साथियों,
देश की सà¤à¥€ नदियों की अपेकà¥à¤·à¤¾ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ विपरित दिशा में बहती है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ à¤à¤• पहाड़ी नदी होने के कारण कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर इसकी धारा बहà¥à¤¤ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से गिरती है. अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर यह पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ और बड़ी-बड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच से सिंहनाद करती हà¥à¤ˆ गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ हैं.
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नदियों में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का अपना महतà¥à¤µ है. न जाने कितनी à¤à¥‚मि को इसने हरा-à¤à¤°à¤¾ बनाया है, कितने ही तीरà¥à¤¥ आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास के गवाह है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के जल का राजा है मगरमचà¥à¤› जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर उसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ 25 करोड़ साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ मगरमचà¥à¤› पर सवार होकर ही यातà¥à¤°à¤¾ करती हैं, तो आओ चलते हैं हम à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ पर.
धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ:
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾, समूचे विशà¥à¤µ मे दिवà¥à¤¯ व रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ नदी है, इसकी महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ चारों वेदों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ में शà¥à¤°à¥€Â विषà¥à¤£à¥Â के अवतार वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने सà¥à¤•नà¥à¤¦Â पà¥à¤°à¤¾à¤£Â के रेवाखंड़ में किया है. इस नदी का पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ ही, विषà¥à¤£à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अवतारों में किठराकà¥à¤·à¤¸-वध के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ के लिठही पà¥à¤°à¤à¥ शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अमरकणà¥à¤Ÿà¤•  के मैकल परà¥à¤µà¤¤ पर कृपा सागर à¤à¤—वान शंकर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ १२ वरà¥à¤· की दिवà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में किया गया. महारूपवती होने के कारण विषà¥à¤£à¥ आदि देवताओं ने इस कनà¥à¤¯à¤¾ का नामकरण नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ किया. इस दिवà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ ने उतà¥à¤¤à¤° वाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचकà¥à¤°à¥‹à¤¶à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में १०,००० दिवà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक तपसà¥à¤¯à¤¾ करके पà¥à¤°à¤à¥ शिव से निमà¥à¤¨ à¤à¤¸à¥‡ वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये जो कि अनà¥à¤¯ किसी नदी और तीरà¥à¤¥ के पास नहीं है –
पà¥à¤°à¤²à¤¯ में à¤à¥€ मेरा नाश न हो. मैं विशà¥à¤µ में à¤à¤•मातà¥à¤° पाप-नाशिनी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होऊं. मेरा हर पाषाण (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) शिवलिंग के रूप में बिना पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा के पूजित हो. विशà¥à¤µ में हर शिव-मंदिर में इसी दिवà¥à¤¯ नदी के नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग विराजमान है. कई लोग जो इस रहसà¥à¤¯ को नहीं जानते वे दूसरे पाषाण से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं à¤à¤¸à¥‡ शिवलिंग à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किये जा सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा अनिवारà¥à¤¯ है. जबकि शà¥à¤°à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग बिना पà¥à¤°à¤¾à¤£ के पूजित है.
अकाल पड़ने पर ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तपसà¥à¤¯à¤¾ की. उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर दिवà¥à¤¯ नदी नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ १२ वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में पà¥à¤°à¤•ट हो गई तब ऋषियों ने नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की. तब नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ ऋषियों से बोली कि मेरे (नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के) तट पर देहधारी सदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ से दीकà¥à¤·à¤¾ लेकर तपसà¥à¤¯à¤¾ करने पर ही पà¥à¤°à¤à¥ शिव की पूरà¥à¤£ कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है.
