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दिल्ली से कैंची धाम और नैनीताल की यात्रा दो दिनो मैं

यह मेरा पहला पोस्ट हैं घुमक्कड़ पे और इस साइट पर लोगो के पोस्ट पढ़ना मुझे बहुत पसंद हैं। धन्यवाद आप सभी का जो यहाँ पे अपनी यात्रा का वर्णन करते हैं और हमें भी उन जगहो के बारे मैं जानकारी मिलती हैं जहां हम नहीं गए या जहां हम जा सकते हैं।
वैसे तो वो मई 2016 का बढ़ा ही साधारण छुट्टी का दिन था और मुझे पता भी नहीं था की मैं अपनी पहली रोड ट्रिप पे जाने वाला हूँ रोज सुबह के नित्य कार्य करते हुये सोचा की क्यूँ न कहीं घूमने जाया जाये और कल रविवार के दिन की भी छुट्टी हैं तो कल तक वापस आ जाऊंगा। पहले हरिद्वार जाने का विचार किया क्यूंकी वो दिल्ली के पास ही हैं लेकिन वहाँ मैं पहले भी कई बार जा चुका था सोचा की किसी नई जगह चलते हैं और कैंची धाम जाने का फैसला किया (श्रेय जाता हैं मार्क जुककरबर्ग और स्टीव जॉब्स को)।

माँ को इस यात्रा के बारे मैं बताया तो उन्हे थोड़ा अचरज हुआ लेकिन वो मेरी आदत के बारे मैं जानते हैं की मैं बिना किसी योजना के ही यात्रा करना पसंद करता हूँ और पहले भी कई बार ऐसे ही बिना किसी योजना के जा चुका हूँ, जल्दी ही मैंने अपने ऑफिस बैग के अंदर एक पैंट शर्ट पेक किया और तैयार हो गया, इन सब मैं 1 घंटे का समय लग गया और मैंने जाने का फैसला किया अपनी हीरो होंडा CBZ बाइक से जिसपे आज तक मैंने इतना लंबा सफर नहीं किया था (इससे पहले मैं ट्रेन से ही घूमने जाता था)।

रास्ते की जानकारी तो थी नहीं धन्यवाद गूगल मैप का जिससे तुरंत रास्ते का मैप निकाला जिससे पता चला की तकरीबन 340 K.M तक ड्राइव करना हैं और रूट मैप का स्क्रीन शॉट भी ले कर के रख लिया जिससे की आगे बार-बार नेट नहीं चलाना पड़े। जाने का फैसला अकेले ही किया क्यूंकी इतना समय नहीं था की किसी और को साथ ले लूँ और वैसे भी मुझे अकेले घूमना पसंद हैं इससे आज़ादी का एहसास होता हैं जहां आपकी इच्छा हों आप जा सकते हैं जहां रुकना चाहे रुक सकते हैं किसी और की चिंता किए बगैर।

दोपहर के 12:00 बजे दिल्ली से यात्रा शुरू की साफ मौसम था दिल्ली से ग्रेटर नोएडा वेस्ट और फिर बाएँ तरफ मुड़ने पर थोड़ा आगे जा कर के एनएच 24 आ गया जिसपे आगे काफी सफर करना था 1 घंटा ड्राइव करने पर गाज़ियाबाद पार हो गया और शहरी कस्बा भी, अब हाइवे था और ऊसके दोनों तरफ खेत थोड़े बहोत मकान भी थे हाइवे के किनारे वहीं आगे जा करके एक चौक था जहां कई दुकाने थी पेड़ के नीचे एक जूस वाले की दुकान थी वहीं पर थोड़ा देर रुक कर के जूस पिया और थोड़ा आराम करने के बाद आगे का रास्ता तय करने के लिए फिर से ड्राइव करना शुरू कर दिया ऊसके बाद हापुड़ आया और फिर गढ़मुक्तेसवर जहां पर गंगा जी के दर्शन किये कुछ फोटो ली और आगे चल पड़ा उसके बाद मुरादाबाद और फिर रामपुर आया जहां पर मेरा एनएच 24 का सफर समाप्त हुआ यहाँ से एनएच 87 पे आगे रुद्रपुर होते हुए हल्द्वानी की तरफ जाना था|

