। खैर हमने और कोई विकलà¥à¤ª न होने की वजह से लकà¥à¤¸à¤° की तरफ गाडी घà¥à¤®à¤¾ दी और होटल में फ़ोन करके बोल दिया की रोड डायवरà¥à¤¸à¤¨ के कारण अब हमारा वहां पहà¥à¤‚चना नामà¥à¤®à¤•िन है।
किसी तरह हम लोग लकà¥à¤¸à¤° होते हà¥à¤¯à¥‡ पहà¥à¤à¤š गये हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, हर की पौढ़ी, किनà¥à¤¤à¥ यहाठà¤à¥€ टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था और हम लोग चाहकर à¤à¥€ अपनी गाडी को कहीं रोककर होटल नहीं तलाश पा रहे थे। हमने ‘यू टरà¥à¤¨’ लेकर अपनी गाडी वापिस दिलà¥à¤²à¥€ वाले मारà¥à¤— की तरफ घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ और लगà¤à¤— 3 किलोमीटर चलने के बाद अचानक à¤à¤• चमतà¥à¤•ार हà¥à¤† और हमारे सामने बहà¥à¤¤ सारे होटल दिखाई देने लगे।  उनà¥à¤¹à¥€ में से à¤à¤• होटल ‘कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤² गंगा हाइटà¥à¤¸’ हमे बहà¥à¤¤ पसंद आया जो की सà¥à¤ªà¥‡à¤¸à¤¿à¤¯à¤¸ होने के साथ ही कार पारà¥à¤•िंग à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ करवा रहा था।  यहाठपर हमने à¤à¤• ‘सà¥à¤ˆà¤Ÿ’ अगले तीन दिनों के लिये बà¥à¤• किया जिसका टैरिफ (विथ बà¥à¤°à¥‡à¤•फासà¥à¤Ÿ)  6000 रूपठपर-डे के हिसाब से तय हà¥à¤†à¥¤  इस होटल की सबसे अचà¥à¤›à¥€ खासियत यह थी की बिलकà¥à¤² हाईवे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और होटल के गेट पर ही आपको बैटरी रिकà¥à¤¶à¤¾ वाले आकर पिक कर लेते है है और हर की पौढ़ी, मनसा देवी या फिर चंडी देवी मंदिर जहाठà¤à¥€ आप जाना चाहे आपको ले जाते हैं। इस होटल की à¤à¤• और ख़ास बात यह है की यहाठका खाना बेहद लाजवाब है, और होटल सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« à¤à¥€ काफी फà¥à¤°à¥‡à¤‚डली है। इसके अतिरिकà¥à¤¤, हमने यहाठकà¥à¤› जरà¥à¤°à¥€ सामान ‘बà¥à¤²à¤¿à¤‚किट अपà¥à¤ª’ के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ मंगवाया जो की बड़ी ही आसानी से मातà¥à¤° दस मिनट में हम तक पहà¥à¤à¤š गया।  अब कà¥à¤¯à¥‚ंकि आधा दिन हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में ही बीत गया था इसलिठशाम को गंगा आरती में जाने का हमारा पà¥à¤²à¤¾à¤¨ आज कैंसिल हो गया और हमने होटल में ही आराम किया, फिर शाम को डाइनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में जाकर डिनर किया और वापिस रूम में आकर सो गये। Â

अगले दिन दिनांक 14 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को हमने सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ से सारा काम निबटाया, होटल में बà¥à¤°à¥‡à¤•फासà¥à¤Ÿ किया और होटल के गेट से à¤à¤• बैटरी रिकà¥à¤¶à¤¾ लेकर पहà¥à¤à¤š गठसीधा हर की पौढ़ी जहाठपर पहले से ही असंखà¥à¤¯ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ गंगा मैया में डà¥à¤¬à¤•ी लगा रहे थे। खैर हमारा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ वाला तो कोई काम नहीं था और हमे केवल बचà¥à¤šà¥€ का मà¥à¤‚डन ही करवाना था इसलिठयहाठपहà¥à¤à¤š कर पहले तो अपने ऑनलाइन वाले पंडित जी जो फ़ोन किया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी लोकेशन बताई, उसके बाद à¤à¤• फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤° à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ से मà¥à¤‚डन की फोटोज लेने के लिये बात की और उसके बाद वहीठघाट के पास à¤à¤• ढाबे वाले से जरूरतमंद लोगों को à¤à¥‹à¤œà¤¨ वितरण करने हेतॠअपना आरà¥à¤¡à¤° दे दिया। सारा काम योजनाबदà¥à¤§ तरीके से हो रहा था और कà¥à¤› ही समय में पंडित जी à¤à¥€ हमे मिल गये किनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमे दस मिनट वहीठपर बैठकर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने को कहा कà¥à¤¯à¥‚ंकि वो किसी और कारà¥à¤¯ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे। हमे कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं थी अतः हमने उनकी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करना मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤¬ समà¤à¤¾à¥¤ किनà¥à¤¤à¥ अà¤à¥€ कहानी में दूसरा टà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ आना बाकि था। धूप से बचने को मैंने à¤à¤• छाता खरीद लिया था जिसकी ओट में हम तीन लोग अपने ऑनलाइन पंडित जी की गंगा किनारे पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहे थे किनà¥à¤¤à¥ गरà¥à¤®à¥€ इतनी अधिक लग रही थी की पंदà¥à¤°à¤¹ मिनट का वो इंतज़ार à¤à¥€ बड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ लगने लगा। खैर हमने अपने ऑनलाइन पंडित जी को फ़ोन किया जो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नहीं उठाया फिर मैसेज किया जो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नहीं देखा। मà¥à¤à¥‡ लगा की शायद वो यहीं कहीं आस पास होंगे इसलिठखà¥à¤¦ ही चलकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤²à¤¾ लाता हूठऔर अà¤à¥€ थोड़ा सा ही चला था की देखा की हमारे ऑनलाइन पंडितजी किनà¥à¤¹à¥€ दो बचà¥à¤šà¥‹ वाले परिवार की पूजा पाठकरवाने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे। दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को देखकर लग रहा था की दोनों ही मà¥à¤‚डन हेतॠआये हà¥à¤¯à¥‡ थे और उनका कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤¯à¥‡ थोड़ा ही समय हà¥à¤† था जिसमे आराम से à¤à¤• से डेढ़ घंटे का समय लगने वाला था।
यह बात मà¥à¤à¥‡ कदापि अचà¥à¤›à¥€ नहीं लगी कà¥à¤¯à¥‚ंकि à¤à¤• हफà¥à¤¤à¥‡ पहले से ही मैंने पंडित जी को सà¥à¤¬à¤¹ साढ़े दस बजे के लिये बोल रखा था और हम सही समय पर पहà¥à¤à¤š à¤à¥€ गये थे।  जब सारी बात सारा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® पहले से ही तय था तो पंडित जी को हमे इस पà¥à¤°à¤•ार पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ नहीं करवानी चाहिये थी, दिल में यही गà¥à¤®à¤¾à¤¨ लिये मैं वापिस अपनी जगह पर आया और अपनी धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ से कहा की अब हम इस पंडित से मà¥à¤‚डन नहीं करवायेंगे।  बस इतना बोलने की देर था की अगले ही कà¥à¤·à¤£ à¤à¤• पंडित और à¤à¤• नाई सà¥à¤µà¤¯à¤‚ हमारे पास आकर बोले की आइये हम आपका मà¥à¤‚डन कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ कर देते हैं। मैंने à¤à¥€ अब मन बना लिया था की बिना देर किये अब हमें उनकी सेवा ले लेनी चाहिये।  देखते ही देखते पूजा आरमà¥à¤ हो गयी, फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤° आ गया और पंडित जी ने दो चार मंतà¥à¤° बोलकर अपनी दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ à¤à¥€ ले ली।  नाई महाराज ने à¤à¥€ हाथ की सफाई दिखाते हà¥à¤ पांच छह मिनट में अपना काम निपटा दिया और हम लोग मातà¥à¤° 20 – 25  मिनट में अपनी पूजा पाठसंपनà¥à¤¨ कर चà¥à¤•े थे। Â

