20 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 2010। सà¥à¤¬à¤¹ के साढे नौ बजे मैं उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी जिले में यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ गांव में था। यहां से आठकिलोमीटर आगे जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ है और चौदह किलोमीटर आगे यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€à¥¤ जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ तक मोटर मारà¥à¤— है और जीपें, बसें à¤à¥€ चलती हैं। बडकोट से जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ की पहली बस नौ बजे चलती है और वो दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ बाद गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤‚चती है। अà¤à¥€ साढे नौ ही बजे थे। मà¥à¤à¥‡ पता चला कि जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ जाने के लिये केवल वही बस उपलबà¥à¤§ है। अब मेरे सामने दो विकलà¥à¤ª थे – या तो डेढ घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में ही बैठा रहूं या पैदल निकल पडूं। आखिर आठकिलोमीटर की ही तो बात है। दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ में नाप दूंगा। और à¤à¤• कप चाय पीकर, à¤à¤• कटोरा मैगी खाकर मैं हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ तक पैदल ही निकल पडा।
कहते हैं कि यहां पर à¤à¤• समय हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी ने बैठकर अपने शरीर को बढाया था। उनकी पूंछ à¤à¥€ इतनी बढ गयी थी कि à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ की चोटी को छूने लगी थी। उस परà¥à¤µà¤¤ को आज बनà¥à¤¦à¤°à¤ªà¥‚ंछ परà¥à¤µà¤¤ कहते हैं। बनà¥à¤¦à¤°à¤ªà¥‚ंछ की ही छतà¥à¤°à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ में यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ है। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का à¤à¤• छोटा सा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। यहां à¤à¤• नदी à¤à¥€ आकर यमà¥à¤¨à¤¾ में मिलती है। इस नदी का नाम हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤—ंगा है। यहां से हिमालयी बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियां à¤à¥€ दिखाई देती हैं। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ डोडीताल à¤à¥€ जाता है। डोडीताल जाने के लिये हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤—ंगा के साथ साथ ऊपर चढना पडता है और आखिर में à¤à¤• दरà¥à¤°à¤¾ लांघकर उसके पार नीचे उतरकर डोडीताल पहà¥à¤‚चा जा सकता है।
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से आगे का सारा मारà¥à¤— बेपनाह पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक खूबसूरती से à¤à¤°à¤¾ है। परà¥à¤µà¤¤, नदी, à¤à¤°à¤¨à¥‡, पेड-पौधे; सब अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯ हैं। यहां यमà¥à¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ गहरी घाटी बनाकर बहती है। यमà¥à¤¨à¤¾ के उस तरफ वाले परà¥à¤µà¤¤ की चोटी को देखने के लिये सिर गरà¥à¤¦à¤¨ से मिलाना पडता है, इसी तरह नीचे बहती यमà¥à¤¨à¤¾ को देखने के लिये ठोडी छाती को छूने लगती है। दो-à¤à¤• किलोमीटर चलने पर ही मà¥à¤à¥‡ चकà¥à¤•र आने लगे। आज तक कà¤à¥€ à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ चकà¥à¤•र नहीं आये थे। इसका कारण गहरी यमà¥à¤¨à¤¾ घाटी और ऊंचे शिखर थे।
