
घुमक्कड़ी – कुछ खट्टी – कुछ मीठी ( इस बार विदेशों से)
भगत सिंह 22 वर्ष फ्रांस में रहने के बाद भी, गाड़ी होशियारपुर स्टाइल में ही चलाता था… फ्रैंकफुर्त पंहुच कर उसने सीधे हाथ का इंडिकेटर दिया, और इसी बीच हमारे बीच एक और गाड़ी आ गयी. जैसे ही हमें सीधे हाथ पर बाहर जाती सड़क मिली, हमने अपनी गाड़ी हाइवे से बाहर निकाल दी… ये सोचकर कि भगत ने कुछ देर पहले इंडिकेटर दिया था….बस यहीं हम पंजाबी ड्राइवरी को समझने में भूल कर गये….भगत सीधा निकल चुका था और हम फ्रैंकफुर्त शहर में प्रवेश कर गये.
हमें न तो ये पता था कि भगत के मित्र का नाम क्या है और न ये कि उसका पता क्या है…. अगर तब तक mobile phones का आविष्कार हो जाता तो हम यूं न गुमते. खैर हम कुछ दूर चलने के बाद सड़क के किनारे खड़े हो गये और ये सोचकर कि भगत हमें पीछे न देखकर शायद यहां पंहुच जाये और हमें मिल जाये…पर भगत सिंह को न आना था न आया.
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