यातà¥à¤°à¤¾ की योजना à¤à¤µà¤‚ तैयारी:
वैसे तो अब तक घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर सोमनाथ के बारे में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› लिखा जा चूका है, लेकिन à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने की मेरी à¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ है, आशा है आपलोगों को मेरा यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ पसंद आà¤à¤—ा.
हमने अपनी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ तà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•ेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग यातà¥à¤°à¤¾ के साथ सन 2007 में शà¥à¤°à¥‚ की थीं लेकिन उस यातà¥à¤°à¤¾ के कोई साकà¥à¤·à¥à¤¯ हमारे पास मौजूद नहीं होने की वजह से हम उस यातà¥à¤°à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के पाठकों तक नहीं ला पाठफिर 2008 में घृषà¥à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग की यातà¥à¤°à¤¾ के बाद अब हम अपनी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में सोच ही रहे थे की अब कहाठजाना चाहिà¤? तà¤à¥€ दिमाग में यह बात आई की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न सोमनाथ जाया जाये? सोमनाथ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ हो जायेंगे और साथ में दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•ा धाम à¤à¥€ हो आयेंगे यानि à¤à¤• जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के साथ à¤à¤• धाम फà¥à¤°à¥€, और बस मà¥à¤•ेश जी ने योजना बनाने पर काम पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दिया और हमने यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया की हमारी यह यातà¥à¤°à¤¾ 30 जनवरी से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोकर 5 फरवरी  को समापà¥à¤¤ होगी. 30 जनवरी को इसलिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस दिन हमारी बिटिया संसà¥à¤•ृति का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ होता है, अब वह नौ वरà¥à¤· की हो गई थी और इससे पहले के उसके सारे जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ हमने अपने घर में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की फौज के साथ ही मनाये गà¤, लेकिन इस वरà¥à¤· हमने सोचा की उसके जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ पर हम तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¾ जायेंगे अतः हमने यह टूर इस दिन के लिठपà¥à¤²à¤¾à¤¨ किया और फिर हमने जबलपà¥à¤° सोमनाथ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में अपना रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवा लिया.
यातà¥à¤°à¤¾ का आरमà¥à¤:
संसà¥à¤•ृति अपने सà¥à¤•ूल से लौटी और कोलोनी में टॉफी बांटकर आई और शाम के लगà¤à¤— छः बजे हम लोग अपनी कार से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के लिठरवाना हो गà¤, हमें अपनी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से ही बैठना था. टà¥à¤°à¥‡à¤¨ रात को 10 बजे उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से निकलनेवाली थी और हम लोग लगà¤à¤— नौ बजे रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गà¤, à¤à¤• घंटे के इंतज़ार के बाद करीब 10 :10 बजे हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से निकल पड़ी.
मà¥à¤•ेश को टà¥à¤°à¥‡à¤¨ (रेलवे) का खाना बिलकà¥à¤² पसंद नहीं है, इसलिठवे अपने ओफ़िशिअल टूर पर à¤à¥€ जब जाते हैं तो कम से कम à¤à¤• बार का खाना मेरे हाथ का बनवाकर लेकर जाते हैं खासकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में मेरे हाथ की आलू मटर की सबà¥à¤œà¥€ या à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¡à¥€ और पà¥à¤¡à¤¼à¥€ या परांठे बहà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं तो मैं उनकी पसंद का खाना बनाकर साथ लेकर आई थी अतः खाना वगैरह खाकर हम लोग अपनी अपनी बरà¥à¤¥ पर सो गà¤.
