आज तारीख मई 5 हो चली थी। वैसे तो मैं मई 4 को दरà¥à¤¶à¤¨ करना चाहता पर ख़राब मौसम की वजह से नहीं कर पाया था। आज सोमवार का दिन था à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ का दिन। शायद à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की यही इचà¥à¤›à¤¾ थी यही सोच कर अपने दिल को बहला लिया। मैंने अपना रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ और मेडिकल रिपोरà¥à¤Ÿ चेक करवाली। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वालों के पास à¤à¤• रजिसà¥à¤Ÿà¤° à¤à¥€ था जिसमे वो लोग हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पता, मोबाइल नंबर और à¤à¤• à¤à¤®à¥‡à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¸à¥€ नंबर दरà¥à¤œ कर रहे थे। यहाठपर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ ने सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक 3 कि.मी. के लिठशटल सेवा निशà¥à¤²à¥à¤• की हà¥à¤ˆ है। मैं उसी शटल का इंतज़ार कर रहा था।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ चेक पोसà¥à¤Ÿ पर यातà¥à¤°à¥€ रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ और मेडिकल रिपोरà¥à¤Ÿ चेक की जाà¤à¤š हो रही है।
शटल मैं सीटिंग के हिसाब से ही लोग बैठे थे। à¤à¤• जन à¤à¥€ फालतू नहीं था। सà¤à¥€ लोगों à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर गाड़ी मे बैठगà¤à¥¤ शटल हमें 3 कि.मी. आगे तक छोड़ने वाली थी। यहाठसे आगे सड़क नहीं थी पूरा पहाड़ टूटा हà¥à¤† था। मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था कि मानो गाड़ी पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के गारे पर चल रही है। बहà¥à¤¤ ही सà¤à¤•रा रासà¥à¤¤à¤¾ था। थोड़ी देर के बाद डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी रोकी और कहा यहाठसे अब पैदल जाना है। मैं हैरान था सब कà¥à¤› बदल गया था। यहाà¤Â पर गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ जैसा कà¥à¤› नहीं था। पहले तो गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ मे à¤à¥€ पारà¥à¤•िंग हà¥à¤† करती थी। जहाठपर शटल ने उतारा था बस वहीठतक रासà¥à¤¤à¤¾ था। पिछले साल तक तो गाड़ियाठआगे तक जाती थी। तबाही ने सब कà¥à¤› खतà¥à¤® कर दिया था। यहाठसे गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ 1-1.5 की.मी. का पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ था। यहाठपर बहà¥à¤¤ सी गाड़ियाठखड़ी थी। मैंने शटल डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से कहा “यार ये लोग à¤à¥€ यहाठतक गाड़ी लेकर आये है और पारà¥à¤•िंग लगा कर चल दिठहैं। à¤à¤¸à¥‡ तो मैं à¤à¥€ यहाठतक अपनी गाड़ी लेकर आ सकता था। ” शटल डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° थोड़ा सा मà¥à¤¸à¥à¤•राकर बोला “à¤à¤¾à¤ˆ जी ये गाड़ियाठतो पिछले साल से यहीं खड़ी हैं। इनको लेने कोई नहीं आया। ” उसने यह à¤à¥€ बताया कि पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ ने तो गाड़ियों के रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ नंबर से मालिक का पता à¤à¥€ लगवाया और उनके रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सूचित किया पर इन गाड़ियों को किसी ने à¤à¥€ कà¥à¤²à¥‡à¤® नहीं किया। हो सकता है घर के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ तबाही की चपेट मे आ गठहों।
लावारिस गाड़ियाà¤à¥¤
लावारिस गाड़ियाà¤à¥¤ फ़ोटो मे जो रासà¥à¤¤à¤¾ दिख रहा है यही पहले गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक जाता था।
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक पैदल जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नया बनाया गया था। रासà¥à¤¤à¤¾ कचà¥à¤šà¤¾ ही था। à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर मैंने चलना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। पहाड़ों मे टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग का à¤à¤• गà¥à¤°à¥ मंतà¥à¤° है à¤à¤• सीमित गति से चलते रहो। जलà¥à¤¦à¥€ चलते और बड़े कदम लेने से इंसान जलà¥à¤¦à¥€ थक जाता है। इसलिठछोटे कदम रखते हà¥à¤ मैं चलने लगा। मैंने घड़ी मे टाइम देखा अà¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ के 06:15 बज रहे थे। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक जाने वाला रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नया बनाया गया था। बारिश होने की वजह से ये रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कचà¥à¤šà¤¾ ही था।
