पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैंने आपको बताया था की किस तरह से हम सà¥à¤¬à¤¹ से महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठनिकले थे और गà¥à¤¡à¥€ पड़वा का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° होने की वजह से अतà¥à¤¯à¤‚त à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी और हमने हाजी अली दरगाह की ओर रà¥à¤– कर लिया था. अगले दिन फिर सà¥à¤¬à¤¹ से हम सब तैयार होकर निकल पड़े महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिà¤.
सà¥à¤¬à¤¹ का समय था और आज अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम थी अतः हमें मंदिर में पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ तथा दरà¥à¤¶à¤¨ में बहà¥à¤¤ कम समय लगा. मंदिर बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है, à¤à¤• बात मंदिर परिसर की जो मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ लगी वो थी मंदिर परिसर में सà¤à¤¾à¤®à¤‚ड़प के ठीक सामने बैठकर दो तीन लोग शहनाई पर बड़ी अचà¥à¤›à¥€ धà¥à¤¨ बजा रहे थे, इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° संगीत की बस सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही रहने का मन कर रहा था.

दूर से दिखाई देता महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर तथा हाजी अली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का जलमारà¥à¤—
चलिठअब इस अदà¥à¤à¥à¤¤ मंदिर के बारे में आपको थोड़ी जानकारी देता हूà¤.
महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर – à¤à¤• परिचय:
महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर मà¥à¤‚बई का à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ मंदिर है जो की à¤à¥à¤²à¤¾à¤à¤¾à¤ˆ देसाई मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ देवी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है. मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1831 में धाक जी दादाजी नाम के à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ ने करवाया था.
इस मंदिर के इतिहास को वरली तथा मालाबार हिल (वह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जिसे आज हम बà¥à¤°à¥€à¤š केंडी कहते हैं) को जोड़ने के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ से जोड़ा जाता है, जब यह निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ चल रहा था तब दोनों कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जोड़ने वाली दिवार बार बार ढह रही थी. बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ इंजीनियरों के सारे पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ बेकार जा रहे थे, तब पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के चीफ इंजिनियर (जो की à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ थे) को सपने में महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ माता ने दरà¥à¤¶à¤¨ दिठऔर कहा की वरली के पास समà¥à¤¦à¥à¤° में तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ मेरी मूरà¥à¤¤à¤¿ दिखाई देगी. माता के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° खोज करने पर यह मूरà¥à¤¤à¤¿ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उसी जगह मिल गई जहाठमाता ने निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ किया था, इस आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• घटना के बाद चीफ इंजिनियर ने इसी जगह पर à¤à¤• छोटे से मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया और उसके बाद यह निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ बड़ी आसानी से संपनà¥à¤¨ हो गया.
यह मंदिर हाजी अली दरगाह के à¤à¤•दम समीप वरली के समà¥à¤¦à¥à¤° तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, हाजी अली दरगाह से महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर को देखा जा सकता है. समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारे बसा होने की वजह से मंदिर की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ और बढ़ जाती है.
मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° देवी महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, देवी महाकाली और देवी महासरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. तीनों ही मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ नाक में नथ, सोने की चूड़ियाठऔर मोती के हार से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ हैं. महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ माता की मूरà¥à¤¤à¤¿ में माता को शेर पर सवार होकर महिसासà¥à¤° का वध करते हà¥à¤ दिखाया गया है.
मंदिर कमà¥à¤ªà¤¾à¤‰à¤‚ड में हार, फà¥à¤², चà¥à¤¨à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦, मिठाई आदि की बहà¥à¤¤ सी दà¥à¤•ानें हैं, इन सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देवी के à¤à¤•à¥à¤¤ खरीद कर माता को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं. नवरातà¥à¤°à¥€ में मंदिर को बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से सजाया जाता है तथा दूर दूर से à¤à¤•à¥à¤¤ आ कर माता के दरबार में माथा टेकते हैं . नवरातà¥à¤°à¥€ के दौरान मंदिर में बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥€ लाइन लगती है तथा दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को घंटों पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करी पड़ती है.
महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर के बारे में बचपन से ही सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ चले आ रहे थे लेकिन कà¤à¥€ मà¥à¤‚बई आने का योग नहीं हà¥à¤† अतः इस मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ मन में ही रह गई थी. महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ माता हमारी कà¥à¤²à¤¦à¥‡à¤µà¥€ हैं अतः उनके दरà¥à¤¶à¤¨ करना हमारे लिठऔर à¤à¥€ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात थी.
