à¤à¤¸à¥‡ ही ऑफिस मे बैठे हà¥à¤ पता नहीं गूगल पर à¤à¤•ाà¤à¤• मैंने केदारनाथ सरà¥à¤š मार डाला। गूगल पर 2013 में हà¥à¤ˆ तबाही की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ और खबरों को फिर से देखने और पढ़ने लगा। 10-15 मिनट के बाद मैंने गूगल बंद कर दिया और ऑफिस के सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ बà¥à¤°à¥‡à¤• पर चल दिया।
उस दिन रात को डिनर करने के बाद फिर से मà¥à¤à¥‡ केदारनाथ का खà¥à¤¯à¤¾à¤² आने लगा। खà¥à¤¯à¤¾à¤² को दरकिनार कर मैंने SAB चैनल लगाया और लापतागंज और FIR देखने के बाद सो गया। अगले दिन ऑफिस से फिर से गूगल पर केदारनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के लिये रासà¥à¤¤à¥‡ और मौसम कि जानकरी ढूंढनें मे लग गया। अà¤à¥€ तक मेरे मन मे à¤à¤• बार à¤à¥€ केदारनाथ जाने का ख़याल नहीं आया था। पर फिर à¤à¥€ मैं जानकारी लेने मे जà¥à¤Ÿ गया था। 2-3 दिन तक यही चलता रहा। à¤à¤• दिन मैं रात को ऑफिस से घर पहà¥à¤à¤šà¤¾ और अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को कह दिया कि मैं केदारनाथ जा रहा हूठअगले हफ़à¥à¤¤à¥‡à¥¤ उसने मेरी बात को जानà¤à¥‚ठकर अनसà¥à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ कहा कि जलà¥à¤¦à¥€ से हाथ-मà¥à¤¹ धो लो मैठख़ाना लगा रही हूà¤à¥¤ पापा से केदारनाथ जाने के लिये इज़ाज़त लेने कि मैं हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं जà¥à¤Ÿà¤¾ पा रहा था। गà¥à¤œà¤°à¥‡ साल 2013 जून मे हà¥à¤ˆ तबाही के à¤à¤• हफ़à¥à¤¤à¥‡ पहले ही मेरे ममà¥à¤®à¥€-पापा और कà¥à¤› रिसà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° मौत के मà¥à¤¹ से बचकर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ घर पहà¥à¤à¤šà¥‡ थे। मैं सोच रहा था कि जैसे ही पापा को बोलूà¤à¤—ा तो पता नही कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को मिलेगा। मार पड़ने की à¤à¥€ पूरी-पूरी संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी। अà¤à¥€ मैंने कà¥à¤› नहीं बोला कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि अà¤à¥€ तो बस मैठजानकारी ही इकà¥à¤•ठी कर रहा था। अà¤à¥€ तो दिल से à¤à¥€ आवाज़ नहीं आई थी की जाना à¤à¥€ है की नहीं।
अगले दिन ऑफिस पहà¥à¤à¤š कर मैंने फिर से गूगल किया और केदारनाथ जानें के लिये रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ कहाà¤-कहाठहो सकता है ढूंढने लगा। मà¥à¤à¥‡ 01352559898 नंबर मिला और मैंने कॉल दी। à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ ने कॉल उठाया और मेरा नाम और मोबाइल नंबर नोट किया। मैंने उनसे रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ के बारे में पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि अगर आप दिलà¥à¤²à¥€ से आ रहे हो तो हरिदà¥à¤§à¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ या फिर ऋषिकेश बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर अपना रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा सकते हैं। फिर से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मेरा नाम और नंबर सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ किया और धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हà¥à¤ हमारी वारà¥à¤¤à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ अब जाकर मेरी केदारनाथ जाने कि ईचà¥à¤›à¤¾ ने सांस लेन शà¥à¤°à¥ कर दिया। रात को ऑफिस से घर पहà¥à¤à¤šà¤¾ और अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को बोल दिया कि मैंने रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ के बारे मे पता कर लिया है। इस बार उसने पलट कर कà¥à¤› इस तरह जवाब दिया “पागल हो कà¥à¤¯à¤¾, दिमाग तो ठीक है। ” मैंने उसको आराम से समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा “अरे इस बार तो पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ ने रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ शà¥à¤°à¥ कर दिया है और यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का पूरा इंतजाम किया है। ” अब ये तो पकà¥à¤•ा था कि अब वो पापा को मेरी इस योजना के बारे मे ज़रूर बताà¤à¤—ी और मेरा काम बन जायेगा और गाली खाने से à¤à¥€ बच जाऊà¤à¤—ा। बाकी जो होगा वो बाद मे देख लेंगे।