सोमनाथ जाने का मेरा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ अपने चरम पर था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो बचपन से किताबों में सोमनाथ मंदिर के बारे में पढ़ते आ रहे थे और दूसरा सारे जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में पà¥à¤°à¤¥à¤® जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के दरà¥à¤¶à¤¨ के आनंद की लालसा. वैसे मैं कई बार शिव महापà¥à¤°à¤¾à¤£ की कथा सà¥à¤¨ चà¥à¤•ी थी जिसमें कहा जाता है की जो à¤à¤•à¥à¤¤ सोमनाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ करता हैं वह यहाठसे à¤à¤• नई उरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके अनà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होता है, वैसे तकनिकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में कहूठतो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ रिचारà¥à¤œ हो जाता है, उसे à¤à¤• नई à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€ मिल जाती है.
हम सोते रहे और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अपने गति से चलती रही, à¤à¤• à¤à¤• करके सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ रहे, बीच बीच में नींद खà¥à¤² जाती थी तो खिड़की से à¤à¤¾à¤à¤• कर देख लिया करते की कौन सा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया है. वैसे मà¥à¤•ेश को तो बस, कार, टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आदि में नींद आती ही नहीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घà¥à¤®à¤¨à¥‡ और नई जगहों को देखने का इतना जबरदसà¥à¤¤ शौक है की वो पà¥à¤°à¥‡ समय खिड़की से à¤à¤¾à¤à¤• कर बाहर देखने की कोशिश करते रहते हैं, और जैसे ही सà¥à¤¬à¤¹Â की पहली किरण फूटती है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी मà¥à¤‚ह मांगी मà¥à¤°à¤¾à¤¦ मिल जाती है और वे उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होकर बाहर देखने लगते हैं.
वेरावल से सोमनाथ का सफ़र: कà¥à¤› यादगार अनà¥à¤à¤µ
रात के बैठे हम लोग अगले दिन शाम के पांच बजे के लगà¤à¤— वेरावल पहà¥à¤à¤š गà¤. वेरावल आते आते जैसे पूरी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ ही खाली हो गई और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के खाली होते ही बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने कमà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट में उछल कूद मचाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया.
वेरावल सोमनाथ से कà¥à¤› 8 किलोमीटर पहले à¤à¤• क़सà¥à¤¬à¤¾ है, जहाठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सोमनाथ तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¥€Â ठहरते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठठहरने के लिठअचà¥à¤›à¥€ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤à¤‚ तथा होटलà¥à¤¸ हैं. पहले कोई à¤à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सोमनाथ तक नहीं जाती थी तथा वेरावल ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का अंतिम सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हà¥à¤† करता था तथा वेरावल से यातà¥à¤°à¥€ ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ करके सोमनाथ जाया करते हैं, लेकिन अब कà¥à¤› सालों पहले इसी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ को बढाकर सोमनाथ तक कर दिया गया है. यहाठपर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की पटरी ख़तà¥à¤® हो जाती है, यानी इस रूट पर यह रेलवे का आखिरी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है.
मैंने अपने जीवन में पहली बार टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की पटरी (टà¥à¤°à¥‡à¤•) को समापà¥à¤¤ (end) होते देखा जहाठआगे à¤à¤• पटिये पर तीन कà¥à¤°à¥‹à¤¸ के चिनà¥à¤¹ लगे थे. वेरावल से सोमनाथ के उस सात आठकिलोमीटर के रासà¥à¤¤à¥‡ में मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ सारी à¤à¤¸à¥€ चीजें देखने को मिली जो मैंने जीवन में पहली बार महसूस की थी जैसे à¤à¤• तो मैंने बताया रेल की पटरियां जो ख़तà¥à¤® हो गईं, दूसरा मैंने नारियल के इतने सारे पेड़ à¤à¥€ à¤à¤• साथ कà¤à¥€ नहीं देखे थे, तीसरा समà¥à¤¦à¥à¤° का किनारा होने की वजह से यहाठसà¥à¤–ी मछलियों की बड़ी जबरदसà¥à¤¤ तथा जानलेवा गंध फैली हà¥à¤ˆ थी, चौथा मैंने कà¤à¥€ नाव या पानी के छोटे जहाज बनते नहीं देखे थे, लेकिन यहाठवेरावल से सोमनाथ के बीच पà¥à¤°à¥‡ समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ किनारे पर à¤à¤°à¥€ संखà¥à¤¯à¤¾ में नावें तथा जहाज का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होते हà¥à¤ दिखा, और अंत में यह कहना चाहूंगी की मैंने यहाठपहली बार समà¥à¤¦à¥à¤° देखा था. यानी यह यातà¥à¤°à¤¾ मेरे लिठबहà¥à¤¤ यादगार थी जिसमें बहà¥à¤¤ सारी जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾, कौतà¥à¤¹à¤², आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ हरà¥à¤· था. मैं तो बस इन नजारों को सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ होकर देखती रही. लगà¤à¤— साढ़े पांच बजे हम सोमनाथ पहà¥à¤à¤š गये.
