साथियों,
इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आपने पà¥à¤¾ की वाराणसी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंदिर तथा रामनगर फोरà¥à¤Ÿ घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के बाद हम लोग होटल के अपने कमरे में आ गठतथा कà¥à¤› देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® के बाद गंगा के घाटों के दरà¥à¤¶à¤¨ का आनंद उठाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से अब हम नाव में सवार हो गठथे और सारे घाट घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के बाद दशाशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§ घाट पर आकर जम कर बैठगà¤, गंगा आरती का आनंद लेने के लिà¤à¥¤ गंगा आरती में शामिल होकर à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे हमारा जीवन सफल हो गया। अब आगे ………………………
बनारस की दो पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ चीजें हैं जिनके बारे में हम सब बचपन से सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ चले आ रहे हैं, उनमें से à¤à¤• है बनारस की साड़ी और दूसरा है बनारस का पान। साड़ी की बात मैं बाद में करूंगा पहले बात करते हैं पान की, तो साहब आपने अमिताठजी का वो गाना तो सà¥à¤¨à¤¾ ही होगा खाई के पान बनारस वाला ……………..मैंने à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सूना था। और यह गाना ही कà¥à¤¯à¤¾ वैसे à¤à¥€ कई बार और कई मौकों पर बनारसी पान का जिकà¥à¤° सà¥à¤¨à¤¾ था, तो जब बनारस जाने का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ हà¥à¤† तो यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर के गठथे की चाहे कà¥à¤› à¤à¥€ हो बनारस का पान तो खाकर ही आयेंगे। सास ससà¥à¤° जी की à¤à¥€ बहà¥à¤¤ इचà¥à¤›à¤¾ थी की बनारस का पान जरà¥à¤° खायेंगे। और ये इचà¥à¤›à¤¾ वैसे à¤à¥€ कोई बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल नहीं थी अतः गंगा आरती में शामिल होने के बाद खाना खाया और खाने के बाद सà¤à¥€ ने नà¥à¤•à¥à¤•ड़ की à¤à¤• पान दूकान से à¤à¤• à¤à¤• पान खाया। वैसे सच कहूठतो मà¥à¤à¥‡ तो बनारस के पान में कà¥à¤› ख़ास बात नहीं लगी, यह à¤à¤•दम सामानà¥à¤¯ पान था जो की हर जगह मिल जाता है और सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में à¤à¥€ कà¥à¤› ख़ास बात नहीं थी ……………खैर, यह बनारस में हमारी आखिरी रात थी और अगला दिन आखिरी दिन। अगले दिन यानी 26 अकà¥à¤¤à¥‚बर को दोपहर में चार बजे वाराणसी से इंदौर के लिठहमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थी।
मेरे पà¥à¤²à¤¾à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¥˜ इस आखिरी दिन हमें सà¥à¤¬à¤¹ से सारनाथ जाना था जहाठसे दोपहर दो बजे तक वापस वाराणसी लौट कर रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤‚चना था। चूà¤à¤•ि कविता को सारनाथ के बारे में कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जानकारी नहीं थी अतः उसका तथा ममà¥à¤®à¥€ पापा का à¤à¥€ सारनाथ जाने के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मन नहीं था और वे लोग सोच रहे थे के कल होटल में ही दोपहर तक आराम करेंगे और फिर रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के लिठनिकल जायेंगे। लेकिन चूà¤à¤•ि मà¥à¤à¥‡ सारनाथ जाना ही था अतः मैंने सारनाथ के बारे में उन लोगों को कà¥à¤› जानकारी दी तो वे लोग à¤à¥€ राजी ख़à¥à¤¶à¥€ सारनाथ जाने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤
अगले दिन हमें सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही सारनाथ के लिठनिकलना था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जलà¥à¤¦à¥€ लौटना à¤à¥€ था अतः मैंने सोचा की रात में ही किसी ऑटो वाले को ठहरा लेना चाहिà¤, अतः मैं निकल पड़ा ऑटो की खोज में। कà¥à¤› देर बाज़ार में चहलकदमी करते हà¥à¤ मैंने à¤à¤• ऑटो वाले से साà¥à¥‡ चार सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में सारनाथ घà¥à¤®à¤¾à¤•र होटल तक लाने तथा वहां से रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तक छोड़ने के लिठराजी कर लिया। कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं, अचà¥à¤›à¥€ डील रही ना ??
