लेह…जैसे की अपेकà¥à¤·à¤¾ कर रहे थे की लेह में ठणà¥à¤¡ होगी à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नही था बलà¥à¤•ि धà¥à¤ª में खड़े होने पर तो गरà¥à¤®à¥€ महसूस हà¥à¤ˆ,सारे रासà¥à¤¤à¥‡ नंगे à¤à¥‚रे लाल पहाड़ देखे थे जिनपर वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ का नामो निशान नही दिखा पर लेह में à¤à¤°à¤ªà¥‚र हरियाली थी बिलà¥à¤•à¥à¤² रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में नखलिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की तरह,छाà¤à¤µ में मातà¥à¤° ठंडक का अहसास हो रहा था।सैलानियों में सारे विदेशी ही नज़र आये à¤à¤•à¥à¤•ा दà¥à¤•à¥à¤•ा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯, à¤à¤• बात और यहाठपà¥à¤°à¥€ पेड मोबाइल फ़ोन नही चलते सिरà¥à¤« पोसà¥à¤Ÿ पेड वो à¤à¥€ सिरà¥à¤« बीà¤à¤¸à¤à¤¨à¤à¤² के।
हेमीस मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ और शे पैलेस
आज का दिन हमने लेह में ही बिताने का निशà¥à¤šà¤¯ किया ताकि 4 दिन की यातà¥à¤°à¤¾ से कà¥à¤› राहत मिले,नाशà¥à¤¤à¤¾ आदि के उपरानà¥à¤¤ हेमीस मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ देखने गये जो थोड़ी ऊंचाई पर थी,दरà¥à¤¶à¤¨ उपरानà¥à¤¤ वहा के à¤à¤• बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ ने लेह की कोई विशेष चाय पिलायी,आसपास सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤²à¥€ थी कà¥à¤› समय वहा बिता के शहर से 15 किमी दूर शे पैलेस पहà¥à¤šà¥‡,नामगà¥à¤¯à¤¾à¤° शासको दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाया सोलहवी सदी का ये महल आज à¤à¥€ उतना ही खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है और ये सिरà¥à¤« लकड़ी और मिटटी से बने है।
यहाठमाचिस की डिबà¥à¤¬à¥€ समान छोटे छोटे से घर देखके अजीब लगा जिनमे छोटी सी खिड़की बनी रहती है,मौसम के हिसाब से घरो की बनावट है ये घर । लगà¤à¤— 2 घंटा वहा बिताया और रासà¥à¤¤à¥‡ में कोई à¤à¥‹à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ न होने से वापस लेह आकर लंच लिया,मैं यहाठपैलेस या मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ आदि जगहों का इतिहास नही बताऊंगा कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि जब आप जाओगे तो सà¤à¥€ जगह पढने को मिलेगा।
à¤à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त होटल जाके आराम किया। हवा में ऑकà¥à¤¸à¤¿à¤œà¤¨ की मातà¥à¤°à¤¾ कम होने से साà¤à¤¸ काफी फूलती है इसलिठà¤à¤¾à¤—मà¤à¤¾à¤— संà¤à¤µ नही हो पाती।
लेह पैलेस, मारà¥à¤•ेट
शाम को लेह पैलेस देखा और फिर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ छाने लगा तो मारà¥à¤•ेट घà¥à¤®à¤¨à¥‡ लगे,तà¤à¥€ देखा हिपà¥à¤ªà¥€ टाइप विदेशियों का à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª सड़क के पास नाच गा रहे थे तो हमारे à¤à¤• सहयातà¥à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ राजीव (जो की गिटार बजाने में निषà¥à¤£à¤¾à¤¤ है) ने उनका गिटार लेकर कà¥à¤› फड़कते हà¥à¤ हिंदी गीतों की धà¥à¤¨à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ जिससे सब बहà¥à¤¤ आनंदित हà¥à¤,à¤à¤• अनà¥à¤¯ मिलिंद à¤à¤¾à¤ˆ ने à¤à¥€ 4/5 हिंदी गीत सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡ जो किसी विदेशी बनà¥à¤§à¥à¤“ को समठनही आये किनà¥à¤¤à¥ फिर à¤à¥€ वो नाच कर हमें पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ कर रहे थे,लगà¤à¤— à¤à¤• घंटा यॠसंगीत का आनंद लेके पास ही à¤à¤• होटल में डिनर पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ सब सोने चल दिà¤à¥¤
दूसरा दिन – खारदà¥à¤¨à¥à¤—à¥à¤²à¤¾
