वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से जोधपà¥à¤° राजपà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾ वैà¤à¤µ का केनà¥à¤¦à¥à¤° रहा है। जिसके पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ आज à¤à¥€ जोधपà¥à¤° शहर से लगे अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इमारतों के रूप में मिल जाते हैं। जोधपà¥à¤° से 9 किलोमीटर की दूरी पर à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मौजूद है जिसको मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ के नाम से पà¥à¤•ारा जाता है। इसी के नाम पर à¤à¤• टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ का नाम à¤à¥€ रखा गया है-मंडोर à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ जोकि दिलà¥à¤²à¥€ से जोधपà¥à¤° के लिठचलती है। मैंने à¤à¥€ जोधपà¥à¤° पहà¥à¤‚चने के लिठइसी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवाया था। यह टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ शाम को पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ से चलती है और सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे जोधपà¥à¤° पहà¥à¤‚चा देती है।
मणà¥à¤¡à¥‹à¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नाम ‘माणà¥à¤¡à¤µà¤ªà¥à¤°â€™ था। जोधपà¥à¤° से पहले मंडोर ही जोधपà¥à¤° रियासत की राजधानी हà¥à¤† करता था। राव जोधा ने मंडोर को असà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ मानकर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिहाज से चिड़िया कूट परà¥à¤µà¤¤ पर मेहरानगढ़ फोरà¥à¤Ÿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर अपने नाम से जोधपà¥à¤° को बसाया था तथा इसे मारवाड़ की राजधानी बनाया। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में मंडोर दà¥à¤°à¥à¤— के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· ही बाकी हैं, जो बौदà¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ शैली के आधार पर बने हैं। इस दà¥à¤°à¥à¤— में बड़े-बड़े पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।
मैंने अपने होटल के मैनेजर से यहां से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ कà¥à¤› जानकारियां जà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆà¤‚। जोधपà¥à¤° के आसपास ही कई देखने लायक à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हैं जिसमे मंडोर अपनी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के कारण दूर-दूर तक मशहूर है। मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ जोधपà¥à¤° शहर से पांच मील दूर उतà¥à¤¤à¤° दिशा में पथरीली चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर थोड़े ऊंचे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बना है।
à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि मंडोर परिहार राजाओं का गढ़ था। सैकड़ों सालों तक यहां से परिहार राजाओं ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मारवाड़ पर अपना राज किया। चà¥à¤‚डाजी राठौर की शादी परिहार राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ से होने पर मंडोर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दहेज में मिला तब से परिहार राजाओं की इस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राजधानी पर राठौर शासकों का राज हो गया। मनà¥à¤¡à¥‹à¤° मारवाड की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ राजधानी रही है|
The outer wall of the temple depicts finely carved botanical designs, birds, animals and beautifully carved planetary system
यहां के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग यह à¤à¥€ मानते हैं कि मनà¥à¤¡à¥‹à¤° रावण की ससà¥à¤°à¤¾à¤² था। शायद रावण की पटरानी का नाम मनà¥à¤¦à¥‹à¤¦à¥à¤°à¥€ होने के कारण से ही इस जगह का नाम मंडोर पड़ा. यह बात यहां à¤à¤• दंत कथा की तरह पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। लेकिन इस बात का कोई ठोस पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मौजूद नहीं है।
मणà¥à¤¡à¥‹à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤— देवल, देवताओं की राल, जनाना, उदà¥à¤§à¤¾à¤¨, संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯, महल तथा अजीत पोल दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² हैं।
मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ à¤à¤• विशाल उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ है। जिसे सà¥à¤‚दरता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठकृतà¥à¤°à¤¿à¤® नहरों से सजाया गया है। जिसमें ‘अजीत पोल’, ‘देवताओं की साल’ व ‘वीरों का दालान’, मंदिर, बावड़ी, ‘जनाना महल’, ‘à¤à¤• थमà¥à¤¬à¤¾ महल’, नहर, à¤à¥€à¤² व जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ महाराजाओं के समाधि सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• बने है. लाल पतà¥à¤¥à¤° की बनी यह विशाल इमारतें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के बेजोड़ नमूने हैं। इस उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ में देशी-विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ो की à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी रहती है। यह गारà¥à¤¡à¤¨ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिठसà¥à¤¬à¤¹ आठसे शाम आठबजे तक खà¥à¤²à¤¾ रहता है।