सो अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे ही ऑटो वाला होटल पहà¥à¤à¤š गया, और हम सब à¤à¥€ तैयार होकर उसी का इंतज़ार कर रहे थे अतः बिना देर किये हम ऑटो में सवार हो गठऔर ऑटो चल पड़ा सारनाथ की ओर। सारनाथ वाराणसी से इतना करीब है की इसे वाराणसी से अलग कहना मà¥à¤à¥‡ उचित नहीं लगता है। कब हम वाराणसी से सारनाथ पहà¥à¤à¤š गà¤, सच कहूठतो मà¥à¤à¥‡ तो पता ही नहीं चला बिलकà¥à¤² उसी तरह जिस तरह हम मथà¥à¤°à¤¾ से वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ पहà¥à¤à¤š जाते हैं। कà¥à¤› आधे घंटे में हम सारनाथ पहà¥à¤à¤š गठथे, और जैसे ही हमारा ऑटो सारनाथ पहà¥à¤‚चा हमेशा की तरह à¤à¤• गाइड महोदय न जाने कहाठसे हमारे सामने पà¥à¤°à¤•ट हो गठऔर कहने लगे की आपको à¤à¤¸à¤¾ घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚गे की मज़ा आ जायेगा, मैंने कहा कितने पैसे वे बोले बस पचास रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दे देना, सो हमने à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ना नहीं कहा।
सà¥à¤¬à¤¹ का समय था और नाशà¥à¤¤à¥‡ की इचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤² हो रही थी अतः हमने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की सबसे पहले नाशà¥à¤¤à¤¾ किया जाठफिर आगे दरà¥à¤¶à¤¨ किये जायेंगे अतः ऑटो सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड के करीब ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² पर हम सब नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिठजमा हो गà¤à¥¤ गरमा गरम मसाला डोसा, इडली आदि उदरसà¥à¤¥ करने के बाद पास ही खड़े गाइड महोदय के साथ हो लिà¤à¥¤
आगे बà¥à¤¨à¥‡ से पहले आइये परिचय कर लें सारनाथ से – काशी अथवा वाराणसी से लगà¤à¤— 10 किलोमीटर दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सारनाथ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ बौदà¥à¤§ तीरà¥à¤¥ है। पहले यहाठघना वन था और मृग-विहार किया करते थे। उस समय इसका नाम ‘ऋषिपतà¥à¤¤à¤¨ मृगदाय’ था। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के बाद गौतम बà¥à¤¦à¥à¤§ ने अपना पà¥à¤°à¤¥à¤® उपदेश यहीं पर दिया था।
समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक के समय में यहाठबहà¥à¤¤ से निरà¥à¤®à¤¾à¤£-कारà¥à¤¯ हà¥à¤à¥¤ सिंहों की मूरà¥à¤¤à¤¿ वाला à¤à¤¾à¤°à¤¤ का राजचिहà¥à¤¨ सारनाथ के अशोक के सà¥à¤¤à¤‚ठके शीरà¥à¤· से ही लिया गया है। यहाठका ‘धमेक सà¥à¤¤à¥‚प’ सारनाथ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ का आज à¤à¥€ बोध कराता है। विदेशी आकà¥à¤°à¤®à¤£à¥‹à¤‚ और परसà¥à¤ªà¤° की धारà¥à¤®à¤¿à¤• खींचातानी के कारण आगे चलकर सारनाथ का महतà¥à¤¤à¥à¤µ कम हो गया था। मृगदाय में सारंगनाथ महादेव की मूरà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम सारनाथ पड़ गया।
सबसे पहले हम पहà¥à¤‚चे धमेख सà¥à¤¤à¥‚प पर लेकिन उस दिन किसी विशेष कारण से धमेख सà¥à¤¤à¥‚प का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° बंद था और हमें इसे बाहर से ही देख पाà¤à¥¤ यह सारनाथ की सबसे आकरà¥à¤·à¤• संरचना है। सिलेनà¥à¤¡à¤° के आकार के इस सà¥à¤¤à¥‚प का आधार वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ 28 मीटर है जबकि इसकी ऊंचाई 43.6 मीटर है। धमेक सà¥à¤¤à¥‚प को बनवाने में ईट और रोड़ी और पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया गया है। सà¥à¤¤à¥‚प के निचले तल में शानदार फूलों की नकà¥à¤•ासी की गई है।
