घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी किसà¥à¤®à¤¤ से मिलती है और इसके लिये कà¥à¤› चीजों का होना बहà¥à¤¤ आवयशà¥à¤• है जिनमे से कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं – अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ ,समय, धन और सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का शौक़ । इनमे से किसी à¤à¤• के à¤à¥€ ना होने से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी मà¥à¤¶à¥à¤•िल है।
मेरे पिता जी à¤à¤• दà¥à¤•ानदार थे इसलिये उनके पास घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिये समय की कमी होती थी। à¤à¤• दà¥à¤•ानदार के घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जाने का मतलब है कि उतने दिनो तक दà¥à¤•ान बनà¥à¤¦, खरà¥à¤šà¤¾ दूगना और आमदनी शà¥à¤¨à¥à¤¯ । इसलिये मेरे पिता जी के घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का दायरा सिरà¥à¥ž माता वैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° और गà¥à¤°à¤¹à¤£ के दिनो में कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° तक सीमित था लेकिन उनकी अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ में काफ़ी दिलà¥à¤šà¤¸à¥à¤ªà¥€ रहà¥à¤¤à¥€ थी। जब हम काफ़ी छोटे थे तब à¤à¤• बार à¤à¤• अख़बार की कटींग लेकर आये जिसमें अमरनाथ गà¥à¤«à¤¾ में बने हà¥à¤ हिमलिंग की तसà¥à¤µà¥€à¤° थी और हमें इस कठिन यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में बताने लगे कि यहाठकोई-2 जाता है और यह यातà¥à¤°à¤¾ बहà¥à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤—म है।
यह कटींग मेरे पास आज à¤à¥€ है लेकिन यह अख़बार उरà¥à¤¦à¥‚ में है इसलिये मैं तिथि नहीं पढ पाया। उन दिनो यातà¥à¤°à¤¾ सचमà¥à¤š बहà¥à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤—म थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ना तो उन दिनों सरकारी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी ना ही उन दिनों हिनà¥à¤¦à¥ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं की ओर से कोई लंगर लगाये जाते थे, खाने-पीने की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ बहà¥à¤¤ मंहगी मिलती थी और ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ खà¥à¤¦ करनी पड़ती थी। परिवरà¥à¤¤à¤¨ 1996 के बाद आया जब अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ में पà¥à¤°à¤²à¤¯ आ गया। बरà¥à¥žà¤¿à¤²à¥‡ तà¥à¥žà¤¾à¤¨ से जितने लोग मरे उससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोगों को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों (पिठà¥à¤ ॠऔर घोड़े वाले) ने लà¥à¤Ÿ-पाट के लिये मार डाला। खाने-पीने की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ बहà¥à¤¤ मंहगी बिकने लगी । बचे खà¥à¤šà¥‡ लोग जब वापिस अपने-2 घरों में पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ लगे तो उनके किसà¥à¤¸à¥‡ सà¥à¤¨à¤•र हाहाकर मचा। सामाजिक और हिनà¥à¤¦à¥ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं ने यातà¥à¤°à¤¾ में लंगर लगाने शà¥à¤°à¥ कर दिये।
यातà¥à¤°à¤¾ पर à¤à¤• –दो आतंकवादी हमलों के बाद सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के à¤à¥€Â कड़े इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤® होने लगे और अमरनाथ शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡à¤¼ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया। आजकल यातà¥à¤°à¤¾ पहले से काफ़ी सà¥à¤—म और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤Â हो गयी है।
बात जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 1998 की है। मैं इंजीनियरी करने के बाद बेकार था । हमारे शहर से à¤à¤• बस अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रही थी। मेरे पिता जी उन दिनो बिमार थे और घर पर ही रहते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा कि सारा दिन आवारा घà¥à¤®à¤¤à¤¾ है, अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर ही चला जा। मैं यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के लिठतैयार हो गया। आने जाने और खाने-पीने का खरà¥à¤š घर से मिल रहा था तो कौन मना करता। à¤à¤• साल पहले ही मेरे मामा जी वहाठहोकर आये थे इसलिये यातà¥à¤°à¤¾ की काफ़ी जानकारी मिल चà¥à¤•ी थी। मैने अपने दोसà¥à¤¤ शà¥à¤¶à¥€à¤² मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾ को यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के लिये तैयार किया और बस में दो सीट बूक करवा दी। तब से à¤à¤¸à¤¾ चसका लगा कि अब हर साल इस यातà¥à¤°à¤¾ के शà¥à¤°à¥ होने की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ रहà¥à¤¤à¥€ है।
