अपà¥à¤°à¥ˆà¤² का महिना शà¥à¤°à¥‚ हो गया था और कही घूमे हà¥à¤ à¤à¥€ ५ महीने हो गठथे इसलिठसोचा कि कोई कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया जाठऔर फिर अचानक ही शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† कि रामनगर चला जाठबाकी वही जाकर सोचा जाà¤à¤—ा कि कैसे २ दिन गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‡ जाà¤à¥¤ हम चार लोग जाने के लिठतैयार थे जिनमे मै, à¤à¤—वानदास जी, मनमोहन और उदय थे। उदय ने पिछली कंपनी मे हमारे साथ चार साल काम किया था लेकिन पहली बार ही हमारे साथ जा रहा था। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® अचानक ही बना था लेकिन जाने की तेयारी पूरी थी। चार लोगो के हिसाब से हमने इंडिका बà¥à¤• कर दी थी जो कि हमारी गलती थी और रहने के लिठकà¥à¤®à¤¾à¤Š विकास मंडल का गेसà¥à¤Ÿ हाउस जो कि ढेला मे है बà¥à¤• कर दिया। ये गेसà¥à¤Ÿ हाउस नया ही बना था इसलिठसोचा कि नई जगह à¤à¥€ हो जायेगी। ढेला जाने के लिठरामनगर से पहले ही उलटे हाथ पर रासà¥à¤¤à¤¾ कटता है, जहा से ये गेसà¥à¤Ÿ हाउस लगà¤à¤— १५ किलोमीटर है। वैसे तो रामनगर जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ नेशनल पारà¥à¤• के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है लेकिन इस बार अà¤à¥€ तक कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं सोचा था कि जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ जायेगे ये नहीं।
शनिवार को सà¥à¤¬à¤¹ ६ बजे निकलने का समय निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤† और सबसे आखिरी मे मà¥à¤à¥‡ लेना था जिसमे ॠबजने थे। रासà¥à¤¤à¥‡ के लिठखरीदारी हमने शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° शाम को ही कर ली थी, इस बार गरà¥à¤®à¥€ की वजह से ४ बीयर à¤à¥€ ले ली सोचा कि ये à¤à¥€ देख लेते है। घर पर à¤à¥€ शाम को ही पता लगा की अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हम जा रहे है तो किसी को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि हमारे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® à¤à¤¸à¥‡ ही बनते है बस माताजी ने और पतà¥à¤¨à¥€ जी ने थोड़ा बहà¥à¤¤ कहकर मन की à¤à¤¡à¤¼à¤¾à¤¸ निकाल ली जो कि हमने बहà¥à¤¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से सà¥à¤¨à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि वापिस घर ही आना था और फिर पà¥à¤¯à¤¾à¤° से पतà¥à¤¨à¥€ जी को बैग पैक करने के लिठबोल दिया जो कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कर à¤à¥€ दिया।
गाड़ी सà¥à¤¬à¤¹ सही समय ॠबजे मेरे पास थी और मै à¤à¥€ बिलकà¥à¤² तैयार था। इस यातà¥à¤°à¤¾ मे सबसे बढ़िया बात हà¥à¤ˆ की पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª जो इस बार हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° था हमारे साथ था। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ कंपनी मे चार साल हमारे साथ ही था इसलिठउससे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है और वो à¤à¥€ हम सà¤à¥€ का बहà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करता है इसलिठयातà¥à¤°à¤¾ का मजा शà¥à¤°à¥‚ मे ही दà¥à¤—ना हो गया। अपनी पसंद के गाने मैंने और मनमोहन ने पहले ही पेन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ मे लिठहà¥à¤ थे जिससे कि रासà¥à¤¤à¥‡ मे बोरियत न हो। उदय पहली बार हमारे साथ था लेकिन वो à¤à¥€ जानता था कि आनंद तो पूरा आना है यातà¥à¤°à¤¾ मे। रासà¥à¤¤à¥‡ मे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नहीं मिला और २ घंटे मे ही हम गजरौला पहà¥à¤š गठजहा पर हमने चाय पीने के लिठगाड़ी रोकी और आधा घंटा चाय पीने मे लगाया, उसके बाद यातà¥à¤°à¤¾ फिर से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¥¤ अà¤à¥€ चले हà¥à¤ आधा घंटा ही हà¥à¤† होगा कि मनमोहन ने बीयर निकालने के लिठबोल दिया जो कि हमने गाड़ी में बैठते ही चिलर बॉकà¥à¤¸ में रख दी थी। हमने मना किया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि अà¤à¥€ १० ही बजे थे लेकिन मनमोहन बोला कि लाये किसलिठहै फिर गरà¥à¤®à¥€ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ है बाहर, बात सही à¤à¥€ थी लेकिन फिर à¤à¥€ हमने मना कर दिया। मनमोहन ने १० – १५ मिनट इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° किया लेकिन फिर अपनी बियर निकाल ली जो कि काफी ठंडी हो चà¥à¤•ी थी और १५ मिनट मे खतà¥à¤® à¤à¥€ कर दी। उसके आधे घंटे बाद हमें à¤à¥€ लगा कि समय हो गया है तो हमने à¤à¥€ बाकी बियर निकाल ली जो कि इस वक़à¥à¤¤ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंडी थी। अब मजे लेने की बारी हमारी थी, मनमोहन ने हमारी तरफ देखा और बोला ये ठीक नहीं है अब रासà¥à¤¤à¥‡ से à¤à¤• और लो लेकिन हम à¤à¥€ मसà¥à¤¤à¥€ मे थी इसलिठमना कर दिया। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने à¤à¥€ गाड़ी चलाते हà¥à¤ हमारी तरफ देखा लेकिन हम बोले बेटा तू तो à¤à¥‚ल जा और आराम से गाड़ी चला।
वैसे तो पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ है लेकिन काशीपà¥à¤° के पास लगà¤à¤— किलोमीटर का रासà¥à¤¤à¤¾ काफी ख़राब था जिसमे थोड़ी सी दिकà¥à¤•त हà¥à¤ˆà¥¤ रामनगर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ से पहले हमने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा कही ढेला वाला रासà¥à¤¤à¤¾ छूट न जाठलेकिन उसमे कोई दिकà¥à¤•त नहीं हà¥à¤ˆ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बोरà¥à¤¡ लगा हà¥à¤† था। उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर शà¥à¤°à¥‚ के पाà¤à¤š – छ किलोमीटर तो आबादी थी लेकिन उसके बाद का रासà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ था जिसके दोनों तरफ जंगल था। à¤à¤¸à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही रोमांच अपने आप अनà¥à¤¦à¤° आ जाता है लेकिन धूप इतनी तेज थी कि कोई जानवर दिखने का मतलब ही नहीं था। आगे जाकर हम बोरà¥à¤¡ देखकर और लोगो से पूछकर कर गेसà¥à¤Ÿ हाउस तक पहà¥à¤š गठजो कि गाà¤à¤µ से होते हà¥à¤ था और उसके आस पास कà¥à¤› और गेसà¥à¤Ÿ हाउस à¤à¥€ थे और बाकी तरफ खेत ही खेत थे। बिलकà¥à¤² शांति थी वहा, पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया। बचपन मे जब गाà¤à¤µ जाते थे तो ये नज़ारे देखने को मिलते थे। इतनी शांति थी वहा जो मन को अजीब सा सà¥à¤•ून दे रही थी। इतनी तेज धà¥à¤ª होने के बावजूद हवा की ठंडक शरीर को ताजगी दे रही थी। तेज हवा मे गेहू की बालिया जोर जोर से हिल रही थी और उसकी आवाज दिमाग को सà¥à¤•ून दे रही थी।
जैसे ही हमने गाडी खड़ी की à¤à¤• लड़का दौड़कर हमारे पास आ गया। मैंने उससे बà¥à¤•िंग के बारे मे पà¥à¤›à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बà¥à¤•िंग मेरे ही नाम से थी तो उसने पूछा सर आप दिलà¥à¤²à¥€ से है ना और तà¥à¤°à¤‚त ही कनà¥à¤«à¤°à¥à¤® à¤à¥€ कर दिया। उसने तà¥à¤°à¤‚त किसी दà¥à¤¸à¤°à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को आवाज लगाई सामान उठाने के लिठऔर आगे आगे चल दिया हमारे कमरे दिखाने के लिà¤à¥¤ इस समय वहा कोई à¤à¥€ नहीं था सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के सिवाय। हमने उससे पà¥à¤›à¤¾ तो उसने बताया कि थोड़ी देर पहले ही à¤à¤• परिवार ने चेक आउट किया है बाकी आज सिरà¥à¤« हमारी ही बà¥à¤•िंग है। अचà¥à¤›à¤¾ ही था हमें और à¤à¥€ आजादी मिल गयी। उसने हमें आमने सामने के दो कमरे दे दिà¤, कमरों के सामने ही लहलहाते हà¥à¤ खेत थे जिनको देखकर मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो रहा था। कमरे अनà¥à¤¦à¤° से à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥‡ थे, उसमे छोटे से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम के साथ सारी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤ थी। हम थके हà¥à¤ थे इसलिठजाते ही बिसà¥à¤¤à¤° पर गिर गà¤à¥¤ थोड़ी देर बाद ही उनका मà¥à¤–à¥à¤¯ रसोइया हमारे पास आया, आते ही उसने à¤à¥€ हमें पहचान लिया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि कई बार हम रामनगर वाले गेसà¥à¤Ÿ हाउस मे रà¥à¤•े थे तो उसकी नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ वहा पर थी अब उसका सà¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ कर दिया गया था। उसने पà¥à¤›à¤¾ सर कà¥à¤¯à¤¾ लेगे दोपहर के खाने मे तो हमने à¤à¥€ उसको कà¥à¤› हलà¥à¤•ा ही बनाने के लिठबोल दिया। उसने बोला कि सर दाल, रोटी, सबà¥à¤œà¥€ और चावल बना देता हूà¤à¥¤ इससे अचà¥à¤›à¤¾ हमारे लिठकà¥à¤¯à¤¾ हो सकता था कि बाहर रहकर घर जैसा खाना।
लगà¤à¤— १ घंटे बाद ही खाना तैयार होने की सूचना आ गयी जिसके लिठहमें डाइनिंग रूम मे जाना था। वहा à¤à¤• संयà¥à¤•à¥à¤¤ डाइनिंग रूम था और वही पर ही खाना और नाशà¥à¤¤à¤¾ करना होता था, कमरों मे वो लोग नहीं देते थे। अचà¥à¤›à¤¾ ही था इससे सफाई à¤à¥€ रहती थी और किसी तरह की दिकà¥à¤•त à¤à¥€ नहीं होती थी। हम जलà¥à¤¦à¥€ से डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤š गà¤, वो लोग à¤à¥€ हमारा ही इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° कर रहे थे। गरमागरम खाना खा कर मजा आ गया। उसके बाद हम अपने कमरों मे वापिस आ गà¤, इस समय साढ़े तीन बज रहे थे इसलिठसà¤à¥€ ने कà¥à¤› देर सोने का निशà¥à¤šà¤¯ किया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि धà¥à¤ª मे बाहर जाने से कोई फायदा नहीं था। जलà¥à¤¦à¥€ ही सà¤à¥€ बिसà¥à¤¤à¤° पर गिर गठलेकिन अब मे कà¥à¤¯à¤¾ करू मà¥à¤à¥‡ दिन मे नींद ही नहीं आती इसलिठकà¥à¤› देर तो मे लेटा रहा लेकिन उसके बाद बाहर आकर टहलने लगा, वहा घूमना वाकई मे बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था। जैसे ही पाà¤à¤š बजे मैंने सà¤à¥€ को उठा दिया और सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« को चाय के लिठबोल दिया। उठकर सà¤à¥€ तैयार हà¥à¤ और चाय पीने के बाद बाहर की ओर चल दिà¤à¥¤ जाते हà¥à¤ वहा के मà¥à¤–à¥à¤¯ रसोइया ने रात के खाने के लिठपूछा। दिन मे तो दाल रोटी हो गयी थी लेकिन रात को कà¥à¤› और चाहिठथा। पहाड़ो पर जाने के बाद हम लोग सà¤à¥€ अपने से बड़े लोगो को दाजू कहते है, मनमोहन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ये समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ शबà¥à¤¦ है। रसोइया à¤à¥€ अब दाजू’बन चà¥à¤•ा था। उसने बोला कि साहब दाल रोटी सबà¥à¤œà¥€ का इंतजाम तो है बाकी कà¥à¤› और चाहिठतो आप बाहर जायेगे तो लेते आइयेगा हम पका देगे। अंधा कà¥à¤¯à¤¾ चाहे दो आà¤à¤–े। हम पांचो मे सिरà¥à¤« मे ही शाकाहारी हूठइसलिठबाकियों ने तो अपना मेनà¥à¤¯à¥ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लिया।
गेसà¥à¤Ÿ हाउस से बाहर आकर हम सड़क पर आ गठतो सामने से आती हà¥à¤ˆ गाड़ी ने हमें सचेत किया कि आगे हाथियों का à¤à¥à¤£à¥à¤¡ है, आराम से जाना। वाह, कà¥à¤¯à¤¾ बात है जंगल के बाहर ही हाथियों के दरà¥à¤¶à¤¨à¥¤ हम थोड़ा ही आगे गठथे तो चार पाà¤à¤š हाथी सड़क पर ही थे, हमने गाड़ी पीछे ही रोक दी, कà¥à¤› देर वो हाथी सड़क पर रहे और फिर वापिस जंगल मे चले गà¤à¥¤ कà¥à¤› आगे निकले तो हिरन à¤à¥€ दिख गà¤à¥¤ उसके बाद घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम रामनगर पहà¥à¤š गà¤, वहा वैसे तो घूमने को कà¥à¤› है नहीं इसलिठà¤à¤¸à¥‡ ही गाडी दौड़ाते रहे। रामनगर से रात के लिठसामान ख़रीदा और वापिस हो लिà¤à¥¤ अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था इसलिठजब हम ढेला पहà¥à¤šà¥‡ तो बिलकà¥à¤² सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ हो चà¥à¤•ा था। हमने कà¥à¤› देर गाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ मे खड़ी कर दी कि हो सकता है कà¥à¤› दिख जाठकà¥à¤¯à¥‹à¤•ि आवाजे तो आ रही थी। इस वक़à¥à¤¤ वाकई मे लग रहा था कि जंगल के बीच मे है। गाड़ी से बाहर निकलने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं थी। कà¥à¤› देर वहा रहे फिर वापिस गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गठऔर सारा सामान दाजू को दे दिया की रात के खाने की तयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ करे लेकिन ये à¤à¥€ बोल दिया की खाना गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ के बाद ही खायेगे। लगà¤à¤— साढ़े गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे हम फà¥à¤°à¥€ हà¥à¤ तो कमरों से बाहर आ गà¤à¥¤ वाह, मजा आ गया। बाहर आकर इतना अचà¥à¤›à¤¾ लगा कि बà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं किया जा सकता। ठंडी ठंडी हवा बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ लग रही थी, हम डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤šà¥‡ और खाना तैयार करने को बोलकर वापिस बाहर आ गà¤à¥¤ सोचा कि à¤à¤• गोल चकà¥à¤•र गेसà¥à¤Ÿ हाउस का ही लगा ले। à¤à¤¸à¥‡ पलो को शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ मे बयाठकरना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता है सिरà¥à¤« महसूस किया जा सकता है, हलà¥à¤•ा हलà¥à¤•ा सà¥à¤°à¥‚र तो था ही। हमें घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ वहा के गारà¥à¤¡ ने बोला कि सर यहाठसे बाहर मत जाइà¤à¤—ा, इस चारदीवारी की अनà¥à¤¦à¤° ही रहना और पीछे के रासà¥à¤¤à¥‡ से तो बाहर निकलना ही मत। हमने पà¥à¤›à¤¾ कि यहाठà¤à¥€ डर है कà¥à¤¯à¤¾ तो उसने बोला साहब जी à¤à¤• शेर तो रोज ही पीछे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से जाता था और हाथी तो कई बार इन खेतो मे घà¥à¤¸ चà¥à¤•े है। जोश मे तो थे ही तà¤à¥€ सोच लिया कि खाना खाकर à¤à¤• चकà¥à¤•र तो लगायेगे बाहर का। हम जलà¥à¤¦à¥€ से डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤šà¥‡, खाना तैयार था, दाजू ने तà¥à¤°à¤‚त लड़को को परोसने का आदेश कर दिया। खाना मजेदार था। खाना खाकर हम वापिस कमरों मे आ गठऔर दाजू को à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° आने के लिठबोला। अनà¥à¤¦à¤° आने पर हमने पूछा कि बाहर कहा तक जाया जा सकता है। वो पकà¥à¤· मे नहीं थे लेकिन हमने à¤à¥€ बोला कि हम अनà¥à¤¦à¤° जंगल मे नहीं जायेगे सिरà¥à¤« बाहर सड़क तक तो जा सकते है और वैसे à¤à¥€ गाड़ी से बाहर तो निकलना नहीं था। । तब जाकर वो तैयार हà¥à¤†à¥¤
बारह से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का समय हो रहा था और हम बाहर गाड़ी मे बैठे थे। आधा घंटा हम सड़को पर गाड़ी दौड़ाते रहे। वहा पेड़ो के बीच कचà¥à¤šà¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ था जो दिन मे शोरà¥à¤Ÿà¤•ट के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता था, उस रासà¥à¤¤à¥‡ से जब निकले तो रोंगटे खड़े हो गठबिलकà¥à¤² सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨, सड़क à¤à¥€ कचà¥à¤šà¥€, डर लग रहा था कि अगर गाड़ी फस गयी तो निकालनी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जायेगी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि छोटी गाड़ी थी, अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ मे हिरनों के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ à¤à¥€ दिखे जिनकी सिरà¥à¤« आखे चमक रही थी। वो अà¤à¥€ तक के सबसे यादगार और रोमांचक कà¥à¤·à¤£ थे, शायद à¤à¤¸à¤¾ रोमांच कà¤à¥€ जंगल मे à¤à¥€ नहीं आया था। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª का मन तो वापिस आने के लिठकर ही नहीं रहा था। à¤à¤• बजे हम वापिस आये तो थोड़ी देर कमरों के बाहर ही बैठगठकि कल कहा जाà¤à¥¤ जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के बिजरानी गेट से तो पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ मिल सकता था लेकिन जो जानवर अनà¥à¤¦à¤° दिखते थे वो बाहर ही दिख गठथे फिर à¤à¤¸à¤¾ रोमांच à¤à¥€ हो गया था। इसलिठचार हजार रूपये खरà¥à¤š करना अकà¥à¤²à¤®à¤‚दी नहीं लगी। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने बोला कि सर कल मे आपको मरचà¥à¤²à¤¾ लेकर चलूगा, आपको जगह पसंद आà¤à¤—ी। मरचà¥à¤²à¤¾ के बारे मे हमने कà¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾ नहीं था लेकिन कही तो जाना था इसलिठवही सही। जगह पकà¥à¤•ी हो गयी तो हम à¤à¥€ अपने कमरों मे आ गठसोने के लिà¤à¥¤
अà¤à¥€ कल का दिन बाकी है इसलिठबाकी की कहानी अगले पोसà¥à¤Ÿ मे लिखना ही सही रहेगा।