वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से जोधपà¥à¤° राजपà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ वैà¤à¤µ का केनà¥à¤¦à¥à¤° रहा है। जिसके पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ आज à¤à¥€ जोधपà¥à¤° शहर से लगे अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इमारतों के रूप में मिल जाते हैं। जोधपà¥à¤° से 9 किलोमीटर की दूरी पर à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मौजूद है जिसको मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ के नाम से पà¥à¤•ारा जाता है। इसी के नाम पर à¤à¤• टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ का नाम à¤à¥€ रखा गया है-मंडोर à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ जोकि दिलà¥à¤²à¥€ से जोधपà¥à¤° के लिठचलती है। मैंने à¤à¥€ जोधपà¥à¤° पहà¥à¤‚चने के लिठइसी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवाया था। यह टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ शाम को पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ से चलती है और सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे जोधपà¥à¤° पहà¥à¤‚चा देती है।
मणà¥à¤¡à¥‹à¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नाम ‘माणà¥à¤¡à¤µà¤ªà¥à¤°â€™ था। जोधपà¥à¤° से पहले मंडोर ही जोधपà¥à¤° रियासत की राजधानी हà¥à¤† करता था। राव जोधा ने मंडोर को असà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ मानकर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिहाज से चिड़िया कूट परà¥à¤µà¤¤ पर मेहरानगढ़ फोरà¥à¤Ÿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर अपने नाम से जोधपà¥à¤° को बसाया था तथा इसे मारवाड़ की राजधानी बनाया। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में मंडोर दà¥à¤°à¥à¤— के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· ही बाकी हैं, जो बौदà¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ शैली के आधार पर बने हैं। इस दà¥à¤°à¥à¤— में बड़े-बड़े पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।
मैंने अपने होटल के मैनेजर से यहां से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ कà¥à¤› जानकारियां जà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆà¤‚। जोधपà¥à¤° के आसपास ही कई देखने लायक à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हैं जिसमे मंडोर अपनी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के कारण दूर-दूर तक मशहूर है। मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ जोधपà¥à¤° शहर से पांच मील दूर उतà¥à¤¤à¤° दिशा में पथरीली चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर थोड़े ऊंचे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बना है।
à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि मंडोर परिहार राजाओं का गढ़ था। सैकड़ों सालों तक यहां से परिहार राजाओं ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मारवाड़ पर अपना राज किया। चà¥à¤‚डाजी राठौर की शादी परिहार राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ से होने पर मंडोर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दहेज में मिला तब से परिहार राजाओं की इस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राजधानी पर राठौर शासकों का राज हो गया। मनà¥à¤¡à¥‹à¤° मारवाड की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ राजधानी रही है|

The outer wall of the temple depicts finely carved botanical designs, birds, animals and beautifully carved planetary system
यहां के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग यह à¤à¥€ मानते हैं कि मनà¥à¤¡à¥‹à¤° रावण की ससà¥à¤°à¤¾à¤² था। शायद रावण की पटरानी का नाम मनà¥à¤¦à¥‹à¤¦à¥à¤°à¥€ होने के कारण से ही इस जगह का नाम मंडोर पड़ा. यह बात यहां à¤à¤• दंत कथा की तरह पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। लेकिन इस बात का कोई ठोस पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मौजूद नहीं है।
मणà¥à¤¡à¥‹à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤— देवल, देवताओं की राल, जनाना, उदà¥à¤§à¤¾à¤¨, संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯, महल तथा अजीत पोल दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² हैं।
मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ à¤à¤• विशाल उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ है। जिसे सà¥à¤‚दरता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठकृतà¥à¤°à¤¿à¤® नहरों से सजाया गया है। जिसमें ‘अजीत पोल’, ‘देवताओं की साल’ व ‘वीरों का दालान’, मंदिर, बावड़ी, ‘जनाना महल’, ‘à¤à¤• थमà¥à¤¬à¤¾ महल’, नहर, à¤à¥€à¤² व जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ महाराजाओं के समाधि सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• बने है. लाल पतà¥à¤¥à¤° की बनी यह विशाल इमारतें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के बेजोड़ नमूने हैं। इस उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ में देशी-विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ो की à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी रहती है। यह गारà¥à¤¡à¤¨ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिठसà¥à¤¬à¤¹ आठसे शाम आठबजे तक खà¥à¤²à¤¾ रहता है।

The temple style architecture of the monument reflects a synthesis of arts, the ideals of dharma, beliefs, values and the way of life cherished under Hinduism
जोधपà¥à¤° और आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ घूमने का सबसे अचà¥à¤›à¤¾ साधन है यहां चलने वाले टेमà¥à¤ªà¥‹à¥¤ आप थोड़ी बारà¥à¤—ेनिंग करके पूरे दिन के लिठटेमà¥à¤ªà¥‹ वाले को घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठतय कर सकते हैं। मैंने à¤à¥€ टेमà¥à¤ªà¥‹ को पूरे दिन के लिठतय कर लिया। मैं टेमà¥à¤ªà¥‹ में बैठकर मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ पहà¥à¤‚ची। यहां काफी लोग आते हैं। आप खाने पीने का सामान गारà¥à¤¡à¤¨ के गेट से खरीद कर अंदर ले जा सकते हैं। पर थोड़ी सावधानी ज़रूरी है। यहां पर बड़े-बड़े लंगूर रहते हैं जोकि खाना छीन कर à¤à¤¾à¤— जाते हैं। इस जगह को देखने से पहले यहां के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी ज़रूरी है। यहां का इतिहास जो थोड़ा बहà¥à¤¤ मà¥à¤à¥‡ यहां के लोगों से पता चला है। मैं आपके साथ साà¤à¤¾ करती हूं।

The entire fabric of the temple is covered with sculptures; hardly a square inch of space has escaped the carver’s hand
मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ का इतिहास
उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ में बनी कलातà¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ जोधपà¥à¤° के महाराजा अजीत सिंह व उनके पà¥à¤¤à¥à¤° महाराजा अà¤à¤¯ सिंह के शासन काल के समय सनॠ1714 से 1749 ई. के बीच हà¥à¤† था। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजाओं ने इस उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ की मरमà¥à¤®à¤¤ आदि करवाई और समय समय पर इसे आधà¥à¤¨à¤¿à¤• ढंग से सजाया और इसका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° किया। आजकल यह सरकारी अवहेलना और à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° की मार à¤à¥‡à¤² रहा है। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रख रखाव पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाना बहà¥à¤¤ ज़रूरी है। रखरखाव की कमी से पानी की नहर कचरे से à¤à¤° चà¥à¤•ी है। जिसे देख कर मà¥à¤à¥‡ काफी अफ़सोस हà¥à¤†à¥¤

Stone carving on the rock and turned into a foundation pillor of a floor was a wonder of the architecture
यह सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• पूरे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पाई जाने वाली राजपूत राजाओं की समाधि सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ से थोड़ा अलग हैं। जहां अनà¥à¤¯ जगहों पर समाधि के रूप में विशाल छतरियों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया जाता रहा है। वहीठजोधपà¥à¤° के राजपूत राजाओं ने इन समाधि सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को छतरी के आकर में न बनाकर ऊंचे चबूतरों पर विशाल मंदिर के आकर में बनवाया।
मंडोर उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ से उतà¥à¤¤à¤° की ओर à¤à¤• ही पंकà¥à¤¤à¤¿ में जोधपà¥à¤° के महाराजाओं के समाधि सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• ऊंची पतà¥à¤¥à¤° की कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर बने हैं, जिनकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला में हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के साथ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ समनà¥à¤µà¤¯ देखा जा सकता है। जहां à¤à¤• ओर राजाओं की समाधि सà¥à¤¥à¤² ऊंचे पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर मंदिर के आकार