2-3 दिन गà¥à¤œà¤° गठमैं इस इंतज़ार मे था कब पापा मà¥à¤à¤¸à¥‡ इस सिलसिले मे बात करेà¤à¤—े। मैं ये à¤à¥€ सोच रहा था कि पता नहीं पापा के कान तक बात पहà¥à¤à¤šà¥€ à¤à¥€ है कि नहीं। अगले दिन पापा ने कहा कि उनको CP जाना है और मैं उनको नॉà¤à¤¡à¤¾ सिटी सेंटर मेटà¥à¤°à¥‹ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तक छोड़ दूà¤à¥¤ रासà¥à¤¤à¥‡ मे उनके à¤à¤• मितà¥à¤° à¤à¥€ गाड़ी मे बैठगà¤à¥¤ इन लोगों की वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤¬ शà¥à¤°à¥ हो गई। इसी बीच मेरे पापा बोल पडे कि ये केदारनाथ जाने कि कह रह है। इसका à¤à¤• रात शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र मे रà¥à¤•ने का इंतज़ाम करवा दो। पापा के मितà¥à¤° की जानपहचान थीं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र रà¥à¤•ेगा तो कॉल कर देना मैठइंतजाम हो जायेगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कितने लोग हैं मैंने बोल दिया अà¤à¥€ तो हम तीन लोग ही हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा गाड़ी कौन चलाà¤à¤—ा, मैंने कहा सबको आती है पà¥à¤²à¥‡à¤¨à¥à¤¸ मे बाक़ी लोग चला लेà¤à¤—े और पहाड़ मे मैठडà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ कर लूà¤à¤—ा। वे बोले ठीक है पर संà¤à¤² कर जाना।
पापा को मेरे जाने से कोई संकोच नहीं था। बस अब तो जाना पकà¥à¤•ा हो गया था। केदारनाथ का बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आ गया था।
अगले दिन ऑफिस पहà¥à¤à¤š कर मैंने मई 5 और 6 तारीख की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ डाल डी। मैनेजर ने 5 मिनट मे ही छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का सतà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¥€ कर डाला। ऑफिस के सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पूछा, à¤à¤¾à¤ˆ कहाठचल दिया छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ लेकर। मैंने कहा यार केदारनाथ जा रहा हूà¤à¥¤ à¤à¤• बोला कि मैं à¤à¥€ चलूà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥à¤à¤•ि कामवाली मई 1 को आजायेगी और मेरी बेटी को à¤à¥€ संà¤à¤¾à¤² लेगी वारना बीवी को अकेले दिकà¥à¤•़त हो जयेगी। मैंने कहा अपने हिसाब से देख ले अगर चलेगा तो मेरा साथ à¤à¥€ हो जायेगा।
हमारा वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸à¤à¤ª पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ दोसà¥à¤¤à¥‹ क à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª है वहाठपर मैंने बता दिठवारना लोग बाद मे बोलतें हैठकि हमेठनहीं बताया और अकेले ही चला गया। गà¥à¤°à¥à¤ª से à¤à¤• और सजà¥à¤œà¤¨ तैयार हो गये। हम पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ कंपनी मे साथ काम कर चà¥à¤•े थे और ये मेरे मैनेजर हà¥à¤† करते थे। सही मिज़ाज़ के आदमी हैं साथ चलेà¤à¤—े तो मजा आà¤à¤—ा। अà¤à¥€ फिलहाल हम तीन लोग थे।
मैंने à¤à¤• बार फिर से 01352559898 नंबर पर कॉल किया और रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ काउंटर सà¥à¤¬à¤¹ कितने बजे खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है ये जानकारी ली। मà¥à¤à¥‡ बताया गया की सà¥à¤¬à¤¹ 10 से शाम तक खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है। अब à¤à¤• दिकà¥à¤•त थी कि मेरी योजना के हिसाब से मैं शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° मई 2 को ऑफिस के बाद निकलने वाला था और ऋषिकेश मई 3 को सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाला था कि जैसे ही ऋषिकेश के बैरियर खà¥à¤²à¤¤à¥‡ और मैं आगे निकल पड़ता। पर इतनी सà¥à¤¬à¤¹ तो रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ काउंटर तो नहीं खà¥à¤²à¥‡à¤—ा और बेवजह ही 4-5 घंटे वयरà¥à¤¥ हो जाà¤à¤‚गे। मà¥à¤à¥‡ हलचल सी हो