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤šà¤¾ तो वहाठपर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ पर फिर से रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ चेक करवाया और यहाठपर à¤à¥€ रेजिसà¥à¤Ÿà¤° मे इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ दरà¥à¤œ हà¥à¤ˆà¥¤ सà¥à¤¬à¤¹ के वक़à¥à¤¤ गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ पड़ा हà¥à¤† था। वैसे à¤à¥€ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ की लाइन मे मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 20 लोग रहे होंगे। यहाठपर मेरी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ से हà¥à¤ˆà¥¤ वो अपने 13 शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ पर निकले थे। ये लोग गंगोतà¥à¤°à¥€ और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके अब केदारनाथ जा रहे थे और आखिर मे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने वाले थे। ये à¤à¤• मिशन के तहत चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ पर थे। इनके मिशन का नाम “आल इस वेल(All Is Well) था। इस मिशन से ये लोगों से चार धाम की यातà¥à¤°à¤¾ करने का संदेश दे रहे थे। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि पिछले साल हà¥à¤ˆ आपदा के बाद लोग à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ हो गठथे। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से मैं गà¥à¤°à¥‚जी की टोली के साथ हो लिया। ये लोग नैनीताल से आये थे।
रासà¥à¤¤à¥‡ की हालत देखिये। कंकड़ और रोडियों से à¤à¤°à¤¾ पड़ा है। ये बारिश की वजह से हà¥à¤† है।
रासà¥à¤¤à¥‡ मे हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° का कॉकपिट à¤à¥€ पड़ा हà¥à¤† था। न जाने कà¥à¤¯à¥‚ठयहाठतक लेकर आये होंगे।
केदार घाटी की à¤à¤• à¤à¤²à¤•।
चलते-चलते गरà¥à¤®à¥€ सी लगने लगी मैंने सर से टोपी उतार ली और जैकेट की चैन à¤à¥€ आधी खोल ली थी। गà¥à¤°à¥‚जी के कà¥à¤› शिषà¥à¤¯ तो फटाफट आगे निकल गठथे। उमà¥à¤° मे छोटे थे और शरीर à¤à¥€ दà¥à¤¬à¤²à¤¾ पतला सा था। रासà¥à¤¤à¤¾ ख़राब ही था अà¤à¥€ तो यातà¥à¤°à¥€ काम और हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे लेबर रासà¥à¤¤à¤¾ ठीक करने मे लगी हà¥à¤ˆ थी। देख कर आशà¥à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ हो रहा था इन मिशà¥à¤•िल हालत मे à¤à¥€ ये लोग काम कर रहे थे। आखिर पापी पेट और परिवार पालने के लिठसब कà¥à¤› करना पड़ता है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लेबरों ने घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ तक के जूते और रेनकोट पहना हà¥à¤† था। सूरà¥à¤¯ देव कà¥à¤› खास मेहरबान नहीं थे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वक़à¥à¤¤ धà¥à¤ª के दरà¥à¤¶à¤¨ दà¥à¤°à¥à¤²à¤ ही रहे। जब जब विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते तो ठंड लगने लगती और जैसे ही चलते तो फिर से शरीर मे गरà¥à¤®à¥€ आ जाती।
हलà¥à¤•ी à¤à¥‚ख लगने लगी थी। मैंने गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से à¤à¤• पानी की बोतल, दो चॉकलेट, à¤à¤• कà¥à¤°à¥€à¤® वाला छोटा बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और à¤à¤• Parle-G ख़रीद लिया था। पानी तो लगातार पी ही रहा था पर हर बार सिरà¥à¤« à¤à¤• घूà¤à¤Ÿà¥¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पानी à¤à¤• बार पीने से उलà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ हो सकती है। मैं धीरे-धीरे चॉकलेट और बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ चाबते हà¥à¤ आगे चलता रहा और जंगलचटà¥à¤Ÿà¥€ कैंप साइट तक पहà¥à¤à¤š गया। यहाठपर à¤à¤• GMVN(गढ़वाल मंडल विकास निगम) की à¤à¤• कैंटीन थी। कैंटीन मे गà¥à¤°à¥‚जी और उनके चेलों ने चाय पी। यहाठपर ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ थी। इसके अलावा पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• रोकथाम के इंतज़ाम à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ थे और à¤à¤• विशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤—à¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ था।
सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ – चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤²à¤¯
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से रामबाड़ा तक रासà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ वाला ही था पर बड़ी बà¥à¤°à¥€ तरह कà¥à¤·à¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¹à¤¸à¥à¤¤ हो गया था। रासà¥à¤¤à¤¾ पहचान मे ही नहीं आ रहा था। बारिश और à¤à¥‚सà¥à¤–लन होने की वजह से रासà¥à¤¤à¥‡ के à¤à¤¸à¥‡ हाल हà¥à¤ थे।
रामबाड़ा से कà¥à¤› पहले की à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥¤
रामबाड़ा पहà¥à¤à¤š तो होश उड़ गà¤à¥¤ सिरà¥à¤« रामबाड़ा नाम के अलावा पर सही माने मे कà¥à¤› नहीं बचा था। अà¤à¥€Â मैं मंदाकनी नदी के बाà¤à¤ ओर चल रहा था लेकिन रामबाड़ा बाद आगे का पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ जिस पहाड़ पर बना था वो पहाड़ पिछले साल ढह गया था। सीधा बोलूठतो रामबाड़ा बाद पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ नया रासà¥à¤¤à¤¾ बनाया था। नठरासà¥à¤¤à¥‡ पर जाने लिठबाà¤à¤ ओर से मंदाकनी को à¤à¤• पà¥à¤² के जरिठपार करके दाà¤à¤ ओर जाना था। और अà¤à¥€ तक इस पà¥à¤² पर काम चल रहा था।
रामबाड़ा के बाद à¤à¤• गहरी उतराई लेकर पà¥à¤² पार किया।
वीडियो 1:-  Â
à¤à¤¸à¤¾ विनाश हà¥à¤† था रामबाड़ा पर।
कितने à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप से जलजला आया होगा। रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा दिया। मेरी पिछली यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं मे मैं और मेरा साथी यहीं पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया करते थे और पेट à¤à¤° पराà¤à¤ े खाया करते थे। यहाठपर रात को सोने का इंतज़ाम à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। à¤à¤¸à¥€ ही मेरी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ मे केदारनाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ से लौटते वक़à¥à¤¤ हमने रात के 2 बजे यहीं रामबाड़ा पर à¤à¤• दूकान वाले से विनती करके कà¥à¤› खाने की पेशकश की थी। उस वक़à¥à¤¤ उसके पास सिरà¥à¤« आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ थी। हम उस साल 6 दोसà¥à¤¤ गठथे। सà¤à¥€ à¤à¥‚खे थे हमारी हालत पर दà¥à¤•ानदार को तरस आया और बोला कि चलो ठीक है अंदर आ जाओ और पहले चाय पी लो तबतक मैं आटा गूà¤à¤¦ देता हूà¤à¥¤ गरà¥à¤®-गरà¥à¤® रोटी और आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ खाकर मज़ा आ गया था। तो मेरा ये वाकà¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि रामबाड़ा अपने आप मे à¤à¤• समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कसबे की तरह था। जहाठपर यातà¥à¤°à¤¾ सीजन मे लोग हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे होते थे।  यहीं पर खचà¥à¤šà¤° सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। लेकिन इस बार सब खतà¥à¤®à¥¤ जो पहली बार गया होगा वो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और यकीन अà¤à¥€ नहीं कर सकता कि रामबाड़ा पर कैसा कहर टूटा था।
जैसे कि मैंने पहले à¤à¥€ बताया था पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ पर अà¤à¥€ काम ही चल रहा था।
सिरà¥à¤« दो घूंट पानी बचा है बोतल मे।
बारिश आई नहीं कि रासà¥à¤¤à¤¾ गायब।