à¤à¤¸à¤¾ कहते हैं कि माठ–बाप अपनी अधà¥à¤°à¥€ इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾ होते देखना चाहà¥à¤¤à¥‡ हैं शायद इसलिये मेरे पिता जी ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ इस यातà¥à¤°à¤¾ के लिये कहा।
इस साल 2014 की यातà¥à¤°à¤¾ के लिये पजींकरण मारà¥à¤š से शà¥à¤°à¥ हो गया था और हमने à¤à¥€ कà¥à¤² छ: लोगों का 8 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ के लिये बालटाल रूट से पजींकरन करवा लिया। मेरे अलावा मेरे दोसà¥à¤¤ शà¥à¤¶à¥€à¤² मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾, राजू, राजू की पतà¥à¤¨à¤¿ व उसके दो बचà¥à¤šà¥‡ शामिल थे। 6 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से मालवा à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जमà¥à¤®à¥‚ के लिठनिकलना तय हà¥à¤†à¥¤ तय दिन सà¤à¥€ समय से रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गठऔर तय समय से दो घंटे लेट शाम 6 बजे तक जमà¥à¤®à¥‚ जा पहà¥à¤‚चे।
जमà¥à¤®à¥‚ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से  जà¥à¤µà¥‡à¤²Â चौक (बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के पास ) तक मैटाडोर से पहà¥à¤à¤š गठ। यहाठतक का किराया 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था। जà¥à¤µà¥‡à¤² चौक पर उतरकर, मौलाना आज़ाद सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤® के आगे से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ लगà¤à¤— 150 मीटर आगे à¤à¤• तिराहा है जहाठसे à¤à¤—वती नगर के लिठमैटाडोर मिल जाती है, और किराया 5 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ । हम à¤à¥€ उस चौक पर पहà¥à¤‚चे और वहाठसे à¤à¤—वती नगर के लिये दूसरी मैटाडोर मिल गयी.
“अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के लिठपहला बेस कैंप जमà¥à¤®à¥‚ में ही है जहाठसे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबालटाल व पहलगाम के लिठबसें और छोटे वाहन मिलते हैं। यह बेस कैंप à¤à¤—वती नगर में है। इसे यातà¥à¤°à¥€ निवास à¤à¥€ कहते हैं यह काफी बड़ा बना हà¥à¤† है और à¤à¤• साथ दो हजार यातà¥à¤°à¥€ यहाठठहर सकतें हैं। यातà¥à¤°à¥€ निवास के अंदर ही सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ रोडवेज़ काउंटर , मेडिकल सेंटर तथा à¤à¤• कैंटीन à¤à¥€ है। यहाठवो ही यातà¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं जो जमà¥à¤®à¥‚ तक बस या टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से आते हैं और उनको बालटाल व पहलगाम के लिठबसें और छोटे वाहन यहॉ से मिल जाते हैं ।
अपने वाहनो से आने वालों को यहाठआने की कोई आवशà¥à¤¯à¤•ता नही, वो सीधा उधमपà¥à¤° के लिये निकल सकते हैं । रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से à¤à¤—वती नगर की दà¥à¤°à¥€ लगà¤à¤— चार किलोमीटर है और बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से लगà¤à¤— दो किलोमीटर है. वहां जाने के लिठदोनों जगह से सीधे ऑटो à¤à¥€ मिल जातें हैं।â€
