सà¥à¤¬à¤¹ उठà¥à¤•र नहा-धोकर आशà¥à¤°à¤® पर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद महाराज जी से मिले और उनका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेकर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की ओर चल दिये। ऋषिकेश से निकलते ही तेज बारिश शà¥à¤°à¥ हो गयी और हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक पà¥à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ में बारिश होती रही और इसलिये हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में हमें काफ़ी समय लग गया। मà¥à¤à¥‡, शà¥à¤¶à¥€à¤² और सीटी को छोड़कर बाकी पाà¤à¤š लोगों की यह पहली हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ थी।
“हिनà¥à¤¦à¥€ में, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° का अरà¥à¤¥ हरि “(ईशà¥à¤µà¤°)” का दà¥à¤µà¤¾à¤° होता है। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के सात पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ (सपà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥€ -अयोधà¥à¤¯à¤¾, मथà¥à¤°à¤¾, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° ,वाराणसी, कांचीपूरमà¥, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा)  में से à¤à¤• है। 3139 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अपने सà¥à¤°à¥‹à¤¤ गौमà¥à¤– (गंगोतà¥à¤°à¥€ हिमनद) से 253 किमी की यातà¥à¤°à¤¾ करके गंगा नदी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में गंगा के मैदानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹ में पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करती है, इसलिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤° को गंगादà¥à¤µà¤¾à¤° के नाम सा à¤à¥€ जाना जाता है, जिसका अरà¥à¤¥ है वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जहाठपर गंगाजी मैदानों में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करती हैं। गंगा नदी के किनारे बसा हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हरि तक पहà¥à¤‚चने का दà¥à¤µà¤¾à¤° सदियों से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता रहा है। इस शहर की पवितà¥à¤° नदी में डà¥à¤¬à¤•ी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिठसाल à¤à¤° शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का आना जाना यहां लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हà¥à¤ˆ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से ही मैदानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करती है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के चार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° ही है। संपूरà¥à¤£ हरिदार में सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ , शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ और अनेक नठपà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मंदिर बने हà¥à¤ हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहाठअमृत की कà¥à¤› बूà¤à¤¦à¥‡à¤‚ à¤à¥‚ल से aअमृत-कà¥à¤²à¤¶ से तब गिर गयीं जब खगोलीय पकà¥à¤·à¥€ गरà¥à¤¡à¤¼ उस aअमृत-कà¥à¤²à¤¶ को समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन के बाद ले जा रहे थे। जिन चार सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अमृत की बूंदें गिरीं वे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हैं:- उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, नासिक, और पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—| आज ये वही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हैं जहां कà¥à¤®à¥à¤ मेला चारों सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में से किसी à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ 3 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में और हर 12वें वरà¥à¤· इलाहाबाद में महाकà¥à¤®à¥à¤ के रà¥à¤ª में आयोजित किया जाता है। पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से करोडों तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€, à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨, और परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• यहां इस समारोह को मनाने के लिठà¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं और गंगा नदी के तट पर शासà¥à¤¤à¥à¤° विधि से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ करते हैं।
