“अयोधà¥à¤¯à¤¾â€ के नाम से à¤à¤²à¤¾ कौन परिचित नहीं होगा. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ यह नगर पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ “रामायण†में उलà¥à¤²à¤¿à¤–ित है. à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ राम का जनà¥à¤® यहीं हà¥à¤† था और इसी वजह से इस नगर की महतà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अधिकांश जनमानस के मन में छाठहà¥à¤ इस नगर से मेरे माता-पिता का पूरà¥à¤µ-काल से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ रहा है. तथापि ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से सितमà¥à¤¬à¤° २०१८ में अपनी माता के साथ इस नगर की यातà¥à¤°à¤¾ करने का सà¥à¤…वसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†.
उस समय वरà¥à¤·à¤¾à¤•ाल समापà¥à¤¤à¤¿ की ओर था. हाल ही हà¥à¤ˆ वरà¥à¤·à¤¾ के कारण पà¥à¤°à¤•ृति अपनी हरी आà¤à¤¾ से à¤à¥‚मंडल को ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ कर रही थी. à¤à¤¸à¥‡ में जब हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मैदानी इलाकों से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ लगी तब रेल-पटरी के दोनों ओर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हरे à¤à¤°à¥‡ लहलहाते खेत नज़र आने लगे. मेरा à¤à¤¸à¤¾ मानना है कि दूर-दूर तक फैले हà¥à¤, धान की फसलों से पटे हà¥à¤, गंगा और उसकी सहायक नदियों से बने हà¥à¤ तथा छोटे-छोटे गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ से बटे हà¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के खेत और खलियान शायद पà¥à¤°à¤•ृति की सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¤à¤°à¤šà¤¨à¤¾à¤“ं में से à¤à¤• हैं. वैसे à¤à¥€ दिन में की जाने वाली रेल यातà¥à¤°à¤¾ किसी पिकनिक से कम नहीं होती. इस पिकनिक में टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पà¥à¤°à¤•ृति से लà¥à¤•ाछिपि खेलती है और यातà¥à¤°à¥€à¤—ण कà¤à¥€ पटरी के बायीं तो कà¤à¥€ दायीं ओर à¤à¤¾à¤à¤•ते हैं.
à¤à¤¸à¥‡ में यदि आपके साथ घर से बना कोई à¤à¥‹à¤œà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ हो, तो सोने में सà¥à¤¹à¤¾à¤—ा ही है. माताजी तो इस विषय में निपà¥à¤£ थीं. à¤à¥‹à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के मामले में उनकी वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ कोई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं रखती. इस यातà¥à¤°à¤¾ में à¤à¥€ उसका बड़ा आनंद आया. बस खाते-पीते, फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करते तथा अयोधà¥à¤¯à¤¾-दरà¥à¤¶à¤¨ के बारे में चरà¥à¤šà¤¾ करते à¤à¤• रेल-यातà¥à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ तथा टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अयोधà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर जा लगी. उस समय रातà¥à¤°à¤¿ के लगà¤à¤— ११.१५ बज चà¥à¤•े थे. समय-सारणी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तो संधà¥à¤¯à¤¾ के ०à¥.३० बजे ही अयोधà¥à¤¯à¤¾ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था. तथापि आगे जाने वाली उस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से केवल २-३ परिवार ही उस दिन अयोधà¥à¤¯à¤¾ के सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरे थे. निरà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर उतरते ही संकोचजनà¥à¤¯ à¤à¤• à¤à¤¯ सताने लगा कि इतनी रात गठन जाने किसे जगाना पड़े. किनà¥à¤¤à¥, धनà¥à¤¯ री अयोधà¥à¤¯à¤¾ नगरी! सहसा कहीं से à¤à¤• कà¥à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤†. रातà¥à¤°à¤¿ के उस पà¥à¤°à¤¹à¤° में उसका वहाठआना à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ वरà¥à¤£à¤¨ से कम नहीं था. उसकी सहायता से माता जी ने दो पà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤«à¥‹à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को जोड़ने वाली रेल-पà¥à¤² को, दिन à¤à¤° की रेल यातà¥à¤°à¤¾ के बाद à¤à¥€, पार कर लिया. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के बाहर खड़े à¤à¤•मातà¥à¤° बैटरी-चालित रिकà¥à¤¶à¥‡ से हम गंतवà¥à¤¯ तक पहà¥à¤à¤š कर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने लगे.