मंदिर सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है तथा रात 10 बजे बंद होता है. तीनों माताओं के असली सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª सोने के मà¥à¤–ौटों से ढंके रहते हैं. बहà¥à¤¤ कम लोग जानते हैं की इस मंदिर में विराजमान देवी महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ की मूरà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤µà¤®à¥à¤à¥‚ है, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• मूरà¥à¤¤à¥€ को बहà¥à¤¤ कम लोग देख पाते हैं, असली मूरà¥à¤¤à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठआपको रात में लगà¤à¤— 9:30 बजे मंदिर में जाना होगा, इस समय मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर से आवरण हटा दिया जाता है तथा 10 से 15 मिनट के लिठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठमूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को खà¥à¤²à¤¾ ही रखा जाता है और उसके बाद मंदिर बंद हो जाता है. सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे मंदिर खà¥à¤²à¤¨à¥‡ के साथ ही माता का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया जाता है तथा उसके ततà¥à¤•ाल बाद ही मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ऊपर फिर से आवरण चढ़ा दिठजाते हैं.
हमने तो माता के दरà¥à¤¶à¤¨ आवरण सहित ही किये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤µà¤®à¥à¤à¥‚ मूरà¥à¤¤à¤¿ के दरà¥à¤¶à¤¨ का समय हमारे समय से मेच नहीं हो रहा था. इस सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद तथा माता का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके हम मंदिर से बाहर निकल आये. महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर से ही लगे कà¥à¤› छोटे बड़े अनà¥à¤¯ मंदिरों में à¤à¤• सà¥à¤¯à¤‚à¤à¥‚ शà¥à¤°à¥€ पाताली हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लगा. मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की मूरà¥à¤¤à¤¿ चांदी के आवरण में इतनी लà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¥€ लग रही थी की बस नजरें हटाने का मन ही नहीं कर रहा था.
महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर के आसपास और बहà¥à¤¤ से छोटे बड़े मंदिर बने हà¥à¤ हैं, इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मंदिरों में से à¤à¤• है धाकलेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर जो की महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर से कà¥à¤› ही कदमों की दà¥à¤°à¥€ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.
धाकलेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर:
धाकलेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर मà¥à¤‚बई के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिरों में से à¤à¤• है, लेकिन इसकी जीरà¥à¤£ अवसà¥à¤¥à¤¾ की वजह से यह मंदिर à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ समय से उपेकà¥à¤·à¤¾ का पातà¥à¤° बना हà¥à¤† था. खैर अब मंदिर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से इसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया है और अब फिर से यह मंदिर अपना खोया हà¥à¤† वैà¤à¤µ बहà¥à¤¤ तेजी से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर रहा है. मंदिर का नाम इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤•रà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€ दादाजी धाक जी के नाम पर रखा गया है तथा इसे लगà¤à¤— 200 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ माना जाता है.
धाकलेशà¥à¤µà¤° मंदिर जो मà¥à¤‚बई शहर की à¤à¤• विरासत है, बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के बाद मà¥à¤‚बई का दूसरा सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ मंदिर है, लेकिन बहà¥à¤¤ से लोग इस मंदिर के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ से अपरिचित हैं. मंदिर का वासà¥à¤¤à¥ आदिकालीन है तथा यह मंदिर अलग अलग ककà¥à¤·à¥‹à¤‚ में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ है. पहला ककà¥à¤· à¤à¤—वन शà¥à¤°à¥€ गणेश को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, दूसरा ककà¥à¤· माता रामेशà¥à¤µà¤°à¥€, तीसरा (मधà¥à¤¯ तथा मà¥à¤–à¥à¤¯) ककà¥à¤·Â à¤à¤—वानॠशिव को, चौथा ककà¥à¤· à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ तथा माठलकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ तथा पांचवा à¤à¤µà¤‚ अंतिम ककà¥à¤· विनायाकदितà¥à¤¯, जया तथा विजया को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है. मंदिर के सामने पोरà¥à¤š में नंदी जी विराजमान हैं.
इस मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ धाकलेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम सबने मंदिर से बाहर आकर कà¥à¤› देर पोरà¥à¤š में बैठकर मंदिर के बाहरी वातावरण का आनंद लिया और फिर चल दिठअपने अगले गंतवà¥à¤¯ की ओर.
इस à¤à¤¾à¤— में बस इतना ही, अगले à¤à¤¾à¤— में मà¥à¤‚बई के कà¥à¤› और आकरà¥à¤·à¤£.
















