औरंगाबाद में बिताये पहले दिन का यातà¥à¤°à¤¾-संसà¥à¤®à¤°à¤£ आप इस कड़ी के पहले à¤à¤¾à¤— में पॠचà¥à¤•े हैं. à¤à¤²à¥à¤²à¥‹à¤°à¤¾ की विशà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ तथा कई अनà¥à¤¯ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² हम देख चà¥à¤•े थे. अब दूसरे दिन की यातà¥à¤°à¤¾ “अजंता की गà¥à¥žà¤¾à¤“ं†को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ थी. औरंगाबाद शहर से अजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ लगà¤à¤— १०० किलोमीटर दूर हैं. यदि गाड़ी संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ और उसका डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° कà¥à¤¶à¤² हो, यह दूरी लगà¤à¤— २ घंटे में पूरी की जा सकती है. चूà¤à¤•ि गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ ९ बजे खà¥à¤²à¤¤à¥€à¤‚ हैं, इसीलिठऔरंगाबाद से हमलोग, सà¥à¤¬à¤¹ का नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद, ०८.३० बजे रवाना हो लिà¤.  पकà¥à¤•े-चिकने रासà¥à¤¤à¥‡ पर गाड़ी जैसे-जैसे तेज़ी से दौड़ती हà¥à¤ˆ गंतवà¥à¤¯ की ओर चल रही थी, वैसे-वैसे ही गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ मराठवाड़ा का वातावरण हमारे आà¤à¤–ों के सामने खà¥à¤²à¤¤à¤¾ जा रहा था. रासà¥à¤¤à¥‡ की किनारे-किनारे दोनों तरफ़ जगह-जगह नाशà¥à¤¤à¥‡-à¤à¥‹à¤œà¤¨ की दà¥à¤•ानें थीं. गनà¥à¤¨à¥‡ की रसों की रसवंती दà¥à¤•ानें à¤à¥€ अनेकों थीं, जिनके सामने की तरफ गनà¥à¤¨à¥‡ के गटà¥à¤ े खड़े किये गठथे ताकि लोगों को उनका पता चलते रहे. काली मिटà¥à¤Ÿà¥€ वाली पठारी धरती थी, जिनमें रसà¥à¤¤à¥‡ के दोनों तरफ़ खेत थे. फ़सल कट चà¥à¤•ी थी. जगह-जगह खेतों में पà¥à¤†à¤² के गटà¥à¤ े लगे हà¥à¤ थे. इन गाठों को à¤à¤¸à¥‡ सजाया गया था जिससे की बारिश का पानी पà¥à¤†à¤² के बाहरी आवरण को ही à¤à¥€à¤—ा कर बह जाये और गाठों के अनà¥à¤¦à¤° के पà¥à¤†à¤² सूखे ही रहें.  पर रासà¥à¤¤à¥‡ के किनारे कटे-हà¥à¤ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का दृशà¥à¤¯ आà¤à¤–ों में खटक रहा था. पता चला कि मारà¥à¤— चौड़ीकरण पà¥à¤°à¥‹à¥›à¥‡à¤•à¥à¤Ÿ का कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‚ होने के कारण वृकà¥à¤· काट दिठगठहैं. शà¥à¤à¤•ामना है कि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤• बार फिर चौड़े मारà¥à¤— के दोनों किनारे पà¥à¤¨à¤ƒ घने वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से à¤à¤° जाà¤à¤. पैठनी और हिमरू साड़ियों की दà¥à¤•ाने, जो à¤à¤²à¥à¤²à¥‹à¤°à¤¾ के रासà¥à¤¤à¥‡ में अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ में थीं, वो दà¥à¤•ानें इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर कम संखà¥à¤¯à¤¾ में दिखीं.
