अब तक… पूरा दिन उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के मंदिरों में दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद हम लोग शाम को हरसिधी माता के मंदिर में आरती देखने चले गà¤à¥¤ आरती  के बाद हम लोग टहलते हà¥à¤ महाकाल के मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤ रात  हो चà¥à¤•ी थी और मौसम à¤à¥€ काफी सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ हो गया था। दिन की गरà¥à¤®à¥€ की तपिश अब बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी।  à¤à¤• छोटी सी दà¥à¤•ान पर चाय पीने  के बाद हम सीधा महाकाल के मंदिर में चले गà¤à¥¤ यह à¤à¥€ à¤à¤• अजब संयोग था की जिस महाकाल के  दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठयह पूरा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बना था, उनके दरà¥à¤¶à¤¨ हमें सबसे बाद में होने जा रहे थे।
सà¥à¤¬à¤¹ हमने मंदिर में लमà¥à¤¬à¥€ -लमà¥à¤¬à¥€ लाइनें लगी हà¥à¤ˆ देखी थी इसलिठà¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ की आशंका के चलते, वीआईपी लाइन के टिकट ले लिà¤à¥¤ à¤à¤• टिकट का मूलà¥à¤¯ सिरà¥à¤« 151 रूपये। अनà¥à¤¦à¤° जाकर मालà¥à¤® हà¥à¤† वीआईपी लाइन सामानà¥à¤¯ से थोड़ी लमà¥à¤¬à¥€ है।थोडा समय पहले ही सायं की आरती ख़तम हà¥à¤ˆ थी। आरती के दौरान दरà¥à¤¶à¤¨ बंद होने से बरामदे में काफी à¤à¥€à¤¡à¤¼ जमा हो गयी थी,इसलिठपà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ लोग फटाफट लोगों को मंदिर से बाहर कर रहे थे। लगà¤à¤— 25-30 मिनट में हम मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर में पहà¥à¤à¤š गठऔर महाकाल के दरà¥à¤¶à¤¨ किये ,लेकिन à¤à¥€à¤¡à¤¼ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होने के कारण हमें जलà¥à¤¦à¥€ से ही मंदिर से बाहर कर दिया गया।
à¤à¤• तरफ जहाठओमà¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° में शिवलिंग का आकर बहà¥à¤¤ छोटा है और सामानà¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ दिखता à¤à¥€ नहीं है। दूसरी तरफ महाकाल में शिवलिंग का आकर बहà¥à¤¤ विशाल है आप उसे अपनी बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ में à¤à¤° सकते हैं। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद लगà¤à¤— à¤à¤• घंटा हम मंदिर परिसर में ही रहे और वहां मौजूद कई अनà¥à¤¯ मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ करते रहे। मन खà¥à¤¶ था कि आखिर आज महाकालेशà¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ हो ही गà¤à¥¤ लेकिन इतनी कम देर दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤, इसलिठतसलà¥à¤²à¥€ नहीं हो रही थी। इसलिठसà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤• बार फिर से दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की ठान हम लोग मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर से बाहर आ गà¤à¥¤
न जी à¤à¤° के देखा, न कà¥à¤› बात की, बड़ी आरजू थी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात की।
रात के 9 बज चà¥à¤•े थे और मंदिर के बाहर काफी चहल पहल थी। हमने कमरे पर जाने से पहले खाना खाने की सोची। à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी लेकिन खाना खाने की इचà¥à¤›à¤¾ नहीं हो रही थी , दोपहर के खाने का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ अà¤à¥€ तक मà¥à¤¹à¤ से गया नहीं था लेकिन हिमà¥à¤®à¤¤ करके à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में गठऔर वहां खाना खाया। यहाठदोपहर से तो अचà¥à¤›à¤¾ था लेकिन था। औसत सà¥à¤¤à¤° का ही। न जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, सबà¥à¤œà¥€ और दाल में मसाला न के बराबर था और रोटियां à¤à¥€ पूरी सिकी हà¥à¤ˆ नहीं थी। या ये à¤à¥€ हो सकता है हमारी अपेकà¥à¤·à¤¾ कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी। खैर, खाना खा कर कमरे पर गठऔर सà¥à¤¬à¤¹ फिर से महाकालेशà¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ करने की इचà¥à¤›à¤¾ लिठसो गà¤à¥¤
महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर इतिहास
महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में से à¤à¤• है। यह मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯ के उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ नगर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤, महाकालेशà¥à¤µà¤° à¤à¤—वान का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंदिर है। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚, à¤à¤µà¥à¤¯ और दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤®à¥à¤–ी होने के कारण महाकालेशà¥à¤µà¤° महादेव की अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ महतà¥à¤¤à¤¾ है। इसके दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° से ही मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है, à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उजà¥à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¥€ की चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ इस मंदिर की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की है।