à¤à¥€à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ तथा वहां के रातà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤°à¤¾à¤® की खटà¥à¤Ÿà¥€ मीठी यादें मन में संजोठअब हम अपने अगले गंतवà¥à¤¯ तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरने की गरज़ से सà¥à¤¬à¤¹ करीब नौ बजे बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड पर आ गà¤, चà¥à¤‚कि à¤à¥€à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर से नाशिक के लिये सीधी बस नहीं मिलती है अत: हमें मंचर नामक जगह से नाशिक की बस पकड़नी थी, हम लोग लगà¤à¤— दो घंटे में मंचर पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤
मंचर में करीब आधे घंटे के इंतज़ार के बाद हमें नाशिक के लिये बस मिल गई और शाम चार बजे हम लोग नाशिक पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤Â à¤à¥€à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर से निकलते समय घना कोहरा जरà¥à¤° था लेकिन बारीश नहीं हो रही थी, पर अब नाशिक पहà¥à¤‚चते पहà¥à¤‚चते बारीश शà¥à¤°à¥ हो गई थी। बारीश की हलà¥à¤•ी फ़à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के बीच ही हम नाशिक के बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड पर उतरे और हमें तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° के लिये तैयार खड़ी बस मिल गई। बस में सवार होकर बारीश का आनंद लेते हà¥à¤ हम कब तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚च गठपता ही नहीं चला।
Welcome to Tryambakeshwar
The beautiful hills of tryambakeshwar are calling you..
करीब दो साल पहले अपनी शेगांव यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान गजानन महाराज सेवा संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के यातà¥à¤°à¥€ निवास में ठहरने का मौका मिला था, और हम लोग इस टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ तथा यातà¥à¤°à¥€ निवास की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, साफ़ सफ़ाई, उचित मà¥à¤²à¥à¤¯ पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा रियायती शà¥à¤²à¥à¤• से इतना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ थे की आज à¤à¥€ याद करते हैं. उसी दौरान पता चला था की शà¥à¤°à¥€ गजानन टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के यातà¥à¤°à¥€ निवास शेगांव के अलावा तीन अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ हैं- ओंकारेशà¥à¤µà¤°, तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° तथा पंढरपà¥à¤°à¥¤
ओंकारेशà¥à¤µà¤° के गजानन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गेसà¥à¤Ÿ हाउस में à¤à¥€ हम लोग दो बार रह चà¥à¤•े हैं और जब à¤à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाते हैं वहीं ठहरते हैं और आप सà¤à¥€ पाठकों को à¤à¥€ सलाह देना चाहà¥à¤‚गा की यदि आप शेगांव, ओंकारेशà¥à¤µà¤°, तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° या पंढरपà¥à¤° जा रहे हैं तो गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में ही रà¥à¤•ें और मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है की उनकी सेवायें खासकर सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ आपको अà¤à¥€à¤à¥‚त कर देंगीं।
चà¥à¤‚कि हमें मालà¥à¤® था की तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° में à¤à¥€ गजानन महाराज टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ का यातà¥à¤°à¥€ निवास है तो फ़िर किसी और विकलà¥à¤ª के बारे में सोचने की कोई आवशà¥à¤¯à¤•ता ही नहीं थी, लेकिन यहां à¤à¤• बात और बता देना चाहà¥à¤‚गा की इन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स बà¥à¤•िंग नहीं होती आप जब वहां पहà¥à¤‚चते हैं उस समय यदि कमरा उपलबà¥à¤§ हो तो मिल जाता है।