 अजंता के बाहरी पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-सà¥à¤¥à¤² का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के किनारे पड़ने वाले गांवों और शहरों से आगे बà¥à¤¨à¥‡ पर, सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ के पठार और घाटियाठदृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होने लगे.  वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सूखी हà¥à¤ˆ थीं और धरती à¤à¥‚रे पड़ चà¥à¤•े सूखे घास से पटी हà¥à¤ˆ थी. बस à¤à¤• बार जरा बारिश हो जाने दो, फिर देखना कि यहाठहरियाली कैसी होती है. à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि औरंगाबाद की ओर से आने वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं के लिठअजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ घाटी के दूसरी तरफ़ पड़तीं हैं.  पठार की तीवà¥à¤° ढलावं पार करने के बाद फ़रà¥à¤¦à¤¾à¤ªà¥à¤°/अजंता टी-जंकà¥à¤¶à¤¨ आ गया और ठीक १०.५५ पूरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¹ को हमारी गाड़ी à¤à¤• पहाड़ की तलहटी पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ अजंता गà¥à¥žà¤¾  पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² में जा लगी. पारà¥à¤•िंग के पास ही अजंता के इतिहास को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† à¤à¤• मॉडरà¥à¤¨ “अजंता अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤—त केंदà¥à¤°â€ था, जिसके बारे में बताया गया कि वह जापानी सहयोग से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ था. संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ वह à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² था, पर हमलोग उसे नहीं देख पाà¤. आज जब लिखने बैठा हूà¤, तो उसे नहीं देख पाने का अफ़सोस à¤à¥€ हो रहा है और नहीं देख पाने का कोई विशेष कारण à¤à¥€ नहीं समठमें आ रहा है. खैर, पारà¥à¤•िंग से गà¥à¥žà¤¾ के तरफ़ आगे बà¥à¤¨à¥‡ पर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• केंदà¥à¤° (शॉपिंग पà¥à¤²à¤¾à¤œà¤¾) मिलता  है, जिसमें à¤à¤¾à¤‚ति-à¤à¤¾à¤‚ति के मनमोहक वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ मिल रहीं थीं. विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾-गण कई तरीकों से गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ों को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करते हैं, जैसे कि काफ़ी दूर तक आपके साथ चलते हà¥à¤ आपको अपने दूकान में आने का निमंतà¥à¤°à¤£ तब तक देते रहना, जब तक आप “हाà¤â€ ना बोल दें. साथ ही यह à¤à¥€ बता दूठकि आपको सौदेबाज़ी का पूरा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिठअनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का मूलà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ सकता है. à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ के साथ-साथ चलते-चलते हमलोग शटल-बस सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ तक आ गà¤. वातानà¥à¤•ूलित तथा साधारण, दोनों तरह की शटल बसें, परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² से अजंता गà¥à¥žà¤¾ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° तक ले जातीं हैं, जिसके लिठबस में ही टिकट कटता है.
अजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤“ं के बारे में रेखा-चितà¥à¤°
à¤à¤• वातानà¥à¤•ूलित शटल बस से, लगà¤à¤— ४ किलोमीटर का सफ़र तय कर, हमलोग अजंता गà¥à¥žà¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤² पर आ गà¤.  यहाठटिकट बà¥à¤•िंग कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है. साथ ही महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित à¤à¤• “अजंता रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚†à¤à¥€ है, जहाठदकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€, पंजाबी तथा चाईनीज़ नाशà¥à¤¤à¤¾-खाना मिलता है.  गà¥à¥žà¤¾à¤“ं में जाने से पहले और वहाठसे लौटने पर इस रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ में कà¥à¤› जलपान कर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• अपनी थकन कम कर सकते हैं. पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-सà¥à¤¥à¤² के हरे-à¤à¤°à¥‡ दालान में, हैदराबाद के निज़ाम के à¤à¤• ततà¥à¤•ालीन अधिकारी, सर अकबर हैदरी ने, सन १९३ॠमें à¤à¤• पीपल का पेड़ लगाया था ताकि लोगों को उसकी छाया में विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने की सहूलियत हो. साथ ही वह पीपल का पेड़ लोगो को à¤à¤—वन बà¥à¤¦à¥à¤§ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के इतिहास की याद दिलाता रहे.  कà¥à¤² मिला कर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-सà¥à¤¥à¤² पर उपलबà¥à¤§ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ काफ़ी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• हैं. परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को सलाह दी जाती है कि गà¥à¥žà¤¾à¤“ की तरफ़ जाने के पहले पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-सà¥à¤¥à¤² पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤§à¤¨-ककà¥à¤· का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर लें, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अजनà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¥žà¤¾à¤“ं के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ में लगà¤à¤— २-३ घंटे लगते हैं. साथ ही अपने साथ जल की बोतलें रख लें, खास कर गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में इनकी उपयोगिता बहà¥à¤¤ पड़ती है.