नठरासà¥à¤¤à¥‡ पर चढ़ाई जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤° कचà¥à¤šà¤¾ ही है मà¥à¤à¥‡ लग रहा था की आने वाले बारिश के मौसम मे तो यातà¥à¤°à¤¾ बिलकà¥à¤² ही नहीं हो पाà¤à¤—ी। सारा रासà¥à¤¤à¤¾ ढह जाà¤à¤—ा। यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ यहाठअà¤à¥€ लेबर काम कर रही थी। लिंचोली बेस कैंप तक सामन पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा था। लिंचोली मे पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ कि तरफ से निशà¥à¤²à¥à¤• जल-पान, à¤à¥‹à¤œà¤¨ और विशà¥à¤°à¤¾à¤® का पूरा इंतज़ाम था। लेकिन अà¤à¥€ लिंचोली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ मे टाइम था। चढाई लोहे के चने चबाने जैसी थी। चॉकलेट, बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, पानी सब खतà¥à¤® हो गया था। लेकिन मैंने पानी की खाली बोतल संà¤à¤¾à¤² के रखी हà¥à¤ˆ थी।
कà¥à¤› देर तक चलने के बाद मैं लिंचोली कैंप साइट पर पहà¥à¤à¤š गया। यहाठपर à¤à¥‹à¤œà¤¨ का पूरा इंतज़ाम था। विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने और रात मे रà¥à¤•ने/सोने के लिठबहà¥à¤¤ सारी कैंप हटà¥à¤¸ थी। सà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤‚ग बैगà¥à¤¸ थे। यहाठपर हैलीपेड à¤à¥€ बना हà¥à¤† था। जो सामान à¤à¤°à¥€ था उसको हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा था। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° बीमार लोगों को à¤à¥€ निशà¥à¤²à¥à¤• वापस लेकर जा रहा था। अà¤à¥€ फाटा से वैसे तो हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° सेवा शà¥à¤°à¥‚ नहीं हà¥à¤ˆ थी पर जरूरी काम-काज के लिठतो उड़ा ही रहे थे।
लिंचोली कैंप साइट।
गरमा-गरम सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ खिचिड़ी।
मैंने à¤à¥€ यही पर खिचिड़ी खाई थी। वैसे दूसरी जगह पर चावल छोले, सबà¥à¤œà¤¼à¥€ à¤à¥€ थी पर मैंने सफर के समय हलà¥à¤•ा à¤à¥‹à¤œà¤¨ लेना ही ठीक समà¤à¤¾à¥¤ पेट à¤à¤° के ठूस लेता तो चलने मे दिकà¥à¤•त होती। कà¤à¥€-कà¤à¥€ अपनी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पर मà¥à¤à¥‡ आसà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि असलियत मे इतना समà¤à¤¦à¤¾à¤° हूठनहीं। यहीं से मैंने अपनी पानी की बोतल फिर से à¤à¤° ली। पानी कतई ठंडा था।
हैलीपैड।
फ़ोटो मे दाà¤à¤ और टैंट दिख रहे हैं ये यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं के लिठलगे हà¥à¤ थे। फ़ोटो मैंने ठीक से नहीं लिया। बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ मे थे टैंट।
अब मज़िल दूर नहीं थी पर असली चढ़ाई लिंचोली के बाद ही थी। पता चला कि हौंसले टूट जाà¤à¤à¤—े आने वाली चढ़ाई मे। मैं आगे चल दिया। दूर से कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ नज़ारा दिख रहा था। तà¤à¥€ बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी। मैंने à¤à¤• टैंट लगा देखा और उसकी ओर दौड़ा। टैंट के बाहर 2-3 बाबा लोग बैठे हà¥à¤ थे। मैं à¤à¥€ उनके बगल मे जा बैठा। तà¤à¥€ आवाज़ आई à¤à¤¾à¤ˆ साहब अंदर आ जाओ बहà¥à¤¤ जगह है। मैंने जूते उतारे और अंदर चला गया। ये टैंट NDMA (National Disaster Management Authority) वालों का था। बोला आराम से लेट जाओ। टैंट मे बिसà¥à¤¤à¤° लगे हà¥à¤ थे और रजाईयां à¤à¥€ बहà¥à¤¤ थी। लेकिन मैंने रज़ाई नहीं ओडी शरीर का जो तापमान था उसको वैसे ही रहने दिया। बारिश जलà¥à¤¦à¥€ ही 10 मिनट के बाद ही रà¥à¤• गई और मैं फिर से आगे निकल पड़ा।
जिस पहाड़ पर ये रासà¥à¤¤à¤¾ बना हà¥à¤† था वो à¤à¥€ टूटा हà¥à¤† था। à¤à¥‚सà¥à¤–लन हो रखा था।
मà¥à¤à¥‡ अपने गाà¤à¤µ तक जाने के लिठà¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ ही चढ़ाई पर चलना होता है तो मेरे लिठदिकà¥à¤•त की बात नहीं थी। लेकिन गà¥à¤°à¥ चढ़ाई सही मे जानलेवा थी। à¤à¤¸à¥€ की तैसी हो गई। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से लिंचोली तक इतना कषà¥à¤Ÿ नहीं हà¥à¤† था जितना इस आखरी पड़ाओ मे हà¥à¤†à¥¤ मैं हर 10-15 कदम चलने के बाद रà¥à¤• जाता था। रासà¥à¤¤à¤¾ कचà¥à¤šà¤¾ था यहाठपर अà¤à¥€ पतà¥à¤¥à¤° नहीं बिछाठथे इसीलिठबहà¥à¤¤ सावधानी से पैर जमाकर चलना पद रहा था। कà¥à¤› लोग रासà¥à¤¤à¥‡ को छोड़ कर पगडणà¥à¤¡à¥€ से जा रहे थे। पगडणà¥à¤¡à¥€ से जाने मे और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मेहनत लगती है और थकान लग जाती है। मैं तो सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ ही चलता गया। अब मैं पहाड़ के ऊपर था और अब रासà¥à¤¤à¤¾ बिलकà¥à¤² समतल आ गया था। à¤à¤¸à¥‡ इलाके को “बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤²” बोलते है। पर अà¤à¥€ यहाठपर बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² जैसा कà¥à¤› नहीं था। चारों तरफ बरà¥à¤«à¤¼ ही बरà¥à¤«à¤¼ थी। à¤à¤•दम सफेद चादर की तरह।
