आशा है पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आप लोगो को à¤à¥€ 312 ft. ऊपर से गिरते टाइगर फाल को देखकर और उसके बारे में पढ़कर थोडा बहà¥à¤¤ मजा तो आया होगा।
टाइगर फाल जाने का सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग पॉइंट

दनदनाता टाइगर फाल
लेकिन à¤à¥‚ल मत जाना …अनà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾à¤ˆ और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ और मैं अà¤à¥€ à¤à¥€ ऊपर बैठे इस अदà¥à¤à¥à¤¤ नज़ारे से अनजान आगे की यातà¥à¤°à¤¾ की योजना बनाते हà¥à¤ आपका ही इंतज़ार कर रहे है. की कब आप लोग इस टाइगर फाल को देखकर हमारे पास आओ और हम आगे की अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ चालू करें।
तो चले…. चलने से पहले आज दिन à¤à¤° बà¥à¤§à¥‡à¤° में मैंने, अनà¥à¤¨à¥‚ à¤à¤¾à¤ˆ और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ ने बहà¥à¤¤ मजे किये उसके कà¥à¤› यादगार लमà¥à¤¹à¥‡ आपके समकà¥à¤·

चकराता से कानासर को जाता रासà¥à¤¤à¤¾ और उस पर दौड़ती कार

जरा सा घूम लूठमैं। … अरे हा रे हा रे हाà¤
शाम के लगà¤à¤— 6:30 बज चà¥à¤•े थे। आपसी विचार विमरà¥à¤¶ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® लाखामंडल बना. जो की मेरे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पहले से ही तय था। गाडी चलाने की बारी इस बार मेरी थी। सो मैंने à¤à¥€ कैमरा à¤à¤• तरफ रख सà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¤¿à¤‚ग पकड़, गाडी शिव की नगरी लाखामंडल की और बढ़ा दी। बोलो शंकर à¤à¤—वानॠकी जय |
बà¥à¤§à¥‡à¤° फारेसà¥à¤Ÿ रेसà¥à¤Ÿ हाउस के सामने आपका सूतà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° और मेरी गाडी

मैदान में आराम करता मैं और मंदिर की और बढ़ता पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£
उस सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ अनजान मंदिर के बहार लटके बरà¥à¤¤à¤¨ और जानवर के सिंग
लाखामणà¥à¤¡à¤² अà¤à¥€ à¤à¥€ वहां से लगà¤à¤— 48 KM दूर था। पहाड़ो के 48 KM वैसे à¤à¥€ पà¥à¤²à¥‡à¤¨ के 90 KM के बराबर होते है। लेकिन हमारे ये 48 KM जलà¥à¤¦à¥€ ही हमें 480 KM लगने लगे |
पहला -जब देखा के पहाड़ो में कैसे शाम से रात होने में कोई वक़à¥à¤¤ नहीं लगता। सूरज देवता न जाने कब ओà¤à¤² होने लगे पता ही न चला।
दूसरा -à¤à¤•दम अनजान पहाड़ी रासà¥à¤¤à¤¾ वो à¤à¥€ कचà¥à¤šà¤¾ और पथरीला, जहाठदूर दूर तक अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ और बस अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ ही नजर आने लगा
तीसरा- कोई सà¥à¤šà¤¨à¤¾ बोरà¥à¤¡/ मील का पतà¥à¤¥à¤° तो छोडिये इंसान तक नजर नहीं आ रहा था
चोथा – जिसे आप और हम लोग सड़क कह सके , वैसा तो कà¥à¤› था ही नहीं। बस पहाड़ो को काट कर बनी बिना तारकोल की गाडी चलाने लायक पटà¥à¤Ÿà¥€ थी। उसमे à¤à¥€ सूखी घास उगने के कारण कà¤à¥€ कà¤à¥€ वहां से गà¥à¤œà¤°à¥€ किसी गाडी के टायरों के निशान ही हमारे मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• थे।
पांचवा – à¤à¤• तो दिनà¥à¤à¤° के à¤à¥‚खे ऊपर से ये डरावना रासà¥à¤¤à¤¾
अरà¥à¤°à¥‡ अरà¥à¤° आप मत डरिये