अजंता की गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का à¤à¤• विहंगम दृशà¥à¤¯
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-सà¥à¤¥à¤² पर  सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€-गण तैनात रहते हैं, जो परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों की चेकिंग के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ देते हैं. शà¥à¤°à¥‚ में ऊà¤à¤šà¥€-ऊà¤à¤šà¥€ सीढियाठमिलतीं हैं. घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ कमज़ोर होने, अतिवृदà¥à¤§ और अशकà¥à¤¤ अथवा किसी और शारीरिक परेशानी से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•, वहाठउपलबà¥à¤§ कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€-पालकी की सहायता ले सकते हैं.  हमलोगों ने à¤à¥€ अपनी तैयारियां पूरी कीं और पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤² से अजंता की गà¥à¥žà¤¾à¤“ं की ओर परनà¥à¤¤à¥ पैदल ही चल पड़े. ऊà¤à¤šà¥€ सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पार कर जैसे ही आगे बà¥à¥‡, अजंता गà¥à¥žà¤¾à¤“ं का विहंगम दृशà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर हà¥à¤†. उस समय दिन से ११.३० बजे थे. गरà¥à¤®à¥€ थी. पहाड़ी वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सूख जाने से हरियाली-विहीन हà¥à¤ परà¥à¤µà¤¤ और घाटियाठतापमान को और बà¥à¤¾ रहे थे. घाटियों के बीच बहने वाली वाघोरा नदी बिलकà¥à¤² सूखी पड़ी थी और उसके सूखे तल पर पर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ गरà¥à¤® चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और सूखे à¤à¤¾à¥œà¥‹à¤‚ ने उस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¤• अजीब सी कांति बना रखी थी, जो उनकी à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤•ता को और बà¥à¤¾ था. दिन के मधà¥à¤¯à¤•ाल के सूरज की असीम रौशनी में अजंता गà¥à¥žà¤¾-संकà¥à¤² à¤à¤• महती à¤à¤µà¥à¤¯ दृशà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहा था, जिससे परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• विसà¥à¤®à¤¿à¤¤ हो कर कà¥à¤·à¤£-à¤à¤° ठिठके हà¥à¤ बिना नहीं रह सकते.  Â
गà¥à¤«à¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ ०१ के बरामदे के सà¥à¤¤à¤®à¥à¤
à¤à¤¾à¤µà¥€ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को बताते चलें कि शिलाखंडों को काट कर बनाई गई अजंता की ३० गà¥à¥žà¤¾à¤à¤ वाघोरा नदी के सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° अशà¥à¤µ-नाल के आकार के दरà¥à¤°à¥‡ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यह बौदà¥à¤§ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के दो à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ चरणों से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ हैं. पूरà¥à¤µà¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ हीनयान चरण का समयकाल दूसरी शताबà¥à¤¦à¥€ ई. पू. से ले कर पहली ईसà¥à¤µà¥€ शताबà¥à¤¦à¥€ तक का है. फिर लगà¤à¤— ४०० वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक उतà¥à¤–नन और उतà¥à¤•ीरà¥à¤£à¤¨ का कारà¥à¤¯ बंद रहा होगा. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ उतà¥à¤¤à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ महायान चरण का समय काल पाà¤à¤šà¤µà¥€ ईसà¥à¤µà¥€ शताबà¥à¤¦à¥€ से छठवीं ईसà¥à¤µà¥€ शताबà¥à¤¦à¥€ का है.  ततà¥à¤•ालीन बौदà¥à¤§ मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤•ांत-सà¥à¤¥à¤² में रह कर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, पूजन और पठन-पाठन के लिठइन गà¥à¥žà¤¾à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† था. à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• काल में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• गà¥à¥žà¤¾ से सीढियाठबनीं रहीं होंगी ,जिससे कि बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥-गण वाघोरा नदी से जल ले सकें. परनà¥à¤¤à¥ कालानà¥à¤¤à¤° में वो सीढियाठनदी के कटाव से नषà¥à¤Ÿ हो चà¥à¤•ीं हैं. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में तो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• गà¥à¥žà¤¾ के सामने से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ हà¥à¤† सीमेंट से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ पकà¥à¤•ा मारà¥à¤— है, जिसकी सहायता से देश-विदेश से आये परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• और बौदà¥à¤§ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ गà¥à¥žà¤¾à¤“ं की शिलà¥à¤ªà¤•ारी और à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿-चितà¥à¤°à¤•ारियों का अवलोकन कर विषà¥à¤®à¤¯-जनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करते हà¥à¤ नहीं थकते हैं.
“पदà¥à¤®-पाणी†का विशà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤°
आरमà¥à¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दूसरे सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-कà¥à¤Ÿà¥€ से निकल कर आगे बà¥à¤¤à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¥à¤® गà¥à¥žà¤¾ (कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ १) आती है.  महायान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से समà¥à¤¬à¤‚धित यह गà¥à¥žà¤¾ (विहार) अजंता के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम विहारों में से à¤à¤• है. दà¥à¤µà¤¾à¤° पर बना चौखट और बरामदे में बने सà¥à¤¤à¤‚ठ शिला-शिलà¥à¤ª के दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अनà¥à¤ªà¤® हैं. जूते उतार कर गà¥à¥žà¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करता हूà¤. गरà¥à¤-गृह में à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की उपदेशक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है, जिससे सारनाथ में दिया गया पà¥à¤°à¤¥à¤® उपदेश के दृशà¥à¤¯ का आà¤à¤¾à¤¸ होता है. गà¥à¥žà¤¾ के दीवारों पर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ के जीवन से तथा जातक कहानियों से समà¥à¤¬à¤‚धित à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤° हैं. छतों पर जà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¤¿à¤• आकारों,  फूलों तथा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के चितà¥à¤° इस पà¥à¤°à¤•ार बनें हैं, जिससे खूबसूरत शामियाने का आà¤à¤¾à¤¸ होता है. परनà¥à¤¤à¥ “पदà¥à¤®-पाणी†à¤à¤µà¤‚ “वजà¥à¤°-पाणी†नामक à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤° तो विशà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं., जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखते ही बचपन के इतिहास की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की याद आ गई. देर तक निहारता रह गया. शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बीत गईं हैं, पर इन चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में कितनी सजीवता हैं. हर चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ तरह-तरह की कहानियाठवातावरण में और à¤à¥€ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯  à¤à¤° डालतीं हैं. जी चाहता है कि इन कहानियों के रस में डूब जाऊं, पर वक़à¥à¤¤ का तकाज़ा आगे बà¥à¤¨à¥‡ को मज़बूर कर देता है.
गà¥à¥žà¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क ०२ में बà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
पहली गà¥à¥žà¤¾ से निकलने का बाद अगली गà¥à¥žà¤¾ (कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ २) में फ़िर से जूते उतार कर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. महायान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की यह गà¥à¤«à¤¾ संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ छठी-सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में बनी थी. अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• अलंकृत इस गà¥à¥žà¤¾ में à¤à¥€ à¤à¤• सà¤à¤¾à¤®à¤‚डप और à¤à¤• बरामदा था. गरà¥à¤à¤—ृह में à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की सिंहासनसà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ तथा ककà¥à¤· की दीवारों पर बà¥à¤¦à¥à¤§ की अनंत अनà¥à¤•ृतियां और उनके जीवन से समà¥à¤¬à¤‚धित अनेकों चितà¥à¤° वहाठउकृत थीं. वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ वह गà¥à¥žà¤¾ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ ककà¥à¤· के छत चितà¥à¤°à¤£ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ थी. छत चितà¥à¤°à¤£ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ विरà¥à¤¦à¥à¤§ रंग-संगति से चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का समावेश था, जिनमें वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में à¤à¥€ चमक बरक़रार थी. चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤•ीरà¥à¤£ सौंदरà¥à¤¯ की पराकाषà¥à¤ ा तà¤à¥€ है जब दरà¥à¤¶à¤•वृनà¥à¤¦  à¤à¥€ चितà¥à¤°à¤²à¤¿à¤–ित रूप से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखता रह जाये. मैं à¤à¥€ शायद à¤à¤¸à¤¾ ही कर रहा था, जैसा कि वहाठखड़े सà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• कर रहे थे. सà¤à¥€ की आà¤à¤–े छत के चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर थीं, मà¥à¤– खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ थे और शायद मन में उन चितà¥à¤°à¤•ारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गरà¥à¤µ और उनकी असीम कला के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ थे.
गà¥à¥žà¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क ९ में हीनयान का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¥à¤¤à¥‚प
गà¥à¤«à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क १ॠमें छत के शामियाने जैसे à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤°
इसके बाद मैं नवमी (कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ ९) गà¥à¥žà¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ करता हूà¤. हीनयान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ इस गà¥à¥žà¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤¥à¤® शताबà¥à¤¦à¥€ ई. पू. में हà¥à¤† था. यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® चैतà¥à¤¯ गृह था. आयताकार à¤à¥‚विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में २३ सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चाप, पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¤¥ और नाà¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था. गज पृषà¥à¤ केआकार की छत पर मूलतः लकड़ी की कड़ियाठऔर शाहà¥à¤¤à¥€à¤°à¥‡à¤‚ मौजूद थे. चाप के मधà¥à¤¯ में ऊà¤à¤šà¥‡ ढोलकनà¥à¤®à¤¾ अधिषà¥à¤ ान पर अंडाकार सà¥à¤¤à¥‚प सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था. कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ वहाठउपलबà¥à¤§ थे. परनà¥à¤¤à¥ उन दिनों, इस गà¥à¥žà¤¾ में वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• संरकà¥à¤·à¤£ का कारà¥à¤¯ चल रहा था, जिसके संयंतà¥à¤° लगे हà¥à¤ थे. अतà¤à¤µ हम सà¤à¥€ इस गà¥à¤«à¤¾ से बाहर शीघà¥à¤° निकल आये. इस गà¥à¥žà¤¾ का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ के अलावा अरà¥à¤§-गोलाकार छजà¥à¤œà¥‡ से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤  इसका बाहरी तोरण दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ था और ततà¥à¤•ालीन बौदà¥à¤§ शिलà¥à¤ªà¤•ला के उचà¥à¤šà¤¤à¤® कोटि को परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता था. ०९वीं गà¥à¥žà¤¾ से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ उससे अगली गà¥à¥žà¤¾ (कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ १०) थी. हीनयान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से समà¥à¤¬à¤‚धित उस गà¥à¤«à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ ईसा पूरà¥à¤µ दूसरी शताबà¥à¤¦à¥€ में हà¥à¤† था. वह अजंता की सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ चैतà¥à¤¯ गà¥à¤«à¤¾ थी. इसके ककà¥à¤· में ३९ अषà¥à¤Ÿà¤•ोणीय सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ थे. इस गà¥à¥žà¤¾ के पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¤¥ की दीवारों पर, सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ पर सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ बने रंगीन चितà¥à¤° ही इसकी मà¥à¤–à¥à¤¯ विशेषता है. महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¥žà¤¾à¤“ं के कà¥à¤°à¤® में अगली गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ १६ और १ॠथीं. यह दोनों गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ महायान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से समà¥à¤¬à¤‚धित थीं. गà¥à¥žà¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ १६ के à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿-चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में “मरणासनà¥à¤¨ राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€â€, “असित की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€â€, “ननà¥à¤¦ का मनपरिवरà¥à¤¤à¤¨â€, ‘माया का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨â€, “शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ का चमतà¥à¤•ार†à¤à¤µà¤‚ “सà¥à¤œà¤¾à¤¤à¤¾ का खीर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना†पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हैं. १ॠवीं गà¥à¥žà¤¾ में “मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯ बà¥à¤¦à¥à¤§â€, “सपà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¶à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§â€, “जातक कथाà¤à¤‚†तथा “बà¥à¤¦à¥à¤§ के जीवन की घटनाà¤à¤â€ à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿-चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में अंकित हैं. अगर अचà¥à¤›à¤¾ गाइड हो, तो इन दोनों गà¥à¥žà¤¾à¤“ं में चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की कहानियाठमनमोहक लगतीं हैं. à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि चोथी-पांचवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में बने चितà¥à¤° बोल-बोल कर अपनी गाथा सà¥à¤¨à¤¾ रहे हों. Â
गà¥à¤«à¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ २६ चैतà¥à¤¯ का छजà¥à¤œà¥‡ वाला दà¥à¤µà¤¾à¤°
à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की “महा परिनिरà¥à¤µà¤¾à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾â€
१९, २१, २४ और २५ कà¥à¤°à¤®à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤¾ की गà¥à¥žà¤¾à¤“ं को लाà¤à¤˜ कर, मैं à¤à¤¾à¤µà¥€ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को सीधे कà¥à¤°à¤® संखà¥à¤¯à¤¾ २६ लिठचलता हूà¤. महायान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की उस गà¥à¤«à¤¾ का अलंकरण à¤à¤µà¥à¤¯ है. उस चैतà¥à¤¯ गृह में à¤à¥€ चाप, पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¤¥ और नाà¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है. गज पृषà¥à¤ आकार के छत में शिलाओं से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ कड़ियाठथी. सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ शिला-शिलà¥à¤ª था, जिसमें à¤à¤—वन बà¥à¤¦à¥à¤§ की हसà¥à¤¤-मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं का वरà¥à¤£à¤¨ थे. हीनयान चरण में बने साधारण-सपाट सà¥à¤¤à¥‚पों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में महायान चरण में बने सà¥à¤¤à¥‚प अलंकृत थे. à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ à¤à¥€ सà¥à¤¤à¥‚प के अधिषà¥à¤ ान में काà¥à¥€ गई थी. चैतà¥à¤¯ गृह के दीवारों पर, शिलाओं को तराश कर, बà¥à¤¦à¥à¤§ के जीवन काल की घटनाà¤à¤ अंकित थीं. ककà¥à¤· के छत पर चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¤• चितà¥à¤° को देख कर दंग होना पड़ा कि जिसका चेहरा और शरीर आपकी तरफ ही दिखाई देता था चाहे आप जिधर से à¤à¥€ देखें. अपितà¥, उस गà¥à¥žà¤¾ की सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤ कलाकृति à¤à¤—वन बà¥à¤¦à¥à¤§ की “महापरिनिरà¥à¤µà¤¾à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾â€ थी. दीवार के मधà¥à¤¯ में à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ लेटे हà¥à¤ थे. उनके पैरों की तरफ़ से उनकी आतà¥à¤®à¤¾ निकल कर सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ारोही हो रही है. उस मूरà¥à¤¤à¤¿ के नीचे धरती पर मौजूद लोग उदास और खिनà¥à¤¨ हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• महामानव खो दिया है. वहीठमूरà¥à¤¤à¤¿ के ऊपर देवतागण पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि उनके साथ à¤à¤• महामानव जà¥à¥œà¤¨à¥‡ जा रहा है. लगà¤à¤— १५०० वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ तराशे हà¥à¤ इस दृशà¥à¤¯ को देख कर सच में हर मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से थोडा उदास हो जाता है.  à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि महापरिनिरà¥à¤µà¤¾à¤£ तो जीवन का अंत ही है और उसके आगे कà¥à¤› à¤à¥€ तो नहीं. तातà¥à¤•à¥à¤·à¤£à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¥à¤•ता मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¥€ समा गई और मैं निशà¥à¤šà¤² खड़ा रह कर उस कलाकृति को निहारता रह गया. फ़िर अचानक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ की आवाज़ से तनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ à¤à¤‚ग हà¥à¤ˆ और मैं अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ के साथ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हो गया. वैसे à¤à¥€ अजंता गà¥à¥žà¤¾à¤“ं का सफ़र इसी गà¥à¥žà¤¾ में समापà¥à¤¤ à¤à¥€ तो हो गया था. इसीलिठफोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤¸ लेने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हमलोग सà¤à¥€ गà¥à¥žà¤¾-संकà¥à¤² से बाहर आ गà¤. वापसी की शटल बस लिया, शॉपिंग पà¥à¤²à¤¾à¤œà¤¾ के बाद पारà¥à¤•िंग में आये, जहाठहमें वापस औरंगाबाद ले जाने के लिठगाड़ी खड़ी थी. उस वक़à¥à¤¤ दोपहर के ३.३० बज चà¥à¤•े थे और लगà¤à¤— २ घंटे की वापसी यातà¥à¤°à¤¾ शेष थी.