धमेक सà¥à¤¤à¥‚प के बाद हम पहà¥à¤‚चे मà¥à¤²à¤—ंध कà¥à¤Ÿà¥€ विहार मंदिर। यह मंदिर बहà¥à¤¤ विशाल तथा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर है, यह आधà¥à¤¨à¤¿à¤• मंदिर महाबोधि सोसाइटी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया है। मंदिर में बने शानदार à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जापान के सबसे लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ चितà¥à¤°à¤•ार कोसेतà¥à¤¸à¥‚ नोसू ने बनाया था। मंदिर में समृदà¥à¤§ बौदà¥à¤§ साहितà¥à¤¯ को à¤à¥€ सहेजकर रखा गया है। यहां का मूलागंध कà¥à¤Ÿà¥€ मंदिर सारनाथ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ अवशेषों में à¤à¤• है। मूलागंध कà¥à¤Ÿà¥€ विहार में ही महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ ने अपना पà¥à¤°à¤¥à¤® बरसाती मौसम बिताया था। à¤à¤• बड़ी अचà¥à¤›à¥€ बात इस मंदिर में हमें लगी और वो ये थी की यहाठमंदिर के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¥€ फोटो लेने पर कोई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं था, और मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• सà¥à¤šà¤¨à¤¾ पटà¥à¤Ÿ पर लिखा था की कैमरे के उपयोग पर कोई शà¥à¤²à¥à¤• नहीं है आप सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से कोई à¤à¥€ राशि दान पातà¥à¤° में डाल सकते हैं।
मूलगंध कà¥à¤Ÿà¥€ विहार मंदिर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
मंदिर परिसर में à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा घंटा लगा हà¥à¤† है जो यहाठपर सबके लिठआकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° होता है। मà¥à¤²à¤—ंध कà¥à¤Ÿà¥€ विहार मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हम करीब ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पवितà¥à¤° बोधिवृकà¥à¤· की ओर चल पड़े। यह वाही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहाठपर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ ने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के बाद अपना पहला उपदेश अपने पांच शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दिया था। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है की समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ संघमितà¥à¤°à¤¾ ने बोधगया सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पवितà¥à¤° बोधि वृकà¥à¤· की à¤à¤• शाखा शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का के अनà¥à¤°à¤§à¤ªà¥‚रा में लगाईं थी, उसी पेड़ की à¤à¤• शाखा को यहाठसारनाथ में लगाया गया है। गौतम बà¥à¤¦à¥à¤§ तथा उनके शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ मà¥à¤¯à¤¾à¤‚मार के बौदà¥à¤§ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की सहायता से यहाठलगाईं गई हैं। इसी परिसर में à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ के अटà¥à¤ ाईस रूपों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं।
बोधि वृकà¥à¤· के निचे बà¥à¤¦à¥à¤§ तथा उनके पांच शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना पहला पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ दिया था
कà¥à¤² मिला कर यह जगह बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° à¤à¤µà¤‚ रोचक है। यहाठपर कà¥à¤› देर रूककर तथा दरà¥à¤¶à¤¨ करके अब हम आगे बढे जापानी मंदिर की ओर। यह मंदिर यहाठजापानी सरकार के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया है à¤à¤µà¤‚ पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ जापानी शैली में बनाया गया है। यहाठमंदिर के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की लेती अवसà¥à¤¥à¤¾ में बड़ी ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, यह मंदिर à¤à¥€ बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° था, और मजे की बात यह थी की सारनाथ में किसी à¤à¥€ मंदिर में फोटो खींचने पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं था।