बस वाले ने हमें हमारे निवेदन पर शà¥à¤°à¥€ गजानन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के सामने ही उतार दिया, बस से उतर कर हम सीधे संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के सà¥à¤µà¤¾à¤—त ककà¥à¤· पर पहà¥à¤‚चे, वहां पहà¥à¤‚च कर मैने देखा की कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही à¤à¥€à¥œ थी, पà¥à¤›à¤¨à¥‡ पर पता चला की à¤à¤• à¤à¥€ रूम खाली नहीं है, और जो à¤à¥€à¥œ वहां जमा थी वह वेटिंग वालों की थी. यह जानकर हम सà¤à¥€ बड़े मायà¥à¤¸ हो गठऔर अपना सामान लेकर औटो सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड पर आ गठऔर à¤à¤• औटो वाले से किसी गेसà¥à¤Ÿ हाउस या होटल ले चलने को कहा।
औटो वाले ने हमें तीन चार गेसà¥à¤Ÿ हाउस दिखाठलेकिन कहीं à¤à¥€ रूम खाली नहीं थे, और अगर थे à¤à¥€ तो à¤à¤¾à¤µ अनाप शनाप. मैनें औटो वाले से पà¥à¤›à¤¾ की à¤à¤¾à¤ˆ आज à¤à¤¸à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ बात है सारे होटेल, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤à¤‚ फ़ूल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं, तो उसने बताया सर, कल नाग पंचमी है और तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° में काल सरà¥à¤ª योग की पूजा करवाने à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ नाग पंचमी से à¤à¤• दिन पहले तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚च जाते हैं, और अगर अगले दस पंदà¥à¤°à¤¹ मे आपने रूम नहीं लिया तो आप परेशानी में पड़ जाओगे, उसका इतना कहना था की बस अगले गेसà¥à¤Ÿ हाउस में गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में à¤à¤• डबल बेड रूम हमने पसंद कर लिया।
Our guest house at Tryambakeshwar
Our room in Ganga Niwas
दिन à¤à¤° हो गया था महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤¸. टी. की बसों में सफ़र करते हà¥à¤ अत: कमरे में सामान रखकर तथा कà¥à¤› देर आराम करके हमने बारी बारी से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया, अब हम थोड़ा रिलेकà¥à¤¸ महसà¥à¤¸ कर रहे थे. हमारा पà¥à¤²à¤¾à¤¨ था की रात मे à¤à¥€ à¤à¤• बार जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेंगे और सà¥à¤¬à¤¹ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करके निकल जाà¤à¤‚गे.
मैने सोचा की मंदिर के लिये निकलने से पहले सà¥à¤¬à¤¹ के अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के लिये à¤à¤• बार किसी पंडित जी से बात कर ली जाà¤, गेसà¥à¤Ÿ हाउस से ही à¤à¤• पंडित जी का नंबर मिल गया, मैने बात की तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ बताया की कल सà¥à¤¬à¤¹ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• तो दूर की बात है दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ मिलना à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•िल है, यह सà¥à¤¨à¤•र हमने सà¥à¤¬à¤¹ दरà¥à¤¶à¤¨ पूजन की आस छोड़ दी और सोचा की रात को ही दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेते हैं और सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही शिरà¥à¤¡à¥€ के लिये निकल जायेंगे.
Ready to leave for temple…
मंदिर चà¥à¤‚कि गेसà¥à¤Ÿ हाउस से करीब ही था अत: हमलोग पैदल ही मंदिर की ओर चल दिà¤, मंदिर पहà¥à¤‚च कर देखा तो पाया की बहà¥à¤¤ लंबी कतार लगी थी, खैर हम à¤à¥€ बिना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सोचे विचारे उस लाईन में लग गà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की और कोई चारा नहीं था, अब यहां तक आठहैं तो दरà¥à¤¶à¤¨ तो करना ही था. करीब तीन घंटे के इंतज़ार के बाद हम गरà¥à¤à¤—à¥à¤°à¤¹ तक पहà¥à¤‚च कर दरà¥à¤¶à¤¨ कर पाà¤, लेकिन मन में ये संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥€ थी की चलो दरà¥à¤¶à¤¨ हो गà¤, मनोरथ सिदà¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤
On the way to temple..
Jai Tryambakeshwar….