आज का दिन खारदà¥à¤¨à¥à¤—à¥à¤²à¤¾ होते हà¥à¤ नà¥à¤¬à¥à¤°à¤¾ वैली तक जाने के लिठतय किया था जिसके लिठलेह अथॉरिटी से परमिशन लेना होता है,हमारे साथ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अधिकारी अशोक à¤à¤¾à¤ˆ थे ही तो ये काम उनà¥à¤¹à¥€ को सौपा गया à¤à¤µà¤‚ वो 10 मिनट में ले à¤à¥€ आये इस सà¥à¤šà¤¨à¤¾ के साथ कि सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कारणों से आम जन के लिठनà¥à¤¬à¥à¤°à¤¾ वैली कà¥à¤› दिनों के लिठबंद है अत:खारà¥à¤¦à¥à¤¨à¥à¤—ला से वापस आना होगा।
ऊपर जाकर या रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤› à¤à¥€ नही मिलता à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठतो पहले लंच किया और फिर थोड़ी हताशा के साथ चल पड़े विशà¥à¤µ की सबसे ऊà¤à¤šà¥‡ सड़क मारà¥à¤— पर जो की 18380 फà¥à¤Ÿ (5602मी) की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है,बेहद संकरी उबड़ खाबड़ रोड जो लेह से 40 किमी दूर है, à¤à¥‚रे निरà¥à¤œà¤¨ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ शूनà¥à¤¯ इस मारà¥à¤— पर चार पहिया वाहन कम और दो पहिया जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होते है,मोटरसाइकिल और साइकिल चालको की ये पà¥à¤°à¤¿à¤¯ सड़क है और हमें अपनी गाडी इनसे बचते हà¥à¤ चलानी थी,लेह से किराये पे मिलते है ये वाहन। इनसे बचते हà¥à¤ धीरे धीरे 2 घंटे में खारà¥à¤¦à¥à¤¨à¥à¤—ला पहà¥à¤šà¥‡ और à¤à¤¸à¥‡ गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ महसूस कर रहे थे जैसे à¤à¤µà¤°à¥‡à¤¸à¥à¤Ÿ जीत लिया हो,वहा के बोरà¥à¤¡ के साथ फोटो खिचवाना हर यातà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤¿à¤¯ काम होता है सो हमने à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤• कर या गà¥à¤°à¥à¤ª में फोटो खीचे ।
बोरà¥à¤¡ के साथ
वही à¤à¤• छोटा सा मंदिर à¤à¥€ है,पूरा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° आरà¥à¤®à¥€ के नियंतà¥à¤°à¤£ में है,à¤à¤• छोटा सा कैंटीन है और à¤à¤• सोवेनिà¤à¤° शॉप जिसमे इस “सबसे ऊà¤à¤šà¥€ रोड पर मैं गया था”पà¥à¤°à¤¿à¤‚टेड टी शरà¥à¤Ÿà¥à¤¸, टी मà¥à¤—à¥à¤¸,और अनà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥à¤ थी।हम सà¤à¥€ ने खरीदारी की ,गरà¥à¤®à¤¾ गरम पकोड़े कॉफ़ी का आनंद लिया फोटो लिठ2 घंटे बाद à¤à¥€ लौटने का मन नही था पर अचानक बादल छाने लगे और बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ की आशंका के चलते सà¤à¥€ नीचे चलने को ततà¥à¤ªà¤° हà¥à¤ और फिर से आने की कामना लिठलंच लिया उतर के।à¤à¤• विशेषानà¥à¤à¥à¤¤à¥€ सà¤à¥€ महसूस कर रहे थे,हमारे मामा शà¥à¤°à¥€ कमलाकर जी हमे धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दे रहे थे कि जीवन की सांठबेला में हमारी वजह से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस अतà¥à¤¯à¤‚त सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लदà¥à¤¦à¤¾à¤– कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का अवसर मिला और उनका कहना ये à¤à¥€ था की सà¤à¥€ को यहाठअवशà¥à¤¯ आना चाहिठजीवन में à¤à¤• बार ।
तीसरा दिन
दरअसल लेह में देखने जैसा जो कà¥à¤› à¤à¥€ है उसके लिठà¤à¤• दिन परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है,इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ केलोंग से शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है,पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दिन ही à¤à¤• अलग अनà¥à¤à¤µ ले के आता है ,हिमालय की ऊंचाई घटती बढती है ,वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ का नाम ओ निशान नही,सब तरफ सूखा पर बेहद ठंडा,”कोलà¥à¤¡ डेजरà¥à¤Ÿ” सही नाम दिया गया है इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को।
