Site icon Ghumakkar – Inspiring travel experiences.

Ujjain Darshan-1 / उज्जैन दर्शन – 1

इस श्रंखला की पिछली कड़ी में मैंने आपको श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तथा महाकालेश्वर मंदिर के बारे में जानकारी दी थी. आइये इस तीसरी कड़ी में मैं आपको परिचित करता हूँ उज्जैन के अन्य दर्शनीय स्थलों से. अपने उज्जैन प्रवास के दुसरे दिन याने 11 .11 .11 को सुबह भगवान् महाकालेश्वर के दर्शन करने के पश्चात अब हमारा अगला कार्यक्रम था उज्जैन भ्रमण. चूँकि हमें उज्जैन के दर्शनीय स्थलों के रास्तों तथा दूरियों की अधिक जानकारी नहीं थी अतः हमने यह निर्णय लिया की अपनी कार को पार्किंग में ही खड़ी करके ऑटो रिक्शा के द्वारा ही उज्जैन भ्रमण किया जाए. 250 रुपये में ऑटो तय करके हम उज्जैन भ्रमण की ओर निकल गए.

उज्जैन दर्शन

उज्जैन भ्रमण के लिए ऑटो रिक्शा

वैसे उज्जैन दर्शन के लिए पर्यटन विभाग की बस सुविधा भी उपलब्ध है जो की प्रति व्यक्ति 37 रु. के शुल्क पर उज्जैन के प्रमुख स्थलों की सैर कराती है. उज्जैन दर्शन के लिए बस, देवास गेट से प्रातः 7 बजे एवं दोपहर में 2 बजे चलती है. इसके अतिरिक्त टेम्पो, ऑटो रिक्शा, टाटा मेजिक आदि वाहनों से भी उज्जैन भ्रमण किया जा सकता है.

उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल : उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नानुसार हैं –
श्री महाकालेश्वर मंदिर, श्री बड़े गणेश मंदिर, श्री हरसिद्धि मंदिर, श्री चारधाम मंदिर, श्री नवगृह मंदिर, श्री प्रशांति धाम, श्री राम जनार्दन मंदिर, श्री गोपाल मंदिर, श्री गढ़ कालिका मंदिर, श्री चिंतामन गणेश, श्री काल भैरव, श्री भ्रतहरी गुफा, श्री सिद्धवट, श्री मंगलनाथ मंदिर, श्री संदीपनी आश्रम, वेधशाला, श्री चौबीस खम्भा मंदिर, शिप्रा नदी, कलियादेह पेलेस एवं इस्कोन मंदिर.

चूँकि हमारे पास समय की कमी होने की वजह से हम यह सारे मंदिर तो नहीं देख पाए लेकिन इनमें से अधिकतर स्थलों का अवलोकन करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ जिनका वर्णन करना मैं आवश्यक समझता हूँ.

श्री सांदीपनी आश्रम:

महर्षि सांदीपनी व्यास के इस आश्रम में भगवान् श्री कृष्ण, सुदामा तथा श्री बलराम ने गुरुकुल परंपरा के अनुसार विद्याध्ययन कर चौसठ कलाएं सीखीं थीं. उस समय तक्षशिला तथा नालंदा की तरह अवन्ती भी ज्ञान विज्ञान और संस्कृति का केंद्र थी. भगवान् श्री कृष्ण यहाँ स्लेट पर लिखे अंक धो कर मिटाते थे इसीलिए इसे अंकपात भी कहा जाता है. श्री मद्भागवत, महाभारत तथा अन्य कई पुरानों में यहाँ का वर्णन है. यहाँ स्थित कुंड में भगवान् श्री कृष्ण ने गुरूजी को स्नानार्थ गोमती नदी का जल सुगम कराया था इसलिए यह सरोवर गोमती कुंड कहलाया. यहाँ मंदिर में श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा की मूर्तियाँ हैं. महर्षि सांदीपनी के वंशज आज भी उज्जैन में हैं तथा देश के प्रख्यात ज्योतिर्विदों के रूप में जाने जाते हैं. उत्खनन में इस क्षेत्र से चार हज़ार वर्ष से ज्यादा पुराने पाषाण अवशेष मिले हैं.

सांदीपनी आश्रम का प्रवेश द्वार

भगवान कृष्ण, बलराम तथा सुदामा की विद्यास्थली

श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर:

संदीपनी आश्रम परिसर में स्थित श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर में 6000 वर्ष पुराना शिवलिंग स्थापित है जिसे महर्षि संदीपनी ने बिल्व पत्र से उत्पन्न किया था. इस शिवलिंग की जलाधारी में पत्थर के शेषनाग के दर्शन होते हैं जो प्रायः पुरे भारत वर्ष में दुर्लभ है.

संदीपनी आश्रम में स्थित 6000 वर्ष प्राचीन श्री सर्वेश्वर महादेव शिवलिंग

श्री हरसिद्धि मंदिर:

उज्जैन के पावन दर्शनीय स्थलों में श्री हरसिद्धि मंदिर का अपना एक विशिष्ठ स्थान है. महालक्ष्मी तथा महासरस्वती माता की मूर्तियों के मध्य में स्थित माँ अन्नपूर्ण की मूर्ति गहरे सिंदूरी रंग में शोभायमान है. श्री यन्त्र जो की शक्ति का प्रतिक है, भी मंदिर में स्थित है. शिव पुराण के अनुसार जब भगवान शिव, सती माता के जलते हुए शरीर को प्रजापति दक्ष के हवन कुंड से उठा कर लेकर जा रहे थे तो रास्ते में जहाँ जहाँ उनके शरीर के अंग गिरे वहां एक शक्ति पीठ स्थापित हो गया, उन्ही शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है श्री हरसिद्धि मंदिर जहाँ माता पार्वती की भुजाएं गिरी थीं. यह मंदिर मराठा काल में पुनर्निर्मित हुआ था, मंदिर के सामने दो दीप स्तम्भ, मराठा कला की विशिष्ठ पहचान है. मंदिर परिसर में एक अति प्राचीन कुवां स्थित है.


