बात 12वी सदी की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की है, अरब़ से निकलकर इसà¥à¤²à¤¾à¤® हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में अपनी जड़े जमाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहा था, मà¥à¤—ल राजायों की सलà¥à¤¤à¤¨à¤¤ आगरा, दिलà¥à¤²à¥€ से लेकर राजपूताना होते हà¥à¤ पूरे उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपनी पैठबनाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ के साथ-साथ मधà¥à¤¯ और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की तरफ à¤à¥€ बढ़ना चाहती थी | इंसानी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का तकाजा रहा है कि जीते हà¥à¤¯à¥‡ हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨ का मज़हब ही पूरी रियाया1 का मज़हब2 हो जाता है, लेकिन यह à¤à¥€ सतà¥à¤¯ है कि अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤¸à¥‡ परिवरà¥à¤¤à¤¨ इतनी आसानी से नही हो पाते, और यदि कोई देश हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ जैसा पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• और जड़ों से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤¯à¤¾ हो, तो फिर सदियों से चली आ रही रवायतों3 और अकीदों4 को पल à¤à¤° में नही बदला जा सकता | अरब़ में तो इसà¥à¤²à¤¾à¤® तेज़ी से फैल गया कà¥à¤¯à¥‚ंकि वहाठउसका कोई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥à¤µà¤‚दी नही था, पर यहाठकी धरती तो पहले से ही अनेकों मतों, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पूजा-पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, संसà¥à¤•ृतियों और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को समेटे हà¥à¤ थी | हाà¤, इतना जà¥à¤°à¤°à¥‚र था कि जाति-गत बà¤à¤Ÿà¤µà¤¾à¤°à¤¾ समाज की पà¥à¤°à¤—ति में à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा रोड़ा था, पर फिर à¤à¥€ à¤à¤• निहायत ही विदेशी धरà¥à¤® को अपनाना इतना आसान à¤à¥€ नही था | ये काम तलवार के ज़ोर का नही था अपितॠधीरे-धीरे उनका विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ जीतकर ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी तरफ़ मोढ़ना था | तलवार के दम पर राजà¥à¤¯ जीतना तो आसान है, पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और ईमान जीतना मà¥à¤¶à¥à¤•िल ! अत: अकारण नही कि उस दौर में à¤à¤¸à¥‡ अनेक सूफी संतों और कलंदरों का हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ की धरती पर आगमन हà¥à¤¯à¤¾ जो इसà¥à¤²à¤¾à¤® के पैरोकार तो थे मगर उनके तौर-तरीकों में वो मजहबी कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ नही थी, उन सब ने अपने-अपने पà¥à¤°à¤•ार से धीरे-धीरे उस यà¥à¤— में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को साथ जोड़ते हà¥à¤ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में अपना योगदान दिया | ये सू़फी़ दरवेश अपने पूरà¥à¤µà¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾-मौलवियो की तरह कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी नही थे अत: उनका विरोध à¤à¥€ नही हà¥à¤† और सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के मानने वालों के दिलों में वो जगह बनाते चले गये |
“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कà¥à¤› होये
माली सींचे सौ घड़ा, रà¥à¤¤ आये फल देय ||â€
खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ गरीबनिवाज की दरगाह का बाहरी गेट