तà¤à¥€ मेरी नज़र सामने वाले पहाड़ पर गई जहाठपहले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤† करता था। पहाड़ पर कà¥à¤› बड़ी से चीज़ गिरी पड़ी थी पर ठीक से नज़र नहीं आ रही थी। फिर समठमे आया बाप से ये तो किसी हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष हैं। दूर से किसी कूड़े के ढ़ेर जैसा लग रहा था। पिछले साल हà¥à¤ˆ आपदा मे बचाओ कारà¥à¤¯ करते समय कà¥à¤·à¤¤à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हà¥à¤† था।
हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष। पहाड़ पर नज़र डालिये पूरा ढह गया है।
पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ और हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤• बिंदॠमातà¥à¤° ही लग रहा है।
पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ अब केरदारनाथ की ओर नहीं जा सकता।
कैसा बबाल हà¥à¤† होगा ज़रा कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये। सदियों से जो पहाड़ों की शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला अडिग थी पिछले साल हà¥à¤ˆ तबाही ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हिला कर रख दिया था। या कहूठकि ख़तà¥à¤® कर दिया कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि ये वापस से अपनी पहले जैसी सकà¥à¤² मे नहीं आ सकते। इनपे जो डेंट पड़ा है उसे कोई à¤à¥€ बॉडी शॉप ठीक नहीं कर सकती। इनपर लगे हà¥à¤ दाग सरà¥à¤«-à¤à¤•à¥à¤¸à¥‡à¤² à¤à¥€ नहीं हटा सकता।
चलिठआगे बढ़ते हैं।
मैं इस समय बहà¥à¤¤ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर था और अब मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› दूर सीधे जाकर नीचे की और उतरकर केदारनाथ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ था। यहाठपर बरà¥à¤«à¤¼ के अलावा कà¥à¤› नहीं था। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता कि बरà¥à¤«à¤¼ की मोटाई कितनी थी पर किसी-किसी जगह पर मेरा पैर घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ तक धस जाता था। मैंने अपनी घड़ी मैं altitude(समà¥à¤¦à¥à¤° ताल से ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ) चेक किया। मीटर ने 3470 दिखाया, बोले तो 11384 फीट.
यहाठपर बहà¥à¤¤ सारे करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ और सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवी लगातार बरà¥à¤«à¤¼ हटाकर रासà¥à¤¤à¤¾ बनाने की कोशिश मे लगे हà¥à¤ थे। लेकिन बरà¥à¤«à¤¬à¤¾à¤°à¥€ रोज ही चल रही थी और इन लोगों की मेहनत पर पानी फिर जाता था।
जहाठपैरों के निशान थे मैं à¤à¥€ वहीठपर चल रहा था। मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® बरà¥à¤« पर तो पैर अंदर धस जाता जिससे गति धीमी हो जाती थी।
कà¥à¤¯à¤¾ कहूà¤à¥¤ खà¥à¤¦ ही देख लीजिये।
GMVN कैंप यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करते हà¥à¤à¥¤
दोपहर के दो बजने वाले थे मैं बिना समय नषà¥à¤Ÿ किये मंदिर की ओर चल दिया। मंदिर को छोड़ कर सब कà¥à¤› खतà¥à¤® हो गया था। मंदिर का पूरा आà¤à¤—न मलवे के नीचे दब चà¥à¤•ा है। पहले मंदिर के चारों तरफ ऊà¤à¤šà¥€ दीवार थी। तीन-चार सीढ़ियाठचढ़ कर मंदिर के आà¤à¤—न मे पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ थे। अब à¤à¤¸à¤¾ नहीं है।
जय केदारनाथ।
बहà¥à¤¤ आराम से दरà¥à¤¶à¤¨ किये। गिने-चà¥à¤¨à¥‡ लोग ही थे।
केदारनाथ घाटी मे मंदिर के अलावा कà¥à¤› नहीं बचा था। मंदिर के दोनों ओर बनी दà¥à¤•ानें, लॉज, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤à¤ सब कà¥à¤› नषà¥à¤Ÿ था। मंदिर के पीछे à¤à¥€ कà¥à¤› मठ, à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤ मंदिर, आशà¥à¤°à¤® हà¥à¤† करते थे à¤à¤• à¤à¥€ जगह साबà¥à¤¤ नहीं बची थी।