Gangaa River at Garhmukteshwar

वहीं रामपुर चौक पर ही कुछ देर रुक कर के भोजन किया और कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद आगे का सफर एनएच 87 पे शुरू किया। यहाँ मैं आपको बताना चाहूँगा की एनएच 24 की सड़क (दिल्ली से रामपुर) काफी अच्छी थी और उस पे ड्राइव करने मैं एक अलग ही आनंद आ रहा था लेकिन रामपुर से रुद्रपुर तक की एक पतली सड़क हैं जो की समतल नहीं हैं और इसपे छोटे-2 गड्ढे भी हैं।

Rudrapur to Haldwani Road

तकरीबन एक घंटे ड्राइव करने के बाद मैं रुद्रपुर पहुँच गया और शाम भी हो गई थी आगे रुद्रपुर से हल्द्वानी जाना था और उस सड़क पे ड्राइव करना बेहतरीन अनुभव था। शाम का समय हो गया था गर्मी के मौसम मैं भी वहाँ का मौसम काफी ठंडा था, सड़क अच्छी थी समतल और कोई गड्ढा नहीं, सड़क के दोनों तरफ दूर-दूर तक सिर्फ पेड़ थे, सड़क खाली थी सिर्फ इक्का-दुक्का वाहन ही नजर आ रहे थे, चारो तरफ शांति का एहसास हो रहा था और बाइक चलाते हुये जो ठंडी हवा चेहरे पे लग रही थी उसका एहसास बोहोत आनंदायक था।

मेरी कोशिश यह थी की मैं अंधेरा होने से पहले हल्द्वानी पहुँच जाऊँ क्यूंकी मैं रात को सफर नहीं करना चाहता था वहाँ सड़कों पे लाइट नहीं होती और हल्द्वानी के बाद पहाड़ी रास्ता भी शुरू हो जाता हैं एक घंटे ऊस बेहतरीन सड़क पे ड्राइव करने के बाद मैं हल्द्वानी पहुंचा और अब तक अंधेरा हो चुका था मैंने हल्द्वानी शहर को पार किया और हाइवे पर ही एक होटल मैं कमरा ले लिया पहले तो हल्द्वानी शहर मैं ही कमरा लेने वाला था लेकिन देखा की होटल के बगल मैं ही बारात आने वाली थी तो सोचा की यह रात को सोने नहीं देंगे इसलिए थोड़ा आगे जा कर के हल्द्वानी के बाहर कमरा लिया, किराया थोड़ा ज़्यादा लगा Rs.1200/- एक रात का लेकिन कमरा अच्छा था साथ मैं अटैच बाथरूम भी था रात को नहा कर के खाना कमरे मैं ही मँगवा लिया, रोटी, चावल, आलू की सब्जी और दाल मखनि का भोजन कर के एक पेप्सी पी और टीवी पर आईपीएल का मैच देखने लगा यह सोचते हुये की कल सुबह जल्दी निकलना पड़ेगा।

A Small Village on the way to Bhimtal

Early Morning view from Bhimtal Mountains

अगले दिन सुबह 6:00 बजे ऊठा और नहा धो कर के 7:00 बजे होटल से आगे के सफर के लिए निकल पड़ा तकरीबन 20 K.M. पहाड़ो पे बाइक चला कर के मैं पहुंचा भीमताल और यह जगह काफी शांत और खूबसूरत हैं जहां आपको पहाड़ और प्रकृति की खूबसूरती का एहसास भी होगा और यह जगह किसी मशहूर पर्यटन स्थल की तरह भीड़-भाड़ वाली भी नहीं हैं, एक खूबसूरत कस्बा हैं जहां आप शांति के कुछ पल एक शांत और खूबसूरत वातावरण मैं बिता सकते हैं। मैंने यहाँ पे बाइक को एक साइड मैं लगा कर के कुछ देर तक इस खूबसूरत नज़ारे को देखता रहा और फिर आगे का रास्ता शुरू किया थोड़ी देर बाइक चलाने के बाद मैं भवाली पहुंचा और और मेरी बाइक मैं थोड़ी खराबी आ रही थी तो सोचा की इसे यहीं ठीक करा लेना सही हैं।