इसके बाद हम सब पहà¥à¤‚चे करीब ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ चीनी मंदिर में, जापानी मंदिर की तरह चीनी मंदिर à¤à¥€ चीन की सरकार के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया है, इस मंदिर में चारों दीवारों पर बाहर की ओर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की चार बड़ी बड़ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ लगाईं गई हैं। यहाठकà¥à¤› देर रà¥à¤•ने तथा फोटो शोटो खींचने खिंचाने के बाद अब हमें गाइड अगले पड़ाव की और ले जा रहा था।
मैंने शà¥à¤°à¥‚ में आपसे बनारस की दो पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ चीजों का ज़िकà¥à¤° किया था, तो पान के बारे में तो बता चूका हूठअब बात करते हैं साड़ी की, तो हà¥à¤† यूठकी मेरा मन था की हम बनारस से कविता के लिठबनारसी साड़ी खरीदें, लेकिन चूà¤à¤•ि कविता साड़ी बहà¥à¤¤ कम पहनती हैं अतः उनका साड़ी लेने का बिलकà¥à¤² मन नहीं था।
आपलोगों को बात अजीब लग रही होगी की पति साडी दिलाना चाह रहा है और पतà¥à¤¨à¥€ मना कर रही है , लेकिन हमारे यहाठà¤à¤¸à¤¾ ही होता है …………………..गाइड महोदय ने हमें अगले मंदिर ले जाने का बोलकर à¤à¤• साड़ी की सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° के सामने खडा कर दिया और कहा की साहब यहाठपर आपको बनारसी साड़ी बनारस की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में लगà¤à¤— आधी कीमत में मिलेगी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह कोई वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दूकान नहीं है बलà¥à¤•ि यहाठसारनाथ में महिलाओं की à¤à¤• सहकारी संसà¥à¤¥à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ साड़ियों का à¤à¤• शो रूम है, उसने आगे जोड़ा …..आपकी मरà¥à¤œà¥€ हो तो लेना नहीं तो कोई जोर जबरदसà¥à¤¤à¥€ नहीं है, देखने के कोई पैसे थोड़े ही लगते हैं। उसके इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का महिलाओं के मन मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• पर सकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पडा और मेरी जेब पर नकारातà¥à¤®à¤•………..अब आप समठही गठहोंगे। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी के लिठà¤à¤• बनारसी साड़ी पैक करवा कर जब हम बाहर निकले तो मैंने à¤à¤• चीज़ गौर की, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी के चेहरे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤¸à¥à¤•ान मà¥à¤à¥‡ गाइड महोदय के चेहरे पर दिखाई दे रही थी।
गाइड महोदय ने बड़ी ख़à¥à¤¶à¥€ से à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया की बस हो गया सारनाथ दरà¥à¤¶à¤¨, अब बचते हैं चौखंडी सà¥à¤¤à¥‚प और à¤à¤—वान की विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ वाला मंदिर जो की रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ते हैं, जो आपको ऑटो वाला दिखा देगा ………..और à¤à¤• विजयी मà¥à¤¸à¥à¤•ान के साथ अपना पारिशà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• लेकर चलता बना।