गà¥à¤°à¤‚थों में उलà¥à¤²à¥‡à¤–:
रामायण तथा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ और परवरà¥à¤¤à¥€ गà¥à¤°à¤‚थों में इस नदी के विषय में अनेक उलà¥à¤²à¥‡à¤– हैं. पौराणिक अनà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की à¤à¤• नहर किसी सोमवंशी राजा ने निकाली थी जिससे उसका नाम सोमोदà¥à¤à¤µà¤¾ à¤à¥€ पड़ गया था. गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ालीन अमरकोश में à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ को ‘सोमोदà¥à¤à¤µà¤¾’ कहा है. कालिदास ने à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ को सोमपà¥à¤°à¤à¤µà¤¾ कहा है. रघà¥à¤µà¤‚श में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है. मेघदूत में रेवा या नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वरà¥à¤£à¤¨ है.
गंगा हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तथा सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤£à¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ कही गई है, किनà¥à¤¤à¥ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ चाहे गाà¤à¤µ के बगल से बह रही हो या जंगल के बीच से, वे सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤£à¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ हैं.
सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का जल तीन दिनों में, यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ का à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में तथा गंगाजी का जल सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करते ही पवितà¥à¤° कर देता है, किनà¥à¤¤à¥ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का जल केवल दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° से पावन कर देता है.
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤‚तर के पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं और अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§ यजà¥à¤ž का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है. पà¥à¤°à¤¾à¤¤:काल उठकर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का कीरà¥à¤¤à¤¨ करता है, उसका सात जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का किया हà¥à¤† पाप उसी कà¥à¤·à¤£ नषà¥à¤Ÿ हो जाता है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के जल से तरà¥à¤ªà¤£ करने पर पितरोंको तृपà¥à¤¤à¤¿ और सदà¥à¤—ति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने, गोता लगाने, उसका जल पीने तथा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का सà¥à¤®à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ कीरà¥à¤¤à¤¨ करने से अनेक जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के घोर पाप ततà¥à¤•ाल नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ समसà¥à¤¤ सरिताओं में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है. वे समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जगतॠको तारने के लिये ही धरा पर अवतीरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ हैं. इनकी कृपा से à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤·, दोनो सà¥à¤²à¤ हो जाते हैं.
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°)का महतà¥à¤¤à¥à¤µÂ :
धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) की बडी महिमा बतायी गई है. नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°(लिंग) को सà¥à¤µà¤¯à¤‚सिदà¥à¤§ शिवलिंग माना गया है. इनकी पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा नहीं होती. आवाहन किठबिना इनका पूजन सीधे किया जा सकता है. कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤‚क में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°-लिंग को नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° लिङà¥à¤— बताया गया है. मेरà¥à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤•े चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶ पटल में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लिखा है कि नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤•े ऊपर चढे हà¥à¤ सामान को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया जा सकता है. शिव-निरà¥à¤®à¤¾à¤²à¥à¤¯ के रूप उसका परितà¥à¤¯à¤¾à¤— नहीं किया जाता. बाणलिङà¥à¤—(नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) के ऊपर निवेदित नैवेदà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की तरह खाया जा सकता है. इस पà¥à¤°à¤•ार नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गृहसà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के लिठसरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ शिवलिंग है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का लिङà¥à¤— à¤à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, दोनों देता है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤…पने विशिषà¥à¤Ÿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण शिव-à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के परम आराधà¥à¤¯ हैं. à¤à¤—वती नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की उपासना यà¥à¤—ों से होती आ रही हैं.
नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शिवलिंग)
ये तो था à¤à¤• परिचय माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ से और आइये अब पà¥à¤¨à¤ƒ रà¥à¤– करते हैं हमारे यातà¥à¤°à¤¾Â वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की ओर –
चूà¤à¤•ि नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पानी बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था और बड़ी बड़ी लहरें चल रही थी, हमारी बोट बड़े जोर जोर से लहरों के साथ हिचकोले खा रही थी. हमें डर à¤à¥€ लग रहा था की कहीं कोई अनहोनी न हो जाà¤, अà¤à¥€ इसी वरà¥à¤· अपà¥à¤°à¥‡à¤² में महेशà¥à¤µà¤° में इसी जगह à¤à¤• नौका पलट गई थी और उस हादसे में कà¥à¤› लोगों की जान चली गई थी अतः हमारा मन à¤à¤¨à¥à¤œà¥‰à¤¯ करने में नहीं लग रहा था और हम दोनों सहमे हà¥à¤ थे, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कोई डर नहीं था वे दोनों तो फà¥à¤² मसà¥à¤¤à¥€ कर रहे थे. नाव सीधी बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं चल रही थी और लगातार दोनों तरफ à¤à¥à¤•ती जा रही थी कà¤à¥€ दायें तो कà¤à¥€ बाà¤à¤‚, हमारी तो जान सà¥à¤– रही थी. नाव वाले ने हमारी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ समठली थी और अब वह हमें आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कर रहा था की आप लोग किसी तरह का टेंशन मत लीजिये आपलोगों को सही सलामत किनारे तक पहà¥à¤‚चाने की मेरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है. उसके इस आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ से हमारी जान में जान आई और अब हम à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ माठकी लहरों के साथ आनंद उठा तरहे थे.
नाव (मोटर बोट) की सवारी का आनंद उठाते बचà¥à¤šà¥‡
यहाठसबसे अचà¥à¤›à¥€ बात यह थी की नाव से यानी नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी के बीचोबीच से अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ महेशà¥à¤µà¤° फोरà¥à¤Ÿ (किला) के फोटो बड़े ही अचà¥à¤›à¥‡ आ रहे थे अतः हमने जी à¤à¤° के नाव से ही किले के बहà¥à¤¤ सारे फोटो खींचे. अब हम उस शिव मंदिर के करीब पहà¥à¤à¤š गठथे जो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.
यह मंदिर पहले à¤à¤• खà¤à¤¡à¤¹à¤° के रूप में था लेकिन सन 2006 में होलकर सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर की बेटी राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ सबरीना के विवाह के उपलकà¥à¤· में सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª इस मंदिर का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया.
वैसे यह मंदिर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है लेकिन थोड़े किनारे पर जहाठआम तौर पर उथला पानी होता है, और à¤à¤•à¥à¤¤ जन सीढियों से चढ़ कर मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं, लेकिन आज नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का जलसà¥à¤¤à¤° बहà¥à¤¤ अधिक होने के कारण यह मंदिर आधा जल में डूब गया था. जब हमारी नाव उस मंदिर के करीब पहà¥à¤‚ची तो हमने नाविक से निवेदन किया की थोड़ी देर के लिठमंदिर के पास नाव रोकना हमें दरà¥à¤¶à¤¨ करने हैं लेकिन नाविक ने बताया की मंदिर की सीढियां पूरी तरह से जलमगà¥à¤¨ हैं आपलोग मंदिर में जाओगे कैसे, और फिर कà¥à¤› ही देर में हमारी नाव मंदिर के à¤à¤•दम सामने थी और अब हमने अपनी आà¤à¤–ों से देख लिया की मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने संà¤à¤µ नहीं है और हमने नाव में से ही à¤à¤—वानॠके हाथ जोड़ लिठऔर हमारी नाव वापस अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट की और चल पड़ी.
नाव से दिखाई देता नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के बिच टापू पर बना शिव मंदिर
कà¥à¤› ही देर में हम लोग वापस अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर आ गà¤. सà¤à¥€ के चेहरों पर अपार पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ दिखाई दे रही थी, और थकान का कोई नामोनिशान नहीं था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम थके ही नहीं थे, बड़े ही आराम का सफ़र था यह. महेशà¥à¤µà¤° का यह घाट इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है की बस घंटों निहारते रहने का मन करता है. चारों और शिव जी के छोटे और बड़े मंदिर, हर जगह शिवलिंग ही शिवलिंग दिखाई देते हैं. सामने देखो तो मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ अपने पà¥à¤°à¥‡ वेग से पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होती दिखाई देती है, आस पास देखो तो शिव मंदिर दिखाई देते हैं और पीछे की और देखो तो महेशà¥à¤µà¤° का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथा ख़ूबसूरत किला होलकर राजवंश तथा रानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के शासनकाल की गौरवगाथा का बखान करता पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है.
