इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली कड़ी में मैंने आपको शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग तथा महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर के बारे में जानकारी दी थी. आइये इस तीसरी कड़ी में मैं आपको परिचित करता हूठउजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के अनà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ से. अपने उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन याने 11 .11 .11 को सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤—वानॠमहाकालेशà¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अब हमारा अगला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ à¤à¥à¤°à¤®à¤£. चूà¤à¤•ि हमें उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ तथा दूरियों की अधिक जानकारी नहीं थी अतः हमने यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया की अपनी कार को पारà¥à¤•िंग में ही खड़ी करके ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया जाà¤. 250 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में ऑटो तय करके हम उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की ओर निकल गà¤.
वैसे उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपरà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— की बस सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है जो की पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ 37 रà¥. के शà¥à¤²à¥à¤• पर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की सैर कराती है. उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठबस, देवास गेट से पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 7 बजे à¤à¤µà¤‚ दोपहर में 2 बजे चलती है. इसके अतिरिकà¥à¤¤ टेमà¥à¤ªà¥‹, ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾, टाटा मेजिक आदि वाहनों से à¤à¥€ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया जा सकता है.
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² : उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² निमà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हैं –
शà¥à¤°à¥€ महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर, शà¥à¤°à¥€ बड़े गणेश मंदिर, शà¥à¤°à¥€ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर, शà¥à¤°à¥€ चारधाम मंदिर, शà¥à¤°à¥€ नवगृह मंदिर, शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚ति धाम, शà¥à¤°à¥€ राम जनारà¥à¤¦à¤¨ मंदिर, शà¥à¤°à¥€ गोपाल मंदिर, शà¥à¤°à¥€ गढ़ कालिका मंदिर, शà¥à¤°à¥€ चिंतामन गणेश, शà¥à¤°à¥€ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ, शà¥à¤°à¥€ à¤à¥à¤°à¤¤à¤¹à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾, शà¥à¤°à¥€ सिदà¥à¤§à¤µà¤Ÿ, शà¥à¤°à¥€ मंगलनाथ मंदिर, शà¥à¤°à¥€ संदीपनी आशà¥à¤°à¤®, वेधशाला, शà¥à¤°à¥€ चौबीस खमà¥à¤à¤¾ मंदिर, शिपà¥à¤°à¤¾ नदी, कलियादेह पेलेस à¤à¤µà¤‚ इसà¥à¤•ोन मंदिर.
चूà¤à¤•ि हमारे पास समय की कमी होने की वजह से हम यह सारे मंदिर तो नहीं देख पाठलेकिन इनमें से अधिकतर सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का अवलोकन करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† जिनका वरà¥à¤£à¤¨ करना मैं आवशà¥à¤¯à¤• समà¤à¤¤à¤¾ हूà¤.
शà¥à¤°à¥€ सांदीपनी आशà¥à¤°à¤®:
महरà¥à¤·à¤¿ सांदीपनी वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के इस आशà¥à¤°à¤® में à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ तथा शà¥à¤°à¥€ बलराम ने गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² परंपरा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर चौसठकलाà¤à¤‚ सीखीं थीं. उस समय तकà¥à¤·à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ तथा नालंदा की तरह अवनà¥à¤¤à¥€ à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और संसà¥à¤•ृति का केंदà¥à¤° थी. à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ यहाठसà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ पर लिखे अंक धो कर मिटाते थे इसीलिठइसे अंकपात à¤à¥€ कहा जाता है. शà¥à¤°à¥€ मदà¥à¤à¤¾à¤—वत, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ तथा अनà¥à¤¯ कई पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में यहाठका वरà¥à¤£à¤¨ है. यहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कà¥à¤‚ड में à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने गà¥à¤°à¥‚जी को सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ गोमती नदी का जल सà¥à¤—म कराया था इसलिठयह सरोवर गोमती कà¥à¤‚ड कहलाया. यहाठमंदिर में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, बलराम और सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ हैं. महरà¥à¤·à¤¿ सांदीपनी के वंशज आज à¤à¥€ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में हैं तथा देश के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ के रूप में जाने जाते हैं. उतà¥à¤–नन में इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से चार हज़ार वरà¥à¤· से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पाषाण अवशेष मिले हैं.

à¤à¤—वान कृषà¥à¤£, बलराम तथा सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ की विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥€
शà¥à¤°à¥€ सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर:
संदीपनी आशà¥à¤°à¤® परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर में 6000 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है जिसे महरà¥à¤·à¤¿ संदीपनी ने बिलà¥à¤µ पतà¥à¤° से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया था. इस शिवलिंग की जलाधारी में पतà¥à¤¥à¤° के शेषनाग के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं जो पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है.