आज कही जाना था नही तो सब अपने अपने तरीके से शहर घूमने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे,बचà¥à¤šà¥‹ व पतà¥à¤¨à¥€ के लिठलदà¥à¤¦à¤¾à¤– के विशेष आà¤à¥‚षण व कपडे कà¥à¤› खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ आदि।
लदà¥à¤¦à¤¾à¤–ी आà¤à¥‚षण
दिलà¥à¤²à¥€ से लेह की 4 दिन की यातà¥à¤°à¤¾ रोमांचक और à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर से à¤à¤°à¤ªà¥‚र तो थी ही पर à¤à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाली à¤à¥€ थी,इसी कारण à¤à¤• दो साथी चà¥à¤ªà¤•े से à¤à¤¯à¤° टिकट से वापसी यातà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨ के ऑफिस गये किनà¥à¤¤à¥ अगले कà¥à¤› दिन तक सारे विमान à¤à¤°à¥‡ थे तो जगह नही मिली,मन मारकर वापसी à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€ डरावने मारà¥à¤— से करनी पड़ी,ये बात बाकी लोगो को बाद में जब पता चली तो वापसी के पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ उनकी सबने खूब टांग खिचाई की,रासà¥à¤¤à¥‡ का तनाव हलà¥à¤•ा करने का सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ याने हंसी मजाक का दौर चलाते रहना।
चौथा दिन
आज से वापसी यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ थी à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ था की सीधे केलोंग पंहà¥à¤šà¤¾ जाठताकि à¤à¤• दिन बचाया जा सके,सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ निकल पड़े,उपà¥à¤¶à¥€ में चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ और पांग में लंच लिया,सब कà¥à¤› समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° चल रहा था तà¤à¥€ à¤à¤• मोड़ पे 2/4 गाड़िया खड़ी दिखी तो उतर के देखा à¤à¤• गहरे पहाड़ी à¤à¤°à¤¨à¥‡ के ऊपर बना लोहे का पà¥à¤² टूट गया था सà¥à¤¬à¤¹ और रासà¥à¤¤à¤¾ बंद था,à¤à¤¸à¥€ घटनाà¤à¤‚ पहाड़ो खासकर हिमालय में आम है,कही लैंड सà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡ (à¤à¥‚ सà¥à¤–लन) तो कही पानी का तेज़ बहाव या हिम सà¥à¤–लन से रासà¥à¤¤à¤¾ बंद।
सड़क पर बहता à¤à¤°à¤¨à¤¾
इस तरह की घटनाओं के लिठमानसिक रूप से तैयार तो थे पर जब होती है तब सबà¥à¤° जवाब देने लगता है,तरह तरह के खà¥à¤¯à¤¾à¤² आते है-(पता नही कब ठीक होगा ?,रात कहा बिताà¤à¤‚गे?,खाना मिलेगा या नही ?,कोई जंगली जानवर ना आये रात में?,और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤›) सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से जलà¥à¤¦à¥€ ही BRO की टीम आ गयी और पà¥à¤² को फिर से जमाने का काम शà¥à¤°à¥‚ हो गया पर ये काम मिनटों में ख़तà¥à¤® होने वाला नही था।
BRO का कारà¥à¤¯
लगà¤à¤— 3 घंटे लगे यातायात सामानà¥à¤¯ करने में तब तक सà¤à¥€ गाडियों के मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ ने à¤à¤• तरह की पिकनिक मना डाली ,परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से परेशान होने के बजाय विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का à¤à¥€ आनंद लिया जाठ(“ये सोचकर की इस तरह की घटना जीवन में कितने लोग अनà¥à¤à¤µ कर पाते है”)तो वही खेलपूरà¥à¤£ अवसà¥à¤¥à¤¾ हो जाती है ।