की तà¤à¥€ अपने ऑनलाइन पंडित जी हमे ढूंढते हà¥à¤¯à¥‡ उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤š गये जहाठहमारी पूजा का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चल रहा था।  अपने हाथ से ‘कसà¥à¤Ÿà¤®à¤°’ निकलता देख ऑनलाइन पंडित जी कà¥à¤°à¥‹à¤§ से तमतमा रहे थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमे यह बोलकर दोषारोपण करना शà¥à¤°à¥‚ किया की आप लोग मेरा इंतज़ार किये बिना चले गये और मेरा फ़ोन à¤à¥€ नहीं उठा रहे।  अंततः उनको ठंडा करने के लिठमà¥à¤à¥‡ थोड़ा गरà¥à¤® होना पड़ा और दो चार शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ होते ही वो वहां से रफूचकà¥à¤•र हो गये। कहीं न कहीं न उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस बात का आà¤à¤¾à¤¸ था की गलती उनà¥à¤¹à¥€ की थी किनà¥à¤¤à¥ हाथ से दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ निकलते हà¥à¤¯à¥‡ देखकर वो वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गये।  मामले को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तूल न देते हà¥à¤¯à¥‡ हमने à¤à¥€ हंसी ख़à¥à¤¶à¥€ बेटी का मà¥à¤‚डन संसà¥à¤•ार पूरà¥à¤£ किया और सीधे पहà¥à¤à¤š गये ढाबे वाले के पास जहाठहमने à¤à¥‹à¤œà¤¨ वितरण हेतॠबात कर रखी थी।  इन ढाबे वालो के पास à¤à¥‹à¤œà¤¨ की कोई कमी नहीं होती और यह लोग पहले से ही खाना बनाकर रख लेते हैं, बस आपको इनà¥à¤¹à¥‡ धन à¤à¥à¤—तान करना है और हाथोंहाथ आपका à¤à¥‹à¤œà¤¨ वितरित हो जाता है जिसकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ यही लोग कर देते है।  और इस पà¥à¤°à¤•ार हमारा आज का दिन à¤à¥€ आधा निकल गया और हम बैटरी रिकà¥à¤¶à¤¾ लेकर वापिस अपने होटल आ गये।      Â

अगले दिन दिनांक 15 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को हम लोगों ने माठमनसा देवी मंदिर जाने का तय किया जिसके लिये हम लोग होटल से साढ़े नौ बजे तक निकल गये थे।  योजनाबदà¥à¤§ तरीके से होटल के गेट से बैटरी रिकà¥à¤¶à¤¾ लिया और उड़नखटोला टिकट काउंटर पर पहà¥à¤‚चकर मैंने टिकट के लिये लाइन लगायी।  बचà¥à¤šà¥‡ के साथ पैदल मारà¥à¤— से जाना और वो à¤à¥€ धूप में थोड़ा कठिन लग रहा था इसलिये हमने उड़नखटोला से जाना ही सही समà¤à¤¾à¥¤ टिकट लेने में मà¥à¤à¥‡ आधा घंटा लग गया और उसके बाद उड़नखटोला लेने के लिठà¤à¤• घंटा इंतज़ार किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ हम लोग माठमनसा देवी के मंदिर में पहà¥à¤à¤š पाये और अचà¥à¤›à¥‡ से दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हमने वहां से वापिस अपने होटल में आने का तय किया कà¥à¤¯à¥‚ंकि बचà¥à¤šà¥€ à¤à¥€ थोड़ा थकने लगी थी और हम à¤à¥€ गरà¥à¤®à¥€ से थोड़ा चिंतिति हो रहे थे। Â

उड़नखटोले से नीचे आये, फिर कदमताल करते हà¥à¤¯à¥‡ रिकà¥à¤¶à¤¾ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर पहà¥à¤‚चे और अंततः à¤à¤• ऑटो लेकर वापिस अपने होटल में आ गये जहाठहमने ठीक से आराम और दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ किया।  इन सब पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं में हमारे तीन दिन कब बीत गये हमे पता ही नहीं चला और अगले दिन दिनांक 16  अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ साढ़े नौ बजे के आस पास हमने अपने होटल से दिलà¥à¤²à¥€ तक की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की जिसमे करीब चार घंटे की यातà¥à¤°à¤¾ करके हम लोग सकà¥à¤¶à¤² अपने घर पहà¥à¤à¤š गये। घर आते ही सबसे पहले ईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया की हमारी यातà¥à¤°à¤¾ सफल और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रही और साथ ही बेटी का मà¥à¤‚डन संसà¥à¤•ार à¤à¥€ ठीक से हो गया। अपने इस छोटे से यातà¥à¤°à¤¾ वृतांत को अब मैं यहीं पर पूरà¥à¤£ करता हूठऔर आशा करता हूठकी आप सà¤à¥€ को यह वृतांत पसंद आया होगा। Â
जय गंगा मैया।