मंदिरनà¥à¤®à¤¾ अयोधà¥à¤¯à¤¾ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨
रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के बाद अयोधà¥à¤¯à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ का हमारा पà¥à¤°à¤¥à¤® दिवस शà¥à¤°à¥€ वेदानà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, जानकी घाट से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†. पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल में उस मठमें रहने वाले कà¥à¤› विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ अपने गà¥à¤°à¥ की देख रेख में संसà¥à¤•ृत का विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे थे. हालाà¤à¤•ि मैं उस पà¥à¤°à¤•ार की शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से विशेष अवगत नहीं था और ना ही उनके पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के बारे में कोई जानकारी थी. किनà¥à¤¤à¥ मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में संसà¥à¤•ृत विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ में लगे विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का दृशà¥à¤¯ à¤à¤• यातà¥à¤°à¥€ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से मनोरम लगा. कà¥à¤› देर के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ वहाठपà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ालीन आरती होने लगी. घंट-घरियालों की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ के साथ, “à¤à¤¯ पà¥à¤°à¤•ट कृपाला दीन दयाला†के धà¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर आरती हो रही थी कि सहसा राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से आये शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का à¤à¤• जतà¥à¤¥à¤¾ मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गया. वे सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· अपनी पारंपरिक वेश-à¤à¥‚षा में थे, जिनसे उनकी पहचान संà¤à¤µ हà¥à¤ˆ. कà¥à¤› देर तक शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने आरती में à¤à¤¾à¤— लिया और फ़िर अगले दरà¥à¤¶à¤¨-सà¥à¤¥à¤² के लिठचल पड़े. उनके जाते ही सूने पड़े पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में सहसा पà¥à¤¨à¤ƒ हलचल हà¥à¤ˆ. इस बार आà¤à¤§à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाकों से अयोधà¥à¤¯à¤¾ आये शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की टोली से पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन à¤à¤° गया. उनके जाने के बाद पंजाब-हरयाणा के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ आये और आरती में à¤à¤¾à¤— लिया. इस पà¥à¤°à¤•ार विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ टोलियाठआती थीं और आरती में कà¥à¤› देर ठहर कर फिर आगे बढ़ जातीं. इन सबके बीच मेरी माता जी तो शायद à¤à¤—वानॠको अपने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-सà¥à¤®à¤¨ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने में मगन थीं, पर मेरा यातà¥à¤°à¥€ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ à¤à¤—वानॠकी आरती में कम और à¤à¤—वानॠके बनाये मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की टोलियों के वेश-à¤à¥‚षा, परिधान और हाव-à¤à¤¾à¤µ देखने में तलà¥à¤²à¥€à¤¨ रहा.
वेदांती सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ कालीन आरती का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
आरती ख़तà¥à¤® होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हमलोग अयोधà¥à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के लिठततà¥à¤ªà¤° हà¥à¤. विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ थी कि अयोधà¥à¤¯à¤¾ में तो जिधर देखो उधर à¤à¤• मंदिर है. वहाठहर घर में à¤à¤• मंदिर ही बना दिखाई देता है. यह संà¤à¤µ ही नहीं कि हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ मंदिरों और मठों को कोई à¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€ दो दिनों में देख सके. इसीलिठसमय का विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते हà¥à¤ सबसे पहले हमलोग जानकी घाट à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मंदिरों के अवलोकन को चले. वैसे तो इस इलाके में à¤à¥€ सैकड़ों मंदिर होंगे. किनà¥à¤¤à¥ उनमें से मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मणिराम की छावनी, इचाक मंदिर, चारधाम मंदिर वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण मंदिर इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ हैं.