संदीपनी आशà¥à¤°à¤® में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ 6000 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शà¥à¤°à¥€ सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव शिवलिंग
शà¥à¤°à¥€ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर:
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के पावन दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥€ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर का अपना à¤à¤• विशिषà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ तथा महासरसà¥à¤µà¤¤à¥€ माता की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ माठअनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£ की मूरà¥à¤¤à¤¿ गहरे सिंदूरी रंग में शोà¤à¤¾à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है. शà¥à¤°à¥€ यनà¥à¤¤à¥à¤° जो की शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• है, à¤à¥€ मंदिर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब à¤à¤—वान शिव, सती माता के जलते हà¥à¤ शरीर को पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के हवन कà¥à¤‚ड से उठा कर लेकर जा रहे थे तो रासà¥à¤¤à¥‡ में जहाठजहाठउनके शरीर के अंग गिरे वहां à¤à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ पीठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गया, उनà¥à¤¹à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों में से à¤à¤• शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ है शà¥à¤°à¥€ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर जहाठमाता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ गिरी थीं. यह मंदिर मराठा काल में पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था, मंदिर के सामने दो दीप सà¥à¤¤à¤®à¥à¤, मराठा कला की विशिषà¥à¤ पहचान है. मंदिर परिसर में à¤à¤• अति पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ कà¥à¤µà¤¾à¤‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.
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शà¥à¤°à¥€ गढ़कालिका मंदिर:
गढ़कालिका देवी महाकवि कालिदास की आराधà¥à¤¯ देवी रही है. इनकी कृपा से ही अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ कालिदास को विदà¥à¤µà¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ थी. यह तांतà¥à¤°à¤¿à¤• सिदà¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. यह मंदिर जिस जगह पर है, वहां पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ अवंतिका बसी हà¥à¤ˆ थी. गढ़ की देवी होने से यह गढ़कालिका कहलाई. मंदिर में माता कालिका के à¤à¤• तरफ महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ तथा दूसरी तरफ शà¥à¤°à¥€ महासरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ हैं. मंदिर के पीछे शà¥à¤°à¥€ गणेश जी की पौराणिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है तथा सामने पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ शà¥à¤°à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर है जिसके पास ही दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है. कà¥à¤› दà¥à¤°à¥€ पर कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ नदी है जहाठसतियों का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है.
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शà¥à¤°à¥€ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ:
अषà¥à¤Ÿà¤à¥ˆà¤°à¤µà¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥€ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ का यह मंदिर बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ और चमतà¥à¤•ारिक है. इस मंदिर की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ इस बात के लिठहै विशेष है की मà¥à¤‚ह में छेद नहीं है फिर à¤à¥€ à¤à¥ˆà¤°à¤µ की यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ मदिरापान करती है. पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मदà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤¤à¥à¤° काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ के मà¥à¤‚ह में लगाया जाता है और देखते ही देखते यह खाली हो जाता है. सà¥à¤•नà¥à¤¦ पूरण में इनà¥à¤¹à¥€ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ का अवनà¥à¤¤à¥€ खंड में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है. इनके नाम से ही यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤—ढ़ कहलाता है. रजा à¤à¤¦à¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया था. उसके à¤à¤—à¥à¤¨ होने पर राजा जय सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया. पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में संकरी तथा गहरी गà¥à¤«à¤¾ में पाताल à¤à¥ˆà¤°à¤µà¥€ का मंदिर है. काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ के मंदिर के सामने जो मारà¥à¤— है इससे आगे बढ़ने पर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ विकà¥à¤°à¤¾à¤‚त à¤à¥ˆà¤°à¤µ मंदिर पहà¥à¤‚चा जा सकता है.यह दोनों सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तांतà¥à¤°à¤¿à¤• उपासकों के लिठसिदà¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है. शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ तथा तंतà¥à¤° गà¥à¤°à¤‚थों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शिव तथा à¤à¥ˆà¤°à¤µ à¤à¤• ही है. अतः शिव की नगरी में उनà¥à¤¹à¥€ के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤µà¤¤à¤¾à¤° का यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बड़े महतà¥à¤µ का है.
