पिछली बार हमने शुरुआत की थी मल्ल्क्का से, अब आगे थोड़ा और जानते हैं इस शहर के बारे में |
हालाँकि कुआला लम्पुर से मल्ल्क्का अधिक दूर नहीं है, फिर भी मल्ल्क्का का अपना हवाई अड्डा है | हवाई जहाज़ के अलावा कुआला लम्पुर से मल्ल्क्का जाने के लिए सबसे सरल रास्ता है कार या टूरिस्ट बस द्वारा North-South Expressway होते हुए जाना | यह मलयेशिया की सबसे लम्बी expressway है जो उत्तर में थाईलैंड और दक्षिण में सिंगापुर तक जाती है | ज़ाहिर बात है, सड़क पर गाड़ी मक्खन की तरह भागती है |
यह 144 KMs की दूरी सड़क से 2 घंटे से भी कम समय में पूरी हो जाती है | बस का किराया केवल RM 12 है | बस आपको मल्ल्क्का शहर के अन्दर सेंट्रल बस अड्डे पर उतारती है जहाँ से हर पंद्रह मिनट में लोकल बस जाती है मुख्य टूरिस्ट स्थान के लिए | अरे ! भवें न तानिये | मलयेशिया की लोकल बसें भी वातानुकूलित होती हैं | :) और किराया सिर्फ RM 1.50 ! अगर आपका मन करे तो जब तक आपकी बस आती है, यहाँ वातानुकूलित बस अड्डे पर तरो ताज़ा हो लें, चाय नाश्ता कर लें | विश्वास कीजिये, भारत के किसी भी बस अड्डे से बेहतर सुविधाएं हैं यहाँ | खाना-पीना और शौपिंग अलग |
मल्ल्क्का में देखने के लिए बहुत सारे संग्रहालय हैं जिनमें से कुछ तो राष्ट्रीय स्तर पर हैं | इन्हें अगर आप ठीक से देखना चाहें तो कम से कम 3 दिन का समय अवश्य रखें |
इसमें सबसे पहले जिसका ज़िक्र मैं यहाँ करना चाहूंगी वह है विश्व प्रसिद्ध Baba Nyonya Heritage Museum. अब आप मुझसे इसका उच्चारण ना ही पूछें तो अच्छा है |
इस संग्रहालय में आप देख सकते हैं कि कैसे चीन देश से आये अमीर पैसे वाले व्यापारी मल्ल्क्का में बस गए, यहाँ हुकूमत की, उनका रहन सहन और आजतक का उनके परिवार का लेखा जोखा (Family tree)| यहाँ तक कि प्रथम दंपत्ति का शादी पर पहना हुआ रेशमी जोड़ा भी | मैंने यह पाया कि उनके रहन सहन का कुछ हिस्सा बहुत कुछ हमारे रहन सहन से मिलता है | बस अधिक नहीं बताउंगी | टिकट है RM 8 और अन्दर फोटोग्राफी वर्जित है |
Maritime Museum – समुद्र से जुडी हर बात आपको यहाँ देखने को मिलेगी, शुरुआत होती है सड़क पर बने एक बहुत बड़े पानी के जहाज से | क्या आपको पता है मलय भाषा में sea को क्या कहते हैं ? समुद्र !! हैं ना हैरानी की बात ?