महालक्ष्मी मन्दिर जाने का मार्ग देखकर मुझे हिमाचल के चिंतपूर्णी मंन्दिर की याद आ रही है।
मैंने कभी इस मन्दिर के बारे में नहीं सुना था, जानकारी बढिया रही। आगे की प्रतीक्षा है।
सन्दीप भाई,
आपने Mahalakshmi मन्दिर का नाम नही सुना और मैने चिन्तापुरी माता का नाम नहीं सुना. अब मैनें तो आपको Mahalakshmi मन्दिर के बारे बता दिया, अब आपकी बारी है.
Mukesh ji thanks for sharing details of Mahalaxami, a very famous temple of Mumbai, perhaps after siddhi vinayak…. did you go to sidhivinayak also ?
Dhakleswar… I never heard about this temple.. even I could not find this name in 108 names of Shiva.
why was there no foto of kids in this post?
SS Ji,
Thanks for your nice comment. Yes we had gone to Siddhivinayak, you’ll see about Siddhivinayak in one of my coming posts.
Secondly, Though Dhakleshwar is very old temple situated in closed proximity to Mahalakshmi temple still it is deserted and that’s why its not much popular.
Yeah, both of our kids were sleeping at Vishal’s home and they didn’t accompanied us.
सीधिविनायक मंदिर तो मेने देखा है, महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन आप ने करा दिए|
महालक्ष्मी रेसकॉर्स भी वहाँ पर प्रसीद है |
Thanks Mahesh ji for your lovely comment. Yes Mahalakshmi race course is there.
Thanks.
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते, शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते.
जय हो महालक्ष्मी, महाकाली , आदिशक्ति, महादेवी ,जगदम्बा,पराशक्ति,पार्वती,महासरस्वती,दुर्गा, भवानी,चामुंडा …………….
I think Vishal also did not go with you. His fotos are also missing in this post
SS Ji,
Vishal was busy in guiding us and I was busy in capturing photos now only Kavita was free for posing for us…..LOL.
@ Vishal,
Jai Mahalakshmi Maa.
मुकेश जी आज आपके साथ साथ हमने भी माता महालक्ष्मी के दर्शन कर लिए हैं.धन्यवाद बहुत बहुत,
Praveen ji,
Thanks a lot for this beautiful comment. May godess Mahalakshmi bless you with lots of prosperity and fate.
Thanks.
good post
Ashok Sir,
Thanks for encouraging and motivating.
मुकेश जी, आपके माध्यम से महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन हो गए | जय हो |
Nandan,
Thanks for your sweet comment.
Mukesh bhai,
Thanks for giving us the darshan of Mata Mahalakshmi and Dhakleshwar Mahadev. And the Haji Ali shrine too. In spite of visiting Mumbai several times, I have never had the good fortune of visiting these holy sites. Your narration of the sthal puraan of the Mahalakshmi temple and other little-known facts was a pleasure to read.
I have noticed twin pillar-like structures on either side of the entrance to both these temples. I have never noticed these kind of structures in any of the temples I have visited. They look like “दीप स्तंभ” to me. Could you please clarify.
Waiting eagerly for the next post.
DL,
Thanks for your beautiful words. Yes you are absolutely right on twin pillar like structures, they are Deep Stambhs.
There no arguement about the temples beauty, loving environment and all things which people see there but I wish that management of the temple should improve there service.
I recently visited temple and found that there is no provision for shoe keeping. At sidhivinayak they at least made provision for shoe storage/ locker with paid service.
Mishra ji,
Thanks for your comment, and yes in many of the temples I too feel the lack of proper management but ok if our ultimate aim (Darshan) is accomplished then there is no any complaint.
Thanks.
मुकेश जी,
महालक्ष्मी मंदिर , धाकलेश्वर महादेव मंदिर, श्री पाताली हनुमान जी , आपने दर्शन करवा के हमारा दिन मंगलमय कर दिया . विवरण बहुत ही रोचक, ज्ञानवर्धक है . फोटो तो कमाल है . बहुत बहुत धन्यबाद
सुरिन्दर शर्मा जी,
इतने सुन्दर शब्दों में टिप्पणी करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार.
Thanks.