The temple style architecture of the monument reflects a synthesis of arts, the ideals of dharma, beliefs, values and the way of life cherished under Hinduism
जोधपà¥à¤° और आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ घूमने का सबसे अचà¥à¤›à¤¾ साधन है यहां चलने वाले टेमà¥à¤ªà¥‹à¥¤ आप थोड़ी बारà¥à¤—ेनिंग करके पूरे दिन के लिठटेमà¥à¤ªà¥‹ वाले को घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठतय कर सकते हैं। मैंने à¤à¥€ टेमà¥à¤ªà¥‹ को पूरे दिन के लिठतय कर लिया। मैं टेमà¥à¤ªà¥‹ में बैठकर मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ पहà¥à¤‚ची। यहां काफी लोग आते हैं। आप खाने पीने का सामान गारà¥à¤¡à¤¨ के गेट से खरीद कर अंदर ले जा सकते हैं। पर थोड़ी सावधानी ज़रूरी है। यहां पर बड़े-बड़े लंगूर रहते हैं जोकि खाना छीन कर à¤à¤¾à¤— जाते हैं। इस जगह को देखने से पहले यहां के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी ज़रूरी है। यहां का इतिहास जो थोड़ा बहà¥à¤¤ मà¥à¤à¥‡ यहां के लोगों से पता चला है। मैं आपके साथ साà¤à¤¾ करती हूं।
The entire fabric of the temple is covered with sculptures; hardly a square inch of space has escaped the carver’s hand
मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ का इतिहास
उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ में बनी कलातà¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ जोधपà¥à¤° के महाराजा अजीत सिंह व उनके पà¥à¤¤à¥à¤° महाराजा अà¤à¤¯ सिंह के शासन काल के समय सनॠ1714 से 1749 ई. के बीच हà¥à¤† था। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजाओं ने इस उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ की मरमà¥à¤®à¤¤ आदि करवाई और समय समय पर इसे आधà¥à¤¨à¤¿à¤• ढंग से सजाया और इसका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° किया। आजकल यह सरकारी अवहेलना और à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° की मार à¤à¥‡à¤² रहा है। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रख रखाव पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाना बहà¥à¤¤ ज़रूरी है। रखरखाव की कमी से पानी की नहर कचरे से à¤à¤° चà¥à¤•ी है। जिसे देख कर मà¥à¤à¥‡ काफी अफ़सोस हà¥à¤†à¥¤
Stone carving on the rock and turned into a foundation pillor of a floor was a wonder of the architecture
यह सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• पूरे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पाई जाने वाली राजपूत राजाओं की समाधि सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ से थोड़ा अलग हैं। जहां अनà¥à¤¯ जगहों पर समाधि के रूप में विशाल छतरियों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया जाता रहा है। वहीठजोधपà¥à¤° के राजपूत राजाओं ने इन समाधि सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को छतरी के आकर में न बनाकर ऊंचे चबूतरों पर विशाल मंदिर के आकर में बनवाया।
मंडोर उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ से उतà¥à¤¤à¤° की ओर à¤à¤• ही पंकà¥à¤¤à¤¿ में जोधपà¥à¤° के महाराजाओं के समाधि सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• ऊंची पतà¥à¤¥à¤° की कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर बने हैं, जिनकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला में हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के साथ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ समनà¥à¤µà¤¯ देखा जा सकता है। जहां à¤à¤• ओर राजाओं की समाधि सà¥à¤¥à¤² ऊंचे पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर मंदिर के आकार के बने हà¥à¤ हैं वहीं रानियों के समाधि सà¥à¤¥à¤² छतरियों के आकर के बने हà¥à¤ हैं। यहां पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर की हà¥à¤ˆ नकà¥à¤•ारशी देखने लायक है। यहां मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•ला के उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ नमूने देखने को मिलते हैं। यह समाधि सà¥à¤¥à¤² बाहर से जितने विशाल हैं अंदर से à¤à¥€ उतने ही सजाठगठहैं। गहरे ऊंचे नकà¥à¤•ारà¥à¤¶à¥€à¤¦à¤¾à¤° गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦, पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर उकेरी हà¥à¤ˆ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले खमà¥à¤¬à¥‡ और दीवारें उस समय के लोगों की कला पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ होने का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करती हैं।
Rajput were the great patrons of art & architecture and Mandore garden was taken cared by the different clans