केदारनाथ को à¤à¥€ à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ ने बचा लिया था। à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा पतà¥à¤¥à¤° मंदिर के पीछे शिला की तरह पड़ा हà¥à¤† था। इसी की वजह से पानी और मालवा मंदिर के दाà¤à¤-बाà¤à¤ से निकल गया था। वैसे मलवा तो मंदिर के अंदर तक à¤à¤° गया था पर इस पतà¥à¤¥à¤° ने मंदिर के अंदर के शिवलिंग को नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ होने से बचा लिया था। मैंने देखा कि इस पतà¥à¤¥à¤° को à¤à¥€ मालाओं से सजाया हà¥à¤† था। हो न हो अब इसकी पूजा à¤à¥€ ज़रूर होती होगी।
इसी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ ने मंदिर को बचाया।
à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद मैं वापस निकल पड़ा। बार-बार मैं पलट कर केदार घाटी की हालत देख रहा था। दिल दà¥à¤– से à¤à¤° उठता था और अपनी आà¤à¤–ों पर यकीन नहीं होता था। मैं पिछले साल ये यातà¥à¤°à¤¾ नहीं कर पाया था कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि उस वक़à¥à¤¤ मेरे माता-पिता इस यातà¥à¤°à¤¾ पर गठथे और मैं घर की देख-रेख के लिठरà¥à¤• गया था। मेरे माता-पिता à¤à¥€ सही सलामत इस यातà¥à¤°à¤¾ से वापस आ गठथे। केदार घाटी की ये दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ देख कर मैं यही सोच रहा था की मेरे घरवालों पर à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की कृपा बानी रही होगी।
वैसे मेरा सोचना थोड़ा अलग है। सब लोग यही कहते थे की देवी आपदा है। मेरे हिसाब से ये आपदा पà¥à¤°à¤•ृति मे असंतà¥à¤²à¤¨ होने की वजह से आई थी। सबसे बड़ी चीज़ हमारा पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ आज तक सोता रहा था। पिछले साल हà¥à¤ˆ घटना के बाद कà¥à¤› होश आया था। पहले हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे लोग रोज़ दरà¥à¤¶à¤¨ करने जाते थे। उन लोगों का रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ तक नहीं होता था।
इस बार पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ सचेत था। जरा सा à¤à¥€ मौसम बिगड़ने पर यातà¥à¤°à¤¾ पर रोक लगा दी जाती थी। NDMA के लोग रासà¥à¤¤à¥‡ मे कई जगह पर तैनात थे जो मौसम का हाल समय-समय पर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¤à¥‡ रहते थे।
दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद मैं लौट रहा था तà¤à¥€ देखा à¤à¤• साधू बाबा कà¥à¤› गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मेरे पीछे चले आ रहे हैं। यहीं कà¥à¤› दूरी पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी। मैं यही पर रà¥à¤• गया और à¤à¤• पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ मे कड़ी-चाà¤à¤µà¤² और अचार ले लिया। तà¤à¥€ साधू बाबा à¤à¥€ यहाठपहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ लग गया था कि ये à¤à¥‹à¤²à¥‡ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मे बà¥à¤°à¥€ तरह लीन हो चà¥à¤•े हैं। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ज़रूर अंटा(grass) मारा हà¥à¤† था। बाबा के मà¥à¤¹ से निकले हà¥à¤ बोल कà¥à¤› इस तरह।
अचà¥à¤›à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
आओ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ आओ ,
यहाठचाय à¤à¥€ मिलेगी ,
खाना à¤à¥€ मिलेगा ,
पैसा à¤à¥€ नहीं लगेगा ,
अचà¥à¤›à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का।
मैं इसका वीडियो बनाना चाहता था लेकिन इस वक़à¥à¤¤ मैं खाना खा रहा था। मैंने जलà¥à¤¦à¥€ खाना खतà¥à¤® किया पर कà¥à¤› सेकंड पहले साधू बाबा चà¥à¤ª हो गठऔर à¤à¤• चाय माà¤à¤—ी। बाबा को रिकॉरà¥à¤¡ करने का सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤°à¤¾ मौका मैंने खो दिया।
लौटते वक़à¥à¤¤ ली गई कà¥à¤› फ़ोटो।
जान जोखिम मे डाल कर काम करते हà¥à¤ कà¥à¤› लोग।
वापस लौटते वक़à¥à¤¤ मैं, गà¥à¤°à¥‚जी के टेमà¥à¤ªà¥‹-टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¤²à¤° का डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤°, गà¥à¤°à¥‚जी और NDMA के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€à¥¤
ये सब लेबर पतà¥à¤¥à¤° निकलते हà¥à¤, फिर इन पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को हथोड़े से तोड़ती थी, फिर चलने लायक रासà¥à¤¤à¥‡ पर बिछाती थी।