Jai Tryambakeshwar
शिव जी के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤—ों में शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° को दसवां सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया है. यह महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में नासिक शहर से 35 किलोमीटर दूर गौतमी नदी के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। मंदिर के अंदर à¤à¤• छोटे से गङà¥à¤¢à¥‡ में तीन छोटे-छोटे लिंग है, जिनà¥â€à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और शिव देवों का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• माना जाता हैं।तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥â€à¤µà¤° की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इस जà¥â€à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥â€à¤£à¥ और महेश तीनों ही विराजित हैं. काले पतà¥â€à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से बना ये मंदिर देखने में बेहद सà¥à¤‚दर नज़र आता है. इस मंदिर में काल सरà¥à¤ª योग की पà¥à¤œà¤¾ कराई जाती है, जिसके लिये देश à¤à¤° से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यहां à¤à¤•तà¥à¤° होते हैं।
नासिक से तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° मंदिर तक का सफर 35 किलोमीटर का है। यहां हर सोमवार के दिन à¤à¤—वान तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° की पालकी निकाली जाती है, मंदिर की नकà¥â€à¤•ाशी बेहद सà¥à¤‚दर है।
तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° नाशिक से काफी नजदीक है,  नाशिक पूरे देश से रेल, सड़क और वायॠमारà¥à¤— से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है. आप नासिक पहà¥à¤‚चकर वहां से तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° के लिठबस, ऑटो या टैकà¥à¤¸à¥€ ले सकते हैं।
Market at Tryambakeshwar…
The Market…Near Temple
The Temple and its surroundings…
A flower seller near temple…
दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हम वापस पैदल ही लौटते हà¥à¤ रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट में रात का खाना खाया और गेसà¥à¤Ÿ हाउस आकर सो गà¤. सà¥à¤¬à¤¹ कोई जलà¥à¤¦à¥€ नहीं थी उठने की अत: आराम से बेफ़िकà¥à¤° होकर सो गà¤, और करीब आठबजे जब अपने आप नींद खà¥à¤²à¥€ तो उठे और नहा धोकर तैयार होकर गेसà¥à¤Ÿ हाउस चेक आउट किया और अपना समान लेकर बस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤ª पर आ गà¤à¥¤
आज हमें बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° से शिरà¥à¤¡à¥€ जाना था. तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° से शिरà¥à¤¡à¥€ लगà¤à¤— 110 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर है. तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° से डायरेकà¥à¤Ÿ शिरà¥à¤¡à¥€ के लिये à¤à¥€ बस, जीप, वेन आदी वाहन मिलते हैं तथा नाशिक से वाहन बदल कर à¤à¥€ जाया जा सकता है, हमें à¤à¥€ शिरà¥à¤¡à¥€ जाना था अत: हम किसी डायरेकà¥à¤Ÿ वाहन की तलाश में थे, à¤à¤¸. टी. सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड पर पता चला की डायरेकà¥à¤Ÿ शिरà¥à¤¡à¥€ की बस à¤à¤• घंटे बाद आà¤à¤—ी, इसी बिच à¤à¤• वेन वाले ने हमसे कहा की 180 रà¥. में चार घंटे में शिरà¥à¤¡à¥€ छोड़ दà¥à¤‚गा और हम लोग उसकी वेन में बैठगà¤à¥¤