शà¥à¤°à¥€ मंगलनाथ:
यह उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तथा महिमावान सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. पौराणिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है की मंगलनाथ की जनà¥à¤®à¤à¥‚मि यहीं है. इनकी आराधना तथा पूजन विशेष रूप से मंगल गृह की शांति, शिव कृपा, ऋण मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ और धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ आदि की कामना से की जाती है. मंगलनाथ की à¤à¤¾à¤¤ पूजा तथा रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• का बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ है. यहाठपर मंगल की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है. मंगलवार को इनके दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ बहà¥à¤¤ बढ़ जाती है.
मंदिर à¤à¤• ऊà¤à¤šà¥‡ टीले पर बना हà¥à¤† है. मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में ही पà¥à¤°à¤¥à¥à¤µà¥€ देवी की à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. शकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª होने से इनको सिनà¥à¤¦à¥‚र का चोला चढ़ाया जाता है. मंगलनाथ के साथ ही इनके दरà¥à¤¶à¤¨ का à¤à¥€ महतà¥à¤µ है. मंदिर कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है यहाठपर पकà¥à¤•े घाट बने हà¥à¤ है. शà¥à¤°à¥€ मंगलनाथ से थोड़ी दà¥à¤°à¥€ पर गंगा घाट है जहाठपर à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने अपने गà¥à¤°à¥ संदीपनी जी की गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ पूरà¥à¤£ कराने के लिठगंगा पà¥à¤°à¤•ट कराई थी.

शà¥à¤°à¥€ मंगलनाथ मंदिर परिसर में पवितà¥à¤° पीपल वृकà¥à¤·

à¤à¤—वान ननà¥à¤¦à¥€à¤¶à¥à¤µà¤° के कान में अपनी अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते संसà¥à¤•ृति तथा वेदांत
शà¥à¤°à¤‚खला के इस à¤à¤¾à¤— को अब मैं यहीं विराम देता हूà¤. अगले à¤à¤µà¤‚ अंतिम à¤à¤¾à¤— में मैं आपको पवितà¥à¤° नगरी उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के कà¥à¤› अनà¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के बारे में जानकारी दूंगा. तब तक के लिठबाय…..
Hi Mukesh,
Extremely Great description in Hindi and virtual tour………………………………….
The Best part about Ujjain is you can take pictures of deities which normally is not allowed in other religious place…………………………….
Very nice pic of Kaal bhairava ………………………………..
I want to tell one thing about the Sandipani shivalinga. If you take darshan of this shivalinga from door side, on the linga you can see whole family of Lord Shiva inscribed…………………………..
ये लेख भी बहुत ही अच्छा रहा, संदीपनी आश्रम के बिना यहाँ की यात्रा अधूरी रहती।
Vishal,
Thank you very much for liking the post. Yes in MP except some most important temples, there is no rigidity on photography.
Yes Kaal Bhairav is always ekdam mast and bindaas. Did you see in the idol of Kaal Bhairav, his eyes are made in such a way, that it gives a feel of extremely drunken fellow. Whole day he has only one job drink…. drink…. and drink.
Thanks.
संदीप भाई.
पोस्ट को पसंद करने के लिए आभार. आपने बिलकुल सही कहा संदीपनी आश्रम के बिना उज्जैन भ्रमण अधुरा है. अभी भी सांदीपनी आश्रम में स्थित श्री कृष्ण, बलराम तथा सुदामा की विद्यास्थाली तथा मंदिर के पुजारी पंडित राहुल व्यास, महर्षि सांदीपनी के वंशज ही हैं.
धन्यवाद.
Read all the three logs today only.
you nicely tell about Pauranik and religious importance of every small and big temple, and that makes the reader flow through it whether one is religiously inclined or not.
And I liked your children’s names..Sanskriti and Vedant.
Jaishree,
Thank you very much for liking the post and such a nice comment.
काल भैरव मंदिर के विषय में पढ़कर आश्चर्य हुआ. क्या आपने भी प्रतीमा को मदिरापान करते देखा ? अपने ज्वाला जी दर्शन के वक्त मैनें भी मंदिर में आग की लपटें देखीं थी, कई लोगों ने उसका वैज्ञानिक कारण भी बताया था. क्या यहां ऐसी कोई जानकारी आपको भी मालूम हुई ?
उज्जैन के बारे में जान कर बेहद अच्छा लगा. धन्यवाद आपको.
Dear
Mukesh ji. The post is very very interesting.
Thanks.
अमित, प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.