Booking.com

श्री हरसिद्धि मंदिर शक्तिपीठ

श्री माँ हरसिद्धि दर्शन

श्री गढ़कालिका मंदिर:

गढ़कालिका देवी महाकवि कालिदास की आराध्य देवी रही है. इनकी कृपा से ही अल्पज्ञानी कालिदास को विद्वता प्राप्त हुई थी. यह तांत्रिक सिद्ध स्थान है. यह मंदिर जिस जगह पर है, वहां पर पुरानी अवंतिका बसी हुई थी. गढ़ की देवी होने से यह गढ़कालिका कहलाई. मंदिर में माता कालिका के एक तरफ महालक्ष्मी तथा दूसरी तरफ श्री महासरस्वती की प्रतिमाएं हैं. मंदिर के पीछे श्री गणेश जी की पौराणिक प्रतिमा है तथा सामने पुरातन श्री हनुमान मंदिर है जिसके पास ही दर्शनीय श्री विष्णु प्रतिमा है. कुछ दुरी पर क्षिप्रा नदी है जहाँ सतियों का स्थान है.


Booking.com

श्री गढ़ कालिका मंदिर

श्री माँ गढ़ कालिका दर्शन

श्री काल भैरव:

अष्टभैरवों में श्री काल भैरव का यह मंदिर बहुत प्राचीन और चमत्कारिक है. इस मंदिर की प्रसिद्धि इस बात के लिए है विशेष है की मुंह में छेद नहीं है फिर भी भैरव की यह प्रतिमा मदिरापान करती है. पुजारी द्वारा मद्यपात्र काल भैरव के मुंह में लगाया जाता है और देखते ही देखते यह खाली हो जाता है. स्कन्द पूरण में इन्ही काल भैरव का अवन्ती खंड में वर्णन मिलता है. इनके नाम से ही यह क्षेत्र भैरवगढ़ कहलाता है. रजा भद्रसेन द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. उसके भग्न होने पर राजा जय सिंह द्वारा वर्त्तमान मंदिर का निर्माण करवाया गया. प्रांगण में संकरी तथा गहरी गुफा में पाताल भैरवी का मंदिर है. काल भैरव के मंदिर के सामने जो मार्ग है इससे आगे बढ़ने पर प्राचीन विक्रांत भैरव मंदिर पहुंचा जा सकता है.यह दोनों स्थान तांत्रिक उपासकों के लिए सिद्ध स्थान के रूप में प्रसिद्ध है. शिव पुराण तथा तंत्र ग्रंथों के अनुसार शिव तथा भैरव एक ही है. अतः शिव की नगरी में उन्ही के रुद्रावतार का यह स्थान बड़े महत्व का है.

श्री काल भैरव मंदिर

श्री काल भैरव

 

श्री मंगलनाथ:

यह उज्जैन का एक महत्वपूर्ण तथा महिमावान स्थान है. पौराणिक मान्यता है की मंगलनाथ की जन्मभूमि यहीं है. इनकी आराधना तथा पूजन विशेष रूप से मंगल गृह की शांति, शिव कृपा, ऋण मुक्ति और धन प्राप्ति आदि की कामना से की जाती है. मंगलनाथ की भात पूजा तथा रुद्राभिषेक का बहुत महत्व है. यहाँ पर मंगल की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है. मंगलवार को इनके दर्शनार्थियों की संख्या बहुत बढ़ जाती है.
मंदिर एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है. मंदिर प्रांगण में ही प्रथ्वी देवी की एक बहुत प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. शक्ति स्वरुप होने से इनको सिन्दूर का चोला चढ़ाया जाता है. मंगलनाथ के साथ ही इनके दर्शन का भी महत्व है. मंदिर क्षिप्रा तट पर स्थित है यहाँ पर पक्के घाट बने हुए है. श्री मंगलनाथ से थोड़ी दुरी पर गंगा घाट है जहाँ पर भगवान् श्री कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनी जी की गंगा स्नान की अभिलाषा पूर्ण कराने के लिए गंगा प्रकट कराई थी.

श्री मंगलनाथ मंदिर

श्री मंगलनाथ मंदिर

श्री मंगलनाथ मंदिर परिसर में पवित्र पीपल वृक्ष

श्री मंगलनाथ मंदिर शिवलिंग

भगवान नन्दीश्वर के कान में अपनी अभिलाषा व्यक्त करते संस्कृति तथा वेदांत

श्रंखला के इस भाग को अब मैं यहीं विराम देता हूँ. अगले एवं अंतिम भाग में मैं आपको पवित्र नगरी उज्जैन के कुछ अन्य महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी दूंगा. तब तक के लिए बाय…..

Ujjain Darshan-1 / उज्जैन दर्शन – 1 was last modified: May 22nd, 2024 by Mukesh Bhalse
Exit mobile version