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जहाठपर अमृत की बूंदें गिरी थी उसे हर-की-पौडी पर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® कà¥à¤‚ड माना जाता है जिसका शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ है ‘ईशà¥à¤µà¤° के पवितà¥à¤° पग’। हर-की-पौडी, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के सबसे पवितà¥à¤° घाट माना जाता है और पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जतà¥à¤¥à¥‡ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ या पवितà¥à¤° दिवसों के अवसर पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के लिठयहाठआते हैं। यहाठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठआवशà¥à¤¯à¤• माना जाता हैâ€à¥¤
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š कर हम हर की पौडी के पास मौजà¥à¤¦ पारà¥à¤•िंग में चले गये। सीटी à¤à¥€ अपनी मौसी के घर से वहाठपहà¥à¤à¤š गया था। गाड़ी से नहाने के लिये कपड़े निकाल कर सà¤à¥€ गंगा जी में नहाने के लिये चल दिये। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी आज सà¥à¤¬à¤¹ से ही बिलà¥à¤•à¥à¤² चà¥à¤ª बैठे थे। वो अब सबसे नाराज थे। हमसे तो उनकी नाराजगी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ हो गयी थी लेकिन बाकी लोगों से उनकी नाराजगी नयी-2 थी। मैने गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी को बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और उनसे गंगा जी में नहाने के लिये चलने को कहा लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ मना कर दिया, मैने फिर कहा, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी नाराजगी छोड़ दो, पहली बार आप हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° आये हो, गंगा जी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ तो कर लो लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ फिर मना कर दिया और कहा कि मेरी आà¤à¤–े दà¥à¤ƒà¤– रही हैं इसलिये मैं नहीं जा रहा, नाराजगी की कोई बात नहीं है। इसके बाद हम लोग हर की पौडी की ओर चल दिये। मैं ,शà¥à¤¶à¥€à¤² और सीटी तो हर की पौडी पर नहाने चले गये लेकिन बाकी साथी उससे पहले ही à¤à¤• अनà¥à¤¯ घाट पर नहाने लग गये।
हर की पौडी पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद हम सब ने 2-2 लीटर की कैन ली और उसमें घर के लिये गंगाजल à¤à¤° लिया और फिर वहाठकी मशहूर पà¥à¤°à¥€-कचोरी खाई। खाना- पीना करने के बाद बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिये थोड़ी खरीददारी की गयी और फिर हम वापिस गाड़ी की ओर चल दिये। इन सब कामों में काफ़ी समय लग गया था और हम सोच रहे थे कि सब हमारा इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° कर रहे होगें लेकिन गाड़ी पर जाकर मालà¥à¤® हà¥à¤† कि अà¤à¥€ कोई नहीं पहà¥à¤à¤šà¤¾ था। थोड़ा इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° के बाद बाकी साथी à¤à¥€ गाड़ी पर पहà¥à¤à¤š गये। सारे सामान को फिर से दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ पैक किया और सारा सामान  गाड़ी के उपर रखकर तिरपाल से ढक कर अचà¥à¤›à¥€ तरह से रसà¥à¤¸à¥€ से बाà¤à¤§ दिया और यातà¥à¤°à¤¾ के आखिरी चरण, अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ वापसी के लिये चल दिये। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से निकलते -2 लगà¤à¤— दोपहर के à¤à¤• बज चà¥à¤•े थे। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ तक के सफ़र में à¤à¤• बार सहारनपà¥à¤° चाय के लिये रà¥à¤•े और इस तरह हम लोग रासà¥à¤¤à¥‡ में मसà¥à¤¤à¥€ करते हà¥à¤ ,खाते-पीते शाम पाà¤à¤š बजे तक अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ पहà¥à¤à¤š गये और खटà¥à¤Ÿà¥€ –मिठà¥à¤ ी यादों के साथ यातà¥à¤°à¤¾ को विराम दिया।
आठवà¥à¤¯à¤¸à¥à¤• व à¤à¤• दस साल के बचà¥à¤šà¥‡ का आठदिन की यातà¥à¤°à¤¾ का खरचा:
गाड़ी का किराया 1300 * 8 दिन                 = 13400
डीजल+ पारà¥à¤•िंग +टोल टैकà¥à¤¸ +डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° खाना               = 6000
आशà¥à¤°à¤® पर आते व जाते सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• दिये (500*2)    = 1000 (दो रातें आशà¥à¤°à¤® पर रà¥à¤•े थे)
कमरों का किराया (Cचार रातों का )               = 7800
खाने-पीने का खरचा                          = 9700
डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को इनाम                             = 600
टोटà¥à¤²                              Â