1235 ई. में इलà¥à¤¤à¥à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤¶ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर का विधà¥à¤µà¤‚स किठजाने के बाद से यहां जो à¤à¥€ शासक रहे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस मंदिर के जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° और सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯à¥€à¤•रण की ओर विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया, इसीलिठमंदिर अपने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सका है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· और सिंहसà¥à¤¥ के पूरà¥à¤µ इस मंदिर को सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया जाता है।
महाकाल à¤à¤—वान शिव का ही à¤à¤• रूप हैं। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का राजा कहा जाता है। महाकाल को उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का अधिपति माना जाता है। à¤à¤¸à¥‡ में यह बात à¤à¥€ कही जाती है कि उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में केवल à¤à¤• ही राजा रह सकता है।इस वजह से किसी à¤à¥€ राजà¥à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ या देश के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ आते तो जरूर है लेकिन यहां रात को ठहरते नहीं। माना जाता है कि अगर वो यहां ठहरने की कोशिश करते हैं तो कà¥à¤› ही दिनों में उनकी कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ चली जाती है।
जब à¤à¥€ बाबा महाकाल की यातà¥à¤°à¤¾ निकाली जाती है तो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ टà¥à¤•ड़ी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सलामी à¤à¥€ देती हैं। पूजन के बाद कà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° और पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€, पालकी को कंधे पर नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कराते हैं। जैसे ही बाबा महाकाल की पालकी मंदिर परिसर के बाहर आती है, सशसà¥à¤¤à¥à¤° गारà¥à¤¡ राजा महाकाल को सलामी देते हैं। सवारी के आगे पà¥à¤²à¤¿à¤¸, घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°, सशसà¥à¤¤à¥à¤° बल की टà¥à¤•ड़ी, सरकारी बैंड, सà¥à¤•ाउट गाइड, सेवादल तथा à¤à¤œà¤¨ मंडलिया चलती हैं।
“शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤— à¤à¤—वान महाकाल के संबंध में सूतजी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो कहानी चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ है, उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अवंती नगरी में à¤à¤• वेद करà¥à¤®à¤°à¤¤ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ हà¥à¤† करते थे। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ शिवलिंग निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ कर उनका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पूजन किया करते थे। उन दिनों रतà¥à¤¨à¤®à¤¾à¤² परà¥à¤µà¤¤ पर दूषण नामक राकà¥à¤·à¤¸ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी से वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर समसà¥à¤¤ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर धारà¥à¤®à¤¿à¤¤ करà¥à¤®à¥‹ को बाधित करना आरंठकर दिया था।
वह उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ à¤à¥€ आया और सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को धमà¥à¤°-करà¥à¤® छोड़ देने के लिठकहा। पर किसी ने उसकी आजà¥à¤žà¤¾ नहीं मानी। इससे राकà¥à¤·à¤¸ वहां उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ मचाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। लोग तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿-तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ करने लगे और अपने आराधà¥à¤¯ देव à¤à¤—वान शंकर की शरण में पहà¥à¤‚चे और वहां à¤à¤—वान शंकर की पूजा करने लगे। जिस जगह पर वह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ शिव की अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ किया करते थे, वहां देखते ही देखते à¤à¤• विशाल गडà¥à¤¢à¤¾ हो गया और à¤à¤—वान शिव अपने विराट सà¥à¤µà¤°à¥‚प में पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आकाशà¤à¥‡à¤¦à¥€ हà¥à¤‚कार à¤à¤°à¥€ और कहा मैं दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का संहारक महाकाल हूं। और à¤à¤¸à¤¾ कहकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दूषण व उसकी हिसंक सेना का à¤à¤¸à¥à¤® कर दिया। à¤à¤—वान शिव ने लोगों से वरदान मांगने को कहा तो लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यहीं निवास करने की बात कही। à¤à¤—वान शिव मान गठऔर à¤à¤—वान महाकाल सà¥à¤¥à¤¿à¤° रूप से वहीं विराजि हो गठऔर समूची उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ नगरी शिवमय हो गई â€
