à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कà¥à¤› चीजें à¤à¤¸à¥€ हैं जो तेजी से विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रही हैं। इनमें सबसे ऊपर हैं- मीटर गेज और नैरो गेज वाली गाडियां। यूनीगेज पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के तहत सà¤à¥€ मीटर और नैरो गेज वाली लाइनों को बà¥à¤°à¥‰à¤¡ गेज में बदला जा रहा है (सिवाय कालका-शिमला, पठानकोट-जोगिनà¥à¤¦à¤° नगर, दारà¥à¤œà¥€à¤²à¤¿à¤‚ग रेलवे, ऊटी रेलवे और मथेरान रेलवे को छोडकर)। मैं अपने बारे में à¤à¤• बात बता दूं कि मà¥à¤à¥‡ किसी à¤à¥€ लाइन पर पैसेंजर गाडी में बैठकर हर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर रà¥à¤•ना, उसकी ऊंचाई लिखना और फोटो खींचना अचà¥à¤›à¤¾ लगता है। हर महीने किसी ना किसी नई लाइन पर निकल ही जाता हूं। 2011 का लकà¥à¤·à¥à¤¯ था इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रही लाइनों पर घूमना। यानी बची हà¥à¤ˆ मीटर और नैरो गेज वाली लाइनों को कवर करना। अगर ये लाइनें à¤à¤• बार बनà¥à¤¦ हो गईं तो सदा के लिये बनà¥à¤¦ हो जायेंगी। फिर परिवरà¥à¤¤à¤¨ पूरा हो जाने पर इन पर बडी गाडियां दौडा करेंगी। उसके बाद हमारे पास यह तो कहने को रहेगा कि हमने ‘उस’ जमाने में छोटी गाडियों में सफर किया था। इसी सिलसिले में 2011 की पहली यातà¥à¤°à¤¾ हà¥à¤ˆ सतपà¥à¤¡à¤¾ रेलवे की। यह नैरो गेज है। जबलपà¥à¤° से बालाघाट, नैनपà¥à¤° से मणà¥à¤¡à¤²à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ और नैनपà¥à¤° से नागपà¥à¤° तक इनका नेटवरà¥à¤• फैला हà¥à¤† है।हजरत निजामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से दोपहर बाद साढे तीन बजे गोंडवाना à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ चलती है। तारीख थी 6 मारà¥à¤š 2011। आनन-फानन में योजना बनी थी इसलिये सीट कनà¥à¤«à¤°à¥à¤® à¤à¥€ नहीं हà¥à¤ˆ थी। यहां तक कि चारà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग के बाद à¤à¥€ नहीं। टीटी महाराज कà¥à¤› दयावान थे कि à¤à¤¾à¤‚सी तक के लिये à¤à¤• बरà¥à¤¥ पकडा दी। अपन छह-सात घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक आराम से सोते गये। दस बजे गाडी à¤à¤¾à¤‚सी पहà¥à¤‚ची। जिस सीट पर मैं पसरा पडा था, उसके मालिक à¤à¤• सरदारजी थे। आते ही रौब सा दिखाया, उतरना पडा।
à¤à¤²à¤¾ हो गोंडवाना à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ का कि यह बिहार वाले रूट पर नहीं चलती तà¤à¥€ तो à¤à¤¾à¤‚सी से जनरल डिबà¥à¤¬à¥‡ में मसà¥à¤¤ जगह मिली। सà¥à¤¬à¤¹ साढे छह बजे तक आमला पहà¥à¤‚चे, आराम से पडे-पडे सोते हà¥à¤ गये। हां, à¤à¤• बार à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² में जरूर उतरा था कà¥à¤› पेट में डालने के लिये। जब से निजामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ से चला था, कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं खाया था। आमला में यह गाडी आधे घणà¥à¤Ÿà¥‡ देर से पहà¥à¤‚ची थी। फिर à¤à¥€ यहां से सात बजे चलने वाली छिंदवाडा पैसेंजर मिल गई। हालांकि आज के जमाने में इणà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर हर जानकारी उपलबà¥à¤§ है, मैं अपनी दो दिनी यातà¥à¤°à¤¾ का सारा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाकर चला था; कब कहां से कौन सी गाडी पकडनी है, कब कितने बजे कहां पहà¥à¤‚चना है। कà¥à¤› सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के फोटू हैं, आमला से छिंदवाडा तक के। यह सेकà¥à¤¶à¤¨ बà¥à¤°à¥‰à¤¡ गेज है। लगà¤à¤— 125 किलोमीटर है, पैसेंजर गाडी से तीन घणà¥à¤Ÿà¥‡ लगते हैं। दस बजे के आसपास गाडी छिंदवाडा पहà¥à¤‚चती है। छिंदवाडा बà¥à¤°à¥‰à¤¡ गेज का आखिरी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है जबकि यहां से दो दिशाओं में नैरो गेज की लाइनें जाती हैं- à¤à¤• नागपà¥à¤° और दूसरी नैनपà¥à¤° होते हà¥à¤ जबलपà¥à¤°à¥¤ मà¥à¤à¥‡ नैनपà¥à¤° तक जाना था।
आमला जंकà¥à¤¶à¤¨
लालावाडी
जमà¥à¤¬à¤¾à¤¡à¤¾
बोरधई
बरेलीपार
नवेगांव
जà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¾à¤°à¤¦à¥‡à¤µ
छिंदवाडा जंकà¥à¤¶à¤¨