उन दिनों इचाक मंदिर का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ का कारà¥à¤¯ चल रहा था. साथ ही à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ वृहत “रामारà¥à¤šà¤¾ à¤à¤µà¤¨â€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ à¤à¥€ चल रहा था. शायद अगले à¤à¤•-दो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में ये निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ पूरे कर लिठजाà¤à¤. “मणिराम की छावनी†का परिसर विशाल था. परकोटे के दालान लोहे के सींकचों से घिरी हà¥à¤ˆà¤‚ थीं. पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दालान में कई पà¥à¤°à¤•ार के साधà¥à¤“ं के टहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी. लोहे की सींकचे शायद बंदरों के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ से बचने के लिठलगाई गईं थीं. यह मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ ०६.३० बजे से मधà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¹ तक और दोपहर ०४.०० बजे से रातà¥à¤°à¤¿ ९.०० बजे तक खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है. यहाठशà¥à¤°à¥€ राम दरबार का विगà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. कई शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® और बालरूप में à¤à¤—वानॠà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. सफ़ेद-काले चौकोर टाइलà¥à¤¸ लगे बरामदे में उस समय वहाठके कà¥à¤› पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤“ं के बीच कोई छोटी-सी मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ चल रही थी, जिसमें सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ मालूम पड़ते थे. सारा परिसर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• विशेष सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध के अंतरà¥à¤—त था. हमलोग थोड़ी देर वहाठठहरे, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लिया और फिर अगले पड़ाव के लिठचल पड़े.
मणि राम की छावनी का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
हमारा अगला पड़ाव मणिराम की छावनी के ठीक सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ “वालà¥à¤®à¥€à¤•ीय रामायण à¤à¤µà¤¨â€ था. इसका शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ सन १९६५ में मणिराम राम की छावनी के ततà¥à¤•ालीन महंत नृतà¥à¤¯à¤—ोपाल दास जी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया था. संगमरमर की बाहरी दीवारों से बनी यह ईमारत à¤à¤µà¥à¤¯ है. इसका सà¤à¤¾ मंडप विशाल है. सà¤à¤¾ मंडप के अंतिम छोर पर लव-कà¥à¤¶ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है, जो अपने गà¥à¤°à¥ वालà¥à¤®à¥€à¤•िजी के साथ विराजमान हैं. इस सà¤à¤¾à¤®à¤‚डप की à¤à¥€à¤¤à¤°à¥€ दीवारें ही इस à¤à¤µà¤¨ के नामकरण का कारण हैं. इन à¤à¥€à¤¤à¤°à¥€ दीवारों पर संसà¥à¤•ृत में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण लिखी हà¥à¤ˆ है. इसे देख कर मन में थोड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ जरूर होता है. संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ इस सà¤à¤¾à¤®à¤‚डप का उपयोग विशेष उपलकà¥à¤·à¥‹à¤‚ पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के बैठने के लिठकिया जाता हो. वालà¥à¤®à¥€à¤•ि रामायण मंदिर के परिसर के à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤• अषà¥à¤Ÿà¤•ोणीय हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर à¤à¥€ है. यह मंदिर बिंदॠसरोवर नामक à¤à¤• जलकà¥à¤£à¥à¤¡ के ऊपर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है.
वालà¥à¤®à¥€à¤•ीय रामायण à¤à¤µà¤¨ का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ जानकी घाट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इन मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिरों को देखने के बाद हमारी माताजी की इचà¥à¤›à¤¾ “हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ वाटिका†नामक मंदिर पर जाने की हà¥à¤ˆ. यहाठहनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी अपने मà¥à¤•à¥à¤Ÿ-धारी रूप से विराजमान हैं. तब जानकीघाट से à¤à¤• बैटरी-चालित रिकà¥à¤¶à¤¾ पर सवार हो कर हमलोग हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ वाटिका आ गà¤. अयोधà¥à¤¯à¤¾ में नागरीय यातायात के लिठरिकà¥à¤¶à¤¾ à¤à¤• सà¥à¤—म अवं सà¥à¤²à¤ साधन है. १० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सवारी के मद से चलने वाले बैटरी-रिकà¥à¤¶à¥‡ बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ से उपयोग में लाये जा रहे थे. वैसे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ वाटिका पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नहीं लगा. इस इलाके में अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कà¥à¤› अनà¥à¤¯ मंदिरों का दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद à¤à¥€ दिन का बड़ा समय शेष था और हमलोग अयोधà¥à¤¯à¤¾ के कà¥à¤› अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ जा सकते थे.