सोमनाथ आगमन:
जैसे ही हम लोग सोमनाथ के सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरे हमें ऑटो वालों ने घेर लिया. à¤à¤• ऑटोवाले से हमने बताया की हमें सोमनाथ मंदिर के नजदीक à¤à¤• दिन के लिठकमरा चाहिà¤. उसने हमें होटल पर ले जाकर छोड़ा, मà¥à¤•ेश ने ऑटो से उतर कर कमरे तथा सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का जायजा लिया. कमरे का किराया था 300 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡, और विशेष बात थी की यह होटल हमारी इचà¥à¤›à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प मंदिर से इतने करीब था की शिवमॠअकेला ही मंदिर परिसर में चला जाà¤.
खैर हमने कमरा बà¥à¤• करवाया और थके हारे होने की वजह से जलà¥à¤¦ ही कमरे की ओर रà¥à¤– किया. कमरे में आकर हमने फटाफट अपने बैग रखे और होटल वाले से नहाने के लिठगरà¥à¤® पानी के बारे में पूछा, अब आपके मन में यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ आ रहा होगा की इतनी जलà¥à¤¦à¥€ नहाने की कà¥à¤¯à¤¾ जरà¥à¤°à¤¤ थी तो मैं बताये देती हूठकी हमने होटल में रिसेपà¥à¤¶à¤¨ पर मंदिर की आरती दरà¥à¤¶à¤¨ आदि के बारे में पूछा तो हमने पता चला की शाम सात बजे सांधà¥à¤¯ आरती होती है, बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ था हम सब यहाठतक की शिवम à¤à¥€ नहाने के लिठतैयार हो गà¤, जब होटलवाले ने बताया की इस समय गरà¥à¤® पानी नहीं मिल सकता तो हम सबने ठनà¥à¤¡à¥‡ पानी से ही नहा लिया, वैसे हमें à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के नाम से किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार की थकान या तकलीफ नहीं होती और वैसे à¤à¥€ हम à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का कोई मौका नहीं छोड़ते. à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ की इचà¥à¤›à¤¾ से सबकी थकान गायब हो गई थी. तो साहब नहा धोकर हम सब मंदिर जाने के लिठतैयार हो गठया कह लीजिये की मंदिर के लिठनिकल पड़े. उस समय मंदिर में à¤à¥€à¤¡à¤¼ अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत कम ही थी, à¤à¤• छोटी सी लाइन लगी थी, हम सब à¤à¥€ उस लाइन में जाकर खड़े हो गअ……………….. और अब मैं अपनी कहानी को यहाठथोडा विराम देती हूठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सोमनाथ से समà¥à¤¬à¤‚धित कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जानकारी से अवगत करना मैं अति आवशà¥à¤¯à¤• समà¤à¤¤à¥€ हूà¤.