à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• सूफी दरवेश हà¥à¤ हज़रत मोईनà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ चिशà¥à¤¤à¥€, जिनका जनà¥à¤® 12वीं सदी का माना जाता है. वो पूरà¥à¤µà¥€ ईरान से अजमेर में आकर बसे | अज़मेर, जयपà¥à¤° से करीब 135 किमी दूर, à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ इतिहास का शहर… à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि राजा अजयमेरॠने 7वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में इस शहर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया था, अरावली की परà¥à¤µà¤¤ माला में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ये शहर सदियों से अपनी संसà¥à¤•ृति के लिठजाना जाता रहा, और 12वीं शताबà¥à¤¦à¥€ तक आते-आते इसका नाम अजमेरू से होता हà¥à¤¯à¤¾ अजमेर हो गया | इसà¥à¤²à¤¾à¤® की सूफी शाखा जिसका समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ सूफी-à¤-कà¥à¤² अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ सब के लिये शांति से माना जाता है, हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤œà¤¾à¤¨ सा à¤à¥€ नही था | à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त तो यहाठकी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में à¤à¥€ पहले से ही था | अà¤à¥€ आई à¤à¤• हालिया फ़िलà¥à¤® ‘रॉक सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°â€™ में à¤à¤• गाने के जो बोल हैं ना, “ कà¥à¤¨ फाया कà¥à¤¨ “, यह à¤à¤• अरबी शबà¥à¤¦ है और इसका अरà¥à¤¥ है, अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ ने हà¥à¤•à¥à¤® दिया बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का (कà¥à¤¨) और हो गया (फाया कà¥à¤¨), Allaha commands the universe ‘to be’ and it is ! अब आपको à¤à¤¸à¤¾ महसूस होगा अरे यही या à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› तो हमारे गà¥à¤°à¤à¤¥ à¤à¥€ कहते हैं | ऋग वेद के à¤à¤¾à¤— 10 का मनà¥à¤¤à¥à¤° 129 इस बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤‚ड की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•ार से करता है –
“नासदासींनॊसदासीतà¥à¤¤à¤¦à¤¾à¤¨à¥€à¤‚ नासीदà¥à¤°à¤œà¥Š नॊ वà¥à¤¯à¥Šà¤®à¤¾à¤ªà¤°à¥Š यतॠ।
किमावरीव: कà¥à¤¹à¤•सà¥à¤¯à¤¶à¤°à¥à¤®à¤¨à¥à¤¨à¤: किमासीदà¥à¤—हनं गà¤à¥€à¤°à¤®à¥ ॥१॥“5
तो बाबा नानक à¤à¥€ इस बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ की रचना शूनà¥à¤¯ में से हà¥à¤¯à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करते हैं, à¥à¤•ार, कमà¥à¤ªà¤¨ से उपजी धà¥à¤µà¤¨à¤¿ है, और फिर इस से आगे के जगत का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° हà¥à¤† | अब इसे कà¥à¤¨ कहा जाये या à¥à¤•ार, जो आरà¥à¤¯à¤¨ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के आने पर ॠबन गया, बताता है कि शबà¥à¤¦ इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ की रचना का आधार है, और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ मानता है कि धà¥à¤µà¤¨à¤¿ ऊरà¥à¤œà¤¾ का à¤à¤• रूप है जो विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आकार ले सकती है | हिदू और सिख धरà¥à¤®, दोनों इस बात पर à¤à¤•मत हैं कि इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ की रचना शबà¥à¤¦ से हà¥à¤ˆ और साथ ही ये पूरी कायनात ही à¤à¤• माया है और ईशà¥à¤µà¤° इस माया से परे, इसलिठहम उसे ना देख सकते हैं और ना ही उसका अनà¥à¤à¤µ कर सकते हैं | हिरणà¥à¤¯à¤—रà¥à¤ सूकà¥à¤¤ है-
“हिरणà¥à¤¯à¤—रà¥à¤à¤ƒ समवरà¥à¤¤à¤¤à¤¾à¤—à¥à¤°à¥‡ à¤à¥‚तसà¥à¤¯ जातः पतिरेकासीत ।
स दाधार पृथà¥à¤µà¥€à¤‚ धà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤‚ कसà¥à¤®à¥ˆ देवायहविषा विधेम ॥“6
यहाठये जानना à¤à¥€ दिलचसà¥à¤ª है कि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जिस ‘बिग-बैंग’ थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ की बात करता है, हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ उससे पूरे तौर पर सहमत नही | विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ कहता है बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤• दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ थी, और इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ रिकà¥à¤¤à¤¤à¤¾ या निरà¥à¤µà¤¾à¤¤ यानी emptiness या nothingness(vacumme), अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ असतॠसे हà¥à¤¯à¤¾, मगर दरà¥à¤¶à¤¨ कहता है कि कà¥à¤› à¤à¥€ अकारण नही, और ना ही असतॠसबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतॠसे अपना निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करके, और फिर शूनà¥à¤¯ से इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ की रचना की, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे शूनà¥à¤¯, emptiness का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नही, कà¥à¤¯à¥‚ंकि शूनà¥à¤¯ का अपना परिमाण है | दरà¥à¤¶à¤¨ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को और बल मिलता है जब इस इकà¥à¤•ीसवीं सदी में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ God Particle अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ Higgs-Boson को ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ का दावा करता है, जो पदारà¥à¤¥ की रचना का आधार माना जा रहा है | बाबा नानक कहते है –
“अरबद नरबद धà¥à¤‚धूकारा ॥“7 (अंग 1035)
इसी में और आगे वो कहते हैं-
“आपे आपि उपाइ विगसै आपे कीमति पाइदा ||â€8 (अंग 1035)
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के बाद जब बात उस करà¥à¤¤à¤¾ की बनà¥à¤¦à¤—ी की आती है, तो यहाठà¤à¥€ सूफीजà¥à¤® आपके निकट है, कà¥à¤¯à¥‚ंकि सूफी का à¤à¥€ अपने इषà¥à¤Ÿ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ पà¥à¤°à¥‡à¤® का है, वो उसको अपना आराधà¥à¤¯ तो मानता है पर किसी डर से नही बलà¥à¤•ि वो उसका सखा, सहेली या पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है | à¤à¤• सूफी की उसे पाने की चाह à¤à¤• à¤à¤•à¥à¤¤ की सी ना होकर à¤à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥€ की है वो उस से नाराज़ à¤à¥€ हो सकता है और उस पर तंज़ à¤à¥€ कस लेता है, वो उस से मिलने की तड़प में इस शरीर से बाहर आकर आतà¥à¤®à¤¾-परमातà¥à¤®à¤¾ के मिलन की बाट जोहता है, ecstasy की जो अवसà¥à¤¥à¤¾ है ना, अपने शरीर से ही रिहा होकर बाहर आ जाना, यदि आप हिनà¥à¤¦à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ की गहराई में जाà¤à¤ तो ऋषियों और मनीषियों ने इस अवसà¥à¤¥à¤¾ को ‘समाधि’ कहा है, और à¤à¤¸à¥€ अनेकों किवंदà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ हैं जब à¤à¤¸à¥‡ ऋषि जीवित होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ को शरीर से बाहर ले जाते थे… कबीर यदि कहते हैं कि-
“नैनो की क़ारी कोठरी, पà¥à¤¤à¤²à¥€ पलंग बिछाय |
पलकों की चिक ढारिके, पिया लियो रिà¤à¤¾à¤¯ ||â€
तो बà¥à¤²à¥à¤²à¥‡ शाह कहते हैं –
“तेरे इशà¥à¤• नचाया करके थैया-थैयाâ€
और फिर कौन à¤à¤¸à¤¾ है जिसने ख़à¥à¤¸à¤°à¥‹ का कलाम छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना लगाईके नही सà¥à¤¨à¤¾ !
यहाठये उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में संगीत और नृतà¥à¤¯ की कोई जगह नही, पर सूफी तो उसे पाने के लिये किसी à¤à¥€ हद तक चला जाता है, जोधा-अकबर का खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ मेरे खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ वाला सूफी कलाम और उसका नृतà¥à¤¯ तो इतना मशहूर हà¥à¤¯à¥‡ कि उसके बाद से ही फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ और टीवी पर सूफीज़à¥à¤® दिखाने के लिठउसे ही copy cat किया जा रहा है | सूफी पर तो पà¥à¤¯à¤¾à¤° का रंग कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ खà¥à¤¸à¤°à¥‹ ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है-
“खà¥à¤¸à¤°à¥‹ दरिया पà¥à¤°à¥‡à¤® का, उलटी वा की धार |
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार ||â€