चार-पांच किलोमीटर के बाद फूलचटà¥à¤Ÿà¥€ गांव आता है। यह à¤à¤• बेहद छोटा सा गांव है। गांव à¤à¤• थोडी सी समतल जमीन पर बसा हà¥à¤† है। यहां तक आते आते मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ थकान होने लगी थी। फूलचटà¥à¤Ÿà¥€ से दो किलोमीटर आगे यमà¥à¤¨à¤¾ पर à¤à¤• पà¥à¤² है। पà¥à¤² से à¤à¤• किलोमीटर आगे जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ दिखने लगा है। इसी पà¥à¤² के पास बडकोट से आने वाली बस ने मà¥à¤à¥‡ पार किया। बेशक बस मà¥à¤à¤¸à¥‡ पहले चली गयी हो, लेकिन इसका मà¥à¤à¥‡ कोई अफसोस नहीं है। साढे बारह बजे के आसपास मैं जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ में था। तय किया कि यहां से यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ के लिये दो बजे के बाद ही चलूंगा। लेकिन कहीं à¤à¥€ बैठने के लिये जगह नहीं मिली। हालांकि यह काफी बडा गांव है। बहà¥à¤¤ सी दà¥à¤•ानें à¤à¥€ हैं, होटल à¤à¥€ हैं लेकिन सà¤à¥€ बनà¥à¤¦ थे। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ सीजन शà¥à¤°à¥‚ नहीं हà¥à¤† था। सोलह मई (2010) के बाद यहां रौनक हो जायेगी। अà¤à¥€ तो हर तरफ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और मरमà¥à¤®à¤¤ कारà¥à¤¯ चल रहा है।
जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ पार हो गया, तब à¤à¤• दà¥à¤•ान मिली। घर में ही दà¥à¤•ान बना रखी थी। दà¥à¤•ान के à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¥‡ में चूलà¥à¤¹à¤¾ जल रहा था, घर के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये खाना बन रहा था। जब à¤à¤• मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤° दà¥à¤•ान के सामने पडी बेंच पर आ बैठा तो à¤à¤• सदसà¥à¤¯ उठकर आया और पूछने लगा कि कà¥à¤¯à¤¾ लाऊं। चाय मंगा ली। आठ-नौ किलोमीटर पैदल चलकर आया था, बहà¥à¤¤ थका हà¥à¤† था। दो-ढाई बजे से पहले उठने का मन नहीं था। जब चाय खतम हो गयी तà¤à¥€ मेरे पास में ही कà¥à¤› लोग आये। उनमें दो पà¥à¤°à¥à¤·, à¤à¤• महिला, दो बचà¥à¤šà¥‡ थे। उनके पहनावे को देखकर मैने अनà¥à¤¦à¤¾à¤œà¤¾ लगा लिया कि ये à¤à¥€ कहीं बाहर से आये हैं और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जा रहे हैं। वे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर रà¥à¤•े नहीं। मालूम करने पर पता चला कि वे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¤°à¤¤à¤ªà¥à¤° से आये थे। असल में वे कà¥à¤®à¥à¤ में आये थे, समय था तो यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की तरफ चले आये। उनके साथ उनका डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ था। मैं à¤à¥€ इनके साथ ही हो लिया। सोचा कि साथ चलने से पांच किलोमीटर का पैदल सफर कट जायेगा। जब उनà¥à¤¹à¥‡ पता चला कि मैं दिलà¥à¤²à¥€ से आया हूं और अकेला ही आया हूं तो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ करने लगे। पता नहीं कà¥à¤¯à¤¾ बात है कि मैं जहां à¤à¥€ जाता हूं और किसी को पता चल जाता है कि मैं इतनी दूर अकेला ही आ गया हूं तो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ करने लगते हैं।
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤—ंगा पर बना पà¥à¤²
जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ की ओर जाता रासà¥à¤¤à¤¾ और नीचे यमà¥à¤¨à¤¾
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियां दिखनी शà¥à¤°à¥‚ हो जाती हैं
गणेशचटà¥à¤Ÿà¥€ के पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि में खà¥à¤¦ लिया गया फोटू
जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ - यहां से यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की पैदल चढाई शà¥à¤°à¥‚ होती है
यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ छह किलोमीटर लेकिन पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ पांच किलोमीटर ही है।
जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ में जहां चाय पी थी, उनका बचà¥à¤šà¤¾
जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ से मैने दोपहर दो बजे के करीब चढाई शà¥à¤°à¥‚ कर दी। तारीख थी बीस अपà¥à¤°à¥ˆà¤² दो हजार दस। मैं थोडी देर पहले ही आठकिलोमीटर पैदल चलकर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ से आया था। थक à¤à¥€ गया था। फिर समà¥à¤¦à¥à¤° तल से लगà¤à¤— 2500 मीटर की ऊंचाई पर हवा की कमी à¤à¥€ महसूस होने लगती है। हलà¥à¤•े-हलà¥à¤•े चकà¥à¤•र à¤à¥€ आ रहे थे। यहां से मेरे साथ à¤à¤• परिवार और à¤à¥€ चल रहा था। वे लोग à¤à¤°à¤¤à¤ªà¥à¤° से आये थे। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में कà¥à¤®à¥à¤ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने आये थे। समय बच गया तो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से कहा कि कहीं à¤à¥€ घà¥à¤®à¤¾ लाओ। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ ले आया। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° समेत पांच जने थे। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° तो तेज-तेज चल रहा था लेकिन वे चारों बेहद धीरे-धीरे। दो-चार कदम चलते और सिर पकडकर बैठजाते। उनका इरादा था कि यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ घूम-घामकर आज ही वापस आयेंगे और कल गंगोतà¥à¤°à¥€ जायेंगे। उधर मेरा इरादा था कि आज रात को ऊपर यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ में ही रà¥à¤•ना है। इसलिये मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ तेज चलने में कोई दिलचसà¥à¤ªà¥€ नहीं थी।
à¤à¤•-डेढ किलोमीटर चले होंगे तà¤à¥€ बूंदाबांदी होने लगी। à¤à¤¸à¥€ ठणà¥à¤¡à¥€ जगह पर à¤à¥€à¤—ने में नà¥à¤•सान ही नà¥à¤•सान होता है, खासतौर से सिर à¤à¥€à¤—ने पर। बचने की कोई जगह तो थी नहीं, फिर कहीं छोटी-मोटी गà¥à¤«à¤¾ में बैठते तो कà¥à¤¯à¤¾ पता कि कितनी देर तक बारिश होती रहे, फिर à¤à¤°à¤¤à¤ªà¥à¤° वालों को आज ही वापस जाना था; इसलिये बूंदाबांदी के बीच चलते रहे। हां, मैने सिर पर à¤à¤• पनà¥à¤¨à¥€ रख ली ताकि सिर बचा रहे। अगर बà¥à¤–ार-वà¥à¤–ार चढ गया तो दवाई-पटà¥à¤Ÿà¥€ तो दूर, कोई हाल-चाल पूछने वाला à¤à¥€ नहीं मिलेगा। यहां पिछले कई दिनों से मौसम खराब चल रहा था, इसलिये यमà¥à¤¨à¤¾ में à¤à¥€ पानी बढ गया था और जगह-जगह à¤à¤°à¤¨à¥‡ à¤à¥€ पूरे जोश में थे।
तà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा कि à¤à¤¾à¤ˆ साहब, चलो हम तेज-तेज चलते हैं। ये लोग धीरे-धीरे आ जायेंगे। तब तक हम ऊपर बैठकर आराम करेंगे और इनकी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर लेंगे। बस, हम चल पडे। चलते-चलते वो बोला कि यह घाटी इतनी दà¥à¤°à¥à¤—म है कि यहां पैदल चलने में à¤à¥€ डर लग रहा है, फिर कौन यहां पहली बार आया होगा। किसने यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की खोज की होगी? फिर आकर वापस à¤à¥€ गया होगा, तà¤à¥€ तो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को पता चला होगा कि कहीं यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¥€ है। मैने कहा कि हां, हो सकता है कि कोई डाकपतà¥à¤¥à¤° से यमà¥à¤¨à¤¾ के साथ-साथ आया हो, या बडकोट से à¤à¥€ आया हो, फिर इसी दà¥à¤°à¥à¤—म घाटी से होकर वहां तक गया हो जहां आज यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ है। हो सकता है कि उससे आगे जाना उसके बस की बात ना हो, उसने वहीं पर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बनवा दिया हो। और सबसे बडी मेहनत तो उसकी है जिसने इस पैदल मारà¥à¤— का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया है।