यहां के बारे में यह à¤à¥€ कहा जाता है कि यहां à¤à¤•मातà¥à¤° à¤à¤¸à¤¾ शिवलिंग है, जहां à¤à¤¸à¥à¤® से आरती होती है। इस महाआरती को देखने और à¤à¤—वान के शिव के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की लमà¥à¤¬à¥€-लमà¥à¤¬à¥€ कतारे लगा करती हैं।
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेशà¥à¤µà¤°à¤®à¥
à¤à¥‚लोके च महाकालो लिंडà¥à¤—तà¥à¤°à¤¯ नमोसà¥à¤¤à¥ ते ॥
आकाश में तारक लिंग है, पाताल में हाटकेशà¥à¤µà¤° लिंग है और पृथà¥à¤µà¥€ पर महाकालेशà¥à¤µà¤° ही मानà¥à¤¯ शिवलिंग है।
नाà¤à¤¿à¤¦à¥‡à¤¶à¥‡ महाकालोसà¥à¤¤à¤¨à¥à¤¨à¤¾à¤®à¥à¤¨à¤¾ ततà¥à¤° वै हर: ।
जहाठमहाकाल सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है वही पृथà¥à¤µà¥€ का नाà¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है । बताया जाता है, वही धरा का केनà¥à¤¦à¥à¤° है ।
महाकवि कालिदास ने अपने रघà¥à¤µà¤‚श और मेघदूत कावà¥à¤¯ में महाकाल और उनके मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का आकरà¥à¤·à¤£ और à¤à¤µà¥à¤¯ रà¥à¤ª पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ उनकी करते हà¥à¤ उनकी सानà¥à¤§à¥à¤¯ आरती उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय बताई। उस आरती की गरिमा को रवीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ ठाकà¥à¤° ने à¤à¥€ रेखांकित किया था।
महाकाल मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‡à¤° मधà¥à¤¯à¥‡…तखन, धीरमनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¤à¤¿ बाजे।
महाकवि कालिदास ने जिस à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से महाकाल का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया उससे समूचा परवरà¥à¤¤à¥€ बाडà¥à¤®à¤¯ इतना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† कि पà¥à¤°à¤¾à¤¯: समसà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साहितà¥à¤¯à¤•ारों ने जब à¤à¥€ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ या मालवा को केनà¥à¤¦à¥à¤° में रखकर कà¥à¤› à¤à¥€ रचा तो महाकाल का ललित सà¥à¤®à¤°à¤£à¤…वशà¥à¤¯ किया।जैन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में à¤à¥€ महाकाल का सà¥à¤®à¤°à¤£ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤à¥‹à¤‚ में होता ही रहा है।
महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर à¤à¤• परकोटे के à¤à¥€à¤¤à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। गरà¥à¤à¤—ृह तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤• सीढ़ीदार रासà¥à¤¤à¤¾ है। इसके ठीक उपर à¤à¤• दूसरा ककà¥à¤· है जिसमें ओंकारेशà¥à¤µà¤° शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास में हर सोमवार को इस मंदिर में अपार à¤à¥€à¤¡à¤¼ होती है। मंदिर से लगा à¤à¤• छोटा-सा जलसà¥à¤°à¥‹à¤¤ है जिसे कोटितीरà¥à¤¥ कहा जाता है। à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इलà¥à¤¤à¥à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤¶ ने जब मंदिर को तà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾à¤¯à¤¾ तो शिवलिंग को इसी कोटितीरà¥à¤¥ में फिकवा दिया था। बाद में इसकी पà¥à¤¨à¤°à¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा करायी गयी। इतिहास के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• यà¥à¤— में-शà¥à¤‚ग,कà¥à¤¶à¤¾à¤£, सात वाहन, गà¥à¤ªà¥à¤¤, परिहार तथा अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत आधà¥à¤¨à¤¿à¤• मराठा काल में इस मंदिर का निरंतर जीरà¥à¤£à¥‹à¤§à¥à¤¦à¤¾à¤° होता रहा है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ राणोजी सिंधिया के काल में मालवा के सूबेदार रामचंदà¥à¤° बाबा शेणवी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कराया गया था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ जीरà¥à¤£à¥‹à¤§à¥à¤¦à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ होता रहा है। महाकालेशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤®à¥à¤–ी है। तांतà¥à¤°à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤§à¥à¤¦ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ मà¥à¤–ी पूजा का महतà¥à¤µ बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में केवल महाकालेशà¥à¤µà¤° को ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। ओंकारेशà¥à¤µà¤° में मंदिर की ऊपरी पीठपर महाकाल मूरà¥à¤¤à¤¿ कीतरह इस तरह मंदिर में à¤à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° शिव की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा है। तीसरे खणà¥à¤¡ में नागचंदà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ केवल नागपंचमी को होते है। विकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ और à¤à¥‹à¤œ की महाकाल पूजा के लिठशासकीय सनदें महाकाल मंदिर को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती रही है।