मेरे लिये यह विराम अलà¥à¤ª- विराम ही था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि 6-7 दिन बाद ही मà¥à¤à¥‡ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलना था। इस लमà¥à¤¬à¥€ और थकाऊ यातà¥à¤°à¤¾ से आने के बाद सà¤à¥€ लोगों को थकावट, खाà¤à¤¸à¥€ ,गला खराब और छाती में जकडन की शिकायत हो गयी थी जो शायद तापमान में आये अचानक परिवरà¥à¤¤à¤¨ के कारण थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि लगà¤à¤— दो दिन में हम लोग 0 डिगà¥à¤°à¥€ से 44-45 डिगà¥à¤°à¥€ तापमान में आ गये थेà¥à¥¤ इसीलिठमेरे साथ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के लिये कोई à¤à¥€ तैयार नहीं था और अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ साथी शà¥à¤¶à¥€à¤² ने à¤à¥€ मना कर दिया लेकिन मैं चाहता था कि इस लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ पर अकेला जाने की बजाय किसी के साथ जाया जाये ताकि सफ़र में बोरियत ना हो।
इधर पिछà¥à¤²à¥‡ कई सालों से मेरी पतà¥à¤¨à¥€ मेरे साथ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के लिये कह रही थी लेकिन बचà¥à¤šà¥‡ छोटे होने के कारण कà¤à¥€ जा नहीं पाई थी। बचà¥à¤šà¥‡ तो अà¤à¥€ à¤à¥€ छोटे ही थे और मेरी छोटी बिटिया उस समय सिरà¥à¤«à¤¼ चार साल की ही थी। मेरी पतà¥à¤¨à¥€ मà¥à¤à¥‡ इस वरà¥à¤· अकेला जाते देख मेरे साथ चलने की जिदà¥à¤¦ करने लगी, लेकिन मेरी पतà¥à¤¨à¥€ के मेरे साथ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने में कà¥à¤› दिकà¥à¤•तें थी। पहली, आज तक बचà¥à¤šà¥‡ कà¤à¥€ à¤à¥€,कहीं à¤à¥€ मेरी पतà¥à¤¨à¥€ से अलग, अकेले नहीं रà¥à¤•े थे और दà¥à¤¸à¤°à¥€, हमारा उनके सà¥à¤•ूल खà¥à¤²à¤¨à¥‡ से पहले लौटना à¤à¥€ जरà¥à¤°à¥€ था। इसके अलावा à¤à¤• दिक़à¥à¤•़त मà¥à¤à¥‡ थीà¥à¥¤ मैं अà¤à¥€ 8 दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ काटकर कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आया था और फिर से 5-6 दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ मिलना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल था। लेकिन जिसे à¤à¥‹à¤²à¥‡ नाथ बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हैं तो उसके आने के सारे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ खोलते हैं । हमने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को उनकी नानी के घर छोड़ने का फ़ैसला किया लेकिन उनको अपने जाने की बात नहीं बताई और मेरी दोनो बेटियाठइसके लिये आराम से तैयार हो गयी। मेरे कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में 7 दिन कारà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ होने के कारण मेरे अधीनसà¥à¤¥ अधिकारियों/करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• को रविवार को अवशà¥à¤¯ आना पड़ता था। मैनें आने वाले रविवार को सबको छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ दे दी और खà¥à¤¦ कारà¥à¤¯ पर चला गया। इससे मेरा à¤à¤• अवकाश देय हो गया और तीन दिन की आकसà¥à¤®à¤¿à¤• छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ ले ली तथा à¤à¤• अगला रविवार मिलाकर पाà¤à¤š छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ हो गयी। जरà¥à¤°à¤¤ पड़ने पर à¤à¤• अनà¥à¤¯Â आकसà¥à¤®à¤¿à¤• छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ बाद में फोन पर लेने का निशचय कर ततà¥à¤•ाल आरकà¥à¤·à¤£ से हेमकà¥à¤‚ड à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में जमà¥à¤®à¥‚तवी की दो बरà¥à¤¥ बà¥à¤• करवा ली। मैने अपने कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में किसी को à¤à¥€ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के बारे में नहीं बताया।
अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ 2011 का संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ वरà¥à¤£à¤¨:  केदारनाथ-बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ यातà¥à¤°à¤¾ से लौटने के ठीक आठदिन बाद 27-जà¥à¤¨-2011, दिन सोमवार ,रातà¥à¤°à¤¿ 9:30 पर हम हेमकà¥à¤‚डà¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के लिये जमà¥à¤®à¥ के लिये रवाना हो गये। सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे जमà¥à¤®à¥ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤•र सीधा जमà¥à¤®à¥ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड चले गये। वहाठसे s सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे साà¤à¥€ टैकà¥à¤¸à¥€ में 600 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सवारी के हिसाब से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र के लिये निकल गये। शाम 4 बजे तक हम शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤š गये पर वहाठसे उस समय बाà¥à¤²à¤Ÿà¤¾à¤² जाने के लिये कोई साधन उपलबà¥à¤§ नहीं था। पता करने पर मालूम हà¥à¤† कि बालटाल जाने के लिये शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र के परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤—त केनà¥à¤¦à¥à¤°Â से सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे से साà¤à¥€ टैकà¥à¤¸à¥€ और बस मिल जायेगी। हम लोग वहाठसे डल à¤à¥€à¤² की तरफ़ चले गये और वहाठà¤à¤• होटल में à¤à¤• कमरा ले लिया। मैं तो पहले à¤à¥€ 10-11 बार शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र जा चूका था और सारा शहर अचà¥à¤›à¥€ तरह घà¥à¤®à¤¾ हà¥à¤† था लेकिन मेरी पतà¥à¤¨à¥€ पहली बार यहाठआई थी इसलिये कमरे में थोड़े आराम के बाद तरोताजा होकर जलà¥à¤¦à¥€ से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिये निकल गये। आधा घंटा शिकारे में बैठà¥à¤•र डल à¤à¥€à¤² में नौका विहार किया और उसके बादडल à¤à¥€à¤² के आस-पास के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और बाजारों में घà¥à¤®à¤¤à¥‡ रहे। मेरी पतà¥à¤¨à¥€ की ‘थोड़ी सी’ खरीददारी और रातà¥à¤°à¤¿à¤à¥‹à¤œ के बाद कमरे में आकर सो गये।
सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे उठकर, जलà¥à¤¦à¥€ से तैयार होकर, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤—त केनà¥à¤¦à¥à¤°Â चले गये और वहाठसे कि बालटाल जाने के लिये सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे साà¤à¥€ टैकà¥à¤¸à¥€ में 400 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सवारी के हिसाब से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से निकल गये। वैसे तो 100 किलोमीटर के इस सफ़र के लिये सिरà¥à¤«à¤¼ तीन घंटे लगते हैं लेकिन रासà¥à¤¤à¥‡ में काफ़ी जगह टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¼à¤¿à¤• जाम के कारण हम 10:30 तक हीबालटाल पहà¥à¤à¤š सके। गहन जाà¤à¤šÂ paपडताल के बाद हम बालटाल आधार-शिवर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गये। अपना सारा फ़ालतू सामान हमने à¤à¤• बैग में कर दिया और उसे वहीं कà¥à¤²à¤¾à¤• रà¥à¤® में जमा करवा दिया। अपने पिठà¥à¤ ू बैग में वरà¥à¤·à¤¾ से बचने के लिये रेन-कोट और गरà¥à¤® कपड़े डाल लिये थे। नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद , गहन सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾Â के बीच हमने लगà¤à¤— 11:30 बजे अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के लिये चड़ाई शà¥à¤°à¥ कर दी। आसपास के पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ का नज़ारा लेते हà¥à¤, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाटियों को निहारते हà¥à¤ हम धीरे-2 चलते गये और लगà¤à¤— शाम 7 बजे अमरनाथ गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के पास पहà¥à¤à¤š गये।उस समय दरà¥à¤¶à¤¨ बदं होने वाले थे इसलिये वहाठपहà¥à¤à¤šà¤•र रातà¥à¤°à¥€ के लिये à¤à¤• छोटा टैनà¥à¤Ÿ 350 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में लिया और à¤à¤¡à¤¼à¤¾à¤°à¥‡ में लंगर खाकर सो गये।
सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे उठकर, जलà¥à¤¦à¥€ से तैयार होकर, दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिये लाइन में लग गये और थोड़ी ही देर बाद हम अमरनाथ गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में पहà¥à¤à¤š गये। à¤à¥‹à¤²à¥‡ नाथ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से अà¤à¤¿à¤à¥‚त हो अपनी à¤à¥à¤–, पà¥à¤¯à¤¾à¤¸, थकावट सब कà¥à¤› à¤à¥à¤² काफ़ी देर वहीं रà¥à¤•े रहे। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद हमने नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और वापसी शà¥à¤°à¥ कर दी और शाम चार बजे तक बालटाल आधार-शिवर में पहà¥à¤à¤š गये। वहाठपहà¥à¤à¤šà¤•र खाना खाया और थोड़ी देर आराम करने के बाद गरम पानी लेकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया। उसके बाद बालटाल में थोड़ा घूमने के बाद रात को अपनी रà¥à¤•ने की जगह आकर सो गये। सà¥à¤¬à¤¹ उठकर बालटाल से सीधा जमà¥à¤®à¥‚ के लिये बस ली और रात 11 बजे जमà¥à¤®à¥‚ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गये और विशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤²à¤¯ में जाकर सो गये। सà¥à¤¬à¤¹ उठकर 9:30 बजे मालवा à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ पकड़ कर दोपहर 3:30 बजे अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गये और शाम चार बजे तक अपने घर पहà¥à¤à¤š गये। इस तरह पाà¤à¤š दिन में अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पूरी कर जà¥à¤¨ के महीने में ही केदारनाथ से अमरनाथ तक की यातà¥à¤°à¤¾ का सफ़र समापà¥à¤¤ किया।
जय à¤à¥‹à¤²à¥‡ की……………॥
जय à¤à¥‹à¤²à¥‡ की……………॥
अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ 2011 की कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