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Ranthambore – Meeting the king of the jungle

सप्ताह का आखिरी दिन अचानक ही एक साथी ने कहा की क्यों न रंथाम्बोर चला जाए, मै हमेशा से ही वन्य जीवन का दीवाना रहा हूँ इसलिए तुरंत ही योजना बनायीं और उस्सी रात का प्रोग्राम बना लिया क्योकि वो आखिरी रविवार था उसके बाद जंगल ३ माह के लिए बंद हो जाना था. रात को गाडी बुलाई और साथियो के साथ रवाना हो गए. ९ घंटे के थकने वाले सफ़र के बाद हम सवाई माधोपुर पहुचे, कही और ना जाकर हम सीधे बुकिंग केंद्र पर पहुचे क्योकि पहले ही १५-२० मिनट की देरी हो चुकी थी. एक साथी ने जाकर सफारी बुक की और आकर बताया की ६ नंबर गेट से प्रवेश करना है. हमारी इच्छा बाघ देखने की थी इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना था की कौन से गेट से प्रवेश करना है. हम अपनी जिप्सी मै बैठे थो ड्राईवर ने जीप आगे बढ़ा दी. हमने महसूस किया की ड्राईवर ने पी रखी है, थोडा ताज्जुब हुआ की इतनी सुबह उसने पी कैसे ली फिर सोचा की शायद देर रात को पी होगी इसलिए अभी तक असर दिख रहा है. ये खतरनाक था खासकर पर्यटकों के साथ लेकिन हम सिर्फ बाघ देखना चाहते थे इसलिए परवाह नहीं की. ६ नंबर गेट पर गाइड भी गाडी मै बैठ गया लेकिन उस्सकी हालत भी ड्राईवर जैसी ही थी, एक बार थो सोचा की इसकी शिकायत कर देनी चाहिए लेकिन फिर सोचा की देर करने से फायदा नहीं पहले अन्दर चलते है फिर देखेगे. प्रवेश करने के बाद गाडी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी क्योकि रास्ता बहुत ख़राब था, धीरे धीरे जैसे जैसे हम अंदर प्रवेश कर गए थो छोटे मोटे जानवर भी दिखने लगे.

Ape


Dancing Peacock

साम्भर, नीलगाय, गजेल, लंगूर, हिरन तो वह बहुतायत मै थे, एक बार तो तेंदुआ भी दिखते दिखते रह गया लेकिन हमारी इच्छा तो बाघ देखने की थी जो की पूरी नहीं हुई और अब उम्मीद दिख भी नहीं रही थी क्योकि गर्मी बढ़ने लगी थी और वह खुला मैदान था जिसकी वजह से उम्मीद न के बराबर थी की कोई बाघ बहार निकलेगा. कोई फायदा नहीं था और पूरी रात जागने की वजह से नींद भी बहुत जोर से आ रही थी इसलिए बाहर आने का निश्चय किया, बाहर आने के बाद सबसे पहले एक होटल मै कमरा बुक किया जिससे की कमर सीधी की जा सके और नहाया धोया जा सके. ५-६ घंटे होटल मै रूकने के बाद हमने ३ बजे वापिस देल्ही चलने का प्रोग्राम बनाया लेकिन फिर हमने आपस मै विचार किया की जब इतनी दूर आये है तो क्यों ना एक बार फिर से जंगल मै चला जाए और फिर से हमें बुकिंग केंद्र पर पहुचे और सफारी की बुकिंग करा दी इस बार भी १५-२० मिनट की देरी से थे. इस बार हमें 2 नंबर गेट से प्रवेश करना था और इस बार ड्राईवर व गाइड भी समझदार लग रहे थे उन्होंने हमें आश्वासन दिया की वो हमें इस बार बाघ दिखा देगे . वो रास्ते मै अपने अनुभव बता रहे थे थोड़ी देर बाद गणपति का मंदिर भी दिखा जिसकी बहुत मान्यता थी मंदिर के बाद जंगल मै प्रवेश किया, लगभग १० मिनट गाडी चलाने के बाद ही ड्राईवर और गाइड आपस मै बात करने लगे और उन्होंने गाडी बहुत तेज दौड़ा दी, हम कुछ समझ नहीं पाए लेकिन कुछ बोले नहीं, ५ मिनट बाद ही वो बोले की कैमरे निकाल लीजिये क्योकि सामने ही एक बाघ था जो पानी मै आराम कर रहा था,

उन्होंने बताया की ये मादा है,हम सभी बहुत रोमांचित महसूस कर रहे थे क्योकि हम बाघ के बहुत नज्दीक थे, अभी १० मिनट ही हुए थे की पीछे से वन अधिकारी की जिप्सी आ गयी जिसमे वो खुद नहीं था लेकिन उसके कुछ गेस्ट थे उसकी जिप्सी आने के सभी जिप्सियो को वहा से जाने का इशारा कर दिया गया, हमारे ड्राईवर ने भी गाडी आगे बढ़ा दी

हमने उसको मना किया की वो ऐसा क्यों कर रहा है तो बोला  कि अधिकारी साहेब ज्यादा देर खड़ा नहीं रहने देगे इसलिए थोड़ी देर बाद घुमा कर वापिस ले आऊगा बड़ा गुस्सा आया और मैंने उसको बोल भी की हम लोग पैसे खर्च करके इतनी दूर सिर्फ बाघ देखने आये है तो उसने बोला की आप इसकी शिकायत कर सकते है। 15 मिनट बाद हम वापिस उस्सी जगह आ गए उस समय वह सिर्फ 3  गाडी थी जिसमे एक अधिकारी की और बाकी 2 भी खास लोगो की ही थी।   देखकर फिर गुस्सा आया की वो खुद क्यों अभी तक वहा है लेकिन किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा और लगातार उनकी गाडी ही बाघ के सामने रही।

Misuse of govt vehicle

Tiger

गुस्सा करने से कोई फायदा नहीं था और वैसे भी बाघ को देखने का गज़ब का अनुभव था उसकी एक एक क्रियाविधि रोमांच पैदा कर रही थी

Tiger – King of Jungle

कुछ देर बाद वो बाघ पानी से बहार निकला और अपने रास्ते चल दिया क्या ग़ज़ब चाल थी कि बयान नहीं की जा सकती और उसको किसी किसी की परवाह नहीं थी, उसने एक बार भी किसी को पलटकर नहीं देखा और अपने रास्ते चलती रही, हम तब तक उसको देखते रहे जब तक वो आखो से ओझल नहीं हो गयी,

उसके जाने के बाद लगा की अब वह रहने से कोई फायदा नहीं इसलिए ड्राईवर को भी बोला की अब जंगल से बहार चले, जहा ख़ुशी थी की इतनी देर तक बाघ देखने को मिला वही गुस्सा भी था अधिकारियों की नाजायज हरकतों पर। जंगले से बहार आने पर हमने देर नहीं की और सिर्फ चाय पीकर ही अपनी गाडी मै बैठ गए क्योकि दिल्ली के लिए रात को ही निकलना था फिर सुबह ऑफिस भी ज्वाइन करना था।

इस तरह एक थकाने वाला छोटा सा लेकिन बहुत अच्चा ट्रिप ख़तम हुआ।

पहली बार अपना अनुभव शेयर कर रहा हूँ इसलिए शायद ठीक से न लिखा हो लेकिन आगे कोशिश करूगा की इसमें सुधर हो .

धन्यवाद।

 

Ranthambore – Meeting the king of the jungle was last modified: January 2nd, 2025 by Saurabh Gupta
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