के बने हà¥à¤ हैं वहीं रानियों के समाधि सà¥à¤¥à¤² छतरियों के आकर के बने हà¥à¤ हैं। यहां पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर की हà¥à¤ˆ नकà¥à¤•ारशी देखने लायक है। यहां मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•ला के उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ नमूने देखने को मिलते हैं। यह समाधि सà¥à¤¥à¤² बाहर से जितने विशाल हैं अंदर से à¤à¥€ उतने ही सजाठगठहैं। गहरे ऊंचे नकà¥à¤•ारà¥à¤¶à¥€à¤¦à¤¾à¤° गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦, पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर उकेरी हà¥à¤ˆ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले खमà¥à¤¬à¥‡ और दीवारें उस समय के लोगों की कला पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ होने का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करती हैं।

Rajput were the great patrons of art & architecture and Mandore garden was taken cared by the different clans
इनमें महाराजा अजीत सिंह का सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• सबसे विशाल है। यह उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ रोकà¥à¤¸ पर बनाया गया था। उसके बावजूद यहां पर परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हरयाली नज़र आती है। लाल पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤•रूपता को खतà¥à¤® करने के लिठयहां हरयाली का विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा गया था जिसके लिठउदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के बीचों बीच से नहर निकाली गई थी। सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•ों के पास ही à¤à¤• फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ नहर के अवशेष हैं, इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देख कर लगता है कि कà¤à¥€ यह नहर नागादडी à¤à¥€à¤² से शà¥à¤°à¥‚ होकर उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाजे तक आती होगी तो कितनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और कितनी सजीली दिखती होगी। नागादडी à¤à¥€à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ मंडोर के नागवंशियों ने कराया था, जिस पर महाराजा अजीत सिंह व महाराजा अà¤à¤¯ सिंह के शासन काल में बांध का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया गया था।

The Rajput Rulers had a keen sense of beauty in Art and Architecture which is seen in the artistic excellence inside the temples
यहां à¤à¤• हॉल ऑफ हीरों à¤à¥€ है। जहां चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ पर उकेर कर दीवार में तराशी हà¥à¤ˆ आकृतियां हैं जो हिनà¥à¤¦à¥ देवी-देवतीओं का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करती है। अपने ऊंची चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥€ चबूतरों के साथ, अपने आकरà¥à¤·à¤• बगीचों के कारण यह पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ पिकनिक सà¥à¤¥à¤² बन गया है।
मैंने उधान में घूमते-घूमते अजीत पोल, ‘देवताओं की साल’, ‘वीरों का दालान’, मंदिर, बावड़ी, ‘जनाना महल’, ‘à¤à¤• थमà¥à¤¬à¤¾ महल’, नहर, à¤à¥€à¤² व जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ महाराजाओं के सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• देखे। मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ को तसलà¥à¤²à¥€ से देखने के लिठकमसे कम आधा दिन तो लग ही जाता है। इसलिठयहां के लिठसमय निकाल कर आà¤à¤‚। कà¥à¤¯à¥‚ंकि यहां चलना अधिक पड़ता है इसलिठआरामदेह जूते पहन कर आà¤à¤‚ और तेज़ धूप से बचने के लिठसà¥à¤•ारà¥à¤« या छतरी साथ लाà¤à¤‚।
जोधपà¥à¤° कैसे पहà¥à¤à¤šà¥‡à¤‚?
जोधपà¥à¤° शहर का अपने हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ और रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हैं जो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शहरों से अचà¥à¤›à¥€ तरह से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं। नई दिलà¥à¤²à¥€ का इंदिरा गांधी अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ निकटतम अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¯à¤°à¤¬à¥‡à¤¸ है। परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• जयपà¥à¤°, दिलà¥à¤²à¥€, जैसलमेर, बीकानेर, आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, उदयपà¥à¤°, और आगरा से बसों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ यहां तक पहà¥à¤‚च सकते हैं।
कब जाà¤à¤‚?
इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वरà¥à¤· à¤à¤° à¤à¤• गरà¥à¤® और शà¥à¤·à¥à¤• जलवायॠबनी रहती है। गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ाल, मानसून और सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ यहां के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मौसम हैं। जोधपà¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ का सबसे अचà¥à¤›à¤¾ समय अकà¥à¤Ÿà¥‚बर के महीने से शà¥à¤°à¥‚ होकर और फरवरी तक रहता है।
कहां ठहरें?
मंडोर से जोधपà¥à¤° 8 किलोमीटर दूर है। इसलिठठहरने के लिठजोधपà¥à¤° à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ विकलà¥à¤ª है। जोधपà¥à¤° में ठहरने के हर बजट के होटल हैं। अगर आप राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ संसà¥à¤•ृति और बà¥à¤²à¥‚ सिटी का फील लेने जोधपà¥à¤° जा रहे हैं तो ओलà¥à¤¡ सिटी में ही रà¥à¤•ें। यह सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं है। विदेशों से आठसैलानी यहां ओलà¥à¤¡ बà¥à¤²à¥‚ सिटी में बड़े चाव से रà¥à¤•ते हैं। बà¥à¤²à¥‚ सिटी मेहरानगढ़ फोरà¥à¤Ÿ के दामन में बसा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ शहर है। जहां कई होटल और होम सà¥à¤Ÿà¥‡ मिल जाते हैं। पर यहां ठहरने के लिठपहले से बà¥à¤•िंग करवालें कà¥à¤¯à¥‚ंकि विदेशियों में बà¥à¤²à¥‚ सिटी का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ होने के कारण यह वरà¥à¤· à¤à¤° à¤à¤°à¥‡ रहते हैं।
कितने दिन के लिठजाà¤à¤‚?
जोधपà¥à¤° और उसके आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤•ून से देखने के लिठकमसे कम 3-4 दिन का समय रखें।
फिर मिलेंगे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚, अगले पड़ाव में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के कà¥à¤› अनछà¥à¤ पहलà¥à¤“ं के साथ,
तब तक खà¥à¤¶ रहिये, और घूमते रहिये.
आपकी हमसफ़र आपकी दोसà¥à¤¤,
डा० कायनात क़ाज़ी
Welcome aboard Dr.Kaynat Kazi! A nice informative post that may help me in my coming trip to the place in October. All the photos are superb. Great start, Dr Kazi!
Is Mandore Fort near to this Garden?
Thanks
प्रिये अनुपम जी,
मेरा लेख आपको पसंद आया इसके लिए आभार।
भारत दर्शन की मेरी यह यात्रा अगर आपके लिए कुछ जानकारी देती है तो मैं इसे सफल मानूंगी।
मंडोर गार्डन से मात्र 600 मीटर की दूरी पर ही है मंडोर फोर्ट।
अक्टूबर अच्छा समय है जाने के लिए।
धन्यवाद !
डा. कायनात काजी साहिबा,
सुबह सुबह मन प्रसन्न हो गया. इतनी अच्छी तस्वीरें देख कर काफी कुछ सीखने का मौका मिला.
आशा है कि इस स्तम्भ पर आपके कई सुनहरे लेख भविष्य में भी पढने को मिलते रहेंगे.
धन्यवाद.
प्रिये उदय जी,
मेरा लेख आपको पसंद आया इसके लिए बहुत बहुत आभार।
भारत दर्शन की मेरी यह यात्रा हिस्सा है उन अनेक अद्भुत स्थानों का जो इस राष्ट्र की विविधता का प्रतीक हैं। मैं अपने ब्लॉग “राहगीरी’ पर ऐसे ही स्थानों की जानकारियां पोस्ट करती हूं। जिसे अधिक से अधिक लोग जाने।
धन्यवाद !
डा. कायनात साहिबा घुमक्कड़ से जुड़ने पर आपका स्वागत.
आकर्षक चित्रों के साथ-साथ आपने लेखन से मंडोर के दृश्यों को सजीव कर दिया.