A Beautiful Road in Bhimtal

Beautiful Town of Bhimtal

Bhimtal Lake

बाइक मे क्लच प्लेट की खराबी थी जिसे ठीक कराने मैं तकरीबन 2 घंटे का समय लग गया तब तक मैं भवाली मे ही घूमता रहा और नाश्ता किया। मैकेनिक ने बताया की यहाँ से कैंची धाम 8 K.M. हैं और नैनीताल 10 K.M. आपको कैंची धाम के दर्शन कर के यहीं वापस आना होगा और फिर आप यहाँ से नैनीताल जा सकते हैं मेरी बाइक की नंबर प्लेट देख कर के मैकेनिक ने मुझसे पूछा की क्या आप दिल्ली से आए हैं बाइक पर ? उसे और वहाँ पर खड़े दो और लड़को को यह जान कर अचरज हुआ की मैं इतनी दूर बाइक से गया था।

Bike Repairing in Bhowali

अब मेरी बाइक किलकुल ठीक हो चुकी थी और मैंने आगे का रास्ता कैंची धाम के लिए शुरू किया जो की 8 K.M. का था मैंने लेंडस्लाइड के बारे मैं सुना था लेकिन मुझे आगे रास्ते पर कुछ जगह पेड़ भी रास्ते पे गिरे हुये दिखे जो की पहाड़ो के ऊपर से गिर कर सड़क पे आ गए थे। कैंची धाम पहुँच कर के वहाँ पहाड़ी नींबू का शर्बत पिया और मंदिर मैं जा कर के थोड़ी देर मंदिर परिसर मैं बाबा के आसन के पास बैठा रहा, मैं जब वहाँ मंदिर परिसर मैं बैठा हुआ था तो मन मैं शांति का एहसास हो रहा था और बिलकुल भी इच्छा नहीं हो रही थी की मैं वहाँ से जाऊँ, पहले सोचा था की मंदिर परिसर मैं सिर्फ 10 मिनट तक रहूँगा लेकिन मैं उससे काफी ज़्यादा समय तक वहीं रहा और नहीं जानता कितनी देर तक बस वहाँ बैठ कर के मैं उस शांति के एहसास को महसूस कर रहा था, लेकिन मुझे वहाँ से चलना ही था मेरे पास समय की कमी थी शायद कभी मैं वहाँ फिर जा कर के एक या दो दिनो तक का समय बिताऊँ।

Trees on the Road to Neeb Karori Temple

Neeb Karori Temple

कैंची धाम मंदिर बिलकुल साफ था आपको कूड़े का एक दाना भी मंदिर परिसर मैं नज़र नहीं आएगा, मैं आपको मंदिर के अंदर की फोटो नहीं दिखा सकता क्यूंकी मंदिर परिसर के अंदर फोटो लेना माना हैं। बाबा को प्रणाम कर के मैं अपने सफर मे आगे चला और भवाली होते हुये नैनीताल पहुँच गया।

Perfect Road to Nainital

Nainital Lake

Nainital Mountains filled with the Hotels

नैनीताल जैसे की उम्मीद थी एक सुंदर जगह हैं पहाड़ो के बीच मे झील हैं जिसमे लोग नाव मे घूमने का आनंद ले सकते हैं लेकिन एक मशहूर पर्यटन स्थल होने की वजह से यहाँ पे भीड़ भी काफी थी और पहाड़ो पर तो होटल वालों ने कब्जा कर लिया था। मैंने वहीं पर एक रैस्टौरेंट मे पालक पनीर और बटर नान का लंच किया और फिर एक ग्लास लस्सी पी जिससे की यह तय हो गया की अगला खाना तो घर पे ही होने वाला हैं उसके बाद सोचा की जब इतनी दूर आया हूँ तो थोड़ी देर झील मैं भी घूम लेता हूँ |

A Selfie in Nainital Lake

एक नाव को किराये पर लिया और झील मैं घूमने लगा नाव वाले से पूछा की यहाँ पे कभी बर्फ गिरती हैं तो उसने बताया की जनवरी और फरवरी मे बर्फ गिरती हैं फिर नाव मे घूमने के बाद समय देखा तो दोपहर के 2 बज रहे थे और अब मुझे वापस घर की तरफ चलना था दिल्ली के लिये।

दिल्ली से कैंची धाम और नैनीताल की यात्रा दो दिनो मैं was last modified: May 6th, 2022 by Suraj Soni
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