बातों-बातों में हम यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ पहà¥à¤‚च गये। यहां à¤à¤• छोटा लोहे का पà¥à¤² तो था, à¤à¤• उससे बडा पà¥à¤² बनाया जा रहा था। हम सीधे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कà¥à¤£à¥à¤¡ पर पहà¥à¤‚चे। मैं पहले à¤à¥€ बता चà¥à¤•ा हूं कि अà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ सीजन शà¥à¤°à¥‚ नहीं हà¥à¤† है, इसलिये यहां कोई परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• या शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ नहीं था। दिन à¤à¤° में à¤à¤•ाध आ गये, बहà¥à¤¤ हैं। आज à¤à¥€ यहां मजदूर काम पर लगे हà¥à¤ थे, रासà¥à¤¤à¥‡ में जगह जगह मरमà¥à¤®à¤¤ कर रहे थे, मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पास पà¥à¤² बन रहा है; और à¤à¥€ छोटे-मोटे काम चल रहे हैं। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने थोडी देर तक तो उनकी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ की, फिर सोचा कि हो सकता है वे वापस चले जायें। इसके बाद डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ चला गया। मैं अकेला रह गया। मà¥à¤à¥‡ आज रात को यही रà¥à¤•ना था। मेरा इरादा कल सपà¥à¤¤à¤‹à¤·à¤¿ कà¥à¤£à¥à¤¡ जाने का था। सपà¥à¤¤à¤‹à¤·à¤¿ कà¥à¤£à¥à¤¡ से ही यमà¥à¤¨à¤¾ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ मानी गयी है। यह यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ से कà¥à¤› ऊपर है और वहां जाने का मारà¥à¤— बेहद दà¥à¤°à¥à¤—म है।
यहां मà¥à¤–à¥à¤¯ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के बराबर में ही à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾ है। इस गà¥à¤«à¤¾ में सालों से à¤à¤• महाराज जी रहते हैं। वे कà¤à¥€ नीचे नहीं जाते, सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में कपाट बनà¥à¤¦ होने के बाद à¤à¥€à¥¤ अकेले ही रहते हैं। कहा जाता है कि नीचे जाना तो दूर, उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कà¤à¥€ सामने बहती यमà¥à¤¨à¤¾ को à¤à¥€ पार नहीं किया है। कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने उस गà¥à¤«à¤¾ के सामने मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¥€ बनवा दिया है। महाराज उसी में रहते हैं, खà¥à¤¦ बनाते हैं, खाते हैं। बाद में अगले दिन मैने उनकी फोटो लेनी चाही तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ मना कर दिया। तो मैने उनका फोटो लिया ही नहीं। आज जब कोई नहीं दिखा तो मैं उनके पास ही पहà¥à¤‚चा –“बाबा, आज रà¥à¤•ने के लिये कोई कमरा मिल जायेगा कà¥à¤¯à¤¾ यहां?†बोले कि मिल जायेगा, अà¤à¥€ थोडी देर सामने खडे होकर कà¥à¤¦à¤°à¤¤ का मजा लो।
सामने यानी महिला सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कà¥à¤£à¥à¤¡ की छत पर मैं खडा हो गया। शोर करती यमà¥à¤¨à¤¾ को देखने लगा। मेरे पास में ही à¤à¤• मजदूर सरिये का काम कर रहा था। पीछे से à¤à¤• और मजदूर टाइप का बनà¥à¤¦à¤¾ आता दिखाई दिया। मैने उससे अपनी समसà¥à¤¯à¤¾ बताई। हलà¥à¤•ी फà¥à¤²à¥à¤•ी पूछताछ करके उसने कहा कि मैं यहां का सरकारी चौकीदार हूं। सारा काम मेरी ही देखरेख में हो रहा है। अà¤à¥€ चूंकि सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, होटल वगैरा बनà¥à¤¦ पडे हैं, इसलिये आपको रात रà¥à¤•ने में वो मजा नहीं आयेगा जो आना चाहिये था। à¤à¤¸à¤¾ करो कि आप हमारे पास ही रà¥à¤• जाओ, खाना à¤à¥€ मैं ही बना दूंगा। मà¥à¤à¥‡ और चाहिये ही कà¥à¤¯à¤¾ था। तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ हां।
जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बना हà¥à¤† है, उसी के ठीक नीचे चौकीदार के दो कमरे हैं। à¤à¤• में à¤à¤• तखत और चूलà¥à¤¹à¤¾ है, दूसरे में दो तखत और अनà¥à¤¯ सामान रखे हà¥à¤ हैं। चौकीदार के साथ उसका पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ साल का लडका à¤à¥€ रहता है। उनके साथ वही सरिये वाला मजदूर à¤à¥€ रहता है जोकि मूलरूप से नेपाली है। वे तीनों इकटà¥à¤ े हो गये। दोनों कमरों में घà¥à¤ªà¥à¤ª अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था। थोडी देर बाद जब आंखें अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में देखने की अà¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚ तो कà¥à¤› दिखने लगा। उस समय ना तो मैने किराये की कोई बात की ना ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚। नेपाली à¤à¤¾à¤¡à¥‚ लगाने लगा, लडका तखत पर बिछे गदà¥à¤¦à¥‡ à¤à¤¾à¤¡à¤¨à¥‡ लगा। लडके ने बताया कि à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ पता है, आज आपकी वजह से यहां à¤à¤¾à¤¡à¥‚ लगी है। इससे पहले यहां à¤à¤¾à¤¡à¥‚ लगी थी पिछले साल जब कपाट बनà¥à¤¦ हà¥à¤ थे, उससे à¤à¥€ पहले।
और जैसे ही लडके ने à¤à¤• गदà¥à¤¦à¤¾ उठाया, उसमें से दस-बारह काकरोच à¤à¤¡ पडे – सà¤à¥€ à¤à¤•-à¤à¤• उंगली जितने लमà¥à¤¬à¥‡à¥¤ चूंकि वहां नमी, सीलन और अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था, साफ-सफाई à¤à¥€ नहीं होती थी, इसलिये काकरोच तो होने ही थे। मैने पूछा कि à¤à¤ˆ, यहां तो काकरोच हैं, खटमल तो नहीं हैं। बोले कि खटमल? ये कà¥à¤¯à¤¾ होता है? मैने बताया कि रात को सोते समय छोटे-छोटे चींटी जैसे काले-काले कीट, जो शरीर में काटते रहते हैं, वे हैं या नहीं। बोले कि नहीं, केवल काकरोच ही हैं, और कà¥à¤› नहीं हैं। खटमल से मà¥à¤à¥‡ दिकà¥à¤•त होती है, काकरोच चलेंगे। अगर खटमल होते तो मैं उसी समय वापस चला आता।
थोडा ऊपर से जानकीचटà¥à¤Ÿà¥€ का नजारा
सीधे खडे पहाड, नीचे बहती यमà¥à¤¨à¤¾ और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾
बारिश हà¥à¤ˆ तो सिर पर पनà¥à¤¨à¥€ रख ली।
इस तरह के कई à¤à¤°à¤¨à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ में पडते हैं।
परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर जमी बरà¥à¤«
यहां तीन कà¥à¤£à¥à¤¡ हैं गरà¥à¤® जल के। सूरà¥à¤¯ कà¥à¤£à¥à¤¡, दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ कà¥à¤£à¥à¤¡ और विषà¥à¤£à¥ कà¥à¤£à¥à¤¡à¥¤ इनमें सूरà¥à¤¯ कà¥à¤£à¥à¤¡ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है।
यह है चौकीदार का लडका यशपाल रावत। यमà¥à¤¨à¤¾ के उस तरफ पडे तखà¥à¤¤à¥‡ को ला रहा है। तखà¥à¤¤à¥‡ से नदी को पार किया जाता है।
पà¥à¤°à¥à¤· सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कà¥à¤£à¥à¤¡à¥¤ इसके पास में ही महिला सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कà¥à¤£à¥à¤¡ à¤à¥€ है। दोनों कà¥à¤£à¥à¤¡à¥‹à¤‚ का पानी गरà¥à¤® रहता है। मैं पहले दिन तो महिला कà¥à¤£à¥à¤¡ में नहाया था, अगले दिन पà¥à¤°à¥à¤· कà¥à¤£à¥à¤¡ में। पà¥à¤°à¥à¤· कà¥à¤£à¥à¤¡ का पानी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गरà¥à¤® है, इसलिये शरीर को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चà¥à¤à¤¤à¤¾ है।