सो à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› साà¤à¤à¥‡ विचारों को ले कर सूफ़ी दरवेश आम जनता में अपनी पहचान बनाते गये | खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾, अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ वाले तो थे ही, जलà¥à¤¦ ही उनके नाम के साथ अनेकों चमतà¥à¤•ार à¤à¥€ जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ चले गये, लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाबा से लेकर गरीब नवाज़ तक के नाम से जानने लगे और उनकी पहचान आस-पास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से लेकर दिलà¥à¤²à¥€ आगरा तक हो गयी, मà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ में दिन-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वृदà¥à¤§à¤¿ होने लगी | और जब अकबर अपने वारिस की चाह में आगरा से पैदल ही चलकर इस दरवेश के दर पर आया तो कà¥à¤¯à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥‚ और कà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सबके मन में ये बात घर कर गयी कि बाबा के दर पे की गयी दà¥à¤† आगे à¤à¥€ कबूल है, जिसकी वजह से यहाठमूहठमाà¤à¤—ी मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤‚ पूरी हो जाती है | गरीबनिवाज का जलवा तो कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ रहा कि 15वीं सदी में खà¥à¤¦ बाबा नानक ने आकर उनके शागिरà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ गोषà¥à¤ ी की, और उनके ठहरने की जगह पर पà¥à¤·à¥à¤•र में à¤à¤• शानदार गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ है |
यदि आप ने इतना पढ़ लिया है तो जरà¥à¤° ये सोच रहें होंगे कि à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾-वृतांत में ये सब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और फिर इसकी आवशà¥à¤¯à¤•ता ही कà¥à¤¯à¤¾? पर कà¥à¤¯à¤¾ है ना कि रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ में कबीर का मà¥à¤•ाबला नही और वो कहते हैं-
“लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल |
लाली देखण मैं गयी, मैं à¤à¥€ हो गयी लाल ||“
तो à¤à¤¸à¥€ ही जगहों पर आप कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ महसूस कर जाते हो, जो आपको उन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ में मदद करता है जो आपके खà¥à¤¦ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ से जà¥à¤¡à¤¼à¥€à¤‚ हैं और जिनकी तलाश में इंसान सदियों से à¤à¤Ÿà¤•ता आया है, यूठयायावरी à¤à¥€ तो उस à¤à¤Ÿà¤•न की तलाश का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प ही तो है, बैठे-बिठाये, कई काम बीच में ही छोड़कर, घर पे ताला डाल चले जाना, इस सबमे कà¥à¤› तो à¤à¤¸à¤¾ होता है जो आपको अपने घर की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को छोड़कर बाहर निकलने को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता है |
यहाठआसà¥à¤¥à¤¾ है, वहाठमà¥à¤°à¥€à¤¦ हैं और यहाठमà¥à¤°à¥€à¤¦ हैं वहाठमक़बूलियत ! तो बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ है ना कि अपना देश जरा धारà¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही है सो हम à¤à¥€ इसी ताब में खिंचे जयपà¥à¤° से अजमेर शरीफ में बाबा की दरगाह में अपना सज़दा करने चले आये | जयपà¥à¤° à¤à¤²à¥‡ ही परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ और आधà¥à¤¨à¤¿à¤•ता के बीच à¤à¥‚लता सा शहर हो, मगर अजमेर आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ दौर में ही है, बड़े-बड़े नेतायों से लेकर फ़िलà¥à¤®à¥€ सितारों तक अपनी किसà¥à¤®à¤¤ को चमकवाने के लिठयहाठजियारत करने के लिठआते हैं, पर आप सड़कों से लेकर अनà¥à¤¯ किसी तरह की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ की अपेकà¥à¤·à¤¾ नही कर सकते | शायद हमारी सरकारों की सोच हो, यहाठआधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•ता है, वहाठà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता ?, जैसे मथà¥à¤°à¤¾ कानà¥à¤¹à¤¾ के नाम से जाना जाता है ठीक वैसे ही अजमेर बाबा की दरगाह के लिये… यानी कि इस शहर के वाशिंदों के लिये रोज़ी-रोटी