शाम तेजी से ढल रही थी। अà¤à¥€ तो बहà¥à¤¤ दूर तक उतरना था। अब मà¥à¤à¥‡ पंजो और खासकर दोनों पैरों के अंघूटों मे दरà¥à¤¦ होने लगा था à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था की छाला बन गया हो। अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होना शà¥à¤°à¥‚ हो गया। इस वक़à¥à¤¤ मैं गरà¥à¤¡à¤¼ चटà¥à¤Ÿà¥€ पर बने GMVN कैंप तक पहà¥à¤à¤š गया। मैंने यही पर à¤à¤• Glucon-D का पैकेट खरीदा और चाय के कप मे दो बार घोल के पी लिया। तà¤à¥€ सोने पर सà¥à¤¹à¤¾à¤—ा हो गया और बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई। मैं जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ नीचे उतरना चाहता था इसलिठबारिश की परवाह किये बिना आगे निकल गया। इस वक़à¥à¤¤ मैं घà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ और बारिश मे अकेले ही चले जा रहा था। बारिश मे फिसलने के अलावा मà¥à¤à¥‡ कोई डर नहीं था। à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके जो लौट रहा था।
मैंने घड़ी मे टाइम देखा तो रात के 8 बजने वाले थे। बारिश और पैर मे छाले पड़ जाने की वजह से मैं बहà¥à¤¤ धीरे-धीरे चल रहा था। रात 8:30 बजे मैं गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤š गया। कà¥à¤› 2-4 दà¥à¤•ानें ही खà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆ थी। पिछले साल तक तो बाज़ार सजा रहता था। मैं à¤à¤• दà¥à¤•ान मे घà¥à¤¸ गया और पानी की बोतल खरीदी। फिर से Glucon-D का पैकेट निकला और à¤à¤• à¤à¤• गिलास à¤à¤° के पिया। 10 मिनट आराम करने के बाद कà¥à¤› राहत मिली। तà¤à¥€ गà¥à¤°à¥‚जी और उनके कà¥à¤› शिषà¥à¤¯ à¤à¥€ आ गà¤à¥¤ मैंने पता किया तो दà¥à¤•ानदार ने बताया कि इस वक़à¥à¤¤ गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जाने के लिठकोई शटल नहीं मिलेगी। शटल शाम 6-7 बजे के बीच मे बंद हो जाती हैं। ऊपर से मौसम à¤à¥€ ख़राब है कोई à¤à¤®à¤°à¥à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ होगी तब à¤à¥€ शटल नहीं आà¤à¤—ी।
मैंने रात गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ रà¥à¤•ने मैं ही ठीक समà¤à¤¾à¥¤ उसी दà¥à¤•ानदार से मैंने कहा और 350/- मैं उसने à¤à¤• लॉज मे मेरे रà¥à¤•ने का इंतज़ाम करवा दिया। गà¥à¤°à¥‚जी और उनके शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अलविदा कर मे लॉज की ओर चल दिया। बहà¥à¤¤ ही साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ लॉज था। माफ़ कीजियेगा मà¥à¤à¥‡ नाम याद नहीं आ रहा। सबसे पहले मैंने गीले कपड़े निकाले और गीजर से गरà¥à¤® पानी निकाल कर बालà¥à¤Ÿà¥€ मे पैर डà¥à¤¬à¥‹ दिये। 10 मिनट के बाद à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ आ गया और खाना खतà¥à¤® करने के बाद मैं घोड़े बेच कर सो गया।
आज तारीख 6 मई हो गयी थी। कल से तो मà¥à¤à¥‡ ऑफिस जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¨ करना था। आज मैं सà¥à¤¬à¤¹ 5:30 बजे ही लॉज वाले के साथ हिसाब करके 1 कि.मी और आगे चल दिया। वहीठसे शटल सेवा मिलने वाली थी। शटल ने सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पर वापस उतार दिया और सबसे पहले मैंने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ पर जाकर बताया की मैं वापस आ गया हूà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रजिसà¥à¤Ÿà¤° मे दरà¥à¤œ किया लिया। इसके बाद मैंने à¤à¤• चाय बनवाई और फैन खाà¤à¥¤ वैसे à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ के 6:30 बजे किसको à¤à¥‚ख लगती है। अब मैं पारà¥à¤•िंग की ओर गया और यहीं खड़े-खड़े कपड़े बदल लिà¤à¥¤ इसके बाद जब तक गाड़ी का इंजन गरà¥à¤® हà¥à¤† मैंने à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ लगाकर अपना इंजन à¤à¥€ गरà¥à¤® कर लिया।
à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर गाड़ी घर के लिठवापस दौड़ा दी।
सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी की और जाते वक़à¥à¤¤ à¤à¤• साइन बोरà¥à¤¡à¥¤
selfie (अपनी अपने आप लेना)
मैंने गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी पहà¥à¤à¤š कर पानी की दो बोतल खरीदी और à¤à¤• पैकेट नेवी-कट à¤à¥€à¥¤ तà¤à¥€ देखा की रंग-रà¥à¤Ÿ (फ़ौजी) दौड़ पर निकल रहे हैं। ये इन लोगो के रोज़ के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ का हिसà¥à¤¸à¤¾ होता है।
गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी से मैं बिना रà¥à¤•े चलता रहा और गाड़ी धारी देवी पर जाकर रोकी। इस मंदिर को इसकी असली जगह से उठा कर पिलर पर रख दिया गया है। कà¥à¤› लोग इसे à¤à¥€ पिछले साल हà¥à¤ˆ तबाही का कारण मानते हैं। यहाठपर डैम का काम पूरा हो चà¥à¤•ा है और विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— हाइडà¥à¤°à¥‹ पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ शà¥à¤°à¥‚ होने वाला है। अगर धरी देवी मंदिर को पिलर पर नहीं उठाते तो ये मंदिर डूब जाता। मेरे हिसाब से तो लोगों की आसà¥à¤¥à¤¾ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते हà¥à¤ सरकार ने काबिले तारीफ काम किया है। हम लोग 21वी सदी मे हैं। à¤à¤—वान मे आसà¥à¤¥à¤¾ के साथ हमें देश के विकास के बारे मे à¤à¥€ सोचना है।
जय माठधारी।
पिलर पर धारी देवी का मंदिर।
टाइम की कमी होनी की वज़ह से धारी देवी को दूर से नमन करके मैं सीधा देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पर रà¥à¤•ा। दोपहर के 2:00 बजने वाले थे। यहाठबने सà¥à¤²à¤ शौचालय मे जाकर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हà¥à¤†à¥¤ पेट खाली होते ही फिर से à¤à¤°à¤¨à¥‡ का टाइम तो हो ही गया था। सà¥à¤¬à¤¹ ठीक से नाशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नहीं किया था। पेट à¤à¤° दाल, रोटी, सबà¥à¤œà¤¼à¥€ का सेवन किया। à¤à¤• कोलà¥à¤¡-डà¥à¤°à¤¿à¤‚क के सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ लगाया और ऋषिकेश की ओर निकल पड़ा। ठीक 3:00 मैं ऋषिकेश नटराज चौक पर पहà¥à¤à¤š गया। अपने तजà¥à¤°à¥à¤¬à¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• मैं सोच कर चल रहा था कि काम से काम रात के 10:00 तो बज ही जाà¤à¤à¤—े। पर इस बार मेरी किसà¥à¤®à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ थी टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• कम मिला और मैं रात 8:15 तक घर पहà¥à¤à¤š गया।
घर पहà¥à¤à¤š कर सारी थकान दूर हो गई। फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के बाद मैं अपनी पसंदीदा दà¥à¤•ान की ओर चल दिया। पाà¤à¤š दिनों से मैंने à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€ बूसà¥à¤Ÿà¤° नहीं लिया था।  7 मई को ऑफिस जाना था और बूसà¥à¤Ÿà¤° लेना बहà¥à¤¤ जरूरी हो गया था।
उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है कि आप लोगों को ये यातà¥à¤°à¤¾ पसंद आये।
कà¥à¤› जरूरी बातें:-
1 – मेरी तरह बेवकूफी करते हà¥à¤ गाड़ी से अकेले नहीं जाà¤à¤à¥¤ à¤à¤• से à¤à¤²à¥‡ दो।
2 – मौसम की जानकारी लेकर जाà¤à¤à¥¤ मैं जब यातà¥à¤°à¤¾ से वापस आया था तो उसके दो दिन बाद यातà¥à¤°à¤¾ रोक दी गयी थी।
3 – अतिरिकà¥à¤¤ दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ लेकर जाà¤à¤à¥¤
4 – अब दूरी पहले से बढ़ गयी है। आना-जाना कà¥à¤² मिला कर लगà¤à¤— 40 कि.मी हो गया है।
5 – रेनकोट बहà¥à¤¤ जरूरी है। चढ़ाई करते वक़à¥à¤¤ अपने साथ खाने का सामन और पानी जरूर रखे।
6 – जब मैं गया था तब रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ से जगह पर कचà¥à¤šà¤¾ और संकरा था। वृदà¥à¤§ और बचà¥à¤šà¥‡ को साथ लेकर जाने से दिकà¥à¤•त जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बढ़ सकती है।
7 – अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ और बारिश के माहौल मे न उतरें। बारिश के वक़à¥à¤¤ पतà¥à¤¥à¤° गिरने का दर होता है।
8 – अगर गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी रà¥à¤•े तो यहीं पर रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा लें।टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से जाने वाले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ और बस से जाने वाले ऋषिकेश बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर à¤à¥€ रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा सकते हैं।