रही थी कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि 4-5 घंटे मे तो मैं ऋषिकेश से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤š सकता था। दिमाग मे à¤à¤• बात आई कि मैं तो दिलà¥à¤²à¥€ से जा रहा हूठइसीलिठरजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ हरिदà¥à¤§à¤¾à¤° और ऋषिकेश मे करवा सकता हूà¤à¥¤ पर जो लोग उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ मे रहà¥à¤¤à¥‡ हैं वो à¤à¥€ तो कहीं न कहीं रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवाà¤à¤à¤—े। मैंने फिर से 01352559898 नंबर पर कॉल लगा डाला। पता चला कि रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ आगे à¤à¥€ हो जायेगा पर किस किस जगह होगा इसकी जानकारी उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नहीं थी। अब उलà¤à¤¨ और बढ़ गई थी। तà¤à¥€ à¤à¤• दोसà¥à¤¤ का खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया। हम TechM मे साथ मे काम किया करते थे। ये उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ मे रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— का ही रहने वाला है। मैंने इसको कॉल किया इसने बताया कि इसके à¤à¤• दोसà¥à¤¤ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जल विà¤à¤¾à¤— मे काम करता है उससे जानकारी मिल जाà¤à¤—ी। उसके दोसà¥à¤¤ ने बताया कि रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी के टूरिसà¥à¤Ÿ इंफॉरà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेंटर मे हो रहे है और सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे à¤à¥€ हो रहे है। जिस वज़ह से मै परेशान था उसका हल मिल गया था।
शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° मई 2 तारीख को जाना तय हà¥à¤†à¥¤ मैंने अपनी बीवी को बोल दिया था कि अलमारी से à¤à¤• जैकेट, à¤à¤• हालà¥à¤« सà¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤°, रेनकोट निकाल कर रख देना। बाकी सामान मैं अपनी ज़रà¥à¤°à¤¤ के हिसाब से खà¥à¤¦ ही रख लूà¤à¤—ा। हम तीन हो लोग थे और अचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥€ था कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि किसी को अगर सोने का मन करे तो पीछे वाली सीट पर आराम से लमलेटे सकता था। जाने से दो दिन पहले हमारे à¤à¤• मितà¥à¤° को पीठपर चोट लग गई। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ कहा कि अगर गà¥à¤‚जाइश होगी तो ज़रूर चलूà¤à¤—ा। मैंने मना कर दिया कि à¤à¤¸à¥€ हालत मे जाना ठीक नहीं होगा कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि वहाठजाकर तबीयत और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बिगड़ सकती थी। मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं हम दो लोग ही चल पडेंगे। लेकिन जाने से à¤à¤• दिन पहले ऑफिस के सहकरà¥à¤®à¥€ ने बताया कि maid मई 6 तारीख को ही जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¨ कर पायेगी। मैंने कहा à¤à¤¾à¤ˆ कोई बात नहीं निराश मत हो, लगता है आà¤à¥€ तà¥à¤® लोगोठको बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ नही आया है।
अब मà¥à¤à¥‡ अकेले ही निकलना था और मà¥à¤à¥‡ कोई संकोच à¤à¥€ नहीं था कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤²à¥‰à¤¨ मैंने अकेले ही जाने का बनाया था। तो शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° मई 2 तारीख को मेरी योजना यह थी कि ऑफिस से शाम को काम निपटा कर पहले घर जाऊà¤à¤—ा फिर डिनर करके अाराम से निकलूà¤à¤—ा। लेकिन अकà¥à¤¸à¤° होता उलà¥à¤Ÿà¤¾ ही है। शाम को ही 2-3 ज़रूरी काम आ गठजिनको मैठटाल नहीं सकता था कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि मैंने मई 5 और 6 तारीख की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ ली हà¥à¤ˆ थी। काम खतà¥à¤® करते मà¥à¤à¥‡ ऑफिस मे ही रात के 09:30 हो गठथे। वैसे दिकà¥à¤•त की कोई बात नहीं थी कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि पà¥à¤²à¤¾à¤¨Â कहीठरà¥à¤•ने का नहीं था। देर से निकलने पर अगली सà¥à¤¬à¤¹ ऋषिकेश पर लगा हà¥à¤† बैरियर खà¥à¤²à¤¾Â मिलने वाला था। घर पहà¥à¤à¤šà¤¾ तो मेरे बैग मैडम ने पहले पैक किये हà¥à¤ थे। मैंने जूते उतार कर बैग मे डाल दिये और चपà¥à¤ªà¤² पहन ली। डिनर किया, कà¥à¤› देर सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¾ और 00:00 hrs पर घर से केदारनाथ यातà¥à¤°à¤¾ निकल पड़ा। देखा जाये तो निकलने की तारीख मई 3 हो गई थी। घरवालोने ने आराम से जाने की नसीयत दी। कहा की तीनों लोग बदल-बदल कर गाड़ी चलाना और बीच-बीच मे आराम à¤à¥€ करना।