सोमनाथ मंदिर – à¤à¤• परिचय:
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ राजà¥à¤¯ के जूनागढ़ जिले में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¸ पाटन नामक गाà¤à¤µ को ही सोमनाथ कहा जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठपर à¤à¤—वानॠशिव के पवितà¥à¤° तथा दà¥à¤°à¥à¤²à¤ बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में से à¤à¤• आदि तथा सà¥à¤µà¤‚à¤à¥‚ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग शà¥à¤°à¥€ सोमनाथ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. सोमनाथ को अनंत देवालय à¤à¥€ कहा जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह छः बार मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासकों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया गया तथा हर बार अपने उसी गौरव के साथ फिर से खड़ा किया गया. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर सन 1947 में लौह पà¥à¤°à¥à¤· सरदार वलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ पटेल के अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया है.
सोमनाथ मंदिर का वैà¤à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ अतीत:
जय सोमनाथ…………..जय सोमनाथ यह जयघोष गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में सौराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के वेरावल बंदरगाह और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¸ पाटन गाà¤à¤µ के परिसर में गूंजता रहता था. साथ ही साथ मंदिर की सीढियों पर आकर टकराने वाली समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ लहरों से निकलनेवाली जय शंकर…जय शंकर…..की धीर गंà¤à¥€à¤° धà¥à¤µà¤¨à¤¿ और सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ घंटानाद से निकलनेवाली ॠनमः शिवाय…….ॠनमः शिवाय……..धà¥à¤µà¤¨à¤¿ से सारा मंदिर परिसर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ बन जाता था.
मंदिर की यह विशाल सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ घंटा दो सौ मन सोने की थी और मंदिर के छपà¥à¤ªà¤¨ खमà¥à¤à¥‡ हीरे, माणिकà¥à¤¯ और मोती जैसे रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ से जड़े हà¥à¤ थे. मंदिर के गरà¥à¤à¤—ृह में रतà¥à¤¨à¤¦à¥€à¤ªà¥‹à¤‚ की जगमगाहट रात दिन रहती थी और कनà¥à¤¨à¥Œà¤œà¥€ इतà¥à¤° से नंदा दीप हमेशा पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤µà¤²à¤¿à¤¤ रहता था. à¤à¤‚डार गृह में अनगिनत धन सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ था.
à¤à¤—वानॠकी पूजा अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के लिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, काशी से पूजन सामगà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ लाई जाती थी. कशà¥à¤®à¥€à¤° से फूल आते थे. नितà¥à¤¯ की पूजा के लिठà¤à¤• हज़ार बà¥à¤°à¤¾à¤®à¥à¤¹à¤£ गण नियà¥à¤•à¥à¤¤ किये गठथे. मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दरबार में चलने वाले नृतà¥à¤¯ गायन के लिठलगà¤à¤— साढ़े तीन सौ नरà¥à¤¤à¤•ियां नियà¥à¤•à¥à¤¤ की गई थीं. इस धारà¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को दस हज़ार गावों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ इनाम के रूप में मिलता था.
सोमनाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का इतिहास:
शà¥à¤°à¥€ सोमनाथ के इस वैà¤à¤µà¤¸à¤‚पनà¥à¤¨ पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर कà¥à¤°à¥‚र à¤à¤µà¤‚ आतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने कई बार आकà¥à¤°à¤®à¤£ किये. कà¥à¤² मिला कर सोमनाथ मंदिर को छः बार धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया गया तथा लूटा गया. सिलसिलेवार घटनाकà¥à¤°à¤® निमà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार से है:
- सोमनाथ का पà¥à¤°à¤¥à¤® मंदिर आदिकाल का माना जाता है जिसे चनà¥à¤¦à¥à¤° देव ने देव काल में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करवाया था.
- आदि मंदिर के कà¥à¤·à¥€à¤£ हो जाने पर दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ मंदिर वलà¥à¤²à¤à¥€ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के यादव राजाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सन 649 में आदि मंदिर के ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बनवाया गया.
- सन 725 में सिंध के अरब सूबेदार जà¥à¤¨à¤¾à¤®à¤¦ ने पà¥à¤°à¤¥à¤® आकà¥à¤°à¤®à¤£ कर अनगिनत खज़ाना लूटा.