यहां पर हमारे साथ à¤à¤• तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ हà¥à¤ˆ, हà¥à¤† यà¥à¤‚ की वेन वाले को हमारे अलावा और तीन चार सवारी चहिये थी जो इस समय उसके पास उपलबà¥à¤§ नहीं थी अत: वह हमें à¤à¤• चाय की दà¥à¤•ान के सामने वेन में बैठाकर सवारी ढà¥à¤‚ढने चला गया, वैसे हम लोग चाय नहीं पीते लेकिन ठंडा मौसम होने तथा इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° का समय काटने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से कविता और मैने उसी पास की दà¥à¤•ान से à¤à¤• à¤à¤• कप चाय ले ली और चà¥à¤¸à¥à¤•ियां लेने लगे, बचà¥à¤šà¥‡ बोर हो रहे थे अत: संसà¥à¤•ृति (मेरी बेटी) ने टाईम पास करने के लिये मà¥à¤à¤¸à¥‡ कैमरा मांगा, मैने उसे दे दिया।
इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° करते हà¥à¤ करीब आधा घंटा हो गया था लेकिन वो वेन वाला नहीं आया. कà¥à¤› देर और इंतज़ार करने के बाद हमने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की यहां इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° करने से अचà¥à¤›à¤¾ है नाशिक चला जाय और à¤à¤• à¤à¤Ÿà¤•े में उठकर हम बाहर आ गà¤, जैसे ही हम वेन से उतरे हमें नाशिक की ओर जाती हà¥à¤ˆ बस दिखाई दी मैने हाथ दिया, बस रà¥à¤•ी और हम सब उसमें बैठगà¤à¥¤
कà¥à¤› दस मिनट चलने के बाद मैने जेब टटोला तो मà¥à¤à¥‡ कैमरा नहीं मिला, मà¥à¤à¥‡ याद आया की कैमरा मैनें गà¥à¥œà¥€à¤¯à¤¾ को दिया था. जब मैनें उससे कैमरे के बारे में पà¥à¤›à¤¾ तो उसके होश गà¥à¤® हो गये, बोली पापा कैमरा तो शायद मà¥à¤à¤¸à¥‡ वेन में ही छà¥à¤Ÿ गया……….ओह माई गॉड, अब तो हम सबकी हालत देखने लायक थी. बस वाले को मैने टिकट के पैसे à¤à¥€ दे दिये थे और अब हम तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° से करीब दस किलोमीटर दà¥à¤° आ चà¥à¤•े थे, फिर à¤à¥€ मैने तà¥à¤°à¤‚त निरà¥à¤£à¤¯ लिया और बस वाले को बस रोकने के लिये कहा, बस रà¥à¤•ी और हम सब सामान सहित à¤à¤• पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पंप के पास उतर गà¤à¥¤
à¤à¤• उमà¥à¤®à¥€à¤¦ मेरे दिल में थी कैमरा मिलने की और उसी उमà¥à¤®à¥€à¤¦ के सहारे मैनें बस रà¥à¤•वाई थी. अब कà¥à¤¯à¤¾ किया जाà¤, इसी उहापोह में हम खड़े थे, हमें परेशान देख à¤à¤• चौबीस पचà¥à¤šà¥€à¤¸ साल के यà¥à¤µà¤• जो नाशिक जा रहा था, ने अपनी कार हमारे पास रोकी और पà¥à¤›à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? आप लोग यहां कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उतर गये, शायद उसने हमें बस से उतरते हà¥à¤ देख लिया था. मैने अपनी परेशानी उसे बता दी, उसने तà¥à¤°à¤‚त कहा की परिवार को पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पंप पर बैठाइये और आप मेरे साथ कार में बैठीये, उसने मà¥à¤à¥‡ बैठाया और कार तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° की ओर दौड़ा दी. कà¥à¤› ही देर में हम उसी जगह पर पहà¥à¤‚च गठजहां वेन खड़ी थी, लेकीन अब वहां वेन नहीं थी यह देखते ही मैं परेशान हो उठा, कैमरा मिलने की अंतिम उमà¥à¤®à¥€à¤¦ पर पानी फ़िर चà¥à¤•ा था।
निराशा की उस घड़ी में मà¥à¤à¥‡ पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤¸à¤¾ लगा की मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• बार चाय की दà¥à¤•ान वाले से बात करनी चाहिये, और मैं उसके पास बदहवास सा पहà¥à¤‚चा और पà¥à¤›à¤¾ “à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ वो वेन जो यहां खड़ी थी वो चली गई कà¥à¤¯à¤¾, उसने कहा…हां चली गई, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† आपको कैमरा चाहिà¤? मैने कहा हां, लेकिन आपको कैसे मालà¥à¤®, उसने अपनी जेब से मेरा कैमरा निकाला और मेरी तरफ़ बढा दिया और बताया की आप लोग जब बस में बैठचà¥à¤•े थे तो मेरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खाली वेन की सिट पर पड़े कैमरे पर गया और मैने उसे उठा कर अपने पास रख लिया, यह सोचकर की अगर आप इसे वापस ढà¥à¤‚ढने आयेंगे तो यहीं पर आयेंगे।