आगे भी आपके लेख की घुमक्कड़ पर प्रतीक्षा रहेगी.
प्रिये मुनेश जी,
मेरा लेख आपको पसंद आया इसके लिए बहुत बहुत आभार।
मैं एक साहित्य कार के साथ साथ एक फोटोग्राफर भी हूं, और कोशिश करती हूं कि पाठकों को अच्छे कंटेंट के साथ अच्छी तस्वीरें भी देखने को मिलें।
भारत दर्शन की मेरी यह यात्रा हिस्सा है उन अनेक अद्भुत स्थानों का जो इस राष्ट्र की विविधता का प्रतीक हैं। मैं अपने ब्लॉग “राहगीरी’ पर ऐसे ही स्थानों की जानकारियां पोस्ट करती हूं। जिसे अधिक से अधिक लोग जाने।
धन्यवाद !
यक़ीनन खूबसूरत अल्फाजों से सजी हुई एक पोस्ट, जिसमे डॉक्टर काजी के ज्ञान और अनुभव दोनों की झलक दिखाई पड़ती है।
प्रिये मित्र,
मेरे लेख को पसंद करने के लिए आभार।
Excellent post and pictures by a veteran writer, scholar & photographer. Do write more to benefit readers and armature writers/photographers like me.
Keep traveling
Ajay
प्रिये अजय जी,
मेरे लेख को सराहने के लिए दिल की गहराईयों से आभार !!!
आपने बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ जानकारी दी धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦( Dr.kazi)
मुझ जैसे घुमक्कड़ों को समर्पित दो पंक्तियां
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां,
और ज़िंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां। ….
डा कायनात क़ाज़ी
घुमक्कड़ पर आपका पहला लेख और वो भी हिंदी में इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई।
आपने मंडोर गार्डन की विस्तार से जानकारी दी पढ़ कर कुछ नया जानने को मिला .
आपका अगला पड़ाव कहाँ होगा?
प्रिये मित्र,
मेरे लेख को पसंद करने के लिए आभार।
अगला पड़ाव कहां होगा किसे पता?
“अपनी मर्ज़ी से कहां अपने सफर पे हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब……
Welcome aboard Dr. Kazi.
Very happy to see this published. When we visited Jodhpur, we could not visit Mandore since we underestimate the time needed for MehranGarh (which took almost an entire day). On our next trip, we would definitely be visiting the fort as well as the garden.
Keep traveling, keep writing and keep inspiring. Wishes.
Dear Nandan Ji,
Thank you so much for liking the post..
Kindly plan ur visit to Mandore Garden in winters and enjoy the Sun out there..
Goodluck..Happy travelling & Happy clicking!!!
Rgrds
KK
Well
The praise and the good words about your Post have already poured in,and I have nothing more left to add to these worthies.
I am ,however, curious to know why the post is in Hindi, while your own Intro is in English.
Both perfect and chaste bhashas. Looks like you are Master of Languages.And,of-course
of History!
My Compliments1
Dear Mr.Sethi,
Thank you so much for liking my work.I love Hindi thats why I prefer writing in Hindi.I have a PhD in Hindi literature. I do write in English also.
Thanks again
Regards
Dr.Kaynat Kazi
Apne bade hi sundar saral sabdho me mandor udhayan ka varnan kiya
Jnankai ke liye sukoriya
Me vaha jane ka plan bana raha tha
Apki jankari kam ayegi
Kuldeep ji,
Aapko mera kaam pasand aya, iske liye bahut bahut shukriya!!!
aur bhi interesting jagahon ki jankari ke liye meri website visit kijiyega aur apne valuable comments dijiyega.
Thanks
Dr.Kaynat Kazi
M mandore se hu aap ne bhut acha btaYa mandore k bare m
Yha p bhut fastiwal maye jate h
Holi ko raw ji ki gar niklti h
Yha k log bhut ache
आप की जà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆ जानकारी सराहनीय है ।
Kaynat ji
very very nine real story of mandore I very like