थोड़ी ही देर बाद हम लोग à¤à¤—वती नगर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ यातà¥à¤°à¥€ निवास के पास बनी कॉलोनी के लोग यातà¥à¤°à¤¾ के दिनों में अपने घरों में कमरे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को किराये पर दे देते हैं जिससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› आमदनी हो जाती है। हमने à¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€ निवास में शोर -शराबे में ठहरने के बजाय बाहर रà¥à¤•ना बेहतर समà¤à¤¾ और तीन तीन सौ में दो कमरे ले लिà¤à¥¤Â कमरों में सामान रखकर  मैं और सà¥à¤¶à¥€à¤² , सà¥à¤¬à¤¹ की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठबस की टिकट लेने यातà¥à¤°à¥€ निवास में गà¤à¥¤à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ निवास में केवल उनà¥à¤¹à¥€ लोगो को पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने दिया जाता है जिनके पास तय तिथि के पंजीकरण फारà¥à¤® होते हैं। रोडवेज़ काउंटर पर जाकर देखा तो टिकट काउंटर पर लमà¥à¤¬à¥€ लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी और लाइन रà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ थी। पता करने पर मालà¥à¤® हà¥à¤† की पहले से मौजूद बसें पूरी à¤à¤° चà¥à¤•ी हैं और जो बसें अà¤à¥€ आनी हैं वो कहीं दूर जाम में फसी हà¥à¤ˆ हैं और उनका सà¥à¤¬à¤¹ तक जमà¥à¤®à¥‚ पहà¥à¤‚चना मà¥à¤¶à¥à¤•िल है इसीलिठऔर बà¥à¤•िंग बंद कर दी गयी है। काफी असंतोष होने पर रोडवेज़ का à¤à¤• सीनियर अधिकारी आया और बोला की सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे टिकट मिलेगी वो à¤à¥€ यदि बसें यहाठपहà¥à¤à¤š गयी तो , नहीं तो बाहर पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ साधन उपलà¥à¤¬à¤§ है आप वहां बà¥à¤• कर सकते हैं।
à¤à¤• घंटे की माथा मचà¥à¤šà¥€ के बाद , बिना टिकट , वापिस आ गà¤à¥¤ à¤à¤• लंगर पर खाना खाया और रात 11 बजे के करीब सà¥à¤¬à¤¹ 3:30 का अलारà¥à¤® लगा सो गठ।
शà¥à¤°à¥€ अमरनाथ जी पवितà¥à¤°Â गà¥à¤«à¤¾ में तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ के लिà¤Â जरà¥à¤°à¥€Â सलाह
- शà¥à¤°à¥€Â अमरनाथ जी की पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¾Â दकà¥à¤·à¤¿à¤£Â कशà¥à¤®à¥€à¤°Â में हिमालय के ऊपर 13,500 फीट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¾Â जाने के लिà¤Â अधिक ऊंचाई पर टà¥à¤°à¥‡à¤•करने से  अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• ठंड, कम नमी और कम हवा के दबाव का जोखिम रहता है , à¤à¤¸à¥€Â सà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿Â में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤• तीवà¥à¤°Â परà¥à¤µà¤¤Â बीमारी (A.M.S.) होने काजोखिम रहता है. जब  आप 8,000 फीट (2,500 मीटर) की ऊंचाई से ऊपर चड़ते हैं तो यह बीमारी आपके मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• और फेफड़ों को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤à¤•र सकती  है।
- अपनी यातà¥à¤°à¤¾ के लिठअपने साथ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में गरà¥à¤® वसà¥à¤¤à¥à¤°, रेन कोट, बरसाती जूते, टॉरà¥à¤š, दसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡, जैकेट आदि जरूर लेकर चलें। यह सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ बहà¥à¤¤ जरà¥à¤°à¥€ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठमौसम का à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ नहीं किया जा सकता और कई बार खिली धूप अचानक बारिश और बरà¥à¤« का रूप ले लेती है और तापमान अचानक काफी गिर सकता है।
- आप के साथ यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे सह यातà¥à¤°à¥€ को सà¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• मदद पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें।
- ततà¥à¤•ाल राहत के लिठअपने साथ गà¥à¤²à¥‚कोज, डिसà¥à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¨ आदि कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ दवा रखें।
- यातà¥à¤°à¤¾ पर अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करने के लिठसबसे अचà¥à¤›à¤¾ तरीका है à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤° और धीमी गति बनायें रखें।  तेज चलने से अधिक फायदा नहीं है, खरगोश और कछà¥à¤† की कहानी की शिकà¥à¤·à¤¾ यहाठपूरी तरह लागू होती है
- अपनी जेब में अपना नाम, पता के साथ और साथी यातà¥à¤°à¥€Â के नाम की à¤à¤• परà¥à¤šà¥€Â जरूर  रखें।
- यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान अपने साथ पानी की बोतल, सूखे मेवे और à¤à¥à¤¨à¥‡Â  हà¥à¤Â  चने आपात काल के लिà¤Â जरूर  रखें।
- ठंडी हवाओं से तà¥à¤µà¤šà¤¾ की रकà¥à¤·à¤¾Â करने के लिà¤Â आप के साथ कà¥à¤›Â कोलà¥à¤¡ कà¥à¤°à¥€à¤®Â या वैसलीन रखें