- सन 815 में गà¥à¤°à¥à¤œà¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤° राजा नागà¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ ने तीसरा मंदिर बनवाया जिस पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करके गजनी के महमूद ने शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° दिनांक 11 मई 1025 को सà¥à¤¬à¤¹ 9 .46 पर मंदिर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को तोड़ डाला. इस दिन उसने 18 करोड़ का खज़ाना लूटा था.
- सन 1297 में इस मंदिर को à¤à¤• बार फिर सà¥à¤²à¤¤à¤¾à¤¨ अलाउदà¥à¤¦à¥€à¤¨ खिलजी की सेना ने लूटा, खसोटा और धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया.
- 1375 में गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° शाह ने इस मंदिर को फिर धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया.
- 1451 में मंदिर à¤à¤• बार फिर महमूद बेगडा के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया गया.
- और अंत में 1701 में इस मंदिर को मà¥à¤—़ल शासक औरंगजेब के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया गया à¤à¤µà¤‚ लूटा गया.
- वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर सन 1947 में लौह पà¥à¤°à¥à¤· सरदार वलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ पटेल के अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार के सहयोग से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया, तथा इसके जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग की पà¥à¤°à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा दिनांक 11 मई सन 1951 को सà¥à¤¬à¤¹ 9 .46 पर की गई. गौरतलब है की यह वही दिनांक तथा समय है जब सन 1025 में महमूद गजनवी ने इस जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को तोडा था.
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यह तो थी कà¥à¤› जानकारी सोमनाथ मंदिर के बारे में अब मैं वापस आपको लिठचलती हूठमेरी कहानी की ओर……………………………
सोमनाथ मंदिर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶: Â
मà¥à¤•ेश और मैं तो बाहर से ही मंदिर की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ और विशालता को देखकर मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ हो गà¤. समà¥à¤¦à¥à¤° के à¤à¤•दम किनारे पर विशाल à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर, मंदिर परिसर का शांत और सौमà¥à¤¯ वातावरण, मंदिर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के ठीक पहले अतिसà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° à¤à¤µà¤‚ वृहदॠदिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°, शाम का समय और दà¥à¤° दà¥à¤° तक फैले अंतहीन समà¥à¤¦à¥à¤° से आती लहरों की करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ धà¥à¤µà¤¨à¤¿, और मंदिर के शिखर पर उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ लहराती विशाल धà¥à¤µà¤œà¤¾ सबकà¥à¤› मानो à¤à¤• सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ सा लग रहा था. à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है की यदि आप किसी कारणवश मंदिर में नहीं जा पाते हैं तो मंदिर की धà¥à¤µà¤œà¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ से ही मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ का पà¥à¤£à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है.
और फिर जैसे ही हमने मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया, मंदिर की आतंरिक साज सजà¥à¤œà¤¾, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नकà¥à¤•ाशी à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ कारीगरी को देखकर हम हतपà¥à¤°à¤ रह गà¤. और फिर आगे जाकर गरà¥à¤à¤—ृह में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª देखकर तो हम कà¥à¤› देर के लिठजैसे समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ ही हो गठथे. बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ था जिसका बखान मैं शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में करने में असमरà¥à¤¥ हूà¤.