कुछ और संग्रहालय जो हमने देखे उनके नाम हैं Architecture Museum of Malaysia, Museum of Enduring Beauty, Islamic World Museum, Stamp Museum, Stadthuys (St Paul पहाड़ी के ऊपर बने इस भवन में Historic Museum and Ethnography Museum है ) और पहले इसमें मल्ल्क्का के गवर्नर रहते थे|
St John’s Fort – प्रारंभ में पुर्तगालियों द्वारा इसे प्रार्थनालय के रूप में बनाया गया था, बाद में डच लोगों ने किले में परिवर्तित किया | इस किले की खास बात है कि इसके तोप बाहर की तरफ न होकर अन्दर की तरफ मुँह किये हुए हैं | बाहरी दुश्मनों की बजाय घर के भेदियों से बचने के लिए | :)
Jonker’s Street – सप्ताह में एक बार यहाँ सांस्कृतिक कार्यकर्मों का आयोजन मुफ्त में होता है जिसमें मल्ल्क्का के संस्कृति की झलक ख़ूब दिखाई देती है | यहाँ और इसके आस पास आपको कई सस्ते और अच्छे होटल मिलेंगे और इसी सड़क पर सस्ती उपहार की वस्तुएं (souvenirs) भी खरीद सकते हैं | इस सड़क से थोड़ा और आगे जाएँ तो २ चीनी मंदिर, एक हिन्दू मंदिर और एक मस्जिद भी हैं |
इसके अलावा The D-PARADISE Tropical Fruit World and Aboriginal Village की सैर करना चाहें तो आधा दिन अपने खाते में और रख कर प्लान बनाइये | यहाँ देश के विभिन्न प्रकार के फल सब्जी के अलावा आप देख सकते है विश्व का सबसे बड़ा सीता-फल, आदिवासी जीवन और ऐसी ही कुछ और चीज़ें | क्योंकि इसे देखने में आधे दिन से ज्यादा समय लगता है, आपका शाकाहारी भोजन भी यहीं निश्चित है | इसे देखने का टिकट RM 50 (Ringgit Malaysia) है जिसमें भोजन सम्मिलित है |
ध्यान रहे, बताया गया समय सिर्फ इन सभी जगहों को देखने का है, इसमें जाने-आने और सुस्ताने का समय शामिल नहीं किया गया है |
और हाँ ! यदि आप अपने देश भारत को मिस कर रहे हैं तो लिटिल इंडिया ना देखना भूलें | वहां रात में भी अच्छी खासी रौनक रहती है | नदी किनारे नौजवान लड़के डफली पर बॉलीवुड की नयी धुनों पर गाते और नाचते हुए भी दिखाई देंगे |
अरे रुकिए ! अभी तो मैंने समुद्र तट की बातें तो बताई ही नहीं | ‘Eye of Malacca’ समुद्र तट पर ही है ना | :)
अगली बार हम और कुछ जानेंगे मल्ल्क्का के बारे में, चीनी मंदिर देखेंगे और मैं आपको बताउंगी मल्ल्क्का के मशहूर त्रिशा के बारे में |
‘Museum of Enduring Beauty’, interesting name and play of word, enduring and beauty. good.
3 days at Malacca may actually mean planning a big vacation overall, assuming that one would want to do is share of KL as well.
Keep them coming.
May be an English translation would benefit a lot more people; about 6 times more, IMHO.
WOW! When will I be able to write like this!! very nicely written, great colorful pictures. and I loved the expression – ‘?? ???? ???? ???????’ :)
Nandan,
Well, to make it short one can always skip a few museums or that half day tour to tropical fruit world. Plan for one day and you can still rush thru some of them.
But then ‘Eye on Malacca’ is far from the city. You’ll have to either skip it or keep half a day. I have only mentioned what we saw there.
As I mentioned earlier, KL city has lesser things to see and it can get covered in 2 days. Other things are either in outskirts or at a distance there.
Patrick,
I am extremely sorry that it’s not understood by a section of readers but as I have mentioned in my earlier reply to someone, it was a conscience decision to write in Hindi.
Probably in the end I’ll summarize it all in an English post.
If you wish so, you can read in English about Malaysia, on my blog here where I have been writing about it for quite sometime. It has more pictures and more intricate details about the place.
Smita,
Thank you very much for all the encouragement.
Well, I could have been more witty than that. :)
Thanks once again.
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??? ?? ?? ??? ??? ?????? ???? ???? ?? ?? ????? ???? | :-)
Hello Nisha,
I am curious about the “Museum of Enduring Beauty”. What all is there inside it?
-Vibha