मैं उस चाय वाले की ईमानदारी का कायल हो गया। उसे ढेर सारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया, वहीं पास में उसकी बचà¥à¤šà¥€ खेल रही थी, उसे 100 का नोट पकड़ाया और खà¥à¤¶à¥€ खà¥à¤¶à¥€ अपने पहले मददगार की कार में आकर बैठगया। मà¥à¤à¥‡ कैमरा मिल गया यह जानकर उस कार वाले यà¥à¤µà¤• को à¤à¥€ बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆà¥¤ मà¥à¤à¥‡ उस दिन इस बात का पà¥à¤–à¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिल गया की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आज à¤à¥€ ईंसानियत और ईमानदारी दोनों जिंदा हैं। आखिर à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा हमें अपने दरबार से परेशान और दà¥à¤–ी होकर थोड़े ही जाने देने वाले थे। कार वाले ने मà¥à¤à¥‡ अपने परिवार के पास छोड़ा, और हम सबने मिल कर उस à¤à¤²à¥‡ मानà¥à¤¸ का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा किया, वरना आजकल कौन किसी की बेमतलब मदद करता है।
कà¥à¤› ही देर में हमें शिरà¥à¤¡à¥€ के लिये डाइरेकà¥à¤Ÿ बस à¤à¥€ मिल गई और दोपहर करीब तीन बजे हम लोग शिरà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ हमारे पास शिरà¥à¤¡à¥€ के लिये वकà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ कम था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस समय तीन बज रहे थे और आज ही रात नौ बजे वाली वोलà¥à¤µà¥‹ में हमारी शिरà¥à¤¡à¥€ से इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के लिये बà¥à¤•िंग थी।
यातà¥à¤°à¤¾ से करीब à¤à¤• महिने पहले मैं गूगल पर शिरà¥à¤¡à¥€ के बारे में खोज रहा था तà¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पता चला की आजकल साईंबाबा संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की आफ़िशियल वेबसाईट पर 100 रà¥. पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¥€ की दर से à¤à¥à¤—तान करने पर दरà¥à¤¶à¤¨ की à¤à¥€ बà¥à¤•िंग हो जाती है। इसकी परà¥à¤šà¥€ दिखाने पर शिरà¥à¤¡à¥€ मंदिर के गेट नंबर 3 से डाइरेकà¥à¤Ÿ ईंटà¥à¤°à¥€ मिल जाती है और कैसी à¤à¥€ à¤à¥€à¥œ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¥€ में मातà¥à¤° पौन घंटे (45 मिनट) में दरà¥à¤¶à¤¨ हो जाते हैं. यह à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है, जिसका लाठसà¤à¥€ को उठाना चाहिये, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विकेंडà¥à¤¸ पर शिरà¥à¤¡à¥€ मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये कम से कम चार घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ सकता है।
मैने वी.आई.पी. दरà¥à¤¶à¤¨ के तीन ओनलाईन टिकिट ले लिये थे, अत: उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी की दरà¥à¤¶à¤¨ आसानी से हो जायेंगे. शिरà¥à¤¡à¥€ में बिताठजाने वाले इन तीन चार घंटों के लिये मैने उसी वेबसाईट से संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¤•à¥à¤¤ निवास में à¤à¤• रूम à¤à¥€ बà¥à¤• करवा लिया था मातà¥à¤° 125 रà¥. में।
शिरà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤‚चते ही हम लोग सबसे पहले औटो लेकर à¤à¤•à¥à¤¤ निवास पहà¥à¤‚चे, मैनें सोचा था 125 रà¥. का कमरा कैसा होगा? लेकिन जैसे ही कमरा खोला मà¥à¤à¥‡ ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤†, इतना सà¥à¤‚दर, साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ लंबा चौड़ा, सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ कमरा मातà¥à¤° 125 रà¥. में ? घोर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ लेकिन सतà¥à¤¯. इन दोनों सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का लाठउठाने के लिये कà¥à¤²à¤¿à¤• करें …..https://www.shrisaibabasansthan.org/index.html
Shirdi Bhakt Niwas
The room @ Rs. 125, Can you believe it ?