का मà¥à¤–à¥à¤¯ जरिया ये दरगाह ही है, जिसके लिठदेश-विदेश से हर साल लाखों लोग(ज़ायरीन) यहाठआते हैं, और जब इस दरगाह का मà¥à¤–à¥à¤¯ परà¥à¤µ ‘उरà¥à¤¸â€™ मनाया जाता है तो उस समय में ये संखà¥à¤¯à¤¾ कई गà¥à¤£à¤¾ और बढ़ जाती है | दरगाह तक पहà¥à¤‚चने के लिये, लगà¤à¤— à¤à¤• किमी पहले ही आपको अपनी कार किसी पारà¥à¤•िंग में छोढ़नी पडती है और आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ पैदल ही पार करना पड़ता है | संकरी सड़क के दोनों तरफ हर तरह की दà¥à¤•ाने हैं, जिसमे छोटे-मोटे ढाबों से लेकर इतà¥à¤°-फà¥à¤²à¥‡à¤² और à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के सामान मिल जाते हैं, जैसा आप किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² के निकट पा सकते हैं | दरगाह के करीब पहà¥à¤‚चते ही गà¥à¤²à¤¾à¤¬ के फूलों और चादरों की दà¥à¤•ाने शà¥à¤°à¥‚ हो जाती हैं, खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ की दरगाह पर चादर के साथ गà¥à¤²à¤¾à¤¬ ही चढ़ाया जाता है और इसी की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ ही दिया जाता है जिसे आप अपने पास संà¤à¤¾à¤² कर à¤à¥€ रख लेते हो और खा à¤à¥€ लेते हो, इसी के साथ रंगीन धागा जिसे मौली के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है वो दरगाह के पास किसी à¤à¥€ जाली पर या जनà¥à¤¨à¤¤à¥€ दरवाजे पर, आप अपनी किसी मनà¥à¤¨à¤¤ के तौर पर बाà¤à¤§ सकते हैं | à¤à¤¸à¥€ ही दà¥à¤•ाने, जिनसे आप चादर और गà¥à¤²à¤¾à¤¬ के फूलों की टोकरी लेते हैं, आपके सामान तथा जूतों को à¤à¥€ रख लेते हैं, हर दà¥à¤•ान के आगे जूते रखने का रैक और हाथ धोने का पानी आपको मिल जाता है | साथ ही कोई ना कोई à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤²à¤¾ इंसान à¤à¥€ जो आपको पूरी दरगाह घà¥à¤®à¤¾ लाता है बिना किसी लालच के ! वाकई अज़मेर के लोग बाबा को à¤à¥€ मानते हैं और आप के आने के जजà¥à¤¬à¥‡ को à¤à¥€ पूरी इजà¥à¤œà¤¤ बकà¥à¤¶à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ उसका à¤à¤¹à¤¤à¥‡à¤°à¤¾à¤® à¤à¥€ करते हैं, जो वाकई काबिले-तारीफ़ है |
मशà¥à¤• बीते जमाने को अपने में समेटे हà¥à¤¯à¥‡
वज़ू करने वालों के लिये बना पानी का तालाब
आंतक के इस दौर में ये दरगाह à¤à¥€ कà¥à¤› नापाक लोगों की कारसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बच नही सकी और इसका खामियाजा आपको à¤à¥à¤—तना पड़ता है जब अंदर घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही सबसे पहले आपकी अचà¥à¤›à¥€ तरह से जामा-तलाशी ली जाती है और फिर आपको साफ़ मना कर दिया जाता है कि कैमरे की इजाजत नही है | तब फिर आपको वापिस उसी दूकान पर अपना कैमरा à¤à¥€ छोढ़ना पड़ता है, जहाठसे आपने सामान लिया था | इतना शà¥à¤•à¥à¤° है कि मोबाइल पर रोक नही है, मगर दोनों से खींची गई फ़ोटो के सà¥à¤¤à¤° में तो अंतर होता ही है, खैर इसी दूकान पर हमे बाबा के à¤à¤• ख़ादिम à¤à¥€ मिल गये जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमे इस मà¥à¤•à¥à¤•दस जगह पर घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ ले ली दरगाह के मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़े से अंदर जाते ही कà¥à¤› दूर तक आपको पैदल चलना पड़ता है, यहाठआपको मशà¥à¤•़ से पानी पिलाने वाले à¤à¥€ मिल जायेंगे, यहीं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नमाज़ पढ़नी होती है, उनके मà¥à¤à¤¹-हाथ धोने यानी वजू करने के लिये पानी का à¤à¤• छोटा सा तालाब सा à¤à¥€ है, और मशà¥à¤•़ वाले à¤à¥€ यहाठसे पानी लेते हैं | सदियों से मशà¥à¤• वालों की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है, जो अब तो लà¥à¤ªà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ है, पर यहाठइसके दीदार हो जाते हैं | दरगाह के करीब आते ही जायरीनों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है और आपको à¤à¥€ इसका हिसà¥à¤¸à¤¾ बनना पड़ता है, à¤à¤¸à¥‡ में हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बाकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की तरह आपको अपनी जेब तथा अनà¥à¤¯ सामान का खà¥à¤¦ ही खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखना पड़ता है और à¤à¥€à¤¡à¤¼ के धकà¥à¤•ों को à¤à¥€ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¾ पड़ता है à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› देर के संघरà¥à¤· के बाद आप बाबा की दरगाह पर अपनी मनà¥à¤¨à¤¤à¥‹à¤‚ की अरà¥à¤œà¥€ लिये हाज़री à¤à¤°à¤¤à¥‡ हो | मज़ार के साथ-साथ à¤à¥€à¤¡à¤¼ में अपनी जगह बनाते-बनाते दरगाह का खादिम कà¥à¤› आपकी मदद कर देते हैं तो आप कà¥à¤› आराम से गरीबनिवाज की कबà¥à¤° तक पहà¥à¤‚च जाते हो, कई बार अपने पकà¥à¤· में हà¥à¤¯à¤¾ कोई काम अचà¥à¤›à¤¾ लगता है और फिर, यहाठकी रिवायत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आपकी लाई चादर और फूलों की टोकरी खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ की मज़ार पर चड़ा दी जाती है |
इसके बाद के पल, गूंगे के मिठाई खाने वाले अनà¥à¤à¤µ की तरह है जब वो खादिम पल à¤à¤° के लिठआपको नीचे à¤à¥à¤•ा कर मज़ार पर पड़ी चादर के अंदर आपका सर कर देता है और मोरपंख के à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‚ से मारते हà¥à¤¯à¥‡, आपके सर पर कà¥à¤› आयते सी पड़ता है, ये पल रूहानी है, पर इस कà¥à¤·à¤£ के अनà¥à¤à¤µ को मैं चाह कर à¤à¥€ आपसे सांà¤à¤¾ नही कर सकता | यदि मैं अपने आप से à¤à¥€ उस अनà¥à¤à¤µ को बाà¤à¤Ÿà¤¨à¤¾ चाहूठतो à¤à¥€ नही बाà¤à¤Ÿ सकता ! इसीलिठमैंने ऊपर गूंगे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खायी मिठाई का ज़िकà¥à¤° किया था वो चाह कर à¤à¥€ आपको उसका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ नही समà¤à¤¾ सकता और मैं à¤à¥€ …
यही सूफीजà¥à¤® है जिसके पीछे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ खिंची चली आती है उस à¤à¤• पल के अनà¥à¤à¤µ के लिये, और फिर जैसे ही आपके सर से चादर हटती है आप इसी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में वापिस आ जाते हैं | गà¥à¤²à¤¾à¤¬ की कà¥à¤› पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आपको दी जाती हैं, जिनमे से कà¥à¤› आप खा लेते हो और कà¥à¤› समà¥à¤à¤¾à¤² कर अपने रà¥à¤®à¤¾à¤² में बांध लेते हो अपने घर के लिठ..
मज़ार से बाहर निकलते ही आपके साथ आया à¤à¤²à¤¾ इंसान आपको à¤à¤• और कबà¥à¤° दिखता है, जो बाबा की बेटी की है यहाठà¤à¥€ वैसा ही सब कà¥à¤› किया जाता है मगर इसमें वो रूहानियत नही, जिसका अनà¥à¤à¤µ चंद पल पहले ही आप कर चà¥à¤•े हो | बाहर बड़े से सेहन में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ कवà¥à¤µà¤¾à¤² खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ के दरबार में अपनी-अपनी अरà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगा रहे है, दरगाह के दीदार के बाद के ये पल बेहतरीन हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ लगता है | आप चाहें तो कà¥à¤› देर वहाठबैठकर उन रूहानी कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ का आनà¥à¤¨à¤¦ उठा सकते हो, à¤à¤¸à¥‡ में अपने कैमरे की कमी कà¥à¤› और à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खलती है, मोबाइल का कैमरा à¤à¤• विकलà¥à¤ª तो है पर उसकी काली सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ धूप में कà¥à¤› दिखा नही पाती और आपको अंदाज़ से ही कà¥à¤› फ़ोटो खींचने पड़ते है और इधर साथ आया खादिम आपको बाबा के किये कà¥à¤› चमतà¥à¤•ारों वगैरह के बारे में बताता जाता है जो कि खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ गरीब नवाज़ के नाम के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ हैं पर अकà¥à¤¸à¤° ही à¤à¤¸à¥‡ किसà¥à¤¸à¥‡ हर जगह पर जà¥à¤¡à¤¼ जाते हैं और इनमे कà¥à¤› खास नयापन नही होता | वैसे इस दरगाह में मज़ार के बाद कà¥à¤› पल कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की संगत में बैठना à¤à¤• और यादगार अनà¥à¤à¤µ है |