जी हाँ उज्जैन के काल भैरव का मदिरा पीना सचमुच एक आश्चर्यजनक घटना है. मंदिर के बाहर बहुत सी दुकानें हैं जहाँ पर शराब की बोतलें मिलती हैं, लोग ये बोतलें खरीदते हैं और मंदिर के अन्दर ले जाकर पुजारी को देते हैं , पुजारी बोतल में से शराब को स्टील की प्लेट में डालते हैं एवं भैरव बाबा के मुंह से लगते हैं और बस कुछ ही सेकंडों में प्लेट खाली हो जाती है, मैंने अपनी आँखों से देखा है, और मैंने क्या सभी देखते ही हैं.गौरतलब है की मूर्ति के मुंह में कोई छेद नहीं है.
वैज्ञानिक कारणों के बारे में तो मुझे जानकारी नहीं हैं लेकिन हाँ, आज तक (न्यूज़ चैनल) पर रविवार को दोपहर 3 :00 बजे एक कार्यक्रम “धर्म” का प्रसारण होता है, उसमें उज्जैन के काल भैरव के मदिरापान के सम्बन्ध में वृत्तचित्र 2 -3 बार आ चूका है, मैंने भी देखा है.
अमित,
माफ़ कीजियेगा, आज तक पर “धर्म” कार्यक्रम सिर्फ रविवार नहीं बल्कि रोज दोपहर को आता है.
अपन भी एक बार उज्जैन गये थे। लेकिन मात्र कुछ घण्टों के लिये। वाकई बढिया जगह है।
नीरज जी,
घुमक्कड़ पर आपका स्वागत है, आपके ब्लॉग का मैं नियमित पाठक हूँ तथा प्रसंशक भी, बड़ा अच्छा लिखते हैं आप. आपके ब्लॉग पर जो आपने दस फिट बर्फ से ढंके केदारनाथ का वर्णन किया था वो सचमुच अतुल्य तथा अमूल्य है तथा उस यात्रा वर्णन के एक एक चित्र का मैंने लुत्फ़ उठाया था. आपकी रेल यात्रायें भी काबिले तारीफ हैं, हर स्टेशन के नाम तथा समुद्र तल से ऊंचाई का चित्र एवं जानकारी सचमुच लाजवाब होता है.
घुमक्कड़ पर कब लिखना शुरू कर रहें हैं? जल्दी आ जाइये सचमुच बड़ा मजा आएगा.
धन्यवाद.
मुकेश जी , आपके बच्चों के नाम बहुत ही अच्छे लगे.
घूमते रहिये हमें भी घुमाते रहिये !
दीपेन्द्र,
आपको बच्चों के नाम पसंद आये उसके लिए धन्यवाद. आपके इस कमेन्ट ने हमें असीम प्रसन्नता प्रदान की.
धन्यवाद.
मुकेश जी , आपका लेख जानकारियों से भरा होता है और इस कारण से ये एक बहुत ही उपयोगी संस्मरण है , इसके लिए घुमक्कड़ की और से धन्यवाद |
जैसा की जयश्री ने कहा की की क्योंकि आप बहुत अच्छे से पौराणिक और धार्मिक महत्वता बताते है, ये लेख मेरे जैसे व्यक्ति, जो ज्यादा मंदिर नहीं जाता है, को भी बहुत भाते हैं | अब चलता हूँ भाग २ पर |
नंदन जी,
आपके द्वारा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद. मैं पाठकों का विश्वास बनाये रखने के लिए अपने लेखों को जानकारी से लैस रखने का हमेशा प्रयास करूँगा.
धन्यवाद.
Hellow Mukesh ji,
My Self Prashant.
I m from Vadodara – Gujarat. I wanna travel to Ujjain & Omkareshwar. I can Spend around 2 – 4 days but I want to know where to Stay in Ujjain. As u told Shree Gajanan Bhaktnivas at Omkareshwar is OK but what about to Stay at Ujjain.
I wanna travel with my wife and a daughter who is three years old.
Recently we traveled to SOMNATH but after reaching there we comes to know that Somnath Sansthan Guest House are full and not available for that day. We fall in big trouble and a hotel charge was Rs.1,600/- per day So, Finally we freshen up some where and return back by evening, whole day we needed to carry our luggage together.
Pl. help and guide me how to travel comfortably to Ujjain – Omkareshwar.
Pl. note from Vadodara Trains are available and will travel by the same.
Moreover pl. let me know, How far the Kalbhairava’S Temple from Main Temple Ujjain and how much time can be pass there…. Any rush happening there.
mukesh ji,
Namaskar,
Aaap hi ki tarah main bhi bharat key sabhi dharmsthalon key darshan ka abhilashi hoon.maine aap ka blog pahli baar pada hai bahut accha raha hai kintu ek yatri key liye station se utarney se lekar,kahan rahna,kaise jana,kitney din thahrna,kahan bhojan karna sastey buget aur mahngey budget dono ko hi likhana jarroori hai.mai pahli baar indore ja raha hoon wahan key sabhi darshaniya sthal maheshwar,omkareshwar,ujjain mein mahakaleshwar ye sab 2 din mein pura karna chahta hoon kripya suggest karey kaise ho payega.
aapko phir saprem namaskar.