मुकेश जी, क्या जबरदस्त पोस्ट है! मन्दिर से ज्यादा खूबसूरत आपकी पोस्ट लगी। बडी मेहनत की होगी आपने इसे तैयार करने में। दस में से बारह नम्बर।
बच्चों की कमी खल रही है। कविता जी की अति हो गई है। 19 में से 8 फोटो उन्हीं के हैं। वाह वाह।
एक बात कहूं साहब? पिछले दिनों किसी ने मनु को भी टोका था कि पारिवारिक फोटो कम से कम होने चाहिये। पोस्ट में फोटो लगाने का कुछ मकसद होता है। परिवार की फोटो लगाये बिना अगर वो मकसद पूरा हो जाता है तो कोई औचित्य नहीं रह जाता पूरे परिवार के हर सदस्य के कई कई फोटो लगाने का।
नीरज,
धन्य भाग हमारे जो आप हमारी पोस्ट पर पधारे। दुसरी बात, ऐसा नहीं है कि वर्णन मन्दिर का कर रहे हैं और कविता जी के फोटो कहीं गार्डन से खींच कर लगाये हुए हैं। मैं अकेले मन्दिर या स्मारक का फोटो लेने के बजाये उसके साथ अपने परिवार के किसी सदस्य को भी खडा कर देता हुं और मुझे ये अच्छा लगता है। अगर परिवार के सदस्य का फोटो ओब्जेक्ट (मन्दीर या भवन) के साथ है तो मेरे खयाल से उसमें कोई बुराई नहीं है। और फिर ये अपना व्यक्तिगत मामला है।
वैसे अन्य मामलों में आपकी सलाह का हमेशा स्वागत है.
धन्यवाद.
मुकेश जी, बात तो ठीक है आपकी कि यह आपका व्यक्तिगत मामला है। लेकिन इसमें कुछ ना कुछ परसेंटेज हमारी भी होती है। हम पोस्ट पढते हैं, फोटो देखते हैं। फिर हमारी भी कुछ एक्सपेक्टेशन होती हैं। मैंने बस वही बताया है।
नीचे से दूसरा और चौथा फोटो देखकर बताईये कि दोनों में क्या फरक है? सबजेक्ट समान, ऑब्जेक्ट समान, कैप्शन भी समान, फोटोग्राफर ना तो अपनी जगह से हिला और ना ही अपना एंगल चेंज किया। बस फरक यही है कि एक फोटो में कविता जी का सिर दाहिनी तरफ झुका हुआ है तो दूसरे फोटो में बायीं तरफ। यहां एक फोटो से ही काम चल सकता था। वैसे यह आपका पर्सनल मामला है, आप चाहो जितने फोटो लगा लो। जो मेरा काम था, मैंने कर दिया।
दोनों फोटो हटा दिये। अब पोस्ट ज्यादा संतुलित और प्रभावशाली लग रही है। धन्यवाद मुकेश जी।
मुकेश जी…..नमस्कार……!
जय भोले की…..जय हो महालक्ष्मी मैया की…..लक्ष्मी मैया के दर्शन लाभ करके मैं धन्य हुआ….|
बहुत ही सुन्दर और भक्तिमय शब्दों से आपने मुंबई के प्रशिद्ध महालक्ष्मी मंदिर वर्णन किया …नाम तो बहुत सुना था , आज आपके लेख ने दिखा भी दिया ….|
सुन्दर और खूबसूरत फोटोओ में समुंद्र के किनारे शोभायन यह अद्भुत मंदिर सच में बहुत ही सुन्दर और भव्य लगा …..|
आपकी आगे की मुंबई यात्रा सम्बन्धी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी…..|
रितेश,
आप की ही कमेन्ट का इंतज़ार था. आपको पोस्ट पसंद आई उसके लिए धन्यवाद.
थैंक्स.
Neeraj ji aur Mukesh Bhalse ji se request hai ki aap log vivad na paida kare. Bhalse ji se jitna information mila hai uska Dhanyawad dijiye, na ki bekaar ki charcha karen. Main ye baat is liye kar raha hoon ki aap dono ek hi mata (Mahalaxmi) ke bhakt ho to aapas mein bahas na karen.
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश तिहु लोक उजागर
:)
मिश्रा जी,
आपके विचार जानकार मैं बहुत प्रभावित हुआ, आपको बहुत बहुत धन्यवाद. विवाद वाली कोई बात नहीं है, नीरज थोडा नटखट और जिद्दी बच्चा है उसे समझाने में थोडा समय लगता है.
धन्यवाद.
hello sir kya aap bata sakte hai ki mandir kitani steps hai koi ropeway/cable ride hai?