महफ़िल-à¤-कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€, खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ के सज़दे में
कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€, सूफीवाद का दिया अनमोल नज़राना
सूफीजà¥à¤® इसà¥à¤²à¤¾à¤® की à¤à¤• उदार शाखा है जो बना है ‘सूफ़’ शबà¥à¤¦ से, जिसका अरà¥à¤¥ है ‘ऊन’, à¤à¥‡à¤¡à¤¼ की ऊंन से बना वो थोड़ा सा खà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾ कमà¥à¤¬à¤², या à¤à¤• मोटे कपड़े की तरह के बने दà¥à¤¶à¤¾à¤²à¥‡ को पैगैमà¥à¤¬à¤° मोहमà¥à¤®à¤¦ तथा उनके अनà¥à¤¯ साथी औढ़ते थे, सूफी इसà¥à¤²à¤¾à¤® की उस कटà¥à¤Ÿà¤° विचारधारा से अलग है जिसके साथ इसà¥à¤²à¤¾à¤® को अकà¥à¤¸à¤° ही जोड़ कर देखा जाता है, इसी लचीलेपन की वजह से खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ के साथ-साथ हजरत निजामà¥à¤¦à¥€à¤¨ औलिया, बाबा बà¥à¤²à¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¾à¤¹, शेख फरीद आदि के कलाम हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ जन-मानस में अपनी जगह बना गये | बाबा नानक और कबीर à¤à¥€ इसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के वाहक रहे है कà¥à¤¯à¥‚ंकि उनके कलामों में à¤à¥€ आप उस निराकार रब की कशिश पाते हैं जिसके लिये सूफीजà¥à¤® जाना जाता है | ओशो का रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§ से लेकर सूफीवाद तक की बात करता है | नà¥à¤¸à¤°à¤¤ फतेह अली खान से लेकर कैलाश खैर हों या रबà¥à¤¬à¥€, इन सब की पहचान इनके गाये सूफी कलामों की वजह से ही है और सूफीजà¥à¤® को आम आदमी, और खास तौर पर आज की यà¥à¤µà¤¾ पीढ़ी तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में इन सबका योगदान सराहनीय है |
कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की संगत से उठकर आप दरगाह के कà¥à¤› दूसरे हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ देख सकते हैं, जिनमे से à¤à¤• है जनà¥à¤¨à¤¤à¥€ दरवाज़ा, नाम से ही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि इसकी जियारत करने वाले को जनà¥à¤¨à¤¤ नसीब होती है, मगर यह साल में कà¥à¤›à¥‡à¤• मौकों पर ही खोला जाता है | और, फिर आप देख सकते है चार यार, उन दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की कबà¥à¤°à¥‡ जो अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से बाबा को मिलने आये थे | बाहर की खà¥à¤²à¥€ जगह में à¤à¤• विशाल चूलà¥à¤¹à¥‡ पर लगी हà¥à¤¯à¥€ है, बादशाह अकबर की दी गयी वह देग, जो अकबर ने चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤—ढ की विजय पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¥‡à¤‚ट की थी, ये à¤à¥€ जायरीनों के आकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° है जिसमे कहते है à¤à¤• बार में उरà¥à¤¸ पर 120 मन यानि 4800 किलो चावल पकता है और फिर गरीबों में उसे बांटा जाता है | देग वाकई विशाल है, और इसे बड़ी देग के नाम से जाना जाता है, इसी के साथ ही à¤à¤• दूसरी देग à¤à¥€ है जो जहांगीर की दी हà¥à¤ˆ है और इसमें 60 मन यानी 2400 किलो तक चावल पकता है, और जियारीन अपने-अपने अकीदे, जेब और किसी मनà¥à¤¨à¤¤ के हिसाब से इन देगों में अपना योगदान देते है |
दरगाह से बाहर, सबसे बायीं तरफ हमारे वो गाइड
अकबरी देग, खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ की तरह इसकी à¤à¥€ à¤à¤• कशिश है
दरगाह से बाहर निकल आप थोड़ा-बहà¥à¤¤ इधर-उधर घूम सकते हैं, मगर à¤à¤¸à¥€ कोई ख़ास दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ चीज़ नज़र नही आती, हाठबाज़ार पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मिज़ाज़ का है तो आप कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ढूनà¥à¤¢ सकते है जो ‘माल-कलà¥à¤šà¤°â€™ और बड़े-बड़े बà¥à¤°à¤¾à¤‚डà¥à¤¸ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ में दà¥à¤°à¥à¤²à¤ हो गयी हैं, सो तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जी के साथ घंटा दो घंटे का समय à¤à¤¸à¥€ कà¥à¤› नायाब चीज़ों को दूंदने में निकलता है, जिनमे हींग, लà¥à¤¬à¤¾à¤¨, और गà¥à¤—à¥à¤—à¥à¤² से लेकर कà¥à¤› बेहतरीन इतà¥à¤° तथा कà¥à¤µà¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ CDs इकटठा करने में, जो आज à¤à¥€ कार में सà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ पर चलते ही दोबारा से गरीब नवाज़ के दर तक पहà¥à¤‚चा देती हैं |