सोमनाथ मंदिर आरती: अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯, अकलà¥à¤ªà¤¨à¥€à¤¯, अमूलà¥à¤¯
सोमनाथ की आरती शहनाई, शंख, नगाड़े à¤à¤µà¤‚ घंटियों की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ के साथ होती है, à¤à¤• विशेष बात यह है की इस आरती में शबà¥à¤¦ नहीं होते सिरà¥à¤« संगीत होता है और à¤à¤¸à¤¾ संगीत जो à¤à¤• नासà¥à¤¤à¤¿à¤• के मन में à¤à¥€ अगाध शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने में सकà¥à¤·à¤® है. करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ धà¥à¤µà¤¨à¤¿, वातावरण में फैली गà¥à¤—à¥à¤—ल की खà¥à¤¶à¤¬à¥‚, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सराबोर जनमानस, दीयों की मदà¥à¤§à¤¿à¤® रौशनी, महादेव का अनवरत अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• सबकà¥à¤› सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤²à¥‹à¤• की तरह……..और मन में यह तीवà¥à¤° उतà¥à¤•ंठा की यह सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ कà¤à¥€ à¤à¥€ समापà¥à¤¤ न हो, यह आरती à¤à¤¸à¥‡ ही चलती रहे. यहाठमैं आपलोगों को यह बता देना चाहती हूठकी मà¥à¤•ेश के मन में शिव जी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ असीम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के बीज यहीं सोमनाथ मंदिर में इसी माहौल में अंकà¥à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤ थे, और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहली बार à¤à¤—वान शिव की सतà¥à¤¤à¤¾ से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार की अनà¥à¤à¥‚ति हà¥à¤ˆ. मैं ठगी सी शिव के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को अपलक निहार रही थी, और महसूस कर रही थी की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग से जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ की रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤ निकल कर मेरे शरीर में मेरी आतà¥à¤®à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रही हैं. संसà¥à¤•ृति à¤à¤µà¤‚ शिवमॠà¤à¥€ उस वातावरण में रम से गठथे. कà¥à¤› देर में यह चमतà¥à¤•ारी आरती समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ और हम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ की बेड़ियों से बंधे हà¥à¤ अनमने से मंदिर से बाहर आये.
रात के सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ को चीरती मंदिर की दीवारों से टकराती समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों की वे आवाजें à¤à¤• अदà¥à¤à¥‚त वातावरण निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ कर रहीं थीं. कà¥à¤› समय तक तो हम मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में ही लगी बेनà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर बैठकर इस अदà¥à¤à¥‚त नज़ारे का अवलोकन करते रहे और समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों को आते जाते देखते रहे. कà¥à¤› देर के बाद उठकर हम बाहर की ओर सजी पूजन सामगà¥à¤°à¥€ तथा अनà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं की छोटी छोटी दà¥à¤•ानों जो बहà¥à¤§à¤¾ हर बड़े मंदिर के परिसर में होती हैं में थोड़ी बहà¥à¤¤ खरीददारी के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. फिर कà¥à¤› देर में à¤à¥‚ख ने अपना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ दिखाया और हम à¤à¥‹à¤œà¤¨ की तलाश में कोई अचà¥à¤›à¤¾ रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट ढूंढने लगे, जो हमें कà¥à¤› ही देर में मिल गया. हमने गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ थाली आरà¥à¤¡à¤° की और खाना खाकर हम वापिस अपने होटल आ गà¤.
चूà¤à¤•ि हमें सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤—वान का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करना था अतः होटल लौटते समय हमने पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ जी से अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के लिठबात कर ली à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे का समय तय कर लिया. होटल पहà¥à¤‚चकर सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से मोबाइल में अलारà¥à¤® लगाया, चूà¤à¤•ि सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठाना था और दिनà¤à¤° की थकान के कारण हम सब तà¥à¤°à¤‚त ही सो गà¤.
अब इस शà¥à¤°à¤‚खला की इस पहली कड़ी को मैं यहीं समापà¥à¤¤ करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ चाहती हूअ…………..तब तक आप लोग à¤à¥€ थोडा बà¥à¤°à¥‡à¤• ले लीजिये…………अगली कड़ी में आप लोगों को कà¥à¤› और जानकारी दूंगी इस पावन जगह के बारे में. पाठकों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का इंतज़ार बेसबà¥à¤°à¥€ से रहेगा.
(नोट: कà¥à¤› चितà¥à¤° गूगल से साà¤à¤¾à¤° लिठगठहैं.)