यह घाट पूरी तरह से शिवमय दिखाई देता है. पà¥à¤°à¥‡ घाट पर पाषाण के अनगिनत शिवलिंग निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं. यह बताने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं है की महेशà¥à¤µà¤° की महारानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई से बढ़कर शिवà¤à¤•à¥à¤¤ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•काल में कोई नहीं हà¥à¤† है और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में शिव मंदिरों का तथा घाटों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तथा पà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° करवाया है, जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं वाराणसी का काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर, à¤à¤²à¥‹à¤°à¤¾ का घà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°Â जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग, सोमनाथ का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का वैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग मंदिर आदि. अब आप सोच सकते हैं अपनी राजधानी से इतनी दूर दूर तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मंदिरों तथा घाटों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया तो उनके अपने शहर, अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के घाट को जहाठवे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के किनारे पर शिव अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करती थीं उसे कैसा बनवाया होगा? सोचा जा सकता है, वैसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सोचने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं है, यहाठआइये और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ देखिये…. हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ का दिल (MP) आपको बà¥à¤²à¤¾ रहा है.
लमà¥à¤¬à¤¾ चौड़ा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तट à¤à¤µà¤‚ उस पर बने अनेको सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाट à¤à¤µà¤‚ पाषाण कला का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° चितà¥à¤° दिखने वाला किला इस शहर का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ आकरà¥à¤·à¤£ है. समय समय पर इस शहर की गोद में मनाये जाने वाले तीज तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°, उतà¥à¤¸à¤µ परà¥à¤µ इस शहर की रंगत में चार चाà¤à¤¦ लगा देते हैं जिनमें शिवरातà¥à¤°à¤¿ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, निमाड़ उतà¥à¤¸à¤µ, लोकपरà¥à¤µ गणगौर, नवरातà¥à¤°à¥€, गंगादाषà¥à¤®à¥€, नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जयंती, अहिलà¥à¤¯à¤¾ जयंती à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£Â माह के अंतिम सोमवार को à¤à¤—वानॠकाशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की शाही सवारी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं. यहाठके पेशवा घाट, फणसे घाट, और अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हैं जहाठतीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ शांति से बैठकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में डूब सकते हैं. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के बालà¥à¤ˆ किनारे पर बैठकर आप यहाठके ठेठगà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£Â जीवन के दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हैं. पीतल के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ में पानी ले जाती महिलायें, à¤à¤• किनारे से दà¥à¤¸à¤°à¥‡ किनारे सामान ले जाते पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ किलà¥à¤²à¥‹à¤² करता बचपन……….
पवितà¥à¤° नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाट पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥
इंदौर के बाद देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई ने महेशà¥à¤µà¤° को ही अपनी सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ राजधानी बना लिया था तथा बाकी का जीवन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठमहेशà¥à¤µà¤° में ही बिताया (अपनी मृतà¥à¤¯à¥ तक). मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का किनारा, किनारे पर सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाट, घाट पर कई सारे शिवालय, घाट पर बने अनगिनत शिवलिंग, घाट से ही लगा उनका सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° किला, किले के अनà¥à¤¦à¤° उनका निजी निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ यही सब देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ को सà¥à¤•ून देता था और उनका मन यहीं रमता था और शायद इसी लिठइंदौर छोड़ कर वे हमेशा की लिठयहीं महेशà¥à¤µà¤° में आकर रहने लगी à¤à¤µà¤‚ महेशà¥à¤µà¤° को ही अपनी आधिकारिक राजधानी बना लिया. यहाठके लोग आज à¤à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई को “मां साहेब” कह कर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते हैं. महेशà¥à¤µà¤° के घाटों में, बाजारों में, मंदिरों में, गलियों में, यहाठकी वादियों में यहाठकी फिजाओं में सब दूर, हर तरफ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बयारें चलती हैं. आज à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° की वादियों में देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई अमर है और अमर रहेंगी.
मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ सदियों से à¤à¤• मूकदरà¥à¤¶à¤• की तरह अपने इसी घाट से देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, उनकी शकà¥à¤¤à¤¿, उनका गौरव, उनका वैà¤à¤µ, उनका सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯, उनका नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ अपलक देखती आई हैं और आज à¤à¥€ मां रेवा का पवितà¥à¤° जल देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का साकà¥à¤·à¥€ है और मां रेवा की लहरें जैसे देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ का गौरव गान करती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है. नमामि देवी नरà¥à¤®à¤¦à¥‡…..नमामि देवी नरà¥à¤®à¥‡à¤¦à¥‡…….नमामि देवी नरà¥à¤®à¤¦à¥‡.
à¤à¤—वानॠशिव, देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई और मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ लिखते लिखते मेरी आà¤à¤–ें à¤à¤° आई हैं अतः माहौल को थोडा हलà¥à¤•ा करने के लिठलौटती हूठअपने यातà¥à¤°à¤¾ विवरण की ओर.
तो हमने अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर लगी à¤à¤• दूकान से कà¥à¤› à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ ख़रीदे और चल पड़े ऊपर किले की ओर. घाट पर ही सीढियों के पास à¤à¤• घोड़े वाला बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को घोड़े की सवारी करवा रहा था, जिसे देखकर शिवमॠघोड़े पर घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की जिद करने लगा, हमने à¤à¥€ बिना किसी ना नà¥à¤•à¥à¤° के उसकी बात मानने में ही à¤à¤²à¤¾à¤ˆ समà¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगर वो किसी चीज की जिद पकड़ लेता है तो फिर पà¥à¤°à¥‡ समय तंग करता है और सफ़र का मज़ा किरकिरा हो जाता है. घोड़े वाले ने शिवमॠको घाट के à¤à¤• दो चकà¥à¤•र लगवाठऔर अब हम बिना देर किये किले में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो गà¤.
यह किला आज à¤à¥€ पूरी तरह से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है तथा बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तरीके से बनाया गया है और बड़ी मजबूती के साथ माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के किनारे पर सदियों से डटा हà¥à¤† है. किले के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही कà¥à¤› क़दमों की दà¥à¤°à¥€ तय करने के बाद दिखाई देता है पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राज राजेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर. यह à¤à¤• विशाल शिव मंदिर मंदिर है जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किले के अनà¥à¤¦à¤° ही देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ ने करवाया था. यह मंदिर à¤à¥€ किले की ही तरह पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है à¤à¤µà¤‚ कहीं से à¤à¥€ खंडित नहीं हà¥à¤† है. आज à¤à¥€ यहाठदोनों समय साफ़ सफाई पूजा पाठतथा जल अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• वगैरह अनवरत जारी है. देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई इसी मंदिर में रोजाना सà¥à¤¬à¤¹ शाम पूजा पाठकरती थी. मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ था अतः हमने बाहर से ही दरà¥à¤¶à¤¨ किये तथा बाहर से ही जितने संà¤à¤µ हो सके फोटो खींचे. अब हमें थोड़ी थकान सी होने लगी थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि काफी देर से पैदल ही घूम रहे थे.
अब मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देती हूà¤, फिर मिलेंगे इस शà¥à¤°à¤‚खला के तीसरे à¤à¤µà¤‚ अंतिम à¤à¤¾à¤— में 19 सितमà¥à¤¬à¤° शाम छः बजे महेशà¥à¤µà¤° के किले, महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ी, महेशà¥à¤µà¤° राजवाड़ा, महेशà¥à¤µà¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ सिनेमा से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ जैसे कई अनछà¥à¤ पहलà¥à¤“ं की जानकारी के साथ…….तब तक के लिठहैपà¥à¤ªà¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी.
(नोट- कà¥à¤› चितà¥à¤° तथा जानकारी गूगल से साà¤à¤¾à¤°)