दिन में मिला किसी जानवर का कंकाल à¤à¥€ याद आ रहा था
हमारा डर कोई और न होकर यही था के हम सही तरफ और सही सड़क पर तो जा रहें है न? कà¥à¤¯à¥‚ंकि जैसा मैंने ऊपर बताया के हमारी सहà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤°à¥à¤¥ वहाठकà¥à¤› à¤à¥€ नहीं था। जिससे हमें ये पता चल सके के हम कहाठऔर किस तरफ जा रहें है, खैर जी à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ को होंसला देते, बाते करते, हम मनमोजी बढ़ते रहें, à¤à¤• अनजाने से डर के साथ कà¥à¤¯à¥‚ंकि कà¥à¤¯à¤¾ पता कब कहाठकैसे कोई जानवर , à¤à¥‚त और चà¥à¤¡à¤¼à¥ˆà¤² मिल जाà¤à¥¤
पहाड़ पर लोगो से बड़े किसà¥à¤¸à¥‡ सà¥à¤¨à¥‡ थे के कैसे पहड़ो में गिरी गाड़ियों में मरे लोगो की आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚, दृषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¥à¤°à¤® पैदा कर रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤•ा अपने गà¥à¤°à¥à¤ª में शामिल कर लेती हैं , वैसे पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ तो मैं नहीं करता à¤à¤¸à¥€ बातों पर, लेकिन जब à¤à¤¸à¤¾ माहोल और रासà¥à¤¤à¤¾ हो तो वो सब याद आने लगा।
कà¤à¥€ गाडी से इधर à¤à¤¾à¤‚क, कà¤à¥€ उधर à¤à¤¾à¤‚क | देखते के कà¥à¤› समठआ जाठ, कà¥à¤¯à¥‚ंकि आगे तो हम लगातार देखे ही रहें थे आखà¥à¤¨à¥‡ फाड़ें , हा हा हा …वहां गाड़ी की हेड लाइट की रोशनी में जो कà¥à¤› à¤à¤• दो मीटर तक दिख रहा था बस समà¤à¥‹ उस समय वही हमारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ थी बाकी तो कà¥à¤› दिख ही नहीं रहा था,थोड़ी देर बाद हमें खà¥à¤¦ मालà¥à¤® नहीं की कब कहाठदो चार मकानो के बीच से होकर हमारी वो पथरीली सड़क गà¥à¤œà¤° रही थी (अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने के कारण ) तब गाड़ी रोकी … वहीठà¤à¤• दो आदमी मिले।
à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ से परिचय होने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया के वो रहने वाले तो बड़ोत (UP) के ही हैं। यहाठउनकी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ जमींन है, सो यहाठà¤à¥€ रहते हैं। वहीठà¤à¤• घर में à¤à¥€ बनी छोटी सी दूकान से दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ “पारले जी ” की बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ के पैकेट खरीद अनà¥à¤¨à¥‚ और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ बाबू तो बिजी हो गठ…..मै वैसे à¤à¥€ à¤à¥€ बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ नहीं खाता और गाडी à¤à¥€ चला रहा था। सो उन साहब से बातचीत कर आगे का हाल चाल और रासà¥à¤¤à¥‡ का बà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾ ले चल पड़ा।
(सूचना अगर आप इस पोसà¥à¤Ÿ का पूरा आनंद लेना चाहते है तो कृपया नीचे दिठवीडियो को जरूर देखें )
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया। के à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ बस आप अपने दाहिने हाथ ही चलते रहना कहीं बाठमत मà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¤¾ उनसे बात करने और समà¤à¤¨à¥‡ के बाद तो उस तनà¥à¤¹à¤¾ सरà¥à¤¦ रात और उस अनजान पथरीली सड़क का | अब मजा सा आने लगा था। आगे बढ़ते बाते करते , असमंजस होने पर निचे उतर कर देखते दिखाते हम चलते चले जा रहे थे चलते चले जा रहें चलते चले लगा के ये à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ न खतà¥à¤® होगा कà¤à¥€à¥¤
हमारे बाठहाथ पर पहाड़ की उंचाई और दायें हाथ की खाई की गहराई का हमें तब पता चल जब à¤à¤• सियार हमारी गाडी के आगे आगे à¤à¤• डेढ़ किलोमीटर सीधा दोड़ता रहा …जब वो आगे जाकर à¤à¤• तरफ गायब हो गया तो हमें अंदाजा हो गया था के वो बेचारा इतना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤¾à¤—ा ….कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ी ऊंचाई और गहराई के कारण उसके पास आगे और सिरà¥à¤« आगे à¤à¤¾à¤—ने के अलावा कोई चारा नहीं था।वैसे उसकी छोडिये चारा तो हमारे पास à¤à¥€ और कोई नहीं था सिरà¥à¤« लाखामंडल पहà¥à¤‚चेने के.
खैर जी काफी देर चलने के बाद वो कचà¥à¤šà¥€ रोड à¤à¤• पकà¥à¤•ी रोड पर मिली थोड़ा और चलने पर हमारी गाडी की हेड ळाईट की तरह, हमारे आà¤à¤–ों में à¤à¤• दम चमक आ गयी जब हमे दूर से चमचमाते छोटे छोटे से घर दिखाई देने लगे ….मन और मà¥à¤‚ह से आवाज़ आई। यही है लाखामंडल। यही होना à¤à¥€ चाहिठà¤à¤¾à¤ˆà¥¤
चलती गाड़ी से दूर दिखाई देती अनजान लाइटों की लहर और अधरे का रंग
तो कà¥à¤¯à¤¾ वही था लाखामंडल ?
उसके लिठतो हमें अà¤à¥€ और २-३ किलोमीटर चलना था। जानेंगे जरूर ,, अगली पोसà¥à¤Ÿ में तब तक आप बताइये ??आपको कà¥à¤¯à¤¾ लगता है ? वही था ? या हम रात में कहीं और पहà¥à¤‚च गठथे ??
I do not understand the language, and I could appreciate the pics if it wasn’t for that line,in each one, disturbing the set, the colors etc.
Why do you write “http://goomakkhar.blogspot.in” everywhere?
As many photographer do, writing their name……
I could use an automatic translator, but it does not make the story. At least in English,
(too bad ..)
Padh ke maja aa gaya. vdo chal nahi raha hai..End me batana ki sachmuch sab itan bhayavah hai???!!! fir hame jane se pahele sochna padega…