राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली में घूमते-फिरते मनोरंजक दो-ढाई घंटे कब व्यतीत हो गए पता ही नहीं चला. इसके बाद दोपहर के लगभग तीन बजे आज के दूसरे यात्रा गंतव्य (तीन मूर्ति भवन) के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए. तीन मूर्ति भवन में आगंतुकों का प्रवेश निःशुल्क है.
तीन मूर्ति मार्ग, नयी दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन को Nehru Memorial Museum के नाम से भी जाना जाता है. यह भवन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू का आवास था. उसके पश्चात उनकी स्मृति में इसे संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया.
नेहरू जी के जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों और राजनैतिक, पारिवारिक जीवन को प्रदर्शित करते छाया-चित्रों की प्रदर्शनी यहाँ देखी जा सकती है. नेहरु जी के जीवन से संबंधित अनेक वस्तुएं यहां संरक्षित हैं. ऐतिहासिक समाचारों को दर्शाने वाले इतिहास के साक्षी अनेक समाचार पत्रों की प्रतियां एवं छायाचित्र भी यहां सुरक्षित हैं. नेहरू जी के आवास से पूर्व यह भवन फ़्लैग-स्टाफ़ हाउस के नाम से जाना जाता था. उस समय यह भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ़ का आवास हुआ करता था.
तीन मूर्ति भवन में प्रवेश के पश्चात कुछ दूरी पर परिसर भवन में एक प्राचीन संरक्षित स्मारक है. यह स्मारक कुशक महल के नाम से विख्यात है. कुशक महल का निर्माण काल ईस्वी सन 1351 से 1388 के मध्य का है. माना जाता है कि इस स्मारक का निर्माण दिल्ली में सल्तनत काल के सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ द्वारा शिकारगाह के रूप में कराया गया था.
तीन मूर्ति भवन का मुख्य आकर्षण है नेहरू तारामंडल
कुशक महल के सामने ही नेहरू तारामंडल स्थित है. अंतरिक्ष विज्ञानं और ब्रह्माण्ड के रहस्यों में रुचि रखने वाले छात्रों और सामान्य जन के आकर्षण का केंद्र है नेहरू तारामंडल.
नेहरू तारामंडल भवन में प्रवेश करते ही एक प्रदर्शन दीर्घ में पहुंच जाते हैं. नेहरू तारामंडल की इस प्रदर्शन दीर्घ में ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खगोलीय घटनाओ और अंतरिक्ष विज्ञान से सम्बंधित अनेक यंत्र, चित्र-प्रदर्शन, स्वचालित मॉडल रखे गए हैं. ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने के लिए किसी व्यक्ति के मन में उठने वाली अनेक जिज्ञासाओं का उत्तर यहाँ प्रदर्शित माध्यमों से मिल सकता है.
विश्व के महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष जगत के शीर्ष व्यक्तियों के साथ नेहरू जी के साक्षात्कार को प्रदर्शित करती एक चित्र-प्रदर्शनी भी यहाँ पर है.
भवन के मध्य में अर्ध-गोलाकार (dome-shaped) तारामंडल यहाँ का मुख्य आकर्षण है. इस अर्ध-गोलाकार के छत रूपी पर्दे पर ज्ञानवर्धक चलचित्र के माध्यम से ब्रह्माण्ड के अनेकानेक रहस्यों को प्रकाशित किया जाता है. नेहरू तारामंडल में प्रतिदिन नियमित रूप से क्रमशः इंग्लिश और हिंदी भाषा में निम्न समयानुसार प्रदर्शन किया जाता है:
11:30 AM (English)
1:30 PM (Hindi)
3:00 PM (English)
4:00 PM (Hindi)
सभी शो के लिए टिकट 12 वर्ष से अधिक के लिए 50 रूपये तथा 4 से 12 वर्ष तक आयु वालों के लिए 30 रूपये है. तारामंडल में शो के लिए टिकटों की बिक्री शो प्रारम्भ होने से आधा घंटा पहले तारामंडल के प्रवेश द्वार के समीप बने टिकट काउंटर प्रारम्भ हो जाती है. तारामंडल में शो देखने के लिए कुछ विशेष सावधानियों का पालन किया जाता है.
शो प्रारम्भ होने के पश्चात तारामंडल में प्रवेश निषेध है. शो प्रारम्भ होने से पहले ही दर्शकों को सूचित कर दिया जाता है के वे अपने कैमरा और मोबाइल फ़ोन का उपयोग चलते शो के समय न करें. इसके साथ ही आपातकाल अथवा अस्वस्थ प्रतीत होने पर पालन करने हेतु दिशा निर्देश, प्रवेश एवं निकास द्वार की स्थितियों की सूचना के उपरांत शो प्रारम्भ हो जाता है.
तारामंडल के बीचो-बीच एक विशेष प्रकार के प्रोजेक्टर ने धीरे-धीरे क्रियाशील होकर गोलाकार छत रुपी परदे को अपने प्रकाश से ढक दिया. आकाशगंगा, तारामंडल,ग्रह-नक्षत्र आदि ब्रह्मांडीय आकृतियों ने प्रकट होकर तारामंडल की छत को वास्तविक आकाश के रूप में परिवर्तित कर दिया. ब्रह्मांडीय खगोल की क्रियाओं जैसे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, तारों के बनने नष्ट होने की प्रक्रिया, आकाशगंगा का बनना, ग्रह नक्षत्र, सौर परिवार के ग्रहों के आपसी सम्बन्ध और उनकी गति, भ्रमण, परिक्रमा आदि अनेक जानकारियों को बिखेरता हुआ तारामंडल का शो प्रगति पर था. ब्रह्माण्ड के नक्षत्र, आकाशगंगा, सौर परिवार और ग्रहों आदि को अच्छी प्रकार से समझने हेतु तारामंडल विशेष उपयोगी है.
शो में खगोल विज्ञानं को रोचक और अधिक उपयोगी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्टून्स, पेंटिंग्स, कंप्यूटर एनीमेशन, वीडियो क्लिपिंग्स और विशेष इफेक्ट्स का विशेष योगदान है. एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष नेहरू तारामंडल में लगभग दो लाख दर्शक आते हैं. तारामंडल के इस अनुभव के बाद आपको कहना ही पड़ेगा “तारे ज़मीं पर”.
तारामंडल के एक अनोखे अनुभव का आनंद उठाने के बाद तीन मूर्ति भवन के अन्य आकर्षण को जाननें का प्रयास किया. तारामंडल से बाहर आने पर दिन ढल रहा था धीरे-धीरे शाम होने लगी थी. तारामंडल से कुछ दूरी पर पंडित नेहरू जी का आवास है जो कि अब संग्रहालय (Nehru Museum) के रूप में संरक्षित है.
नेहरू म्यूजियम में नेहरू जी के बालयकाल से लेकर उनकी मृत्यु पर्यन्त तक के अनेक चित्रों को प्रदर्शित किया गया है. यह म्यूजियम नेहरू जी के जीवन एवं उनके राजनैतिक क्रियाकलापों को जानने का एक उचित स्थान है. इसके साथ ही भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास की अनेक घटनाओं को भी इन चित्रों के माध्यम से जाना जा सकता है. संग्रहालय के बंद होने का समय होने के कारण जल्दी-जल्दी ही संग्रहालय को देखना पड़ा.
संग्रहालय के पीछे वाले भाग में एक अत्यंत आकर्षक उद्यान है जो कि यहाँ आने वालों को कुछ देर रुक कर आराम करने के लिए आकर्षित करता है. इस उद्यान में पेड़-पौधों और यहाँ पर उगी घास को बहुत ही आकर्षक रूप से सज्जित किया गया है.
इस उद्यान में अनेक मोरों को भी विचरते हुए देखा जा सकता है. मोर को देखकर बच्चे मोर पकड़ने के लिए दूर तक उनके पीछे भागते और मोर भागकर झाड़ियों में चुप जाता. बहुत देर तक लुक-छिपी और पकड़म-पकड़ाई का ये खेल चलता रहा. उद्यान के मनोहारी दृश्य ने दिन भर के थकन को मिटा दिया था.
उद्यान में भी शाम के समय अधिक देर तक आगंतुकों को रुकने की अनुमति नहीं है. सुरक्षा गार्डों द्वारा बाहर जाने का समय होने की सूचना देने के पश्चात तीन मूर्ति भवन से बाहर आने लगे. तीन मूर्ति भवन के बाहर ही पांच-सात आइस-क्रीम वाले खड़े हुए थे. आइस-क्रीम की रेडियाँ दिखने के बाद बच्चों को रूक पाना क्या संभव है?
तीन मूर्ति भवन से निकलने के पश्चात अब अपने अगले गंतव्य गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब जाने की तैयारी की.
गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब भ्रमण का उल्लेख आगामी लेख में …