इनमें महाराजा अजीत सिंह का सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• सबसे विशाल है। यह उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ रोकà¥à¤¸ पर बनाया गया था। उसके बावजूद यहां पर परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हरयाली नज़र आती है। लाल पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤•रूपता को खतà¥à¤® करने के लिठयहां हरयाली का विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा गया था जिसके लिठउदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के बीचों बीच से नहर निकाली गई थी। सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•ों के पास ही à¤à¤• फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ नहर के अवशेष हैं, इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देख कर लगता है कि कà¤à¥€ यह नहर नागादडी à¤à¥€à¤² से शà¥à¤°à¥‚ होकर उदà¥à¤§à¤¾à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाजे तक आती होगी तो कितनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और कितनी सजीली दिखती होगी। नागादडी à¤à¥€à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ मंडोर के नागवंशियों ने कराया था, जिस पर महाराजा अजीत सिंह व महाराजा अà¤à¤¯ सिंह के शासन काल में बांध का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया गया था।
The Rajput Rulers had a keen sense of beauty in Art and Architecture which is seen in the artistic excellence inside the temples
यहां à¤à¤• हॉल ऑफ हीरों à¤à¥€ है। जहां चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ पर उकेर कर दीवार में तराशी हà¥à¤ˆ आकृतियां हैं जो हिनà¥à¤¦à¥ देवी-देवतीओं का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करती है। अपने ऊंची चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥€ चबूतरों के साथ, अपने आकरà¥à¤·à¤• बगीचों के कारण यह पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ पिकनिक सà¥à¤¥à¤² बन गया है।
मैंने उधान में घूमते-घूमते अजीत पोल, ‘देवताओं की साल’, ‘वीरों का दालान’, मंदिर, बावड़ी, ‘जनाना महल’, ‘à¤à¤• थमà¥à¤¬à¤¾ महल’, नहर, à¤à¥€à¤² व जोधपà¥à¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ महाराजाओं के सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• देखे। मंडोर गारà¥à¤¡à¤¨ को तसलà¥à¤²à¥€ से देखने के लिठकमसे कम आधा दिन तो लग ही जाता है। इसलिठयहां के लिठसमय निकाल कर आà¤à¤‚। कà¥à¤¯à¥‚ंकि यहां चलना अधिक पड़ता है इसलिठआरामदेह जूते पहन कर आà¤à¤‚ और तेज़ धूप से बचने के लिठसà¥à¤•ारà¥à¤« या छतरी साथ लाà¤à¤‚।
जोधपà¥à¤° कैसे पहà¥à¤à¤šà¥‡à¤‚?
जोधपà¥à¤° शहर का अपने हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ और रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हैं जो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शहरों से अचà¥à¤›à¥€ तरह से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं। नई दिलà¥à¤²à¥€ का इंदिरा गांधी अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ निकटतम अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¯à¤°à¤¬à¥‡à¤¸ है। परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• जयपà¥à¤°, दिलà¥à¤²à¥€, जैसलमेर, बीकानेर, आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, उदयपà¥à¤°, और आगरा से बसों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ यहां तक पहà¥à¤‚च सकते हैं।
कब जाà¤à¤‚?
इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वरà¥à¤· à¤à¤° à¤à¤• गरà¥à¤® और शà¥à¤·à¥à¤• जलवायॠबनी रहती है। गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ाल, मानसून और सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ यहां के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मौसम हैं। जोधपà¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ का सबसे अचà¥à¤›à¤¾ समय अकà¥à¤Ÿà¥‚बर के महीने से शà¥à¤°à¥‚ होकर और फरवरी तक रहता है।
कहां ठहरें?
मंडोर से जोधपà¥à¤° 8 किलोमीटर दूर है। इसलिठठहरने के लिठजोधपà¥à¤° à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ विकलà¥à¤ª है। जोधपà¥à¤° में ठहरने के हर बजट के होटल हैं। अगर आप राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ संसà¥à¤•ृति और बà¥à¤²à¥‚ सिटी का फील लेने जोधपà¥à¤° जा रहे हैं तो ओलà¥à¤¡ सिटी में ही रà¥à¤•ें। यह सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं है। विदेशों से आठसैलानी यहां ओलà¥à¤¡ बà¥à¤²à¥‚ सिटी में बड़े चाव से रà¥à¤•ते हैं। बà¥à¤²à¥‚ सिटी मेहरानगढ़ फोरà¥à¤Ÿ के दामन में बसा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ शहर है। जहां कई होटल और होम सà¥à¤Ÿà¥‡ मिल जाते हैं। पर यहां ठहरने के लिठपहले से बà¥à¤•िंग करवालें कà¥à¤¯à¥‚ंकि विदेशियों में बà¥à¤²à¥‚ सिटी का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ होने के कारण यह वरà¥à¤· à¤à¤° à¤à¤°à¥‡ रहते हैं।
कितने दिन के लिठजाà¤à¤‚?
जोधपà¥à¤° और उसके आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤•ून से देखने के लिठकमसे कम 3-4 दिन का समय रखें।
फिर मिलेंगे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚, अगले पड़ाव में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के कà¥à¤› अनछà¥à¤ पहलà¥à¤“ं के साथ,
तब तक खà¥à¤¶ रहिये, और घूमते रहिये.
आपकी हमसफ़र आपकी दोसà¥à¤¤,
डा० कायनात क़ाज़ी