सन 1968 के सिंहसà¥à¤¥ महापरà¥à¤µ के पूरà¥à¤µ मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° कर सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ कर लिया गया था। इसके अलावा निकासी के लिठà¤à¤• अनà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ कराया गया । लेकिन दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अपार à¤à¥€à¤¡à¤¼ को दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त रखते हà¥à¤ बिड़ला उदà¥à¤¯à¥‹à¤— समूह के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ १९८० के सिंहसà¥à¤¥ के पूरà¥à¤µ à¤à¤• विशाल सà¤à¤¾ मंडप का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया। महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के लिठà¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• समिति का गठन किया गया है जिसके निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ में यहाठकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥ रूप से चल रही है। हाल ही में इसके शिखरों पर सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ की परत चढ़ाई गई है। â€
शà¥à¤°à¥€Â महाकालेशà¥à¤µà¤°Â मंदिर के दैनिक पूजा अनà¥à¤¸à¥‚ची
चैतà¥à¤°Â से आशà¥à¤µà¤¿à¤¨Â तक |
कारà¥à¤¤à¤¿à¤• से फालà¥à¤—à¥à¤¨Â तक |
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à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¤à¥€ |
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 4 बजे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£Â मास में पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 3 बजे |
महाशिवरातà¥à¤°à¤¿Â को पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 2-30 बजे। |
दधà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¨ |
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 7 से 7-30 तक |
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 7-30 से 8-15 तक |
महाà¤à¥‹à¤— |
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 10 से 10-30 तक |
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: 10-30 से 11-00 तक |
सांधà¥à¤¯ |
संधà¥à¤¯à¤¾Â 5 से 5-30 तक |
संधà¥à¤¯à¤¾Â 5-30 से 6-00 तक |
पà¥à¤¨: सांधà¥à¤¯ |
संधà¥à¤¯à¤¾Â 7 से 7-30 तक |
संधà¥à¤¯à¤¾Â 7-30 से 8-00 तक |
शयन |
रातà¥à¤°à¤¿Â 11:00 बजे |
रातà¥à¤°à¤¿Â 11:00 बजे |
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ से उठ,नहा धोकर तैयार हà¥à¤ और बिना कà¥à¤› खाठपिठमहाकाल के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल दिà¤à¥¤ कल रात हो हम खाली हाथ ही दरà¥à¤¶à¤¨ के चले गठथे लेकिन आज पूजा का पूरा सामान लेकर सामानà¥à¤¯ लाइन से ही गà¤à¥¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी , लगता था सारा रश सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤·à¥à¤® आरती के साथ ही निपट गया था। आराम से सिरà¥à¤« पांच मिनट में गरà¥à¤ गृह पहà¥à¤à¤š गठ, यहाठà¤à¥€ रात की तरह धकà¥à¤•ा मà¥à¤•à¥à¤•ी नहीं थी। बड़े आराम से दरà¥à¤¶à¤¨ किये। फूलों का हार चडाते हà¥à¤ मैंने शिवलिंग को बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ में कस कर à¤à¤° लिया और कà¥à¤› देर के लिठसब कà¥à¤› à¤à¥‚ल गया। तà¤à¥€ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ने कहा – अरे अब तो छोड़ दो , तà¥à¤® अकेले नहीं हो , और लोगों ने à¤à¥€ महाकाल से मिलना है। दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद गरà¥à¤ गृह से बाहर आकर, दà¥à¤µà¤¾à¤° के सामने ही नंदी की मूरà¥à¤¤à¤¿ के पास बैठगà¤à¥¤ रात को यहाठà¤à¥€ न रà¥à¤•ने दे रहे थे, न बैठने लेकिन अब à¤à¥€à¤¡à¤¼ न होने के कारण कोई रोक टोक नहीं थी। पूरी यातà¥à¤°à¤¾ के सबसे सà¥à¤–द कà¥à¤·à¤£ यही थे। थोड़ी देर वहाठऔर रà¥à¤•ने के बाद हम घूमते फिरते मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर से बाहर आ गà¤à¥¤
आज रंग पंचमी का दिन था और यहाठकाफी धूम धाम थी। जैसे हमारे उतर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में होली मनाई जाती है वैसे ही यहाठरंग पंचमी। इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° दà¥à¤•ाने बंद थी और जो खà¥à¤²à¥€ थी वो à¤à¥€ सिरà¥à¤« कà¥à¤› घंटो के लिà¤à¥¤à¤†à¤œ नाशà¥à¤¤à¥‡ में सांà¤à¤° डोसा लिया। नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद हम लोग जंतर मंतर / वेधशाला जाना चाहते थे। हमारी गाडी का समय दोपहर का था और उसमे अà¤à¥€ काफी समय था। आज रंग पंचमी होने के कारण ऑटो à¤à¥€ काफी कम थे। जो थे वो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसे मांग रहे थे। आखिर कà¥à¤› मोलà¤à¤¾à¤µ के बाद à¤à¤• ऑटोवाला हमें जंतर मंतर / वेधशाला होते हà¥à¤ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जाने के लिठ150 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में मान गया। हम ऑटो में सवार हो अपनी नयी मंजिल जंतर मंतर / वेधशाला की ओर चल दिठ।