अब शà¥à¤°à¥‚ होती है नैरो गेज की सवारी। इस सिलसिले में अगर कोई और होता तो वो सीधा जबलपà¥à¤° जाता। लेकिन इधर ठहरे टेढी खोपडी वाले, छिंदवाडा जा पहà¥à¤‚चे। छिंदवाडा से नैनपà¥à¤° तक कई गाडियां चलती हैं, सारी की सारी पैसेंजर। मैं साढे बारह बजे चलने वाली गाडी (58853) में जा धरा। यह गाडी शाम को सात बजे नैनपà¥à¤° पहà¥à¤‚चा देती है। यह इलाका à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सबसे वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ और घना नैरो गेज वाला इलाका है। यहां रेल लाइन की शà¥à¤°à¥‚आत 1905 के आसपास हà¥à¤ˆ थी। यहां सतपà¥à¤¡à¤¾ की पहाडियों का बोलबाला है। ये पहाडियां इस मारà¥à¤— पर सफर को और à¤à¥€ मजेदार बना देती है। आबादी बहà¥à¤¤ कम है। हालांकि टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में à¤à¥€à¤¡ बहà¥à¤¤ होती है। गाडी की रफà¥à¤¤à¤¾à¤° à¤à¥€ कम ही रहती है। लोगों को तेज यातायात उपलबà¥à¤§ कराने के लिये इस नैरो गेज को उखाडकर बà¥à¤°à¥‰à¤¡ गेज में बदला जायेगा। जबलपà¥à¤°-बालाघाट खणà¥à¤¡ पर आमान-परिवरà¥à¤¤à¤¨ का काम शà¥à¤°à¥‚ à¤à¥€ हो चà¥à¤•ा है।
छिंदवाडा से नैनपà¥à¤° तक कà¥à¤² बीस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हैं। इनमें छिंदवाडा के बाद सिवनी सबसे बडा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है। सिवनी जिला à¤à¥€ है। बीस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ और उनकी समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ऊंचाई इस पà¥à¤°à¤•ार हैं:
1. छिंदवाडा जंकà¥à¤¶à¤¨ (670.9 मीटर)
2. उमरिया-ईसरा
3. à¤à¤¿à¤²à¥€à¤®à¤¿à¤²à¥€
4. मरकाहांडी
5. चौरई
6. काराबोह (639.37 मीटर)
7. कपà¥à¤°à¤§à¤¾
8. समसवाडा
9. पीपरडाही
10. मातृधाम
11. सिवनी (613.15 मीटर)
12. à¤à¥‹à¤®à¤¾
13. कानà¥à¤¹à¥€à¤µà¤¾à¤¡à¤¾
14. जà¥à¤°à¤¤à¤°à¤¾
15. पलारी (458.9 मीटर)
16. खैरी
17. केवलारी (450.5 मीटर)
18. गंगाटोला
19. खैररांजी
20. नैनपà¥à¤° जंकà¥à¤¶à¤¨ (439.39 मीटर)
उमरिया-ईसरा
चौरई
काराबोह
मातृधाम
सिवनी
कानà¥à¤¹à¥€à¤µà¤¾à¤¡à¤¾
खैरी
केवलारी
नैनपà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सबसे बडा नैरोगेज जंकà¥à¤¶à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है। यहां से चार दिशाओं में लाइनें जाती हैं- जबलपà¥à¤°, मणà¥à¤¡à¤²à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ, बालाघाट और छिंदवाडा। मेरे नैनपà¥à¤° पहà¥à¤‚चने तक रात हो गई थी। आज का काम खतà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤
अब नैनपà¥à¤° से मà¥à¤à¥‡ बालाघाट जाना था। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थी रात बारह बजे के बाद (58868)। यानी पांच घणà¥à¤Ÿà¥‡ बाद। सोचा कि बालाघाट तक बस से चला जाता हूं। लेकिन नैनपà¥à¤° से किसी à¤à¥€ दिशा में बाहर जाने के लिये बस ही नहीं मिली- शाम सात बजे à¤à¥€ नहीं। लोगों ने बताया कि नैनपà¥à¤° में बस सेवा नहीं है। छोटी जीपें चलती हैं, वो à¤à¥€ मणà¥à¤¡à¤²à¤¾ तक या फिर टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥¤ मन मारकर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर ही रà¥à¤•ना पडा बारह बजे वाली टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पकडने के लिये। मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में परिवहन सेवा बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ हालत में है। सारा परिवहन पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ हाथों में है। वे अपनी मरà¥à¤œà¥€ से बसें चलाते हैं।
नैनपà¥à¤° बडा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है। चार पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® हैं। लेकिन à¤à¥€à¤¡ नहीं थी। इसलिये सोने के लिये बेंच आराम से मिल गई। गरà¥à¤®à¥€ तो लगी नहीं, हां कà¥à¤› मचà¥à¤›à¤° जरूर लगे। उनसे बचने के लिये चादर ओढ ली। बारह बजे का अलारà¥à¤® लगा लिया।
जब अलारà¥à¤® बजा तो गाडी आ चà¥à¤•ी थी। इस गाडी में सà¥à¤²à¥€à¤ªà¤° कà¥à¤²à¤¾à¤¸ का डिबà¥à¤¬à¤¾ à¤à¥€ है- नैरो गेज में सà¥à¤²à¥€à¤ªà¤° कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥¤ गिने-चà¥à¤¨à¥‡ लोग ही होंगे जिसने इसे देखा होगा या सफर किया होगा। टीटी ने सीट देने से मना कर दिया। मजबूर होकर जनरल डिबà¥à¤¬à¥‡ में जाना पडा। à¤à¥€à¤¡ तो थी ही लेकिन दरवाजा बनà¥à¤¦ करके पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• शीट बिछाने की जगह मिल गई। दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ बाद बालाघाट आने तक कई बार आंख लगी और खà¥à¤²à¥€à¥¤
अगले à¤à¤¾à¤— में बालाघाट से जबलपà¥à¤° तक नैरो गेज की सवारी कराई जायेगी।