अब केलोंग तक पहà¥à¤šà¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल लग रहा था तो सरचॠका विचार किया पर हमारे वाहन चालक के मन में कà¥à¤› और चल रहा था शायद,जब सरचॠपर नही रोकी गाडी तो पूछा उससे-बोला की à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ कीजिये आप लोगो को 8 बजे तक केलोंग सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ मेरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है,हम सब सनà¥à¤¨ ! 3 घंटे रात में इन पहाड़ो में डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤¿à¤‚ग ? पर वो जनाब निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त थे,सो हमने à¤à¥€ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे दी और ईशà¥à¤µà¤° को याद करते रहे पर उसने 7.30 पे ही पंहà¥à¤šà¤¾ दिया तो उसको ढेर सारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और उसी होटल में विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया जहा जाते समय रà¥à¤•े थे।बाद में उसीने बताया कि वो आज ही à¤à¤• बेटी का बाप बना है और अब उसे दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ की हमसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ है इसलिठथोडा खतरा मोल लेके केलोंग तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ उसे बधाई दी और मिठाई à¤à¥€ खिलाई।
वापसी दिन
हमारे साथ के अधिक लोग मनाली à¤à¥€ पहली बार पहà¥à¤šà¥‡ थे तो तय किया की 2/3घंटे मनाली में रà¥à¤•ेंगे और घूम फिर कर आगे रात होने के समय कही à¤à¥€ विशà¥à¤°à¤¾à¤® कर लेंगे।
आगे लगà¤à¤— 2 घंटे की यातà¥à¤°à¤¾ हà¥à¤ˆ होगी तब सड़क के à¤à¤• तरफ à¤à¤• suv कार के पास à¤à¤• उमà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾à¤œà¤¼ यà¥à¤—ल खड़े थे…वे लोग पालमपà¥à¤° से थे और उनकी नयी कार ख़राब हो गयी थी । उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमसे मनाली तक लिफà¥à¤Ÿ की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी पर हम 8 लोगो को देख कर à¤à¤¿à¤à¤• गये तब हमी लोगो ने पेशकश की और उनकी गाडी को सड़क पर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर खड़ा किया। अब हम 10 लोग थे गाडी में ,(à¤à¤• उसूल है हिमालय का की कब किसको किसकी जरà¥à¤°à¤¤ पड़े कहा नही जा सकता तो सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ की मदद के लिठतैयार रहना चाहिà¤à¥¤) किसी तरह धीरे धीरे रोहतांग पार कर मढ़ी होते हà¥à¤ मनाली पहà¥à¤šà¥‡ वहा वो यà¥à¤—ल उतरने से पहले कà¥à¤› पैसे देने का पूछने लगा ,हमने कहा की कल ही डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को बेटी हà¥à¤ˆ उसीके लिठकà¥à¤› डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को दे दीजिये,उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दिठऔर हमें ढेर सारा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देकर बिदा हà¥à¤à¥¤
रिज पे हम
अंतिम दिन
सà¥à¤¬à¤¹ दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ की हमें तो कोई जलà¥à¤¦à¥€ थी नही कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² टà¥à¤°à¥‡à¤¨ रात 10 बजे थी पर चालक अपनी बचà¥à¤šà¥€ को देखने को आतà¥à¤° था तो नाशà¥à¤¤à¤¾ करके निकल पड़े और दोपहर दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤š गये। आर पी सिंह को यथा संà¤à¤µ बचà¥à¤šà¥€ के लिठकà¥à¤› à¤à¥‡à¤Ÿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª दिया और वो हमसे बिदा ले के चला गया।10 दिन उसकी डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤¿à¤‚ग सà¥à¤•िल के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ पे थे हम लोग और सकà¥à¤¶à¤² उस खतरनाक à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ रासà¥à¤¤à¥‹ से वापस आ गये थे।
घर वापसी
सà¥à¤¬à¤¹ 7 बजे हम अपने शहर में थे और फिर से à¤à¤• साथ कही और जाने के वादे के साथ अपने अपने घर पहà¥à¤šà¥‡à¥¤
इस तरह à¤à¤• शानदार रोमाञà¥à¤š से à¤à¤°à¤ªà¥‚र यातà¥à¤°à¤¾ का सà¥à¤–द समापन हà¥à¤†