यहाठà¤à¥€ गाइड ने हमें मà¥à¤°à¥à¤– बनाया था, जिसका खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ घर आने के बाद हà¥à¤†à¥¤ आने के बाद मैंने नेट पर सारनाथ के बारे में à¤à¤• बार फिर देखा तो मà¥à¤à¥‡ पता चला की सारनाथ में à¤à¤• बड़ा ही ख़ूबसूरत तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ मंदिर à¤à¥€ है जिसके बारे में गाइड ने हमें बताया ही नहीं। सो, सारनाथ की इस टà¥à¤°à¤¿à¤ª में हमने दो महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जगहें मिस कर दीं à¤à¤• तो यह तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ मंदिर और दà¥à¤¸à¤°à¤¾ सारनाथ मà¥à¤¯à¥‚जियम। सारनाथ मà¥à¤¯à¥‚जियम उस दिन शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° की वजह से बंद था।
खैर, अब हम ऑटो में आ कर बैठगठऔर ऑटो वाले से चौखंडी सà¥à¤¤à¥‚प और à¤à¤• अनà¥à¤¯ मंदिर (मà¥à¤à¥‡ अà¤à¥€ नाम नहीं याद आ रहा है) ले जाने के लिठकहा। यह वही मंदिर है जिसके परिसर में कà¥à¤› समय पहले ही à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की à¤à¤• विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ है, जिसका जिकà¥à¤° जाट देवता ने à¤à¥€ अपनी पोसà¥à¤Ÿ में किया था लेकिन वे इसके दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं कर पाठथे। दरअसल जब जाट देवता सारनाथ गठथे तब इस मूरà¥à¤¤à¤¿ का अनावरण नहीं हà¥à¤† था और यह शायद तैयार तो हो चà¥à¤•ी थी लेकिन ढंकी हà¥à¤ˆ थी, लेकिन हमें तो इस विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
कà¥à¤› देर इस मंदिर में बिताने तथा इस विशिषà¥à¤Ÿ मूरà¥à¤¤à¤¿ को निहारने के बाद अब हम बढे चौखंडी सà¥à¤¤à¥‚प की ओर, सारनाथ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने पर सबसे पहले चौखंडी सà¥à¤¤à¥‚प ही दिखाई देता है। इस सà¥à¤¤à¥‚प में ईंट और रोड़ी का बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में उपयोग किया गया है। यह विशाल सà¥à¤¤à¥‚प चारों ओर से अषà¥à¤Ÿà¤à¥à¤œà¥€à¤¯ मीनारों से घिरा हà¥à¤† है। कहा जाता है यह सà¥à¤¤à¥‚प मूल रूप से समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया था।
तो इस तरह से हमारा सारनाथ का यह सफ़र à¤à¥€ कà¥à¤² मिला कर बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ रहा, जो लोग पहले सारनाथ जाने के इचà¥à¤›à¥à¤• नहीं थे अब वे यहाठआकर अपने आपको धनà¥à¤¯ समठरहे थे। सारनाथ सचमà¥à¤š à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह है, यहाठहर जगह बस बà¥à¤¦à¥à¤§ ही बà¥à¤¦à¥à¤§ दिखाई देते हैं। मंदिरों में बà¥à¤¦à¥à¤§, दà¥à¤•ानों में बà¥à¤¦à¥à¤§, सड़क किनारे बà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚. यह जगह मà¥à¤à¥‡ किसी गाà¤à¤µ की तरह नहीं दिखाई दी, न ही किसी शहर की तरह …….à¤à¤¸à¤¾ लगता है की यह जगह सिरà¥à¤« बà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठबसाई गई है ………..सिरà¥à¤« बà¥à¤¦à¥à¤§ के लिà¤à¥¤
इस पावन जगह के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हम हमारा ऑटो हमें लेकर चल दिया हमारे होटल की ओर। चूà¤à¤•ि हम अपना सामान पहले से ही पैक करके रखकर आये थे अतः कà¥à¤› ही मिनटों में चेक आउट किया और पà¥à¤¨à¤ƒ ऑटो में सवार हो गठरेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के लिà¤à¥¤ और वाराणसी रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर कà¥à¤› देर के इंतज़ार के बाद पटना इंदौर à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ हमें लेकर चल दी अपने घर की ओर …………….बाय बाय वाराणसी, बाय बाय उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ ……अब हम तो चले अपने देश।
इस अंतिम पोसà¥à¤Ÿ के साथ यह शà¥à¤°à¤‚खला यहीं समापà¥à¤¤ करने की इजाज़त चाहता हूà¤, इस वादे के साथ की जलà¥à¤¦ ही मिलेंगे फिर किसी नई जगह पर ………….तब तक के लिठ……..हैपà¥à¤ªà¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी।