पहला दिन विगत कई वरà¥à¤·à¥‹ से इस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का नाम सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहे थे। इसकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ किसी à¤à¥€ यायावर के लिठआकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° बिंदॠथी।जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मà¥à¤–à¥à¤¯ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° देख चà¥à¤•े तो अब राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को देखने की इचà¥à¤›à¤¾ जागी।तà¤à¥€ यूथ हॉसà¥à¤Ÿà¤² à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤¶à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ घोषित 5 दिवसीय फॅमिली कैमà¥à¤ªà¤¿à¤‚ग पर निगाह पड़ी। मातà¥à¤° 5250/- की नà¥à¤¯à¥‚न राशी में दो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ननà¥à¤¹à¥‡ से टेंट में रहना नाशà¥à¤¤à¤¾ खाना किसी को à¤à¥€ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर सकता था।28 नवमà¥à¤¬à¤° को विवाह की वरà¥à¤·à¤—ांठवही मनाने का निशà¥à¤šà¤¯ किया à¤à¤µà¤‚ 26 से 30 नवमà¥à¤¬à¤° का कैंप बà¥à¤• à¤à¥€ कर लिया जो की कालाढूंगी में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था।कालाढूंगी (Kaladhungi) उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड राजà¥à¤¯ में नैनीताल जिले में à¤à¤• नगर और नगर पंचायत है। यह जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ालीन आवास के लिये à¤à¥€ जाना जाता है जो कि अब संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ बना दिया गया है।वैसे तो दिलà¥à¤²à¥€ से यहाठपहà¥à¤šà¤¨à¥‡ की बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है किनà¥à¤¤à¥ हमने टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का विकलà¥à¤ª चà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ लिंक à¤à¤•à¥à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिलà¥à¤²à¥€ से रात 10 बजे निकल के सà¥à¤¬à¤¹ लगà¤à¤— 5 बजे रामनगर पहà¥à¤šà¥‡à¥¤ बेहद साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ देख के मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया। यहाठरेलवे का रिटायरिंग रूम à¤à¥€ है जो बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤® है ।यही हमारे साले साहब ने सपतà¥à¤¨à¤¿à¤• हमें जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¨ किया।
सफारी पर जीप से
हमने यहाठसे कालाढूंगी के लिठ1300/- में टैकà¥à¤¸à¥€ करके कैंप साईट पहà¥à¤šà¥‡à¥¤ अपने लिठटेंट आवंटन कर के चेक इन किया। कैंप à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ देख कर सफ़र की सारी थकान उतर गयी। बेहद शांत खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत जगह, लीची के पेड़ो से घिरे हमारे खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत टेंट, बाथरूम आदि की उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ देख कर सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे और यूथ हॉसà¥à¤Ÿà¤² के आà¤à¤¾à¤°à¥€ थे ।नाशà¥à¤¤à¤¾ तैयार था। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से निवृत हो नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देखने गये जो की à¤à¤• किमी दूर था।यहाठउनका घर ही अब संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ में बदल दिया है जिसमे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हेतॠबीस रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की राशी लगती है। यहाठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कमरों में उनके à¤à¤¾à¤°à¤¤ आगमन से लेकर 1948 में केनà¥à¤¯à¤¾ जाने तक के कारà¥à¤¯à¥‹ का विवरण था जिसमे उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मारे गये शेर तेंदà¥à¤(मानव à¤à¤•à¥à¤·à¥€) आदि के साथ उनके फोटो à¤à¥€ है। दोपहर इसी रमणीक कैंप साईट में आराम किया।इसी दिन हमने दà¥à¤¸à¤°à¥‡ वॠतीसरे दिन के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की रूपरेखा यहाठके कैंप लीडर के सहयोग से तैयार की। दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन नैनीताल à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® रखा व तीसरे दिन कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ नेशनल पारà¥à¤• हेतॠबà¥à¤•िंग करा ली। यहाठनेशनल पारà¥à¤• में सफारी बà¥à¤•िंग हेतॠसà¤à¥€ को अपना परिचय पतà¥à¤° देना होता है और सà¥à¤¬à¤¹ या शाम के समय ही सफारी होती है। सà¤à¥€ सफारी रामनगर से ही आरमà¥à¤ होती है जो की कैंप से 30 किमी दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। सफारी 6 सीटर होती है और चार हज़ार इसका वà¥à¤¯à¤¯ है। आपको पूरी जीप बà¥à¤• करना होती है। बेहतर है छह लोग à¤à¤•तà¥à¤° कर के बà¥à¤• करे ताकि पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ लगà¤à¤— सात सौ का खरà¥à¤š आये। यदि कैंप में नही रà¥à¤•े तो रामनगर में रà¥à¤•ना ही शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•र है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि सà¤à¥€ सफारी का संचालन रामनगर से ही होता है। शाम को शीत लहर चालू हो गयी और जलà¥à¤¦à¥€ से डिनर कर के अपने अपने टेंट में रजाई कमà¥à¤¬à¤² में घà¥à¤¸ गये।
कैंप में पहला दिन
दूसरा दिन-नैनीताल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ नहा के नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और आयोजको दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लंच पैकेटà¥à¤¸ ले कर टैकà¥à¤¸à¥€ से नैनीताल चल पड़े जो कालाढूंगी से 35 किमी दूर है। टैकà¥à¤¸à¥€ 1600/- में बà¥à¤• की गयी (आप बारà¥à¤—ेन कर सकते है) नैनीताल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ नगर है। यह जिले का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ है। कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में नैनीताल जिले का विशेष महतà¥à¤µ है। देश के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नैनीताल की गणना होती है। इस अंचल में पहले साठमनोरम ताल थे। इसीलिठइस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को 'षषà¥à¤Ÿà¤¿à¤–ात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज à¤à¥€ नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का लेक डिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿ कहा जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह पूरी जगह à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ से घिरी हà¥à¤ˆ है। 'नैनी' शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ है आà¤à¤–ें और 'ताल' का अरà¥à¤¥ है à¤à¥€à¤²à¥¤ à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ का शहर नैनीताल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² है। बरà¥à¤«à¤¼ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ से घिरा हà¥à¤† है। इनमें से सबसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥€à¤² नैनी à¤à¥€à¤² है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिठइसे à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ का शहर à¤à¥€ कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाà¤, यह बेहद ख़ूबसूरत है। सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ वादियों गोल गोल घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° घने जंगल से घिरे रासà¥à¤¤à¥‹ से होते हà¥à¤ नैनीताल पहà¥à¤šà¥‡ जो की अनà¥à¤¯ हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की तरह ही टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम व पारà¥à¤•िंग की समसà¥à¤¯à¤¾ से घिरा हà¥à¤† है। इससे पूरà¥à¤µ रासà¥à¤¤à¥‡ में नैनीताल से 10 किमी पहले खà¥à¤°à¤ªà¤¾ ताल à¤à¤µà¤‚ सडियाताल जलपà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ नामक सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देखने रà¥à¤•े (जो à¤à¤• बांध दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छोड़े गये पानी से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है।) मॉल रोड पर à¤à¤• जगह हमें उतार दिया गया ।यहाठसे बोटिंग कà¥à¤²à¤¬ पास ही था। ठंडी हवाà¤à¤ पूरे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को घेरे हà¥à¤ थी । बोट कà¥à¤²à¤¬ से किराये के लिठकाउंटर से टिकटà¥à¤¸ लेना होते है ।à¤à¤• बोट में यॠतो चार लोगो के बैठने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होती है किनà¥à¤¤à¥ दो लोग ही आराम से बैठपाते है अतः हमने à¤à¥€ अलग अलग दो बोट ली। जैसे ही धीरे धीरे आगे बà¥à¤¤à¥‡ गये चारो ओर पहाडियों से घिरे नैनीताल à¤à¥€à¤² à¤à¤¸à¥€ जान पड़ी मानो à¤à¤• विशालकाय कटोरे में पानी à¤à¤° के पहाड़ी के ऊपर रख दिया है। तीन तरफ तो घरो होटलों और दà¥à¤•ानों की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° दिखी पर चौथी तरफ की पहाड़ी à¤à¤•दम पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक अवसà¥à¤¥à¤¾ में देख कर मन पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ हो गया। कोई कंसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¥à¤¶à¤¨ नही सिरà¥à¤« वृकà¥à¤· ही वृकà¥à¤·à¥¤ नीचे सिरà¥à¤« पैदल चलने वालो के लिठà¤à¥€à¤² के किनारे किनारे à¤à¤• वाक वे जरूर है पर उससे पहाड़ी की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ पर कोई असर नही हो रहा था। माहौल इतना रोमांटिक था की इस à¤à¥€à¤² पर फिलà¥à¤®à¤¾à¤ गये अनेक सिनेमा के गीतों की यादें ताज़ा हो गयी। चारो तरफ की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ आà¤à¤–ों में à¤à¤° के लगà¤à¤— à¤à¤• घंटे की बोटिंग कर वापस किनारे आ गये।
नैनी à¤à¥€à¤² पे बोटिंग
बाज़ार दà¥à¤•ाने शोरूम होटलà¥à¤¸ रेसà¥à¤Ÿà¥Œà¤°à¥‡à¤‚टà¥à¤¸ आदि सà¤à¥€ और मॉल रोड को घेरे हà¥à¤ थे जो शहरी à¤à¥€à¤¡à¤à¤¾à¤¡ को यहाठतक खीच लाये थे। पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ निहारने की इचà¥à¤›à¤¾ से हम सà¥à¤¨à¥‹ वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट के लिठनिकले। यहाठजाने के लिठसड़क मारà¥à¤— के अलावा रोप वे à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैऔर ये à¤à¤• अतिरिकà¥à¤¤ आकरà¥à¤·à¤£ था सो हमने इसीसे जाने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। टिकट(₹190 पà¥à¤°.वà¥à¤¯.)लेकर टà¥à¤°à¤¾à¤²à¥€ पे सवार हो के ऊपर की ओर बढे,जैसे जैसे ऊपर बॠरहे थे नैनी à¤à¥€à¤² की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को देख के रोमांचित हो रहे थे। ऊपर से बेहद मनमोहक दृशà¥à¤¯ था à¤à¥€à¤² का।लगà¤à¤— 10 मि.बाद वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट पहà¥à¤šà¥‡à¥¤ यहाठà¤à¥€ दà¥à¤•ाने रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट देख के मन खटà¥à¤Ÿà¤¾ हो गया। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µ में बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत रहा होगा। आगे ही पैदल छोटी सी पहाड़ी चॠहम ऊपर पहà¥à¤šà¥‡ तब दूर बरà¥à¤« से ढंके हà¥à¤ हिमालय की खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत चोटियाठदिखाई पड़ी। सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से बादल नही थे कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ पर अतः दृशà¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤‚त आकरà¥à¤·à¤• दिखाई दिया। पता चला था की अकà¥à¤¸à¤° बादलों की वजह से दृशà¥à¤¯ नही दिखते। अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤¸à¥€ जगहों से वापस लौटने का मन नही करता किनà¥à¤¤à¥ लौटना ही होता है। तीसरा दिन-कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ में. आज दोपहर में 2 बजे से कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ सफारी बà¥à¤•िंग थी अतः सà¥à¤¬à¤¹ उठने अथवा नहाने की कोई जलà¥à¤¦à¥€ नही थी। आराम से जब बà¥à¤°à¥‡à¤•फासà¥à¤Ÿ के लिठकà¥à¤• की आवाज़ सà¥à¤¨à¥€ तब अपने टेंट से बाहर निकले। गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥€ धà¥à¤ª बहà¥à¤¤ तसलà¥à¤²à¥€ दे रही थी। चारो ओर लीची के पतà¥à¤¤à¥‹ पर ओंस की बूंदे चमक रही थी। मन पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ हो चला था। à¤à¤¸à¤¾ माहौल शहर में तो अब नही रहा।नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के काफी देर तक धà¥à¤ª का आसà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेते रहे। चूà¤à¤•ि सफारी रामनगर (35किमी) से थी तो जीप हमें लेने 12 बजे आनेवाली थी। तब तक सà¤à¥€ तैयार हो गये। हमारे साथ गाज़ियाबाद का à¤à¤• यà¥à¤µà¤¾ परिवार à¤à¥€ था अपने 2 छोटे बचà¥à¤šà¥‹ के साथ। इस तरह हम 6 वयसà¥à¤• और 2 बचà¥à¤šà¥‡ जीप में सवार हो गये | हम लगà¤à¤— 1.30 बजे नेशनल पारà¥à¤• के à¤à¤¿à¤°à¤¨à¤¾ रेंज के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤š गये और औपचारिकतायें पूरी कर अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गये। जगह जगह मजबूत सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दिखाई दी जो फारेसà¥à¤Ÿ के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआवशà¥à¤¯à¤• थी। पारà¥à¤• में पांच दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिया जाता है और हर दà¥à¤µà¤¾à¤° से 60 जीप छोड़ी जाती है और तीन से साड़े तीन घंटे का समय रहता है अनà¥à¤¦à¤° रहने का। हम चूà¤à¤•ि पà¥à¤°à¤¥à¤® थे अतः पूरे समय का लाठले सके। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ था की टाइगर दरà¥à¤¶à¤¨ हो पाà¤à¤‚गे या नही ??
वॉटरफॉल
जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤ŸÂ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पारà¥à¤• है और १९३६ में लà¥à¤ªà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯Â रॉयल बंगाल टाइगर की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठनेशनल पारà¥à¤• के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया था। यह उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के नैनीताल जिले में रामनगर के पास सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और इसका नाम जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के नाम पर रखा गया था जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ थी। टाइगर रिज़रà¥à¤µ के तहत आने वाला यह पहला पारà¥à¤• था।कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ नेशनल पारà¥à¤• में लगà¤à¤— 521वरà¥à¤— किमी में पहाड़ी, नदी के बेलà¥à¤Ÿ, दलदलीय गडà¥à¤¢à¥‡, घास के मैदान और à¤à¤• बड़ी à¤à¥€à¤² शामिल है। यहाठशीतकालीन रातें ठंडी होती हैं लेकिन दिन धूपदार और गरम होते हैं। यहाठजà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से सितंबर तक बारिश होती है।ये मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से बाघ का घर माना जाता है जहा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में बाघों की संखà¥à¤¯à¤¾ लगà¤à¤— 215 है जो सà¥à¤‚दरबन (400 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾) के बाद दूसरी सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• संखà¥à¤¯à¤¾ है। यहाठपर टाइगर के अलावा हाथी, à¤à¤¾à¤²à¥‚, हिरन, चीतल, साà¤à¤à¤°, पांडा, काकड़, नीलगाय, घà¥à¤°à¤² और चीता आदि 'वनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€' à¤à¥€ काफी अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ में मिलते हैं। इसी तरह इस वन में अजगर तथा कई पà¥à¤°à¤•ार के साà¤à¤ª à¤à¥€ निवास करते हैं। जहाठइस वनà¥à¤¯ पशॠविहार में अनेक पà¥à¤°à¤•ार के à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• जनà¥à¤¤à¥ पाये जाते हैं, वहाठइस पारà¥à¤• में लगà¤à¤— 600 रंग - बिरंगे पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जातियाठà¤à¥€ दिखाई देती हैं। बहरहाल हम सब जीप पे सवार हो के अनà¥à¤¦à¤° गये ।à¤à¤• अजीब सा सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छाया हà¥à¤† था। कà¤à¥€ कà¤à¥€ किसी पकà¥à¤·à¥€ की आवाज़ सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ को तोडती थी। तà¤à¥€ कà¥à¤› दूर सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿà¥‡à¤¡ हिरनों का à¤à¥à¤£à¥à¤¡ दिखाई दिया। जैसे जैसे आगे बढे अनà¥à¤¯ हिरन à¤à¥€ दिखे। बनà¥à¤¦à¤° à¤à¥€ खूब थे। किनà¥à¤¤à¥ बाघ अब à¤à¥€ नज़र नही आ रहे थे।अचानक डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने बà¥à¤°à¥‡à¤• लगाया और चà¥à¤ª रहने का इशारा किया,हमे लगा बाघ होगा किनà¥à¤¤à¥ कचà¥à¤šà¥€ सड़क पार करता हà¥à¤† लगà¤à¤— 10/12 फीट लमà¥à¤¬à¤¾ किंग कोबरा अपना फन फैलाये बीच में खड़ा था। यॠतो कई बार देखा था किनà¥à¤¤à¥ उसके पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक निवास में देखकर रोंगटे खड़े हो गये थे। लगà¤à¤— 5 मिनट में हमें हतपà¥à¤°à¤ कर नागराज जंगल में अंतरà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हो गये। हम और आगे बढे, कà¥à¤› दà¥à¤°à¥€ पर जंगली हाथियों का à¤à¤• à¤à¥à¤£à¥à¤¡ दिखाई दिया। लगà¤à¤— आधा जंगल पार हो चूका था पर अब à¤à¥€ राजा ने दरà¥à¤¶à¤¨ नही दिठथे। अब दूसरी गाडिया à¤à¥€ आने लगी थी और गाडियों के शोर में जंगल का सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ गायब हो चला था। जैसे जैसे वक़à¥à¤¤ बीत रहा था हमारी मायूसी बढती जा रही थी। मन सà¥à¤¬à¤¹ से ही आशंकित था किनà¥à¤¤à¥ अब निराशा में बदल रहा था। डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° और गाइड ने बताया की ढिकाला रेंज में 2/3 दिन रà¥à¤•ने से बाघ देखना आसान होता है। इस तरफ बहà¥à¤¤ कम दिखाई देते है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि गाडियों और लोगो का शोर बाघों को दूर रखता है। हमारा टूर समापà¥à¤¤ हà¥à¤† ।बहà¥à¤¤ जानवर दिखे पर जिसे देखने की आस लिठआये वो नही दिख पाया। संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ था की शेर दिखाई देना à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात है किनà¥à¤¤à¥ जंगल à¤à¥€ इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घना सà¥à¤µà¤šà¥à¤› था की उसीसे उदासी दूर हो गयी थी। पà¥à¤¨à¤ƒ à¤à¤• बार आने और ढिकाला रेंज में रà¥à¤•ने का सोच के वापस कैंप साईट आये। ठणà¥à¤¡ बॠगयी थी तो जलà¥à¤¦à¥€ डिनर ले के सोने चले गये।
सदिया ताल
चौथा दिन तीन दिन की लगातार à¤à¤¾à¤—म à¤à¤¾à¤— से थकान हो गयी थी तो दिन à¤à¤° आराम किया। पांचवे दिन सà¥à¤¬à¤¹ काठगोदाम (25 किमी) पहà¥à¤š कर वहा से à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² वाया दिलà¥à¤²à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की।
कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ was last modified: September 9th, 2022 by