अब उन को लोगों कà¥à¤¯à¤¾ कहता कि अकेले ही जा रहा हूà¤à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ बताते ही दरवाजे से अंदर खींच लेते। मैंने समय-समय पर कॉल करने की, गाड़ी आराम से चलने का आसà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया और “जय à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की” बोल कर पहला गियर डाल दिया। नोà¤à¤¡à¤¾ सैकà¥à¤Ÿà¤°-62 पार करने बाद मैं इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤® सी.आर.पी.à¤à¤« होते हà¥à¤ मोहन नगर – राजनगर à¤à¤•à¥à¤¸à¤Ÿà¥‡à¤‚शन होते हà¥à¤ हाईवे पर जà¥à¤¡à¤¼ गया। पहला पंप दिखा और मैंने गाडी मे डीज़ल टॉप-उप करवा लिया। उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ मे तेल थोड़ा महà¤à¤—ा है पर 2500/- मे टॉप-उप हो गया था। à¤à¤• बात बताना à¤à¥‚ल गया कि मेरे पास 5000/- थे जो कि अब तेल à¤à¤°à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ के बाद 2500/- रह गठथे।
बस मेरा à¤à¤• ही मंतà¥à¤° था कि गाडी 80 से ऊपर नहीं चलानी और मैने किया à¤à¥€ ऎसा। à¤à¤• बात आप लोगों को बता दूठकि जहाठतक मà¥à¤œà¤¼à¥à¤œà¤¼à¤«à¤° नगर का टोल रोड है वहॉठतक तो मैंने बड़े ही आराम से गड़ी चलाई। लेकिन उसके बाद तो मानो रोड हि खतà¥à¤® थी और हर 2-3 मीटर पर बड़े-बड़े गडà¥à¤¢à¥‡ थे। रात को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° टà¥à¤°à¤• ही चल रहे थे और à¤à¤• तरफ़ का रोड पूरा ख़राब था इसीलिठआने-जाने वाला टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• à¤à¤• ही रोड पर चल रह था। टà¥à¤°à¤• तो आराम से गडà¥à¤¢à¥‡ से बचा कर निकल रहे थे पर रात के वक़à¥à¤¤ मेरी गाड़ी कई बार इन गडà¥à¤¢à¥‹ क शिकार बानी। रà¥à¤¡à¤¼à¤•ी पहà¥à¤à¤š कर राहत मिली। नॉनसà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª चलते हà¥à¤ मैंने मई 3 सà¥à¤¬à¤¹ के 06:30 बजे ऋषिकेश पार करने के बाद देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— कि ओर गाड़ी दौडा दी। करीब à¤à¤•-डेढ़ घंटे बाद मैंने देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे गाड़ी रोकी। देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— बाज़ार के पास बने सà¥à¤²à¤ शौचालय मे जाकर नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® निपटाठऔर उसके बाद à¤à¤• चाय और फैन खाया। à¤à¤• पानी की बोतल रखी और शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र कि ओर निकल पड़ा। यातà¥à¤°à¤¾ रूट मे कà¥à¤› खास à¤à¥€à¤™ नहीं दिख रही थी। कई बार तो à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था कि कई किलोमीटर से मैठअकेले ही चल रहा हूà¤à¥¤
शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र कà¥à¤› देर मे आने ही वाला था अब जाकर कà¥à¤› टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नज़र आने लगा था। महिंदà¥à¤°à¤¾ बोलेरो, टाटा सूमो, लोगों की परà¥à¤¸à¤¨à¤² गाड़ियाठसटासट दौड़ रही थी। किसी पर बीजेपी तो किसी गाडी पर आप(आम आदमी पारà¥à¤Ÿà¥€) के। तà¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले ने हाथ दिया, मैंने सोचा हो सकता है दिलà¥à¤²à¥€ कि गाडी और अकेला सवार है कहीं ये सोचकर रोक रहा हो। मैंने गाड़ी रोकी, à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ करà¥à¤®à¥€ मेरी तरफ़ आया और दूसरा गाड़ी के आगे खड़ा हो गया। मà¥à¤à¥‡ डरने की कोई लोड नहीं थी गाड़ी के कागज़ पूरे थे।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – कहाठजा रहे हो ?