à¤à¥€à¤¡à¤¼-à¤à¤¾à¤¡à¤¼ à¤à¤°à¤¾ नज़ारा होता है, दरगाह के बाहर
बस, à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› पलों को अपनी यादों में समेट, इस बात का सकूं à¤à¥€ महसूस कर सकते हो कि à¤à¤²à¥‡ ही चिशà¥à¤¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में इससे पहले और बाद में à¤à¥€ कई और नामचीन औलिया हà¥à¤¯à¥‡, पर सूफीजà¥à¤® की असल रूह तो आज à¤à¥€ खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ को ही माना जाता है, इनà¥à¤¹à¥€ कà¥à¤›à¥‡à¤• खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ आप खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¼à¤¾ से रà¥à¤–सत लेते हो और शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा करते हो इस सूफी दरवेश गरीब निवाज का, जिसकी रहमत के सदके, आज à¤à¥€ अजमेर और इसके आसपास का इलाका अपने धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤· और सदà¥à¤§à¤¾à¤µà¥€ चरितà¥à¤° को बचा कर रखे हà¥à¤¯à¥‡ है | सूरज की तपिश धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन रà¥à¤•ने का समय नही, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सदियों पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤• मायावी शहर अपने à¤à¥€à¤¤à¤° मिथ और सतà¥à¤¯ का तिलिसà¥à¤® समेटे हà¥à¤¯à¥‡ हमे पà¥à¤•ार रहा है, और हम à¤à¥€à¤¡à¤¼-à¤à¤¾à¤¡à¤¼ à¤à¤°à¥€ संकरी सड़को से जगह बनाते हà¥à¤¯à¥‡, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की इस सांसà¥à¤•ृतिक राजधानी को पीछे छोड़ते हà¥à¤¯à¥‡ पà¥à¤·à¥à¤•र के रासà¥à¤¤à¥‡ पर अपनी कार बढ़ा देते हैं…
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1. पà¥à¤°à¤œà¤¾, the common natives of the state
2. धरà¥à¤®, religion
3. विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, faith
4. पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, customs,traditiions
5. सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से पहले पà¥à¤°à¤²à¤¯ दशा में असतॠअरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अà¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• ततà¥à¤µ नहीं था. सत à¤à¥€ नही था, सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, नरà¥à¤• और पाताल à¤à¥€ नहीं थे, अनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤· नहीं था, और उससे परे जो कà¥à¤› है वह à¤à¥€ नहीं था, वह आवरण करने वाला ततà¥à¤µ कहाठथा और किसके संरकà¥à¤·à¤£ में था। उस समय गहन कठिनाई से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने योगà¥à¤¯ गहरा कà¥à¤¯à¤¾ था, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ कà¥à¤› बी नही था |
6. वो था हिरणà¥à¤¯ गरà¥à¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पहले विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨
वही तो सारे à¤à¥‚त जाति का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ महान
जो है असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨ धरती आसमान धारण कर
à¤à¤¸à¥‡ किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर
7.कई यà¥à¤—ों तक केवल घना अनà¥à¤§à¤•ार ही सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ रहा, dark age
8. उसने(ईशà¥à¤µà¤°) सà¥à¤µà¤¯à¤® ही जनà¥à¤® लिया, पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤¯à¤¾ और सबसे पहले अपने आप को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया