राम घाट और शà¥à¤°à¥€ राम मंदिर में घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ के बाद नंदू हमें गढ़कालिका मंदिर ले गया। मंदिर के सामने काफी खà¥à¤²à¥€ जगह है जहाठगाड़ी वगैरह आराम से पारà¥à¤• की जा सकती है। मंदिर के बाहर, पूजा के सामान की कà¥à¤› दà¥à¤•ाने हैं।दोपहर का समय होने के कारण मंदिर में à¤à¥€à¤¡à¤¼ नगणà¥à¤¯ थी,सिरà¥à¤« हम जैसे कà¥à¤› परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• ही वहाठथे।
गढ़कालिका मंदिर, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨
गढ़कालिका मंदिर, मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। कालजयी कवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। कालिदास के संबंध में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करने लगे तà¤à¥€ से उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होने लगा। कालिदास रचित ‘शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤²à¤¾ दंडक’ महाकाली सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° à¤à¤• सà¥à¤‚दर रचना है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि महाकवि के मà¥à¤– से सबसे पहले यही सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤† था। यहाठपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· कालिदास समारोह के आयोजन के पूरà¥à¤µ माठकालिका की आराधना की जाती है।गढ़ कालिका के मंदिर में माठकालिका के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठरोज हजारों à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ जà¥à¤Ÿà¤¤à¥€ है।
गढ़कालिका मंदिर में लगा हà¥à¤† उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का नकà¥à¤¶à¤¾
तांतà¥à¤°à¤¿à¤•ों की देवी कालिका के इस चमतà¥à¤•ारिक मंदिर की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ के विषय में कोई नहीं जानता, फिर à¤à¥€ माना जाता है कि इसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•ाल में हà¥à¤ˆ थी, लेकिन मूरà¥à¤¤à¤¿ सतयà¥à¤— के काल की है। बाद में इस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर का जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ हरà¥à¤·à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठजाने का उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है। सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿà¤•ाल में गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° के महाराजा ने इसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ कराया। वैसे तो गढ़ कालिका का मंदिर शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ में शामिल नहीं है, किंतॠउजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में माठहरसिदà¥à¤§à¤¿ â€à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ होने के कारण इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का महतà¥à¤µ बढ़ जाता है।यहाठपर नवराâ€à¤¤à¥à¤°à¤¿ में लगने वाले मेले के अलावा à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मौकों पर उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ और यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का आयोजन होता रहता है। माठकालिका के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठदूर-दूर से लोग आते हैं।
माठकालिका के आराम से दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद हम अगले सà¥à¤¥à¤² à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤
à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ मंदिर की ओर चलते हà¥à¤ रासà¥à¤¤à¥‡ में हमें हमारे डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° /गाइड नंदू ने इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की विशेष महिमा बतायी कि इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की मूरà¥à¤¤à¤¿ को जितना चाहे उतनी शराब पिला दो, मूरà¥à¤¤à¤¿ को शराब का पातà¥à¤° मà¥à¤à¤¹ से लगाते ही शराब कम होनी शà¥à¤°à¥ हो जाती है। वैसे यह बात मà¥à¤à¥‡ मेरे à¤à¤• मितà¥à¤° ने à¤à¥€ बताई थी जो अà¤à¥€ कà¥à¤› दिन पहले ही उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ होकर गया था। इसलिठहम मंदिर जाकर यह सब अपनी आà¤à¤–ों से देखने को उतà¥à¤¸à¥à¤• थे। नंदू ने हमें यह à¤à¥€ बताया कि इस मूरà¥à¤¤à¤¿ के बारे में जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने सà¥à¤¨à¤¾ तो वे अपने वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•ों को लेकर यहाठपहà¥à¤à¤šà¥‡, इस मूरà¥à¤¤à¤¿ के चारों ओर से गहराई तक खोदकर देखा लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡ यह पता नहीं चला कि आखिर मूरà¥à¤¤à¤¿ जिस दारॠको पीती है वह कहाठजाती है? सबसे बड़ा कमाल तो यह मिला था कि मूरà¥à¤¤à¤¿ के चारों की मिटà¥à¤Ÿà¥€ खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के दौरान à¤à¤•दम शà¥à¤·à¥à¤• मिली थी। इस घटना के बाद अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने कà¤à¥€ दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° को हाथ तक नहीं लगाया था।
काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ
“ महाकाल के इस नगर को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहां à¤à¤• विशेष मंदिर – काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ मंदिर है। यह मंदिर महाकाल से लगà¤à¤— पाà¤à¤š किलोमीटर की दूरी पर है। वाम मारà¥à¤—ी संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के इस मंदिर में काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ की मूरà¥à¤¤à¤¿ को न सिरà¥à¤« मदिरा चढ़ाई जाती है, बलà¥à¤•ि बाबा à¤à¥€ मदिरापान करते हैं ।
बाबा के दर पर आने वाला हर à¤à¤•à¥à¤¤ उनको मदिरा (देशी मदिरा) जरूर चढ़ाता है। बाबा के मà¥à¤à¤¹ से मदिरा का कटोरा लगाने के बाद मदिरा धीरे-धीरे गायब हो जाती है।मंदिर में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का ताà¤à¤¤à¤¾ लगा रहता है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤“ं के हाथ में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की टोकरी में फूल औऱ शà¥à¤°à¥€à¤«à¤² के साथ-साथ मदिरा की à¤à¤• छोटी बोतल à¤à¥€ जरूर नजर आ जाती है।
शà¥à¤°à¥€à¤•ाल à¤à¥ˆà¤°à¤µ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के बाहर परशाद की à¤à¤• दà¥à¤•ान
यह मंदिर à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ शीपà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€ के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह मंदिर à¤à¤—वान कालà¤à¥ˆà¤°à¤µ का है जो कि अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤µà¤‚ चमतà¥à¤•ारिक है। यहाठपर शà¥à¤°à¥€ कालà¤à¥ˆà¤°à¤µà¤œà¥€ की मूरà¥à¤¤à¤¿ जो कि मदिरा पान करती है à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित कर देती है। मदिरा का पातà¥à¤° पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤—वान के मà¥à¤‚ह पर लगा दिया जाता है à¤à¤µà¤‚ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ किया जाता है, देखते ही देखते मूरà¥à¤¤à¤¿ सारी मदिरा पी जाती है। मूरà¥à¤¤à¤¿ के सामने à¤à¥‚लें में बटà¥à¤• à¤à¥ˆà¤°à¤µ की मूरà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ विराजमान है। बाहरी दिवरों पर अनà¥à¤¯ देवी-देवताओं की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। सà¤à¤¾à¤—ृह के उतà¥à¤¤à¤° की ओर à¤à¤• पाताल à¤à¥ˆà¤°à¤µà¥€ नाम की à¤à¤• छोटी सी गà¥à¤«à¤¾ à¤à¥€ है।
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के मंदिरों के शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ हिंदू संसà¥à¤•ृति का बेहतरीन उदाहरण है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि यह मंदिर तंतà¥à¤° के पंथ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है। सà¥à¤•नà¥à¤¦ पूरण में इनà¥à¤¹à¥€ काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ का अवनà¥à¤¤à¥€ खंड में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। इनके नाम से ही यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤—ढ़ कहलाता है। काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ को à¤à¤—वान शिव की à¤à¤¯à¤‚कर अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• माना जाता है। अतः शिव की नगरी में उनà¥à¤¹à¥€ के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤µà¤¤à¤¾à¤°, काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ का यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बड़े महतà¥à¤µ का है। राजा à¤à¤¦à¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ राजा जय सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करवाया गया है। सैकड़ों à¤à¤•à¥à¤¤ इस मंदिर में हर रोज़ आते हैं और आसानी से मंदिर परिसर के चारों ओर राख लिपà¥à¤¤ शरीर वाले साधॠदेखें जा सकते हैं। इस मंदिर में à¤à¤• सà¥à¤‚दर दीपशिला हैं। मंदिर परिसर में à¤à¤• बरगद का पेड़ है और इस पेड़ के नीचे à¤à¤• शिवलिंग है। यह शिवलिंग नंदी बैल की मूरà¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤•दम सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इस मंदिर के साथ अनेक मिथक जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं। à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का à¤à¤¸à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हैं कि दिल से कà¥à¤› à¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ करने पर हमेशा पूरी होती है। महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ के शà¥à¤ दिन पर इस मंदिर में à¤à¤• विशाल मेला लगता है।â€
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ की केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ जेल के सामने से होते हà¥à¤ हम लोग शà¥à¤°à¥€à¤•ाल à¤à¥ˆà¤°à¤µ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जा पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ मंदिर के बाहर सजी दà¥à¤•ानों पर हमें फूल, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के साथ-साथ मदिरा की छोटी-छोटी बोतलें à¤à¥€ सजी नजर आईं। यहाठकà¥à¤› शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के साथ-साथ मदिरा की बोतलें à¤à¥€ खरीदते हैं। à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• दà¥à¤•ान पर हम परसाद लेने के लिठरà¥à¤•े तो दà¥à¤•ानदार हमसे मंदिर में à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ बाबा को पिलाने के लिठमदिरा लेने की जिदà¥à¤¦ करने लगा। यहाठपर लगà¤à¤— हर बà¥à¤°à¤¾à¤‚ड की शराब उपलबà¥à¤§ थी लेकिन शराब का रेट काफी तेज था, लगà¤à¤— दà¥à¤—ना। दà¥à¤•ानदार ने हमें बताया की यहाठडà¥à¤°à¤¾à¤ˆ डे को à¤à¥€ शराब मिलती है , उसने हमें यह à¤à¥€ बताया की यहाठà¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ बाबा को देसी मदिरा ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चड़ाई जाती है। उसकी बातें सà¥à¤¨à¤•र हमने à¤à¥€ à¤à¤• देसी मदिरा की छोटी बोतल ली ओर à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤
मंदिर में पहà¥à¤‚चकर कà¥à¤› सीड़ियाठचड़ने के बाद शà¥à¤°à¥€ कालà¤à¥ˆà¤°à¤µà¤œà¥€ की मूरà¥à¤¤à¤¿ दिखाई दी। उनके साथ ही पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ बैठे हà¥à¤ थे। हमने सारा पूजा का सामान उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दे दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परशाद मूरà¥à¤¤à¤¿ को à¤à¥‹à¤— लगाया फिर शराब की बोतल खोलकर लगà¤à¤— आधी बोतल à¤à¤• पातà¥à¤° में डाली और उस पातà¥à¤° को मूरà¥à¤¤à¤¿ के मà¥à¤¹à¤ से लगा दिया। हमारे देखते ही देखते पातà¥à¤° खाली हो गया और पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी ने बाकि की आधी à¤à¤°à¥€ बोतल हमें वापिस कर दी। मंदिर से जैसे ही हम निचे उतरे तो हमारे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की कोई सीमा न रही जब कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग हमसे शराब का परशाद माà¤à¤—ने लगे जिसमे औरतें à¤à¥€ शामिल थी। हमने à¤à¥€ लिंग à¤à¥‡à¤¦ की निति अपनाते हà¥à¤ परशाद किसी महिला को देने की बजाय à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· को बची हà¥à¤ˆ बोतल दे दी और मंदिर से बाहर आकर अपने ऑटो की ओर चल दिà¤à¥¤