मैं – केदारनाथ।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – अकेले ?
मैं – हाà¤à¥¤
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – बड़ी हिमà¥à¤®à¤¤ है।
मैं – बस जि मूड़ कर गया।
दूसरा पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाला – कà¥à¤¯à¤¾ आप मà¥à¤à¥‡ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र तक छोड़ दोगे ?
मैं – मोसà¥à¤Ÿ वेलकम। आजाओ।
आगे बातचीत होती रही। इस पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले की बीवी à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड पà¥à¤²à¤¿à¤¸ मे थी। लेकिन उसकी डà¥à¤¯à¥‚टी किसी और डिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿ मे थीं। उसने बताया तो मैंने कहा मै à¤à¥€ वहीठसे हà¥à¤à¥¤ पर अब गॉव मे कोई नहीं रहता साल मे 1-2 बार ही आना-जाना होता है। बात घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मैंने पà¥à¤›à¤¾ खूब चà¥à¤¨à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° चल रहा है। तब उसने बताया कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ मे मई 7 को लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हैं।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले को शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र मे उतारने के बाद मैं आगे निकल गया। अब मà¥à¤à¥‡ 2013 मे हà¥à¤ˆ आपदा के अवशेष नज़र आने लग गà¤à¥¤ पिछले साल टीवी चैनलà¥à¤¸ पर हमने कà¥à¤› नहीं देखा था। मीडिया ने वही कà¥à¤› दिखाया जहाठतक वो लोग पहà¥à¤à¤š पाठहोंगे। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र – रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— – तिलवाड़ा – अगसà¥à¤¤à¤®à¥à¤¨à¤¿ मे तबाही का मंज़र बोलता है। ये सब देख कर मेरा दिल रो उठा। मैं बार-बार यही सोच रहा था कि ऊपर से कैसा जलजला आया होगा कि इस तरह की तबही हो गई।
माफ़ कीजियेगा अकेला होने की वज़ह से मैं फ़ोटो नहीं खींच पाया। अब मेरी मंज़िल यानि कि मेरा पहला पड़ाव गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी आने ही वाला था तो मैंने जलà¥à¤¦à¥€à¤¬à¤¾à¤œà¤¼à¥€ ना दिखाते हà¥à¤ à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ बà¥à¤°à¥‡à¤• ले लिया।
à¤à¥€à¤°à¥€ मे कà¥à¤› देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते हà¥à¤
यहाठपर 10 मिनट रà¥à¤•ने के बाद मैं मई 3 दोपहर 12:20 बजे गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤š गया। बड़ा ही सà¥à¤•ून मिला। वहां तैनात à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले से पता चला कि यातà¥à¤°à¤¾ के लिठरजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ “गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी टूरिसà¥à¤Ÿ इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेंटर” मे हो रहा है। मैंने गाड़ी रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ काउंटर की ओर दौड़ा दी।
गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी टूरिसà¥à¤Ÿ इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेंटर
रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ की लाइन। हैरान न होना।
लाइन बहà¥à¤¤ ही छोटी थी। मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 20 लोग रहे होंगे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोकल लोग थे जो 6 महीने का परमिट ले रहे थे यातà¥à¤°à¤¾ सीज़न मे काम-काज करने के वासà¥à¤¤à¥‡à¥¤
लो जी हो गया अपना रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨à¥¤
यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं के लिठरजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ सिरà¥à¤« 3 दिन के लिठही मानà¥à¤¯ है। मैं 3 से 5 तारीख तक किसी à¤à¥€ दिन चढ़ाई कर सकता था। अगर तारीख 6 हो जाती तो रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ से करवाना पड़ता।
रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवाने बाद मैं वापस गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी मारà¥à¤•िट गया और à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया। कà¥à¤› देर सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¤¨à¥à¤œà¥‰à¤¯ करने के बाद देखा की अचानक मौसम बदल गया है। देखते-देखते बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई। बारिश रà¥à¤•ने के बाद मैंने आगे निकलने का सोचा लेकिन तà¤à¥€ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ चेकपोसà¥à¤Ÿ से जनहित मे सूचना जारी हà¥à¤ˆ कि मौसम ख़राब होने की वजह से आज यातà¥à¤°à¥€ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी से आगे नहीं जा सकते। कà¥à¤› देर के बाद मैं सà¥à¤µà¤¯à¤ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ चेकपोसà¥à¤Ÿ पर गया और गढ़वाली à¤à¤¾à¤·à¤¾ मे वहाठतैनात पà¥à¤²à¤¿à¤¸ करà¥à¤®à¥€ से पà¥à¤›à¤¾à¥¤ उसने बताया कि आगे सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तो जा सकते हो पर अगर यहाठसे यातà¥à¤°à¥€ सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तक जाने के लिठछोड़ दिठतो सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे रात को रà¥à¤•ने के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होटलà¥à¤¸ और इंतज़ाम नहीं हैं। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी मे बहà¥à¤¤ लॉज और होटल हैं आज रात यहीं रà¥à¤• जाओ। मà¥à¤à¥‡ उसकी बात समठआई और मैंने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ के सामने बने लॉज “नील कमल” मे 200/- का à¤à¤• रूम ले लिया। रूम साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¤¾, बड़ा और साथ मे अटैच टॉलेट/बाथरूम था। ओपन टेरेस  à¤à¥€ था।
टेरेस से लिया साइन बोरà¥à¤¡ का फ़ोटो।
मेरे पास अब काफी टाइम था पर करने को कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं था। मैंने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ के बगल मे ही गाड़ी खड़ी कर दी थी। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले ने कहा रात को तो कोई दिकà¥à¤•त नहीं है पर सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ हटा देना। मैंने गाड़ी की डिकà¥à¤•ी से सारा सामन निकला और रूम मे रख दिया। फिर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होकर रूम लॉक करके बाहर निकल गया। मैं मई 2 तारीख से अà¤à¥€ तक सोया नहीं था। इसी वजह से थोड़ी हरारत सी महसूस हो रही थी और शरीर à¤à¥€ थोड़ा गरà¥à¤® लग रहा था। à¤à¤¸à¤¾ पहली बार नहीं हो रहा था à¤à¤¸à¤¾ तो हर बार ही होता है। तो मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ परवाह नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ मैं दो घंटे तक पैदल ही सैर करता रहा और सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¥€ चलता रहा। बारिश के बाद मौसम मसà¥à¤¤ ठंडा हो गया था। मैं सोच रहा था कि कल तक तो मैं दिलà¥à¤²à¥€ की जलाने वाली गरà¥à¤®à¥€ मे था और यहाठका मौसम तो कसम से जान लेवा हो चला था। à¤à¤• बार तो मन हà¥à¤† कि जैकेट पहन लूठपर आलस कर गया कि अब रूम पर सोने के लिठही जाऊà¤à¤—ा। करीब दो घंटे तक घूमने के बाद मैंने à¤à¤• थाली का आरà¥à¤¡à¤° दिया जिसमे दो सबà¥à¤œà¤¼à¥€, à¤à¤• दाल, चार रोटी, सलाद और अचार था। ये सब मातà¥à¤° 60/- मे। जो लोग उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ गठहोंगे उनको तो पता ही होगा कि à¤à¥‹à¤œà¤¨ सादा और ससà¥à¤¤à¤¾ मिलता है। बिलकà¥à¤² घर जैसा पका हà¥à¤†à¥¤ वैसे मैं अचार का शौकीन नहीं हूठपर थकान होने की वज़ह से चटपटा खाने मे मज़ा आ गया। खाना खतà¥à¤® करने के बाद मैंने सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे का अलारà¥à¤® लगाया और रात को 10 बजे तक सो गया।