अब तक आप पढ़ ही चà¥à¤•े है कि पहला दिन हमने कैसे ढेला मे बिताया। रात को हम काफी विलमà¥à¤¬ से सोये थे इसलिठसà¥à¤¬à¤¹ उठने की कोई जलà¥à¤¦à¥€ नहीं थी। सà¥à¤¬à¤¹ हम आठबजे के करीब सो कर उठे उस वक़à¥à¤¤ तक बाहर धूप बहà¥à¤¤ तेज हो चà¥à¤•ी थी इसलिठघूमने का समय तो खतà¥à¤® हो चà¥à¤•ा था। हमने दाजू (मà¥à¤–à¥à¤¯ बावरà¥à¤šà¥€ ) को चाय के लिठबोल और नाशà¥à¤¤à¥‡ मे आलू के परांठे बनाने के लिठबोल दिà¤à¥¤ उस वक़à¥à¤¤ गेसà¥à¤Ÿ हाउस मे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि सिरà¥à¤« हम ही लोग थे इसलिठउन लोगो को à¤à¥€ हमारी मरà¥à¤œà¥€ का बनाने मे कोई दिकà¥à¤•त नहीं थी अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वो खाना अपनी मरà¥à¤œà¥€ से ही बनाते थे। हम जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ नहाने और तैयार होने मे लग गà¤à¥¤ तैयार होकर हम सà¤à¥€ डाइनिंग हॉल मे पहà¥à¤š गà¤, वो लोग à¤à¥€ हमारी ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहे थे, हमारे पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गरम गरम परांठे दही, चाय और आचार के साथ परोस दिठजिनको खाकर à¤à¤• बार फिर à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† कि घर पर ही खा रहे है। कमरे हमने पहले ही बंद कर दिठथे इसलिठनाशà¥à¤¤à¤¾ करके सीधे गाड़ी की तरफ बढ़ गà¤à¥¤ आज मरचà¥à¤²à¤¾ जाने का निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† था लेकिन उससे पहले सोचा की थोड़ा सा वही आसपास घूम ले इसलिठबाहर सड़क पर आकर रामनगर की तरफ न जाकर पहले कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के कालागढ़ वाले पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° की और चल दिठलेकिन पहले चेकपोसà¥à¤Ÿ पर ही गारà¥à¤¡ ने बोल दिया की आपकी गाड़ी छोटी है इसलिठकचà¥à¤šà¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर मत ले जाना अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ गाड़ी फस जायेगी, छोटी गाड़ी की वजह से हम कचà¥à¤šà¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ की तरफ नहीं जा पा रहे थे, बार बार यही लग रहा था कि छोटी गाड़ी लाकर गलती की है। उस वक़à¥à¤¤ हमने रात वाली गलती नहीं की और गाड़ी पकà¥à¤•े रासà¥à¤¤à¥‡ पर ही रखी और पाà¤à¤š – छ किलोमीटर जाने के वापिसी कर ली, धà¥à¤ª तेज थी इसलिठकोई जानवर नहीं दिखा।
अब हमने सीधा मरचà¥à¤²à¤¾ जाने के लिठपà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª को बोल दिया। सड़क खाली थी इसलिठउसने à¤à¥€ गाड़ी तेज दौड़ा दी। मरचà¥à¤²à¤¾, रामनगर से लगà¤à¤— ३५ किलोमीटर आगे है और वहा जाने के लिठमोहान होते हà¥à¤ जाना पड़ता है। मोहान मे à¤à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤Š विकास मणà¥à¤¡à¤² का गेसà¥à¤Ÿ हाउस है और रूकने के हिसाब से बेहतरीन जगह है और रात को वहा रूकने का अलग ही आनंद है। अà¤à¥€ हम दस किलोमीटर ही चले थे कि गाड़ी का à¤à¤• टायर पंचर हो गया, पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने जलà¥à¤¦à¥€ से उतारकर टायर बदला और बोला कि सर पंचर की दà¥à¤•ान आधा किलोमीटर पीछे ही है इसलिठजब तक आप लोग यही पेड़ के नीचे खड़े होकर गाà¤à¤µ का आनंद लो मे पंचर लगवा कर आता हूà¤, हमने à¤à¥€ तà¥à¤°à¤‚त उसको आजà¥à¤žà¤¾ दे दी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि आगे कही और पंचर हो गया तो फिर दिकà¥à¤•त हो जायेगी। हम लोगो को पंदà¥à¤°à¤¹ मिनट इंतजार करना पड़ा। उसके वापिस आने पर हम जलà¥à¤¦à¥€ से बैठे और फिर आगे बढ़ गà¤à¥¤ अà¤à¥€ हम रामनगर पहà¥à¤šà¥‡ ही थे कि फिर से टायर पंचर, अब हम पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª के पीछे पड़ गठऔर मनमोहन ने à¤à¥€ पैसे काटने की घोषणा कर दी। वहा पर पास ही टायरो की दूकान थी तो पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने अपना पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ टायर देकर बदलवा à¤à¥€ लिया और पंचर à¤à¥€ लगवा लिया। लगà¤à¤— आधा घंटा फिर से ख़राब हो गया। उसी समय à¤à¤• मजेदार घटना हà¥à¤ˆ, उस दà¥à¤•ान के बराबर से ही à¤à¤• बस à¤à¤• घंटे पहले चोरी हो गयी थी जो कि मिल गयी थी, à¤à¤• लड़का बस लेकर à¤à¤¾à¤— गया था और अपने साथ à¤à¤• कबाड़ी को à¤à¥€ लेकर बस मे आया था जिसने गाड़ी मे घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही गाड़ी की सीटे खोलनी शà¥à¤°à¥‚ कर दी थी। सà¥à¤¨à¤•र ताजà¥à¤œà¥à¤¬ à¤à¥€ हà¥à¤† और हसी à¤à¥€ आई की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बस सीटे उखाड़ने के लिठचोरी की थी लेकिन बेचारे आधे घंटे मे ही पकडे गà¤, वो कबाड़ी तो कूद कर à¤à¤¾à¤— गया लेकिन वो लड़का पकड़ा गया जिसकी फिर डंडो से जमकर पिटाई हà¥à¤ˆà¥¤ खैर à¤à¤—वन का नाम लेकर हम फिर गाड़ी मे बैठे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बहà¥à¤¤ देर हो गयी थी लेकिन उसके बाद मरचà¥à¤²à¤¾ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ मे कोई दिकà¥à¤•त नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ मरचà¥à¤²à¤¾ पहà¥à¤š कर पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने गाड़ी सड़क से नीचे उतार दी, à¤à¤• बार को तो हम डर गठऔर गाड़ी से उतर गठलेकिन वो बोला, आप बैठे रहिये कोई दिकà¥à¤•त नहीं होगी। थोडा सा नीचे जाकर उसने गाड़ी à¤à¤• तरफ लगा दी। हमने गाड़ी से उतरकर जगह देखी तो लगा की जगह बà¥à¤°à¥€ तो नहीं है।
वहा पर पहाड़ो से बहते पानी की वजह से à¤à¤• à¤à¥€à¤² सी बनी हà¥à¤ˆ थी, गरà¥à¤®à¥€ की वजह से पानी काफी कम था लेकिन पानी का बहाव काफी तेज थे वही पर पाà¤à¤š – छ टेंट लगाकर कैमà¥à¤ªà¤¿à¤‚ग की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी, हमने उसके चारà¥à¤œà¥‡à¤œ पूछे तो पता लगा की à¤à¤• टेंट के पाà¤à¤š हजार जो कि हमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगे, उन लोगो ने फà¥à¤²à¤¡ लाइट à¤à¥€ लगायी हà¥à¤ˆ थी जिससे कि रात मे जलाकर जानवरों को पानी पीते हà¥à¤ à¤à¥€ देखा जा सके। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª बोला सर इस वक़à¥à¤¤ तो पानी कम है लेकिन पानी मे लेटकर मजे किये जा सकते है। उस वक़à¥à¤¤ वहा सिरà¥à¤« हम ही लोग थे लेकिन हमें तो इन सबका शौक ही नहीं था इसलिठहम तैयार नहीं थे लेकिन मनमोहन तो तà¥à¤°à¤‚त ही कपडे उतारकर पानी में घà¥à¤¸ गया। पानी मे घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही वो चिलà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ मजा आ गया आप लोग à¤à¥€ आ जाओ लेकिन मे बोला, à¤à¤¾à¤ˆ कपड़े हम लाये नहीं और यहा कपड़े उतारकर पानी मे कौन घà¥à¤¸à¥‡à¤—ा। वो बोला, यहा कौन देख रहा है आप आओ तो सही और कपड़ो का कà¥à¤¯à¤¾ है बाद मे फिर यही पहन लेना। पहले हमने पानी मे पैर रखा जो कि बहà¥à¤¤ ठंडा था लेकिन पैर रखने से ही आनंद आ गया तो मे तैयार हो गया और फिर à¤à¤—वानदास जी à¤à¥€ तैयार हो गà¤à¥¤ हमने à¤à¥€ कपड़े उतारे और पानी मे घà¥à¤¸ गà¤à¥¤ वाह! सच मे मजा आ गया उसके बाद तो हम सà¤à¥€ वहा दो घंटे तक पानी के अनà¥à¤¦à¤° ही पड़े रहे और उछल कूद मचाते रहे, सच कहे तो बचपन के दिन याद आ गà¤à¥¤ यहाठकोई रोकने वाला नहीं था लेकिन अफ़सोस यही था कि कà¥à¤› खाने पीने को नहीं था नहीं तो मजा दà¥à¤—ना हो जाता। उदय जो अà¤à¥€ तक à¤à¤¿à¤à¤• रहा था अब वो à¤à¥€ खà¥à¤² चà¥à¤•ा था और मजे कर रहा था।