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ वाटिका का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
मेरी माता जी तो अयोधà¥à¤¯à¤¾ पहले à¤à¥€ गयीं थीं, पर अबतक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ “मणि परà¥à¤µà¤¤â€ का दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं हà¥à¤† था. वे परà¥à¤µà¤¤ के नाम से घबराती थीं, मन में ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤¯ à¤à¥€ घर कर चà¥à¤•ा था. उनके मन में यह शंका थी कि वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में परà¥à¤µà¤¤ पर कैसे चढ़ेंगी. इधर मेरी सोच बिलकà¥à¤² à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ थी. इसीलिठà¤à¤• ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ से पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ उनकी हिमà¥à¤®à¤¤ बढ़ाते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मणि परà¥à¤µà¤¤ के तलहटी पर ले गया. वहाठदेख कर पता चला कि वह परà¥à¤µà¤¤ तो बिलकà¥à¤² छोटा-सा (ननà¥à¤¹à¤¾-सा) है. फिर कà¥à¤¯à¤¾ था? माताजी को तो परà¥à¤µà¤¤ की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ के बारे में कà¥à¤› नहीं कहा. किनà¥à¤¤à¥ तलहटी पर बैठे à¤à¤• विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ से मैंने कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ख़रीदे और माताजी को ले कर ननà¥à¤¹à¥‡-से मणि परà¥à¤µà¤¤ के रासà¥à¤¤à¥‡ चल पड़ा. बहà¥à¤¤-ही धीरे-धीरे संयत क़दमों से पग-पग कर चलते हà¥à¤ आखिरकार माता जी मणि-परà¥à¤µà¤¤ पर चढ़ गईं.
मणि परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी
शायद उस ननà¥à¤¹à¥‡ से टीले को वे कोई बड़ा परà¥à¤µà¤¤ ही समठरहीं थीं और बड़ी खà¥à¤¶ हà¥à¤ˆà¤‚. टीले के ऊपर à¤à¥€ à¤à¤• मंदिर है, जिसमें सीता-राम का नयनाà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤® विगà¥à¤°à¤¹ है. मणि परà¥à¤µà¤¤ के बारे में जनशà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ है कि हिमालय से संजीवनी बूटी ले कर लंका जाते हà¥à¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी ने परà¥à¤µà¤¤-खंड को रख कर यहाठविशà¥à¤°à¤¾à¤® किया था. अनà¥à¤¯ लोकोकà¥à¤¤à¤¿ यह कहती है कि राम विवाह में राजा जनक जी ने इतने आà¤à¥‚षण इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ दिठथे कि अयोधà¥à¤¯à¤¾ लाने पर उनका à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ बन गया, जिसे मणि परà¥à¤µà¤¤ कहते हैं. मणि परà¥à¤µà¤¤ से नीचे उतर कर मैंने महसूस किया कि माताजी के मन में परà¥à¤µà¤¤ चढ़ने से थोड़ी थकान छाई हà¥à¤ˆ है. शायद जिसे मैं ननà¥à¤¹à¤¾-सा टीला समठरहा था, वह उनके लिठकिसी परà¥à¤µà¤¤ से कम नहीं था. वैसे बात à¤à¥€ सही थी. अगर वह टीला होता तो उसका नाम मणि टीला रखा जाता. वह सचमà¥à¤š का परà¥à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता था, तà¤à¥€ तो उसका नाम मणि परà¥à¤µà¤¤ पड़ा था. à¤à¤¸à¤¾ मान कर मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वापस उनके कमरे में ले आया, जिसके वातानà¥à¤•ूलित वातावरण में à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤-फ़तह कर पाने की सà¥à¤–-निदà¥à¤°à¤¾ में वह सो गयीं. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ दोपहर ढलने के बाद, अयोधà¥à¤¯à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ का कारà¥à¤¯ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी से पà¥à¤¨à¤ƒ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†.