कमरे में सामान रखकर, नहा धोकर अब हम तैयार थे साईं बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये. à¤à¤•à¥à¤¤ निवास से समाधी मंदिर कि दà¥à¤°à¥€ लगà¤à¤— à¤à¤• किलोमीटर है. समय की कमी को देखते हà¥à¤ हमने इस à¤à¤• किलोमीटर के लिये à¤à¥€ औटो लेना ही उचित समà¤à¤¾. कà¥à¤› ही देर में हम मंदिर के सामने थे. बाबा को अरà¥à¤ªà¤£ करने के लिये कà¥à¤› फ़à¥à¤² वगैरह लेने के बाद हम गेट नंबर 3 की ओर बढ चले. गेट पर हमने अपने ओनलाईन लिठहà¥à¤ दरà¥à¤¶à¤¨ के टिकिट दिखाठतो हमें वी.आई.पी. लाईन में लगा दिया गया और फ़िर तो आधे घंटे में हम बाबा के सामने थे। शनिवार के अतिवà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ तथा à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¥œ à¤à¤¾à¥œ वाले दिन à¤à¥€ हमें आधे घंटे में दरà¥à¤¶à¤¨ हो गअकमाल के थे वो टिकिट à¤à¥€….
छ: बजे तक हम समाधी मंदिर के अलावा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ामाई (वह मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ जहां साईं बाबा का अधिकतर समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होता था), चावड़ी तथा साई बाबा के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपयोग की गई वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ कर चà¥à¤•े थे, पहले à¤à¥€ दो चार बार शिरà¥à¤¡à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ किये थे लेकिन जितने आराम तथा विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से आज किये वैसे दरà¥à¤¶à¤¨ पहले कà¤à¥€ नहीं हà¥à¤, वो à¤à¥€ इतने कम समय में।
चà¥à¤‚कि हमारी बस नौ बजे थी अत: हमारे पास अà¤à¥€ à¤à¥€ तीन घंटॆ बचे थे, तो हमने सोचा की आज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ (साईं पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤¾à¤²à¤¯) में ही à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया जाय, कई बार पहले à¤à¥€ सोचा था लेकिन हो नहीं पाया था। समाधी मंदिर के गेट के पास ही शिरà¥à¤¡à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की नि:शà¥à¤²à¥à¤• बस खड़ी दिखाई दे गई और हम उसमें सवार हो गठऔर कà¥à¤› दस मिनट में ही बस ने हमें साईं पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤¾à¤²à¤¯ छोड़ दिया. यहां कà¥à¤› आठया दस रà¥. में सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है, à¤à¥€à¥œ का दबाव अतà¥à¤¯à¤§à¥€à¤• होने से यहां समय थोड़ा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगता है, लेकिन साईं बाबा की रसोई के खाने की बात ही कà¥à¤› और है.
आजकल शिरà¥à¤¡à¥€ साईं संसथान के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सील बंद लडà¥à¤¡à¥ के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ का विकà¥à¤°à¤¯ à¤à¥€ किया जाता है, दस रà¥. के à¤à¤• पैकेट में तीन बड़े साईज़ के तथा सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ लडà¥à¤¡à¥ दिये जाते हैं, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤²à¤¯ से लौटते समय हम à¤à¤• बार फिर समाधी मंदिर में गये और मैं ये लडà¥à¤¡à¥ लेने के लिये लाईन में लग गया तथा लडà¥à¤¡à¥ के तीन चार पैकेट ले आया।
मंदिर के अचà¥à¤›à¥‡ से दरà¥à¤¶à¤¨ करने, à¤à¥‹à¤œà¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने के बाद अब हम लोग औटो लेकर à¤à¤•à¥à¤¤ निवास चल दिये, सामान वगैरह पैक करके, रूम चेक आउट करके हम हंस टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤²à¥à¤¸ के ओफ़िस पहà¥à¤‚चे जहां हमारी इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के लिये बस तैयार खड़ी थी, बस में बड़ी अचà¥à¤›à¥€ नींद आई और सà¥à¤¬à¤¹ छ: बजे हम इनà¥à¤¦à¥Œà¤° पहà¥à¤‚च गये, वहां से अपनी कार लेकर कà¥à¤› ही देर में घर पहà¥à¤‚च गअ.
और इस तरह हमारी ये यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ ढेर सारी न à¤à¥à¤²à¤¨à¥‡ वाली यादों के साथ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ……..फ़िर मिलते हैं à¤à¤¸à¥€ ही किसी सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ की कहानी के साथ……..
सà¤à¥€ साथियों को बीती हà¥à¤ˆ दिवाली तथा आनेवाले नववरà¥à¤· की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤à¤•ामनायें……