पानी इतना साफ़ था की नीचे के पतà¥à¤¥à¤° साफ़ चमक रहे थे। इतनी छोटी सी जगह पर इतना आनंद à¤à¥€ लिया जा सकता है, सोचा न था। धूप धीरे धीरे हलकी हो रही थी और पानी à¤à¥€ अब जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंडा लगने लगा था इसलिठसोचा कि अब यहा से चलना चाहिà¤à¥¤ इसी बीच मनमोहन दो तीन बार पानी से निकला तो हर बार à¤à¤• मचà¥à¤›à¤° उसको काटता था और वो चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ था और गालिया देता था। हम सब हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ थे कि मचà¥à¤›à¤° को गोरी चमड़ी पसंद आ रही है लेकिन अब जैसे ही हम सà¤à¥€ पानी से बाहर निकले तो उस मचà¥à¤›à¤° ने मेरे पैर मे बहà¥à¤¤ तेज काटा, अब चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ की बारी मेरी थी और हसने की मनमोहन की। खैर हमने जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ कपड़े पहने और वहा से बाहर की और चल दिà¤à¥¤
पानी मे इतनी देर रहने के बाद अब काफी थकान महसूस हो रही थी इसलिठपà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª को à¤à¥€ बोला कि अब सीधे गेसà¥à¤Ÿ हाउस चले लेकिन उसने रासà¥à¤¤à¥‡ मे गाड़ी à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ से बà¥à¤°à¤¿à¤œ के सामने रोक दी। जगह अचà¥à¤›à¥€ थी लेकिन अब रà¥à¤•ने के मन ही नहीं था लेकिन फिर à¤à¥€ उतर गठकी कà¥à¤› फोटो ही खीच ले। उतरने पर देखा कि वो केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ जल आयोग से समà¥à¤¬à¤‚धित था। हम वहा पाà¤à¤š दस मिनट ही रà¥à¤•े और फिर वापिस चल दिà¤à¥¤ वापिस आते हà¥à¤ हम मोहान से थोड़ा आगे ही निकले थे कि देखा वहा बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी, हम à¤à¥€ गाड़ी से बाहर आ गठतो पता चला कि हाथी का बचà¥à¤šà¤¾ à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹ मे उलठगया है, सड़क के à¤à¤• तरफ जंगल ही था और उसमे थोड़ा सा अनà¥à¤¦à¤° ही वो बचà¥à¤šà¤¾ फसा हà¥à¤† था और उसके पास हाथियों का पूरा à¤à¥à¤£à¥à¤¡ था, उनको देखने के लिठही वहा à¤à¥€à¤¡à¤¼ जमा थी। लोग हाथियों को परेशान कर रहे थे और बार बार अनà¥à¤¦à¤° जा रहे थे जो कि खतरनाक था अगर à¤à¤• बार हाथी पीछे à¤à¤¾à¤— लेते तो à¤à¤—दड़ मच जाती। हाथियों ने बचà¥à¤šà¥‡ को à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹ से छà¥à¤¡à¤¼à¤¾ लिया था लेकिन वो वही थे। हम लोगो ने वहा से निकलना ही सही समà¤à¤¾à¥¤ रासà¥à¤¤à¥‡ मे हमने रामनगर से जरूरी सामान ख़रीदा और वापिस गेसà¥à¤Ÿ हाउस की और चल दिà¤à¥¤
अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था इसलिठà¤à¤• बार फिर हमने गाड़ी गेसà¥à¤Ÿ हाउस से पहले सड़क पर किनारे लगा दी कि शायद कोई जानवर दिख ही जाà¤à¥¤ हिरनों का पूरा à¤à¥à¤£à¥à¤¡ दिखाई à¤à¥€ दिया, उनकी आà¤à¤–े दूर से ही चमक रही थी। कà¥à¤› देर हम रà¥à¤•े और फिर वापिस गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने गेसà¥à¤Ÿ हाउस मे पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही बोला कि सर कल रात वाली जगह ही चलेगे आज à¤à¥€ और वहा आधा घंटा रà¥à¤•ेगे लेकिन अà¤à¥€ कोई तैयार नहीं था। हमने दाजू को सामान दिया और ढेर सारा सलाद काटने के लिठबोला, खाना आज à¤à¥€ गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ के बाद ही खाना था।

रात का नजारा लेकिन हिरन तो आये ही नहीं फोटो मे