Anil Bhargava.
देवेंदà¥à¤° गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ का परिवार 50 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में रहता है। काल सरà¥à¤ª पूजा विशेषजà¥à¤ž होने के नाते गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ ने कालसरà¥à¤ª पूजा करने में विशेषजà¥à¤žà¤¤à¤¾ विकसित की है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ ने आज तक कालसरà¥à¤ª शांति पूजा की बहà¥à¤¤ सारी चीजें गंवा दी हैं, और सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤• (यजमान) शांति या पूजा विधान के बाद ततà¥à¤•ाल परिणाम पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं।
काल सरà¥à¤ª दोष या योग किसी के कà¥à¤‚डली में गंà¤à¥€à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। हिंदू जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जब सà¤à¥€ सात गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को छाया गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ राहॠऔर केतॠके बीच घिरा हà¥à¤† है, काल सर योग का गठन होता है। राहॠनाग का सिर है जबकि केतॠनागिन की पूंछ है।
किसी के कà¥à¤‚डली में काल सरà¥à¤ª योग की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ हानिकारक है। यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन के हर पहलू को नà¥à¤•सान पहà¥à¤‚चाता है। वासà¥à¤¤à¤µ में, इसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ यह है कि यह कालà¥à¤ª सरà¥à¤ª योग के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के कारण कà¥à¤‚डली में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ और यहां तक ​​कि अचà¥à¤›à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के साथ à¤à¥€, कोई पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता है। यह अनावशà¥à¤¯à¤• समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं और देरी बनाता है।
Namaskar,
Aaap hi ki tarah main bhi bharat key sabhi dharmsthalon key darshan ka abhilashi hoon.maine aap ka blog pahli baar pada hai bahut accha raha hai kintu ek yatri key liye station se utarney se lekar,kahan rahna,kaise jana,kitney din thahrna,kahan bhojan karna sastey buget aur mahngey budget dono ko hi likhana jarroori hai.mai pahli baar indore ja raha hoon wahan key sabhi darshaniya sthal maheshwar,omkareshwar,ujjain mein mahakaleshwar ye sab 2 din mein pura karna chahta hoon kripya suggest karey kaise ho payega.
aapko phir saprem namaskar.
पंडित कांता गà¥à¤°à¥ जी धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जो को समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•ार के अनà¥à¤·à¥à¤ ानो का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—तà¥à¤®à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विधि विधान की जानकारी पंडित जी के पिता जी से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥€ है, पंडित जी वैदिक अनà¥à¤·à¥à¤ ानों में आचारà¥à¤¯ की उपाधि से विà¤à¥‚षित है à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार के दोष à¤à¤µà¤‚ वधाओ के निवारण के कारà¥à¤¯à¥‹ को करते हà¥à¤ १५ वरà¥à¤·à¥‹ से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो गया है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में पंडित जी पूरी उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ नगरी में कालसरà¥à¤ª पूजा के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में अगà¥à¤°à¤£à¥€ है, कालसरà¥à¤ª पूजा के अलाबा पंडित जी ने नवगà¥à¤°à¤¹ शांति, मंगलà¤à¤¾à¤¤ पूजा, मंगलशांति पूजा, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤•, गà¥à¤°à¤¹à¤£ दोष निवारण, चांडाल दोष निवारण, पितृ दोष निवारण, जैसे अनà¥à¤·à¥à¤ ानों को समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वैदिक पड़ती दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संपनà¥à¤¨ किया है, इसके अतिरिकà¥à¤¤ महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय जाप, दà¥à¤°à¥à¤—ा सपà¥à¤¤à¤¸à¤¤à¥€ पाठà¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•ता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करते है, पंडित जी कà¥à¤®à¥à¤ विवाह, अरà¥à¤• विवाह, जनà¥à¤® कà¥à¤‚डली अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ अवं पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा मिलान में à¤à¥€ सिदà¥à¤§à¤¸à¥à¤¤ है, इन समसà¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹ के साथ साथ पंडित जी वासà¥à¤¤à¥ पूजन, वासà¥à¤¤à¥ दोष निवारण à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ वाधा निवारण का पूजन à¤à¥€ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विधि विधान से करते है।