मणि परà¥à¤µà¤¤ का विगà¥à¤°à¤¹
“हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी†अयोधà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंदिरों में से à¤à¤• है. अयोधà¥à¤¯à¤¾ नगरी में आने वाला कोई à¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€ उन मंदिरों या सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾ करे अथवा ना करे , जिनका जिकà¥à¤° मैंने अबतक के संसà¥à¤®à¤°à¤£ में किया है. परनà¥à¤¤à¥, विरला ही कोई अलबेला यातà¥à¤°à¥€ होगा, जिसने अयोधà¥à¤¯à¤¾ पधार कर à¤à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी की यातà¥à¤°à¤¾ ना की हो. यह मंदिर अयोधà¥à¤¯à¤¾ नगर के मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— मे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. जैसे-जैसे आप इस मंदिर के नजदीक आते जाते हैं, वैसे –वैसे बेसन के लडà¥à¤¡à¥à¤“ं की दà¥à¤•ानें बढ़तीं जातीं हैं. à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि बेसन के लडà¥à¤¡à¥‚ शà¥à¤°à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का पà¥à¤°à¤¿à¤¯ नैवेदà¥à¤¯ है. इस मंदिर की बनावट किलेनà¥à¤®à¤¾ है. मंदिर à¤à¥€ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बना है. मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के लिठसीढ़ियों के मारà¥à¤— से जाना पड़ता है. मंदिर की दीवारें थोड़ी कलातà¥à¤®à¤• है. कंगूरें और दरवाज़े à¤à¥€ नकà¥à¤•ाशीदार हैं. इस मंदिर का शिखर अयोधà¥à¤¯à¤¾ – नगर के आकाश में उनà¥à¤¨à¤¤-सा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है.
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
हमारे वहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर मंदिर के नीचे ही वहाठके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ कई छोटे-छोटे लड़के सहसा ही हमसे मिलने आ गà¤. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मातà¥à¤° १० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की फ़ीस पर अयोधà¥à¤¯à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ कराने का आगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया. अब इस बात में पड़ना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है कि इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ पर नियंतà¥à¤°à¤£ लगना चाहिठअथवा नहीं? परनà¥à¤¤à¥ उतà¥à¤¸à¥à¤•तावश हमने à¤à¤• लड़के का आगà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर लिया. जैसा अकà¥à¤¸à¤° होता है कि विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ के विचार और सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ देने वाले के विचार à¤à¤• से नहीं होते. उसी पà¥à¤°à¤•ार जब विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ और सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ देनेवाला à¤à¤• ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हो, तो आरà¥à¤¡à¤° मिलने के बाद होने वाला विचार परिवरà¥à¤¤à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• था. खैर, जबतक हमलोग हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी के दरà¥à¤¶à¤¨ करके वापस आये तब तक वह लड़का तो नीचे ही खड़ा रहा. इधर à¤à¤•-à¤à¤• सीढ़ी धीरे-धीरे चढ़ कर माता जी के साथ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी मंदिर पहà¥à¤à¤šà¤¾. संधà¥à¤¯à¤¾ में वैसे बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ रहती है. परनà¥à¤¤à¥ उस दिन हमलोगों को अनà¥à¤ªà¤® दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤†.
शà¥à¤°à¥€ राम जी की राजगदà¥à¤¦à¥€ का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
दरà¥à¤¶à¤¨ करके लौटने पर उस लड़के के साथ अपने अगले पड़ाव “शà¥à¤°à¥€ राम जी की राजगदà¥à¤¦à¥€â€ तक पहà¥à¤à¤šà¥‡. वहाठ“सीताजी की रसोई†à¤à¥€ थी. उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¸à¤¾ बताया कि यदि कà¤à¥€ अयोधà¥à¤¯à¤¾ में राम मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होगा तो उसमें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने वाला विगà¥à¤°à¤¹ वहीठसे जायेगा. इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हमलोग कà¥à¤› देर तक बैठगà¤. अचानक à¤à¤• पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ने मेरा हाथ देखना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. अब उनकी à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तो सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं. पर उस दिन हाथ देखने के à¤à¤µà¤œ में कà¥à¤› दान-पà¥à¤£à¥à¤¯ जरूर करना पड़ा था. खैर, जिसकी राशि उसी को मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•. राजगदà¥à¤¦à¥€ के बाद उस लड़के ने “कनक à¤à¤µà¤¨â€ ले जाने का वादा किया था, जो उसने बीच में ही छोड़ दिया. शायद वह हमलोगों में अपनी दिलचसà¥à¤ªà¥€ खो चà¥à¤•ा था.
अब “कनक à¤à¤µà¤¨â€ से आगे की कहानी अगले à¤à¤¾à¤— में……