खाना खाने के बाद हम वही गेसà¥à¤Ÿ हाउस मे ही टहलते रहे और गारà¥à¤¡ से वहा के किसà¥à¤¸à¥‡ à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहे। वैसे à¤à¤• परिवार ओर à¤à¥€ आज वहा रà¥à¤•ा हà¥à¤† था लेकिन वो लोग अपने कमरों में ही थे। फसल पक चà¥à¤•ी थी इसलिठरात को लोग खेतो मे ही रहते थे और थोड़ी थोड़ी देर मे अजीब सी à¤à¤¾à¤·à¤¾ मे चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ थे वो इसलिठकि कोई जानवर खेत मे न घà¥à¤¸ जाà¤à¥¤ कई बार हाथी उनकी पूरी फसल चौपट कर देते थे। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª बार बार जंगल की और जाने को बोल रहा था लेकिन आज किसी का मन नहीं था इसलिठवो विचार तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया। रात को à¤à¤• बजे के करीब हम सोने चले गठकà¥à¤¯à¥‹à¤•ि सà¥à¤¬à¤¹ उठकर दिलà¥à¤²à¥€ के लिठनिकलना था।

खà¥à¤²à¤¾ आकाश और खà¥à¤²à¤¾ मैदान à¤à¤¸à¥‡ नज़ारे यहाठकहा
सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे ही सोकर उठे और जलà¥à¤¦à¥€ से नहा कर तैयार होने चले गà¤à¥¤ आज नाशà¥à¤¤à¥‡ मे पूरी सबà¥à¤œà¥€ थी जो की सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ थी। नाशà¥à¤¤à¤¾ करके हमने वहा का हिसाब किया और वापिस दिलà¥à¤²à¥€ के लिठचल दिà¤à¥¤
इस तरह à¤à¤• छोटी सी यादगार यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ खासकर रात के समय जंगल का सफ़र और दिन मे मरचà¥à¤²à¤¾ की मसà¥à¤¤à¥€ यादगार थी। अà¤à¥€ हाल ही मे नवà¤à¤¾à¤°à¤¤ टाइमà¥à¤¸ मे à¤à¥€ मरचà¥à¤²à¤¾ के बारे मे छपा था उसे पढ़कर ही अपनी ये यातà¥à¤°à¤¾ लिखने का मैंने मन बनाया।
Thank you Saurabh for sharing your Marchula trip. It is great place to unwind, away from the rush of Corbett. We have stayed at Mohaan a couple of times , about 12 years back, and it was not one of those well-kept places.
Here is a link of the racy write-up – https://www.ghumakkar.com/2007/12/12/exploring-sitavani-and-mohaan-in-corbett/
The tented place might have been the ‘Welcome Heritage’ property. Its pretty plush (we stayed there once). 5K would be the rack rate , am sure one can get it at a much lower price. Mohaan-Marchula road is also a great drive, almost like driving with an intention to lose your way. Thank you for refreshing my memories and making me read my own log which I wrote more than 5 years back. Time flies.
We have never heared about Marchula but on the request of Pradeep (Driver) we have planned to go there and it was the real fun. Read your post and it was excellant asusual. We have also planned for Sitavani but nobody has suggested us to go there with small car (Indica).
We did not try for bargaining at tented place but in future if we go there will definitely try can be stayed there on lower rate.
As per my experience Mohaan is the best place for stay in Ramnagar. It’s really adventures at night. I have stayed at Mohaan in TRC guest house couple of times and it was great.
Thanks a lot for liking the post.
Nice post Saurabh.
Never been to Jim Corbett, though just touched Ramnagar few months back while returning from Nainitaal. Seems this place is very near from Ramnagar…We will plan to go to Corbett once and will try to visit these places as well.
Thanks Amitva Ji.
You may covered Ramnagar during your trip of Nainital and morning visit of Jungle and in day time you may visit corbett fall, sitavani, museaum, marchula etc.
Once you should definitely make the plan for Corbett. It will be opened again after September.